ये रोग छीन सकते हैं आपके आंखों की रोशनी

जिस्म का हर अंग बेहद अहम है, लेकिन आंखों से ज्यादा अहम दूसरा अंग नहीं होता. आप के आंखों की रोशनी सही है, देखने में कोई दिक्कत नहीं है तो आप को इस बात की फिक्र नहीं होगी कि आंखों पर कोई आंच आ सकती है. यह और बात है कि उम्र बढ़ने के साथ आंखों की रोशनी आज जैसी मजबूत नहीं रहेगी.

आंखों के सिलसिले में आंख खोलने वाली बात यह है कि आंख से जुड़ी बीमारियों के अलावा भी कुछ बीमारियां ऐसी होती हैं जो आंखों की रोशनी को इतना ज्यादा प्रभावित कर सकती हैं कि इंसान अंधेपन के करीब पहुंच जाए.

विशेषज्ञ डाक्टरों का कहना है कि ऐसी कई बीमारियां हैं जो आंखों से जुड़ीं नहीं होती हैं लेकिन वे आंखों की रोशनी को नुकसान पहुंचा सकती हैं. वे कहते हैं कि डायबिटीज और हाइपरटेनसिव रेटिनोपैथी, तम्बाकू और अल्कोहल एम्ब्लौयोपिया, स्टेरौयड का इस्तेमाल और ट्रामा इंसान को अंधा बना सकते हैं और लोगों को इस का पता बहुत देर से चलता है.

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गौरतलब है कि लांसेट ग्लोबल हेल्थ जर्नल की पिछले साल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 3.6 करोड़ अंधे लोगों में से 88 लाख अंधे भारत में थे. भारत के राज्यों में ब्लाइंडनेस यानी अंधेपन को कंट्रोल करने के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम चलाया जाता है जो कहता है कि अंधेपन के करीब 80-90 फीसदी मामलों का या तो इलाज हो सकता है या उस की रोकथाम की जा सकती है.

जांच है अहम

आंखों को सेहतमंद रखने की लिए उन की जांच कराते रहना चाहिए और जांच के बाद डाक्टर जो सलाह दें उस पर अमल करना चाहिए. डाक्टरों का कहना है कि शुगर और ग्लूकोमा के मरीजों में अंधेपन के मामले रेगुलर जांच नहीं कराने के चलते होते हैं. रोग का इलाज जितना अहम होता है उतना ही अहम फौलो-अप होता है यानी रेगुलर जांच कराना.

बच्चों में रेफ्रेक्टिव एरर के कई मामलों में मातापिता उन्हें चश्मा पहनने के लिए हतोत्साहित करते हैं. कई बच्चों की आंखें कमजोर होती हैं, उन की आंखों का इलाज नेत्र विशेषज्ञ से कराना चाहिए.

वहीं, उम्र और मौडर्न लाइफ के तनावों से ज्यादातर लोगों को आंख पर दबाव महसूस होता है. इस बारे में डाक्टरों का कहना है कि अकसर लोगों को यह एहसास ही नहीं होता कि प्रदूषण, धूम्रपान, ज्यादा शराब पीने के अलावा डायबिटीज, मोटापा और हाइपरटेंशन जैसी जीवनशैली से जुड़ीं बीमारियां आंखों की रोशनी पर बुरा असर डालती हैं.

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20 से 25 साल की उम्र वाले काफी लोग आंखों की कमजोर रोशनी की समस्या से जूझ रहे होते हैं लेकिन उन्हें इस के बारे में पता तक नहीं होता है. वे अपनी आंखों की जांच कभी नहीं करवाते. उन्हें लगता है कि सिरदर्द तनाव से हो रहा है. यहां पर डाक्टरों का कहना है कि अगर मरीज को इस का एहसास हो जाए और वह फौरन अपनी आंखों की जांच कराए तो कभीकभी रोशनी खराब होने से रोका जा सकता है.

इस प्रकार, आप सावधान हो जाएं और कोई भी बीमारी होने पर डाक्टर से कंसल्ट करें और उन की बताई सलाह पर अमल करें ताकि आप की आंखें इस खूबसूरत दुनिया को आप की आखिरी सांस तक निहारती रहें.

गरमी में आंखों को ऐसे बचाएं एलर्जी से…

गरमी आते ही हम पसीने से लथपथ तो होते ही है. साथ ही कई बीमारियों के भी चपेट में आ जाते है. ऐसे में शरीर के सबसे नाजुक अंगों में से एक आंखों की देखभाल बहुत जरूरी है क्योंकि आंखों में होने वाली जरा सी दिक्कत चिंता का सबब बन सकती है. अक्सर लोग आंख में धूल या मिट्टी चले जाने पर उसे तेजी से रगड़ने लगते हैं जिसके कारण आंखे लाल हो जाती है और उन्हें परेशानियां होने लगती है. गर्मी के मौसम में सबसे आम दिक्कत है एलर्जिक रिएक्शन. आंखों में एलर्जी होने से आंखों में पानी, चुभन होना और लालपन आने लगता है. एलर्जिक कांजेक्टिवआइटिस इस मौसम में सबसे आम है जो कि एलर्जिक रिएक्शन के कारण होता है.

