ये 5 Exercises जो आपके पैर के मसल्स को बनाएंगी मजबूत

हम अपने पैरों को अक्सर नजरअंदाज कर देते है और सोचते है कि हमारे शरीर के इस हिस्से पर किसी का ध्यान नहीं जाएगा. परंतु पैर हमारे शरीर का सब से महत्वपूर्ण हिस्सा होते है क्योंकि वर्क आउट से लेकर हमारे शरीर का सारा वजन उठाने का काम पैर ही करते हैं. इसलिए हम अपने पैरो का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए.

कई बार हमें पैरो में दर्द की शिकायत होती है क्योंकि हमारी पैरो कि मसल्स कमजोर हो जाती है. हम ये 5 एक्सरसाइज कर के अपने पैरो की मसल्स को मजबूत बना सकते हैं. तो आईए जानते है कोन सी है वो एक्सरसाइज जिन्हें कर के आप अपने पैरो को मजबूत बना सकते हैं.

1. स्टैंडिंग कॉफ स्ट्रेच ओन वॉल :

इस एक्सरसाइज को करने के लिए आपको अपना एक पैर पीछे ले जाए ताकि उसमें खींचाव महसूस हो. अपनी एड़ियों को जमीन पर टिका कर रखें और पंजे को आगे की तरफ ही रखें. अपने दोनो हाथों को दीवार पर रखें और अपने आगे वाले घुटने को थोड़ा मोड़ें और दीवार को धक्का दें. ध्यान रखें कि आपका पिछला पैर थोड़ा सा भी न मुड़े. इस से आपको अपने बैक काफ में खींचाव महसूस होगा. इस स्ट्रैचिंग को 10 मिनट तक होल्ड करे और हर दिन इस एक्सरसाइज को 5 बार करें.

2. स्टैंडिंग सोलियस स्ट्रैचिंग :

अपने दोनो हाथों को दीवार पर लगाएं और अपने पैरों को दीवार से आधा मीटर दूर रखें. अपनी एक टांग को दूसरी के पीछे रखें. अब धीरे धीरे अपने दोनो घुटनों को तब तक मोड़ें जब तक आप को अपने पिछले पैर की पिंडली में खींचाव महसूस न होने लगे. इस स्ट्रेच को लगभग 10 सेकंड तक बनाए रखें और रोजाना इस एक्सरसाइज को 5 बार दोहराएं.

3. प्लांटर फ्लेक्शन विद इलास्टिक :

इस एक्सरसाइज को करने के लिए आप नीचे धरती में एक टांग स्ट्रैच कर लें व दूसरी लेग को मोड़ ले. अपनी स्ट्रैच लेग के तले पर एक इलास्टिक रखे और उस इलास्टिक के दोनो कोनो को हाथ से पकड़ लें. अब इलास्टिक को खींचे ताकि आपके पैर के तलवे में खिचन महसूस हो. ध्यान रखे की स्ट्रैच लेग को न मोड़ें. 20 सेकंड तक इस स्ट्रैचिंग को होल्ड करे. हर रोज 5 बार इस एक्सरसाइज को करे.

4. रेजिस्ट इन्वर्शन :

इस को करने के लिए पहले आप को अपने दोनो पैरो को एक दूसरे के ऊपर क्रॉस करना होगा. अफेक्टेड पैर को नीचे रखें. नीचे वाले पैर पर एक बैंड लपेट लें और इस बैंड की एक डोरी को अपने एक हाथ से पकड़ व दूसरी को दूसरी पैर से बांध दें . अब इस पैर को ऊपर व एक बार बैंड से बाहर लाने को कोशिश करें. इस से आपको पैर में खींचाव महसूस होगा इस एक्सरसाइज को रोजाना 20 बार करें.

5. सिंगल लेग स्टांस :

इस एक्सरसाइज को करने के लिए पहले आपको सीधा खड़ा होना है. ध्यान रखे की आपके दोनो पैर एक दूसरे के बहुत करीब हो और आप के हाथ आपकी कमर के पास हो. अब आप को अपना सारा वजन एक ही पैर के सहारे उठाना है. इसलिए अपने एक पैर को 90 डिग्री के एंगल पर मोड़ ले. इस 30 सेकंड तक करे. इसके बाद ऐसा ही दूसरे पैर के साथ भी करें.

मैं कामकाजी महिला हूं मुझे किस तरह का व्यायाम करना चाहिए

सवाल

मैं 45 साल की कामकाजी महिला हूं. इन दिनों काफी थका महसूस करती हूं मुझे तरोताजा महसूस करने के लिए किस तरह का व्यायाम करना चाहिए?

जवाब

आप अपनी दिनचर्या में कार्डियो व्यायाममांसपेशियों को मजबूत बनाने वाले व्यायाम और योग शामिल करें. नया व्यायाम शुरू करने से पहले अपने डाक्टर से सलाह लेना जरूरी है. व्यायाम करने से ऐंडोर्फिनडोपामाइन और सैरोटोनिन जैसे खुशी के रसायन निकलते हैं जो तनाव से लड़ते हैं और आप को अच्छा महसूस कराते हैं. दिन में 10 हजार कदम चलना भी बहुत जरूरी है और यह हृदय रोगमोटापामधुमेहउच्च रक्तचाप और अवसाद जैसी स्वास्थ्य समस्याओं से लड़ने में मदद कर सकता है. यदि आप इतने कदम चलने की अभ्यस्त नहीं हैं तो सुझाव है कि आप कम दूर से चलना शुरू करें और 10 हजार कदम तक बढ़ाएं. इसे एक दैनिक प्रतिबद्धता की तरह समझे. आप जितने फिट होते हैं आप का दिमाग उतना ही जवां होता जाता है. याद रखें कि मानसिक मजबूती ही फिटनैस की कुंजी है और इसे शारीरिक गतिविधियों से प्राप्त किया जा सकता है.

डॉ पूजा जैन
एमबीबीएस, एमएस जनरल सर्जरी
एमसीएच (बर्न, प्लास्टिक और मैक्सिलोफेसियल सर्जरी) फस्ट ईयर सीनियर रेसिडेन्ट
वीएमएमसी और सफदरजंग हास्पिटल, नई दिल्ली

इन नेचुरल टिप्स से पाएं गर्दन के फैट से छुटकारा

जैसे जैसे हमारी उम्र बढ़ती जाती है वैसे वैसे हमारी गर्दन का भार भी बढ़ने लगता है और एक समय ऐसा आता है जब हमारी गर्दन हमारे चेहरे से अधिक बड़ी या मोटी लगती है. ऐसी स्थिति में आपके चेहरे की सारी शेप ही बिगड़ जाती है और वह थोड़ा भद्दा दिखने लगता है. अगर आपके साथ भी यह दिक्कत है तो आप एक्सरसाइज के द्वारा और डाइट के द्वारा अपनी गर्दन का फैट प्राकृतिक रूप से कम कर सकते हैं. आज हम केवल डाइट के कारण आप कैसे अपनी गर्दन के फैट को कम कर सकते हैं, इस विषय पर चर्चा करेंगे. लेकिन उससे पहले यह जान लेते हैं कि गर्दन फैट के बढ़ने के क्या क्या मुख्य कारण होते हैं.

गर्दन फैट जमा होने के कारण

मोटापा : जो लोग ओवर वेट होते हैं उनकी गर्दन का फैट बढ़ने के चांस अधिक होते हैं इसलिए उनके शरीर के साथ साथ उनकी गर्दन भी मोटी होती है.

