Festival Special: फैस्टिवल में सेहत का भी रखें ख्याल, बस फौलो करें ये हैल्दी टिप्स

दीवाली का त्योहार देश में बड़े त्योहरों में से एक है. इस त्योहार की तैयारियां महीनों पहले से शुरू हो जाती हैं. इस त्योहार के सीजन में सबसे ज्यादा ख्याल जिस चीज की रखने की जरूरत है, वो है अपनी सेहत.

रोशनी और उल्लास से भरा दिवाली का त्योहार भी नजदीक आ रहा है. एक ऐसा त्योहार जिसमें जिसमें मिठाईयों और नमकीन की भरमार होती है. जो कि सेहत के लिए हानिकारक साबित हो सकती है. लेकिन अगर आपने अपना और अपने परिवार का थोड़ा ध्यान रखा, तो ये रोशनी का त्योहार आपके लिए काफी खुशियां ला सकता है. जानिए इस रोशनी के त्योहार में कैसे रखें अपनी सेहत को ठीक.

कम मात्रा में ले चीना और वसा

इस सीजन में में सबसे ज्यादा मिठाईयां खाते है. जिसे मार्केट में खरीदने पर भरपूर मात्रा में वसा और चीनी का इस्तेमाल होता है. इसलिए कोशिश करें कि मिठाईयां घर पर ही बनाएं. इसके साथ ही कम मात्रा में घी, तेल का इस्तेमाल करें. आप चाहें तो शुगर फ्री भी उपयोग कर सकते हैं या शहद का प्रयोग कर सकते हैं. अगर मीठी डिश में मिठाइयों की जगह फ्रूट्स लें. कोल्ड ड्रिंक्स के जगह पर नींबू पानी, नारियल पानी या अन्य फ्रूट्स जूस आदि नेचुरल ड्रिंक्स लें.

कम से कम खाएं

त्योहारों के मौसम में हम खाने के मामले में सबसे आगे होते है. ये भी भूल जाते है कि इससे हमारी सेहत में बुरा प्रभाव पड़ता है. यहां तक कि हम अपनी डाइट चार्ट को यह कह कर भूल जाते हैं कि त्योहार एक-दो दिन का ही तो होता है. जिसके कारण हमारे शरीर में भरपूर मात्रा में कैलोरीज चली जाती हैं. दिवाली के मौके में हम भरपूर मात्रा में मिठाई, चॉकलेट और पकवान खाते हैं. जो कि वजन बढ़ने का एक कारण बन सकता है. इसलिए इस मौसम में खाना को नियंत्रित करके ही खाएं.

ज्यादा से ज्यादा लें प्रोटीन

इस मौसम में हम सबसे ज्यादा कैलोरी वाली चीजें खाते है. सभी डेयरी प्रोडक्ट में भरपूर मात्रा में कैलोरी होता है. इसलि इनकी जगह प्रोटीन वाली चीजें खाने की कोशिश करें. जैसे कि ड्राई फ्रूट्स में बादाम, अंजीर आदि. या फिर आप ब्राउन राइस, रागी, सूप के पैकेट आदि मिलाकर बना सकते है. यह आपकी सेहत के लिए एक गिफ्ट होगा.

यूरिया साफ करें

यूरिया शरीर के लिए विषाक्त होता है, तो शरीर में अतिरिक्त यूरिया होने से ऊर्जा का ह्रास होगा. और शरीर में ऊर्जा का निम्न स्तर, चीनी की लालसा को बढ़ाता है. तो इस त्यौहार के दौरान अधिक से अधिक पान पियें और अन्य पौष्टिक पेय जैसे, जूस नींबू पानी आदि पीते रहें.

अगर हो प्री-दिवाली पार्टी

अगर आपकी दिवाली की रात को बाहर पार्टी का प्लान है, तो थोड़ा सचेत रहें. घर से निकलने से पहले पौष्टिक सा आहार ले लें. इससे न सिर्फ आप अनावश्यक और हानिकारक खाद्य पदार्थ खाने से बचेंगे बल्कि, एल्कोहॉल के अतिरिक्त सेवन से भी बचेंगे.

न होने दें पानी की कमी

त्योहार के सीजन में काम अधिक होने जाने के कारण भागदौड़ करना पड़ता है. जिसके कारण हमारे शरीर में पानी की कमी हो जाती है. जिससे शरीर में एनर्जी और थकान सी महसूस होने लगती है. इसलिए काम के साथ-साथ समय निकाल पानी पीतें रहें.

करें छोटी प्लेट का इस्तेमाल

कई बार होता है कि हम बड़ी प्लेट लेकर खाना लगते है. जिसके कारण हम अधिक खाना खा लेते है. इसलिए जहां तक संभव हो तो छोटे बर्तनों का इस्तेमाल करें. साथ ही दुबारा खाना खाने से बचें.

एक्सरसाइज

भाग-दौड़ में हम अपनी रूटीन को भूल ही जाते हैं. इसलिए साथ में एक्सरसाइज जरूर करते रहें. नहीं तो आपको थकावट और अन्य समस्याएं हो सकती हैं.

