REVIEW: जानें कैसी है फरहान अख्तर की स्पोर्ट्स फिल्म ‘Toofan’

रेटिंगः तीन स्टार

निर्माताः रितेश सिद्धवानी, फरहान अख्तर, राकेश ओमप्रकाश मेहरा

निर्देशकः राकेश ओमप्रकाश मेहरा

कलाकारः फरहान अख्तर, मृणाल ठाकुर, परेश रावल, विजय राज,  मोहन अगाशे, हुसेन दलाल,  दर्शन कुमार, सुप्रिया पाठक, अभिषेक खंडेकर, गगन शर्मा, राकेश ओमप्रकाश मेहरा व अन्य.

अवधिः दो घंटे 42 मिनट

ओटीटी प्लेटफार्मः अमेजॉन प्राइम वीडियो

मशहूर धावक स्व.  मिल्खा सिंह के जीवन पर फिल्म बना चुके फिल्मकार राकेश ओप्रकाश मेहरा इस बार एक दूसरे स्पोर्ट्स बाक्सिंग पर फिल्म‘‘तूफान’’लेकर आए हैं, जो कि अमेजॉन प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम हो रही है.

कहानीः

कहानी शुरू होती है जफर(विजय राज)  के इशारे पर एक रेस्टारेंट के मालिक व उसके गुर्गों की डोंगरी के युवा गैंगस्टर अजीज अली(फरहान अख्तर)  द्वारा पिटाई करने से. उसके बाद अपनी मरहम पट्टी कराने वह अस्पताल जाता है,  जहां डॉं. अनन्या प्रभु(मृणाल ठाकुर )  उसे गैंगस्टर कह कर बाहर बैठने के लिए कह देती है. डॉं.  अनन्या का मानना है कि हर इंसान अपनी पसंद से ही अच्छा या बुरा इंसान बनता है. जबकि नर्स मिसेस डिसूजा(सुप्रिया पाठक ) ऐसा नही मानती. नर्स मिसेस डिसूजा उसके घाव की सफाई करने के बाद डॉ.  अनन्या से उसकी मरहम पट्टी करने के लिए कहती है. डॉं. अनन्या की बातों का अजीज अली पर काफी गहरा असर होता है. वास्तव में अजीज अली अनाथ है और उसे माफिया नेता जफर ने पाला है. अजीज अली, जफर के लिए वसूली करने का काम करता है और जो धन उसे मिलता है, उसे वह एक अनाथालय के बच्चो में खर्च करता रहता है. दूसरी बार वह मशहूर बॉक्सिंग कोच नाना प्रभू(परेश रावल)  के पास बॉक्सिंग सीखने जाता है, तो अजीज अली के एटीट्यूड के चलते उनके बाक्सर से पिटकर पुनः डॉं. अनन्या के पास पहुॅचता है. इस बार डां.  अनन्या कहती है कि उसे तय करना है कि उसे बॉक्सर बनना है या गैंगस्टर.

