‘‘हमारा पंजाबी संगीत ग्रो हो रहा है, पर …’’- दिलजीत दोसांझ

पंजाबी सिनेमा में दिलजीत की पहचान कौमेडी एक्टर की है, जबकि उन्होंने पंजाबी में ‘पंजाब 1984’ और ‘सज्जन सिंह रंगरूट’जैसी सीरियस फिल्में की हैं, लेकिन बौलीवुड में उन्होनें अब तक गंभीर रोल ही निभाए हैं. पर 2019 में बौलीवुड में वह ‘अर्जुन पटियाला’ और ‘गुड न्यूज’ में वह कौमेडी करते नजर आएंगे. इन दिनों वह 21 जून को प्रदर्शित हो रही पंजाबी कौमेडी फिल्म ‘‘छड़ा’’ को लेकर चर्चा में हैं. बौलीवुड में उनकी सफलता के चलते पंजाबी फिल्म ‘‘छड़ा’’को हिंदी के सब टाइटल्स के साथ प्रदर्शित किया जाएगा. हाल ही में दिलजीत दोसांझ से हमारी एक्सक्लूसिंब बातचीत हुई, जो कि इस प्रकार रही..

सवाल- आप सिंगर और अभिनेता हैं.पंजाबी के अलावा हिंदी में भी काम कर रहे हैं. तो वहीं आप हर साल विदेशों में अपने संगीत के कार्यक्रम भी करते रहते हैं. इतना सब कुछ कैसे कर लेते हैं?

बड़ी मेहनत करनी पड़ती है.वैसे मैं हर साल दो पंजाबी फिल्में और दो हिंदी फिल्में करता हूं, बाकी समय मैं संगीत को देता हूं. मगर मैं अपनी निजी जिंदगी और परदे की जिंदगी को एक दूसरे से अलग रखता हूं. मुझे लगता है कि मैं जो भी काम कर रहा हूं, उसे करते हुए इंज्वौय कर रहा हूं, इसलिए कर पा रहा हूं. जहां तक किरदारों को आत्मसात करने का सवाल है तो मैं हमेशा लोगों को आब्जर्व करता रहता हूं,यह बात मेरे अभिनय में मददगार साबित होती है.

सवाल- बौलीवुड में आपने गंभीर किरदार निभाते हुए कदम रखा और एक पहचान बन गयी.पर अब आप बौलीवुड में भी कौमेडी फिल्में‘‘अर्जुन पटियाला’’और ‘‘गुड न्यूज’’ कर रहे हैं?

मैं फिल्म की पटकथा और किरदार को महत्व देता हूं.पंजाबी सिनेमा में तो अस्सी प्रतिशत कौमेडी फिल्में ही की हैं. मुझे कौमेडी के अलावा सीरियस व हर तरह के किरदार निभाने में मजा आता है. ‘अर्जुन पटियाला’ और ‘गुड न्यूज’कौमेडी फिल्में हैं,पर मेरे किरदार काफी अर्थपूर्ण हैं. दूसरी बात ‘अर्जुन पटियाला’’में मैने जिस तरह का किरदार निभाया है और जिस तरह की कौमेडी की है,उस तरह की कौमेडी अब तक मैने किसी फिल्म में नही की.मुझे हमेशा अच्छे किरदार की दरकार रहती है.

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आप जानकर हैरान होंगे कि मेरी पंजाबी कौमेडी फिल्म ‘‘जट एंड जूलिएट’’ने पंजाबी सीरियस फिल्म‘‘पंजाब 1984’’के मुकाबले कई गुणा ज्यादा पैसा कमाया.इसके बावजूद जब भी लोग मुझसे मिलते हैं,तो ‘‘पंजाब 1984’’की बात करते हैं.‘‘पंजाब 1984’’की वजह से मुझे बॉलीवुड में आने का मौका मिला.

सवाल- आपने पंजाबी में 15 फिल्में की हैं और हिंदी में 6 फिल्में की हैं.इनमें कोई ऐसा किरदार था,जिसने आपकी निजी जिंदगी पर असर किया हो?