Diwali Special: परिवार की खुशियों के साथ रखें उनके सेहत का ध्यान

दिवाली के त्योहार में फल, मिठाईयां तथा पकवान का विशेष आनंद लिया जाता है. लेकिन इस दिन खान पान की मिलने वाली आजादी कई बार घातक भी हो जाती है. यदि आप खान-पान संबंधी किसी विशेष प्रकार का डाईट चार्ट को फौलो कर रही हैं तो आपको और भी सतर्क रहने की जरुरत है. यदि आप इस दिवाली बिना स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाए इस त्योहार का पूरा आनंद लेना चाहती हैं तो आपको इन बातों का विशेष ध्यान रखना होगा.

मिठाई

आप चाहें जो भी मिठाई खा रही हों, उसको छोटे-छोटे टूकड़ों में खायें तथा उसका पूरा स्वाद लें. इससे आप उस मिठाई की अगली पीस को लेने से आसानी से बच जायेंगी. ज्यादातर कोशिश यह करें कि आप गुड़ तथा सुखे फल की बनी मिठाईयों को ही प्राथमिकता दें. ध्यान रखें कि ज्यादा मीठा खाना आपके लीवर पर असर कर सकता है.

छोटे प्लेट का उपयोग

यह जरुर ध्यान रखें कि खाने में कमी करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप खाने की प्लेट ही छोटी रखें. इससे आप प्लेट में कम खाना लेंगी. इसके अलावा जब भी आप मिठाईयों का उपयोग करें तब यह निश्चित करें कि आपके द्वारा उपयोग में ली गई वस्तु उच्च गुणवत्ता वाली है.

पानी की मात्रा को बनाए रखें

शरीर में हमेशा पानी की मात्रा को बढ़ाकर रखें जिसके लिए आप फलों के ताजा जूस तथा नारियल पानी का उपयोग कर सकती हैं. पानी को सादा पीने के बजाय उसमें नीबूं, मिंट, मिलाकर ही पीयें और पानी के स्तर को बनाए रखने के लिए खीरा, ककड़ी का भी उपयोग कर सकती हैं.

हेल्दी दिवाली गिफ्ट को चुने

दिवाली के अवसर पर आपस में गिफ्ट देने का प्रचलन है. अतः आपस में जब भी गिफ्ट का आदान-प्रदान करें तो उसमें स्वास्थ का ध्यान जरुर रखें. जिसमें काजू, किशमिश, बादाम, अखरोट, सुखे मेवे, किशमिश आदि हो तो अच्छा रहेगा.

खरीदारी करते समय पैदल ही घूमें

जब भी कोई खरीदारी करने या फिर किसी पार्टी में आप जाएं तो उसमें आप पैदल चलने को ही प्राथमिकता दें. यह आपके शरीर के लिए फायदेमंद तो होगा ही साथ में पर्यावरण के लिए भी उपयोगी होगा. इससे आप मिठाईयों को खाने से पैदा हुई एक्स्ट्रा कैलोरी को भी कम कर सकेंगे. त्योहार का दिन होने से आप जिम या रनिंग पर शायद न जा पायें तो चिंता न करें, घर की ही सीढ़ियों पर चढ़ना-उतरना प्रारंभ करें. इसके अलावा घर में मौजूद टेबल, डेस्क का सहारा लेकर स्ट्रेचिंग भी कर सकती हैं.

चीनी और शक्कर की मात्रा को कम करें

ज्यादा चीनी और नमक के सेवन को ना कहें. इससे आपके शरीर में सूजन, मोटापा तथा अन्य प्रकार की बीमारियों के होने की संभावना बढ़ जाती है.

Breakfast की ये गलतियां सेहत पर पड़ सकती हैं भारी

एक कहावक तो आपने सुना ही होगा दिन का नाश्ता किसी राजा की तरह करना चाहिए और रात का खाना भिखारी की तरह. दरअसल, इस कहावत में अच्छी सेहत का बेहतरीन मंत्र छिपा हुआ है. सुबह का नाश्ता दिन का सबसे महत्वपूर्ण भोजन है. नाश्ता ही हमारे मेटाबौलिज्म को किकस्टार्ट करता है. ऐसे में इसमें खाए जाने वाली चीजों का चुनाव करते वक्त खास सावधानी बरतने की जरूरत होती है. अपना नाश्ता चुनने में हममें से बहुत से लोग गलती कर जाते हैं. जिसका खामियाजा हमारी सेहत को भुगतना पड़ता है. नाश्ते में या तो हम बहुत ज्यादा मात्रा में शुगर प्रोडक्ट्स लेने लगते हैं या फैट की असंतुलित मात्रा लेना शुरू कर देते हैं. ऐसे में हमारी सेहत को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है. आज हम आपको 5 ऐसी गलतियों के बारे में बताने वाले हैं जो नाश्ते को लेकर हम करते हैं और जिससे सेहत संबंधी गंभीर समस्याओं की संभावना बढ़ती है.

1. नाश्ता स्किप कर देना

सुबह का नाश्ता न करना सेहत के साथ खिलवाड़ है. इससे मेटाबौलिज्म बुरी तरह से प्रभावित होता है. सुबह का नाश्ता दिन भर में आपकी पाचन शक्ति की बेहतरी के लिए जिम्मेदार होता है. यह लो ब्लड शुगर लेवल को रोकने में मददगार होता है. नाश्ता करने से आप दिन भर एनर्जेटिक होकर काम कर सकते हैं. इससे थकान नहीं होती है.

