Pregnancy के बाद महिलाओं में आंखों की समस्या को न करें नजरअंदाज

प्रेगनेंसी के समय महिलाओं में कई प्रकार के हार्मोनल परिवर्तन होते रहते है,जिससे मानसिकऔर शारीरिक बदलाव कुछ न कुछ होते है. एक बदलाव आँखों की समस्या का होता है, जिसमें किसी-किसी महिला को धुंधला दिखाई पड़ता है या आँखों की रौशनी कम हो जाती है. पहले इसे समझना मुश्किल होता है, क्योंकि अधिकतर बढती उम्र के साथ ही महिलाओं में आंखो की समस्या दिखाई पड़ती है, इसलिए गर्भावस्था में आँखों की रौशनी कम होने पर भी महिलाएं इग्नोर करती है. इससे बाद में आँखों की समस्या बढ़ जाती है.

करवाएं जाँच धुंधलेपन की

मुंबई की अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल की नेत्र विशेषज्ञ,डॉ. पल्लवी बिप्टे का इस बारें में कहना है कि असल में गर्भावस्था के दौरान हॉर्मोनल बदलाव के कारण कुछ महिलाओं को आंखो की समस्या का सामना करना पडता है.हालाँकि यह बदलाव अधिकतर अस्थायी होता है, लेकिन कई बार ये गंभीर भी हो सकती है, इसलिए गर्भावस्था में महिलाओं को अपनी आंखो की सेहत का ख्याल रखना जरूरी है.नई माओं को आंखो से धुंधलापन दिखने पर तुरंत उसकी जांच करवा लेना आवश्यक होता है.बढ़ना मात्रा

टिश्यूज में फ्लूइड की मात्रा का बढ़ना

विशेषज्ञों के अनुसार, गर्भावस्था या फिर प्रसव के बाद हॉर्मोन्स के कारण कर्ई बार टिश्यूज में फ्लूड की मात्रा बढने से आँखों की पुतली का आकार बदल सकता है, जिससे महिला को ठीक से दिखाई नहीं पड़ती, आंखो में ड्राईनेस की समस्या भी हो सकती है. इसके अलावा आँखों का लाल होना, आंखो से पानी आना, जलन होना आदि कई समस्याएं हो सकती है.अगर किसी महिला को गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज की समस्या है, तो रेटिना में बदलाव होने की समस्या हो सकती है. इससे भी महिला को धुंधला दिखता है. यह समस्या अधिकतर महिलाओं को गर्भावस्था के दूसरी तिमाही में होती है.समय पर सही इलाज न मिलने पर गर्भावस्था के तीसरी तिमाही और प्रसव के बाद यह समस्या बढ सकती है.

समस्या उच्च रक्तचाप की

इसके आगे डॉक्टर कहती है कि कुछ महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप की समस्या होती है. इसे प्रीक्लैंप्सिया कहा जाता है.इसमें गर्भवती महिला का ब्‍लड प्रेशर लेवल बढ़ जाता है और किडनी असामान्‍य रूप से कार्य करने लगती है. जिसके कारण आंखो में धुंधलापन छा जाता है. इसलिए प्रेगनेंसी में महिलाओं को अपने ब्‍लड प्रेशर लेवल पर नजर रखनी चाहिए.इसके अलावा काफी कम महिलाओं को प्रसव के बाद पिट्यूटरी एडिनोमा की शिकायत होती है. इसमें महिलाओं के शरीर की पिट्यूटरी ग्रंथि में ट्यूमर विकसित होने लगती है,इससे शरीर में हार्मोंस के स्राव की सामान्‍य क्रिया में रुकावट आती है जो कि प्रेगनेंसी के बाद आंखों से संबंधित समस्‍याओं का कारण बन सकती है.

समस्या वाटर रिटेंशन की

गर्भावस्था में वाटर रिटेंशन यानि जल जमाव के कारण, कॉर्निया सूज जाता है और दृष्टि धुंधली हो जाती है. इसके अलावा गर्भावस्था में, आंसू का उत्पादन कम होता है और आंखों में सूखापन होता है.इसमें प्री-एक्लेमप्सिया या उच्च रक्तचाप से धुंधली दृष्टि, प्रकाश की चमक, फ्लोटर्स और यहां तक अस्थायी अंधापन भी हो सकता है. हालाँकि आंखों की अधिकांश समस्याएं अस्थायी होती है और गंभीर नहीं होती, लेकिन प्रसव के बाद में या पहले, आँखों में किसी भी लक्षण के नजर आने पर तुरंत नेत्र रोग विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए, जो निम्न है.