कुछ मेडिकल स्थितियां : हार्मोन्स के अनियमित होने के कारण या थायराइड जैसी समस्याओं के कारण मोटापा बढ़ सकता है और इस कारण से गर्दन का फैट भी बढ़ सकता है.

हृदय संबंधी समस्या : जिन लोगों को हृदय संबंधी समस्या हैं उन्हें गर्दन का फैट अधिक होने की समस्या हो सकती है.

उम्र : जिन लोगों की उम्र अधिक हो जाती है उन्हें जवान लोगों के मुकाबले मोटी गर्दन की अधिक समस्या झेलनी पड़ती है.

गर्दन का फैट कम करने की कुछ डाइट टिप्स

ग्रीन टी : ग्रीन टी में कुछ ऐसे पोली फेनोल्स होते हैं जिनमें एंटी ऑक्सिडेंट होते है. यह वजन कम करने में और गर्दन के फैट को कम करने में लाभदायक माने जाते हैं. आप ग्रीन टी बैग्स को पानी के साथ उबाल कर उसे छान कर उसमें शहद एड करके पी सकते हैं.

नारियल का तेल : इसमें कुछ फैटी एसिड्स होते हैं जो मेटाबॉलिज्म को बढ़ाते हैं. इससे आपको बिना चाहा फैट कम करने में मदद मिलती है. आप हर रोज सुबह एक चम्मच एक्स्ट्रा वर्जिन कोकोनट ऑयल पी सकते हैं और अगर चाहें तो इससे अपनी गर्दन पर मसाज भी कर सकते हैं.

खरबूजा : खरबूजे में कैलोरीज़ और फैट की मात्रा बहुत कम होती है. इसमें बहुत से मिनरल और विटामिन होते हैं. यह आपको लंबे समय तक भूख नहीं लगने देते हैं और आपकी वजन कम करने में भी मदद करते है. इसलिए दिन में ताजे ताजे खरबूज की स्लाइस खाते रहें.

नींबू का रस : नींबू के रस में बहुत सी एंटी ऑक्सिडेंट प्रॉपर्टीज होती हैं. यह एंटी ऑक्सिडेंट बॉडी के मेटाबॉलिज्म को इंप्रूव करते हैं और आपका वजन कम करने में भी मदद करता है. इसके लिए आप सुबह सुबह खाली पेट एक गिलास पानी में नींबू निचोड़ कर उसमें शहद एड करके पी सकते हैं.

अलसी : अलसी में ओमेगा 3 फैटी एसिड्स होते हैं जो वजन कम करने में मदद करते हैं. इसके लिए या तो आप अलसी के बीज खा लें या फिर उसके पाउडर को पानी में मिला कर के पी सकते हैं.

मूली : मूली विटामिन ए और फाइबर का एक अच्छा स्रोत होती हैं. इनकी पचाने में अधिक समय लगता है इसलिए यह आपको लंबे समय तक भूख नहीं लगने देती हैं. इसलिए मूली आपका वजन कम करने में मदद कर सकती है. आप इसे सलाद को तरह खा सकते हैं.

एलो वेरा : एलो वेरा बॉडी फैट और वजन को कम करने में बहुत लाभदायक माना जाता है. इससे नेक फैट कम होने में भी सहायता मिल सकती है. आप रोजाना सुबह उठ कर ताजा एलो जूस पी सकते हैं.

उपरलिखित सभी तरीके गर्दन का वजन कम करने में लाभदायक हैं. इनके अलावा आप अधिक से अधिक पानी पिए, ज्यादा कैलोरीज़ वाला खाना न खाएं और हर रोज थोड़ी बहुत एक्सरसाइज भी करते रहें. अगर आपके सारे शरीर का थोड़ा बहुत वर्कआउट होगा तो आपके सभी अंगों का वजन कम होने में मदद मिलेगी. आप सूरज मुखी के बीजों का और लाल शिमला मिर्च का प्रयोग भी कर सकते है.

Women’s Day 2024: 40 की उम्र के बाद मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं ये एक्सरसाइज

40 की उम्र के बाद फिट रहने के लिए एक्सरसाइज करना बेहद जरूरी हो जाता है, मगर बहुत से लोग खासकर महिलाएं वर्कआउट करने से घबराती हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि इस से बौडी पेन बढ़ जाएगा, थकान ज्यादा होगी. दूसरी तरफ कुछ लोग वर्कआउट करना तो शुरू करते हैं लेकिन कुछ ही दिनों में अच्छे रिजल्ट्स न देख पाने के कारण वे भी वर्कआउट करना बंद कर देते हैं, क्योंकि 40 की उम्र के बाद मेटाबौलिज्म स्लो होने के कारण रिजल्ट तो आता है लेकिन उस में समय लगता है.

कुछ ऐसी एक्सरसाइज भी होती हैं जो 40 की उम्र के बाद अवौइड करनी चाहिए. हम जो वर्कआउट कर रहे हैं, वह हमारी बौडी के लिए सही है या नहीं? कहीं वह हमारी बौडी को कोई नुकसान तो नहीं पहुंचा रहा? यह भी ध्यान रखना चाहिए. ऐसे में अपने एक्सरसाइज रूटीन को सोचसमझ कर प्लान करें. ऐसी बहुत सी एक्सरसाइज हैं जो 40 के बाद अवौइड करनी चाहिए. आइए, जानते हैं ऐसी ही कुछ एक्सरसाइज के बारे में:

1. क्रंचेस

क्रंचेस हम बैली फैट को कम करने के लिए करते हैं. क्रंचेस करते समय हमारी स्पाइन पर बहुत ज्यादा स्ट्रेन पड़ता है. 40 की उम्र के बाद हमारी स्पाइन की फ्लैक्सिबिलिटी कम होने लगती है. इसलिए हमें क्रंचेस करते समय सही ऐंगल और पोजीशन का ध्यान रखना चाहिए, लेकिन सही तरीके से एक्सरसाइज करने के बाद भी अगर आप बैक और नैक पेन महसूस करें तो हर तरह के क्रंचेस को अवौइड करना चाहिए.

2. इंटैंस कार्डियो वर्कआउट

इंटैंस कार्डियो वर्कआउट जैसे कि जंपिंग जैक्स, स्क्वैट जंप प्लैंकजैक्स, बट किक्स आदि को करते समय अगर आप पेन फील करें तो जबरन वर्कआउट करने की कोशिश न करें. ऐसा करने से बौडी का स्ट्रैस लैवल बढ़ जाता है और बौडी में कार्टिसोल नाम का एक हारमोन निकलता है. आप जान कर हैरान रह जाएंगे कि इस कंडीशन में आप के वर्कआउट का रिजल्ट रिवर्स हो जाता है और बौडी का वेट घटने की बजाय बढ़ने लगता है. इस हारमोन के रिलीज होते ही यह फैट को स्टोर करने लगता है.

इंटैंस कार्डियो वर्कआउट से सारा स्ट्रेन हमारे जौइंट्स पर आ जाता है, जिस से वे जौइंट्स जोकि पहले ही वीक हो गए हैं, उन में इंजरी भी हो सकती है. ध्यान रखें कि ऐसे हाई इंटैंसिटी वर्कआउट या इंटैंस वर्कआउट को अवौइड करें.

3. स्क्वैट

स्क्वैट लैग्स और ग्लूट्स के लिए एक अच्छी एक्सरसाइज मानी जाती है. लेकिन बढ़ती उम्र में घुटनों की मसल्स पर ज्यादा स्ट्रेन डालने से वे पुल हो सकती हैं, जिस से सीरियस इंजरी होने का रिस्क बढ़ सकता है.