2. उपयुक्त मात्रा में नाश्ता न करना

नाश्ते में कितनी मात्रा में फूड्स खा सकते हैं इस बारे में भी जानना बहुत जरूरी है. बहुत ज्यादा खा लेना भी सही नहीं है. विशेषज्ञों के मुताबिक एक औसत नाश्ते में एक कटोरी या 5-8 चम्मच अनाज, 10-15 ग्राम लीन प्रोटीन शामिल होना चाहिए.

3. देर से नाश्ता करना

नाश्ते का फायदा तभी है जब जागने के 1 घंटे के भीतर कर लिया जाए. नाश्ते में आप जो कुछ भी खाते हैं उससे आपके पूरे दिन का भोजन प्रभावित होता है. अगर आप रात में भारी भोजन करते हैं तो आप नाश्ता भी देर से करेंगे. साथ ही अगर आप देर से नाश्ता करते हैं तो आप दिन भर ज्यादा खाते हैं.

4. कार्ब्स और प्रोटीन का न होना

संतुलित नाश्ते के लिए ये दोनों पोषक तत्व अपनी डाइट में जरूर शामिल करें. लोग नाश्ते में या तो कार्ब्स का सेवन करते हैं या प्रोटीन का. लेकिन एक आदर्श नाश्ता वह है जिसमें कौम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट भी हो और साथ ही उच्च जैविक मूल्यों वाला प्रोटीन भी शामिल हो. कौम्पेक्स कार्ब्स शरीर में बिना फैट बढ़ाए एनर्जी की स्थिरता को मेंटेन रखने तथा ब्लड शुगर को स्थिर रखने में मददगार होते हैं.

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मैं 24 वर्षीय नवविवाहित युवती हूं. जब भी पति सहवास करते हैं, मुझे भीतर बहुत जलन और खुजली महसूस होती है. क्या यह किसी गंभीर समस्या के लक्षण हैं? मुझे इस के लिए क्या करना चाहिए?

जवाब-

आप ने जिस प्रकार के लक्षण बताए हैं, उस से लगता है कि आप की योनि में संक्रमण हो सकता है. अच्छा होगा कि आप समय गंवाए बिना किसी अस्पताल में जा कर किसी योग्य गाइनोकोलौजिस्ट से मिलें. वे अंदरूनी जांच करने के साथसाथ योनि से आने वाले स्राव की भी जांच करवा कर यह बता सकेंगी कि यह संक्रमण किस किस्म का है. फिर उस के अनुसार ही दवा लेने से यह रोग जाता रहेगा. इस बात का ध्यान रखना होगा कि आप अपने साथसाथ अपने पति को भी जांच के लिए ले जाएं. किसी भी यौन रोग से छुटकारा पाने के लिए यह बेहद जरूरी है कि पतिपत्नी दोनों साथसाथ इलाज करवाएं वरना रोग दोबारा हो जाता है.

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ये बात तो आप जानती ही हैं कि अत्यधिक गर्मी की वजह से शरीर में पानी की कमी हो जाती है और इस वजह से लोगों को और खास तौर से स्त्रियों को यूटीआई यानि कि यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन की समस्या हो जाती है.

कहीं आप भी तो अंजान नहीं है इस बीमारी से? आपको ऐसी कोई समस्या न हों इसलिए तेज गर्मी के मौसम में आपको सावधान रहना चाहिए. आइये हम आपको बताते हैं इसके लक्षणों के बारे में.

लक्षण :

  • यूरिन में जलन
  • प्राइवेट पा‌र्ट्स में खुजली या दर्द
  • थोड़ा-थोड़ा यूरिन डिस्चार्ज होना
  • ज्यादा दुर्गध के साथ, यूरिन का रंग अधिक पीला होना
  • कंपकपाहट के साथ बुखार आना
  • भूख न लगना
  • कमजोरी और थकान होना.

अगर आप भी ऊपर दी गईं किन्हीं भी समस्याओं से गुजर रहीं हैं तो आपको तुरंत इसका इलाज करना होगा.

हम यहां आपको इससे निपटने के लिए कुछ उपाय बताने जा रहे हैं…

बचाव :

1. बाहर खुले में बिकने वाली चीजें न खाएं. क्योंकि खून में होने वाला इन्फेक्शन यूरिन तक पहुंचकर ‘यूटीआई’ का कारण बन जाता है.

2. टॉयलेट और इनरवेयर की सफाई का पूरा ध्यान रखें. खास तौर से पब्लिक टॉयलेट के इस्तेमाल से पहले और बाद में फ्लश का इस्तेमाल जरूर करें.

3. ज्यादा से ज्यादा मात्रा में तरल पदार्थो का सेवन करें.

4. इस मौसम में पसीने की वजह से स्त्रियों में वजाइनल इन्फेक्शन की भी समस्या हो जाती है. आमतौर पर इस तरह के संक्रमण में वजाइना से सफेद रंग के तरल पदार्थ का डिस्चार्ज होता है.

5. इस मौसम में स्विमिंग पूल के क्लोरीन युक्त पानी की वजह से भी कभी-कभी यह संक्रमण हो जाता है. इस समस्या से बचने के लिए स्विमिंग के बाद व्यक्तिगत सफाई का विशेष रूप से ध्यान रखें और हमेशा कॉटन के इनरवेयर का इस्तेमाल करें.

