YRKKH : अभिरा के इमशोन्स के साथ खेलेगी रूही, अपना बच्चा देने का करेगी ऐलान

टीवी का पौपुलर सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है (Yeh Rishat Kya kehlata Hai) में इन दिनों हाई वोल्टेज ड्रामा चल रहा है. शो का ट्रैक अभिरा, अरमान और रूही के इर्दगिर्द दिखाया जा रहा है. सीरियल की कहानी में लीप आने के बाद अरमान और अभिरा की जिंदगी पूरी तरह से बदल चुकी है.

औफिस में बखेड़ा खड़ा करेगा अरमान

‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में इन दिनों दिखाया जा रहा है कि अरमान का गुस्सा सातवें आसमान पर है. वह अपने औफिस के लोगों पर बुरी तरह भड़क जाता है. अभिरा के कारण औफिस में अरमान नया ड्रामा खड़ा कर देता है. अरमान से बात करने की कोशिश करती है. अभिरा की वजह से अरमान औफिस में भी बखेड़ा खड़ा कर देता है. दूसरी तरफ अभिरा मनीष से अपने दिल की बात बताती है.

अरमान की मां का बर्थडे किया जाएगा सेलिब्रेट

मनीष उसे समझाता है और कहता है कि अभिरा को अपनी जिंदगी पर फोकस करना चाहिए. शो के अपकमिंग एपिसोड में ये भी दिखाया जाएगा कि अभिरा परिवार को दिखाएगी कि रूही इस पार्टी की हर तैयारी कर रही है.

रूही का होगा ऐक्सीडेंट

तो दूसरी तरफ रात होते ही अरमान अपनी मां के पास पहुंच जाएगा. वह अपनी मां को जन्मदिन की बधाई देगा. लेकिन वह अभिरा को पार्टी में शामिल होने से मना करेगा. अगले दिन पूरा पोद्दार परिवार विद्दा का बर्थडे सेलिब्रेट करेगा. इसी बीच अभिरा और अरमान में जमकर लड़ाई होगी. ऐसे में अरमार घर से बाहर चला जाएगा और अभिरा उसका पीछा करेगी. दूसरी तरफ रूही का ऐक्सीडेंट हो जाएगा.

अभिरा की भवनाओं के साथ खेलेगी रूही

हौस्पीटल में चेकअप करवाने के बाद सबको पता चलेगा कि रूही मां बनने वाली है. ऐसे में वह अपना बच्चा अभिरा को देने का ऐलान करेगी. वह अपने प्रेग्नेंसी के जरिए अभिरा की भवनाओं के साथ खेलेगी. अभिरा से यह वादा कर के वह अबौर्शन करवा देगी. शो के बिते एपिसोड में आपने देखा कि  मनिष को लगा कि अभिरा कभी मां नहीं बन सकती, इसलिए विद्दा उसे नहीं अपना रही है. परिवार के लोगों ने भी इस बात से सहमती जताया. शो में लीप आने के बाद अरमान पूरी तरह बदल गया है. अरमान अपने परिवार के लोगों से भी मुंह मोड़ लिया है.

क्या Anupama और अनुज कभी नहीं करेंगे शादी ? अपने प्यार की खातिर आवाज उठाएगी मीनू

रुपाली गांगुली (Rupali Ganguly) और गौरव खन्ना (Gaurav Khanna) का शो अनुपमा (Anupama) दर्शकों का कई सालों से फेवरेट बना हुआ है. शो के हर एपिसोड में हाईवोल्टेज ड्रामा दिखाया जाता है, जिससे दर्शकों का इंट्रैस्ट बना रहता है. शो के बिते एपिसोड में दिखाया गया कि तोषु और सागर के बीच हाथापाई होती है, तो दूसरी तरफ अनु के सामने मीनू की पोलपट्टी खुल जाती है. आइए जानते हैं शो के नए एपिसोड के बारे में…

अनुज से अपना दर्द बयां करेगी अनुपमा

सीरियल में दिखाया जा रहा है कि अनुपमा की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. सीरियल के लेटेस्ट एपिसोड में आप देखेंगे कि अनुज सागर और मीनू के बारे में अनुपमा को समझाएगा और कहेगा कि वो दोनों एडल्ट है और समझदार भी. शो के अपकमिंग एपिसोड में अनुपमा अनुज से अपना दर्द बांटती है और कहती है कि उसके दुख कभी खत्म होने का नाम ही नहीं लेते. अकसर कुछ न कुछ लगा रहता है.

डौली अपनी बेटी की शादी के लिए ढूढेगी लड़का

शो में धमाकेदार ट्विस्ट आपको देखने को मिलेगा जब डौली अपनी बेटी मीनू की शादी का ऐलान करेगी. ये बात सुनकर सब हैरान हो जाएंगे. डौली किसी की भी नहीं सुनेगी. तोषू और पाखी मिलकर सागर के सामने मीनू के लिए लड़का सिलैक्ट करेंगे. दूसरी तरफ अनुज अनुपमा को समझाता है कि उसे मीनू और सागर का साथ देना चाहिए. अनुज अपनी अनु से ये भी कहता है कि वह सगार और मीनू से मुंह नहीं मोड़ सकती और उन दोनों को प्यार करने से मना भी करने का हक नहीं है.

डौली को सही ठहराएगी अनुपमा

सीरियल के अपकमिंग एपिसोड में ये भी देखने को मिलेगा कि अनुपमा डौली को सही ठहराती है और कहती है कि हर मां चाहती है उसकी बेटी की शादी बड़े घर में हो. तो दूसरी तरफ अनुज अनुपमा को समझाता है. लेकिन एक मां होने के नाते अनुपमा कहती है कि अगर मीनू और सागर परिवार के खिलाफ जाकर कुछ भी करते हैं तो ये उनके लिए गलत होगा.

बा और डौली को आईना दिखाएगी मीनू 

सीरियल में ये भी दिखाया जाएगा कि डौली और बा मीनू को सागर को भूलने की सलाह देते हैं. बा घर के इज्जत की बात करती है और कहती है कि लव मैरिज गलत फैसला है. वह मीनू को समझाने की कोशिश करती हैं, लेकिन मीनू भी चुप नहीं बैठती, वह कहती है कि आप किसी इज्जत की बात कर रही हैं, पूरे मोहल्ले का सामने हमारी बेइज्जती हुई, घर का सारा सामान बाहर फेंक दिया गया. मीनू ने आगे ये भी कहा कि शाह परिवार को अनुपमा के कारण शरण मिली है.

