ये 5 Exercises जो आपके पैर के मसल्स को बनाएंगी मजबूत

हम अपने पैरों को अक्सर नजरअंदाज कर देते है और सोचते है कि हमारे शरीर के इस हिस्से पर किसी का ध्यान नहीं जाएगा. परंतु पैर हमारे शरीर का सब से महत्वपूर्ण हिस्सा होते है क्योंकि वर्क आउट से लेकर हमारे शरीर का सारा वजन उठाने का काम पैर ही करते हैं. इसलिए हम अपने पैरो का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए.

कई बार हमें पैरो में दर्द की शिकायत होती है क्योंकि हमारी पैरो कि मसल्स कमजोर हो जाती है. हम ये 5 एक्सरसाइज कर के अपने पैरो की मसल्स को मजबूत बना सकते हैं. तो आईए जानते है कोन सी है वो एक्सरसाइज जिन्हें कर के आप अपने पैरो को मजबूत बना सकते हैं.

1. स्टैंडिंग कॉफ स्ट्रेच ओन वॉल :

इस एक्सरसाइज को करने के लिए आपको अपना एक पैर पीछे ले जाए ताकि उसमें खींचाव महसूस हो. अपनी एड़ियों को जमीन पर टिका कर रखें और पंजे को आगे की तरफ ही रखें. अपने दोनो हाथों को दीवार पर रखें और अपने आगे वाले घुटने को थोड़ा मोड़ें और दीवार को धक्का दें. ध्यान रखें कि आपका पिछला पैर थोड़ा सा भी न मुड़े. इस से आपको अपने बैक काफ में खींचाव महसूस होगा. इस स्ट्रैचिंग को 10 मिनट तक होल्ड करे और हर दिन इस एक्सरसाइज को 5 बार करें.

2. स्टैंडिंग सोलियस स्ट्रैचिंग :

अपने दोनो हाथों को दीवार पर लगाएं और अपने पैरों को दीवार से आधा मीटर दूर रखें. अपनी एक टांग को दूसरी के पीछे रखें. अब धीरे धीरे अपने दोनो घुटनों को तब तक मोड़ें जब तक आप को अपने पिछले पैर की पिंडली में खींचाव महसूस न होने लगे. इस स्ट्रेच को लगभग 10 सेकंड तक बनाए रखें और रोजाना इस एक्सरसाइज को 5 बार दोहराएं.

3. प्लांटर फ्लेक्शन विद इलास्टिक :

इस एक्सरसाइज को करने के लिए आप नीचे धरती में एक टांग स्ट्रैच कर लें व दूसरी लेग को मोड़ ले. अपनी स्ट्रैच लेग के तले पर एक इलास्टिक रखे और उस इलास्टिक के दोनो कोनो को हाथ से पकड़ लें. अब इलास्टिक को खींचे ताकि आपके पैर के तलवे में खिचन महसूस हो. ध्यान रखे की स्ट्रैच लेग को न मोड़ें. 20 सेकंड तक इस स्ट्रैचिंग को होल्ड करे. हर रोज 5 बार इस एक्सरसाइज को करे.

4. रेजिस्ट इन्वर्शन :

इस को करने के लिए पहले आप को अपने दोनो पैरो को एक दूसरे के ऊपर क्रॉस करना होगा. अफेक्टेड पैर को नीचे रखें. नीचे वाले पैर पर एक बैंड लपेट लें और इस बैंड की एक डोरी को अपने एक हाथ से पकड़ व दूसरी को दूसरी पैर से बांध दें . अब इस पैर को ऊपर व एक बार बैंड से बाहर लाने को कोशिश करें. इस से आपको पैर में खींचाव महसूस होगा इस एक्सरसाइज को रोजाना 20 बार करें.

5. सिंगल लेग स्टांस :

इस एक्सरसाइज को करने के लिए पहले आपको सीधा खड़ा होना है. ध्यान रखे की आपके दोनो पैर एक दूसरे के बहुत करीब हो और आप के हाथ आपकी कमर के पास हो. अब आप को अपना सारा वजन एक ही पैर के सहारे उठाना है. इसलिए अपने एक पैर को 90 डिग्री के एंगल पर मोड़ ले. इस 30 सेकंड तक करे. इसके बाद ऐसा ही दूसरे पैर के साथ भी करें.