लक्षण

  • किसी चीज का डबल दिखाई देना,
  • आंखों में दर्द होना,
  • आंखो में खुजली होना,
  • धुंधलापन या चक्कर का आना,
  • अक्षर को पढ़ने में कठिनाई महसूस करना,
  • आंखों पर दबाव महसूस होना,
  • प्रकाश में आते ही आंखों पर इसका प्रभाव पड़ना आदि कई है.

आंखो की समस्या का ध्यान

  • आंखो में समस्या दिखाई दे, तो तुरंत विशेषज्ञ की सलाह से आईड्रॉप का इस्तेपाल करें,
  • अगर यह समस्या पिट्यूटरी ग्रंथि के कारण हो रही है, तो डॉक्टर इसके लिए एस्ट्रोजन हार्मोन के विकास के कारण होने वाले ट्यूमर को रोकने की दवाई का देना,
  • वजन पर नियंत्रण रखना और अपना ब्लडप्रेशर को एक नियमित अंतराल पर चेक करवाते रहना,
  • शुगर लेवर पर अधिक ध्यान देना, ताकि जेस्टेशनल डायबिटीज से बचाव हो सके.

इसलिए अचानक नजर में धुंधलापन या डबल दिखने लगे, तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेकर दवाई लेना आवशयक है, ताकि समय रहते आँखों का इलाज कर लिया जाय.

Winter Special: इस तरह करें आंखों की देखभाल

आंखों को स्वस्थ व चमकदार बनाए रखने के लिए उन की नियमित देखभाल जरूरी है. इन की छोटी से छोटी परेशानी भी सीधे हमारी दूर व पास की चीजें देखने की क्षमता को प्रभावित करती है. परिणामस्वरूप हम अपने रोजमर्रा के काम उतनी फुरती और दक्षता से नहीं कर पाते जितना कि पहले कर पाते थे. आंखों की उचित देखभाल न होने पर कुछ लोग अंधेपन के शिकार भी हो जाते हैं.

अगर आप की आंखें पूर्णतया स्वस्थ हैं, तो भी आप को उन की देखभाल करने की जरूरत है ताकि नजर कमजोर होने पर महंगे उपकरणों यानी चश्मा व कौंटैक्ट लैंस वगैरह व महंगे उपचार जैसे कि सर्जरी आदि से बचा जा सके. वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. विष्णु गुप्ता से हुई बातचीत के आधार पर हम आप को नेत्र रोगों से बचने के कुछ टिप्स बता रहे हैं:

पढ़ते समय

पढ़ते समय सब से ज्यादा काम आंखों को करना पड़ता है. इसलिए पढ़ते समय निम्न बातों का ध्यान रखें ताकि आप की आंखों पर अतिरिक्त दबाव न पड़े:

कभी भी कमर के बल सीधे लेट कर या फिर अधलेटी मुद्रा में न पढ़ें. यह पोस्चर हमारी आंखों को प्रभावित करता है.

किताब और आंखों के बीच की दूरी कम से कम 25 सैंटीमीटर होनी चाहिए.

ध्यान रहे, पढ़ने के लिए पर्याप्त रोशनी होनी आवश्यक है. धुंधली रोशनी में पढ़ने का प्रयास न करें. इस से आंखों पर अधिक जोर पड़ता है.

चलती बस या ट्रेन में पुस्तक या अखबार न पढ़ें.

पढ़ते समय हमारी आंखें अधिक सक्रिय रहती हैं. इसी सक्रियता के चलते पढ़ते समय हमारी पलकें झपकने का औसत सामान्य औसत से काफी कम हो जाता है. सामान्य स्थिति में हम प्रति मिनट 22 बार पलक झपकाते हैं, लेकिन पढ़ते समय यह औसत सिर्फ 10-12 ही रह जाता है. पलक झपकाने का औसत घटते ही आंखों में आने वाले आंसुओं की परत उड़ने लगती है और वे सूखेपन का शिकार हो जाती हैं. जिस के परिणामस्वरूप आंखों में खुजली और जलन के साथसाथ पानी आने की शिकायत भी हो सकती है.

अगर आप को लगतार कई घंटे पढ़ना है तो बीचबीच में 5 से 10 मिनट तक पढ़ाई रोक कर आंखों को आराम अवश्य दें. आंखों को कई बार झपकें. आंखों को बंद रखते हुए आईबौल्स (नेत्रगोलक) को गोलगोल घुमाएं.

किसी दूर रखी वस्तु को टारगेट बना कर उसे देर तक देखें, इस से आप की फोकस करने की शक्ति बढ़ेगी.

टैलीविजन देखते समय

टैलीविजन देखने के लिए कम से कम 6 फुट की दूरी पर बैठें.

अगर आप को अधिक समय कंप्यूटर पर काम करना होता है, तो ऐंटीरिफ्लैक्शन कोटेड ग्लासेज का प्रयोग करें. इस से आंखों पर अधिक जोर नहीं पडे़गा.