क्या अनुपमा और अनुज की नहीं होगी शादी

इतना ही नहीं वह वनराज के बारे में भी जिक्र करती है. मीनू कहती है कि आप फिर भी इज्जत की बात कर रही हैं, मामू पैसे लेकर भाग गए. शो के बिते एपिसोड में दिखाया गया था कि अनुज अनुपमा को शादी के लिए प्रपोज किया था लेकिन अनु ने कुछ समय मांगा. वह फिर से शादी करने से डरती है. अनुज उसे समझाता है.

Deepika Padukone और रणवीर सिंह ने दी गुड न्यूज, इस महीने में बनेंगे मम्मी-पापा

Deepika Padukone Pregnancy: बॉलीवुड एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रेग्नेंसी की खबर शेयर की हैं. काफी समय से एक्ट्रेस की प्रेग्नेंसी को लेकर अटकले लगाई जा रही थी, लेकिन अब रणबीर और दीपिका के घर में भी जल्द ही किलकारियां गूंजने वाली है.

इस कपल ने इंस्टाग्राम पर पोस्ट शेयर कर बताया है कि वे सितंबर में अपने पहले बच्चे का स्वागत करेंगे, उनके इस पोस्ट फैंस और फ्रेंड्स बधाई संदेश दे रहे हैं.

दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह सिंतबर में पेरेंट्स बनेंगे. इस कपल ने आज यानी 29 फरवरी को अपने-अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक कार्ड शेयर किया है, आप देख सकते हैं कि इस कार्ड पर बच्चों के कपड़े, जूते, खिलौने बने हुए हैं.

 

इसी के साथ कार्ड पर सितंबर, 2024 भी लिखा है. इस पोस्ट के कैप्शन में फोल्डिंग हैंड की इमोजी डाला है. इस पोस्ट पर बॉलीवुड सेलिब्रिटीज अनुपम खेर, सोनू सूद, सोनाक्षी सिन्हा, कृति सेनॉन, प्रियंका चोपड़ा सहित तमाम स्टार्स ने बधाई दी है. अनिल कपूर, माधुरी दीक्षित, सोनम कपूर, अभिषेक बच्चन ने भी इस जोड़े को बधाई दी है.

गौरतलब है कि दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह ने साल 2018 में शादी की थी और छह साल बाद ये कपल नए मेहमान के स्वागत की तैयारियों में जुट गए हैं. आपको बता दें कि दीपिका पादुकोण हाल ही में बाफ्टा अवॉर्ड्स फंक्शन में नजर आई थीं. इस अवॉर्ड्स से जुड़ा एक वीडियो फैंस के बीच वायरल हुआ था, जिसे देखने के बाद तमाम यूजर्स ने कयास लगाई थीं कि वह प्रेग्नेंट हैं और उन्होंने अपने बेबी बंप को साड़ी से छिपाया है. अब इस कपल ने यह खुशखबरी सोशल मीडिया पर अपने फैंस के साथ शेयर भी की है.

ऋतिक रोशन की एक्स वाइफ Sussanne Khan बॉयफ्रेंड के साथ हुई कोजी, देखें Video

Sussanne Khan: ऋतिक रोशन की एक्स वाइफ सुजैन खान अक्सर सुर्खियों में छायी रहती है. तलाक के बाद भी दोनों अच्छे दोस्त रहे हैं. सुजैन सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं, वह अक्सर फोटोज और वीडियोज शेयर करती नजर आती हैं. जिन्हें फैंस खूब पसंद करते हैं.

बॉयफ्रेंड के साथ सुजैन हुई कोजी

अब सुजैन ने वैलेंटाइन डे पर कुछ स्पेशल मोमेंट शेयर किया है. उन्होंने बॉयफ्रेंड अर्सलान गोनी के साथ फोटोज शेयर की है, वो उन पर प्यार लुटाते नजर आ रही हैं. यह काफी रोमांटिक वीडियो है.इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि सुजैन खान अपने बॉयफ्रेंड अर्सलान गोनी के साथ कोजी होती नजर आ रही हैं. वो अपने बॉयफ्रेंड के साथ रोमांटिक पलों को एंजॉय करते नजर आ रही हैं.

वैलेंटाइन डे पर शेयर किया ये वीडियो

इस वीडियो में आप ये भी देख सकते हैं कि सुजैन खान और अर्सलान गोनी कभी बाइक राइड का मजा लेते नजर आ रहे हैं तो कभी कार में चिल करते नजर आ रहे हैं. ये कपल अपने पलों को काफी एंजॉय कर रहे हैं.सुजैन खान ने इस वीडियो के कैप्शन में लिखा है कि ‘मेर प्यार हर दिन वैलेंटाइन डे है… क्योंकि आप मुझे हर दिन अपना जादू दिखाते हैं. Thank You For Everything.

 

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आपको बता दें कि ऋतिक रोशन कथित तौर पर सबा आजाद को डेट कर रहे हैं, तो वहीं सुजैन खान अर्सलान गोनी को डेट कर रही हैं. ऋतिक रोशन और सुजैन खान ने साल 2000 में शादी की थी.दोनों के दो बच्चे रिहान और रिदान भी हैं. इन्होंने साल 2014 में तलाक भी ले लिया था. हालांकि अभी भी बच्चों के कारण दोनों के अच्छे रिश्ते हैं. ,

Malaika-Arjun: क्या टूट चुका है मलाइका और अर्जुन कपूर का रिश्ता? जानें इसकी वजह

Malaika-Arjun: बॉलीवुड स्टार्स की प्रोफेशनल लाइफ के साथ पर्सनल लाइफ अक्सर सुर्खियों में छायी रहती है.अरबाज खान और मलाइका अरोड़ा बॉलीवुड के पॉवर कपल्स में शुमार थे, लेकिन कुछ कारणों से दोनों ने अपनी राहें अलग करने का फैसला कर लिया था. कुछ दिन पहले ही अरबाज खान ने दूसरी शादी की, तो वहीं अब मलाइका अरोड़ा और अर्जुन कपूर से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आ रही है.

मलाइका और अर्जुन का रिश्ता खत्म हो चुका है?

 

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जी हां, बताया जा रहा है कि अर्जुन कपूर और मलाइका अरोड़ा का कई महीनों पहले ब्रेकअप हो चुका है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ये जोड़ी अपने रिश्ते को पूरी तरह से खत्म करने के बजाय उस पर काम करने का फैसला लिया है.

 

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खबरों के अनुसार, इसके पीछे की वजह शादी बताई जा रही है. दरअसल, मलाइका अरोड़ा या अर्जुन कपूर में से कोई एक शादी के लिए अभी तैयार नहीं है. इसलिए उन्होंने अपने रिश्ते को लेकर ऐसा फैसला लिया है.

