85 वर्षीय वर्मा जी को अचानक बुखार और थकान सी महसूस हुई तो उन्होंने पेरासिटामोल ले ली परन्तु दो तीन दिन तक जब बुखार बार बार आने लगा साथ ही खांसी भी प्रारम्भ हो गयी तो परिवार के सदस्यों को चिंता हुई पर किसे दिखाएं, कौन अच्छा डॉक्टर है, किसका इलाज अच्छा है जैसे प्रश्नों में ही पूरा दिन निकल गया तब तक वर्मा जी की स्थिति और बिगड़ गयी. आनन फानन में अस्पताल ले जाया गया जहां बड़ी मुश्किल से उनकी जान बचाई जा सकी. डॉक्टरों के अनुसार 60% फेफड़े संक्रमित हो चुके थे वहीं जैन साहेब को जैसे ही हल्की खांसी और मामूली सा बुखार हुआ उन्होंने तुरंत फोन पर अपने फैमिली डॉक्टर को बताया तो उन्होंने ट्रीटमेंट प्रारम्भ करने के साथसाथ टेस्ट करवाने की सलाह दी. इस तरह रिपोर्ट आने से पूर्व शुरुआती दौर में ही इलाज मिल जाने से जैन साहेब एक सप्ताह में ही ठीक हो गए. कोरोना की इस दूसरी लहर में ऐसे अनेकों केस सामने आए जहां प्रारंभिक डॉक्टरी सलाह के अभाव में रोग ने गम्भीर रूप ले लिया. यद्यपि फैमिली डॉक्टर की भूमिका तो सदा से ही महत्वपूर्ण रही है परन्तु कोरोना से पूर्व सम्बंधित डॉक्टर या हॉस्पिटल जाने का विकल्प मरीज के पास होता था परन्तु आज समय समय पर होने वाले लॉक डाउन और कोरोना के अनपेक्षित संक्रमण के डर के कारण वह विकल्प नदारद है.
क्यों जरूरी है फैमिली डॉक्टर
कोरोना काल से पूर्व फेमिली डॉक्टर शब्द पैसे वालों के चोचले जैसा लगता था वहीं आज फैमली डॉक्टर का होना वक़्त की जरूरत बन गया है. क्योंकि कोरोना ऐसी महामारी है जिसमें डॉक्टर आपको प्रत्यक्ष न देखकर फोन पर ही सलाह देना उचित समझता है. ऐसे में एक ऐसे डॉक्टर की आवश्यकता होती है जिससे आप सहज स्वाभाविक होकर किसी भी वक्त बात करके अपनी समस्याएं खुलकर बता सकें.
फैमिली डॉक्टर होने से घर से बाहर जाए बिना ही काफी हद तक समस्या हल हो जाती है.
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किसे बनाएं फैमिली डॉक्टर
फेमिली डॉक्टर अर्थात एक ऐसा डॉक्टर जिसके पास आप अक्सर बीमार पड़ने पर जाते हों, जिसके इलाज पर आपको भरोसा हो. आपका फैमिली डॉक्टर किसी भी विधा अथवा कोई भी रोग विशेषज्ञ हो सकता है. आवश्यक है कि आपके बीमार होने पर वह आपको समुचित मार्गदर्शन प्राप्त दे सके. जे. पी. हॉस्पिटल भोपाल की सीनियर चिकित्सक डॉ सुधा अस्थाना कहतीं हैं, “,वर्तमान दौर में फैमिली डॉक्टर होना बहुत जरूरी है क्योंकि कोरोना से पूर्व बीमार होने पर हॉस्पिटल जाना बहुत सुगम था वहीं आज हॉस्पिटल जाने पर एक तो संक्रमण का खतरा दूसरे डॉक्टर भी संक्रमण के डर से मरीज को प्रत्यक्ष नहीं देखना चाहते.” उज्जैन के सीनियर डॉक्टर एम. पी. चतुर्वेदी कहते हैं, “फैमिली डॉक्टर चुनते समय दो बातों का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है कि एक तो वह आपके घर के पास में हो दूसरे कम से कम एम. बी. बी. एस. अवश्य हो. झोलाछाप डॉक्टरों से बचना अत्यंत आवश्यक है.”