टैलीविजन देखते व कंप्यूटर पर काम करते समय भी हमारा पलकें झपकाने का औसत बहुत कम हो जाता है, जिस से आंखें सूखेपन का शिकार हो सकती हैं. इस से बचने के लिए खाने में चिकनाई का प्रयोग अधिक करें.

बीचबीच में काम रोक कर आंखें बंद कर थोड़ी देर के लिए उन्हें आराम दें.

दुपहिया वाहन चलाते समय धूल व मिट्टी के कणों व तेज रोशनी से आंखों को बचाने के लिए ऐंटीग्लेयर चश्मा जरूर पहनें.

अगर आप कैमिकल से जुड़ा कोई काम करते हैं, तो काम करते समय अपनी आंखों पर हमेशा गौगल्स पहनें और कैमिकलों के बहुत पास न जाएं.

थकान दूर करने के लिए

दिन में 2-3 बार आंखों पर ठंडे पानी से छींटे मारें.

अपनी दोनों हथेलियों को तब तक रगड़ें जब तक कि वे गरम न हो जाएं और फिर उन्हें 60 सैकंड तक अपनी आंखों पर रखें. इस दौरान अपने मन में 1 से 60 तक गिनती गिनें. इस क्रिया को 2-3 बार दोहराएं. इस से आप की थकी हुई आंखों को राहत मिलेगी.

जब भी घर से बाहर जाएं, हरेभरे पेड़पौधों को एकटक देखें. हरा रंग आंखों को बहुत सुकून देता है.

अगर आप ज्यादा समय तक ऐयरकंडीशन में बैठती हैं तो पानी की कमी से आंखें सूजीसूजी सी लगती हैं, इसलिए ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं. दिन में कम से कम 10 गिलास.

हर प्रकार से स्ट्रैस से बचें, क्योंकि यह सीधा आंखों पर असर करता है.

खानपान

आंखों में चमक लाने के लिए भोजन में विटामिन ए, सी और ई अधिक मात्रा में लें. यानी रसदार फल, पपीता, हरी पत्तेदार सब्जियां, टमाटर, गाजर, खीरा, अंडे, मछली, दूध आदि.

खाने में कार्बोहाइड्रेट अधिक मात्रा में लें. कम कार्बोहाइड्रेट वाली डाइट लेने से शरीर में पानी की मात्रा कम हो जाती है, जिस से आंखों की चमक पर असर पड़ता है. अगर आप कम कार्बोहाइड्रेट वाली डाइट ले रही हैं तो दिन में कम से कम 10 गिलास पानी अवश्य पीएं.

घरेलू नुसखे

आंखों पर कच्चे आलू के गोल टुकड़े रख कर 20 मिनट तक आंखें बंद कर लेटें. इस से आंखों के आसपास के काले घेरे भी दूर हो जाएंगे.

2 वेस्ट टी बैग्स प्रयोग के बाद सुबह काम पर निकलते समय फ्रिज में रख दें. घर लौटने पर उन टी बैग्स को बंद आंखों पर रख कर थोड़ी देर आराम करें, कम से कम 15 मिनट तक.

दिन भर की थकी आंखों को आराम देने के लिए ठंडे दूध में भीगे व निचुड़े हुए कौटन पैड आंखों पर रखें. ठंडे पानी में या फिर कुनकुने पानी में भीगे कौटन पैड भी निचोड़ कर आंखों पर रख सकती हैं.

खीरे के गोल टुकड़े भी 20 मिनट तक आंखों पर रखे जा सकते हैं.

1 चम्मच सूखा आंवला रात भर पानी में भिगो कर रखें और अगले दिन सुबह मलमल के कपड़े से छान कर इस पानी में 1 कप पानी और मिला कर इस पानी से रोज आंखें धोएं.

अगर आप की आंखें सूजी रहती हैं, तो एक आलू को छिलके सहित रगड़ कर बंद आंखों पर 20 मिनट तक रखें.

अगर आप की आंखें लाल हैं और उन में जलन महसूस हो रही है, तो सिर की दही से मालिश करें.

मेकअप

वैसे तो जहां तक संभव हो, आंखों में सुरमा, काजल, आईलाइनर, मसकारा आदि नहीं लगाना चाहिए. लेकिन आजकल तो मेकअप के बिना जैसे जीवन अधूरा है, इसलिए मेकअप का सामान खरीदते व लगाते समय निम्न बातों का ध्यान रखें:  आंखें बहुत संवेदनशील होती हैं, इसलिए आई मेकअप के सामान को ले कर कोई समझौता न करें. हमेशा किसी अच्छी कंपनी का सामान ही उपयोग करें.

