क्या आपको भी है Digital Eye Strain, तो जानें इसका रोकथाम और उपचार

हममें से ज्यादातर लोग अपने दिन के ज्यादातर घंटे स्क्रीन के सामने बैठकर बिताते हैं. वो चाहे कंप्यूटर स्क्रीन हो या फिर मोबाइल स्क्रीन. घंटों डिजिटल स्क्रीन के सामने बैठने का सबसे बुरा असर हमारी आंखों पर पड़ता है. जिससे तनाव, अनिद्रा और कई दूसरी बीमारियों के होने की आशंका बढ़ जाती है. आंखों से जुड़ी इस तकलीफ को Digital Eye Strain कहते हैं.

Digital Eye Strain को ही पहले computer vision syndrome के नाम से जाना जाता था. यह बीमारी दिन-प्रतिदिन लोगों में बढ़ती ही जा रही है.

पहले सिर्फ कंप्यूटर पर काम होता था लेकिन अब लैपटॉप, टैबलेट्स, स्मार्ट फोन भी हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुके हैं. इन चीजों के बहुत अधिक इस्तेमाल से Digital Eye Strain की प्रॉब्लम हो जाती है.

इसकी शुरुआत आंखों में हल्के दर्द से हो सकती है. लेकिन समय रहते इलाज नहीं कराया जाए तो भविष्य में आंखों की रोशनी भी जा सकती है.

Digital Eye Strain के शुरुआती लक्षण

आंखों में खिंचाव महसूस होना, आंखों में पानी आना, दर्द होना, धुंधला दिखना, लाला होना, इसके शुरुआती लक्षण हैं. इसके साथ ही सिरदर्द और घबराहट भी हो सकती है. कई बार ये चिड़चिड़ेपन का कारण भी हो सकता है. हो सकता है सुबह उठकर आपको तकलीफ कम हो लेकिन दिन बढ़ने के साथ ही ये तकलीफ बढ़ने लगती है.

रोकथाम और उपचार

1. डिजिटल प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करना हमारी जरूरत बन चुकी है. ऐसे में हमें उनके इस्तेमाल का सही तरीका भी पता होना चाहिए. इन चीजों को आंखों के बहुत पास या दूर रखकर यूज करना खतरनाक हो सकता है.इन चीजों को एक न‍ि‍श्च‍ि‍त दूरी पर रखकर ही इस्तेमाल  करना चाहिए.

2. जिस कमरे में बैठकर आप इन चीजों का इस्तेमाल कर रहे हैं वहां पर्याप्त रोशनी होनी चाहिए. वरना आंखों पर जोर पड़ेगा.

3. ऑफिस में एसी वेंट के सामने नहीं बैठना चाहिए. इससे आंखों का पानी सूख जाता है. 20-20-20 का नियम फॉलो करना चाहिए. जो लोग ऑफिस में कंप्यूटर और लैपटॉप में देर तक काम करते हैं, उन्हें हर 20 मिनट पर 20 फीट दूर पर रखी चीज को 20 सेकंड के लिए देखना चाहिए. ये आंखों के तनाव को कम करता है.

4. स्क्रीन ज्यादा ब्राइट नहीं होनी चाहिए और फॉन्ट साइज बहुत छोटे नहीं होने चाहिए.

5. जब आप देर तक कंप्यूटर पर काम करते हैं तो आपकी पलकें एक मिनट में 6-8 बार ही झपकती हैं जबकि 16-18 बार पलकों का झपकना नॉर्मल होता है. ऐसे में आवश्यक रूप से हर छह महीने में एकबार आंखों की जांच करा लें.

कुछ दिनों से आंखों में दर्द रहता है, मैं क्या करुं?

सवाल-

मैं 24 वर्षीय युवती हूं और मेरा पूरा दिन औफिस में कंप्यूटर पर काम करते बीतता है. कुछ दिनों से मेरी आंखों में रिड़कन रहती है और कभीकभी आंखों में दर्द  होने लगता है. कृपया उचित समाधान बताएं?

