मैंने परिवार के साथ रहना सीखा है – गौरी किरण

मराठी फिल्म ‘पुष्पक विमान’ से चर्चित होने वाली अभिनेत्री गौरी किरण का नाम आज नामचीन अभिनेत्रियों की सूचीं में शामिल हो चुका है. किसान परिवार से सम्बन्ध रखने वाली गौरी को बचपन से ही कुछ अलग करने की इच्छा थी, जिसमें साथ दिया उनकी माता दीपाली महाजन और पिता दत्तात्रेय महाजन ने. स्वभाव से विनम्र और हंसमुख गौरी ने पहले छोटे-छोटे अभिनय कर मराठी इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनायी और जब मौका मिला तो उन्होंने सिद्ध कर दिया कि वह एक अनुभवी अभिनेत्री है. कोई गौडफादर न होने और अनिश्चित विधा होने की वजह से गौरी ने पढ़ाई ख़त्म की और इस क्षेत्र में उतरी. उसकी शादी हो चुकी है, पर काम के साथ वह परिवार की भी अच्छी तरह से देखभाल करती है. गौरी के इस सफलतम जीवन का राज क्या है आइयें जाने उन्ही की जुबानी.

सवाल- अभिनय में आने की प्रेरणा कहां से और कैसे मिली?

मैं कोंकण एरिया के रत्नागिरी जिले के एक छोटे से गांव वेरल से हूं. जहां केवल एक ही बस शाम को जाती है. वहां मेरा स्कूल भी 5 किलोमीटर दूर था, जहाँ चलकर जाना पड़ता था. दूरदर्शन या सह्याद्री मराठी चैनल ही देखती थी, पर बचपन से माँ चाहती थी कि मैं कुछ अलग करूं. मेरी मां भी बहुत अच्छी मिमिक्री किसी की भी कर लेती थी. इसके अलावा जब भी गांव में किसी अवसर पर कोई कार्यक्रम होता था, मेरी माँ मुझे तैयार कर उसमें भाग लेने के लिए कहती थी. स्कूल कौलेज में और कई एकांकी नाटक भी मैंने किये, जो दर्शको को बहुत पसंद आई और मुझे अवार्ड भी मिला. इससे मेरा हौसला बढ़ा अभिनय की ओर रूचि बढ़ी. मेरी प्रिंसिपल ने भी मुझे मुंबई आकर इस क्षेत्र में काम करने की सलाह दी थी, पर मैं पढाई पूरी करने के बाद ही इस क्षेत्र में उतरी, ताकि इसमें सफल न होने पर कुछ और कर सकूं.

सवाल- संघर्ष कितना था?

सबसे अधिक संघर्ष मुंबई में आकर रहना था, किसी ने यहाँ तक कहा कि अगर इस फील्ड में काम करना है तो मेरे घर मत आओं, पर मेरी एक दूर की रिश्तेदार जो विरार में रहती थी. उनके साथ रहना शुरू किया. इसके बाद प्रसिद्ध अभिनेता जयंत घाटे की एक धारावाहिक के लिए ऑडिशन दिया, पर तब मुझे कैमरे की कोई ज्ञान नहीं थी. मैंने थिएटर की तरह ही औडिशन दिया. जिसे देख पूरा यूनिट मुझपर हंसा, पर मैं दृढ़ थी, क्योंकि मुझे इस क्षेत्र में काम करना था. इसके बाद कई धारावाहिकों में मुझे छोटी-छोटी भूमिका मिलनी शुरू हो गयी थी, पर पैसों की तंगी थी, क्योंकि कहीं से भी पैसे नहीं मिल रहे थे. मेरे परिवार की वित्तीय अवस्था इतनी अच्छी नहीं थी कि वे मुझे हेल्प कर सकें. मेरी बड़ी बहन ने मुझे इस फील्ड में आने के लिए बहुत सहायता की थी. पैसों की तंगी से बचने के लिए मैंने पत्रकारिता की पढ़ाई ख़त्म होने के तुरंत बाद नौकरी कर ली और बाद में इस क्षेत्र में आने की सोची. साढ़े चाल साल नौकरी करने के बाद मुझे फिर से ब्रेक मिला.