परफ्यूम आंखों को नुकसान पहुंचाता है. इसलिए उसे लगाते समय ध्यान रखें कि उस के छींटे आंखों में न पड़ें. कानों के पीछे परफ्यूम का प्रयोग न करें.

सोने से पहले अपने चेहरे को अच्छी तरह से धोएं. ध्यान रहे कि सोते समय आप के चेहरे पर कोई मेकअप नहीं होना चाहिए, क्योंकि मेकअप में प्रयोग क्रीम, आईशैडो, आईलाइनर, काजल आदि हमारी त्वचा व आंखों को नुकसान पहुंचाते हैं. इसलिए घर पहुंचते ही तुरंत मेकअप को हटा दें. सोते समय चेहरा धोने के बाद सिर्फ अच्छी किस्म की नाइटक्रीम का ही प्रयोग करें.

अन्य ध्यान देने योग्यबातें

आंखों का कोई भी ड्रौप खरीदते समय उस की ऐक्सपाइरी डेट अवश्य चैक करें.

आंखों की दवा की शीशी का प्रयोग खोलने की तिथि से 1 महीने के भीतर ही करें.

अगर आप की आंखें स्वस्थ हैं तब भी साल में 1 बार उन्हें आंखों के विशेषज्ञ से अवश्य चैक करवाएं. अगर आप की दूर की या फिर नजदीक की नजर कमजोर है, आप चश्मे या फिर कौंटैक्ट लैंस का प्रयोग करती हैं तो हर 6 महीने बाद अपनी आंखें टैस्ट करवाएं. नंबर बदलने पर तुरंत चश्मा बदलें.

Monsoon Special: आंखों की सुरक्षा है जरुरी

अगर मौनसून में आंखों का ठीक प्रकार से ध्यान न रखा जाए तो उन में कई समस्याएं हो जाती हैं. मसलन, आंखों का सूजना, लाल होना, आंखों का संक्रमण भी हो सकता है. कंजक्टिवाइटिस, आई स्टाई, ड्राई आईज के साथसाथ कौर्नियल अल्सर होने का भी खतरा बढ़ जाता है.

मौनसून में होने वाली आंखों की प्रमुख समस्याएं हैं:

  1. कंजक्टिवाइटिस: कंजक्टिवाइटिस में आंखों के कंजक्टाइवा में सूजन आ जाती है. उन में जलन महसूस होती है. आंखों से पानी जैसा पदार्थ निकलने लगता है.

कारण: फंगस या वायरस का संक्रमण, हवा में मौजूद धूल या परागकण, मेकअप प्रोडक्ट्स.

उपचार: अगर आप कंजक्टिवाइटिस के शिकार हो जाएं तो हमेशा अपनी आंखों को ठंडा रखने के लिए गहरे रंग के ग्लासेज पहनें. अपनी आंखों को साफ रखें. दिन में कम से कम 3-4 बार ठंडे पानी के आंखों को छींटे दें. ठंडे पानी से आंखें धोने से रोगाणु निकल जाते हैं. अपनी निजी चीजें जैसे टौवेल, रूमाल आदि किसी से साझा न करें. अगर पूरी सावधानी बरतने के बाद भी आंखें संक्रमण की चपेट में आ जाएं तो स्विमिंग के लिए न जाएं. कंजक्टिवाइटिस को ठीक होने में कुछ दिन लगते हैं. बेहतर है कि किसी अच्छे नेत्ररोग विशेषज्ञ को दिखाया जाए और उचित उपचार कराया जाए.

2. कौर्नियल अल्सर: आंखों की पुतलियों के ऊपर जो पतली झिल्ली या परत होती है उसे कौर्निया कहते हैं. जब इस पर खुला फफोला हो जाता है, तो उसे कौर्नियल अल्सर कहते हैं. कौर्नियल अल्सर होने पर आंखों में बहुत दर्द होता है, पस निकलने लगता है, धुंधला दिखाई देने लगता है.

कारण: बैक्टीरिया, फंगस या वायरस का संक्रमण.

उपचार: यह आंखों से संबंधित एक गंभीर समस्या है. इस में डाक्टर से मिल कर तुरंत उपचार की आवश्यकता होती है.

3. ड्राई आईज: इस में आंखें लगातार आंसुओं का निर्माण करती हैं ताकि उन में नमी बनी रहे और ठीक प्रकार से दिखाई दे. इस के कारण अंतत: आंसुओं का प्रवाह असंतुलित हो जाता है, जिस के कारण आंखें ड्राई हो जाती हैं. ड्राई आईज की समस्या हर मौसम में होती है, लेकिन बरसात में यह समस्या अधिक बढ़ जाती है.

कारण: हवा, धूल और ठंडी हवा के संपर्क में अधिक रहना.