जवाब-

घंटो कंप्यूटर पर काम करने वाले लोगों में ड्राई आई की समस्या आम है. दरअसल, यह समस्या कंप्यूटर स्क्रीन पर आंखें एकटक लगातार गड़ाए रखने से उपजती है. इस के फलस्वरूप पलक झपकने की कुदरती गति धीमी पड़ जाती है और आंखों की बाहरी सतह को प्राकृतिक रूप से नम रखने वाली आंसुओं की सूक्ष्म धारा टूट जाती है. नतीजतन आंखें शुष्क पड़ जाती हैं.ड्राई आई की समस्या से उबरने के लिए जरूरी है कि आप पलकें समयसमय पर झपकाती रहें. काम करते हुए बीचबीच में कुछ देर के लिए कंप्यूटर छोड़ कर कोई दूसरा काम कर लें.चाहें तो खिड़की से ही बाहर झांक लें या दूर लगी तसवीर को निहार लें. जब कभी फोन परबात कर रही हों, तो अपनी आंखें मूंद लें. इतना करने भर से आंखों की नमी लौट आएगी और उन्हें राहत मिलेगी.आंखों को नम बनाए रखने के लिए दिन में 3-4 बार आंखों में टीयरप्लस या रिफ्रैश जैल आई ड्रौप्स भी इस्तेमाल में ला सकती हैं. समस्या फिर भी जस की तस रहे तो बेहतर होगा कि किसी आंख के डाक्टर से परामर्श कर लें. 

गरमी की तपन के बाद बारिश की रिमझिम फुहारें बड़ा सुकून देती हैं. लेकिन इस मौसम में नमी और उमस बढ़ने के कारण रोगाणु और बैक्टीरिया भी बड़ी संख्या में पनपने लगते हैं. इन के कारण आंखों के संक्रमणों जैसे स्टाई, फंगल इंफेक्शन, कंजक्टिवाइटिस और दूसरी कईं समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है. आंखें हमारे शरीर का बहुत ही नाजुक और महत्वपूर्ण अंग हैं, इसलिए मानसून में हमें अपनी आंखों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. जानिए इस मौसम में आंखों की कौनकौन सी समस्याएं हो जाती हैं और इन्हें स्वस्थ्य रखने और संक्रमण से बचाने के लिए क्या करें.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

ताकि गैजेट्स का आंखों पर न हो असर

टैक्नोलौजी डिजिटलाइजेशन के इस युग में खुद को उन का मुरीद होने से रोक पाना मुश्किल है. कंप्यूटर, स्मार्टफोन, टैबलेट्स, लैपटौप्स और टैलीविजन जैसे डिजिटल डिवाइस अब सिर्फ लोगों की जरूरत नहीं रह गए हैं, बल्कि अब लोग इन के ऐडिक्ट हो चुके हैं. हमारे इस ऐडिक्शन की कीमत हमारी आंखों को चुकानी पड़ती है. इन गैजेट्स व डिवाइस के चलते हमारी आंखें न सिर्फ थक जाती हैं, बल्कि उन में जलन व लाल होने की शिकायत भी होने लगती है. ऐसी तकलीफों से बचने के लिए पेश हैं, कुछ टिप्स:

रूटीन चैकअप: अगर आप कंप्यूटर में लगातार काम करती हैं, तो साल में 1 बार नेत्रविज्ञानी के पास जरूर जाएं. अगर आप की आंखें लाल रहती हैं और उन में खुजली होती है तो समझ लीजिए कि आप की आंखों को जांच की जरूरत है.

रिड्यूस ग्लेयर: सिस्टम के मौनिटर पर ऐंटीग्लेयर स्क्रीन जरूर लगवाएं. संभव हो तो अपने आसपास की दीवारों पर गहरे रंग का पेंट करवाएं. इस से रिफ्लैक्शन की प्रक्रिया रुक जाती है, जो आप की आंखों को आराम पहुंचाती है.