4. इंटैंस स्ट्रैचिंग

इस उम्र में मसल्स वीक होने लगती हैं. अगर आप अपनी बौडी को हद से ज्यादा स्ट्रैच करेंगी तो आप की मसल्स पुल होने का खतरा बना रहता है. ज्यादा स्ट्रैच वाली एक्सरसाइज करने से बचें.

5. नैक एक्सरसाइज

40 की उम्र में सर्वाइकल की शिकायत ज्यादा पाई जाती है. सर्वाइकल नहीं है तो इंटैंस नैक स्ट्रैच या उस पर दबाव पड़ने से वह हो भी जाता है, लेकिन यह तब होता है जब आप की बौडी की मसल्स और बोंस पहले से ही वीक हों.

6. लैग ऐक्सटैंशन

लैग ऐक्सटैंशन करते समय वेट ऊपर की तरफ पुश करने से घुटनों और ऐडि़यों पर ज्यादा दबाव पड़ता है जिस से उन में इंजरी होने की संभावना बढ़ जाती है.ैै

7. पुशअप

पुशअप्स से लोअर बैक और कंधों पर बौडी का सारा वेट पड़ने के कारण दर्द की शिकायत हो सकती है, जोकि लौंग टर्म के लिए अच्छा नहीं है. आगे चल कर यह सीरियस इंजरी में भी बदल सकती है. सही रहेगा यदि आप 40 की उम्र के बाद किसी ऐक्सपर्ट की देखरेख में वर्कआउट करें. ऐसा न करना आप को अनफिट बना सकता है.

-संकल्प, फिटनैस ऐक्सपर्ट

डिलीवरी को आसान बनाने के लिए रोजाना करें ये एक्सरसाइज

पिछली पीढ़ी की ज्यादातर महिलाएं प्रसव से पहले तक रसोई और घर का सारा काम आसानी से संभालती थीं. लेकिन आज की महिलाओं के लिए प्रसव उतना आसान नहीं है. अब ज्यादा से ज्यादा महिलाएं गर्भधारण एवं प्रसव को कठिन कार्य मानती हैं. उन्हें प्रसव बेहद कष्टदायी लगने लगा है. इस कष्ट से बचने के लिए वे सिजेरियन डिलिवरी ज्यादा पसंद कर रही हैं, जो शरीर को आगे चल कर कमजोर बना देती है. इसलिए गर्भधारण से ले कर प्रसव व प्रसवोपरांत तक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए व्यायाम एक बेहतर विकल्प है. प्रसवकाल को सुखद बनाए रखने के लिए व्यायाम में फिजियोथेरैपी एक अच्छा माध्यम है. यह गर्भकाल और प्रसव के दौरान होने वाली कई तरह की परेशानियों से छुटकारा दिलाती है. 9 महीने के लंबे गर्भकाल में स्वास्थ्य का ध्यान रखना बहुत जरूरी है. इस के लिए फिजियोथेरैपी को नियमित रूप से अपनाना चाहिए-

स्ट्रैंथनिंग

कमर के लिए : पैरों को एकसाथ मिला कर कमर के आगे की तरफ लाते हुए आसन पर बैठ जाएं, फिर घुटनों को धीरेधीरे जमीन से छुआने की कोशिश करें. इस क्रिया को भी कई बार करें.

गले के लिए : इसे करने के लिए सीधे बैठें, फिर एक हाथ को मोड़ कर सिर के पीछे की तरफ का हिस्सा पकड़ें और कुहनियों को ऊपर की ओर उठाएं. यही क्रिया दूसरे हाथ से भी दोहराएं. आसन पर बैठ कर दोनों हाथों को आगे की ओर ले जाएं. फिर धीमी गति से सांस लेते हुए हाथों को दोनों ओर फैलाएं. इस क्रिया को 10-12 बार दोहराएं.

 पीठ के लिए : पैरों को जमीन पर टिकाते हुए कुरसी पर सीधी बैठ जाएं. फिर दोनों हाथों से कमर को पकड़ें. आसन पर धीरे से हाथों और घुटनों के बल टेक लगाते हुए झुकें, फिर धीरेधीरे पीछे के मध्य भाग को ऊपर और नीचे की ओर ले जाएं.

गले की पीछे की पेशियों के लिए : इस क्रिया को करने के लिए घर की किसी दीवार के पास खड़ी हो जाएं. कंधों के बराबर दोनों हथेलियों को जोड़ कर रखें. दोनों पैरों के बीच थोड़ी दूरी बना कर रखें यानी पैर मिलें नहीं. फिर दीवार से 30 सैंटीमीटर की दूरी पर खड़े हो कर कुहनियों को मोड़ कर धीरेधीरे नाक से दीवार छूने की कोशिश करें. यह क्रिया फिर दोहराएं. यह व्यायाम प्रसव को भी आसान बनाता है.

जांघों की पेशियों के लिए : इसे करने के लिए सीधी लेट जाएं और फिर एक मोटे तकिए को बारीबारी से घुटनों के बीच 10 मिनट तक दबाए रखें. ऐसा कई बार करें.

रिलैक्सेशन मैथेड : सब से पहले आसन पर लेट जाएं और अपनी सांस की गति पर ध्यान दें. फिर दोनों एडि़यों को 5 सैकंड तक दबा कर रखें. फिर ढीला छोड़ दें. यह क्रिया घुटनों, हथेलियों, कुहनियों, सिर आदि हिस्सों के साथ भी करें. इस से शरीर की पेशियां रिलैक्स होती हैं.

कीगल्स व्यायाम : कीगल्स व्यायाम को मूत्रत्याग के दौरान किया जाता है. इसे करने के लिए मूत्र के दौरान 3 से 5 सैकंड तक मूत्र को रोकरोक कर करें. इस से पेट के निचले हिस्से में कसावट आती है. गर्भवती महिलाओं के लिए यह बेहद महत्त्वपूर्ण व्यायाम है.

पैरों की पेशियों के लिए : इस क्रिया को करने के लिए पहले तो आसन पर बैठें. फिर आसन के ऊपर एक मोटा कपड़ा बिछा कर एडि़यों से उसे दबाएं. इस के बाद पैरों की उंगलियों से कपड़े को भीतर की ओर खींचने की कोशिश करें. इस क्रिया को भी कई बार दोहराएं. यह व्यायाम पैरों की पेशियों में कसावट लाने के साथसाथ फ्लैट फुट की समस्या को भी रोकता है, रक्तसंचार को बढ़ा कर पैरों की सूजन को भी कम करता है.

ध्यान देने योग्य बातें :

  1. दिन भर में एक बार व्यायाम जरूर करें और व्यायाम करते समय थकान और दर्द का ध्यान जरूर रखें.
  2. शुरू में व्यायाम कम समय के लिए करें. फिर धीरेधीरे समय बढ़ाएं.
  3. चिकनी फर्श पर व्यायाम बिलकुल न करें.
  4. व्यायाम करते समय ढीले वस्त्र पहनें.
  5. खाने के तुरंत बाद व्यायाम कभी न करें. खाने के कम से कम 2 घंटे बाद ही व्यायाम करें.
  6. गर्भावस्था के दौरान महिलाएं कम जगह वाले फर्नीचर पर न बैठें. इस से पेशियों पर ज्यादा दबाव पड़ता है.
  7. बैठते समय पीठ को कुरसी से सटा कर बैठें और पैरों को फर्श पर रखें.
  8. गर्भधारण के 20 सप्ताह बाद सीधी न लेटें, बल्कि सिर और कंधों को ऊंचा कर के लेटें. इस के लिए सिर के नीचे 2 तकिए लगा कर लेटें. ऐसा करना गर्भाशय की रक्तनलिकाओं में पड़ने वाले दबाव के कारण होने वाले हाइपरटैंशन को रोकता है.
  9. हाई हील के सैंडल पहनने से बचें, फ्लैट फुटवियर ही पहनें, इस से रीढ़ की हड्डी पर खिंचाव कम होगा.
  10. गर्भकाल के समय व्यायाम करने पर किसी भी प्रकार का दर्द या समस्या हो तो तुरंत स्त्रीरोग विशेषज्ञा की सलाह लें.व्यायाम से संबंधित विशेष जानकारी फिजियोथेरैपिस्ट से भी ले सकती हैं.