उपचार: इस का सब से बेहतर उपचार डाक्टर द्वारा सुझाए आई ड्रौप्स का इस्तेमाल करना है. अगर समस्या तब भी बनी रहे तो तुरंत किसी अच्छे नेत्ररोग विशेषज्ञ को दिखाएं.

4. आई स्टाई: आई स्टाई को सामान्य बोलचाल की भाषा में आंख में फुंसी होना कहते हैं. यह मौनसून में आंखों में होने वाली एक प्रमुख समस्या है. यह समस्या पलकों पर एक छोटे उभार के रूप में होती है. आमतौर पर यह समस्या आंखों को गंदे हाथों से रगड़ने से होती है या फिर नाक के बाद तुरंत आंखों को छूने से भी होती है. कुछ बैक्टीरिया जो नाक में पाए जाते हैं वे भी आई स्टाई का कारण बनते हैं.

कारण: मौनसून में बैक्टीरिया का संक्रमण.

उपचार: आईड्रौप्स और दूसरी दवाएं

मौनसून में आंखों की सुरक्षा

  1. आंखों को छूने से पहले हमेशा अपने हाथ धोएं.
  2. जब भी बाहर जाएं अपने साथ ऐंटीबैक्टीरियल लोशन जरूर रखें.
  3.  अगर कौंटैक्ट लैंस लगाते हैं, तो किसी के भी साथ अपना लैंस सौल्यूशन साझा न करें.
  4. नाखून छोटे रखें, क्योंकि बड़े नाखूनों में धूल जमा हो जाती है, जो फिर जब आंखें सीधे हाथों के संपर्क में आती हैं, तो धूल उन में जा सकती है.
  5.  ऐक्सपाइरी डेट के प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल न करें.
  6. आंखों के संक्रमण के दौरान मेकअप प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल न करें.
  7.  इस दौरान कौंटैक्ट लैंस न लगाएं.
  8.  धूल भरी आंधी, बारिश और तेज हवाओं से आंखों को सुरक्षित रखने के लिए ग्लासेज का इस्तेमाल करें.

Summer Special: आंखें रहेंगी हैल्दी और खूबसूरत

आंखें शरीर का बहुत नाजुक और आवश्यक हिस्सा हैं. इन के प्रति जरा सी भी लापरवाही गंभीर रूप ले सकती है. इन का ध्यान न रखने पर कई रोग हो सकते हैं, स्थायी रूप से रोशनी तक जा सकती है. आंखों के अंदर अनेक बेहद छोटी रक्तवाहिनियां होती हैं, जिन्हें क्षति पहुंचने से कई बार रक्त निकल जाता है और आंखें लाल हो जाती हैं. वैसे आंखों के लाल होने के कई कारण हो सकते हैं. कंजक्टिवाइटिस, ऐक्यूट आइराइडोसाक्लाइटिस, ऐक्यूट कंजसटिव ग्लूकोमा, स्क्लेराइटिस रिफ्रैक्टिव खराबियां, आंखों में कुछ पड़ जाना या चोट लगना आदि.

जब आंख में कुछ पड़ जाए

आंख में कुछ पड़ जाने पर आंख को रगड़ें नहीं. सब से पहले साफ पानी से धोएं. कोई चीज आंख में पड़ी दिखे तो उसे साफ रुई या रूमाल से निकालें. उस के बाद भी अगर कोई परेशानी रहे, तो नेत्र विशेषज्ञ से परामर्श लें. आंख की छोटी से छोटी चोट की भी उपेक्षा न करें. तुरंत नेत्र विशेषज्ञ की सलाह लें.

आंखों की देखभाल

संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में न आएं. उस से हाथ न मिलाएं और उस के तौलिए, रूमाल का प्रयोग न करें. अधिक धूलमिट्टी वाले स्थानों में धूप के चश्मे का प्रयोग करें. स्विमिंग पूल या किसी सार्वजनिक स्थान पर नहाने के बाद आंखों को शुद्ध पानी से धोएं. दिन में कम से कम 2 बार आंखों को ठंडे पानी से धोएं. लेट कर न पढ़ें. सूर्य और तेज प्रकाश आदि को सीधे न देखें, क्योंकि इन से आंखों पर जोर पड़ता है.

आंखें और हमारा आहार

आंखों की सेहत और खूबसूरती बनाए रखने में आहार का महत्त्वपूर्ण रोल है, जो लोग ज्यादा देर तक, बहुत ज्यादा या कम रोशनी में काम करते हैं, उन्हें अपनी आंखों का खास खयाल रखना चाहिए. विटामिन ए आंखों की रोशनी के लिए बहुत जरूरी है और यह हमें अपने भोजन में जरूर लेना चाहिए. यह पाया जाता है दूध, दही, अंडे, हरी पत्ते वाली सब्जियों, गाजर, आम, पपीता, संतरा, खरबूजा आदि में. आंखों के लिए विटामिन बी भी बहुत जरूरी है जोकि दालों, केले, टमाटर, हरी सब्जियों में पाया जाता है. अपनी आंखों के स्वास्थ्य के लिए एक साधारण व्यक्ति को 10 हजार यूनिट विटामिन रोज लेना चाहिए.

