अनन्या पांडे की बहन अलाना ने इवोर मैकक्रे से की शादी, देखें फोटोज

बॉलीवुड एक्ट्रेस अनन्या पांडे की कजिन अलाना पांडे (Alanna Panday) ने अपने लॉन्गटर्म बॉयफ्रेंड आइवर मैक्रे (Ivor Mccray) के साथ शादी कर ली है. इस कपल ने 16 मार्च यानी गुरुवार को फैमिली मेंबर्स और करीबी लोगों के अलावा बॉलीवुड इंडस्ट्री के सिलेब्स की मौजूदगी में सात फेरे लिए हैं. अलाना पांडे और आइवर मैक्रे की शादी मुंबई में हुआ है और दोनों की शादी के बाद तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं. कपल की तस्वीरें को फैंस खूब पसंद कर रहे हैं

 

 

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अनन्या पांडे ने दिखाई शादी की झलक

अनन्या पांडे ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट की स्टोरी पर अपने कजिन अलाना पांडे और आइवर मैक्रे की शादी के वीडियो शेयर किए हैं. वहीं, अनुराग कश्यप की बेटी आलिया कश्यप ने भी दोनों की शादी की तस्वीर अपने इंस्टाग्राम अकाउंट की स्टोरी पर शेयर की है. शादी के दौरान अलाना पांडे ने आइवरी कलर का लहंगा पहना हुआ था. वहीं आइवर मैक्रे ने मैचिंग शेरवानी पहन रखी थी। अपनी शादी में ये कपल काफी प्यारा लग रहा था.

 

अलाना पांडे और आइवर मैक्रे की शादी में पहुंचे सिलेब्स

अलाना पांडे और आइवर मैक्रे की शादी में चंकी पांडे की फैमिली के अलावा बॉलीवुड इंडस्ट्री से जैकी श्रॉप, मनीष मल्होत्रा, नंदिता महतानी, अलविरा अग्निहोत्री, महिमा चौधरी, एली अवराम और अनुषा दांडेकर सहित तमाम सेलिब्रिटीज पहुंचे थे. बताते चलें कि अलाना पांडे और आइवर मैक्रे के प्री-वेडिंग फंक्शन के फोटोज सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुए थे. गौरतलब है कि अलाना पांडे और आइवर मैक्रे की सगाई पहले हो चुकी है और ये दोनों लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे थे. बताते चलें कि अलाना पांडे बॉलीवुड के वेटरन एक्टर चंकी पांडे के भाई चिक्की पांडे और भाभी डिएन पांडे की बेटी हैं. अलाना पांडे भले ही बॉलीवुड इंडस्ट्री में एक्टिव ना हो लेकिन सोशल मीडिया पर अपनी तस्वीरों से लाइमलाइट में रहती हैं.

सस्टेनेबल फैशन में हाथ बढाने, आगे आये कई सेलेब्स

पिछले कई सालों से फैशन इंडस्ट्री को सस्टेनेबिलिटी के साथ जोड़ा जाता रह है, क्योंकि फैशन इंडस्ट्री का एनवायर्नमेंटल पोल्यूशन में एक बड़ा हाथ रहा है, क्योंकि फैशन प्रोडक्ट से एक बहुत बड़ी मात्रा में वेस्ट प्रोडक्ट निकलता है, जिसका सही रूप में प्रयोग करना जरुरी है, इसलिए सभी डिज़ाइनर इस बात का ध्यान रखने की कोशिश करते है कि स्लो फैशन हो, ताकि अंधाधुंध कपडे न खरीदकर एक अच्छी और खूबसूरत पोशाक पर व्यक्ति पैसे खर्च करें जो सालों साल एक जेनरेशन से दूसरी जेनरेशन को हस्तांतरित की जा सकें. इस बार की लेक्मे फैशन वीक 2023 जो फैशन डिजाइनिंग काउंसलिंग ऑफ़ इंडिया के पार्टनरशिप के साथ शुरू की गयी, जिसमे पहले दिन इको फैशन पर आधारित शो में आईएनआईऍफ़डी जेन नेक्स्ट के विजेता ‘कोयटोय’ ने ब्राइट कलर्स और ब्राइट मोटिफ्स से सबके मन को मोहा, राज त्रिवेदी की कलेक्शन "Scintilla" ने मेटेलिक पोशाक को रैंप पर जगह दी. हीरू के कलेक्शन की स्मार्ट लेयरिंग फ्री फ्लो फैशन पर अधिक ध्यान दिया, जिसमें स्टोन वाशिंग, चुन्नटे, प्लीट्स और स्मोकिंग पर अधिक काम किया गया. जैकेट, पलाज़ो पेंट, स्कर्ट, फ्रॉक्स आदि सभी मेलेनियल पोशाक जो यूथ हर अवसर पर पहन सकते है, उसको प्राथमिकता दी गई.

