Paris Olympic : 7 माह की प्रैगनैंट तलवारबाज महिला ने जीता दिल

मन में हौसला हो और कुछ कर गुजरने की ललक तो न सिर्फ अपने सपनों को पंख दिया जा सकता है, बल्कि दूसरों के लिए मिसाल भी। ऐसी ही एक महिला ने इस बार पैरिस ओलिंपिक में कर के दिखा दिया, जिस की तारीफ पूरी दुनिया कर रही है…

पैरिस ओलिंपिक पूरे शबाब पर है. सीन नदी के किनारे बसे दुनिया के इस सब से खूबसूरत शहर में महिला खिलाड़ियों के जनून का जलवा देख पूरा विश्व तालियां बजाते हुए देख रहा है. स्पोर्ट्स के सब से बड़े अखाड़े में यंग गर्ल्स से ले कर न्यू मदर्स तक शामिल हैं.

कभी ओलंपिया पर्वत से शुरू हुए खेलों के इस आयोजन में महिलाओं की ओर से रोज नए इतिहास रचे जा रहे हैं. भारत की ही नहीं, दूसरे देशों की महिलाएं भी यह साबित करने में लगी हैं कि उसे अबला, कमजोर और बेचारी नारी न समझा जाए.

 

अचानक चर्चा में आई यह खिलाङी

जुलाई महीने के आखिरी दिन मिस्र की एक महिला खिलाड़ी अचानक चर्चा में आ गई. उसे न गोल्ड मैडल मिला, न ही सिल्वर और न ही कांस्य. इस के बावजूद पूरा विश्व उस की तारीफ कर रहा है.

दरअसल, इजिप्ट (मिस्र) और यूएस की महिला तलवारबाजों का मुकाबला चल रहा था. इस मुकाबले में इजिप्ट की फैंसर नाडा हाफिज जीत हासिल कर लेती हैं. इस के बाद नाडा का अगला मुकाबला था साउथ कोरिया की फैंसर से. दोनों महिलाएं एकदूसरे का बहादुरी से सामना कर रही थीं। अंत में जीत का ताज साउथ कोरिया के नाम गया और नाडा हार गईं. लेकिन इस के बावजूद भी पूरे वर्ल्ड में नाडा की चर्चा हो रही है. इस की वजह थी उन की सोशल मीडिया पोस्ट, जिस में उन्होंने एक बड़ा खुलासा किया था.

नाडा ने अपने पोस्ट के जरीए पूरी दुनिया को बताया कि वह 7 महीने की प्रैग्नैंट हैं. इंस्टाग्राम पोस्ट की उन की लाइन थी, “7 महीने की गर्भवती ओलिंपियन। मैच के दौरान पोडियम पर 2 नहीं 3 खिलाड़ी थे। मैं, मेरी प्रतियोगी और गर्भ में पल रही मेरी बच्ची…”

उसी पोस्ट में नाडा ने यह भी लिखा था कि खेल की वजह से मैं ने और मेरे गर्भस्थ शिशु ने फिजिकल और इमोशनल दोनों चुनौतियों का डट कर मुकाबला किया. प्रैग्नैंसी एक कठिन रोलकोस्टर राइड है। ऐसे में लाइफ और स्पोर्ट्स के बीच बैलेंस करना वाकई चैलेंज था.”

नाडा ने पूरी दुनिया की महिलाओं को अपने जरीए यह खास मैसेज दे दिया कि तुम किसी भी स्थिति में कुछ भी कर सकती हो.

 

नाडा से आई मैरी कोम की याद

नाडा की चर्चा ने मैरी कोम की याद ताजा कर दी है. मैरी कोम ने एक बार यह कहा था कि कई महिला खिलाड़ी शादी या प्रैगनैंसी के बाद खेल को अलविदा कह देती हैं लेकिन मैं ने यह साबित किया कि मां बनने के बाद भी चैंपियन का मैडल पहना जा सकता है. मैरी कोम 8 बार विश्व मुक्केबाजी प्रतियोगिता की चैंपियन रह चुकी हैं. वह साल 2012 में ओलिंपिक में ब्रोंज जीतने वाली पहली भारतीय महिला मुक्केबाज रही हैं. उन्होंने 3 बच्चों की मां होने के बावजूद अपनी साहस और प्रतिभा की वजह से ढेरों पदकों की माला पहनी है.

और भी नाम हैं

पैरिस ओलिंपिक की वजह से भारत की दीपिका कुमारी का नाम भी जोरशोर से लिया जा रहा है. उन की मां का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिस में वह कह रही हैं कि 30 साल की दीपिका के लिए यह ओलिंपिक बेहद खास है. उन्होंने कहा कि किस तरह दीपिका ने अपने नवजात शिशु को परिवार के पास छोड़ अपनी ट्रैनिंग शुरू की.

साल 2022 में मां बनने के केवल 20 दिन बाद ही उन्हें अपने 19 किलोग्राम के तीरधनुष के साथ कोलकाता के स्पोर्ट्स अथौरिटी औफ इंडिया (एसएआई) के मैदान पर लौटना पड़ा था.

2 बार की वर्ल्ड चैंपियन दीपिका जब अपनी नवजात बच्ची को ससुराल वालों के पास छोड़ कर प्रैक्टिस करने के लिए जा रही थीं, तो फूटफूट कर रो पड़ी थीं. दीपिका ने भी अपनी प्रैगनैंसी के 7वें महीने तक ट्रैनिंग ली थी लेकिन कुछ समस्याओं की वजह से उन्हें बीच में ही प्रैक्टिस छोड़नी पड़ी.

