क्या सर्जरी के बाद फाइब्रौयड्स दोबारा हो सकता है?

सवाल-

क्या फाइब्रौयड्स की सर्जरी के बाद यह दोबारा हो सकता है?

जवाब-

फाइब्रौयड्स गर्भाशय में विकसित होने वाले कैंसररहित पिंड होते हैं जो इस की दीवार की मांसपेशियों और संयोजी ऊतकों से बनते हैं. इन्हें सर्जरी के द्वारा निकाल दिया जाता है, जिसे मायोमेक्टोमी कहते हैं. इस सर्जरी के बाद भी फाइब्रौयड्स के पुन: विकसित होने की आशंका 25-30% तक होती है. इन से बचने के लिए नमक कम खाएं, रक्तदाब को नियंत्रित रखें, ऐक्सरसाइज करें, कमर के आसपास चरबी न बढ़ने दें, पोटैशियम का सेवन बढ़ा दें.

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20से 50 % महिलाओं को फाइब्रौयड की प्रौब्लम होती है, लेकिन केवल 3% मामलों में ही यह बांझपन का कारण बनता है. जो महिलाएं इस के कारण बांझपन से जूझ रही होती हैं, वे भी इस के निकलने के बाद सफलतापूर्वक गर्भधारण कर सकती हैं. बहुत ही कम मामलों में स्थिति इतनी गंभीर हो जाती है कि गर्भाशय निकालना पड़ता है. वैसे जिन महिलाओं को बांझपन की प्रौब्लम होती है उन में फाइब्रौयड्स अधिक बनते हैं. जानिए फाइब्रौयड के कारण बांझपन की प्रौब्लम क्यों होती है और उससे कैसे निबटा जाए:

क्या होता है फाइब्रौयड

यह एक कैंसर रहित ट्यूमर होता है, जो गर्भाशय की मांसपेशीय परत में विकसित होता है. जब गर्भाशय में केवल एक ही फाइब्रौयड हो तो उसे यूटराइन फाइब्रोमा कहते हैं. फाइब्रौयड का आकार मटर के दाने से ले कर तरबूज बराबर हो सकता है.

इंट्राम्युरल फाइब्रोयड्स

ये गर्भाशय की दीवार में स्थित होते हैं. यह फाइब्रौयड्स का सब से सामान्य प्रकार है.

सबसेरोसल फाइब्रौयड्स

ये गर्भाशय की दीवार के बाहर स्थित होते हैं. इन का आकार बहुत बड़ा हो सकता है.

सबम्युकोसल फाइब्रौयड्स

ये गर्भाशय की दीवार की भीतरी परत के नीचे स्थित होते हैं.

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जानें क्या है फाइब्रॉएड से जुड़े मिथ

जब महिलाएं 35 वर्ष की अवस्था तक पहुंचती है तो उनमें यूटरीन फाइब्रॉएड होना काफी आम बात होती है. इसे अक्सर यूटरस में सॉफ्ट ट्यूमर के रूप में जाना जाता है. अगर फाइब्रॉएड का इलाज लम्बे समय के लिए नहीं किया जाता है तो महिला की जिंदगी और उसका स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है.

इससे कभी-कभी मासिक धर्म के दौरान बहुत ज्यादा खून बहने की समस्या होती है या अगर यह फाइब्रॉएड बहुत ज्यादा बड़ा हो गया तो इससे पेल्विस में बहुत ज्यादा दर्द तथा भारीपन, पीठ दर्द, पैर में दर्द, यूरिनरी फ्रीक़्वेन्सी, और बॉवेल मूवमेंट में मुश्किल, सेक्स के दौरान बहुत ज्यादा दर्द और ब्लॉटिंग में सामान्य दर्द की भावना हो सकती है. चूंकि महिलाओं को इस कंडीशन के बारे में विधिवत जानकारी नहीं होती है. इसलिए उनमें इससे सम्बंधित कई मिथक तथा भ्रांतियां फ़ैल गयी है. इसलिए जरूरी है कि महिलाएं फाइब्रॉएड के बारें में जाने और इससे बचने के लिए उपाय कर सकें.