 

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मलाइका ने शादी को लेकर कहीं ये बड़ी बात

आपको बाते दें कि कपल की तरफ से ऐसी कोई अधिकारिक जानकारी नहीं आई है. हाल ही में मलाइका से जुड़ी एक वीडियो सामने आया था. इसमें एक्ट्रेस से पूछा गया था कि क्या आप साल 2024 में शादी करने वाली है? इस जवाब में मलाइका ने कहा कि अगर कोई पूछेगा, तो पक्का करूंगी.

 

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प्रियंका चोपड़ा को क्यों बेचने पड़े दो फ्लैट महज 6 करोड़ में

इन दिनों फिल्म कलाकारों द्वारा अपनी प्रापर्टी बेचने की खबरें काफी आ रही हैं. लोग कयास लगा रहे हैं कि इसकी वजह बौलीवुड की फिल्मों का लगातार अफसल होना है अथवा सरकार के दावों के बावजूद देश की इकोनामी में आ रही गिरावट हैं.बहरहाल,अब खबर है खुद को हौलीवुड स्टार मानने वाली अदाकारा भारतीय अभिनेत्री व 2000 की ‘मिस वल्र्ड’ विजेता ‘प्रियंका चोपड़ा ने भी दीवाली के त्यौहार के आस पास ही मुंबई के अपने दो फ्लैट महज छह करोड़ रूपए में बेच दिया.

बता दें कि यारी रोड पर ‘राज क्लासिक’ में आलीशान डुपलेक्स फ्लैट खरीदने से पहले प्रियंका चोपड़ा ने अंधेरी के लोखंडवाला इलाके में करण अपार्टमेंट नामक इमारत में दो फलैट कई वर्ष पहले खरीदे थे.इन फ्लैट का क्षेत्रफल 2300 स्क्वायर फुट है.जब प्रियंका चोपड़ा ने यारी रोड पर ‘राज क्लासिक’ के आलीशान डुपलेक्स फलैट में रहना शुरू किया,तब लोखंडवाला के फलैट में प्रियंका चोपड़ा की मां डाक्टर मधु चोपड़ा ने अपना क्लीनिक खोल लिया था.पर अब तो प्रियंका चोपड़ा अपने पति निक जोनांस के साथ ज्यादातर अमरीका में ही रहती है.

खबर है कि दिवाली से कुछ दिन पहले प्रियंका चोपड़ा ने लोखंडवाला के करण अपार्टमेंट के दोनोे फ्लैट छह करोड़ रूपए में बेच दिया.बताया जा रहा है कि यह काररवाही प्रियंका चोपड़ा की अनुपस्थिति में ‘पाॅवर आफ अटार्नी’ के बल पर डाॅक्टर मधु चोपड़ा ने ही की.यानी कि फ्लट बेचने के अग्र्रीमेंट पर डाॅक्टर मधु चोपड़ा ने ही हस्ताक्षर किए हैं. इन फ्लैट को ‘इश्कियां’ ,‘उड़ता पंजाब’ व ‘सोन चिड़िया’ जैसी फिल्मों के निर्देशक अभिषेक चैबे ने खरीदा है.इन दो फ्लैट के बेचे जाने पर प्रियंका चोपड़ा की मां ने चुप्पी साध रखी है.जब से यह खबर गर्म हुई है तब से लोग सवाल उठा रहे हैं आखिर प्रियंका चोपड़ा को इतनी क्या कड़की लग गयी कि उन्हे महज छह करोड़ के लिए अपनी मुंबई की प्रापर्टी बेचनी पड़ी? लोग यह भी सवाल उठा रहे हैं कि क्या प्रियंका चोपड़ा व उनके पति रोजमर्रा का खर्च चला सकने जितनी रकम भी नहीं कमा पा रहे हैं? ज्ञातब्य है कि प्रियंका चोपड़ा ने 2018 में निक जोनास संग षादी रचायी थी.उसके बाद से वह अमरीका ही रह रही हैं.कभी कभार वह भारत आती हैं.भारत आने पर वह अपनी व्यस्तता की बातें तो बहुत करती हैं. मगर 2018 से अब तक उनका कोई खास काम सामने नजर नहीं आया.

अभिनेत्री निकिता दत्ता की संघर्ष क्या रही, पढ़ें इंटरव्यू

टीवी शो ‘एक दूजे के वास्ते’ से चर्चा में आने वाली खूबसूरत, हंसमुख और स्मार्ट अभिनेत्री निकिता दत्ता ने बहुत कम समय में अपनी मौजूदगी हिंदी मनोरंजन की दुनिया में दिखाई है. वह मिस इंडिया 2012 की फाइनलिस्ट में से एक थीं. उन्होंने बॉलीवुड में अपने कैरियर की शुरुआत फिल्म लेकर हम दीवाना दिल से किया है, जहाँ उन्होंने सहायक भूमिका निभाई है.

इसके बाद धारावाहिक ड्रीम गर्ल के साथ टीवी में अभिनय की शुरुआत की. उनकी दूसरी पोपुलर शो ‘एक दूजे के वास्ते’ को लोगों ने बहुत पसंद किया और वे घर – घर जानी गई. बिना गॉडफादर के इंडस्ट्री में टिके रहना उनके लिए आसान नहीं था, लेकिन उन्हें परिवार का सहयोग हमेशा मिला, जिससे वे आगे बढ़ सकी. अभी उनकी फिल्म दंगे और मराठी फिल्म रिलीज पर है, जिसे लेकर वह बहुत उत्साहित है. उन्होंने खास गृहशोभा के साथ अपनी जर्नी और संघर्ष के बारें में बात की और बताया कि कैसे आउटसाइडर को इंडस्ट्री में टिके रहना और काम मिलना मुश्किल होता है, लेकिन वह सफल हुई कैसे, क्या कहती है निकिता, जाने उनकी कहानी.

नए प्रोजेक्ट के बारें में पूछे जाने पर निकिता कहती है कि मैं एक हिंदी फिल्म दंगे कर रही हूँ, विजय नाम्बियार की इस फिल्म में एक्टर हर्षवर्धन राणे है. इसके अलावा मराठी रोमकोम फिल्म और एक शो कर रही हूँ.

 

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मिली प्रेरणा

निकिता ने बचपन से कभी एक्टिंग के बारें में सोचा नहीं था, अभिनय में आना उसके लिए एक इत्तफाक था. वह कहती है कि बचपन से कभी ख्याल नहीं था कि मैं एक्ट्रेस बनूँगी, ये एक इत्तफाक ही था, क्योंकि परिवार में दूर – दूर तक कोई भी इस फील्ड से नहीं था. अचानक हुआ है, क्योंकि जब मैं मिस इंडिया में भाग लिया और फाइनल 20 में पहुंची थी, तो मेरे पास काफी काम आने लगे थे, तब पता चल गई थी कि मुझे कैमरे के सामने काम कर ख़ुशी मिलती है. तभी से मैंने अभिनय में आने का मन बना लिया था. बचपन से एक्ट्रेस बनने का कोई सपना नहीं था, क्योंकि मैं एक ऐसी परिवार से आती हूँ, जहाँ एकेडेमिक पर काफी ध्यान दिया जाता था, ऐसे में जब मैंने इस फील्ड में काम करना शुरू किया, तब मेरी माँ ने काफी सहयोग दिया है, उन्होंने हर प्रोजेक्ट में मेरे साथ रहने की कोशिश की है.

