सदियों में ताजा मेथी बाजार में आराम से मिलती है. मेथी की सुगंध और स्वाद भारतीय भोजन का विशेष अंग है. मेथी के पत्तों को कच्चा खाने की परंपरा नहीं है. आलू के साथ महीन महीन काट कर सूखी सब्ज़ी या मेथी के पराठे आम तौर पर हर घर में खाए जाते हैं. लेकिन गाढ़े सागों के मिश्रण में इसका प्रयोग लाजवाब सुगंध देता है, उदाहरण के लिए सरसों के साग, मक्का मलाई या पालक पनीर के पालक में.
हमारे व्यजनो का स्वाद बढ़ाने के साथ साथ ही यह हमारे सेहत के लिए फायदेमंद भी होता है. मेथी में लौह तत्व भरपूर होते हैं, इसलिये रक्त अभाव होने पर यह बहुत लाभकारी होती है. प्रति 100 ग्राम मेथी दाना में आर्द्रता – 13.70 ग्राम, प्रोटीन – 26.20 ग्राम ,वसा – 5.80 ग्राम ,मिनरल्स – 3.0 ग्राम ,फाइबर – 7.20 ग्राम ,कार्बोहाइड्रेट – 44.1 ग्राम ,एनर्जी – 333.0 किलो कैलरी ,कैल्शियम – 160.0 मिग्रा. फास्फोरस – 370.0 मिग्रा. ,आयरन – 6.50 मिग्रा. होता है. इसके बीजों में फॉस्फेट, लेसिथिन और न्यूक्लिओ-अलब्यूमिन होने से ये कॉड लिवर ऑयल जैसे पोषक और बल प्रदान करने वाले होते हैं. इसमें फोलिक एसिड, मैग्नीशियम, सोडियम,जिंक, कॉपर, नियासिन, थियामिन, कैरोटीन आदि पोषक तत्व पाए जाते हैं.
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इसके पत्तों को निचोड़कर रस निकालकर उसमें बराबर मात्रा में शहद मिलाकर सेवन करने से यकृत, पीलिया एवं पित्ताशय के रोगों में लाभ होता है. इसके रस में मधुमेह की प्रारंभिक अवस्था में ही रोग का नाश करने की क्षमता होती है.
– चोट लगने पर मेथी के पत्तों की पोटली बांधने या लेप लगाने से चोट की सूजन मिटती है.
– शरीर के जले हुए स्थान पर इसके पत्तों को पीसकर लगाने से जलन मिटती है तथा शरीर का दाह शांत होता है.
– घी के साथ मेथी के भूने हुए पत्ते खाने से अतिसार अर्थात् पतले दस्त दूर होते हैं.
– मेथी प्राकृतिक शैम्पू के रूप में भी बहुत गुणकारी है. स्ान से पहले मेथी की पत्तियों को पीसकर सिर के बालों में लगाते रहने से बालों की रूसी दूर होती है तथा बाल काले व मुलायम हो जाते हैं.
– मेथी की पिसी हुई पत्तियों का लेप लगाने से चेहरे के मुंहासे व कालापन तथा चेहरे की झाईयां दूर हो जाती है.
– नेत्र विकारों खासकर आंखों की जलन, प्रदाह तथा आंखों से अत्यधिक पानी आने पर मेथी की पत्तियों का रस आंखों में डालने से अत्यन्त लाभ होता है.