सस्टेनेबल साडी की बात करें, तो इसमें डिज़ाइनर अनाविला मिश्रा की पोशाक ‘डाबू’ की खूबसूरती देखने लायक थी. 10 साल के उनके इस अनुभव में उन्होंने साड़ी पहनने को एक नया रूप दिया है, जो मॉडर्न, लाइट एंड ऑथेंटिक रही. इसमें डिज़ाइनर ने ब्लाक प्रिंटिंग, वेजिटेबल डाई आदि का प्रयोग किया है, जो बहुत ही स्टाइलिंग और अलग दिखे. उनके कॉटन साडीज, जो धोती पैटर्न, जुड़े के साथ सबके आकर्षक का केंद्र बनी, ये स्टाइल अनाविला मिश्रा ने बंगाल के शान्तिनिकेतन से प्रेरित हो कर क्रिएट किया है, वह कहती है कि आजकल की लडकिया साड़ी ड्रेपिंग नहीं जानती, उन्हें ये कठिन लगता है. मैंने बंगाल के फुलिया से प्रेरित मसलिन फेब्रिक को साड़ी में प्रयोग किया है, जो बहुत सॉफ्ट और आरामदायक है और इसे सालों से बंगाल में महिलाएं बिना ब्लाउज के पहना करती थी, जिसे आज की लड़कियों ने कभी देखा और जाना नहीं, ये कपडे बहुत ही सॉफ्ट और सालों साल पहने जा सकते है. इसमें उन्होंने ब्लाक प्रिंट के लिए मड यानि कीचड़ का प्रयोग किया है, जिसमे कपडे पर पहले कीचड़ को स्प्रे कर बाद में रंगों का स्प्रे किया जाता है, जो पर्यावरण के हिसाब से भी हानिकारक नहीं होता और कूल फील देता है.

दिल्ली की डिज़ाइनर डूडल एज ने भी रिसायकलड वेस्ट मटेरियल से बने पोशाक रैम्प पर उतारें, जिसमे 90 के दशक के सुंदर फ्लोरल प्रिंट्स, सॉलिड कलर्स, डेनिम प्रस्तुत किये. दूसरी सबसे अच्छी रुचिका सचदेवा की ब्रांड बोडीस रही, जिसके कैजुअल आउटफिट काफी सुंदर रहे, जिसमे प्लेटेड शर्ट्स, फ्लेयर्ड ट्राउजर्स, असमान टॉप, जो किसी भी दिन और रात को पहनने के लिए परफेक्ट पोशाक है, उसे दिखाया गया.

इस दिन एक्ट्रेस रकुल प्रीत सिंह डिज़ाइनर श्रुति संचेती के लिए शो स्टॉपर रही, जबकि अभिनेता विजय वर्मा दिव्यम मेहता के लिए और अभिनेत्री, मॉडल आर माँ नेहा धूपिया आईएनआईऍफ़डी लांचपैड के लिए रैम्प पर वाक् किया और नए डिजाईनरों को सस्टेनेबल फैशन के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया. इसके अलावा इस दिन कोंकना सेन शर्मा, सोनाली बेंद्रे और मंदिरा बेदी भी सस्टेनेबल फैशन को सपोर्ट करने के लिए इंडियन ऑउटफिट में दिखाई पड़ी.

