प्रेगनेंसी के समय महिलाओं में कई प्रकार के हार्मोनल परिवर्तन होते रहते है,जिससे मानसिकऔर शारीरिक बदलाव कुछ न कुछ होते है. एक बदलाव आँखों की समस्या का होता है, जिसमें किसी-किसी महिला को धुंधला दिखाई पड़ता है या आँखों की रौशनी कम हो जाती है. पहले इसे समझना मुश्किल होता है, क्योंकि अधिकतर बढती उम्र के साथ ही महिलाओं में आंखो की समस्या दिखाई पड़ती है, इसलिए गर्भावस्था में आँखों की रौशनी कम होने पर भी महिलाएं इग्नोर करती है. इससे बाद में आँखों की समस्या बढ़ जाती है.
करवाएं जाँच धुंधलेपन की
मुंबई की अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल की नेत्र विशेषज्ञ,डॉ. पल्लवी बिप्टे का इस बारें में कहना है कि असल में गर्भावस्था के दौरान हॉर्मोनल बदलाव के कारण कुछ महिलाओं को आंखो की समस्या का सामना करना पडता है.हालाँकि यह बदलाव अधिकतर अस्थायी होता है, लेकिन कई बार ये गंभीर भी हो सकती है, इसलिए गर्भावस्था में महिलाओं को अपनी आंखो की सेहत का ख्याल रखना जरूरी है.नई माओं को आंखो से धुंधलापन दिखने पर तुरंत उसकी जांच करवा लेना आवश्यक होता है.बढ़ना मात्रा
टिश्यूज में फ्लूइड की मात्रा का बढ़ना
विशेषज्ञों के अनुसार, गर्भावस्था या फिर प्रसव के बाद हॉर्मोन्स के कारण कर्ई बार टिश्यूज में फ्लूड की मात्रा बढने से आँखों की पुतली का आकार बदल सकता है, जिससे महिला को ठीक से दिखाई नहीं पड़ती, आंखो में ड्राईनेस की समस्या भी हो सकती है. इसके अलावा आँखों का लाल होना, आंखो से पानी आना, जलन होना आदि कई समस्याएं हो सकती है.अगर किसी महिला को गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज की समस्या है, तो रेटिना में बदलाव होने की समस्या हो सकती है. इससे भी महिला को धुंधला दिखता है. यह समस्या अधिकतर महिलाओं को गर्भावस्था के दूसरी तिमाही में होती है.समय पर सही इलाज न मिलने पर गर्भावस्था के तीसरी तिमाही और प्रसव के बाद यह समस्या बढ सकती है.
समस्या उच्च रक्तचाप की
इसके आगे डॉक्टर कहती है कि कुछ महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप की समस्या होती है. इसे प्रीक्लैंप्सिया कहा जाता है.इसमें गर्भवती महिला का ब्लड प्रेशर लेवल बढ़ जाता है और किडनी असामान्य रूप से कार्य करने लगती है. जिसके कारण आंखो में धुंधलापन छा जाता है. इसलिए प्रेगनेंसी में महिलाओं को अपने ब्लड प्रेशर लेवल पर नजर रखनी चाहिए.इसके अलावा काफी कम महिलाओं को प्रसव के बाद पिट्यूटरी एडिनोमा की शिकायत होती है. इसमें महिलाओं के शरीर की पिट्यूटरी ग्रंथि में ट्यूमर विकसित होने लगती है,इससे शरीर में हार्मोंस के स्राव की सामान्य क्रिया में रुकावट आती है जो कि प्रेगनेंसी के बाद आंखों से संबंधित समस्याओं का कारण बन सकती है.
समस्या वाटर रिटेंशन की
गर्भावस्था में वाटर रिटेंशन यानि जल जमाव के कारण, कॉर्निया सूज जाता है और दृष्टि धुंधली हो जाती है. इसके अलावा गर्भावस्था में, आंसू का उत्पादन कम होता है और आंखों में सूखापन होता है.इसमें प्री-एक्लेमप्सिया या उच्च रक्तचाप से धुंधली दृष्टि, प्रकाश की चमक, फ्लोटर्स और यहां तक अस्थायी अंधापन भी हो सकता है. हालाँकि आंखों की अधिकांश समस्याएं अस्थायी होती है और गंभीर नहीं होती, लेकिन प्रसव के बाद में या पहले, आँखों में किसी भी लक्षण के नजर आने पर तुरंत नेत्र रोग विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए, जो निम्न है.
लक्षण
- किसी चीज का डबल दिखाई देना,
- आंखों में दर्द होना,
- आंखो में खुजली होना,
- धुंधलापन या चक्कर का आना,
- अक्षर को पढ़ने में कठिनाई महसूस करना,
- आंखों पर दबाव महसूस होना,
- प्रकाश में आते ही आंखों पर इसका प्रभाव पड़ना आदि कई है.
आंखो की समस्या का ध्यान
- आंखो में समस्या दिखाई दे, तो तुरंत विशेषज्ञ की सलाह से आईड्रॉप का इस्तेपाल करें,
- अगर यह समस्या पिट्यूटरी ग्रंथि के कारण हो रही है, तो डॉक्टर इसके लिए एस्ट्रोजन हार्मोन के विकास के कारण होने वाले ट्यूमर को रोकने की दवाई का देना,
- वजन पर नियंत्रण रखना और अपना ब्लडप्रेशर को एक नियमित अंतराल पर चेक करवाते रहना,
- शुगर लेवर पर अधिक ध्यान देना, ताकि जेस्टेशनल डायबिटीज से बचाव हो सके.
इसलिए अचानक नजर में धुंधलापन या डबल दिखने लगे, तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेकर दवाई लेना आवशयक है, ताकि समय रहते आँखों का इलाज कर लिया जाय.