गर्भकाल के दौरान होने वाली समस्याएं

  1. पेट के निचले हिस्से में सिकुड़ी अवस्था में स्थित यूटरस गर्भकाल के हफ्तों बीतने के बाद विकसित हो जाता है. इस कारण शरीर के आगे के हिस्से में शरीर का भार बढ़ता है, जिस से शरीर का संतुलन बनाए रखने में समस्या उत्पन्न होने लगती है.
  2. कंधे लटकने लगते हैं. ऐसी अवस्था में मांसपेशियों में खिंचाव पड़ने लगता है.
  3. घुटने फूलने लगते हैं और दोनों पैरों में अंतर बढ़ जाता है, जिस की वजह से कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
  4. जिन महिलाओं का वजन ज्यादा होता है, उन की पेशियां ढीली होने की वजह से उन में फ्लैट फुट की समस्या उत्पन्न हो सकती है.
  5. पेट की मांसपेशियों में खिंचाव पड़ने की वजह से स्ट्रैस की समस्या उत्पन्न होने लगती है.
  6. आम अवस्था की अपेक्षा गर्भावस्था के दौरान ज्यादा आराम करने से मांसपेशियां कमजोर पड़ने लगती हैं.
  7. शरीर के आकार में बदलाव आने के कारण शरीर फैलने लगता है.

फिजियोथेरैपी के फायदे

  1. स्वास्थ्य बेहतर बना रहता है और शारीरिक परेशानियां कम होती हैं.
  2. व्यायाम सर्कुलेटरी प्रौब्लम्स, वैरिकोस वेंस समस्या और पैरों की सूजन को कम करता है.
  3. प्रसव के बाद स्वास्थ्य में भी बहुत तेजी से सुधार आता है.
  4. यह जोड़ों से संबंधित समस्याओं को कम करने के साथसाथ उन्हें रोकने में भी सहायक है.
  5. शरीर को नियंत्रित करने में मदद करती है.
  6. गर्भकाल के दौरान मधुमेह की समस्या होने से रोकती है.
  7. यह शरीर के आकार में भी संतुलन बनाए रखने के लिए सहायक है.
  8. फिजियोथेरैपी पेट की मांसपेशियों को सुचारु बनाए रखने में भी प्रभावकारी है.

ध्यान दें

गर्भावस्था के दौरान व्यायाम अच्छा है, लेकिन जरूरी नहीं है कि हर तरह का व्यायाम हर किसी के लिए फायदेमंद हो. गर्भावस्था और किसी भी प्रकार की शारीरिक बीमारी जैसे उच्च रक्तचाप, हृदय संबंधी बीमारी, एक से ज्यादा बार गर्भपात होना, गर्भाशय के द्रव में होने वाले बदलाव आदि में व्यायाम करना जोखिम भरा काम है. इस स्थिति में अपनी इच्छा से कोई व्यायाम न करें. गर्भकाल के शुरुआत से ही स्त्रीरोग विशेषज्ञा के निर्देशानुसार ही व्यायाम करें.

– डा. अरुण कुमार पी.टी, चीफ फिजियोथेरैपिस्ट, लक्ष्मी हौस्पिटल, कोच्चि

कहीं आप भी तो नहीं है तनाव के शिकार, इन आसान तरीकों से पाएं टेंशन से राहत

इन दिनों लोगो का  स्ट्रेस लेवल इस कदर बढ़ रहा है कि पीड़ित ख़ुदकुशी जैसा कदम उठाने से नहीं कतराता है.ऐसा ही एक मामला हाल ही में नोएडा के सेक्टर 142 क्षेत्र में सामने आया.आईटी कंपनी में काम करने वाली एक युवती जो कि उम्र में महज 22 साल की ही थी  और कंपनी में वेबसाइट बनाने का काम करती थी.उसने ऑफिस में ही फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. उसका शव उसकी  केबिन में ही लटका हुआ मिला.आजकल आए दिन इस तरह के मामले देखने को मिल  जाते हैं. यहां तक कि अर्ली टींस भी बात बात पर टेंशन जैसे शब्दों को अपनी आम बोली चाली में प्रयोग करते नहीं थकते. जिससे उनमें  भी टेंशन यानि तनाव बढ़ने लगता है. अधिकतर हम सभी जाने अनजाने में जाने कितनी बार इस वाक्य को दोहराते हैं कि ‘मुझे टेंशन हो रही है’ और इस बात को खुद पर इतना हावी कर लेते हैं कि नार्मल बात को भी हम एक चुनौती  की तरह  लेते हैं और अपने आप को तनावग्रस्त कर लेते हैं नतीजतन हम धीरे धीरे मानसिक रूप से कमजोर महसूस करने लगते हैं इसके लिए जरूरी अपने जीवन में कुछ आदतों में बदलाव करना. तो चलिए जानते हैं .

तनाव का जिक्र ना करें

आज कल ऐसा हर एक पीढ़ी के लोगो के साथ हो रहा है चाहे युवा हो या बूढ़ा पर बड़ों की बातों का असर बहुत जल्दी पड़ता है. हमारी सोच ही  हमारा जीवन जीने का तरीका बनती जाती है किसी भी बात को नेगेटिव विचार के साथ अंत ना करें बल्कि पॉजिटिव  सोच के साथ अंत करें.और जो बातें आपको तनाव पूर्ण बनाती हो उन से परहेज करें.

मन का काम जरूर करें

यदि आपको लगता है कि आप तनाव में हैं और आपका ध्यान ऐसी बातों से हट नहीं रहा है तो आप खुद को अपने पसंदिता काम में व्यस्त रखें. खुद को क्रिएटिव कामों में व्यस्त रखें.इससे दिमाग रिलैक्स होता है  फील गुड फैक्टर आता है. साथ ही अपना स्क्रीन टाइम कम करें, मोबइल का प्रयोग कम  करें .

स्वछता है जरूरी

जरूरी है कि हम शरारिक रूप से ही नहीं मानसिक रूप से भी स्वस्थ रहें. जिस तरह हमें अपने आस पास फैला हुआ कचरा पसंद नहीं होता उसी प्रकार हमें अपने दिमाग़ में कड़वी या कष्ट देने वाली बातों को इकठे नहीं होने देना चाहिए. अपनी परेशानी को किसी के साथ  साझा अवश्य करें इससे मन का बोझ  हल्का होता है और दिमाग़ भी.

एक्सरसाइज करें

एक्सरसाइज करना वैसे तो हर किसी के लिए बहतर ही होता है लेकिन यदि कोई तनावग्रस्त या डिप्रेशन में है तो रिलैक्स करना और थोड़ी एक्सरसाइज उसके लिए सबसे बेहतर है.