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डॉ.  अनन्या के पिता तथा बॉक्सिंग कोच नाना प्रभू बम विस्फोट में अपनी पत्नी सुमिति को खो चुके हैं. इसलिए उनकी नजर में हर मुस्लिम अपराधी है. फिर भी वह अजीज अली में मौजूद ताकत को देखकर उसे एक गैंगस्टर और बाक्सर के अंतर को समझाते हुए उसे बॉक्ंिसग की कोचिंग देते हैं. अजीज अली राज्य स्तर पर बाक्सिंग में विजेता बनता है और नाना प्रभू उसे तूफान नाम देते हैं. इसी बीच नाना प्रभू को पता चलता है कि उनकी बेटी के साथ अजीज अली उर्फ तूफान शादी करने की सोच रहे हैं, यह बात उन्हे पसंद नहीं आती. वह इसे ‘लव जेहाद’ की संज्ञा देते हैं. मगर पिता के खिलाफ जाकर डां. अनन्या, अजीज अली से शादी करने के लिए घर छोड़ देती है. अनन्या हिंदू है और वह धर्म परिवर्तन नही करना चाहती,  इसलिए मुस्लिम बस्ती में भी किराए का मकान नही मिलता. एक किराए के घर के लिए आठ लाख डिपोजिट और अस्सी हजार मासिक किराया देना है. फिलहाल डॉ.  अनन्या औरतों के होस्टल में रहने लगती है. अजीज अली उर्फ तूफान दिल्ली राष्ट्रीय बौक्सिंग चैंपियन प्रतियोगिता में हिस्सा लेने जाता है,  जहां बारह लाख की रकम लेकर बॉक्सिंग रिंग में हार जाता है, मगर उस पर मैच फिक्सिंग का आरोप सही साबित होने के चलते पांच वर्ष का बाक्सिंग खेलने पर प्रतिबंध लग जाता है. इस घटनाक्रम से नाना प्रभू की इज्जत पर भी धब्बा लगता है. डॉ.  अनन्या भी नाराज होकर उससे संबंध खत्म करने का निर्णय लेती है, पर अजीज अली का मैनेजर कहता है कि सारी गलती उसकी है. उसके बाद अजीज अली और डॉ.  अनन्या कोर्ट मैरिज कर लेते हैं. नर्स डिसूजा उन्हे अपना मकान किराए पर रहने के लिए देती है. डॉ. अनन्या एक बेटी को जन्म देती है. अब अजीज अली ने ट्यूरिस्ट का व्यापार शुरू कर दिया है. सब कुछ खुश हैं. नाना प्रभू ने जरुर संबंध खत्म कर दिए हैं. पांच वर्ष बाद अजीज अली पर से प्रतिबंध हट जाता हैलेकिन अजीज अली को अब बाक्सिंग में रूचि नही है. उधर डा. अनन्या उसका बौक्सिंग का लायसेंस लेकर आते समय सड़क  पर बम विस्फोट में मारी जाती हैं. अब पत्नी अनन्या के लिए वह पुनः बौक्सिंग में उतरता है. कहानी में कई मोड़ आते हैं.

लेखन व निर्देशनः

कहानी में कुछ भी नयापन नही है. फिल्म में जिस अंदाज में ‘लव जेहाद’और हिंदू मुस्लिम की बात पिरोयी गयी है, वह कम से कम फिल्मकार राकेश ओमप्रकाश मेहरा की शैली से मेल नही खाता. मगर राकेश मेहरा की निर्देशन में जबरदस्त वापसी जरुर कही जा सकती है. फिल्म के दृश्यों को जिस तरह से उन्होने गढ़ा है, वह कमाल के हैं. इतना ही नही राकेश ओम प्रकाश मेहरा ने अपनी चिर परिचित शैली के अनुसार खेल संघों में व्याप्त भ्रष् टाचार पर भी कुठाराघात किया है तो वहीं खेल के प्रति युवाओं की बदलती सोच का भी सटीक चित्रण किया है. फिल्म की लंबाई अखरती है. फिल्म का दूसरा हिस्सा शानदार है. पर फिल्म की लंबाई अखरती है.

कहानी में कुछ नयापन नही है. इस तरह की कहानी कई बार बन चुकी हैं. जिन्होने ‘मैरी कॉम’, ‘दंगल’,  सुल्तान’, ‘साला खड़ूस’देखी है, उन्हे बार बार यही अहसास होगा कि वह एक पुरानी कहानी देख रहे हैं. प्रेमिका से प्रेरणा लेकर जिंदगी बदल लेने वाली कहानियां भी कई फिल्मों में दोहरायी जा चुकी हैं.  मगर दूसरी फिल्मो से इतर फिल्म‘‘तूफान’’एक मुक्केबाज की जिंदगी में सब कुछ खो देने के बाद पुनः वापसी की कहानी है. बहरहाल, राकेश ओम प्रकाश मेहरा ने ‘तूफान’से साबित कर दिखाया कि एक बेहतरीन पटकथा और बेहतरीन निर्देशन से चिरपरिचित सी लगने वाली कहानी पर भी कितनी बेहतरीन फिल्म बन सकती है.