नीचे इस कंडीशन से सम्बंधित कुछ मिथक बताये जा रहे हैं.

पहला मिथक- यूट्रीन फाइब्रॉएड के लिए हिस्टेरेक्टॉमी ही एकमात्र प्रभावी इलाज है

एक दशक पहले यह बात सही थी. लेकिन अब मेडिकल के क्षेत्र में कई उन्नति होने से अब हमारे पास यूट्रीन फाइब्रॉएड का इलाज करने के लिए कम से कम चीरफाड़ वाली प्रक्रिया मौजूद है. और अब हिस्टेरेक्टॉमी एक वैकल्पिक इलाज बन गया है. हमने कई महिलाओं के लिए न्यूनतम इनवेसिव विकल्प यूट्रीन फाइब्रॉएड एम्बोलिज़ेशन (यूएफई) किया . यह नॉनसर्जिकल आउट पेशेंट प्रक्रिया गर्भाशय (यूटरस) को निकाले बिना यूटरीन फाइब्रॉएड का इलाज कर सकती है. यूएफई उन महिलाओं के लिए बढ़िया होती है जो इनवेसिव सर्जरी से बचना चाहती हैं.

दूसरा मिथक: फाइब्रॉएड कैंसर हैं

यूटरीन फाइब्रॉएड का पता चलने के बाद महिला के दिमाग में पहला सवाल यह आता है कि “क्या फाइब्रॉएड कैंसर? ” इस सवाल का जवाब है कि यह कैंसर नहीं होता है. फाइब्रॉएड ट्यूमर की स्लो वृद्धि होती हैं और इसका यूट्रीन कैंसर से कोई संबंध नहीं है. फाइब्रॉएड इस हद तक दर्दनाक होते हैं कि वे जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकते हैं.लेकिन ये जानलेवा नहीं होते है. फाइब्रॉएड का इलाज दवा या न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया के माध्यम से किया जा सकता है.

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तीसरा मिथक: फाइब्रॉएड से गर्भावस्था प्रभावित होती है

लोगों का मानना है कि अगर किसी महिला को यूट्रीन फाइब्रॉएड का पता चलता है, तो वह गर्भधारण नहीं कर सकती है. वे अक्सर यूट्रीन फाइब्रॉएड को बांझपन समझते हैं. लेकिन सभी फाइब्रॉएड आपकी प्रजनन क्षमता को प्रभावित नहीं करते हैं. गर्भावस्था वास्तव में कई अन्य फैक्टर्स पर भी निर्भर करती है. यह देखा गया है कि जिन महिलाओं में फाइब्रॉएड का लक्षण नहीं दिखता है, वैसी महिलाएं आमतौर पर किसी भी प्रजनन समस्या का सामना नहीं करती है. फाइब्रॉएड होने के बावजूद कई महिलाएं स्वस्थ गर्भ धारण कर सकती हैं.

चौथा मिथक: फाइब्रॉएड एक बार अगर हटा दिया गया तो वह दोबारा नहीं होता है

फाइब्रॉएड फिर से हो सकता है, भले ही आपने इस स्थिति का इलाज करा लिया हो. यह महत्वपूर्ण है कि अगर आपमें यह समस्या हो चुकी हो तो इलाज के बाद भी अपने चिकित्सक के साथ नियमित तौर पर संपर्क में रहे. नियमित टेस्ट और इमेजिंग टेस्ट के माध्यम से आपका चिकित्सक दोबारा फाइब्रॉएड होने की जांच करेगा. अग़र यूट्रीन फाइब्रॉएड फिर से हो जाता है तो मरीज को अलग इलाज कराने का सुझाव दिया जाता है. आपका चिकित्सक आपके लिए सही उपचार चुनने में आपकी सहायता करेगा. यूएफई सहित अधिकांश इनवेसिव सर्जरी कई महिलाओं को उनके गर्भाशय से फाइब्रॉएड को स्थायी रूप से बाहर करने में मदद करती हैं.