एक्सरसाइज से ब्रेक भी है फायदेमंद

डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, ह्रदय रोग, जैसी गम्भीर बीमारियों के साथ साथ वजन घटाने और सेहतमंद रहने के लिए चिकित्सा विशेषज्ञ नियमित व्यायाम करने की सलाह देते हैं. योग, मॉर्निंग वॉक, जिमिंग तथा प्राणायाम आदि व्यायाम के ही प्रकार हैं जिन्हें हम अपनी सुविधा के अनुसार करने का प्रयास करते हैं. नियमित व्यायाम से होने वाले सकारात्मक सोच, मजबूत, लचीला, और स्वस्थ शरीर जैसे लाभों से हम सभी भली भांति परिचित हैं परन्तु हाल ही में अमेरिकी फिटनेस फर्म “एल आई टी मेथड” के द्वारा की गई रिसर्च के मुताबिक शरीर को सप्ताह में कम से कम एक दिन व्यायाम से ब्रेक अवश्य दिया जाना चाहिए. रिसर्च के अनुसार सप्ताह में एक दिन ब्रेक देकर हम व्यायाम से अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं. व्यायाम से एक दिन के ब्रेक की हमें इसलिए आवश्यकता होती है-

1. सेल्स रिपेयर होते हैं

मुख्य शोधकर्ता टेलर नॉरिस के अनुसार व्यायाम करने के दौरान हमारे शरीर की हड्डियों और मांसपेशियों पर बहुत दबाब पड़ता है जिससे उनके टूटनेफटने की संभावना बढ़ जाती है परन्तु जब हम एक दिन का ब्रेक लेते हैं तो उन्हें आराम तो मिलता ही है साथ ही शरीर उनकी मरम्मत के लिए वक़्त भी निकाल पाता है. ब्रेक न मिल पाने की स्थिति में लगातार थकावट होने से हड्डियों और मांसपेशियों में क्षरण की शिकायत उत्पन्न हो सकती है.

ये भी पढ़ें- ताकि सांसें महकती रहें

2. मांसपेशियां मजबूत होती हैं

नॉरिस के अनुसार बिना ब्रेक दिए व्यायाम करने से मांसपेशियों और हड्डियों में थकावट होती है जिससे इंसान मांसपेशियों में खिंचाव और जोड़ों में दर्द की समस्या से जूझता है और कई बार ध्यान न देने पर यह समस्या काफी गम्भीर रूप ले लेती है. वे कहते हैं एक या दो दिन के ब्रेक से मांसपेशियों को आराम मिलता है और वे पुनः मेहनत करने के लिए तैयार हो जातीं हैं.

3. मस्तिष्क को आराम मिलता है

रिसर्च के अनुसार एक्सरसाइज करते समय शरीर में स्ट्रेस हार्मोन कार्टिसोल का स्राव तीव्र हो जाता है जिससे दिमाग को संदेश जाता है कि इस समय शरीर कठिन स्थिति से गुजर रहा है और दिमाग तुरन्त ग्लूकोज को भावी इस्तेमाल के लिए सहेजना प्रारम्भ कर देता है परिणामस्वरूप फैट और कार्बोहाइड्रेट के ऊर्जा में तब्दील होने की गति बहुत धीमी पड़ जाती है और दिमाग आराम की अवस्था में आ जाता है.

4. नवीन ऊर्जा संजय कर पाता है

शोधकर्ताओं के अनुसार एक्सरसाइज से ब्रेक मांसपेशियों का घनत्व बढ़ाने में असरदार है. इससे शरीर नवीन ऊर्जा के साथ कसरत करने के लिए तैयार होता है उनके अनुसार ब्रेक के दिन अच्छी नींद लेने के साथ साथ मनपसन्द फ़िल्म या कार्य करना चाहिए जिससे शरीर में फील गुड हार्मोन का स्राव तेजी से हो और शरीर तेजी से अपनी मरम्मत का कार्य कर सके.

ये भी पढ़ें- मां बनने में न हो देरी इसलिए कराएं समय पर इलाज

5. ऊबन दूर करने के लिए

लगातार एक जैसा कार्य करने से मन ऊब जाता है. एक दिन का ब्रेक आपको नया सोचने का समय देता है और अपनी इच्छानुसार व्यायाम को और अधिक रोचक बनाने का अवसर भी देता है जिससे आप अधिक मन लगाकर कार्य कर पाते हैं.

इन 7 वर्कआउट से आसानी से घटाएं वजन

जासमीन कश्यप (गुडवेज फिटनैस)

महिलाएं एक उम्र के बाद या फिर शादी के बाद अपने शरीर के प्रति लापरवाह हो जाती हैं. नतीजा यह होता है कि या तो वे बेडौल हो जाती हैं या फिर जीवनशैली से संबंधित बीमारियों का शिकार बन जाती हैं.

यहां हम कुछ ऐसे वर्कआउट्स के बारे  में बता रहे हैं जिन्हें यदि ऐक्सपर्ट की देखरेख में किया जाए तो महिलाओं के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकते हैं:

कार्डिओ वर्कआउट:

कार्डिओ फायदेमंद है. यह वेट लौस करने में काफी मददगार है. इस से तनाव कम होता है. वर्कआउट से फेफड़ों तक औक्सीजन पहुंचने में मदद मिलती है, रक्तसंचार सही होता है, दिल मजबूत और ब्लड भी प्यूरिफाई होता है. कार्डियो वर्कआउट वजन को कम कर के बौडी में जमा अतिरिक्त फैट को कम करता है और बीमारियों से बचाता है.