आज मैं आपसे निवेदन करना चाहूंगा कि यदि आपने हमारी पंजाबी फिल्म ‘‘पंजाब 1984’’नही देखी है,तो जरूर देखिए.यह फिल्म इस वक्त नेटफिलिक्स पर मौजूद है.इसे  नेशनल अवार्ड मिला था. यह फिल्म 4 जून 194 की ‘आपरेशन ब्लू स्टार’की घटना पर है. मेरे अब तक के करियर की बेहतरीन फिल्म है और इसमें मैंने बेहतरीन किरदार निभाया.इस फिल्म के साथ मेरे लगाव की वजह बहुत बड़ी है. मेरा जन्म 1984 का है,जब 1984 में दरबार साहब में घटना घटी थी, जिसे लोग दंगा कहते हैं,जबकि दंगा शब्द गलत है.वह सरकार द्वारा दरबार साहब पर किया गया अटैक था. दंगे तब होते हैं, जब लोग आपस में भिड़ जाएं, एक दूसरे के खून के प्यासे हो जाएं. पर उस वक्त की सरकार के द्वारा किया गया अटैक था. उस वक्त की सरकार ने ऐसा किया था. 1984 में दरबार साहब में तमाम बेकसूर लोग मारे गए थे.उस घटनाक्रम और उस दिन की दर्दनाक कहानीयों को सुन सुनकर मैं बड़ा हुआ हूं. जब मैं दरबार साहब जाता था, तो देखता था कि इस इमारत को ढहा दिया गया था,जो परिक्रमा क्षेत्र है, वहां लोगों ही लाशें थीं. तो यह सारी कहानीयां मेरे जेहन में बैठी हुई थी. जब मैं कौमेडी फिल्म ‘जट एंड ज्यूलिएट’ की शूटिंग कर रहा था, तब चर्चा हुई थी कि इस विषय पर फिल्म बननी चाहिए.यह बहुत ही संजीदा विषय है, लेकिन हम लोगों ने इस पर फिल्म बनायी.नेशनल अवार्ड मिला. इस फिल्म में किरण खेर व पवन मल्होत्रा सहित कई बौलीवुड कलाकार हैं. जब मैं इस फिल्म की शूटिंग कर रहा था, तो मेरे अंदर से आग निकली, जो मैंने सुन रखी थी .

सवाल- फिल्म ‘‘पंजाब 1984’’की शूटिंग के दौरान की कुछ यादें बयां करना चाहेंगे?

-मैं जिस पीड़ा से गुजर रहा था, उसे शब्दों में बयां नहीं कर सकता. पर हम इस फिल्म के लिए पाकिस्तानी सीमा से जुडे़ पंजाब के एक गांव में शूटिंग कर रहे थे.उस गांव के बुजुर्गों ने हमें बताया कि किस तरह से अटैक हुआ था. उस वक्त उन्होंने कुछ नयी जानकारी दी. क्योंकि उनके सामने सब कुछ हुआ था, जिसे हमने अपनी फिल्म का हिस्सा बनाया. उन बुजुर्गों के घरों में तमाम तस्वीरें थी. गांव के लोगों ने हमें अपने बेटों की तस्वीरें दिखायीं, जिनकी निर्मम हत्या की गयी थी. यह बहुत बड़े स्तर की बात है. पर जो हुआ है, गलत हुआ है. हम शूटिंग करते हुए सोचते थे कि आखिर ऐसा हो कैसे सकता है? उस वक्त हमारे दिमाग में बात आयी थी कि यदि दूसरी बार ऐसा हो गया, तो? सोच की बात है. हम तो भगवान से चाहेंगे कि ऐसा दुबारा ना हो.

सवाल- आपकी पंजाबी फिल्में अब तक पंजाब में ही प्रदर्शित होती रही हैं. पर पहली बार आपकी पंजाबी फिल्म ‘‘छड़ा’’ मुंबई में भी प्रर्दशित हो रही है?

