कैसी हो बच्चे की इम्यूनिटी वाली डाइट

अन्नपूर्णा और प्रीति दोनों ही अपने बच्चों को ले कर पार्क में घुमाने लाई थीं. अन्नपूर्णा का बेटा मयंक जहां बच्चों की हर ऐक्टिविटीज और गेम्स में भाग ले रहा था और जीत भी रहा था वहीं उस से 1 साल बड़ा प्रीति का बेटा किंचित थोड़ा सा खेल कर ही थक चुका था और एक कोने में बैठा एक पप्पी को तंग करने में मशगूल था.

प्रीति ने उदास स्वर में अन्नपूर्णा को अपना दुखड़ा सुनाते हुए कहा, ‘‘यार अन्नू तेरा बेटा तो बड़ा स्ट्रौंग है. उसे जब भी देखती हूं हमेशा ऐक्टिव दिखता है और हर चीज में अव्वल रहता है पर मेरा बेटा कहीं मन ही नहीं लगाता. बहुत जल्दी थक जाता है और उस की ग्रोथ भी ठीक से नहीं हो रही. मुझे लगता है किंचित उम्र में बड़ा है, मगर लंबाई में भी मयंक ने ही बाजी मारी है.’’

‘‘हां यार यह तो सच है कि मेरा बेटा हर जगह अव्वल आता है और इस की एक वजह यह है कि मैं ने शुरू से ही उस के खानपान पर पूरा ध्यान दिया है. मैं उसे हमेशा अच्छी डाइट देती हूं.’’

‘‘मगर मेरा बेटा तो खाने में इतने नखरे करता है कि क्या बताऊं. मुश्किल से कुछ गिनीचुनी चीजें खाता है. हां जंक फूड्स जितने भी दे दो उन्हें खुशीखुशी खाता है. तभी मैं उसे पिज्जा, बर्गर, फ्रैंच फ्राइज ही दे देती हूं खाने को. आखिर उस का पेट तो भरना है न इसलिए जो खाता है वही खिला देती हूं,’’ प्रीति ने परेशान स्वर में कहा.

‘‘मगर यह तो बिलकुल सही नहीं है प्रीति. इस तरह तो उसे सही पोषण ही नहीं मिलेगा. पोषण का ध्यान नहीं रखोगी तो आगे जा कर उस के शारीरिकमानसिक विकास में अवरोध आएगा. कम उम्र में ही बीमारियां घेरने लगेंगी. बच्चे जो खाना चाहते हैं वह दे देना सही नहीं. उन्हें वे चीजें ही खिलाओ जो उन के लिए जरूरी हैं,’’ अन्नपूर्णा ने समझया.

‘‘और जो वह न खाए तो?’’

‘‘तो देने का तरीका बदलो. मान लो उसे दाल खाना पसंद नहीं, मगर दालें प्रोटीन का अच्छा स्रोत होती हैं. ऐसे में आप चीला बना कर दाल खिला सकती हो. मसलन, कभी बेसन का तो कभी मूंग दाल का स्वादिष्ठ चीला खिलाइए. वह इनकार कर ही नहीं पाएगा. इसी तरह वह दूध नहीं पी रहा तो उसे पनीर की सब्जी खिलाइए या दूध में चौकलेट फ्लेवर का बौर्नविटा या हौर्लिक्स मिला कर दीजिए. अगर वह हरी सब्जी नहीं खा रहा तो उन्हें बनाने का अंदाज बदल कर देखिए या सब्जी भर कर परांठा बना लीजिए.’’

‘‘यार तूने तो मेरी आंखें खोल दीं. कितने अच्छे तरीके बताए हैं तूने. मैं कल से ही ट्राई करती हूं,’’ खुश हो कर प्रीति ने अन्नपूर्णा का शुक्रिया किया.

यह सच है कि बच्चे अकसर खाने में आनाकानी करते हैं, पर आप को उन्हें हैल्दी खाना खाने की आदत डालनी होगी. बच्चों की सेहत का बचपन से ही खयाल रखने की जरूरत होती है ताकि उम्र के साथ उन की सेहत और इम्यूनिटी मजबूत हो और उन के शरीर को तमाम इन्फैक्शन और बीमारियों से लड़ने की ताकत मिले. बढ़ती उम्र में बच्चों को सही और भरपूर पोषण की जरूरत होती है जिस में प्रोटीन, विटामिन जैसे कई तरह के पोषक तत्त्व शामिल हैं.