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बे्रक लें: लगातार लंबे समय तक कंप्यूटर पर काम करते रहना आंखों को नुकसान पहुंचाता है. कंप्यूटर की स्क्रीन पर एकटक देर तक देखना सही नहीं है. हर 1 घंटे में कुछ मिनट का बे्रक जरूर लें.

स्पैक्ट्स में प्रोटैक्टिव लैंस का प्रयोग: सही लैंस के इस्तेमाल से आंखों को सुरक्षित रखा जा सकता है. कौंटैक्ट लैंस आंखों की नमी को बचाने का काम करते हैं. कंप्यूटर पर लगातार काम करते रहने से आंखों की नमी को नुकसान पहुंचता है. ऐसे में सही लैंस का चुनाव करना बेहद जरूरी है. इसिलोर के क्रिजाल प्रिवेंसिया आंखों के लिए बहुत लाभकारी हैं. ये लैंस कंप्यूटर और स्मार्टफोन की स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट से आंखों को बचाते हैं.

ऐक्सरसाइज आंखों की: अपनी हथेलियों को तब तक रगड़ें जब तक वे गरम न हो जाएं. इस के बाद उन्हें आंखों पर रखें. इस से आंखों को आराम मिलता है. लगातार कंप्यूटर पर काम करने व इस के प्रभाव से आंखों को बचाने के लिए आप 20-20-20 रूल फौलो कर सकती हैं. अपनी कंप्यूटर स्क्रीन से हर 20 मिनट में 20 सैकंड के लिए नजरें हटाएं तथा कंप्यूटर के बीच की दूरी कम से कम 20 इंच बनाए रखें.

सही रोशनी: बहुत ज्यादा रोशनी होने से आंखों पर तनाव पड़ता है. ऐसे में बहुत ज्यादा रोशनी वाले स्थान पर कंप्यूटर में काम न करें. फ्लोर लैंप की रोशनी कंप्यूटर पर काम करने के लिए सही रहती है.

पानी का चमत्कार: पानी वाकई चमत्कारी होता है. आंखों को दिन में कई बार पानी से धो कर आप न सिर्फ उन्हें साफ बल्कि तरोताजा भी रख सकती हैं. थोड़ेथोड़े अंतराल में पानी पीते रहने से भी आंखों को फायदा होता है. लगातार कंप्यूटर पर काम करते रहने से आंखों से किनारे पर सूजन आ जाती है. पानी पीते रहने से आप इस परेशानी से दूर रह सकती हैं.

सही पोश्चर: कंप्यूटर पर काम करने के दौरान आप के बैठने के पोश्चर से आंखों से विजन पर बहुत फर्क पड़ता है. आप के काम करने की जगह का स्ट्रक्चर व कुरसी भी आंखों पर असर डालती है. काम करने के दौरान कंप्यूटर से आप की आंखों की दूरी करीब 20 से 24 इंच होनी चाहिए और कंप्यूटर की स्क्रीन आंखों से 10 से 15 इंच नीचे होनी चाहिए. आप डैस्क लैंप भी प्रयोग कर सकती हैं, लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि लैंप की रोशनी बहुत ज्यादा  हो.

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हैल्दी डाइट: बैलेंस डाइट के जरीए आप विटामिन ए, सी और ई की कमी को दूर कर सकती हैं. ये सभी विटामिन आंखों के स्वास्थ्य के लिए जरूरी होते हैं. फल, सब्जियां खाएं. इन में टमाटर, पालक और हरी पत्तेदार सब्जियां लें. डाक्टर आंखों के स्वास्थ्य के लिए मछली खाने की सलाह भी देते हैं. इस से ओमेगा-3 मिलता है, जो आंखों के लिए अच्छा होता है.

– शिव कुमार
सीईओ, इसिलोर इंडिया

आंखों को कैसे कंप्यूटर के इस्तेमाल के बावजूद सुरक्षित रख सकती हूं?