 

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सहयोग परिवार का

विशाखापत्तनम से मुंबई आने की सफर के बारें में निकिता कहती है कि मेरे पिता इंडिया नेवी में थे, इससे मेरा अलग – अलग जगहों पर जाना हुआ है, विशाखापत्तनम में स्कूल में थी फिर दिल्ली गई और इसके बाद मुंबई आई. कॉलेज की पढ़ाई मैंने मुंबई में किया है और तब से अभिनय की ओर ध्यान देना शुरू किया. पहली बार एक्टिंग के बारें में पेरेंट्स से कहने पर भी किसी प्रकार की बाधा नहीं आई, सभी ने मुझे पूरे दिल से सहयोग दिया. हालाँकि मेरा पूरा परिवार मिलिट्री से है, लेकिन मेरा काम इतनी आसानी से हुआ कि मुझे कोई समस्या नहीं आई, इतने समय तक इंडस्ट्री में टिके रहना भी इसलिए संभव हो पाया, क्योंकि परिवार मेरे साथ थी.

ब्रेक

निकिता आगे कहती है कि पहला ब्रेक टीवी शो 2015 में मिला था, इससे पहले मैंने एंकरिंग करती थी. ये सब कुछ मेरे लिए नया था, लेकिन तीन साल टीवी शो करने के बाद मुझे एक्टिंग की काफी सारी चीजे सीखने को मिली है. असल में टीवी शो करते वक्त कलाकार को घंटों तक कैमरे के सामने रहना पड़ता है, रोज शूटिंग करनी पड़ती है, इससे कई बातें मुझे एक्टिंग की सीखने को मिली है. इसके बाद कबीर सिंह में काम मिला और मैं आगे बढती गई.

 

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संघर्ष  

निकिता कहती है कि संघर्ष हर क्षेत्र में होता है और इन सभी में मुझे संघर्ष काफी करना पड़ा है. बाहर से आने पर व्यक्ति के पास चॉइस बहुत कम होता है. यशराज या धर्मा जैसे कोई प्रोडक्शन हाउस मेरे लिए फिल्म नहीं बना रहा होता है. मेरे टाइटल के आगे किसी फिल्म इंडस्ट्री के लोगों का नाम नहीं है, ऐसे में बार – बार ऑडिशन देना पड़ता है, एक संघर्ष लगातार चलता रहा है, जिससे मुझे निकलना पड़ता है. इसके अलावा कई बार ऑडिशन देकर शोर्ट लिस्ट भी हो जाता है, लेकिन कोई इन्फ़्लुएन्शियल व्यक्ति के कांटेक्ट होने पर काम उन्हें या उनके लोगों को दे दी जाती है. इतना ही नहीं, अंजान व्यक्तियों के बीच में खुद की जगह बनाना भी एक कठिन काम होता है. मेरा साथ टीवी ने दिया है, क्योंकि टीवी की कोई भी शो घर – घर पहुँचती है, इससे लोग मुझे जानने लगे थे. ये सभी चीजे मुझे मानसिक रूप से परेशान करती थी, लेकिन समय के साथ – साथ मैंने इसे अलग रखकर काम पर फोकस करना सीख लिया है. ये सही है कि संघर्ष के समय व्यक्ति को धैर्य के साथ शांति बनाकर चलना आसान नहीं होता. इसमें मुझे सबसे अधिक माँ अलका दत्ता और बड़ी बहन का साथ रहा, जिससे मैं यहाँ तक पहुँच पाई. ये क्षेत्र बहुत ही अनप्रेडिक्टेबल होता है, आज काम है, कल नहीं है. वित्तीय व्यवस्था भी बहुत अनिश्चित होता है, जिसमे टिके रहना एक बड़ी चुनौती होती है, लेकिन परिवार का सहयोग मुझे मानसिक शक्ति दी है.

माध्यम में है अंतर

निकिता आगे कहती है कि टीवी शो ‘एक दूजे के वास्ते’ शो को लोगों ने बहुत पसंद किया था और ये एक पोपुलर शो था. आज भी लोग मिलने पर उसी शो की जिक्र करते है, क्योंकि उन्हें मेरी भूमिका बहुत पसंद आई थी. उसके बाद कबीर सिंह ने मुझे थोड़ी पॉपुलैरिटी दी है. टीवी और फिल्म दोनों के माध्यम और काम करने के तरीके में काफी अंतर होता है, डेली सोप में लगातार काम चलता है और कहानी हर हफ्ते बदलती रहती है, क्योंकि फीडबैक दर्शकों से लाइव मिलता है. तैयारी के लिए समय नहीं मिलता. 10 सीन एक दिन में शूट करते है. जबकि फिल्म फुर्सत से बनती है. वेब सीरीज भी आजकल काफी अच्छे बन रही है. इसलिए मैंने टीवी शो छोड़कर कंटेंट वाली शो करना अधिक पसंद कर रही हूँ, क्योंकि इसमें खुद को ग्रो करने का मौका मिलता है. फिल्मे और वेब सीरीज काफी अच्छी बन रही है. इसमें अपने चरित्र पर काम करने का मौका भी मिलता है.

 

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इंटिमेट सीन्स

इंटिमेट सीन्स को करने में सहजता के बारें में पूछने पर निकिता कहती है कि ये विषय बहुत ही सब्जेक्टिव होता है, क्योंकि कहानी की जरुरत और उसे फिल्माने के तरीके को देखना पड़ता है. मैंने एक शो खाकी की है, जिसमे कोई भी इंटिमेट सीन्स नहीं है, लेकिन शो अच्छी चली. जबरदस्ती उन्होंने कुछ नहीं डाला और मुझे ऐसी सीन्स के लिए कहानी की डिमांड को देखना जरुरी होगा. किसी फिल्म का हिस्सा बनने के लिए मेरी भूमिका और फिल्म की कहानी को देखती हूँ, इसके बाद निर्माता और निर्देशक की बारी आती है.