-जी हां! दर्शक हमारी फिल्म देखना चाहते हैं. इसलिए इसे मुंबई, दिल्ली सहित कई दूसरे शहरों में भी प्रदर्शित करने की योजना है. हमने इसमें हिंदी में सब टाइटल्स दिए हैं.

सवाल- पंजाबी फिल्म‘‘छड़ा’’क्या है?

देखिए,छड़ा का मतलब होता है,ऐसा पुरूष जिसकी शादी की उम्र बीत गयी हो,(यह ध्यान रखे कि कुंवारा लड़का वह होता है, जिसकी उम्र शादी करने योग्य हुई हो, मगर तीस साल से अधिक उम्र के लड़के की शादी न हुई हो, तो उसे छड़ा कहते हैं.) मगर उसकी शादी न हो रही हो.तो यह फिल्म ऐसे ही इंसान की कहानी है. इसकी उम्र बीत चुकी है, मगर शादी नहीं हो रही है. यह फिल्म रोमांटिक कौमेडी है. इसमें मैंने एक छड़ा का ही किरदार निभाया है जो कि शादी का फोटोग्राफर है.

सवाल- संगीत के क्षेत्र में आपकी सक्रियता बरकार है?

-जी हां! मेरे सिंगल गाने आ रहे हैं. मैं अभी अगले सप्ताह कनाडा और अमेरिका में अपने शो करने जा रहा हूं.

सवाल- एक वक्त वह था जब संगीत के अलबम और कैसेट बिका करते थे. अब सिंगल गीतों का जमाना आ गया. इससे एक सिंगर व कलाकार के तौर पर आप क्या फर्क महसूस करते हैं?

-देखिए, समय और तकनिक में बदलाव के साथ साथ हर चीज की डिमांड बदलती रहती है. अब डिजिटल मीडियम है, तो लोग सिंगल गाने पसंद कर रहे हैं. मुझे सिंगल गानों के चलन में कोई बुराई नजर नहीं आती.हर सिंगल गाने का वीडियो बनता है. जबकि पहले एक संगीत अलबम में पांच से आठ गाने हुआ करते थे. उनमें से दो तीन गानों का ही वीडियो बनता था. बाकी गाने ऐसे ही रह जाते थे. अब अच्छी बात यह है कि हर गाने का वीडियो बन जाता है.

सवाल- मगर पहले कैसट या अलबम की बिक्री को लेकर नए नए रिकौर्ड बना करते थे, उस वक्त जो खुशी होती थी,वह तो आज…?

रिकौर्ड अब भी बन रहे हैं.अब आप सुनते होंगे कि इस गाने को इतने मिलियन लोगों ने देख लिया.जब हमारा कोई गाना ‘आई टूयन’पर नंबर वन होता है,तो रिकॉर्ड बनता ही है.पहले कैसेट या अलबम की विक्री के आंकड़े हमारी अपनी फिल्म इंडस्ट्री तक सीमित रहते थे. लेकिन ‘आई ट्यून’के आंकड़े पूरे विश्व में जाते हैं. इससे हम पूरे विश्व में पहुंच रहे हैं. दूसरी बात अलबम या कैसट की बिक्री का आंकड़ा तो संगीत कंपनियां दिया करती थी. जबकि सिंगल गानों की लोकप्रियता इंटरनेट पर है, जो कि खुली किताब है. पहले विदेशों में हमारे एलबम नही बिकते थे. हमारे अपने देश वरासी यहां से अलबम या कैसट खरीद कर विदेश ले जाते थे. लेकिन अब डिजिटल और इंटरनेट के जमाने में हमारा सिंगल गाना पूरे विश्व में मौजूद है. अमरीका में बैठा इंसान एक क्लिक पर देख सकता है. कनाडा में बैठा इंसान पता लगा सकता है कि भारत में कौन सा गाना ‘नंबर वन’ है? इतना ही नहीं अब तो डिजिटल से बहुत अच्छे पैसे मिल रहें हैं. तो डिजिटल के आने से नुकसान नहीं फायदा ही है.

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सवाल- आप मानते हैं कि डिजिटल से संगीत को फायदा हुआ?