सवाल- पति का सहयोग कितना रहता है?

मेरे पति किरण कोठावदे भी अभिनय के क्षेत्र से ही है और मैं उनसे थिएटर के दौरान मिली थी. उन्होंने मुझे मेरे अभिनय स्किल को आगे बढ़ाने की सलाह दी. फिर से मैंने अभिनय करना शुरू किया. इस दौरान मुझे ‘पुष्पक विमान’ मराठी फिल्म मिली और इसके लिए मुझे महाराष्ट्र का स्टेट अवार्ड भी मिला और मेरा काम चल पड़ा.

सवाल- संघर्ष के दौरान मानसिक सहयोग आपको कैसे मिला?

परिवार को पता था कि मैं जो भी करुँगी अच्छा ही करुँगी. उन्होंने हमें बहुत सहयोग दिया. मैं भी अपने काम के ज़रिये उन्हें रेस्पेक्ट देना चाहती थी, जो मैं कर पायी. शादी मैंने माँ की ख़ुशी के लिए ही किया, ताकि उन्हें मेरे लिए अधिक चिंता न हो, क्योंकि वे मुझसे दूर रहती है और इस इंडस्ट्री के बारें में उन्हें अधिक ज्ञान नहीं.

सवाल- किस तरह की अभिनय आप अधिक पसंद करती है?

मेरी फिल्म ‘पुष्पक विमान’ की मेरी भूमिका को दर्शकों ने अपने आप से रिलेट किया था और अब मैं निगेटिव भूमिका कर रही हूं. मुझे हर तरह के अलग और चुनौतीपूर्ण भूमिका करना पसंद है. मराठी फिल्म ‘ब्लैंकेट’ में मैंने बहुत ही अलग भूमिका निभाई है, जो दर्शकों को चकित कर देगी.

सवाल- आउटसाइडर होने की वजह से मराठी इंडस्ट्री में भेद-भाव का सामना करना पड़ा?

अधिकतर मराठी एक्ट्रेस गाँव से आयें है और सफल भी है, ऐसे में अगर आपमें प्रतिभा है तो आपका रंग रूप और आउटसाइडर होना कोई माइने नहीं रखता. देर लगती है, पर काम मिलता है.

सवाल- किस चरित्र ने आपकी जिंदगी बदल दी?

पुष्पक विमान की भूमिका स्मिता ने मेरी जिंदगी बदल दी. दर्शकों से लेकर इंडस्ट्री में सभी ने मेरी अभिनय क्षमता को देखा था.

सवाल- परिवार के साथ काम की सामंजस्य कैसे करती है?

मैंने परिवार के साथ रहना सीखा है और सालों तक रहने के बारें में सोचती हूं. इससे सामंजस्य करने में कोई समस्या नहीं आती. मेरे सास ससुर बहुर अच्छे है और मुझे किसी भी काम से रोकते नहीं. उन्होंने मुझे बेटी मान लिया है. मुझे न तो खुद बदलना है और न ही किसी को बदलने की जरुरत है, इससे  सामंजस्य अपने आप ही बैठ जाता है.

सवाल- सफल वैवाहिक जीवन का राज क्या है?

हर युवा को ये समझने की जरुरत है कि अगर आपको अगला पसंद है, तो उसे बड़ा करने के लिए उसके माता-पिता ने अपनी पूरी जान लगायी है. उसके अच्छे लगने में सबसे अधिक  सहयोग उसके माता-पिता का ही है. इसलिए उन्हें सम्हालना जरुरी है.

सवाल- आप कितनी फूडी और फैशनेबल है?

मैं बचपन से खाना बनाती हूं और बहुत फूडी हूं. महाराष्ट्रियन किसी भी व्यंजन को मैं आसानी से बना लेती हूं. फैशन सेन्स पहले मुझे बिल्कुल नहीं था. मेरा देवर पंकज को फैशन के बारें में काफी जानकारी है और वह मुझे सहयोग देता है.

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