श्रीमती नैना अरोरा फर्टिलिटी क्लीनिक में अपनी बारी आने का इन्तजार कर रही थी तभी उन्हें एक पोस्टर दिखा जिस पर समझदारी (माइंडफुलनेस) के मह्त्व के बारे में लिखा गया था. इसने अचानक से नैना का ध्यान अपनी ओर खींचा. वह पिछले 2 साल से गर्भधारण की कोशिश कर रही थी लेकिन दूसरे सेमेस्टर में ही उनका बच्चा पेट में ख़राब हो जाता था. इसे लेकर वह बहुत चिंतित थी क्योंकि वह नही जानती थी कि इसका परिणाम क्या होगा. उसने उत्साहपूर्वक माइंडफुलनेस प्रोग्राम में यह सोचते हुए साइन इन किया कि इससे उसकी समस्या को हल करने में सहूलियत मिलेगी.
ऐसा समय जब अनिश्चितता और डर हर तरफ फैला हुआ है तो माइंडफुलनेस रोजमर्रा की जिंदगी का एक अभिन्न अंग बन गया है. तनाव के परिणामस्वरूप न केवल गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं, बल्कि कई फर्टिलिटी और फर्टिलिटी संबंधी समस्याएं भी होती हैं. दुनिया भर के फर्टिलिटी एक्सपर्ट माइंडफुलनेस के लिए सलाह देते हैं जिसमें योग, मेडिटेशन और सीखने की व्यवहार तकनीक शामिल होती है. इन तकनीको में इलाज के बेहतर परिणाम के लिए नकारात्मक विचारों पर काबू पाना शामिल होता है.
फर्टिलिटी और स्ट्रेस (तनाव) के पीछे का विज्ञान
इस बारें में कई स्टडी हुई है जिससे पता चला है कि महिला के जीवन में बहुत ज्यादा तनाव उनके गर्भवती होने की संभावनाओं को प्रभावित कर रहा है. हमारा शरीर भी तनाव के स्तर को समझता है. यही एक कारण है यह महिला के गर्भधारण की संभावना को प्रभावित करता है क्योंकि बच्चा पैदा करने के लिए तनाव अच्छा नही होता है. इसके अलावा, यह भी देखा गया है कि तनाव से पीड़ित महिला अक्सर कम इन्टीमेट होती है और जीवन की चुनौतियों से निपटने के लिए वह अक्सर शराब और तंबाकू का सेवन करने लगती है. और इस तरह की आदत महिला के गर्भवती होने की संभावना को और भी बदतर बना देता है.
वहीं ग्रुप थेरेपी, व्यक्तिगत संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी, और गाइडेड इमेजरी जैसी रिलैक्सेशन तकनीकों से तनाव कम करने से कुछ माँ बनने में असफल महिलाओं को गर्भवती होने में मदद मिली है. इसके पीछे कारण यह है कि कोर्टिसोल जैसे तनाव हार्मोन मस्तिष्क और अंडाशय के बीच सिग्नलिंग को बाधित करते हैं, जो ओव्यूलेशन को बढ़ा सकते हैं. लेकिन जब हम माइंडफुलनेस की प्रैक्टिस करते हैं तो इस समस्या से निजात पाई जा सकती है और इसका रिजल्ट सकारात्मक आ सकता है.
स्ट्रेस का निवारण करना
सीडीसी के अनुसार माँ बनने की उम्र वाली 10 में से 1 महिला को गर्भवती होने में परेशानी महसूस होती है या बिना किसी परेशानी के वह गर्भधारण नहीं कर पाती है. वहीं जब महीनो के बाद भी गर्भधारण नहीं हो पाता है तो फिर तनाव हावी होने लगता है. यह वही समय होता है जब दिमाग और शरीर को आराम देने वाले प्रोग्राम मददगार साबित होते हैं. इन प्रोग्राम का लक्ष्य विभिन्न एप्रोच के जरिये, जिसमे बातचीत करने की थेरेपी शामिल होती, तनाव को कम किया जाए. कई महिला इस नकारात्मक विचार से कि ‘वे कभी माँ नहीं बन सकती है’ से भी पीड़ित हो सकती है. इसके लिए वे खुद को दोष दे सकती है.
एक्सरसाइज
तनाव कम करने और प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिए शारीरिक रूप से एक्टिव रहना बहुत जरूरी होता है. मध्यम रूप से काम करना – उदाहरण के लिए सप्ताह में 1 से 5 घंटे के लिए गतिविधियों में लिप्त रहने से गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है. साथ ही जो महिलाएं ज्यादा मेहनत वाला काम करती हैं उनमे भी गर्भवती होने की संभावना कम हो जाती है.
वजन
तनाव होने से हम भावनात्मक आराम के लिए बहुत ज्यादा चीजें खाने लगते हैं. ज्यादा वजन या मोटापा होने से गर्भवती होना मुश्किल हो जाता है. कुछ रिसर्च बताते हैं कि जो महिलाएं मोटापे से ग्रस्त हैं उन्हें गर्भधारण करने में अन्य महिलाओं की तुलना में तीन गुना ज्यादा परेशानी हो सकती है.
स्वस्थ डाईट
हमारे तनावपूर्ण समय के दौरान हम प्रोसेस्स्डए शुगर से भरपूर खाद्य पदार्थों को खाने लगते हैं. लेकिन अध्ययनों ने साबित कर दिया है कि जो महिलाएं साबुत अनाज, ओमेगा-3 फैटी एसिड, मछली और सोया से भरपूर मेडीटेरियन डाईट का पालन करती हैं, उनके गर्भधारण की संभावना उन लोगों की तुलना में ज्यादा होती है जो बहुत ज्यादा फैट वाले, भारी प्रोसेस्स्ड डाईट खाती हैं.
नोवा आईवीऍफ़ फर्टिलिटी, नई दिल्ली के फर्टिलिटी कंसल्टेंट डॉ अस्वती नायर