अभिनेत्री कावेरी प्रियम से जाने बुजुर्गो के अकेलापन का सीधा हल, कैसे, पढ़े इंटरव्यू

अभिनेत्री कावेरी प्रियम झारखंड के बोकारों की है. उन्हें बचपन से ही अभिनय का शौक रहा. उनके पिता सेल (स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड) में प्रबंधक के रूप में काम करते हैं, उनके भाई रितेश आनंद ब्रिटिश टेलीकॉम में वित्तीय विश्लेषक हैं. कावेरी के परिवार में कोई भी एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री से नहीं है, फिर भी उनका साथ हमेशा रहा है. स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, वेल्लोर से अपना ग्रेजुएशन पूरा किया. कावेरी ने एक्टिंग का कोर्स दिल्ली के इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिएटिव एक्सीलेंस से वर्ष 2016 में किया था. पढ़ाई पूरी करने के बाद वह कैरियर बनाने के लिए मुंबई आ गईं और कई प्रिंट शूट और विज्ञापन करके एक मॉडल के रूप में अपना करियर शुरू किया.

टेलीविजन पर कैरियर की शुरुआत उन्होंने साल 2015 में नागिन सीजन 2 से की थी. उस शो में उन्होंने एक छोटी सी भूमिका निभाई थी. इस शो के बाद उन्होंने सीरियल “परदेस में है मेरा दिल” में काम मिला. साल 2019 में, उन्होंने हिंदी टीवी सीरियल “ये रिश्ते हैं प्यार के” में कुहू माहेश्वरी की भूमिका निभाई थी, जिसमे आलोचकों ने उनके काम को काफी सराहा. इसके बाद उन्हें कई शोज मिले, हर तरह की भूमिका पसंद करने वाली कावेरी अब सोनी सब की शो ‘दिल दिया गल्लां’ में अमृता ब्रार की मुख्य भूमिका में है. शो और अपनी  जर्नी के बारें में उन्होंने खास गृहशोभा के लिए बात की,  आइये जानते है उनकी जर्नी कैसी रही.

 

रिलेटेबल कहानी

कावेरी के पेरेंट्स झाड़खंड के बोकारो में रहते है और उन्होंने स्कूल की पढ़ाई वही से की है. आज के हालात पर बनी इस शो में काम करने की वजह के बारें में पूछने पर कावेरी बताती है कि आज अधिकतर घरों में बच्चे पेरेंट्स को छोड़कर बाहर या विदेश काम करने या पढने चले जाते है, ऐसे में उनके पेरेंट्स अकेले रह जाते है. धीरे-धीरे उनके बीच दूरियां बढती जाती है, जेनरेशन  गैप बढ़ता जाता है. माता-पिता अपने दिल की बात किसी से शेयर नहीं कर पाते. उनमे डिप्रेशन और अकेलापन का विकास हो जाता है. इतना ही नहीं मैं इस भूमिका से खुद को हमेशा रिलेटेबल पाती हूँ, क्योंकि मैं भी अपने पेरेंट्स को छोड़कर मुंबई आ गई हूँ. मुझे उनकी भावनाओं की समझ है. चरित्र को निभाना भी मुझे अच्छा लग रहा है, क्योंकि इसमें मैं मॉडर्न लड़की हूँ, लेकिन गुजराती पारंपरिक परिवार से हूँ, ऐसी परिस्थिति में भी मैं बहुत ग्राउंडेड हूँ. मैं इससे खुद को बहुत अच्छी तरीके से जोड़ पाती हूँ, क्योंकि मैं रियल लाइफ में प्रैक्टिकल होने के साथ-साथ पारंपरिक चीजों को भी फोलो करती हूँ. दोनों शेड मुझे बहुत पसंद है.