सवाल-

मैं पेशे से एक कंटैंट राइटर हूं, इसलिए मुझे बहुत अधिक समय स्क्रीन पर लिखते हुए बिताना पड़ता है. मेरी उम्र 24 साल है. मुझे आंखों में, सिर में बहुत दर्द महसूस होता है. मैं इतनी जल्दी चश्मा नहीं लगवाना चाहती. कृपया कर के मुझे बताइए कि मैं कैसे अपने काम को बरकरार रखते हुए आंखों को भी सुरक्षित रख सकती हूं?

जवाब-

कंप्यूटर और लैपटौप के इस्तेमाल के कारण आप को कंप्यूटर विजन सिंड्रोम हो सकता है, क्योंकि एक तो कंप्यूटर से आंखों की दूरी कम रहती है, दूसरा इस दौरान आंखों की मूवमैंट भी कम होती है. आंखों और सिर में भारीपन, धुंधला दिखना, जलन होना, पानी आना, खुजली होना, आंखों का सूखा रहना, पास की चीजें देखने में दिक्कत होना, एक वस्तु का 2 दिखाई देना, अत्यधिक थकान होना, गरदन, कंधों एवं कमर में दर्द होना कंप्यूटर विजन सिंड्रोम के कुछ सामान्य लक्षण हैं.

आप को लगातार 1 घंटे से अधिक कंप्यूटर की स्क्रीन पर काम करने से बचना होगा. हर 1 घंटे के बाद आप 10 से 15 मिनट का ब्रेक जरूर लें. आंखों को आराम देना बहुत जरूरी है, क्योंकि ऐसा करने से आंखों का तनाव कम होता है. अपनी दोनों हथेलियों को आपस में रगड़ें और जब हथेलियां गरम हो जाएं तो उन्हें हलके हाथों से आंखों पर रख लें. अपनी आंखों को ठंडे पानी से अवश्य धोएं, क्योंकि आप को आंखों और सिर में दर्द की शिकायत हो रही है, इसलिए आप को किसी भी नजदीकी औप्टोमेट्री स्टोर पर जा कर अपनी आंखों की जांच जरूर करवानी चाहिए, क्योंकि समय रहते जांच करने पर सामान्य ऐक्सरसाइज और आई ड्रौप के द्वारा आप की समस्या का समाधान हो सकता है. लेकिन अगर आप जांच में देर करती हैं तो आंखों में दृष्टि दोष होने की संभावना बढ़ सकती है.

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आंखों की सुंदरता के लिए जरूरी यह है कि उस के आसपास की स्किन भी सुंदर हो. इससे आंखों की सुंदरता बढ़ जाती है. आंखों में होने वाली कुछ बीमारियों से उनके आसपास की स्किन खराब हो जाती है. इसलिए जरूरत इस बात की है कि इन बीमारियों से बचाव कर के आंखों को सुंदर बनाया जाए. ये बीमारियां किसी भी उम्र में हो सकती हैं. इनमें आदमी, औरतें और बच्चे सभी शामिल हैं. इन बीमारियों में पलकों में होने वाली रूसी, पलकों पर गांठ बनना, आंख आना, आंखों का रूखापन, डार्क सर्कल्स, भवों और पलकों के बीच चकत्तेनुमा हलके उभार प्रमुख हैं. आइए जानते हैं इन बिमारियों के बारे में…

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औनलाइन क्लास के कारण आंखों में जलन, दर्द की शिकायत पाई गई है. मुझे क्या करना चाहिए?