फैशन और फ़ूड  

निकिता का कहना है कि मुझे फैशन की समझ नहीं है. आसपास के लोग मुझे फैशन और ट्रेंड बताते रहते है. मेरे लिए फैशन में कम्फर्ट का होना बहुत जरुरी होता है. फूडी मैं बहुत हूँ, मुझे हर तरह के फ़ूड पसंद है. खाने में क्या डाला गया है, उसे भी मैं जानने में उत्सुकता रखती हूँ. केवल इन्डियन कुइजिन ही नहीं, बल्कि कही पर अगर मैं जाती हूँ तो वहां का लोकल खाना मैं अवश्य ट्राई करती हूँ. अगर मुझे कभी सुपर पॉवर मिले तो मुंबई की सड़कों को ठीक करना चाहूंगी.

तलाक के बाद ट्रोलिंग की शिकार हुई ये एक्ट्रेस, बोलींं- मुझे खूब बुली किया गया

बॉलीवुड एक्ट्रेस और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर कुशा कपिला काफी सुर्खियों में हैं. कुशा की फिल्म थैंक यू फॉर कमिंग सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है. इसी फिल्म के प्रामोशन के चलते कुशा ने कई इंटरव्यू दे रही है. अभी हाल ही में एक्ट्रेस ने अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर खुलकर बात कहीं है.

जी हां, इसी साल जून में कुशा कपिला ने पति जोरावर अहलूवालिया से तलाक हुआ है. इसकी घोषणा कुशा ने सोशल मीडिया पर की थी जिसके बाद उन्हें काफी ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा था.

रोने में दिन बीत जाता है- कुशा

मीडिया इंटरव्यू में कुशा कपिला ने अपनी पर्सनल लाइफ लेकर खुलकर बात की और फिर इसके बाद उनका ज्यादातर समय रोने में बीत जाता और उन्हें बेहद बुरा फील होता था.

 

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मुझे खूब ट्रोल किया गया है

कुशा ने आगे बताया कि मुझे अपनी पर्सनल लाइफ को शेयर करने के चलते बुली किया गया है. ये पहला मौका था जब मैं ऐसा कुछ शेयर कर रही थी और उसमें मुझे 100% बुली किया गया लेकिन मैं खुश हूं कि मैंने अपनी शर्तों पर ये शेयर किया. मैं नहीं चाहती थी कि कोई और ये जानकारी दुनिया को दे वो भी मुझे बिना बताए. आपको बस अपनी आंखों पर पट्टी बांधनी पड़ती है. जिंदगी में करने के लिए बहुत कुछ है.

6 साल तक चली शादी

आपको बता दें कि कुशा की जोरावर से साल 2017 में शादी हुई थी. दोनों इससे पहले एक-दूसरे को डेट किया था. कुशा ने अपनी लव स्टोरी का खुलासा किया कि वह पहली बार जोरावर से अपने दोस्त की शादी में मिली थी. कुशा ने सोशल मीडिया पर अपनी शादी टूटने की घोषणा करते हुए कहा था, मैंने और जोरावर ने आपसी सहमति से अलग होने का फैसला किया है. ये बिलकुल भी आसान फैसला नहीं था लेकिन हमें लगता है कि जिंदगी के इस पड़ाव पर यही फैसला सही है.

दरअसल, तलाक के बाद कुशा का नाम अर्जुन कपूर से भी जुड़ा था जिसे उन्होंने नकार दिया था.

अभिनेता प्रेम परिजा सुपर पॉवर होने पर क्या करना चाहते है, पढ़ें इंटरव्यू

उड़ीसा के भुवनेश्वर में जन्मे अभिनेता प्रेम परिजा ने काफी संघर्ष के बाद हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी साख जमाने में कामयाब हुए है. उनकी डेब्यू वेब सीरीज कमांडो रिलीज पर है, जिसमें उन्होंने कमांडो की मुख्य भूमिका निभाई है. इसे लेकर वे बहुत उत्साहित है.

उन्हें बचपन से ही अभिनय की इच्छा थी. दिल्ली में हायर स्टडीज के साथ-साथ उन्होंने थिएटर में अभिनय करना शुरू किया, ताकि वे एक्टिंग सीख सकें. मुंबई आकर प्रेम ने पर्दे के पीछे कई फिल्मों के लिए असिस्टेंट डायरेक्टर का भी काम किया, जिसमे लखनऊ सेंट्रल, वेलकॉम टू कराची आदि कई है, जिससे वे फिल्मों की बारीकियों को अच्छी तरह से समझ सकें.

एक्टिंग था पैशन

प्रेम कहते है कि मैं 11 साल की आयु से अभिनय करना चाहता था. एक्टिंग मेरा पैशन रहा है. मैंने अपने पेरेंट्स को शुरु से ही इस बात की जानकारी दे दी थी. मैं मध्यमवर्गीय परिवार से हूँ, इसलिए मुझे अपनी राह खुद ही चुनना और उस पर चलना था. इसलिए मैंने संघर्ष को साथी समझा और आज यहाँ पहुँच पाया हूँ. मेरे आदर्श अभिनेता शाहरुख़ खान है, उन्होंने भी पहली टीवी शो फौजी में सैनिक की भूमिका निभाई थी और आज मैं भी पहली वेब सीरीज में कमांडो की भूमिका निभा रहा हूँ.

 

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मिला ब्रेक

कमांडों फिल्म में काम करने की उत्सुकता के बारें में पूछने पर प्रेम का कहना है कि मैंने भुवनेश्वर में रहते हुए छोटी उम्र से एक्टर बनना चाहता था. वहां से दिल्ली और फिर मुंबई आया, पर्दे के पीछे काफी सालों तक काम किया, ऐसे करीब 16 साल के बीत जाने पर अगर एक बड़ी हिंदी वेब शो जिसके निर्देशक विपुल अमृतलाल शाह है, उस फिल्म में काम करने का मेरा सपना, अब साकार होता हुआ दिखता है, इसकी ख़ुशी को बयान करना मेरे लिए संभव नहीं.

चुनौतीपूर्ण भूमिका

कमांडों की भूमिका में फिट बैठना आपके लिए कितना चुनौतीपूर्ण रहा? प्रेम कहते है कि मैं मुंबई में एसिस्टेंट डायरेक्टर का काम छोड़ने के बाद एक्टिंग के बारें में जब सोचा, तब मेरे दो ट्रेनर अक्षय और राकेश ने मुझे बहुत स्ट्रोंग ट्रेनिग दिया और मुझे एक कमांडो तैयार किया. स्क्रिप्ट मिलने पर जब पता चला कि मुझे कमांडो विराट की भूमिका निभानी है, तो मैंने थोड़े एक्स्ट्रा मार्शल आर्ट सीखा, मसल्स बढ़ाए और इंटरनली स्ट्रोंग मानसिक भावनाओं पर भी काम करना पड़ा.