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अभिनयः

अजीज अली के किरदार में फरहान अख्तर ने बेहतरीन अभिनय किया है. उन्होने मुंबई के डोंगरी इलाके में रहने वाले लड़की की बोलचाल की भाषा और बॉडी लैंगवेज को भी सटीक ढंग से पकड़ा है.  वहीं अनन्या के किरदार में मृणाल ठाकुर अपना प्रभाव छोड़ जाती हैं. बाक्सिंग कोच नाना प्रभू के किरदार में परेश रावल ने काफी सधा हुआ अभिनय किया है. अजीज अली के दोस्त के किरदार में हुसेन दलाल भी अपने उत्कृष्ट अभिनय से लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाने में सफल रहे हैं. सुप्रिया पाठक, विजय राज और दर्शन कुमार की प्रतिभा को जाया किया गया है.

Youth को बॉडी बिल्डिंग के बारें में क्या कहना चाहते है फरहान अख्तर, पढ़ें इंटरव्यू

‘कोविड 19 की वजह से समय कुछ ऐसा आया है कि जो कुछ प्लानिंग किसी ने भी भविष्य के लिए आज से डेढ़ साल पहले किया है, वह अब प्लान नहीं रहा, सबकी शिड्यूल और टाइमिंग अलग हो चुकी है. मैं जिस कहानी का निर्देशन करना चाहता हूं या जिस लोकेशन पर उसे करना चाहता हूं, उसे कर पाऊंगा या नहीं, इसकी गारंटी कोई नहीं दे सकता. जब काम करने की क्लियरिटी मिलेगी, तब मैं आगे किसी फिल्म का निर्देशन करूँगा’… ये कहना है अभिनेता फरहान अख्तर का. उनकी फिल्म ‘तूफान’ अमेजन प्राइम विडियो पर रिलीज होने वाली है.

फ़िल्मी परिवार में पैदा होने के बावजूद फरहान अख्तर ने परिवार के किसी का सहारा नहीं लिया और अपने बलबूते पर इंडस्ट्री मेंपहचान बनायी. वे आज एक निर्माता,निर्देशक के अलावा अभिनेता, पटकथा लेखक और सिंगर भी है. इस दौरान फिल्मों की सफलता और असफलता का दौर भीआया, पर उन्होंने इस पर अधिक ध्यान नहीं दिया. उनसे बात हुई पेश है कुछ अंश.

सवाल-ये फिल्म थिएटर में नहीं, ओटीटी पर रिलीज हो रही है, क्या आपको कोई रिग्रेट है?

फिल्म को थिएटर में रिलीज होगी, ऐसा सोचकर बनाई गई थी, लेकिन पिछले डेढ़ सालों में जो हालत कोरोना की वजह से पूरे विश्व में हुई है, ऐसे में मेरी फिल्म अगर ओटीटी पर रिलीज हो रही है, तो मैं खुद को खुशकिस्मत समझता हूं, क्योंकि इस समय किसी को भी थिएटर में जाना ठीक नहीं और थिएटर खुले भी नहीं है. निर्देशक राकेश ओमप्रकाश  मेहरा ने एक दिन मुझसे कहा था कि पेंडेमिक की वजह से घरों में रहने वाली छोटी स्क्रीन आज बड़ी हो चुकी है. यही एक डिवाइस मनोरंजन का साधन है और इसके द्वारा मेरी फिल्म पूरे विश्व में करोड़ो लोगों को दिखाई जायेगी. 7करोड़ जनसँख्या पूरे विश्व में देख सकते है और यही मेरे लिए सौभाग्य की बात है. मुझे कोई रिग्रेट नहीं है, क्योंकि कोविड की वजह से दुनिया में फिल्मों की मार्केटिंग बहुत बदली है और हमें भी एक कदम आगे बढ़कर इसे अपनाने की जरुरत है.