पांचवां मिथक: फाइब्रॉएड का इलाज दवाओं के खाने से हो सकता है

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि फाइब्रॉएड फिर से भी हो सकता है. इसलिए यह जरूरी है कि डॉक्टर से कंसल्ट करने के बाद भी दवाओं को खाते रहना चाहिए. कुछ दवाएं समय के साथ फाइब्रॉएड को सिकोड़ने में मदद करती हैं और कभी-कभी कुछ अक्रामक उपचार भी स्थिति को खत्म करने के लिए फायदेमंद होते हैं. लेकिन दवाओं का सेवन न करना लक्षणों को बदतर कर सकता है और फाइब्रॉएड को बढ़ा सकता है.

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छठा मिथक: मेनोपॉज के बाद फाइब्रॉएड गायब हो जाता हैं

कभी-कभी मेनोपॉज के दौरान हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी कराने से आपके गर्भाशय में नया फाइब्रॉएड भी विकसित हो सकता हैं. यह दर्शाता है कि मेनोपॉज के बाद भी महिलाओं को भी फाइब्रॉएड के इलाज कराने की जरुरत होती है. यूएफई एक न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया है जो फाइब्रॉएड को ब्लड के प्रवाह को अवरुद्ध करके सुरक्षित और प्रभावी ढंग से सिकोड़ती है, जिससे फाइब्रॉएड सिकुड़ जाते हैं और लंबे समय के लिए गायब हो जाते हैं.

मदरहुड हॉस्पिटल, नोयडा के गायनेकोलॉजिस्ट और ऑब्सटेट्रिशियन- सीनियर कंसल्टेंट डॉ मंजू गुप्ता

मुझे पिछले कुछ सालों से फायब्रौयड्स की समस्या है, क्या इससे प्रैग्नेंसी में परेशानी है?

सवाल

मेरी उम्र 26 साल है. पिछले महीने ही मेरी शादी हुई है. मुझे पिछले कुछ सालों से फायब्रौयड्स की समस्या है. क्या इस से मुझे गर्भधारण करने में परेशानी आएगी?

जवाब-

फायब्रौयड्स की समस्या महिलाओं में आम है. अगर हम 10 महिलाओं का अल्ट्रासाउंड करते हैं तो उन में 5 महिलाओं में यह समस्या होती है. दरअसल, फायब्रौयड्स के आकार, संख्या और स्थिति पर निर्भर करता है कि गर्भधारण करने में कितनी परेशानी आएगी. अगर फायब्रौयड्स छोटे हैं और संख्या कम है तो आप को उपचार की कोई जरूरत नहीं है. आप सामान्य रूप से गर्भधारण कर सकती हैं. लेकिन अगर फायब्रौयड्स का आकार बड़ा है तो उन का उपचार कराना जरूरी हो जाता है. लैप्रोस्कोपिक तकनीक ने फायब्रौयड्स के उपचार को आसान बना दिया है. उपचार के पश्चात ऐसी स्थिति में भी सामान्य रूप से गर्भधारण करना संभव है.

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मां बनना एक बेहद खूबसूरत एहसास है, जिसे शब्दों में पिरोना मुश्किल ही नहीं, बल्कि असंभव सा भी प्रतीत होता है. कोई महिला मां उस दिन नहीं बनती जब वह बच्चे को जन्म देती है, बल्कि उस का रिश्ता नन्ही सी जान से तभी बन जाता है जब उसे पता चलता है कि वह प्रैगनैंट है.

प्रैग्नेंसी के दौरान हालांकि सभी महिलाओं के अलगअलग अनुभव रहते हैं, लेकिन आज हम उन आम समस्याओं की बात करेंगे, जिन्हें जानना बेहद जरूरी है.

यों तो प्रैग्नेंसी के पूरे 9 महीने अपना खास खयाल रखना होता है, लेकिन शुरुआती  3 महीने खुद पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है. पहले ट्राइमैस्टर में चूंकि बच्चे के शरीर के अंग बनने शुरू होते हैं तो ऐसे में आप अपने शरीर में होने वाले बदलावों पर नजर रखें और अगर कुछ ठीक न लगे तो डाक्टर का परामर्श जरूर लें.

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