-सौ प्रतिशत हुआ है. तमाम गायकों व संगीतकारों ने यूट्यूब पर अपने अपने खुद के चैनल शुरू कर दिए. कई कंपनियों ने अपने चैनल शुरू कर दिए.मेरा अपना खुद का यूट्यूब पर संगीत का चैनल है. डिजिटल मीडियम के आने के बाद भी पंजाबी संगीत नहीं मरा, पंजाबी संगीत आज भी ग्रो कर रहा है. मगर बौलीवुड संगीत की हालत खराब हुई है.

सवाल- पंजाबी संगीत लोकप्रियता बढ़ती जा रही है.पर बौलीवुड संगीत खत्म हो गया. इसकी क्या वजह आपकी समझ में आ रही है?

इसके बारे में मुझे कुछ नहीं पता. मैं इतना जानता हूं कि जिस पंजाबी संगीत में मैं काम कर रहा हूं,वह लगातार ग्रो कर रहा है.मजेदार बात यह है कि पंजाबी में जो गाना हिट हो जाता है, पांच छह साल बाद वह यहां हिंदी में आ जाता है. जब हिंदी में यह गाना हिट होता है,तो हमें लगता हे कि हमने तो इसे पांच छह साल पहले सुन लिया था. यह गाना पहले ही हिट था,अभी तो हिट नही हुआ. जबकि बालीवुड वाले कहते हैं कि हमारा गाना हिट हो गया. मैं कई बार कहता हूं कि यही गाना छह साल पहले हमारे पंजाब में हिट हो चुका है.

सवाल- क्या यह माना जाए कि हिंदी वाले पंजाबी गानों की नकल कर रहे हैं?

-नहीं..नहीं..‘नकल’बहुत बुरा शब्द है. अब हिंदी वालों को पंजाबी गाना अच्छा लग रहा है और वह उसे हिंदी में ले रहे हैं, तो यह अच्छी बात है.

सवाल- आप विदेशो में जब म्यूजिकल कंसर्ट करने जाते हैं, तो क्या रिस्पांस मिलता है?

विदेशों में लोग हमें बहुत सुनना चाहते हैं. हम अगले हफ्ते ही कनाडा और अमरीका म्यूजिक कंसर्ट करने जा रहे हैं. वहां बहुत बड़े स्तर पर हमारे म्यूजिक कंसर्ट होते हैं. लोग बहुत इंज्वौय करते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि कनाडा और अमरीका जैसे देशों में बॉलीवुड के जो शो होते हैं, उनके मुकाबले हमारा शो कई गुणा बेहतर होता है. वह हमसे पंजाबी गाने ही ज्यादा सुनना चाहते हैं. हमारे म्यूजिकल कसंर्ट में भारत व पाकिस्तान से ही ज्यादा लोग आते हैं. मजेदार बात यह हे कि पंजाबी ही नहीं गुजराती लोग भी हमारे गाने को सुनना चाहते हैं.

सवाल- आपके गाने को लेकर कोई ऐसी प्रतिक्रिया मिली हो, जो याद रहे?

जब हमारा गाना रिलीज होता है, तो ढेर सारी प्रतिक्रियाएं आती हैं. विदेशों में जो हमे सुनने आते हैं,वह भी अपनी बात कहते हैं. सच यह है कि मैं इन्हें बहुत ज्यादा गंभीरता से नहीं लेता, फिर चाहे वह प्रतिक्रिया अच्छी हो या बुरी. मेरी राय में यदि कलाकार के दिमाग में प्रशंसकों की राय बैठ जाए, तो उसकी जिंदगी गड़बड़ हो जाती है. मैं प्रशंसकों की राय सुनकर मुस्कुराता हूं और आगे बढ़ जाता हूं.

सवाल- आप अपने म्यूजिक चैनल पर किस तरह के गाने देते हैं?

हम यूट्यूब चैनल पर अपनी पसंद के ही गाने देते हैं. कई बार अपने चैनल पर रिलीज करने के बाद किसी संगीत कंपनी से उस गाने की मांग आती है, तो हम उसे बेच भी देते हैं.

