प्यार को संभांलने के लिए आज की जेनेरेशन तैयार ही नहीं होती है. कई बार हमें ये समझ ही नहीं आता कि हम प्यार करना भूल गए है या ये ही भूल गए कि प्यार क्या होता है. हमारे प्यार के पैरामीटर सोशल मीडिया के ट्रिक्स तय करने लगे है. अगर वो ये करता है, तो सही है, अगर वो ये नहीं करता तो वो आपके प्यार में जैसे आर्टिकल से हम अपने प्यार को समझने की कोशिश करते है. शायद ये सबसे बड़ा कारण है कि हम प्यार को संभाल नहीं पाते है.
रिश्तों के लिए तैयार नहीं
रिश्तों को ना संभाल पाने का एक बड़ा कारण ये भी है कि हम रिश्तों के लिए तैयार नहीं होते है. हम समझौतों और कुर्बानियों के लिए तैयार नहीं होते है. रिश्तों को बनाए रखने के लिए हम पूरी तरह से समर्पण के लिए तैयार नहीं होते है. हम सब कुछ आसानी से चाहते है, रिश्तें भी. ना मिले तो बहुत आसानी से हम उन रिश्तों को तोड़ देते है. हम प्यार को बढ़ने का समय देने की बजाय प्यार को चले जाने देना ज्यादा बेहतर समझते है.
प्यार को समझना बहुत जरूरी है. अक्सर हम एक्साइटमेंट और थ्रिल की चाहत में प्यार कर बैठते है. हमको कोई चाहिए होता है जिसके साथ हम मूवी जा सके, वक्त गुजार सके पार्टी कर सके. पर हम ऐसे लोगो को नहीं ढूढ़ पाते है जो हमे समझ सके. हम यादें को नहीं बनना चाहते बस अपनी बोरिंग लाइफ से बचना चाहते है. हम जीवन भर का साथी नहीं बल्कि पलभर की खुशी ढ़ूढ़ते है. जैसे जैसे जिम्मेदारी हमारे एक्साइटमेंट को कम करती है प्यार भी कम लगने लगता है.
ये जिम्मेदारियां जो हमे साथ मिलकर निभानी चाहिए, अक्सर हमारे साथ को ही अलग कर देती है. हममे सब्र नहीं है, हमे सब चाहिए. भौतिकतावादी सपनों को पाने की दौंड़ मे जीतना जीवन बन गया है, यहां प्यार के लिए जगह नहीं है. बस पलभर का मजा चाहिए. रिश्तों के टूटने पर यहां दिल नहीं टूटते और जिद के साथ वो आगे बढ़ जाते है.
हर बात में हमें जल्दी है, फिर चाहे औनलाइन स्टेट्स पोस्ट करना हो, करियर को चुनना हो या दोबारा किसी से प्यार करना हो. प्यार में मैच्योरिटी सभी चाहते है पर समय कोई नहीं देना चाहता. लोग ये भूल गए है कि मैच्योरिटी वक्त के साथ आती है. सालों लग जाते है एक दूसरे के प्रति भावनाओं को जुड़ने में, एक मिनट में हम किसी को नहीं जान सकते है. आज के रिश्तों में समय और सब्र है नहीं तो प्यार कैसे होगा.
हम एक हर घंटा सैंकड़ो लोगो के बीच बिता देना पंसद करते है बजाय इसके कि एक दिन किसी अपने के साथ बिताए. हम सोशल लोग हो गए है. यहां विकल्प बहुत है. हम ज्यादा से ज्यादा लोगों को जानने और मिलने में यकीं रखते है. पल भर में प्यार, पल भर में ब्रेकअप और अगले ही पल नए रिश्तें मे होना पंसद करते है. हम किसी एक ही अच्छाई और बुराई को जानने की कोशिश भी नहीं करते है. हम चाहते है कि सब परफेक्ट हो. हम कई सारे लोगो को डेट करते है पर किसी को भी गंभीरता के साथ मौका नहीं देते. कर किसी में कुछ कमियां ढ़ूंढ लेते है.
टेक्नौलजी एंड प्रैक्टिकल लोग
तकनीक ने हमे एक दूसरे के इतना करीब ला दिया है कि सांस लेना मुश्किल हो गया है. एख दूसरे से मिलने से ज्यादा टेक्ट्स, वॉयस मेसेज आदि ने ले लिया है. हमे दूसरे के साथ वक्त बिताना जरूरी ही नहीं लगता है. हम एक दूसरे को इतनी जल्दी इतना जान जाते है कि बात करने के लिए कुछ बचा ही नहीं होता है. हमें कमिटमेंट फोबिया है. जरा सी मुश्किल दिखने पर हम कभी ना सेटेल होने का सोचने लगे है. हमे किसी की साथ बोझ लगने लगता है. बाकियों से अलग दिखने की चाह में रिश्तों ये भागना आसान लगता है. शादी या कमिटमेंट आज की जेनरेशन के लिए ओल्ड फैशन हो गया है.
सेक्स करना खुद को मौर्डन साबित करने के अलावा और कुछ नहीं रह गया है. प्यार और सेक्स को एक दूसरे से जोड़ना हम गलत मानते है. हम पहले सेक्स फिर ये सोचते है कि हमे उससे प्यार हो सकता है या नहीं. सेक्स आराम से किया जा सकता है लेकिन भरोसा और विश्वास इतनी आसानी से नहीं होता है. सेक्स आप किसी से प्यार के लिए बल्कि अपनी उत्सुकता को मिटाने के लिए करते है. रिलेशनशिप भी अब कई तरह की हो गई है, जैसे ओपन रिलेशनशिप, फ्लिंग रिलेशनशिप, फ्रेंड्स विड बेनिफिट आदि.