सवाल-

मेरे बेटे की उम्र 4 साल है, उस ने 2020 में औनलाइन क्लास के द्वारा अपनी स्कूली शिक्षा शुरू की थी, लेकिन 1 साल के भीतर ही आंखों में जलन, दर्द की शिकायत पाई गई है. मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब-

डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देशों के अनुसार, 5 साल से कम उम्र के बच्चों  को स्क्रीन के सामने नहीं बैठना चाहिए. लेकिन अब बच्चों को अपनी आंखों को लगातार स्क्रीन पर रखना पड़ता है, जिस से उन की आंखों पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है और स्वास्थ्य संबंधी अन्य समस्याएं भी पैदा होती हैं. इन के प्रभाव को कम करने के लिए आप को बच्चे को खेलखेल में आंखों की ऐक्सरसाइज करवानी चाहिए. बच्चों के लिए पलकों को लगातार झपकना एक सरल व बेहतर ऐक्सरसाइज है, जिसे आप खेलखेल में भी करवा सकती हैं. पलकों को लगातार झपकना एक सामान्य प्रक्रिया है. इस ऐक्सरसाइज से आंखें तरोताजा रहती हैं और उन से तनाव दूर होता है.

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इन दिनों पॉवर वाले चश्मे पहने बच्चों की बढ़ती संख्या को  देखकर बहुत चिंता होती है. टेक्नोलॉजी हमारी मदद करने और हमारे जीवन को सरल बनाने के लिए होती है, लेकिन बहुत से आविष्कारों ने बच्चों के स्वास्थ्य को प्रभावित किया है और उन्हें आलसी बना दिया है. कोविड-19 महामारी के दौरान ऑनलाइन क्लास के लिए गैजेट्स के सामने ज्यादातर बच्चे अपना समय बिता रहे हैं. इसकी वजह से बच्चे बाहर खेलने बहुत कम जा पा रहे हैं. लेकिन यह चीज उनके स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक है खासकरके उनकी आंख के लिए यह बहुत खतरनाक है. इसलिए यह जरूरी है कि हम उनके स्क्रीन के सामने बैठने के समय को कम करें और उन्हें ऐसी डाइट दें, जो स्वाभाविक रूप से उनकी आंखों की रोशनी में सुधार करें. उन्हें बैलेंस्ड डाइट देने के अलावा मीडियम एक्सरसाइज और नियमित आंखों की जाँच खराब दृष्टि से निपटने के लिए सरल उपाय होती हैं.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- औनलाइन स्टडी के दौरान बच्चों की आंखों का रखें ख्याल

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#lockdown: डिजिटल स्क्रीन का बढ़ा इस्तेमाल, रखें अपनी आंखों का ख्याल

कोरोना काल में अभी ज्यादातर लोग घर से काम कर रहे हैं. सुरक्षा के लिए यह जरूरी कदम है. मगर इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि इस दौरान हमारे डिजिटल स्क्रीन के इस्तेमाल के घंटे भी काफी बढ़ गए हैं. हर काम डिजिटली करना पड़ रहा है. भले ही वह मीटिंग हो कम्युनिकेशन हो या फिर दूसरे काम. आजकल तो बच्चों की पढ़ाई भी वर्चुअल ही हो रही है. ऐसे में लंबे समय तक मोबाइल, लैपटॉप या कंप्यूटर पर आंखें गड़ाए रखना आप की आंखों पर भारी पड़ सकता है.

ड्राई आंखें, आंखों से पानी आना, आंखों में लाली, दूर का दिखाई न देना, धुंधला दिखना, आंखों में जलन आदि समस्याएं पैदा हो सकती हैं.

आंखों को डिजिटल स्क्रीन से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए किन बातों का खास ध्यान रखना चाहिए, इस संदर्भ में सेंटर फॉर साइट के डायरेक्टर डॉ महिपाल सिंह सचदेव बताते हैं;

1. पलकों को झपकाते रहें

जब हम लैपटॉप या मोबाइल पर काम करते हैं तो हमारा सारा ध्यान उसी पर होता है. इस कारण देर तक हम पलकें झपकाना भूल जाते हैं. इस से आंखों पर जोर पड़ता है. पलकों को जल्दीजल्दी झपकाने से आंखों पर ज्यादा तनाव नहीं पड़ता है.