अलगअलग तरह के कार्डिओ वर्कआउट से आप खुद को फिट रख सकती  हैं. मसलन:

ये भी पढ़ें- सर्दियों में शिशु की स्किन को चाहिए बहुत कुछ खास

ऐरोबिक्स:

ऐरोबिक्स आप कभी भी कहीं भी एक छोटी सी जगह पर कर सकते हैं. इस में अपनी पसंद के म्यूजिक पर कुछ स्टैप्स किए जाते हैं. ग्रेपवाइन लेग कर्ल जंपिंग जैक्स जैसे मूव्स से पूरे शरीर का वजन घटता है. पसीने के जरीए बौडी से टौक्सिन निकलना ही फैट और बीमारियों को दूर करता है. सिर्फ पसीना निकलना ही जरूरी नहीं, कड़ी मेहनत भी जरूरी है. ऐरोबिक्स वर्कआउट में आप के हार्ट रेट को लो से हाई ले जा कर एक स्तर पर मैंटैन किया जाता है, जो वेट लौस में मदद करता है.

स्ट्रैंथ वर्कआउट:

महिलाओं के लिए स्टैं्रथ वर्कआउट बहुत जरूरी भी है और ट्रैंड में भी. इस से महिलाओं में औस्टियोपोरेसिस की समस्या बहुत कम होती है. बोन डैंसिटी भी बढ़ती है. इस में बाइसैप कर्ल, ट्राइसैप ऐक्सटैंशन, हैमर कर्ल, शोल्डर प्रैस, पुशअप्स, ट्राइसैप डिप्स इत्यादि महिलाओं के लिए फायदेमंद हैं.

डांस फिटनैस:

फिटनैस डांस महिलाओं के लिए बहुत ही अच्छा है और आजकल तो यह ट्रैंड बनता जा रहा है. इस में आप भांगड़ा, बेली डांस इत्यादि पर अलगअलग तरीके से थिरक कर  30-50 मिनट तक वर्कआउट कर सकती हैं. मस्ती के साथसाथ वजन भी घट जाता है.

किकबौक्सिंग:

किकबौक्सिंग एक तरह का कार्डिओ वर्कआउट है. इस में बहुत सारी मसल्स एकसाथ इस्तेमाल होती हैं. महिलाओं में ज्यादातर अपनी आर्म्स और लैग्स को टोन करना ही मुख्य होता है. किकबौक्सिंग वैसे तो पूरे शरीर के लिए अच्छी है लेकिन यह उस पार्ट को जल्दी टोन करती है जिस से आप अपनी मनचाही कट स्लीव्स या वनपीस ड्रैस पहन सकती हैं. इस में शरीर के ऊपरी भाग के मूवमैंट्स जैब्स, क्रौस, हुक व अपरकट्स हैं तो शरीर के निचले भाग के मूवमैंट्स में नी स्ट्राइक, फ्रंट किक, राउंडहाउस किक, साइड किक, बैक किक इत्यादि शामिल हैं.

हाई इंटैंसिटी वर्कआउट:

कुछ महिलाएं अपने लिए समय नहीं निकाल पातीं जिस की वजह से वे जिम या पार्क में जा कर वर्कआउट नहीं कर पातीं. उन के लिए हाई इंटैंसिटी वर्कआउट बढि़या विकल्प है. यह बाकी वर्कआउट्स से थोड़ा मुश्किल होता है लेकिन इस से कम समय में ज्यादा वजन कम किया जा सकता है. यह मैटाबौलिज्म को तेजी से बढ़ाता है. इस वर्कआउट में कुछ हाई इंटैंसिटी ऐक्सरसाइज का चुनाव कर के उन्हें क्रम में लगा कर सैट्स में किया जाता है जैसे, जंप, स्विंग, ऐअर पुशअप्स, रौक क्लाइम्बिंग स्टार जंप, जंप हाईनीज को मिला कर 1 सैट करने के बाद इन सभी के 3 सैट या 5 सैट किए जाते हैं. हर ऐक्सरसाइज को मिनटों में या सैकंड्स के हिसाब से किया जाता है. वेट लौस और बौडी टोनिंग के लिहाज से कम समय में ज्यादा से ज्यादा वजन कम करने के लिए यह अच्छा वर्कआउट है.

ये भी पढ़ें- सेल्फ-साइकल IVF: किसे इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है?

स्टैपर वर्कआउट:

यह भी एक अच्छा विकल्प है. एक बौक्स या सीढ़ी का इस्तेमाल कर इस वर्कआउट को कर सकती हैं. स्टैमिना बढ़ाने में यह काफी मददगार है.

ऐब्स वर्कआउट:

इस में आप लैग रेज, स्क्वाट्स, क्रंचेज इत्यादि कर सकती हैं. इस से पेट, कमर व टांगों की चरबी घटेगी. महिलाओं में ज्यादातर पेट, कमर और लैग्स की चरबी ज्यादा होती है.

महिलाओं के लिए प्लैंक, सूमो स्क्वाट्स, बैक लैग किकिंग, वुड चौपर, रशियन क्रंच, प्लैंक, लैग फ्लटर इत्यादि व्यायाम बढि़या  विकल्प हैं.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें