सवाल
मैं 18 वर्षीय युवक हूं. मैं अभी तक काफी अंतर्मुखी रहा हूं. चूंकि शुरू से लड़कों के स्कूल में पढ़ा हूं, इसलिए लड़कियों के साथ बात करने से घबराता हूं. साल भर से एक लड़की से प्यार करता हूं. लड़की की गली से जब कभी गुजरना होता है तो वह दिखाई पड़ जाती है. मेरे देखने पर वह मुसकराने लगती है. मुझे लगता है वह भी मुझ से प्यार करती है. एकाध बार राह चलते भी उस से मुलाकात हुई है. पर मैं प्यार का इजहार नहीं कर पाया. डरता हूं कि कहीं वह इनकार या कोई बवाल न कर दे. मुझे क्या करना चाहिए?
जवाब
इस उम्र में अपोजिट सैक्स के प्रति आकर्षण होना स्वाभाविक है. पर सिर्फ देखने भर से उसे प्यार समझ लेना उचित नहीं है. यों तो आप की उम्र अपने कैरियर पर ध्यान देने की है, पर आप उक्त लड़की से फ्रैंडशिप करना चाहते हैं, तो इस के लिए आप को स्वयं पहल करनी होगी. उस के बाद ही मालूम चलेगा कि उस की आप में दिलचस्पी है या नहीं.
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साल 1993 में शाहरुख खान की मशहूर थ्रिलर फिल्म ‘बाजीगर’ आई थी. इस फिल्म के नायक और खलनायक शाहरुख ही बने थे. फिल्म ब्लौकबस्टर साबित हुई और शाहरुख खान रातोंरात सुपरस्टार बन गए, जिस के बाद उन के पांव कभी थमे नहीं. इस फिल्म का जिक्र करने का मकसद शाहरुख की बुलंदियों को बताने का नहीं है, बल्कि फिल्म के एक खूबसूरत गाने, ‘छिपाना भी नहीं आता, जताना भी नहीं आता…’ से है जो एक पार्टी में बज रहा होता है. यह गाना आशिकों की साइकोलौजी को दर्शाता है. अब इस गाने के बोल और उस में दिखाए कैरेक्टर हैं ही इतने दिलचस्प कि बात बननी लाजिमी है.
मामला यह है कि इस फिल्म में इंस्पैक्टर करण की भूमिका निभा रहे सिद्धार्थ रे कालेज के दिनों से ही प्रिया (काजोल) से प्यार करते थे. अपनी हथेलियों में प्रिया का नाम गुदवाए जहांतहां घूमा करते थे, चोरीचुपके उसे देखा करते थे, अंदर ही अंदर उसे अपनी प्रियतमा बना चुके थे, लेकिन जनाब कभी समय पर हाल ए दिल का इजहार ही नहीं कर पाए. फिर क्या, अजय शर्मा (शाहरुख) इतने में एंट्री मारते हैं और प्रिया के प्रेम की बाजी मार ले जाते हैं. अब ये करण जनाब पछताते हुए पूरी पार्टी में यही गाना गाते फिर रहे हैं. अजय के हाथों में प्रिया का हाथ देख रहे हैं तो खुद पर अफसोस जताते रह जाते हैं. यह तो है कि अगर करण साहब समय पर प्रिया से प्रेम का इजहार कर देते तो शायद पार्टी में अपना दुखड़ा न सुना रहे होते. हो सकता था इंस्पैक्टर करण ही बाजीगर कहलाए जाते.
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