किताबें पढ़े

आजकल सभी डिजिटल मीडिया को अधिक तवज्जो देते हैं और ऑनलाइन अपने पसंदीदा टॉपिक या बुक  भी पढ़ लेते है देखा जाए तो यह गलत नहीं है लेकिन यदि हम किताबें पढ़ते है तो  उनसे एक जुड़ाव बनता है   जिससे दिमाग़ शांत और स्थिर होता है इसलिए अपनी पसंद की  किताबें पढ़े जिससे आप खुद को रिलैक्स महसूस कर पाएंगे. यह रीडिंग थेरेपी भी कहलाती है. हर समय मोबाइल के साथ बुक्स भी पास रखें.

संगीत सुने

संगीत सुनना एक बहुत अच्छी थेरेपी है इससे  आपके शरीर में कोर्टिसोल (तनाव हार्मोन) स्तर कम होते है. इसीलिए जब भी आप खुद तनाव ग्रस्त महसूस करें तो संगीत सुने या गाने गुनगुनाएं.यह  हमें तनाव मुक्त बनता है.

Festival Special: लेजी गर्ल वर्कआउट टिप्स

एक अनुशासन जीवन किसी भी मनुष्य के  लिए सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक है, और एक जब स्वस्थ जीवन जीने की बात आती है, तो अनुशासन ही सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है. आपके खाने की आदतों से लेकर आपके पूरा दिन चर्य में आप क्या करते है, हर विशेषता के लिए अनुशासन की आवश्यकता होती है. और इन सभी के बीच,मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन  है आलस्य. यह न केवल हमारे शरीर के लिए नुकसानदायक है बल्कि यह हमारे कई कामों में भी  बाधाा बनकर हमारे सामने आ जाता है. यदि आप ऐसे व्यक्ति हैं जो अक्सर आलस्य का शिकार रहते हैं तो आज हम आपको कुछ ऐसे टिप्स और अभ्यास बतायंगे जो आपकी जीवन शैली को पूरी तरह से बदलने में आपकी मदद जरूर करेगा.

जब भी कसरत करने की बात आती है तो हम सभी कसरत करने से बचते रहते है, तरह तरह के बहाने बनाते है. आसल बात तो यह है की हमे कसरत करने से कभी भी नहीं भागना चाहिए. कसरत से हम एक्टिव और लाइट फील करते है, रोज़ाना कसरत करने से हमारे शरीर के सभी रोग  भी दूर हो जाते है.

जब व्यायाम करने की बात आती है, तो आलस्य को हरा देने का सबसे अच्छा तरीका है की हम कुछ फ्रेश और एनर्जेटिक सॉन्ग सुने जिससे हमारे शरीर में एनर्जी आ जाएं. गाने/ सौन्ग  हमारे लिए हमेशा ही एक थेरेपी के रूप में काम करते  है जो की एक सकारात्मक उत्तेजना के रूप में काम करता है, मन को शुद्ध करता है और रक्त परिसंचरण में सुधार भी करता है, जिसके परिणामस्वरूप उच्च स्तर की ऊर्जा हमारे अंदर आ जाती है.

हमें अपने दिमाग से सबसे पहले यह निकाल देने की जरूरत है की एक्सरसाइज का मतलब केवल यह नहीं होता है की हमें घंटो जिम में पसीने बहाने की ज रूरत है , बोरिंग खाना-खाना शुरू कर देने की ज़रूरत है. अक्सर लोग जिम में जाकर कसरत करने से कन्फ्यूज हो जाते हैं. यहां, व्यायाम का अर्थ है  की अपने  शरीर को शारीरिक तौर पर एक्टिव बनाए रखना है , जिससे हमारा रक्त परिसंचरण  संतुलन में रहे और आपको अंदर और बाहर बेहतर महसूस करने में मदद करते हैं.  फिटनेस विशेषज्ञों और हेड कोच औफ अर्बन अखाड़ा विकास डबास का मानना है की, व्यायाम का दिमाग के कामकाज से सीधा संबंध है.

15 मिनट या उससे कम में करने के लिए 4 आसान व्यायाम

  1. आर्म सर्कल्स

फर्श पर अपनी हथेलियों के साथ अपनी बाहों को ’T’ तक फैलाएँ. 30 सेकंड के लिए अपनी भुजाओं को गोलाकार गति में घुमाएं.

  1. नी पुश-अप

इस तरह के एक्सरसाइज में आपको अपने दोनों नीज़ को ज़मीन रखना है, पुश अप्स करने के लिए सबसे पहले अपने हाथों को फर्श पर रखें. ध्यान रहे कि आपके दोनों हाथ कंधों के नीचे होने चाहिए. अब अपनी कुहनियों को मोड़ें और सीने को फर्श के नजदीक लाएं. फिर वापस उसी स्थिति में लौट आएं. 60 सेकंड के लिए शुरू और दोहराएं.

  1. रस्सी कूदना

अपनी फिटनेस को बनाये रखने के लिए रस्सी कूदना सबसे आसान एक्टिविटी में से एक है. रस्सी कूदने से कुछ ही मिनटों में आपके पुरे शरीर की अच्छी कसरत हो जाती  है.

  1. सीढ़ी चढ़े और उतरे

अगर आप घर से निकलना पसंद नहीं करती है तो आप घर में ही अपनी एक्स्ट्रा कैलोरीज बर्न कर सकती है. बस अपना मनपसंदीदा ट्रैक लगाए और अपनी घर की सीढ़ियों पर लगातार 60 सेकंड के लिए बिना रुके ऊपर-निचे दौड़े. अपने आलसपन को दूर हटाने के लिए औफिस में लंच के बाद तुरंत न बैठे करीब 10 से 12 मिनट तक थोड़ा चल कर काम करे और रोजाना लगभग 20 मिनट तक पैदल चले. अगर आप फोन पर बातें ज्यादा करते है तो कोशिश करें की घर की छत या गार्डन में चलते चलते बात करें केवल ही जगह बैठ कर बात न करें.

Monsoon Special: वर्कआउट के लिए सही आउटफिट

कुछ लोग वर्कआउट के समय सही आउटफिट का चुनाव नहीं कर पाते जिस से उन्हें वर्कआउट करने में असहजता होती है. अत: ध्यान रहे वर्कआउट करते समय सब से ज्यादा जरूरी होता है कि आप कंफर्टेबल रहे. महिलाएं हमेशा फैशनेबल नजर आना चाहती हैं, मगर वर्कआउट के लिए आउटफिट चुनते समय स्टाइल से ज्यादा कंफर्ट का ध्यान रखें, अपनी पसंद और जरूरत के हिसाब से ही स्पोर्ट्स आउटफिट चुनें.

टीशर्ट, स्पोर्ट्स ब्रा, जूते, मोजे, लोअर आदि कैसे हों, आइए जानते हैं:

  •  अंदर की लेयर जल्दी पसीना सोखने वाली हो.
  • प्योर कौटन के बजाय पौलिस्टर, लायक्रा और सिंथैटिक ब्लैंड आउटफिट ज्यादा बेहतर होते हैं क्योंकि ये जल्दी सूख जाते हैं, साथ ही ये गरमी में आप को ठंडा और ठंड में गरम रखते हैं.

कैसी हो आउटफिट की फिटिंग

वर्कआउट के लिए ज्यादा टाइट और स्किनी आउटफिट पहनने से बचें क्योंकि टाइट कपड़ों में आप खुल कर ऐक्सरसाइज नहीं कर पाएंगे और आप को असहज महसूस होगा. ऐसे में शौर्ट या लोअर के साथ टीशर्ट पहनना बैस्ट रहता है. योग के लिए स्ट्रैचेबल आउटफिट का चुनाव करें. जौगिंग के लिए आप लूज और शौर्ट्स या कैप्री ट्राई कर सकते हैं.