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क्या है पोस्टपार्टम डिप्रैशन, न्यू मौम्स के लिए खुद का रखें इस तरह ख्याल

विश्व में प्रसव के बाद लगभग 13% महिलाओं को मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है, जो उन्हें परेशान कर देता है. प्रसव के तुरंत बाद होने वाले डिप्रैशन को पोस्टपार्टम डिप्रैशन कहा जाता है. भारत और अन्य विकासशील देशों में यह संख्या 20% तक है.  2020 में सीडीसी द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार यह सामने आया है कि 8 में से 1 महिला पोस्टपार्टम डिप्रैशन की शिकार होती है. विशेष रूप से टियर 2 और टियर 3 शहरों में  पोस्टपार्टम डिप्रैशन होने के चांसेज ज्यादा होते है.

इस संबंध में बैंगलुरु के मणिपाल हौस्पिटल की कंसलटैंट, ओब्स्टेट्रिक्स व गायनेकोलौजिस्ट डाक्टर हेमनंदीनी जयरामन बताती हैं कि महिलाओं में मानसिक समस्याएं होने पर वे अंदर से टूट जाती हैं. इन्हें परिवार के लोग भी समझ नहीं पाते हैं, जिस से वे खुद को बहुत ही असहाय महसूस करती हैं.

पोस्टपार्टम का मतलब बच्चे के जन्म के तुरंत बाद का समय होता है. प्रसव के तुरंत बाद महिलाओं में शारीरिक, मानसिक व व्यवहार में जो बदलाव आते हैं, उन्हें पोस्टपार्टम कहा जाता है. पोस्टपार्टम की अवस्था में पहुंचने से पहले 3 चरण होते हैं जैसे इंट्रापार्टम यानी प्रसव से पहले का समय और एंट्रेपार्टम यानी प्रसव के दौरान का समय तथा पोस्टपार्टम बच्चे के जन्म के बाद का समय होता है.

भले ही बच्चे के जन्म के बाद एक अनोखी खुशी होती है, लेकिन इस सब के बावजूद कई महिलाओं को पोस्टपार्टम का सामना करना पड़ता है. इस समस्या का इससे कोई संबंध नहीं होता है कि प्रसव नौर्मल डिलिवरी से हुआ है या फिर औपरेशन से. पोस्टपार्टम की समस्या महिलाओं में प्रसव के दौरान शरीर में होने वाले सामाजिक, मानसिक व हारमोनल बदलावों की वजह से होती है.

डिप्रैशन की वजह

पोस्टपार्टम मां व बच्चे दोनों को भी हो सकता है. न्यू मौम्स में कई हारमोनल व शारीरिक बदलाव देखे जाते हैं, जिस के कई लक्षण हैं- बारबार रोने को दिल करना, ज्यादा सोने का मन करना, कम खाने की इच्छा होना, बच्चे के साथ ठीक से संबंध बनाने में खुद को असमर्थ महसूस करना इत्यादि. इस डिप्रैशन की वजह से कई बार मां खुद को व बच्चे को भी नुकसान पहुंचा देती है. ऐसी स्थिति में मरीज के मस्तिष्क में कई बदलाव होते हैं, जिस से एन्सिएंटी के दौरे भी पड़ने लगते हैं.

प्रसव के बाद महिलाओं को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इस के लिए जरूरी है कि उन्हें बच्चे के साथसाथ खुद की भी खास तौर पर केयर करने की जरूरत होती है क्योंकि इस दौरान शरीर के कमजोर होने के साथ शरीर पर स्ट्रैच मार्क्स दिखना, बढ़ते तनाव की वजह से पीठ में दर्द होना, लगातार बालों का झड़ना, स्तनों के आकार में बदलाव होना जैसे बदलावों से मां को गुजरना पड़ता है. इस के साथ ही अगर वह वर्किंग है, तो उसे अपने कैरियर को जारी रखने की भी चिंता सताती रहती है.

परिवार का सहयोग

ऐसे में न्यू मौम्स की लाइफ में एक ही व्यक्ति पौजिटिविटी ला सकता है और वह है बच्चे का पिता क्योंकि जब न्यू मौम का शरीर कमजोर होता है और वह अपने नए जीवन के साथ जूझ रही होती है, तब आप का हैल्पफुल पार्टनर आप को हर तरह से सपोर्ट देने का काम करता है. जैसे सब हो जाएगा, मैं और मेरा पूरा परिवार तुम्हारे साथ है. ऐसी स्थिति में पोस्टपार्टम से जूझ रही महिला पार्टनर की बातों से पौजिटिव होने लगती है और उसे लगने भी लगता है कि अब वह बच्चे का ठीक से खयाल भी रख पाएगी यानी पार्टनर व परिवार के सहयोग से वह इस प्रौब्लम से उभर जाती है.

ऐक्सपर्ट डाक्टर्स की टीम महिलाओं को इस स्थिति से पूरी समझदारी व परिपक्वता से निबटने की सलाह देते हैं. विशेष रूप से जिन महिलाओं को जुड़वां या फिर दिव्यांग बच्चे होते हैं उन पर ऐक्सपर्ट डाक्टर्स के साथसाथ परिवारजनों को भी विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत होती है ताकि उन्हें इस स्थिति से उबरने में आसानी हो.