एक इंटरव्यू में दीपिका ने यह बताया कि उन की डिलिवरी नौरमल थी इसलिए मैदान में आना कठिन नहीं था लेकिन फिर भी पुराने फौर्म में वापस आने को ले कर ढेरों चुनौतियां सामने हैं.

नए बच्चे की वजह से उन्हें कभी रातभर जागना पड़ा, तो कभी कुछ ही घंटे की नींद पूरी हो पाई. फिलहाल, 19 महीने की बच्ची को छोड़ कर यह मां पैरिस ओलिंपिक में खुद को साबित करने के लिए एड़ीचोटी करने में लगी हैं.

स्पोर्ट्स आइकौन बनीं मनु

पैरिस ओलिंपिक में 2 पदक जीत कर भारतीय महिला निशानेबाज मनु भाकर ने नया इतिहास रचा है, जो पिछले 124 साल की हिस्ट्री में कोई नहीं कर पाया. पहला कांस्य पदक जीत कर वह ओलिंपिक में भारत के लिए निशानेबाजी में पदक जीतने वाली पहली महिला बन गईं. मनु का यह पदक इसलिए और भी खास हो जाता है कि इस से पहले यह पदक जीतने वाले सभी एथलीट पुरुष थे.

मनु के पहले 2004 के ऐथैंस ओलिंपिक में राज्यवर्द्धन सिंह राठौड़ ने सिल्वर मैडल, 2008 के बीजिंग ओलिंपिक में अभिनव बिंद्रा ने गोल्ड मैडल, 2012 के लंदन ओलिंपिक में विजय कुमार ने सिल्वर और गगन नारंग ने ब्रोंज मैडल जीता था.

प्राचीन ओलिंपिक खेलों की शुरुआत 776 ईसा पूर्व मानी जाती है. ओलिंपिक खेलों के बारे में यह काफी मशहूर है कि खेलों के दौरान शहरों और राज्यों के बीच होने वाली लड़ाइयां तक रोक दी जाती थीं. तब से ले कर अब तक ओलिंपिक हर बार नया इतिहास रचता रहा है। लेकिन अब वह उस के खेलों की पौपुलरिटी की एक बड़ी वजह वूमंस स्पोर्ट्सपर्सन का दमखम है.

ओलिंपिक में महिलाओं की ऐंट्री

आधुनिक ओलिंपिक खेल की शुरुआत साल 1876 में हुई, तब केवल 14 देशों ने ही इस के खेलों में भाग लिया था. तब इन खेलों में किसी भी वूमन खिलाङी का नाम दूरदूर तक नहीं था.

महिलाओं ने सब से पहले साल 1900 के पैरिस ओलिंपिक में भाग लिया. तब करीब 997 ऐथलिट्स में से 22 महिलाएं थीं. इन महिलाओं ने टैनिस, गोल्फ, घुड़सवारी, क्रोकेट और नौकायान में भाग लिया था.

पहली बार साल 2012 के लंदन ओलिंपिक में पहली बार महिलाओं ने सभी खेलों में भाग लिया. ओलिंपिक खेलों में पहला मैडल जीतने वाली महिला थी हेलन डी पोर्टालेस. भारत के लिए ओलिंपिक का पहला पदक जीतने का श्रेय भारतीय वेटलिफ्टर कर्णम मल्लेश्वरी के नाम है. उन्हें यह पदक सिडनी ओलिंपिक में साल 2000 में मिला.

भारत की जनता पैरिस ओलिंपिक में अभी कई और महिला खिलाड़ियों से पदकों की आस लगाए टीवी के सामने इन के मुकाबले देख रही है.

 

प्रैगनैंसी की आड़ में महिलाओं को पंगु साबित करने की ज्योतिषीय सोच

प्रैगनैंट वूमन ने खुद को साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है जबकि ज्योतिष तो यह कहता है कि गर्भ के दिनों में कपल को दक्षिण की ओर सिर कर के सोना चाहिए क्योंकि दक्षिण की ओर पैर कर सोने को अशुभ माना गया है.

इतना ही नहीं, गर्भवती महिलाओं को इस बात की सलाह भी दी गई है कि वे कमरे में पूर्वजों की, वौयलेंट ऐनिमल्स की, महाभारत की फोटो नहीं लगाए।

ऐस्ट्रोलौजी ने तो प्रैगनैंट वूमन को इस बात की भी हिदायत दे दी है कि प्रैगनैंसी के समय बाल खोल कर नहीं सोना चाहिए.

गर्भवती महिला को कमजोर और नाजुक समझ कर कई तरह की हिदायतें दे दी गईं। इस में यह भी शामिल है कि इस दौरान शिव की पूजा नहीं की जानी चाहिए क्योंकि इस से उन का शरीर भारी हो जाएगा और उन के सांपों के नेत्र धुंधले हो जाएंगे.

कहने का मतलब है कि गर्भवती महिला इतनी अशुद्ध है कि उस के पूजा मात्र करने से भगवान ही नहीं पशु तक पर बुरा प्रभाव पड़ता है.
लेकिन क्या आप को लगता है कि महिलाओं ने ऐसी ओछी और छोटी सोच को दिखाने वाली बातों को फौलो किया होता तो पैरिस ओलिंपिक के पोडियम पर नाडा, मैरी कोम जैसी महिलाएं शान से खड़ी हो पातीं, अपने देश के झंडे को गर्व से लहरा पातीं,पूरे विश्व को अपने लिए तालियां बजाने पर मजबूर कर पातीं.

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