रिश्तों में होनी चाहिए बातचीत

आज के एकाकी परिवार में बुजुर्गों को एक उम्र के बाद सम्हालने वाले कम होते है और विदेशों की तरह यहाँ उतनी सुविधा नहीं है कि एक बुजुर्ग अकेले शांतिपूर्वक सुरक्षित रह सकें और उनकी देखभाल सरकार या किसी संस्था के द्वारा किया जाता हो. देखभाल की व्यवस्था होने पर उन्हें अकेले रहने में किसी प्रकार की समस्या नहीं होती, पर यहाँ ऐसा नहीं है और बुजुर्गो की देखभाल कमोवेश बच्चों को ही करना पड़ता है. कावेरी कहती है कि रिश्ते को अच्छा बनाए रखने के लिए दो लोगों के बीच में बातचीत होने की बहुत जरुरत है, क्योंकि भाई-बहन, पति-पत्नी, या किसी भी रिश्ते में एक दूसरे की खैर खबर लेने की जरुरत होती है, इससे व्यक्ति दूर रहकर भी एक दूसरे से जुड़ा रह सकता है. इसे अपनाने की जरुरत है, क्योंकि भविष्य में आगे बढ़ने के लिए कोई भी कही जा सकता है, लेकिन परिवार भी इग्नोर न हो, इसका ख्याल उन्हें रखना है. मैं कितनी भी व्यस्त क्यों न रहूं, मैं अपने परिवार और दोस्तों से बात करने का समय अवश्य निकाल लेती हूँ और ये मुझ पर ही निर्भर करता है. इसलिए ये सभी बच्चों पर अधिक निर्भर करता है, वैसे ही पेरेंट्स को भी बच्चों को समझना है, वे अधिक एक्सपेक्टेशन बच्चों से न रखे, तभी वे खुश रह सकते है. ये सही है कि बाहर जाने वाले बच्चों के लिए लगातार एक सपोर्ट की जरुरत होती है. पहले विदेश जाने पर किसी को भी परिवार की खबर लेना मुश्किल होता था, पर आज ये नहीं है, तकनीक ने अपना योगदान दिया है. इसमें सब सही हो सकता है, एफर्ट दोनों तरफ से होनी चाहिए.

 

मिली प्रेरणा

फिल्मों में आने की प्रेरणा के बारें में पूछने पर कावेरी का कहना है कि बचपन से ही मुझे एक्टिंग का काफी शौक रहा है. स्कूल कॉलेज में मैंने काफी नाटकों और डांस में भाग लिया है. बडी हुई, तो एक्स्ट्रा कर्रिकुलम भाग लेना भी अच्छा लगता था, इससे मेरे अंदर अभिनय की तरफ बढ़ने की प्रेरणा मिली. सोसाइटी में किसी भी फेस्टिवल पर मैं आसपास के सबको बुलाकर स्क्रिप्ट लिखती थी और स्टेज पर परफॉर्म करती थी. ये खेल-खेल में निकल जाता था. तब मैंने नहीं सोचा नहीं था कि एक्टिंग मेरा प्रोफेशन बनेगा, क्योंकि परिवार में एजुकेशन को अधिक महत्व दिया जाता था, पढाई को पूरा करना मेरे लिए जरुरी था. मैं उसे पूरा कर रही थी और साथ में दिल्ली में नाटक देखा करती थी. एक जगह मैंने शो के लिए ऑडिशन दिया था, जो मुंबई में होना था, मैं चुन ली गई और उस शो के लिए मुंबई आई, लेकिन शो शुरू नहीं हुआ, पर मैंने समय न गवाकर मुंबई आकर एक्टिंग का कोर्स ज्वाइन कर लिया, क्योंकि मुझे लग रहा था कि मैं अभिनय के क्षेत्र में कुछ कर सकती हूँ. मेरा पैशन एक्टिंग ही है और इसमें मुझे समय देने और मेहनत करने की जरुरत है.

परिवार का सहयोग 

कावेरी का आगे कहना है कि परिवार ने हमेशा सहयोग दिया है, पहले उनके मन में डाउट तो था कि मैं कैसे मुंबई जाकर सरवाईव करुँगी, लेकिन उन्होंने ही मुझे मुंबई छोड़ने आये और सारा इंतजाम कर वापस गए. मैं इस बात में खुद को लकी मानती हूँ.