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सवाल-क्या ओटीटी पर फिल्म रिलीज होने पर बॉक्स ऑफिस कलेक्शन का प्रेशर कम रहता है?

फिल्म देखने पर सभी फिल्म में परफोर्मेंस की तारीफ करते है. फिर चाहे वह थिएटर हॉल में हो या घर में छोटी स्क्रीन पर, इसलिए मैंने कभी भी किसी फिल्म को लेकर प्रेशर महसूस नहीं किया. यह एक जिम्मेदारी होती है, जिसमें मैं अपने परफोर्मेंस पर अधिक ध्यान देता हूं. अगर दर्शकों को परफोर्मेंस सही दिखा, तो एक अभिनेता के नाते मेरा काम हो गया.

सवाल-आप एक बार फिर से स्पोर्ट्स फिल्म कर रहे है, क्या आपको स्पोर्ट्स फिल्में करना अधिक पसंद है?

मुझे फिल्म ‘भाग मिल्खा भाग’ और तूफान’ फिल्म में भी काम करने का मौका मिला. दोनों फिल्मों की कहानियों, परफोर्मेंस और खुद से बहुत कुछ सीखा है.

सवाल-फरहान, आपने इस फिल्म में अपनी बॉडी पर बहुत काम किया है और एक मसल्स वाले बॉक्सर की भूमिका निभाई है, क्या फिल्मों के लिए इस तरह के एक्सपेरिमेंट करना शरीर के लिए सही होता है?

फिल्म में दिखाए बॉडी को देखकर खुद उसे करने की कोशिश कभी न करें. फिटनेस हमेशा सही होता है, लेकिन इस क्षेत्र के किसी एक्सपर्ट के साथ बॉडी बनाने की कोशिश करनी चाहिए. बहुत सारे यूथ फिल्मों को देखकर खुद वैसी बॉडी बना लेने की कोशिश करते है, जो गलत है. बॉडी बिल्डिंग एक विज्ञान है और उसके अनुसार कितना वर्कआउट,कितना सोना, पानी पीना, डाइट, व्यायाम आदि को व्यक्ति की शारीरिक बनावट के आधार पर करना सही होता है. एक्सपर्ट के बताये रास्ते पर चलना जरुरी है. ट्रेनर और न्यूट्रीशियन ही सही तरीका बता सकते है. इस फिल्म में मैंने जो भी किया है, उसमें बॉक्सिंग की टीम, मेरे ट्रेनर समीर जारा, डॉ. आनंद फिजियोथेरेपिस्ट आदि के अनुसार मैंने 8 महीने की ट्रेनिंग शूटिंग से पहले लिया है. हर हफ्ते 6 दिन और 5 घंटा हर दिन सब वे मोनिटर करते थे. मुझे मोटा दिखना है, लेकिन मेरा वजन बढ़ नहीं रहा था. मेरी लाइफ में कभी भी मैं 74 किलो से अधिक वजन का नहीं रहा, लेकिन इस फिल्म में मैं 86 किलो तक का वजन बढाया था. मैं उस समय 3 हज़ार कैलरी से अधिक खा रहा था. मेरा माइंड मेरे इस काम को रिफ्यूज कर रहा था. 78से 79 के बीच सूई अटक गयी. उस समय कड़े कदम उठाने पड़े, वह मेरे लिए बहुत कठिन काम था. ऐसी फिटनेस के लिए एक एक्सपर्ट का साथ होना बहुत जरुरी है.

सवाल-आज के यूथ कई बार जिम के बाद प्रोटीन शेक ले लेते है, क्या इसे लेना सही होता है? आपकी राय क्या है?

प्रोटीन शेक लेना गलत नहीं, इससे मसल्स को ताकत मिलती है और ये जरुरी भी है. अगर आप बहुत अधिक वर्कआउट करते है, तो भोजन के द्वारा उसे पूरा करना संभव नहीं होता, इसलिए प्रोटीन शेक लेना पड़ता है. बॉडी बनाने के लिए कुछ चीजों से हमेशा दूर रहना चाहिए, मसलन स्टेरॉयड लेना, किसी तरह का इंजेक्शन लगाना और गोलियां खा लेना, ये सब स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है, क्योंकि इसके साइड इफ़ेक्ट बहुत ख़राब होते है. बॉडी बनाने के लिए बॉडी को समय दीजिये, इससे थोड़े दिनों बाद ही आपको इसका रिजल्ट मिल जायेगा.