अगर बच्चों की डाइट में इन का अभाव हो जाए तो उन्हें कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं घेर सकती हैं. पहले यह जानना होगा कि आप के बढ़ते बच्चे की डाइट में कौन से पोषक तत्त्व शामिल करने जरूरी हैं और इस के लिए कौन से चीजें खिलानी जरूरी हैं.

बढ़ते बच्चों के लिए जरूरी पोषक तत्त्व

प्रोटीन: अच्छे विकास और ताकत के लिए प्रोटीन बच्चों की डाइट में ज़रूर होना चाहिए. यह एक ऐसा तत्त्व है जिस की जरूरत सिर्फ बड़ों को ही नहीं बल्कि बच्चों को भी होती है. यह तत्त्व शरीर के सैल्स के निर्माण, भोजन को ऐनर्जी में बदलने, इन्फैक्शन से लड़ने और शरीर में औक्सीजन के लैवल को बनाए रखने में मदद करता है. प्रोटीन की पूर्ति के लिए सोयाबीन, दालें, अंडा, चिकन और डेयरी प्रोडक्ट्स का सेवन कराएं.

कैल्सियम: बच्चों के शरीर को कैल्सियम की बहुत आवश्यकता होती है क्योंकि उन की हड्डियां, दांत कैल्सियम से ही मजबूत होते हैं. 35 साल की उम्र तक पीक बोन मास बनता है, इसलिए मजबूत हड्डियों के निर्माण के लिए भी सही मात्रा में कैल्सियम का सेवन करना बहुत जरूरी है. आप उन्हें दूध, दही, पनीर सहित अन्य डेयरी प्रोडक्ट्स दें जिन में पर्याप्त मात्रा में कैल्सियम मौजूद होता है. उन्हें सुबह की धूप लेने की आदत भी डालनी चाहिए ताकि विटामिन डी शरीर को मिले.

फाइबर: फाइबर के सेवन से पाचनतंत्र स्वस्थ रहता है, पोषक तत्त्वों का अवशोषण ठीक से होता है. हर बच्चे के आहार में फाइबर को जरूर शामिल करना चाहिए. इसके लिए आप ब्रोकली, सेब, नट्स, ऐवोकाडो, नाशपाती आदि दे सकती हैं.

आयरन: इस के सेवन से बच्चे का विकास ठीक तरह से होता है क्योंकि आयरन रैड ब्लड सैल्स के निर्माण के लिए बहुत जरूरी है जो पूरे शरीर में औक्सीजन पहुंचाती हैं. खून की कमी से कई तरह के रोग पैदा होते हैं. इस के विपरीत जब शरीर में आयरन की पर्याप्त मात्रा होती है तो इस से खून तो तेजी से बनता ही है साथ ही ध्यान और एकाग्रता में भी सुधार आता है.

यही वजह है कि बढ़ते बच्चों के लिए आयरन बहुत जरूरी होता है. इस के लिए हरी पत्तेदार सब्जियां, मछली, अंडा, मांस, चुकंदर, साबुत अनाज, बींस, नट्स, ड्राई फू्रट आदि देने चाहिए.

विटामिन सी: विटामिन सी सर्दीजुकाम से लड़ने के साथसाथ और भी कई तरह से फायदेमंद होता है. यह रक्तवाहिकाओं की दीवारों को मजबूत करता है, घाव को सही करने के साथ ही दांतों और हड्डियों को भी मजबूती देता है. जब बच्चा बढ़ता है तो उस के शरीर को विटामिन सी की सख्त जरूरत होती है. इस तत्त्व की पूर्ति के लिए बच्चों को खट्टे फल, टमाटर, स्ट्राबेरी, आम, नाशपाती, ब्रोकली, पालक जैसी चीजें खिलाएं.

फौलेट: शायद बहुत कम लोगों को पता हो लेकिन फौलेट भी बढ़ते बच्चों के स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है. यह बच्चों के शरीर के सैल्स को मजबूत और हैल्दी रखता है. इस विटामिन की कमी से बच्चों को एनीमिया रोग यानी शरीर में खून की कमी हो सकती है. बच्चों की बौडी में फौलेट की मात्रा बनी रहे इसलिए उन्हें मिक्स अनाज का दलिया, पालक, चने, मसूर की दाल और स्प्राउट्स जैसी चीजें दें.