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2. स्क्रीन की ब्राइटनेस कम रखें

अक्सर लोग स्क्रीन की ब्राइटनेस बढ़ा कर रखते हैं जिस से आंखों को काफी नुकसान पहुंचता है. अधिक ब्राइटनेस के कारण आंखों में दर्द, जलन और लाली की समस्याएं पैदा होती हैं. आंखों को सुरक्षित रखने के लिए स्क्रीन की ब्राइटनेस को बैलेंस मोड में रखें. इस के अलावा यदि आप डिस्प्ले को पावर सेविंग मोड में रखते हैं तो इस से न सिर्फ आंखों को कम नुकसान पहुंचता है बल्कि डिवाइस की बैटरी भी लंबे समय तक चलती है.

3. एंटी ग्लेयर चश्मा लगाएं

डिजिटल स्क्रीन पर अधिक देर काम करना हो तो काम करते समय एंटीग्लेयर चश्मा लगा कर रखें. यह चश्मा आप की आंखों को स्क्रीन से निकलने वाली रेडिएशन से बचाता है.

4. आंखों के आराम का ख्याल

स्क्रीन पर लगातार काम करने से बचें. हर 20 मिनट में ब्रेक जरूर लें. स्क्रीन से कुछ देर के लिए नजरें हटा कर इधरउधर देखें या हौले से आंखें बंद कर लें. इस से आंखों की मांसपेशियों को आराम मिलेगा.

5. ठंडे पानी के छीटे मारें

काम के बाद आंखों में होने वाले दर्द को दूर करने के लिए आंखों पर ठंडे पानी से छीटे मारें. इस से आंखों को ठंडक मिलती है और आंखों की थकावट और लाली दूर होती है.

6. अच्छी नींद जरूरी

लैपटॉप, मोबाइल या कंप्यूटर पर काम करते समय अक्सर लोगों को समय का ख्याल नहीं रहता. ऐसे में स्वस्थ रह कर काम किया जाए इस के लिए अच्छी और भरपूर नींद लेनी आवश्यक होती है. नींद पूरी न करने से आंखों की समस्याएं गंभीर होती जाती हैं. इसलिए 7-8 घंटे की नींद जरूर लें.

7. आंखों का व्यायाम

काम के बीचबीच में आंखों का व्यायाम करते रहें. इस के लिए पहले अपनी बाईं ओर देखें फिर दाहिनी ओर देखें. इस के बाद ऊपर की ओर फिर नीचे की ओर देखें. इस व्यायाम को दिन में कम से कम 4 बार अवश्य करें.

8. कमरे की रौशनी को संतुलित रखें 

घर से काम करते समय अक्सर कुछ लोग छत पर तो कुछ अंधेरे कमरे में बैठकर आराम से काम करने को प्राथमिकता देते हैं. मगर याद रखें कि तेज़ धूप या खिड़कियों से आ रही तेज रौशनी से आंखों पर बुरा असर पड़ता है. इसी तरह अंधेरे कमरे में बैठकर काम करना भी नुकसानदेह है.
इसलिए कमरे में बैठे और कुछ पर्दों को गिरा कर रखें जिस से कमरे की रौशनी भी बनी रहे और आंखों को नुकसान भी न पहुंचे. इस के अलावा कमरे में बड़ी फ्लोरसेंट लाइट का उपयोग न करें.

9. कॉन्टेक्ट लेंस की जगह चश्मे का इस्तेमाल करें:

कोरोना के इस समय में काम करते वक्त कॉन्टेक्ट लेंस की जगह चश्मे का उपयोग बेहतर होगा. दरअसल चश्मा आंखों के बचाव के लिए एक अतिरिक्त प्रॉटेक्शन लेयर का काम करता है.

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10. पौष्टिक आहार:

आंखों की सेहत के लिए संतुलित आहार लेना जरूरी है. ऐसा भोजन लें जिस में विटामिन ए, विटामिन सी और फोलिक एसिड भरपूर मात्रा में मौजूद हों. विटामिन ए से युक्त संतरे, पालक, धनिया की पत्ती, पुदीना, मेथी, कद्दू और गाजर आंखों के लिए पोषण प्रदान करने वाले आहार हैं. इन के अलावा विटामिन सी युक्त शिमला मिर्च, हरी मिर्च, अमरूद और आंवला तथा फोलिक एसिड युक्त हरी पत्तेदार सब्जियां, पालक, अखरोट आदि खाना लाभप्रद होता है.

11. घर पर रखें आवश्यक दवाएं 

लॉकडाउन में आंखों की किसी भी समस्या से संबंधित दवाइयों की कमी न हो इस के लिए घर में आई ड्रॉप और जरूरी दवाइयां पहले ही खरीद कर रख लें.

आंखों में दर्द के कारण मुझे गहरी नींद नहीं आती, मैं क्या करूं?

सवाल-

मैं अकसर कंप्यूटर पर बहुत देर तक काम करती हूं जिस कारण आंखों में दर्द होने लगता है. इस से मुझे अच्छी गहरी नींद भी नहीं आती. मैं ऐसी क्या चीज यूज करूं कि कोई साइड इफैक्ट न पड़े?

जवाब-

गुलाबजल का आंखों पर बहुत अच्छा असर पड़ता है और यह अच्छी नींद लेने में भी मदद करता है. गुलाबजल को आंखों के लिए इस्तेमाल करने का सब से अच्छा तरीका है कि गुलाबजल में रुई भिगोएं और उसे बंद आंखों पर 15 मिनट रखा रखें. इस से बहुत राहत मिलेगी. आंखों के आसपास गुलाबजल लगाने से डार्क सर्कल्स भी दूर होते हैं और आंखों की थकान भी चली जाती है.

आयुर्वेदिक और यूनानी चिकित्सा में गुलाबजल का इस्तेमाल आंखों के इन्फैक्शन और ऐलर्जी को दूर करने के लिए किया जाता है.

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जिंदगी की दौड़धूप में दिन भर का थका इंसान जब रात में बिस्तर पर लेटता है, तो उस की ख्वाहिश होती है सुकून भरी मीठी नींद की. गहरी और आरामदायक नींद दिन भर की थकान दूर कर शरीर में नई ताजगी भर देती है.

एक तंदुरुस्त इंसान के लिए 5-6 घंटे की नींद काफी है, जबकि छोटे बच्चों के लिए 10-12 घंटे की नींद जरूरी होती है. बुजुर्गों के लिए 4-5 घंटे की नींद भी काफी है.

रात में अच्छी नींद न आने से कई तरह की शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है. आंखों के नीचे काले घेरे, खर्राटे, चिड़चिड़ापन और एकाग्रता में कमी, निर्णय लेने में दिक्कत, पेट की गड़बड़ी, उदासी, थकान जैसी परेशानियां सिर उठा सकती हैं.

नींद न आने के कारण

नींद न आने के बहुत से कारण हो सकते हैं जैसे चिंता, तनाव, निराशा, रोजगार से जुड़ी परेशानियां, मानसिक और भावनात्मक असुरक्षा वगैरह.

इस के अलावा तय समय पर न सोना, चाय या कौफी का ज्यादा सेवन, कोई तकलीफ या बीमारी, देर से खाना या भूखा सो जाना, देर रात तक टीवी, इंटरनैट और मोबाइल फोन से चिपके रहना, दिन भर कोई काम न करना आदि कारण भी अनिद्रा की वजह बन सकते हैं.

कैसे आएगी मीठी नींद

– जिन्हें दिन में बारबार चाय या कौफी पीने की आदत होती है वे रात में जल्दी नहीं सो पाते. चाय या कौफी में मौजूद कैफीन नींद में बाधा पैदा करती है, इसलिए खास कर सोने से तुरंत पहले इन का सेवन कतई नहीं करना चाहिए.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- तो आएगी गहरी नींद

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