आंखों की सुंदरता के लिए व्यायाम

अपनी आंखों को खोलें और बंद करें. थोड़ा विश्राम देने के बाद आंखें फिर खोलें. इस क्रिया को कम से कम 5 बार दोहराएं.

सिर को घुमाए बिना आंखों को बायीं ओर घुमाएं और फिर जहां तक देख सकें देखें. इस के बाद आंखों को सीध में ले आएं. अब आंखों को दाहिनी ओर घुमा कर जितना अधिक दाएं देख सकें देखें. इस क्रिया को 10 बार दोहराएं.

सिर को स्थिर रख कर यथासंभव अधिक से अधिक ऊपर देखें. इस के बाद नीचे देखें. इस क्रिया को 10 बार दोहराएं.

किसी पौधे को सामने रख कर कुछ देर नजर गड़ा कर उसे देखें. थोड़ी देर बाद पौधे की पत्तियों पर नजर घुमाएं. इस क्रिया को कम से कम 10 मिनट रोज करें.

– डा. अनामिका प्रकाश श्रीवास्तव

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आंखों को कैसे कंप्यूटर के इस्तेमाल के बावजूद सुरक्षित रख सकती हूं?

सवाल-

मैं पेशे से एक कंटैंट राइटर हूं, इसलिए मुझे बहुत अधिक समय स्क्रीन पर लिखते हुए बिताना पड़ता है. मेरी उम्र 24 साल है. मुझे आंखों में, सिर में बहुत दर्द महसूस होता है. मैं इतनी जल्दी चश्मा नहीं लगवाना चाहती. कृपया कर के मुझे बताइए कि मैं कैसे अपने काम को बरकरार रखते हुए आंखों को भी सुरक्षित रख सकती हूं?

जवाब-

कंप्यूटर और लैपटौप के इस्तेमाल के कारण आप को कंप्यूटर विजन सिंड्रोम हो सकता है, क्योंकि एक तो कंप्यूटर से आंखों की दूरी कम रहती है, दूसरा इस दौरान आंखों की मूवमैंट भी कम होती है. आंखों और सिर में भारीपन, धुंधला दिखना, जलन होना, पानी आना, खुजली होना, आंखों का सूखा रहना, पास की चीजें देखने में दिक्कत होना, एक वस्तु का 2 दिखाई देना, अत्यधिक थकान होना, गरदन, कंधों एवं कमर में दर्द होना कंप्यूटर विजन सिंड्रोम के कुछ सामान्य लक्षण हैं.

आप को लगातार 1 घंटे से अधिक कंप्यूटर की स्क्रीन पर काम करने से बचना होगा. हर 1 घंटे के बाद आप 10 से 15 मिनट का ब्रेक जरूर लें. आंखों को आराम देना बहुत जरूरी है, क्योंकि ऐसा करने से आंखों का तनाव कम होता है. अपनी दोनों हथेलियों को आपस में रगड़ें और जब हथेलियां गरम हो जाएं तो उन्हें हलके हाथों से आंखों पर रख लें. अपनी आंखों को ठंडे पानी से अवश्य धोएं, क्योंकि आप को आंखों और सिर में दर्द की शिकायत हो रही है, इसलिए आप को किसी भी नजदीकी औप्टोमेट्री स्टोर पर जा कर अपनी आंखों की जांच जरूर करवानी चाहिए, क्योंकि समय रहते जांच करने पर सामान्य ऐक्सरसाइज और आई ड्रौप के द्वारा आप की समस्या का समाधान हो सकता है. लेकिन अगर आप जांच में देर करती हैं तो आंखों में दृष्टि दोष होने की संभावना बढ़ सकती है.

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आंखों की सुंदरता के लिए जरूरी यह है कि उस के आसपास की स्किन भी सुंदर हो. इससे आंखों की सुंदरता बढ़ जाती है. आंखों में होने वाली कुछ बीमारियों से उनके आसपास की स्किन खराब हो जाती है. इसलिए जरूरत इस बात की है कि इन बीमारियों से बचाव कर के आंखों को सुंदर बनाया जाए. ये बीमारियां किसी भी उम्र में हो सकती हैं. इनमें आदमी, औरतें और बच्चे सभी शामिल हैं. इन बीमारियों में पलकों में होने वाली रूसी, पलकों पर गांठ बनना, आंख आना, आंखों का रूखापन, डार्क सर्कल्स, भवों और पलकों के बीच चकत्तेनुमा हलके उभार प्रमुख हैं. आइए जानते हैं इन बिमारियों के बारे में…

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पढ़ाई और मनोरंजन के लिए मोबाइल के इस्तेमाल से आंखों को नुकसान हो रहा है?