गरमी का मौसम है तो ऐसे कपड़े चुनें जो हलके हों और आसानी से पसीना सोख सकें. वर्कआउट के दौरान आने वाले पसीने से बेचैनी भी न महसूस हो ताकि आप कंफर्टेबल रहें. इस के अलावा सर्दी के दिनों में ऐसे आउटफिट लें जो ठंड से बचाएं लेकिन ध्यान रहे कि ऐक्सरसाइज के दौरान भी पसीना आता है इसलिए खुद को इतना न ढकें कि आप को बेचैनी महसूस होने लगे. बारिश के दिनों में नमी और पसीना सोखने वाले कपड़ों का चुनाव करें.

  1. टीशर्ट

वर्कआउट या ऐक्सरसाइज करते समय कौटन की टीशर्ट न पहनें क्योंकि वह पसीने से भीग कर भारी हो जाती है फिर हम ऐक्सरसाइज नहीं कर पाते हैं. कौटन की जगह पौलिस्टर, लायक्रा और सिंथैटिक ब्लैंड कपड़े वाली टीशर्ट पहने वह आरामदायक होती है, पसीने से भीग कर भारी नहीं होती और आप आसानी से ऐक्सरसाइज कर सकते हैं.

2. स्पोर्ट्स ब्रा

वर्कआउट के दौरान आरामदायक अंडरगारमैंट्स और लड़कियों के लिए वर्कआउट करते समय स्पोर्ट्स ब्रा पहनना सब से जरूरी है ताकि वे अपनी ब्रैस्ट को सुडौल बनाए रखें. अगर आप हाई इंटैंसिव या हाई इंपैक्ट वर्कआउट करते हैं तो ऐसे समय हाई इंपैक्ट स्पोर्ट्स ब्रा पहननी चाहिए. यह ब्रैस्ट को सपोर्ट देती है जिस से ब्रैस्ट के टिशू डैमेज नहीं होते एवं ब्रैस्ट सुडौल बनी रहती हैं. वहीं स्पोर्ट्स ब्रा न पहनने से स्ट्रैच मार्क्स होने का डर बना रहता है. इस के साथ ही स्पोर्ट्स ब्रा आप के लुक को और बेहतर बनाती है.

3. सही फुटवियर चुनें

वर्कआउट के लिए जूते हलके और आरामदायक होने चाहिए. अगर आप घर में ही ऐक्सरसाइज करते हैं तो भी चप्पलों में न करें बल्कि अच्छे स्पोर्ट्स वियर और आरामदायक जूतों में ही वर्कआउट करें. इस से चोट लगने का खतरा कम रहता है. ध्यान रखें कि ये हलके, फ्लैक्सिबल, ऐंटीस्किट और स्पोर्टिव होने चाहिए. कई बार सही फुटवियर का चुनाव न होने पर पैरों में दर्द होने लगता है और घुटनों पर भी इस का असर पड़ता है.

4. लोअर या ट्रैक पैंट

ऐक्सरसाइज करने के लिए ऐसे लोअर या ट्रैक पैंट का चुनाव करें जो आसानी से स्ट्रैच हो जाए यानी मुड़ जाएं. उसे पहन कर आप आसानी से ऐक्सरसाइज कर पाए. आप को किसी तरह की कोई दिक्कत या परेशानी न हो. इस के लिए मार्केट में बहुत सारे विकल्प हैं जैसे योगा पैंट, स्ट्रैच पैंट, स्पोर्ट लैगिंग्स. ये सिर्फ आरामदायक ही नहीं होते हैं बल्कि इन्हें पहनने के बाद लुक भी स्टाइलिश लगने लगता है.

5. सौक्स

वर्कआउट करते समय पैरों में भी पसीना आता है इसलिए ऐसे मोजों या सौक्स का चुनाव करें जो पसीना अच्छे से सोख सकें, मुलायम हों और कौटन की हों. वर्कआउट के लिए बनी खास तरह की सौक्स ही पहनें. कई बार सौक्स का गलत चुनाव भी पैरों में असहज महसूस कराता है.

यदि आप चाहते हैं कि वर्कआउट करते समय कंफर्टेबल रहें तो इन बातों का रखें ध्यान:

  •  जिम जाते समय अपने बालों को बांध लें ताकि वर्कआउट करते समय आप के बाल आप के मुंह पर न आएं और आप आसानी से वर्कआउट/ऐक्सरसाइज कर पाएं.
  • वर्कआउट करते समय कभी फाउंडेशन न लगाएं क्योंकि ऐक्सरसाइज करते समय पसीना आता है और मेकअप होने की वजह से फेस के पोर्स बंद हो जाते हैं और पसीना ठीक से बाहर नहीं निकल पाता है. इस वजह से फेस पर पिंपल निकल सकते हैं.
  • ड्राई स्किन वाले क्रीम या मौइस्चराइजर लगा सकते हैं. अगर धूप में ऐक्सरसाइज करने जा रहे हैं तो सनस्क्रीन लगा सकते हैं.

ज्यादा एक्सरसाइज करना आपके दिल की हेल्थ को पहुंचा सकता है नुकसान, पढ़ें खबर

जब एक्सरसाइज करने की बात आती है तो हम अपने शरीर और दिमाग पर एक गतिहीन जीवन शैली के नकारात्मक प्रभावों के बारे में बहुत कुछ सुनते है. लेकिन अत्यधिक एक्सरसाइज? “बहुत ज्यादा बहुत बुरा है,” और यह एक्सरसाइज के लिए भी सच है. जबकि कम एक्सरसाइज  भी एक गंभीर समस्या है, यह एक्सरसाइज का दूसरा पहलू भी है, जो अधिक एक्सरसाइज के साथ आता है. डॉ. सुब्रत अखौरी, निदेशक इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी एशियन हॉस्पिटल फरीदाबाद का कहना है- एक्सरसाइज, जब सही तरीके से किया जाता है, तो हमारे शरीर के लिए कई लाभ होते हैं – रक्त परिसंचरण में सुधार और आपके लसीका तंत्र को उत्तेजित करता है, हमारे शरीर से विषाक्त पदार्थ को बाहर निकालने में मदद करता हैं. लेकिन यहां, हमें ‘पर्याप्त’ शब्द पर ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि अधिक प्रशिक्षण आपके संपूर्ण स्वास्थ्य को पंगु बना सकता है और आपके दिल को तनाव में डाल सकता है.

एक अध्ययन से पता चला है कि बहुत अधिक एक्सरसाइज आपके हृदय स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है.

इससे पता चलता है कि जो लोग लंबे समय तक उच्च-तीव्रता वाले वर्कआउट में शामिल थे, उन्हें मध्य आयु तक पहुंचने तक कोरोनरी धमनी कैल्सीफिकेशन (CAC) विकसित होने का खतरा था. यह बताता है कि इतने सारे युवा और मध्यम आयु वर्ग के फिटनेस उत्साही अचानक दिल के दौरे से क्यों मर रहे हैं. जहां पर्याप्त एक्सरसाइज हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है, वहीं अति-एक्सरसाइज आपके हृदय पर पूरी तरह से नकारात्मक प्रभाव डालता है.

जब आपके पास अपने स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त समय नहीं है तो आप अपने शरीर के सबसे अच्छे होने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?  आज बहुत से युवा अति-प्रशिक्षण और कम खाने के प्रति जुनूनी हैं जो उनके शरीर को और अधिक क्षति पहुँचाता है.