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सवाल-कोरोना काल और लॉकडाउन में आपका समय कैसे बीता ?

इस समय में कभी अच्छा तो कभी ख़राब रहा, लेकिन मैं अपने परिवार और दोस्तों के साथ कभी-कभी मिला करता था, किताबे पढना, फिल्मों को देखना आदि करने का समय मिला है, लेकिन इस दौरान बहुत सारें ऐसे दृश्य भी देखने को मिले, जिससे मन बहुत दुखी होता था. ऐसे कई लोग थे, जो अपने प्रिय व्यक्ति को अपने आँखों के सामने कोविड की वजह से खो रहे थे और उन्हें अंतिम दर्शन भी नहीं कर पा रहे थे. मैंने इस दौरान सोशल मीडिया के ज़रिये जरुरत मंदों की सेवा की है. पिछले कुछ महीने कुछ भी सही नहीं था.

वर्तमान को अच्छी तरह जीने का प्रयत्न करता हूं – फरहान अख्तर

17 वर्ष की उम्र से सहायक निर्देशक के रूप में काम कर चुके निर्देशक ने फिल्म ‘रौकवन’ से फिल्मों में अभिनय करना शुरू किया. फ़िल्मी परिवार में पैदा होने के बावजूद उन्होंने परिवार के किसी का सहारा नहीं लिया और अपने बलबूते पर इंडस्ट्री में पहचान बनायी. वे आज एक निर्माता,निर्देशक के साथ-साथ अभिनेता, पटकथा लेखक और गायक भी है. उन्होंने जिंदगी जैसे आई, वैसे जीते गए. इस दौरान सफलता और असफलता का दौर भी उन्होंने देखा, पर अधिक ध्यान नहीं दिया. वे अभी दो बेटियों के पिता है और उनकी आगे आने वाली फिल्म ‘द स्काई इज पिंक’ में भी वे एक टीनएजर्स बेटी के पिता की भूमिका निभा रहे है. उनसे मिलकर बात करना रोचक था पेश है कुछ अंश.

सवाल- स्काई हमेशा ब्लू होता है, लेकिन इसमें पिंक कहा गया है, इसका अर्थ आपकी नजर में क्या है?

ये एक कहानी है, जिसमें एक माता-पिता को अपनी बेटी की लाइलाज बीमारी का पता चलने के बाद भी कैसे उस बेटी के साथ वे जिंदगी को गुजारते है, वह भी सकारात्मक रूप में, इसे दिखाने की कोशिश की गयी है.

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सवाल- इस फिल्म में एक भावनात्मक पहलू को दिखाया गया है, क्या आप कभी इस तरह के इमोशनल ट्रैक से गुजरे है? खुद बेटी के पिता होने के नाते इससे अपने आपको कितना जोड़ पाते है?

ये एक बहुत ही अलग तरीके की इमोशन है, जिसे सोचकर भी मुझे डर लगता है, किसी के बच्चे के साथ ऐसा कभी भी न हो ,ऐसा मैं सोचता हूं, क्योंकि इस फिल्म में ऐसी बीमारी को दिखाया गया है, जिसकी कोई इलाज नहीं है. ऐसी स्थिति कभी भी किसी के साथ हो सकता है कि उसका बच्चा उसे छोड़कर चला जाएँ. मैंने जब इस कहानी को सुना था, तो लगा था कि ये हैवी फिल्म होगी, लेकिन निर्देशक ने इसे बहुत ही संजीदगी से दिखाने की कोशिश की है, जो मुझे अच्छी लगी. जाहिर सी बात है कि इस तरह की फिल्में लोगों को प्रेरित करेगी. इस कहानी से कोई भी रिलेट नहीं करना चाहेगा और कर भी नहीं सकता. इस कहानी से ये प्रेरणा मिलती है कि जिंदगी कभी न कभी तो ख़त्म होगी ही. आज लोग सफलता और आगे निकलने की होड़ में भूल जाते है कि उनके पास जो है, वह कितना कीमती है, जो कुछ दिनों बाद ख़त्म हो जायेगा. उसे सेलिब्रेट करना कितना जरुरी है.