संघर्ष 

कावेरी कहती है कि मेहनत की बात करें. तो वह मेरे लिए बहुत अधिक ही था, शुरू में मैंने एक दिन में 20 से 25 ऑडिशन दिए है. हर दिन ऑडिशन के लिए जाती है, ऑडिशन देकर ही मैंने बहुत कुछ सीखा है. कैसे रिलेटेबल ऑडिशन दिया जाता है, उनकी पसंद क्या होती है, आदि को समझने में समय लगा, लेकिन मैं उन दिनों थिएटर करती रहती थी, इससे समय का पता अधिक नहीं चला. असल ब्रेक वर्ष 2018 में ‘ये रिश्ते है प्यार के’ से मिला. मैने दो साल तक संघर्ष किया है. हर स्टेज का अलग संघर्ष रहता है. पहले लोगों को जानना, जान जाने पर काम का मिलना, और अंत में खुद के अनुसार काम का मिल पाना. ऑफ़र आते है, पर मुझे करना नहीं है, तो ना बोलना पड़ता है. ना कहने के बाद पसंद का काम मिलना, इसमें संघर्ष रहता है. मुझे अब अच्छा काम मिला.

नहीं है कोई दायरा

मैंने कभी खुद को किसी दायरे में नहीं बाँधा, अलग-अलग एक्टिंग करनी है, बस यही सोच हमेशा रही है. किसी भी फिल्म, वेब या टीवी शो हर में काम करने की इच्छा है. वेब में इंटिमेट सीन्स होते है, पर ये कहानी पर निर्भर होता है.  मैंने हमेशा फॅमिली शो करने की कोशिश की है. मैं इंटिमेट सीन्स को गलत नहीं कहती. ये हर कलाकार पर निर्भर करता है कि वह कौन सी शो करे और किसे ना कहे. मैं एक कलाकार हूँ और हर एक्टर डायरेक्टर के साथ काम करना चाहती हूँ, लेकिन अमिताभ बच्चन मेरे ड्रीम को-स्टार है.

दिल्ली से मुंबई आकर खुद को सेटल्ड करना कावेरी के लिए आसान नहीं था, लेकिन उन्हें करना क्या है, इसकी जानकारी थी, जिससे उन्हें अधिक इधर-उधर भटकना नहीं पड़ा. बाहर से आने पर स्ट्रेस लेवल हमेशा हाई रहता है, ऐसे में खुद को स्ट्रेस मुक्त रखने के लिए कावेरी ने हमेशा परिवार का सहारा लिया. वह कहती है कि तकनीक का सहारा आज अधिक है, ऐसे में तनाव होने पर एक वेब सीरीज उठा कर पूरा देख लेती हूँ, ताकि बाकी कुछ भी भूल जाऊं, इसके अलावा मैडिटेशन करती हूँ. मेरी इच्छा है कि दर्शक मुझे देंखे और उनका प्यार मेरे लिए हमेशा बनी रहे.

ऐसा लगा है कि मुझे थोडा ग्लैमर अडॉप्ट करना चाहिए– पायल घोष

बीबीसी टेलीफिल्म शार्प्स पेरिल से अभिनय क्षेत्र में उतरने वाली अभिनेत्री पायल घोष (Payal Ghosh) ने 17 साल की उम्र में अपने माता-पिता को बताये बिना कोलकाता से मुंबई आ गयी और अपने रिश्तेदार के यहाँ रहने लगी. प्रदीप घोष और अजंता घोष के घर में जन्मी पायल को बचपन से ही अलग-अलग तरह के एक्टिंग आईने के सामने खड़ी होकर करना पसंद था, इसमें साथ दिया उसके दोस्तों और कजिन्स ने, जिन्होंने हमेशा उसे अभिनय के क्षेत्र में कोशिश करने की सलाह दी. मुंबई आने के बाद पायल ने एक्टिंग का कोर्स किया और वही से काम मिलने लगा. फिल्म पटेल की पंजाबी शादी पायल घोष (Payal Ghosh) की हिंदी फिल्म है, जिसमें उसके काम की काफी सराहना मिली. हिंदी के अलावा पायल ने तमिल, तेलगू और कन्नड़ फिल्मों में भी काम किया है. हंसमुख और शांत स्वभाव की पायल लॉक डाउन में कई फिल्मों को देखना और वेब सीरीज के स्क्रिप्ट पढ़ रही है, उनसे बात करना रोचक था, पेश है अंश.

सवाल-फिल्मों में आने की प्रेरणा कहाँ से मिली?