कठिन था फिल्माना  

कठिन दृश्यों के बारें में प्रेम कहते है कि इसमें दो ऐसे मौके थे जब मुझे उसे शूट करना कठिन था. मेरे पहले दिन की शूटिंग, जब मुझे कैमरे के सामने एक्टिंग करना पड़ा. पहला दिन मुझे तिग्मांशु धुलिया के साथ शूट करना था. उस दिन कॉन्फिडेंस आने में समय लगा. पहले सीन में 6 से 7 टेक लगे थे. इसके अलावा एक सीन में आँखों से 10 साल की दोस्ती को बताना था, जो बहुत कठिन था. इसे भी करने में 7 से 8 टेक लगे थे.

 

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मिली प्रेरणा  

प्रेम आगे कहते है कि मेर परिवार में कोई भी एक्टिंग फील्ड से नहीं है, मेरे परिवार के सारें लोग एकेडमिक प्रोफेशन में है. मेरे पिता एक प्रतिभावान व्यक्ति थे. जब मैंने पहली बार सबको अभिनय की इच्छा के बारें में बताया तो सभी चकित रह गयें. मैं छोटी उम्र से फिल्में बहुत देखता था और फिल्में मुझे आकर्षित करती थी. मुझे याद है कि मैं शाहरुख़ की अधिक फिल्में देखता था. उनकी एक फिल्म को देखकर लगा कि मुझे भी इसी फील्ड में आना है. उनकी फिल्में देखकर ही मेरी एक्टिंग की प्रेरणा जगी.

मिला सहयोग  

परिवार के सहयोग के बारें में प्रेम का कहना है कि शुरू में उन्होंने पढ़ाई पूरी करने को कहा और मैं स्टडीज में काफी अव्वल भी था, लेकिन थिएटर में मेरी रूचि को देखने के बाद उन्हें लगने लगा कि मैं वाकई अभिनय में इंटरेस्ट रखता हूँ और उन्होंने मुझे अभिनय के लिए सहयोग दिया. दिल्ली के कॉलेज में मैंने पढ़ाई के साथ-साथ थिएटर सोसाइटी में भाग लिया. वहां परिवार वालों ने मुझे डांस और अभिनय करते हुए देखा तो उन्हें भी समझ आ गई कि मेरा इसी फील्ड में जाना सही होगा और सहयोग दिया.

किये संघर्ष

दिल्ली से मुंबई आकर खुद की पहचान बनाना प्रेम के लिए काफी मुश्किल था. वे कहते है कि मैं संघर्ष के बारें में कितना भी बताऊँ वह कम ही होगा. मैं इसे अपनी जर्नी मानता हूँ, संघर्ष नहीं. दिल्ली में मेरी जर्नी ख़त्म होने के बाद मुझे मुंबई जाना सही लगा लगा. यहाँ आकर भी मुझे फिल्म बनाने के बारें में जानकारी हासिल करना जरुरी लगा. मुझे एसिस्टेंट डायरेक्टर का काम 9 महीने के बाद मिला, जो डायरेक्टर निखिल अडवानी के साथ काम करने का था. मैंने उनके साथ कई फिल्मों के लिए काम किया और फिल्म बनाने की कला सीखी. शुरू में मैं खुद हर प्रोडक्शन हाउस में जाकर अपनी रिजुमे दिया करता था और एसिस्टेंट डायरेक्टर का काम माँगता था. इस दौरान मैंने फिजिकल ट्रेनिग और अभिनय को भी चालू रखा.

 

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वित्तीय संघर्ष

9 महीने की गैप में आपने अपनी फिनेंशियल स्थिति को कैसे सम्हाला? इस प्रश्न के जवाब में प्रेम का कहना है कि उन दिनों फाइनेंस को सम्हालना बहुत मुश्किल था. पेरेंट्स के भेजे गए पैसे से दिन गुजारता रहा. कई बार बहुत मुश्किल होता था. मुझे याद आता है कि मैं जिस फ्लैट में रहता था, उसमे 14 लड़के रहते थे, बाथरूम एक था, ताकि रेंट बचाया जा सकें. उस वक्त पिता थे, तो उन्होंने फाइनेंसियली बहुत हेल्प किया.

रिजेक्शन से होती है मायूसी  

शुरुआत में हुए रिजेक्शन का सामना करना और आगे फिर से खुद को ऑडिशन के लिए तैयार करना आसान नहीं था, क्योंकि ऐसे में उन्हें खुद की फाइनेंसियल पहलू को भी ध्यान में रखना पड़ा. प्रेम सोचते हुए कहते है कि सबसे अधिक मैं इन सबसे निपटने के लिए खुद को अनुसाशन में रखना पसंद करता किया. इसमें मैं मेडिटेशन करता हूँ, इससे मुझे आत्मविश्वास और शक्ति मिलती है. रिजेक्शन तो होना ही है और इसे सहजता से लेना भी पड़ता है. नहीं तो इस इंडस्ट्री में काम करना संभव नहीं. कई बार बहुत मायूसी होती है, तब मैं अपनी माँ, बहन और कुछ दोस्तों से बातचीत कर लेता हूँ, जो मुझे मेरे पैशन को याद दिलाते थे. इसके अलावा मैं अभिनय की ट्रेनिंग पर बहुत अधिक फोकस करता हूँ. इन सभी को करने से मुझे स्ट्रेस नहीं होता.

सपना स्टार बनने का

ड्रीम के बारें में प्रेम कहते है कि मैंने इस देश का सबसे बड़ा स्टार बनने का सपना देखा है और उसी दिशा में मेहनत कर रहा हूँ. इसके अलावा सबसे अधिक मनोरंजन वाली फिल्मों और अभिनय से दर्शकों को खुश करना चाहता हूँ. मेरे पास सुपर पॉवर, स्ट्रेंथ की होनी चाहिए, ताकि मैं जरुरतमंदों को जी-जान से मदद कर सकूँ. मेरी माँ की सीख भी यही है.

Flim review: चिड़ियाखाना- कमजोर पटकथा व कमजोर निर्देशन

रेटिंग: पांच में से डेढ़ स्टार

 निर्माताः एन एफडी सी,कमल मिश्रा

लेखकः मनीष तिवारी और पद्मजा ठाकुर

निर्देषक: मनीष तिवारी

कलाकार: राजेश्वरी सचदेव,प्रशांत नारायण,रित्विक साहोर,गोविंद नाम देव,अंजन श्रीवास्तव,अवनीत कौर,रवि किशन,जयेश कार्डक,पुष्कर चिरपुतकर, नागेश भोसले,अजय जाधव मिलिंद जोशी व अन्य.