माता-पिता बच्चे की भलाई के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते है. 30 साल के होने पर भी वे हमेशा दुआ करते है कि उनके बच्चे को कुछ न हो और वे सुखी रहे. उससे मैं अपने आपको जोड़ सकता था, लेकिन कहानी कुछ और है, जिससे जुड़ने में मुझे समय लगा. मैं स्ट्रिक्ट पिता नहीं हूं.

सवाल-क्या आप हमेशा वर्तमान में रहने की कोशिश करते है?

मैं वर्तमान और भविष्य में सामंजस्य करता रहता हूं. समय के साथ-साथ मैंने जाना है कि वर्तमान सबसे अधिक महत्वपूर्ण है. मैंने देखा है कि सफलता और अच्छा काम करने की चाह में मैंने बहुत सारी चीजो को छोड़ दिया है. अब मैं पास्ट को अधिक नहीं देखता न ही भविष्य के बारें में अधिक सोचता हूं. वर्तमान को अच्छी तरह जीने का प्रयत्न करता हूं.

सवाल- क्या इस फिल्म ने आपकी सोच को बदल दिया है?

बहुत हद तक बदल दिया है. इस फिल्म को करते वक़्त मुझे पुरानी फिल्म ‘आनंद’ की याद आई, जिसमें कही गयी थी कि जिंदगी लम्बी नहीं बड़ी होनी चाहिए, उसे अनुभव किया.

सवाल- प्रियंका चोपड़ा के साथ आपकी दूसरी फिल्म है, जिसमें आप दोनों एक साथ अभिनय कर रहे है, कितनी सहजता रही है?

फिल्म ‘डौन’ से हमारी बौन्डिंग अच्छी रही है. हमने साथ-साथ कई बार घूमे है. वह पर्दे पर भी है. इसलिए काम करने में सहजता रही है.

सवाल-  परिवार के साथ आपकी बौन्डिंग कैसी है?

परिवार के साथ ही आप आगे बढ़ सकते है और हर रिश्ते को अहमियत और इज्जत देने की जरुरत होती है, तभी रिश्ता फलता-फूलता है. ये सब भी मैंने इस फिल्म के बाद से ही अधिक महसूस करने लगा हूं.

सवाल-सफलता और असफलता आपकी नजर में क्या है?

सफलता को सभी मिलकर मनाते है, जबकि असफल व्यक्ति के साथ कोई भी नहीं रहता. ऐसे में सही लोगों का आपके आस-पास रहना बहुत जरुरी है, जो आपको इस दौर से निकलने में मदद करें. हर किसी को असफल और सफलता के दौर से गुजरना पड़ता है.

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सवाल-आप काफी दिनों से निर्देशन नहीं कर रहे है, इसकी वजह क्या है?

मुझे क्रिएटिव काम पसंद है और मैंने बीच में निर्देशन बंद कर अभिनय किया, फिर अभिनय को रोक कर सिंगिंग शुरू किया. मेरे हिसाब से हर बात की एक समय होती है. जब आप वह करते है. मुझे जो नैचुरली आता है उसे करता जाता हूं.

सवाल- सामाजिक कार्य की दिशा में अभी क्या कर रहे है?

मेरी कोशिश हमेशा रही है कि जो भी काम करूं वह किसी न किसी रूप में महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में हो. इसके अलावा संस्था ‘मर्द’ के साथ कुछ न कुछ एक्टिविटी करते रहते है. साथ ही फिल्मों के ज़रिये कुछ अच्छा करने की कोशिश हमेशा करता रहूंगा.

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