कई महिलाओं को यह पता भी नहीं होता कि वे डिप्रैशन से गुजर रही हैं. ऐसे में हमें उन्हें इस स्थिति से अवगत करवाना पड़ता है. पोस्टपार्टम डिप्रैशन का समय पर उपचार करना जरूरी होता है क्योंकि अगर इस स्थिति का समय रहते उपचार न किया जाए तो इस से महिला खुद के साथसाथ बच्चे पर वह ध्यान केंद्रित नहीं कर पाती है. इस के अलावा वह बच्चे की जरूरतों को भी समझने में असमर्थ होती है, जबकि जन्म के बाद बच्चे को मां की ही सबसे ज्यादा जरूरत होती है. इसलिए समय पर ट्रीटमैंट जरूरी है.

Pregnancy में हील पहनना और सफर करना क्या खतरनाक है?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल-

मैं 3 महीने की प्रैगनैंट हूं, क्या मैं हाई हील सैंडल पहन सकती हूं?

जवाब-

प्रैगनैंसी के दौरान हाई हील सैंडल पहनना आप के लिए ही सब से ज्यादा तकलीफ देह साबित होगा, इसलिए हाई हील सैंडल पहनने की इच्छा को 9 महीने दिल से निकाल दें. प्रैगनैंसी के दौरान शरीर से रिलैक्सएक्स नाम का हारमोन निकलता है जो शिशु के जन्म लेने की प्रक्रिया को आसान बनाने में मदद करता है. लेकिन इस हारमोन के कारण पैरों में दर्द, जोड़ों में अकड़न जैसी समस्याएं होने लगती हैं. हाई हील सैंडल पहनने से पैरों में सूजन आ सकती है, पेट लटक सकता है क्योंकि पैरों पर भार ज्यादा पड़ने लगता है यानी शरीर का आकार बेढंगा बन सकता है. इसलिए प्रैगनैंसी के दौरान ब्लौक या प्लैटफौर्म हील पहनना सब से सेफ होता है.

सवाल-

मेरा 5वां महीना चल रहा है, मैं मां के पास जाना चाहती हूं. ट्रेन, हवाईजहाज या कार किस से सफर करना मेरे और मेरे बच्चे के लिए सुरक्षित रहेगा?

जवाब-

आप का 5वां महीना चल रहा है, इस का मतलब आप को दूसरी तिमाही है. इस दौरान ट्रेन, प्लेन या कार से ट्रेन से सफर करना मां और शिशु दोनों के लिए सुरक्षित होता है. ट्रेन उबड़खाबड़ नहीं समतल रेल लाइन पर चलती है, जिस से हिचकोले खाने का डर नहीं रहता. अगर आप को पानी पीना है या आराम करना है तो आप आसानी

से कर सकती हैं. जबकि प्लेन में 32 हफ्ते बाद सफर करने की अनुमति नहीं मिलती और कार में धक्का या हिचकोले खाने की आशंका भी रहती है. यहां तक कि हवाईजहाज में सांस लेने में परेशानी हो सकती है, इसलिए 32 महीने पहले यदि सफर करना चाहती हैं तो डाक्टर से जरूर सलाह ले लें.

अगर कार से सफर करेंगी तो बीचबीच में पेशाब करने के लिए जाना पड़ सकता है, जो हाइजीन के नजरिए से भी सेफ नहीं होता है. इस के अलावा अगर किसी को उलटियां करने की समस्या है तो उन के लिए कार से सफर करना मुश्किल हो सकता है. इसलिए अगर सुरक्षित और आराम से सफर करना है तो ट्रेन से ही सफर करना अच्छा होता है. इस से पैर फैला कर आराम से खातेपीते सफर का आनंद मां और शिशु दोनों उठा सकते हैं.

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क्या मोटापे के कारण प्रैग्नेंसी में प्रौब्लम आ सकती है?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल-

मैं 28 वर्षीय घरेलू महिला हूं. मेरी लंबाई 5 फुट 4 इंच और वजन 85 किलोग्राम है. मैं और मेरे पति फैमिली प्लान करना चाहते हैं. क्या मोटापे के कारण गर्भावस्था के दौरान जटिलताएं होने का खतरा बढ़ जाता है?

जवाब-

यह बात बिलकुल सही है कि मोटापे के कारण गर्भावस्था और प्रसव के दौरान कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. आप गर्भावस्था के दौरान वजन नहीं घटा सकतीं न ही आप को प्रयास करना चाहिए. अगर आप का वजन अधिक है या आप मोटी हैं तो आप को कम से कम 1 साल पहले अपनी प्रैगनैंसी प्लान करना चाहिए ताकि गर्भावस्था तथा प्रसव के दौरान जटिलताएं न हों और आप एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकें. नियमित रूप से ऐक्सरसाइज करें, प्रतिदिन 100-200 कैलोरी का इनटेक कम कर दें, इस से 1 वर्ष में आप बिना किसी अतिरिक्त प्रयास के 5 से 10 किलोग्राम तक वजन कम कर लेंगी. अगर कोई महिला मोटापे से छुटकारा पाने के लिए वेट लौस सर्जरी करना चाहती है, तो यह जरूरी सुझाव है कि इसे गर्भधारण की योजना बनाने से कम से कम 18 महीने पहले कराएं.

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गर्भधारण करना किसी भी महिला के लिए सब से बड़ी खुशी की बात और शानदार अनुभव होता है. जब आप गर्भवती होती हैं, तो उस दौरान किए जाने वाले प्रीनेटल टैस्ट आप को आप के व गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी देते हैं. इस से ऐसी किसी भी समस्या का पता लगाने में मदद मिलती है, जिस से शिशु के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ सकता है जैसे संक्रमण, जन्मजात विकार या कोई जैनेटिक बीमारी. ये नतीजे आप को शिशु के जन्म के पहले ही स्वास्थ्य संबंधी फैसले लेने में मदद करते हैं.

यों तो प्रीनेटल टैस्ट बेहद मददगार साबित होते हैं, लेकिन यह जानना भी महत्त्वपूर्ण है कि उन के परिणामों की व्याख्या कैसे करनी है. पौजिटिव टैस्ट का हमेशा यह मतलब नहीं होता है कि आप के शिशु को कोई जन्मजात विकार होगा. आप टैस्ट के नतीजों के बारे में अपने डाक्टर से बात करें और उन्हें समझें. आप को यह भी पता होना चाहिए कि नतीजे मिलने के बाद आप को सब से पहले क्या करना है.

डाक्टर सभी गर्भवती महिलाओं को प्रीनेटल टैस्ट कराने की सलाह देते हैं. कुछ महिलाओं के मामले में ही जैनेटिक समस्याओं की जांच के लिए अन्य स्क्रीनिंग टैस्ट कराने की जरूरत पड़ती है.

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Health Tips : क्या आपको भी दिन में आती है बहुत ज्यादा नींद, तो इसे भूलकर भी हल्के में न लें

क्‍या आपको रात की नींद पूरी करने के बाद सुबह थकान और नींद का अनुभव होता है? आपके शरीर में ऐसी कौन सी प्रौब्लम हो रही हैं, जिसके कारण ऐसा हो रहा है. और इसका सोल्युशन क्या है?

अगर आपने इस समस्‍या पर अभी ध्‍यान नहीं दिया तो आगे चल कर यह नींद और थकान कई अन्‍य समस्‍याएं पैदा कर सकता है जैसे, सिरदर्द, शारीरिक दर्द, किसी चीज़ में मन न लगना, काम या पढ़ाई पर ध्‍यान केन्‍द्रित ना कर पाना, पेट की खराबी, बोरियत और तनाव या डिप्रेशन आदि.

इसके कई कारण हो सकते हैं कि आपको पूरे दिन थकान या नींद लगती है. हो सकता है कि आपके अंदर शारीरिक बदलाव हो रहे हों या फिर दिमागी तनाव हो. अब आइये जानते हैं ऐसे कौन से कारण हैं जिसकी वजह से आप दिनभर थके थके रहते हैं और इसका समाधान क्‍या है.

1. सोने का अनुचित समय

रात की नींद ठीक तरह से पूरी करनी चाहिए. आपको 6 से 7 घंटे तक बिना डिस्‍टर्ब हुए सोना चाहिए. सोने के तीन या चार घंटे पहले चाय या कौफी नहीं पीनी चाहिए.

2. तनाव से दूर रहें

तनाव, अवसाद, क्रोध आदि जैसी चीजें नींद के पैटर्न पर बहुत प्रभाव डालती हैं. ये आपको थका देती हैं, जिससे रात को आप ठीक प्रकार से नहीं सो पाते.

3. हेवी डिनर न करें

कई लोग सोचते हैं कि यदि वे रात में पेट भर कर सोएंगे तो उन्‍हें अच्‍छी नींद आएगी मगर ऐसा होता नहीं है. रात को पेट थोड़ा खाली रख कर ही सोना चाहिए नहीं तो खाना ठीक से डाइजेस्ट नहीं हो पाएगा .

4. शारीरिक नकारात्मक फोर्स (तमस)

कई लोग शुरु से ही आलसी होते हैं और उनके जीवन का नजरिया हमेशा ही नकारात्‍मक होता है. ऐसे लोगों को अपने रूटीन में योगा, ध्‍यान मेडिटेशन को शामिल करना चाहिए जिससे उनके जीवन में सकारात्‍मकता आ सके

5. कोई छुपी हुई बीमारी

कुछ बीमारियां जैसे, मधुमेह आदि शरीर को अंदर से कमजोर बना देती हैं और जिससे दिनभर नींद आती है. अच्‍छा है कि आप अपना ठीक से ट्रीटमेंट करवाएं और स्‍वस्‍थ रहें.

दिनभर फ्रेश फील करने के लिये और रात को अच्छी नींद के टिप्‍स

अगर दिन में बहुत नींद आ रही है तो आधे घंटे की झपकी ले सकते हैं. अपच की वजह से आपको नींद और थकान महसूस हो सकती है. ऐसे में अपने आहार में अदरक और काली मिर्च को जगह दें. आप चाहें तो बिना दूध वाली अदरक की चाय पी सकते हैं. नियमित व्‍यायाम करें, जिससे शरीर में औक्‍सीजन की मात्रा बढे़ और आप फ्रेश फील करें.

  • अपने कमरे की खिड़कियां और दरवाजे हमेशा खुले रखें, जिससे फ्रेश हवा और रौशनी आए. इससे आप हमेशा ऊर्जा से भरे रहेंगे.
  • कुर्सी पर हमेशा सीधे और अलर्ट बैठें.
  • एक्सरसाइज करें, इससे आप एनर्जी से भर उठेंगे.
  • पोषण युक्‍त खाद्य पदार्थों का सेवन करें.
  • अपने डाइट में फलों को शामिल करें.