अवधिः दो घंटा एक मिनट

बिहार,अब झारखंड में जन्में, प्रारंभिक शिक्षा तिलैया सैनिक स्कूल से लेने के बाद दिल्ली,इंग्लैंड व अमरीका से शिक्षा ग्रहण करने के बाद भारत,रोम व नेपाल में संयुक्त राष्ट् संघ के खाद्य व कृषि विभाग में नौकरी की. आर्थिक व राजनीतिक विषयों पर कुछ लेख लिखे.उसके बाद उन्होने 2007 में प्रकाश झा निर्मित असफल फिल्म ‘‘दिल दोस्ती इस्टा’ का निर्देशन किया.

इसके बाद 2013 में प्रतीक बब्बर,अमायरा दस्तूर,रवि किशन व राजेश्वरी सचदेव को लेकर फिल्म ‘‘इसाक’’ का निर्देशन किया,जिसमें दो ‘भू माफिया’ के बच्चों की प्रेम कहानी पेश की थी. ‘इसाक’ का लेखन मनीष तिवारी और पद्मजा ठाकोर तिवारी ने किया था. फिल्म ‘इसाक’ अपनी आधी लागत भी वसूल नहीं कर पायी थी.अब पूरे दस वर्ष बाद मनीष तिवारी फिल्म ‘‘चिड़ियाखाना’’ लेकर आए हैं. इस फिल्म का निर्माण तो पांच वर्ष पहले ही पूरा हो गया था. 2019 में इसे सेंसर बोर्ड से प्रमाण पत्र भी मिल गया था.

मगर अफसोस यह फिल्म अब दो जून को सिनेमाघरों में पहुॅच रही है.पिछली फिल्म ‘इसाक’ की ही तरह इस फिल्म का लेखन भी मनीष तिवारी व पद्मजा ठाकोर ने किया है. इस बार मनीष तिवारी अपनी फिल्म ‘चिड़ियाखाना’ को लेकर मंबुई पहुॅच गए हैं. पर उनके दिमाग में ‘भू माफिया’,बिहार, ‘बाहरी’ यानी कि गैर मंबुईकर, झारखंड व बिहार का नक्सलवाद पूरी तरह से छाया हुआ है.

उन्होने एक अच्छी कहानी पर ‘‘चूं चूं का मुरब्बा’’ वाली फिल्म बनाकर पेश कर दी है. वास्तव में फिल्म ‘‘चिड़ियाखाना’’ का निर्माण ‘चिल्डन फिल्म सोसायटी’’ ने किया है, जिसका अब ‘एनएफडीसी’ में विलय हो चुका है. ‘चिल्डन फिल्म सोसायटी’ का दायित्व बच्चों के लिए उत्कृष्ट सिनेमा बनवाना रहा है, पर इसमें वह बुरी तरह से असफल रहा. यूं तो फिल्म ‘चिड़ियाखाना’’ एक ‘अंडरडाॅग’ की कहानी है,जो सफलता का मुकाम हासिल करता है.फिल्म के पोस्टरों में भी लिखा है-‘‘हर इंसान के अंदर एक टाइगर यानी कि षेर होता है.’मगर इस बात को सही परिप्रक्ष्य में चित्रित करने में मनीष तिवारी विफल रहे हैं.

कहानी

कहानी के केंद्र में 14 वर्ष का बिहारी लड़का सूरज (ऋत्विक साहोरे) और उसकी मां बिभा  (राजेश्वरी सचदेव) हैं. जो कि बिहार से भोपाल वगैरह होते हुए मंबुई पहुॅचा है. सूरज व उसकी मां एक झोपड़पट्टी मे रहती है.सूरज नगर पालिका यानी कि सरकारी स्कूल में पढ़ने जाने लगता है. जबकि मां बिभा एक घर में काम करने लगती है. सूरज के पिता नही है और बिभा,सूरज को उसके पिता का नाम बताना भी नही चाहती. सूरज का जुनून फुटबाल खेलना है,मगर स्कूल का मराठी भाषी गुंडा व स्कूल फुटबाल टीम का कैप्टन बाबू (जयेश कर्डक), सूरज को पसंद नही करता.

वह अपने दोस्तों के साथ सूरज का मजाक उड़ाता है. सूरज को हर लड़के में किसी न किसी जानवर का चेहरा नजर आता है. (शायद फिल्मकार ने अपनी फिल्म के नाम को जायज ठहराने के लिए ऐसा प्रतीकात्मक किया है). सूरज से उसकी सहपाठी मिली (अवनीत कौर ) प्यार करने लगती है.वह अपने तरीके से सूरज की मदद करने का प्रयास करती रहती है.

सूरज अपनी स्कूल टीम में जगह बनाने के लिए प्रयासरत रहता है,तो उसे झोपड़पट्टी के गुंडे /भाई प्रताप ( प्रशांत नारायणन ) की मदद मिलती है. जब से बिभा अपने बेटे सूरज के साथ इस बस्ती में रहने आयी है,तब से प्रताप मन ही मन बिभा को चाहने लगा है. प्रताप स्थानीय डाॅन भाउ (गोविंद नामदेव) के लिए काम करता है. यह स्थानीय डॉन बिल्डरों के एक समूह के साथ बीएमसी स्कूल के कब्जे वाली जमीन को हड़पने के लिए एक सौदा करता है,जहां यह बच्चे फुटबॉल खेलते हैं.

बीएमसी कमिश्नर भी स्कूल के प्रिंसिपल (अंजन श्रीवास्तव )की नही सुनते.पर प्रताप,भाउ की बजाय बच्चों के साथ मिलकर स्कूल के ग्राउंड को बचाना चाहता है.जिससे सूरज व अन्य बच्चे वहां पर फुटबाल खेल सके.कभी प्रताप भी इस स्कूल की फुटबाल टीम का कैप्टन रह चुका है. वह प्रिंसिपल को मेयर से मिलने की सलाह देता है. मेयर ग्राउंड बचाने के लिए षर्त रख देता है कि बीएमसी स्कूल के बच्चे एक प्रायवेट स्कूल के बच्चे की टीम को फुटबाल में हरा दे,तो वह ग्राउंड उनका रहेगा. इसी बीच बिभा का भाई  बिक्रम सिंह पांडे (रवि किशन ) ,बंदूक लेकर सूरज की हत्या करने आता है. पर प्रताप के आगे वह चला जाता है. तब पता चलता है कि बिभा ने अपने परिवार वालों के खिलाफ जाकर एक नक्सली महतो से षादी की थी. महतो की मोत हो चुकी है. पर बिभा का भाई बिभा व महतो के बेटे सूरज को खत्म करना चाहते हैं.खैर,दो स्कूलों की फुटबाल टीम के बीच मैच होता हैै.