आंखों में पानी और इचिंग

जब आंखों में पानी या इचिंग हो तो आंखों को बिल्कुल भी न मलें. ठंडे पानी से धोएं. यदि उसके बाद भी कोई दिक्कत आती है तो जरा भी लापरवाही न करते हुए नेत्र विशेषज्ञ से राय लें. क्योंकि आंखें शरीर का सबसे नाजुक अंग है.

गरमियों में ये सावधानियां रखें आंखों को सुरक्षित

  • घर से बाहर निकलते समय धूप का चश्मा जरूर पहनें.
  • आंखों को ठन्डे पानी से धोते रहें.
  • आंखों में खुजली होने पर मले नहीं .
  • आंखों को आराम देने के लिए उसपर खीरा रखे.

यदि आप काम काजी है तो आपको धूल मिट्टी से हमेशा दो चार होना पड़ता होगा इसलिए आपकी आंखों में धूल मिट्टी जाना एक आम बात होगी, तो आप इन बातो का ध्यान जरुर रखिये ताकि आपकी आंखें स्वस्थ रहे-

  • आंखों को ठन्डे पानी से लगातार धोएं.
  • आंखों को बिलकुल भी मसले नहीं वरना आंखों के भीतर चोट लग सकती है.
  • पानी डालने से भी आराम नहीं मिलने पर नेत्र विशेषज्ञ की सलाह लें.
  • किसी भी प्रकार की रोशनी से खुद को कुछ समय दूर रखे.
  • मोबाइल, लैपटौप, टीवी आदि का प्रयोग न करें.

3 टिप्स: गरमी में इन टिप्स से बचाएं आंखें

कुदरत का खूबसूरत तोहफा है आंखें. किसी भी काम को करने के लिए सबसे जरूरी हमारी आंखें होती है, लेकिन गरमियों में सूरज से निकलने वाली नुकसानदायक अल्ट्रावायलट किरणें बौडी के साथ-साथ आंखों पर भी बुरा असर डालती है. दरअसल, आंखों को दिमाग से जोड़ने वाली बारीक शिराएं आंखों की स्किन के बहुत नजदीक होती हैं, इसलिए ज्यादा देर धूप में रहने से आंखों को नुकसान पहुंचता है. वहीं पौल्यूशन का भी असर आपकी आंखों पर पड़ता होगा. जिन्हें बचाना बेहद जरूरी है…

1. आंखों में परेशानियों को पहचानें

अगर आपकी आंखों में जलन, आंखें लाल होना, आंखों से पानी आना, आंखों में चुभन, कंजंक्टिवाइटिस की बिमारी होती है.

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2. ठंडे पानी से आंखों को धोएं

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धूप से लौटने के बाद बौडी का तापमान बढ़ जाता है इसलिए पहले बौडी को धीरे-धीरे नार्मल टैम्प्रेचर पर आने दें. इसके लिए पंखे के नीचे पांच मिनट तक बैठ जाएं. इसके बाद ठंडे पानी से चेहरे और आंखों को अच्छी तरह धोएं. आंखों पर ठंडे पानी के छींटे मारें और फिर मुलायम टावल से फेस को पोछें. अगर आंखों में जलन ज्यादा है और आंखें लाल हैं तो बर्फ से आंखों की सिंकाई करें.

3. आंखों को बार-बार न रगड़ें

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आंखों में चुभन, जलन हो या कोई धूल कण चला जाए तो कुछ लोग फौरन ही आंखों को रगड़ने लगते हैं. ऐसा करने से आंखों को कई तरह के नुकसान होते हैं लिहाजा, ऐसा कभी न करें. अगर आंखों में किसी तरह की दिक्कत हो तो साफ रुमाल या कपड़े से इसे हल्के हाथों से सहलाएं और ठंडे पानी से धोएं.

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4. धूप में निकलें तो जरूर पहनें सनग्लासेज

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धूप के सनग्लासेज सूरज से निकलने वाली घातक यूवी किरणों से आंखों की रेटीना को बचाने का काम करता है. तेज धूप की वजह से आंखों की रोशनी पर प्रतिकूल असर पड़ने के साथ ही धूल के कण रेटिना को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इसके अलावा तेज धूप में यूवी किरणों से आंखों के ऊपर बनी टीयर सेल यानी आंसूओं की परत टूटने लगती है. यह स्थिति कौर्निया के लिए हानिकारक हो सकती है. आंखों के कौर्निया को भी यूवी किरणों से उतना ही नुकसान पहुंचता है जितना रेटीना को. लिहाजा धूप में निकलते वक्त सनग्लासेज पहनने से इस परेशानी से बचा जा सकता है.

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edited by- rosy

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