कार्बोहाइड्रेट: यह भी बच्चों के बेहतर विकास के लिए एक जरूरी तत्त्व है. यह ऊतक के निर्माण और मरम्मत करने में महत्त्वपूर्ण है. कार्बोहाइड्रेट कई अलगअलग रूपों (शर्करा, स्टार्च, फाइबर) में आते हैं. लेकिन बच्चों को स्टार्च और फाइबर अधिक और चीनी कम देनी चाहिए. ब्रैड, आलू, पास्ता, चावल और अनाज आदि में प्रचुर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट होता है.

बढ़ते बच्चों की डाइट में जरूर होनी चाहिए ये पौष्टिक चीजें:

दूध: दूध बढ़ती उम्र के बच्चों के लिए बहुत जरूरी है क्योंकि इस में कैल्सियम की पर्याप्त मात्रा होती है जिस से हड्डियां मजबूत बनती है. साथ ही दूध में विटामिन ए,बी2 और बी12 भी होते हैं जो शारीरिक विकास के लिए जरूरी हैं.

ब्रोकली: ब्रोकली में भरपूर मात्रा में कैल्सियम पाया जाता है. इस से बच्चों की हड्डियां मजबूत होती हैं. आप अपने बच्चे को इस का सूप दे सकती हैं या फिर दूसरी सब्जियों के साथ मिला कर इसकी सब्जी तैयार कर सकती हैं.

बादाम: हर सुबह मुट्ठी भर बादाम बच्चों की याददाश्त, नजर और यहां तक कि मानसिक विकास में मदद कर सकते हैं. बादामों में कई प्रकार के खनिज, विटामिन और स्वस्थ वसा पाई जाती है जो शरीर के लिए भी काफी फायदेमंद मानी जाती है.

अध्ययनों के अनुसार बादाम, हड्डियों के बेहतर स्वास्थ्य को बनाए रखने में भी सहायक हैं. इन में मौजूद विटामिन ई बच्चों की लंबाई बढ़ाने में सहायक माना जाता है.

डेयरी उत्पाद: प्रोटीन के अलावा, हड्डियों की बेहतर संरचना और मजबूती के लिए कैल्सियम की आवश्यकता होती है. डेयरी उत्पाद जैसे दही, पनीर, दूध और मक्खन में भरपूर मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है. दूध स्वस्थ वसा, फास्फोरस और मैग्नीशियम प्रदान करता है जो बच्चे की लंबाई को बढ़ाने में मदद करता है. 1 गिलास दूध में करीब 8 ग्राम तक प्रोटीन होता है जो मांसपेशियों के निर्माण में भी सहायक होता है.

अंडे: वसा और प्रोटीन का समृद्ध स्रोत अंडे सेहत के लिए काफी फायदेमंद होते हैं. 1 बड़े अंडे में करीब 6 ग्राम प्रोटीन होता है. इस में मौजूद अमीनो ऐसिड हड्डियों के निर्माण को बढ़ावा देता है और उन्हें मजबूत बनाता है. इस के अतिरिक्त अंडों से विटामिन डी भी प्राप्त किया जा सकता है जो हड्डियों को कैल्सियम ठीक से अवशोषित करने में मदद करता है. अंडों में कोलीन नामक पोषक तत्त्व भी भरपूर मात्रा में होता है जो मस्तिष्क के विकास के लिए जरूरी होता है. अंडों को बौयल, फ्राई या किसी भी अन्य रूप में बच्चे को दें.

बैरीज: ब्लूबेरी और स्ट्राबेरी में पोटैशियम, विटामिन सी, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर और ऐंटीऔक्सीडैंट होता है. इस में फैट और कोलैस्ट्रौल नहीं होता. इन का स्वाद मीठा होता है इसलिए बच्चे इन्हें पसंद करते हैं. इन्हें आप ओटमील, दही, दलिया आदि में मिक्स कर सकती हैं.

शकरकंद: यह आंखों के लिए बहुत ही फायदेमंद है. इस में विटामिन ए, सी, ई, कैल्सियम, पोटैशियम और आयरन होता है.

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