एक्टिंग का ख्याल मुझे कभी आया नहीं था, क्योंकि मेरा परिवार बहुत कंजरवेटिव है. हिंदी फिल्में देखना बहुत पसंद था. मैं माधुरी दीक्षित की फिल्में देखना पसंद करती थी. उनकी हर बात मुझे अच्छी लगती है. 17 साल की होने पर कुछ अलग करने की इच्छा हुई, क्योंकि हमारे परिवार में लड़कियां थोड़ी बड़ी हो जाने पर शादी कर दी जाती है. मैं ऐसा नहीं करना चाहती थी और 12 वीं कक्षा की परीक्षा देने के बाद मैं मुंबई अपनी कजिन के पास आ गयी. मैंने किसी को बताये बिना ही मुंबई आ गयी थी, क्योंकि मैं दिखने में सुंदर थी और मेरी शादी हो जाएगी, ऐसा सोचकर मैंने कोलकाता से भागने का प्लान कजिन के साथ मिलकर किया. मैं दिखने में अच्छी हूं, इसका पता मुझे स्कूल के दिनों से ही लग गया था. मुझे स्कूल में 700 से 800 कार्ड्स वेलेंटाइन डे पर मिलते थे. कजिन्स पैसे लेकर मैंने फ्लाइट की टिकट ली और रात को जब सब सो रहे थे मैं दबे पाँव घर से निकल गयी और मुंबई अपने रिश्तेदार के पास आ गयी. किसी को भी पता नहीं चला था. सब मुझे कोलकाता में ढूंढ रहे थे, मुंबई पहुंचकर मैंने घरवालों को बताया. सभी के लिए ये न्यूज़ शाकिंग थी. पिता ने 6 महीने तक मुझसे बात भी नहीं की थी. असल में मेरी माँ बचपन में गुजर चुकी है, पिता ने ही हम दो बहनों को बड़ा किया है. वे कोलकाता कंस्ट्रक्शन से जुड़े हुए है.

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इसके बाद मैंने किशोर नमित की एक्टिंग क्लासेज ज्वाइन किया और उसके तुरंत बाद मुझे बीबीसी की टेलीफीचर फिल्म मिल गयी थी. छोटी भूमिका थी, पर सबने पसंद किया. इसके बाद मुझे तेलगू फिल्म मिली, इस तरह से मेरा कैरियर शुरू हो गया.

सवाल-आपका संघर्ष कितना रहा?

मुझे अधिक संघर्ष नहीं करना पड़ा, क्योंकि आते ही मैंने एक्टिंग क्लास ज्वाइन कर लिया था, इससे मुझे 8 दिनों के अंदर पहला प्रोजेक्ट मिल गया था, इसके बाद साउथ की फिल्म ‘प्रायानम’ मिली. मैं इस विषय पर अपने आप को लकी मानती हूं. मैं अपने दोस्त के साथ ऑडिशन देखने गयी थी और निर्देशक को मैं पसंद आ गयी और मुझे काम मिल गया. उसके बाद काम मिलता गया. अभी पिता भी मेरे काम से बहुत खुश है.

सवाल-ग्लैमर इंडस्ट्री के बारें में आपकी सोच पहले से कितनी बदली है?

पहले मैंने सुना था कि इंडस्ट्री में लोग अच्छे नहीं होते, लकिन जब मैंने साउथ में काम करना शुरू किया मुझे किसी भी प्रकार की समस्या नहीं आई. पहली फिल्म हिट होने के बाद काम मिलना शुरू हो गया. साउथ में एक्टर्स को बहुत अधिक मान दिया जाता है. मैंने काम के साथ-साथ अपनी पढाई भी पूरी की है. पढाई पूरी करने के बाद मैं मुंबई पूरी तरह से शिफ्ट हो गयी हूं.

सवाल-फिल्मों में इंटिमेट सीन्स करने में आप कितनी सहज है?