फैमिली डॉक्टर होने के फायदे
-आपके फैमिली डॉक्टर के पास चूंकि आप अक्सर जाते हैं ऐसे में उसे आपकी बॉडी की टेंडेंसी और परिवार के सदस्यों की हिस्ट्री की पूरी जानकारी होती है और उसके अनुसार वह एक कॉल पर ही आपको ट्रीटमेंट बता देता है. फैमिली डॉक्टर के बारे में अपना अनुभव शेयर करते हुए शर्मा जी बताते हैं कि “मैं कहीं भी होता हूं बस अपने डॉक्टर को एक काल या मेसेज करता हूं वे फोन पर ही मुझे ट्रीटमेंट बता देते हैं क्योंकि उन्हें मेरे और फैमिली के हर सदस्य के बारे में सब कुछ पता है.”
-फैमिली डॉक्टर होने से बीमार होने पर आपको डॉक्टर की तलाश में इधर उधर भटकना नहीं पड़ता और इलाज शुरू होने में भी देर नहीं होती. साथ ही आप अनावश्यक टेस्ट आदि से भी बच जाते हैं हाल ही मैं कोरोना से रिकवर हुईं वीणा जी बताती हैं, “जब हम कोरोना ग्रस्त हुए तो हमारे फैमिली डॉक्टर ने सी टी स्कैन जैसे अन्य गैरजरूरी टेस्ट करवाने से साफ मना कर दिया जिससे पैसों की बचत तो हुई ही साथ ही अनावश्यक तनाव से भी हम बच पाए.”
-किसी भी बीमारी विशेषकर कोरोना जैसी महामारी में एक डॉक्टर से सम्पर्क अत्यंत आवश्यक होता है ताकि किसी भी इमरजेंसी भी उससे सम्पर्क किया जा सके.”होम आइसोलेशन में रहकर अपना इलाज करा रहे मुकुंद का एक रात अचानक ऑक्सीजन लेवल कम होने लगा तो, अपने फैमिली डॉक्टर की सलाह पर वे तुरन्त हॉस्पिटल में भर्ती हो गए और इस प्रकार समय पर डॉक्टरी सलाह मिल जाने पर वे ठीक हो गए.
-रीता जी के एक पैर में कई दिनों से बहुत दर्द था, कोई उन्हें न्यूरोसर्जन के पास जाने की सलाह देता तो कोई फिजियोथेरेपिस्ट के पास, पर जब उन्होंने अपने फैमिली डॉक्टर को बताया तो उन्होंने ऑर्थोपेडिक के पास जाने की सलाह दी. जिसने उन्हें केवल विटामिन और कैल्शियम की दवाइयां दीं तीन माह बाद वे पूरी तरह से ठीक हो चुकीं थीं. कई बार बीमार होने पर समझ नहीं आता कि किसे दिखाएं ऐसे में आपके फैमिली डॉक्टर को चूंकि रोग विशेषज्ञों की भी भली भांति जानकारी होती है तो उसकी मदद से आप सही डॉक्टर के पास पहुंच जाते हैं. जिससे शरीर और पैसा दोनों ही बच जाते हैं.
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-सीमा जी फैमिली डॉक्टर को बीमारी के समय मानसिक अवस्था को संतुलित बनाएं रखने और रोग से लड़ने के लिए अत्यंत आवश्यक मानतीं हैं वे कहतीं हैं,”आधी बीमारी तो डॉक्टर से बात करके ही दूर हो जाती है. जब मुझे प्रारम्भिक चरण में कैंसर हुआ तो इलाज भले जी दिल्ली से चल रहा था परन्तु आगरा में मेरे फैमिली डॉक्टर ने हर दिन बात करके मुझे हिम्मत दी और मैंने जंग जीत ली.”
आज जो विश्वभर में कोरोना का परिदृश्य है उसमें कोरोना काफी लंबे समय तक हमारे साथ ही रहने वाला है इसलिए समय की नजाकत को पहचानकर अपने फैमिली डॉक्टर को सुनिश्चित करें. आश्चर्य की बात यह है कि भारत में लोग अपने धार्मिक गुरु और पंडित जी तो सुनिश्चित करते हैं परन्तु जीवन और सेहत के लिए अत्यंत आवश्यक डॉक्टर तय करने के बारे में विचार तक नहीं करते.