लेखन व निर्देशनः

लेखकों के साथ ही फिल्मकार मनीष तिवारी का अधकचरा ज्ञान इस फिल्म को ले डूबा.एक अच्छी कहानी का सत्यानाश कैसे किया जाता है,यह मनीष तिवारी से सीखा जा सकता है.इसकी मूल वजह यह नजर आती है कि फिल्मकार खुद तय नही कर पाए है कि वह फुटबाल पर या घटतेे खेल के मैदान या भू माफिया द्वारा खेल के मैदान हड़पने या ‘मुंबई बाहरी’ या नक्सल में से किसे प्रधानता देना चाहते हैं.

फिल्म की पटकथा इतनी लचर है कि दर्शक को पहले से ही पता होता है कि अब यही होगा.इंटरवल से पहले फिल्म ठीक ठाक चलती है. लेकिन इंटरवल के बाद फिल्म पर से मनीष तिवारी की पकड़ खत्म हो जाती है. वह तो जितने मसाले डाल सकते थे,वह सब डाल देते हैं.यहां तक बिहारी अस्मिता के लिए वह सूरज के मुंह से बिहारी भाषा में कुछ संवाद भी बुलवा देते हैं. फिल्म में 2001 में आयी फिल्म ‘लगान’ की नकल भी है. फिल्मकार ‘बाहरी’ का मुद्दा भी ठीक से नही उठा पाए. इसकी मूल वजह यह है कि मुंबई जैसे शहर में यह मुद्दा कई दशक से गौण हो चुका है.

मुंबई शहर में खेल के मैदानों पर बिल्डर लाॅबी का कब्जा अहम मुद्दा है. सिर्फ मुंबई से सटे भायंदर जैसे छोटे इलाके में भाजपा के विधायक रहते हुए नरेंद्र मेहता ने जिस तरह से खेल के मैदान पर कब्जा कर अपना निजी रिसोर्ट खड़ा कर किया है, वह जगजाहिर है. पर अब तक उनके खिलाफ कोई काररवाही नही हुई. पर अफसोस की बात यह है कि जब खेल के मैदान कई सौ करोड़ो में बिक रहे हों,चिल्डन पार्क खत्म हो रहे हैं,तब भी इस मुद्दे को फिल्मकार सही परिप्रेक्ष्य में चित्रित करने में बुरी तरह से विफल रहे हैं. जबकि महज इसी मुद्दे को फुटबाल खेल की पृष्ठभूमि में वह अच्छे से उठाते तो फिल्म अच्छी बन जाती.

अचानक नक्सलवाद का एंगल लाकर फिल्मकार कहानी के बहाव को रोकने का प्रयास करते हैं.बिभा के भाई बिक्रम के आगमन वाला दृष्य फिल्मकार के दिमागी दिवालियापन को ही दिखाता है.क्या बिक्रम ने वास्तव में सोचा था कि वह  एक विदेशी भूमि (मुंबई उसके लिए विदेशी है) की बस्ती में किसी की हत्या करके बच जाएगा?फिल्मकार खुद झारखंड से हैं,मगर उन्हे यही नहीं पता कि उत्तर भारत में लोगों के ‘सरनेम’ क्या होते हैं? ‘चिल्डन फिल्म ‘सोसायटी’ का दायित्व बच्चों के लिए षिक्षाप्रद फिल्मों का निर्माण करना हुआ करता था,पर वह ‘चिड़ियाखाना’ जैसी फिल्म का निर्माण कर अपने मकसद से  भटक गया था,शायद इसी वजह से इसे बंद कर दिया गया.

इस फिल्म में एक दृष्य में प्रताप ,बाबू को बंदूक देकर कहता है कि वह सूरज को गोली मार दे. भले ही बंदूक में गोली नही थी, मगर इस तरह के दृष्य बच्चों के मानस पटल पर किस तरह का असर डालते हैं. नक्सलवाद को जिस तरह से फिल्म में पेष किया गया है,उस तरह से एक नौसीखिया फिल्मकार भी नहीं करता. बिभा के अतीत को बेहतर ढंग से पेष किया जा सकता था. सूरज को फुटबाल खेलने का जुनून है,पर कब कहां से विकसित हुआ? वह बिहार व भोपाल होते हुए मुबई पहुॅचा है. पर इन जगहों पर फुटबाल के खेल को कम लो गही जानते हैं. मनीष तिवारी की सबसे बड़ी कमजोर कड़ी विषय की नासमझी ही रही. इसी कारण वह बेहतरीन प्रतिभाषाली कलाकारों को फिल्म से जोड़ने के बाद भी अच्छी फिल्म ही बना सके.

अभिनयः

अपने बेटे की जिंदगी बचाने के लिए दर दर भटक रही मां के दर्द,अपने अतीत को अपने बेटे से छिपाने की कश्मकश,बेटे की सुरक्षा की चिंता, गरीबी, इन सारे भावों को बिभा के किरदार में जीते हुए राजेश्वरी सचदेव ने अपने अभिनय के कई नए आयामों को परदे पर उकेरा है.जबकि उन्हे अपने किरदार को निभाने के लिए पटकथा से कहीं कोई मदद नही मिलती.

उनकी अतीत की कहानी भी सही ढंग से चित्रित नहीं की गयी.सूरज के किरदार में रित्विक साहोर को देखकर कल्पना करना मुश्किल हो सकता है कि उसके अंदर कितनी प्रतिभा है. बाबू के जटिल किरदार को जिस तरह से जयेश कार्डक ने जिया है, उसे अनुभवी कलाकार भी नही निभा सकते थे,पर नवोदित कलाकार जयेश कार्डक ने तो कमाल कर दिया. प्रशांत नारायणन हमेशा नकारात्मक किरदारों में ही पसंद किए जाते रहे हैं. मगर इस फिल्म में उन्होने थोड़ा सा उससे हटकर प्रताप के किरदार को बेहतर ढंग से जिया है. प्रताप के किरदार में भाउ और स्कूल प्रिंसिपल  के किरदार में अंजन श्रीवास्तव से बेहतर कोई दूसरा कलाकार हो ही नही सकता था. वैसे यह दोनो किरदार अधपके ही रहे. मिली के किरदार मे बेबी अवनीत कौर अपनी छाप छोड़ जाती हैं. कैमरा कॉन्शस तो दूर वह हर पोज को एंजॉय करती नजर आती है. पुष्करराज चिरपुतकर, अजय जाधव, नागेश भोंसले, मिलिंद जोशी, माधवी जुवेकर, संजय भाटिया, शशि भूषण, प्रशांत तपस्वी, रीतिका मूर्ति, श्रीराज शर्मा, योगिराज, लरिल गंजू, स्वाति सेठ, योगेश, अखिलेश (दो रैपर्स) भी ठीक ठाक हैं.

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