मेरा परिवार अभी भी मुझे शोर्ट ड्रेस में देखना पसंद नहीं करता. छोटे हो या बड़े सभी सदस्यों को ऐतराज होता है, पर मैं सबकुछ पहनती हूं. मैंने अभी तक कोई ग्लैमर एक्टिंग नहीं की है. अभी मैंने कुछ बोल्ड शूट एक मैगज़ीन के कवर के लिए किया है और ये मेरा पहला असाइनमेंट है. मैंने पहले ऐसी किसी भी फिल्म में ऐसे रिविलिंग शूट नहीं किया, इसके बाद से मुझे ऐसा लगा है कि थोडा ग्लैमर मुझे अडॉप्ट करना है. हमेशा घरेलू अभिनय करना ठीक नहीं, थोडा बोल्ड होना पड़ेगा, क्योंकि इससे अलग-अलग भूमिका करने का मौका मिलेगा. वेब सीरीज मैंने अभी तक नहीं किये है, क्योंकि पहले वेब सीरीज में इंटिमेट सीन्स और स्किन शो अधिक था, लेकिन अब उसमें भी काफी परिवर्तन आया है. आजकल कांसेप्ट पर अधिक जोर दिया जा रहा है. सब लोग इसे देख सकते है. आगे कई वेब सीरीज करने वाली हूं.

सवाल-कोई प्रोजेक्ट मिलने पर उसकी तैयारी कैसे करती है?

मैं सबसे पहले स्क्रिप्ट अच्छी तरह से पढती हूं. उर्दू के मेरे गुरु है, जो मुझे एक्सेंट सिखाते है. मेरे संवाद की प्रैक्टिस करती हूं. मैं मैथड एक्टर नहीं हूं, इसलिए मुझे अधिक प्रैक्टिस करनी पड़ती है. बंगाली होने की वजह से मुझमें बंगाली एक्सेंट है, इसलिए उसे अच्छी तरह से हटाती हूं, ताकि संवाद ओरिजिनल लगे. एक्टिंग मैं अधिक प्रैक्टिस नहीं करती.

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सवाल-बांग्ला फिल्म नहीं किया, इसकी वजह क्या रही?

मैंने बांग्ला फिल्म इंडस्ट्री से काम नहीं किया है, इसलिए वहां के लोगों को जानती नहीं  और किसी ने आजतक कोई ऑफर भी नहीं दिया अगर मौका मिला तो अवश्य बांग्ला फिल्म करुँगी. मेरे पिता भी चाहते है कि मैं बंगाल के लिए कोई फिल्म करूँ.

सवाल-बांग्ला फिल्म इंडस्ट्री की रौनक कम हो गयी है, अभी वहां पर स्टार फैक्टर भी नहीं है, इसकी वजह क्या मानती है?

बचपन में मैंने सुचित्रा सेन और उत्तमकुमार की फिल्में देखी है. पहले बांग्ला फिल्म बनती थी और लोग उसकी कॉपी हिंदी में करते थे. अब वे हिंदी कि कॉपी करने लगे है. असल में बांग्लादेश के मार्केट को पकड़ने के लिए वे अपनी सोच में फर्क करने लगे है, इससे ओरिजिनल कहानियां अब नहीं रही और इसे इंडस्ट्री भुगत रही है. सत्यजीत रे की फिल्म आज भी मैं देख सकती हूं.

सवाल-इस समय क्या-क्या कर रही है?

मैं फिल्में देखती हूं, जो मुझे बहुत पसंद है. कुछ नयी कांसेप्ट देखना पसंद करती हूं. खाना बनाना पड़ता है. यही सब चल रहा है.

सवाल-क्या कोई ड्रीम प्रोजेक्ट है?

रविन्द्रनाथ टैगोर की कहानी ‘चारुलता’ जिसे सत्यजीत रे ने बांग्ला में बनायीं थी. उसे कोई हिंदी में बनाये और मैं उसमें अभिनय करने की इच्छा रखती हूं.

सवाल-आपके सपनो का राजकुमार कैसा हो?

मुझे समझने वाले, अच्छी बातचीत करने वाले, सम्मान देने वाले, शिक्षित, प्रेजेंटेबल आदि होने चाहिए.

सवाल-लॉक डाउन में मेसेज क्या देना चाहती है?

मैं सभी नागरिकों से कहना चाहती हूं कि सभी लोग जो हमारी हिफाजत के लिए बाहर इस समय काम कर रहे है, जिसमें हेल्थ वर्कर्स, पुलिस और सफाई कर्मी सभी शामिल है. उनकी मेहनत को समझे और घर पर रहकर उनकी समस्या को न बढायें. उनको मारे पीटे नहीं, उनका सम्मान करें.

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