सवाल-

मेरी उम्र 22 साल है. कोविड-19 के कारण लगे लौकडाउन के दौरान मेरा कालेज हमें औनलाइन क्लासेज दे रहा है जिस के लिए मैं लैपटौप का इस्तेमाल करता हूं. इस के बाद मैं मनोरंजन के लिए भी मोबाइल और लैपटौप का इस्तेमाल करता हूं. अब मेरी आंखों में मुझे समस्या होने लगी है जैसे कि दर्द और जलन. मुझे बताएं ऐसा क्यों हो रहा है और इन से छुटकारा कैसे पाऊं?

जवाब-

आप के द्वारा बताई गई समस्या से पता चलता है कि आप को ड्राई आई सिंड्रोम की समस्या है. लैपटौप की स्क्रीन का ज्यादा देर तक देखने से ड्राई आई यानी कि आंखों में सूखेपन की समस्या होती है.

इस सूखेपन के कारण ही आंखें में खुजली, दर्द और जलन का एहसास होता है. ऐसे में व्यक्ति खुजली दूर करने के लिए आंखों को तेजी से मलने लगता है, जिस से समस्या और अधिक बढ़ती है.

यदि आप को वाकई इस समस्या से छुटकारा पाना है तो सब से पहले तो मोबाइल या लैपटौप का इस्तेमाल कम कर दें. केवल जरूरत पड़ने पर ही इन का इस्तेमाल करें. लैपटौप को चलाते वक्त पलकों की जल्दीजल्दी झपकाएं. बीचबीच में ब्रैक लें और 20 फीट की दूरी पर रखें.

लैपटौप की ब्राइटनैस कम रखें और काम खत्म हो जाने के बाद आंखों पर ठंडे पानी के छींटे मारें. इस के बाद कुछ देर आंखों को बंद करें. इस से आंखों को आराम मिलेगा. अपने खानपान पर ध्यान दें और ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं.

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वर्क फ्रौम होम यानी घर बैठे नौकरी करें. जी हां, कुछ काम ऐसे होते हैं जिन्हें घर बैठे किया जा सकता है. आप दुनिया में कहीं भी हों, इंटरनैट और वाईफाई की सहायता से इन कामों को बखूबी कर सकती हैं. इस से काम देने वाले और काम करने वाले दोनों को लाभ है. खासकर ऐसी मांएं या पिता अथवा दोनों के लिए जो अपने बच्चों पर ज्यादा ध्यान देना चाहते हैं. पहले यह सुविधा पश्चिमी विकसित देशों तक ही सीमित थी. मगर अब हमारे देश में इंटरनैट और वाईफाई के विस्तार के कारण वर्क फ्रौम होम यहां भी संभव है.

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#lockdown: डिजिटल स्क्रीन का बढ़ा इस्तेमाल, रखें अपनी आंखों का ख्याल

कोरोना काल में अभी ज्यादातर लोग घर से काम कर रहे हैं. सुरक्षा के लिए यह जरूरी कदम है. मगर इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि इस दौरान हमारे डिजिटल स्क्रीन के इस्तेमाल के घंटे भी काफी बढ़ गए हैं. हर काम डिजिटली करना पड़ रहा है. भले ही वह मीटिंग हो कम्युनिकेशन हो या फिर दूसरे काम. आजकल तो बच्चों की पढ़ाई भी वर्चुअल ही हो रही है. ऐसे में लंबे समय तक मोबाइल, लैपटॉप या कंप्यूटर पर आंखें गड़ाए रखना आप की आंखों पर भारी पड़ सकता है.

ड्राई आंखें, आंखों से पानी आना, आंखों में लाली, दूर का दिखाई न देना, धुंधला दिखना, आंखों में जलन आदि समस्याएं पैदा हो सकती हैं.

आंखों को डिजिटल स्क्रीन से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए किन बातों का खास ध्यान रखना चाहिए, इस संदर्भ में सेंटर फॉर साइट के डायरेक्टर डॉ महिपाल सिंह सचदेव बताते हैं;

1. पलकों को झपकाते रहें

जब हम लैपटॉप या मोबाइल पर काम करते हैं तो हमारा सारा ध्यान उसी पर होता है. इस कारण देर तक हम पलकें झपकाना भूल जाते हैं. इस से आंखों पर जोर पड़ता है. पलकों को जल्दीजल्दी झपकाने से आंखों पर ज्यादा तनाव नहीं पड़ता है.