रोज हील्स पहनने से मेरे टखनों में दर्द होता है, मैं क्या करूं ?

सवाल

मैं 24 साल की हूं और मौडलिंग करती हूं. रोज हील्स पहननी पड़ती हैं. मेरे टखनों में दर्द होता है. क्या इस से मेरे पोश्चर पर असर पड़ेगा?

जवाब

टखनों में चाहे हलका दर्द हो या ज्यादा, जब भी ऐसा हो तब सतर्क जरूर हो जाएं. टखनों में दर्द का सामान्य कारण चोट या खिंचाव हो सकता है, पर आर्थ्राइटिस भी इस की वजह हो सकती है. इस से आप के पोश्चर पर असर पड़ सकता है. लेकिन आप रोज व्यायाम करती हैं तो धीरेधीरे दर्द ठीक भी हो सकता है. आप कम से कम 20 मिनट तक टखने पर बर्फ की पोटली रख कर भी दर्द से राहत पा सकती हैं. ऐसा 3 दिन तक दिन में 3 बार करें.

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हाई हील सताए तो अपनाएं ये उपाय

फैशन और ग्लैमर वर्ल्ड की ओर आकर्षित महिलाएं अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखे बिना ही किसी भी प्रकार की हाई हील पहनने लगती हैं. एक सर्वेक्षण के मुताबिक हाई हील पहनने वाली 90% महिलाएं घुटनों, कमर, कूल्हों, कंधों और जोड़ों के दर्द से परेशान रहती हैं.

और्थोपैडिक सर्जन हमेशा हाई हील पहनने से होने वाली इन परेशानियों से महिलाओं को अवगत कराते हैं. पर महिलाएं इस पर ध्यान न दे कर हाई हील पहनती हैं. फलस्वरूप वे जोड़ों में दर्द, नसों में खिंचाव, कमर के आसपास चरबी बढ़ना आदि समस्याओं से ग्रस्त हो जाती हैं. कई बार तो कम उम्र में ही नी कैप बदलने तक की नौबत आ जाती है.

इस बारे में मुंबई के और्थोफिट के मोबिलिटी कंसलटैंट और पीडियाट्रीशियन, जो 15 सालों से इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं, कहते हैं कि 10 में से 1 महिला सप्ताह में कम से कम 3 बार हाई हील पहनती है. इस से एडि़यां ऊंची हो जाती हैं, जिस से शरीर का झुकाव आगे की ओर हो जाता है. फलस्वरूप शरीर की मुद्रा बिगड़ जाती है. पंजों एवं एडि़यों में दर्द के अलावा पीठ दर्द, नसों में खिंचाव, घुटनों में दर्द जैसी समस्याएं भी हो जाती हैं.

हाई हील सोचसमझ कर खरीदें

अब महिलाएं हील न पहनें ऐसा तो मुमकिन ही नहीं, लेकिन वे परेशानियों से बचने के लिए इन बातों पर ध्यान दें:

– हाई हील कम से कम पहनें.

– 1 से डेढ़ इंच की हाई हील पहनने में कोई हरज नहीं पर 4-5 इंच की पहने पर परेशानी होती है. अत: 4-5 इंच की हाई हील कभीकभार ही पहनें.

– कम समय के लिए शौपिंग पर जाती हैं, तो हील पहन सकती हैं. शौपिंग मौल में जाते समय हील पहनने से बचें.

– घूमनेफिरने जाते समय हाई हील कभी न पहनें.

– पैंसिल हील से आप के पैरों पर शरीर का वजन बढ़ता है, जिस से कमर और हिप्स में दर्द होता है. अत: इन्हें कम पहनें.

– औफिस में पूरा दिन हाई हील न पहनें. बीचबीच में उन्हें उतार दें.

– हमेशा हील शाम को ही खरीदें, क्योंकि पूरा दिन काम करने के बाद शाम तक पैरों का आकार थोड़ा बढ़ जाता है.

– हील खरीदते समय ध्यान दें कि वे कंफर्टेबल हैं या नहीं. फैंसी फुटवियर पर न जाएं. कोई भी ब्रैंड यह दावा नहीं कर सकता कि उस की हाई हील पहनने पर पैरों में दर्द न होगा.

– कभी औनलाइन हील की खरीदारी न करें.

– पैरों के दर्द को कभी सहन न करें. उसे व्यायाम या चिकित्सा से दूर करें. 

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नपुसंक बना सकता है तम्बाकू और धूम्रपान, जानें कैसे

सभी जानते है कि हमारे देश में युवाओं की आबादी अधिक है, लेकिन आज की आधुनिक जीवन शैली और केयर फ्री स्वभाव का उनपर बहुत प्रभाव दिखता है, इसमें किसी भी खास अवसर हो या नाईट क्लब, युवाओं की एक बड़ी समुदाय उस पल को अच्छी तरह से जी लेना चाहते है, ऐसे में तम्बाकू और धुम्रपान लगातार चलता रहता है. इसकी लत इतनी ख़राब होती है कि चाहकर भी इससे बाहर निकल पाना मुश्किल होता है. इस तरह के नशे इतने ख़राब होते है कि इससे इनका शरीर घर-परिवार सब धीरे-धीरे ख़त्म हो जाता है.