नियमित एक्सरसाइज हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की कुंजी है. हमारे शरीर के लिए इसके अनगिनत लाभ हैं –

फिटनेस के स्तर को बढ़ाता है, और हमारे हृदय स्वास्थ्य में सुधार के अलावा स्वस्थ वजन बनाए रखने में मदद करता है. इसके अलावा, यह हमारे मूड को को अच्छा करता है, नींद में सुधार करता है और हमारे दैनिक जीवन में तनाव को कम करता है. और इन सबसे बढ़कर यह हमारे शरीर को शेप में रखने का काम करता है.

बहुत अधिक एक्सरसाइज कितना है? यह एक ऐसा प्रश्न है जो कभी कभी एक्सरसाइज करने वालों और एथलीटों जैसे के मन में समान रूप से रहता है. हालांकि, ऐसा कोई एक उत्तर नहीं है जो सभी के लिए उपयुक्त हो. जो एक के लिए पर्याप्त हो, वह दूसरे के लिए नहीं हो सकता है. तो, आप कैसे जाने हैं कि आप सही दिशा में जा रहे हैं? कुछ संकेत हैं जिन पर ध्यान देना चाहिए.

सबसे पहले, अपनी हृदय गति पर कड़ी नज़र रखें –

यदि यह आराम करते समय भी सामान्य से अधिक है, तो यह एक संकेत है कि आपको ध्यानकरने की आवश्यकता है. इसके बाद, अपने हृदय गति परिवर्तनशीलता (एचआरवी) की निगरानी करें. यह प्रत्येक दिल की धड़कन के बीच के समय का एक माप है और आपके दिल के समग्र स्वास्थ्य को दर्शाता है

कम एचआरवी का मतलब है कि आपका दिल एक्सरसाइज से स्वस्थ नहीं हो पा रहा है जिससे आगे समस्याएं हो सकती हैं. अपने शरीर पर ध्यान दे, यदि आप अत्यधिक थका हुआ या असामान्य रूप से बीमार महसूस करते हैं, तो अपना एक्सरसाइज कम करें और अपने शरीर को ठीक होने दें.

बहुत अधिक एक्सरसाइज आपके दिल को तनाव में डाल सकता है –

तीव्र एक्सरसाइज आपके हृदय गति को बढ़ाता है जिसके परिणामस्वरूप तनाव हार्मोन का स्राव होता है जिसके परिणामस्वरूप दिल का दौरा और हृदय गति रुकने का खतरा बढ़ जाता है. इसके अलावा, यदि आप हृदय रोग से पीड़ित हैं, तो बहुत अधिक एक्सरसाइज आपके लक्षणों और प्रभावी उपचारों को खराब कर सकता है. इसके अलावा, अति-एक्सरसाइज करने से अनियमित दिल की धड़कन तेज  होने का खतरा बढ़ सकता है, जो घातक हो सकता है. इसलिए, किसी भी नए एक्सरसाइज को शुरू करने से पहले एक स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से परामर्श करना महत्वपूर्ण है.

एक्सरसाइज और आराम- स्वस्थ संतुलन बनाए रखें

हम सभी नियमित एक्सरसाइज के स्वास्थ्य लाभों से सहमत हैं, यह भी महत्वपूर्ण है कि आप अपने शरीर को आराम देने   के लिए समय निकालें. अपने एक्सरसाइज दिनचर्या के साथ ओवरबोर्ड जाने से स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं. एक्सरसाइज और आराम के बीच स्वस्थ संतुलन बनाए रखने के लिए कुछ सुझाव है

  • अपने शरीर को स्वस्थ रखने लिए अपने एक्सरसाइज दिनचर्या से कम से कम एक दिन की छुट्टी लें.
  • अपने आप को कगार पर न धकेलें. यदि आप थकावट महसूस करते हैं, तो कुछ दिनों के लिए ब्रेक लेना आपके शरीर के लिए अच्छा हो सकता है.
  • एक्सरसाइज के दौरान अपनी हृदय गति और एचआरवी पर नजर रखें. अगर आपको सांस लेने में तकलीफ या सीने में किसी प्रकार का दर्द महसूस होता है, तो यह एक संकेत है कि आपको ब्रेक लेने की जरूरत है.

एक्सरसाइज और आराम के बीच सही संतुलन खोजना हर किसी के लिए अलग होता है लेकिन ये टिप्स आपको स्वस्थ रहने और अधिक एक्सरसाइज से बचने में मदद कर सकते हैं.

 मुख्य बात

एक नियमित एक्सरसाइज दिनचर्या आपके हृदय स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाती है, इसका बहुत अधिक वास्तव में अच्छे से अधिक नुकसान कर सकता है. यदि आप सुनिश्चित नहीं हैं कि आपको फिट रहने के लिए सही मात्रा में एक्सरसाइज की आवश्यकता है या आप अपने हृदय स्वास्थ्य को ट्रैक करना चाहते हैं और समय के साथ बदलाव देखना चाहते हैं, तो नियमित रूप से इसकी निगरानी करने पर विचार करें. यह न केवल आपको वर्कआउट करते समय सुरक्षित रहने में मदद करेगा बल्कि आपके संपूर्ण हृदय स्वास्थ्य पर विभिन्न प्रकार के एक्सरसाइज के प्रभाव को समझने में भी आपकी मदद करेगा.

जानें क्या हैं Exercise के सही नियम

‘मेरी जिम जाने की दिल से चाहत है, लेकिन क्या करूं समय ही नहीं मिलता,’ यह बात कुछ लोगों से अकसर सुनने को मिलती है. फिटनैस के लिए आज का युवावर्ग जितना जागरूक और सजग है, उतना ही दूसरा वर्ग भी हो जाए और काम के झमेले, काम के तनाव वगैरह में से अपनेआप पर ध्यान देने के लिए समय निकाले तो अपनी चाहत पूरी न होने और अपने स्वास्थ्य व फिटनैस को ले कर पछतावा नहीं रहेगा.

शरीर प्रकृति की एक सुंदर, परिपूर्ण रचना है. यह शरीर जितना चलताफिरता है उतना ही मजबूत, हट्टाकट्टा और लचीला बना रहता है. इस शरीर को अच्छे आहार और व्यायाम का जोड़ दे कर प्रकृति का दिया हुआ लचीलापन व हट्टाकट्टापन जिंदगी भर संभाला जाता है. सहज रूप से करीना के जीरो फिगर और सिक्स पैक एब्स का आकर्षण हर एक को होता है, लेकिन उस के लिए कितने लोग मेहनत करने को तैयार होते हैं? सभी लोग इस के पीछे भागें यह जरूरी नहीं है, लेकिन अपने शरीर की सुडौलता बनाए रखने और जिंदगी भर स्वस्थ रहने के लिए अपनी व्यस्त जीवनशैली से थोड़ा समय अपने लिए निकालने में क्या मुश्किल है?

‘अपनीअपनी डफली अपनाअपना राग’ यह कहावत व्यायाम के लिए भी खरी उतरती है. जबकि व्यायाम की रूपरेखा इंसान के स्वास्थ्य, जीवनपद्धति, व्यवसाय व उम्र इन सभी चीजों को ध्यान में रख कर तय करनी पड़ती है. किसी एक इंसान के द्वारा किया जाने वाला व्यायाम दूसरे व्यक्ति को भी सूट करेगा ऐसा नहीं है. अच्छी नहीं लगने वाली तनाव, कष्ट या क्लेशदायक गतिविधि को हम व्यायाम नहीं कह सके हैं. लेकिन योग, रनिंग, वेट ट्रेनिंग, स्विमिंग, कोई खेल खेलना या डांस करना इन में से कोई भी व्यायाम हमें जिंदगी भर स्वस्थ रख सकता है.