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2. स्क्रीन की ब्राइटनेस कम रखें

अक्सर लोग स्क्रीन की ब्राइटनेस बढ़ा कर रखते हैं जिस से आंखों को काफी नुकसान पहुंचता है. अधिक ब्राइटनेस के कारण आंखों में दर्द, जलन और लाली की समस्याएं पैदा होती हैं. आंखों को सुरक्षित रखने के लिए स्क्रीन की ब्राइटनेस को बैलेंस मोड में रखें. इस के अलावा यदि आप डिस्प्ले को पावर सेविंग मोड में रखते हैं तो इस से न सिर्फ आंखों को कम नुकसान पहुंचता है बल्कि डिवाइस की बैटरी भी लंबे समय तक चलती है.

3. एंटी ग्लेयर चश्मा लगाएं

डिजिटल स्क्रीन पर अधिक देर काम करना हो तो काम करते समय एंटीग्लेयर चश्मा लगा कर रखें. यह चश्मा आप की आंखों को स्क्रीन से निकलने वाली रेडिएशन से बचाता है.

4. आंखों के आराम का ख्याल

स्क्रीन पर लगातार काम करने से बचें. हर 20 मिनट में ब्रेक जरूर लें. स्क्रीन से कुछ देर के लिए नजरें हटा कर इधरउधर देखें या हौले से आंखें बंद कर लें. इस से आंखों की मांसपेशियों को आराम मिलेगा.

5. ठंडे पानी के छीटे मारें

काम के बाद आंखों में होने वाले दर्द को दूर करने के लिए आंखों पर ठंडे पानी से छीटे मारें. इस से आंखों को ठंडक मिलती है और आंखों की थकावट और लाली दूर होती है.

6. अच्छी नींद जरूरी

लैपटॉप, मोबाइल या कंप्यूटर पर काम करते समय अक्सर लोगों को समय का ख्याल नहीं रहता. ऐसे में स्वस्थ रह कर काम किया जाए इस के लिए अच्छी और भरपूर नींद लेनी आवश्यक होती है. नींद पूरी न करने से आंखों की समस्याएं गंभीर होती जाती हैं. इसलिए 7-8 घंटे की नींद जरूर लें.

7. आंखों का व्यायाम

काम के बीचबीच में आंखों का व्यायाम करते रहें. इस के लिए पहले अपनी बाईं ओर देखें फिर दाहिनी ओर देखें. इस के बाद ऊपर की ओर फिर नीचे की ओर देखें. इस व्यायाम को दिन में कम से कम 4 बार अवश्य करें.

8. कमरे की रौशनी को संतुलित रखें 

घर से काम करते समय अक्सर कुछ लोग छत पर तो कुछ अंधेरे कमरे में बैठकर आराम से काम करने को प्राथमिकता देते हैं. मगर याद रखें कि तेज़ धूप या खिड़कियों से आ रही तेज रौशनी से आंखों पर बुरा असर पड़ता है. इसी तरह अंधेरे कमरे में बैठकर काम करना भी नुकसानदेह है.
इसलिए कमरे में बैठे और कुछ पर्दों को गिरा कर रखें जिस से कमरे की रौशनी भी बनी रहे और आंखों को नुकसान भी न पहुंचे. इस के अलावा कमरे में बड़ी फ्लोरसेंट लाइट का उपयोग न करें.

9. कॉन्टेक्ट लेंस की जगह चश्मे का इस्तेमाल करें:

कोरोना के इस समय में काम करते वक्त कॉन्टेक्ट लेंस की जगह चश्मे का उपयोग बेहतर होगा. दरअसल चश्मा आंखों के बचाव के लिए एक अतिरिक्त प्रॉटेक्शन लेयर का काम करता है.

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10. पौष्टिक आहार:

आंखों की सेहत के लिए संतुलित आहार लेना जरूरी है. ऐसा भोजन लें जिस में विटामिन ए, विटामिन सी और फोलिक एसिड भरपूर मात्रा में मौजूद हों. विटामिन ए से युक्त संतरे, पालक, धनिया की पत्ती, पुदीना, मेथी, कद्दू और गाजर आंखों के लिए पोषण प्रदान करने वाले आहार हैं. इन के अलावा विटामिन सी युक्त शिमला मिर्च, हरी मिर्च, अमरूद और आंवला तथा फोलिक एसिड युक्त हरी पत्तेदार सब्जियां, पालक, अखरोट आदि खाना लाभप्रद होता है.

11. घर पर रखें आवश्यक दवाएं 

लॉकडाउन में आंखों की किसी भी समस्या से संबंधित दवाइयों की कमी न हो इस के लिए घर में आई ड्रॉप और जरूरी दवाइयां पहले ही खरीद कर रख लें.

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