सवाल- क्या संगीत की रियाज आज भी जारी है?

सर जी, आपने तो मेरी दुखती रग पर हाथ रख दिया. मैं हर दिन संगीत की रियाज करना चाहता हूं. मगर अभिनय में व्यस्तता के चलते हो नही पा रहा है. पहले मैं हर दिन नियमित रियाज किया करता था. रियाज ना कर पाने का असर यह हुआ कि अब मैं पहले जैसा अच्छा सिंगर नहीं रहा. देखिए, संगीत जैसे क्षेत्र में यदि आपने रियाज नही किया, तो उसका असर आपके संगीत में आता ही है.यदि पहलवान रोज रियाज नहीं करेगा, रोज पहलवानी नही करेगा, तो उसका असर उसकी पहलवानी में आएगा. मैं खुद महसूस करता हूं कि रियाज ना कर पाने की वजह से मेरी गायकी कमजोर हो गयी है. मैं इस सच को जानकर भी कुछ नही कर पा रहा हूं. मैं अपनी तरफ से बहुत कोशिश करता हूं कि रियाज कर लूं,पर कई बार हमें सुबह 6 बजे निकलना होता है, फिर देर रात तक शूटिंग होती है. कई बार तो मुझे चार घंटे से ज्यादा सोने को नही मिलता.हम जिम तक नही जा पाते हैं.ऐसे में संगीत का रियाज नही हो पाता. अभिनय में हम सिर्फ सेट पर जाकर हम अभिनय नहीं करते हैं, उससे पहले भी हमें किरदार पर ध्यान केंद्रित करना होता है. कई बार तो कुछ किरदारों के लिए खास तरह की तैयारी करती पड़ती है. मसलन, मैंने अपनी जिंदगी में कभी हौकी नहीं खेला था, लेकिन फिल्म ‘‘सूरमा’’ में अभिनय करने के लिए मुझे तीन माह तक हौकी खेलना सीखाना पड़ा.

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सवाल- डिजिटल मीडियम के चलते वेब सीरीज बहुत बन रही हैं?

-जी हां मुझे भी पिछले साल एक वेब सीरीज करने का आफर मिला था, अब नाम तो नहीं लूंगा. इसमें बहुत अच्छा किरदार था.सब्जेक्ट अच्छा था.लेकिन डेट क्लैश हुई और नही कर पाया.

सवाल- डिजिटल मीडियल और वेब सीरीज के चलते कही सिनेमा पर संकट तो नही आ जाएगा?

ऐसा कभी नही होगा. जब वीसीआर आया था और लोगों ने अपने घरों में वीडियो कैसेट लेकर फिल्में देखना शुरू किया था, तब भी लोगों ने ऐसा ही कहा था पर सिनेमा कभी खत्म नही हो सकता. लोग थिएटर जाना कभी बंद नही कर सकते. अब तो आए दिन नए सिनेमा घर खुल रहे हैं. देखिए,भारत में सिनेमा देखने जाना बाहर घूमने जैसा होता है. अमेरिका या कनाडा में हमसे पहले वेब सीरीज बनने लगी थी, पर वहां भी लोग अभी भी सिनेमाघर जा रहे हैं.

मैं तो कनाडा व अमरीका बहुत ज्यादा जाता रहता हूं. वहां पर हमारे परिवार के लोग भी हैं. वहां मैंने महसूस किया कि दक्षिण भारत से गए हमारे लोग वहां पर बडे़ पदों पर हैं. अच्छा पैसा कमा रहे हैं. वह वहां पर अपनी भाषा यानी तमिल, तेलगू व मलयालम की फिल्में पूरे परिवार के साथ देखने जाते हैं. मैंने पाया कि वहां के सिनेमाघर भरे होते हैं. आप यकीन करें या ना करें मगर बौलीवुड की बनिस्बत दक्षिण भारत की फिल्में विदेशों में बहुत चलती हैं. यह सुनी सुनायी बात नही है. मुझे याद है एक दक्षिण भारत की फिल्म वहां पूरे डेढ माह तक सिनेमा से उतरी ही नही.

Edited by Rosy

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