व्यायाम के तत्त्व

व्यायाम करते समय 5 चीजें ध्यान में रखनी चाहिए:

1. शरीर का खिंचाव बढ़ाना:

व्यायाम के सभी तत्त्वों में यह सब से महत्त्वपूर्ण तत्त्व है. व्यायाम करते वक्त हम शरीर को जो खिंचाव देते हैं, वह हमारी आम गतिविधियों के खिंचाव से ज्यादा होना चाहिए. धीरेधीरे उस की गति बढ़ानी चाहिए.

2. मांग के अनुसार निर्माण करना:

यह व्यायाम का बहुत ही महत्त्वपूर्ण तत्त्व है. अपना शरीर व उस के अवयव हम जैसी मांग करें वैसे काम करने लगते हैं. खुद को हालात से जोड़ने लगते हैं. उसी तरह व्यायाम के लिए भी बौडी उस के अनुकूल करनी पड़ती है. जैसे, अगर वेट ट्रेनिंग करनी है तो शुरुआत वार्मअप वेट ट्रेनिंग से करनी पड़ती है. मतलब यह कि प्रमुख व्यायाम में जो स्नायु काम करने वाले हैं वही स्नायु पहले व्यायाम के लिए तैयार करने होते हैं.

3. शरीर में कमजोरी न आने देना:

अच्छी तरह व्यायाम करने के बाद शरीर में कमजोरी नहीं आने देना चाहिए वरना शरीर सक्षम नहीं रहता है. ऐसा न हो इस के लिए सही आहार, ज्यादा पानी व नींद की जरूरत होती है.

4. निरंतरता:

व्यायाम में निरंतरता बनाए रखना जरूरी होता है, अन्यथा सब बेकार हो जाता है. व्यायाम नियमित रूप से नहीं करेंगे तो स्नायु व्यायाम के बारे में भूल जाएंगे. इस का सभी तत्त्वों पर नकारात्मक प्रभाव होता है.

5. व्यायाम में वैविध्य रखना:

लगातार एक ही तरह के व्यायाम की शरीर को आदत हो जाती है तो भी उस का सकारात्मक परिणाम दिखना बंद हो जाता है. इसलिए व्यायाम में वैविध्य रख कर उस का सुव्यवस्थित नियोजन कर व्यायाम विशेषज्ञ के मार्गदर्शन के अनुसार व्यायाम करना चाहिए.

कौन सा व्यायाम करें

हर एक के शरीर का स्ट्रक्चर और जरूरतें अलगअलग होती हैं. उन के अनुसार ही व्यायाम चुनना चाहिए. इस के लिए प्रशिक्षक की मदद लेनी चाहिए. व्यायाम का प्रकार,समय,

परिवर्तन आदि प्रशिक्षक की सलाह ले कर तय करना चहिए.

व्यायाम के लिए उपयुक्त टिप्स

– व्यायाम का प्रकार कोई भी हो व्यायाम के मूलभूत तत्त्वों का पालन करना चाहिए.

– कौन सा व्यायाम करना है यह विशेषज्ञ के मार्गदर्शन के बाद ही तय करना चाहिए.

– व्यायाम तकलीफ देने वाला न हो कर आनंददायी होना चाहिए.

– तालमेल बैठाने वाला व्यायाम करें, लेकिन उसे नियमित रूप से करें.

– हर दिन के व्यायाम का समय निश्चित करें और उसी समय का पालन करें.

– व्यायाम करना अपनी जीवनशैली बनाएं.

– व्यायाम से पहले कुछ हलका खाएं. जैसे, सलाद, फल या ड्राईफ्रूट.

– खाने के 3-4 घंटे बाद व्यायाम करें.

– व्यायाम के परिधान आकर्षक होने के साथ सूती और आरामदायी होने चाहिए.

– मौसम के अनुसार कपड़ों में बदलाव करें. ठंडी हवा में ऊपर से जैकेट पहनें.

– व्यायाम करते वक्त पसीना पोंछने के लिए पास में नैपकिन रखें.

– इस बात को समझें कि व्यायाम की शुरुआत में बदनदर्द होता है, लेकिन बाद में फायदा ही फायदा होता है.

– व्यायाम करते वक्त मन को तरोताजा व सोच सकारात्मक रखें.

चलती रहें दौड़ती रहें

चलना व्यायाम के रूप में इस्तेमाल करना चाहती हैं तो इन टिप्स पर ध्यान दें:

– चलते वक्त श्वसन क्रिया पर नियंत्रण रखें. दीर्घ श्वसन क्रिया से हृदय का भी व्यायाम होता है.

– व्यायाम बिना खर्चे का है, लेकिन शूज पर अच्छे पैसे खर्च करें और सही माप के शूज का चुनाव करें.

– मोजे सूती इस्तेमाल करें.

– आज के संघर्ष भरे जीवन में व्यायाम के लिए कोई भी समय अच्छा ही है, लेकिन चलने के लिए सुबह के समय का चुनाव करें, क्योंकि उस वक्त हवा में धूलमिट्टी, धुएं आदि का प्रभाव कम होता है.

दौड़ना एक परिपूर्ण व्यायाम

वजन कम होना, शारीरिक क्षमता बढ़ना आदि दौड़ने के महत्त्वपूर्ण फायदे हैं. इस के अलावा और भी कई फायदे दौड़ने से शरीर को होते हैं:

निरोगी हृदय: दौड़ने से हृदय के स्नायुयों को अच्छा फायदा होता है. हृदय की गति बढ़ती है. इस से स्नायुओं की ताकत बढ़ती है.

वजन कम होना: वजन कम करने के लिए दौड़ना एक सुंदर व्यायाम है. एक साधारण व्यक्ति दौड़ते वक्त लगभग 1 हजार कैलोरीज जलाता है. इस से वजन कम हो जाता है.

हड्डी की क्षमता बढ़ाना: व्यायाम न करने से हड्डियां कमजोर होती हैं. लेकिन नियमित रूप से दौड़ने से व्यायाम न करने पर भी हड्डियों की क्षमता बढ़ती है.

श्वसन क्रिया में सुधार: दौड़ने से श्वसन क्रिया में सुधार होता है. श्वसन को मदद करने वाले स्नायुओं की ताकत और श्वसन क्षमता बढ़ती है.

वसा कम होना: जल्दी दौड़ने के लिए ऊर्जा लगती है, जिस के लिए शरीर में जमे हुए फैट्स का ज्वलन होता है. इस में वेट कम हो कर शरीर सुडौल बनता है.

मानसिक तनाव से मुक्ति: नियमित दौड़ने से तनाव से दूर रहने में भी मदद मिलती है. इस से सकारात्मक मानसिकता तैयार होती है. दिन भर फ्रैश रहने के लिए मदद मिलती है और थकावट नहीं होती.

अच्छी नींद आना: दौड़ने पर पूरे शरीर को व्यायाम मिलने से अच्छी नींद आती है.

प्रसन्न रहना: दौड़ने से शरीर में बदलाव होते हैं. इस से इंसान प्रसन्न रहता है.

बीमारी से दूर रहना: नियमित रूप से दौड़ने से स्ट्रोक, रक्तचाप, डायबिटीज जैसी बीमारियों से दूर रहना संभव होता है.

– अली शेख, फिटनैस विशेषज्ञ

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