इस बारें में एसआरव्ही हॉस्पिटल, चेंबूर मुंबई की हेड एंड नेक ओरल ऑन्कोसर्जनडॉ खोजेमा फतेहीकहते है कि तंबाकू केलगातार सेवन से कैंसर जैसी बिमारी के साथ-साथ मनुष्य को नपुंसक भी बना देता है, क्योंकितंबाकू के सेवन से दिमाग और नर्व सिस्टम कमजोर हो जाता है, इससे इंसान के दिमाग से लेकर सेक्स लाइफ पर असर पड़ता है. अगर इन बीमारियों से बचना है,तो इसकी लत को छोड़ने की जरुरत है.

मुंह के कैंसर में लगातार वृद्धि

एक सर्वे में यह पाया गया है कि भारत में तंबाकू सेवन से मुंह के कैंसर में लगातार वृद्धि हो रही है, जिसमें 90 प्रतिशत फेफड़ों के कैंसर और अन्य कैंसर का कारण धूम्रपान ही है. दरअसल अधिक धूम्रपान से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि धूम्रपान के कारण रक्तचाप में अचानक वृद्धि से हृदय को रक्त की आपूर्ति में कमी हो जाती है, इससे दिल का दौरा या स्ट्रोक हो सकता है. इसके अलावा तंबाकू और धूम्रपान की वजह से महिलाओं में गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है, जबकि पुरुषों में नपुंसकता का कारण बनता है.

तम्बाकू है क्या

असल में तंबाकू में चार हजार से अधिक रसायन होते है. इन रसायनों में निकोटीन एक ऐसा रसायन है, जो व्यक्ति को थोड़ी देर के लिए अच्छा महसूस करवाती है. इसलिए व्यक्ति  तंबाकू का सेवन करता है,निकोटिन के अलावा फिनाईल, नायटोअमाईड, डेनझिन, कार्बन मोनोऑक्साइडआदि होते है, जिससे व्यक्ति के शरीर पर इसका असर पड़ता है, जिसमें  मुंह, होंठ, जबड़े, फेफड़े, गले, पेट, गुर्दे और मूत्राशय का कैंसर होने की संभावना रहती है.

खतरनाक होते है केमिकल्स

डॉक्टर खोजेमा आगे कहते है कि तंबाखू एक ऐसा पदार्थ है, जिसमें कई ऐसे केमिकल है, जिसका मनुष्य के स्वास्थ्य पर गलत असर पडता है और उन्हें कई रोगों का शिकार बनाने के अलावा नपुंसकता की ओर अग्रसर भी करता है.खासकर युवा वर्ग को इससे बचना होगा, क्योंकि 80 प्रतिशत युवा वर्ग इस दलदल में फंस चुका है. कुछ असर निम्न है,

होती है बांझपन

तम्बाकू सेवन करनेवालों को तम्बाकू न सेवनकरने वालों की तुलना में बांझपन का सामना करना पडता है. तंबाकू की वजह से अंडे और शुक्राणू की डीएनए क्षतिग्रस्त हो जाता है. प्रजनन समस्याओं का सामना करने वाले पुरूषों के अलावा नशे की लत वाली महिलाओं में भी गर्भ धारण करने की संभावना कम हो जाती है, क्योंकि अंडे के खराब होने के पीछे निकोटीन, कार्बन मोनोऑक्साइड और साइनाइड मुख्य कारण होता है.

शीघ्र पतन की समस्या

अधिक धुम्रपान के कारण पुरूषों में नपुंसकता बढती है, उनके सेक्सुअल लाइफ पर असर पड़ता है. धुम्रपान से पुरूषों में शीघ्र पतन की समस्या भी शुरू हो जाती है.

आती है यौन क्षमता में कमी

तंबाकू का स्वाद बढाने के लिए जिस केमिकल का उपयोग किया जाता है.उससे व्यक्ति की शारीरिक क्षमता पर असर पडता है. अधिक मात्रा में इन तंबाकू का सेवन, धीरे-धीरे उसकी यौनक्षमता में कमी आ जाती है.

इलाज करें ऐसे

इस तरह की नशे से खुद को छुड़ाने के लिए किसी संस्था या डॉक्टर की सलाह लेना आवश्यक  है, किसी प्रकार की झाड़-फूंक और पूजा पाठ से बचें, ताकि आपको सही सलाह मिले और आप धुम्रपान और तम्बाकू से खुद को छुड़ाने में समर्थ हो.

अंत में यह कहना सही होगा कि तम्बाकू और धुम्रपान से रक्त वाहिकाओं के सिकुड़ने से स्नायुबंधन की कठोरता कम हो जाती है और नपुंसकता का खतरा रहता है. लत जितनी लंबी होगी, प्रभाव उतना ही अधिक होगा. इसलिए ऐसे पुरुषों को यौन समस्याओं का खतरा भी अधिक रहता है.इतना ही नहीं, तंबाकू उत्पादों में गुटखा भी पुरुष वीर्य में पुरुष शुक्राणु की गति को धीमा कर देता है, इससे पुरुषों में भी बांझपन होता है. अपने सेक्सुअल लाइफ को हानिकारक प्रभाव से बचाने के लिए तम्बाकू के आदी पुरुषों, जिसमे खासकर युवाओं को विशेष सलाह दी जाती है कि यदि आप एक पुरुष के रूप में अच्छी जिंदगी जीना चाहते है,तो तम्बाकू और गुटखा से दूर रहे.

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