मेनोपॉज़ के बाद पैप स्मीयर और जाँच : सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार, भारतीय महिलाओं में कैंसर के हर पाँच मामलों में से एक सर्वाइकल कैंसर (गर्भग्रीवा का कैंसर) का मामला होता है. अनुमान है कि 30 वर्ष से 50 वर्ष आयुवर्ग में लगभग 160 मिलियन भारतीय महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर का ख़तरा है.

भारत में देखा गया है कि अधिकाँश महिलाएँ जब तक उनका कैंसर आगे बढ़ चुका होता है, तब तक इलाज नहीं करातीं और इसके कारण स्वास्थ्यलाभ एवं उपचार, दोनों मुश्किल हो जाता है. अनेक महिलाएँ नियमित रूप से सामान्य जाँच नहीं कराती हैं, जबकि ऐसा करने से शुरुआती चरणों में सर्वाइकल कैंसर का या कुछ असामान्यताओं का पता चल सकता है. इसके पीछे पेडू की जाँच (पेल्विक एग्जामिनेशन) कराने में संकोच एक बड़ा कारण है.

मनीषा तोमर, वरिष्ठ परामर्शदाता प्रसूति एवं स्त्रीरोग विशेषज्ञ, मदरहुड हॉस्पिटल, नोएडा का कहना है कि-
शुरुआती चरण में सर्वाइकल कैंसर में कोई स्पष्ट लक्षण नजर नहीं आते हैं. जब कैंसर काफी आगे बढ़ चुका होता है तभी इसके लक्षण दिखने शुरू होते हैं। सर्वाइकल कैंसर के लक्षण दूसरी बीमारियों के समान लग सकते हैं, जिसके कारण स्थिति और ज्यादा जटिल हो जाती है। सर्वाइकल कैंसर को रोकने का सबसे कारगर तरीका है किसी असामान्य अवस्था का जल्दी पता लगाने के लिए नियमित जाँच कराना और समय रहते इलाज शुरू करना. महिलाओं को, जब तक डॉक्टर अन्यथा कुछ नहीं बताएँ, मेनोपॉज़ (रजोनिवृत्ति) के बाद भी अपनी नियमित जाँच कराना बंद नहीं करना चाहिए. कैंसर की जाँच का प्राथमिक उद्देश्य है कैंसर से सम्बंधित मौतों को और कैंसर के शिकार होने वाले लोगों की संख्या को कम करना.

आइए, हम उन विधियों को समझें जिसमें कैंसर की रोकथाम या शीघ्र पहचान की जा सकती है.

पैप स्मीयर जाँच – यह जाँच क्यों ज़रूरी है?

शीघ्र पता चल जाने से सर्वाइकल कैंसर ठीक हो सकता है। कैंसर-पूर्व रोग जो सर्वाइकल कैंसर का रूप ले सकते हैं, उन्हें पता करने का सबसे बढ़िया तरीका है पैप स्मीयर जाँच। पैप स्मीयर जाँच गर्भाशय (सर्विक्स) की कोशिकाओं में बदलाव का पता लगाती है। इस जाँच से सर्वाइकल कैंसर या रोगों के संकेत मिलते हैं जो आगे चल कर कैंसर में बदल सकते हैं. जाँच के दौरान नमूने के लिए गर्भाशय से कोशिकाएँ निकाली जाती हैं. यह गायनेकोलॉजिकल जाँच के तहत एक बाईमैन्युअल पेल्विक एग्जाम (पेडू की दोनों हाथ से जाँच) के साथ-साथ बार-बार की जाती है.

किसी तरह की कैंसर-पूर्व अवस्था का पता लगाने और उनका इलाज करने के लिए नियमित रूप से पैप जाँच और ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) जाँच कराकर सर्वाइकल कैंसर को रोका जा सकता है. इसकी रोकथाम के लिए एचपीवी वैक्सीन लेना एक और तरीका है। 9 वर्ष से 26 वर्ष के बीच की लड़कियाँ और महिलाएँ एचपीवी वैक्सीन ले सकती हैं. लड़कियों को यौन क्रिया आरम्भ करने के पहले एचपीवी वैक्सीन दिया जाए, तो यह सबसे प्रभावकारी माना जाता है

मुझे कब-कब जाँच करानी चाहिए?

21 वर्ष से 65 वर्ष तक की महिलाओं के लिए हर तीन साल पर सामान्य जाँच करानी की सलाह दी जाती है. 30 वर्ष की आयु के बाद हर पाँच वर्षों पर एचपीवी टेस्‍ट के साथ पैप टेस्‍ट या सिर्फ एचपीवी टेस्‍ट कराया जा सकता है.

क्या मुझे मेनोपॉज़ के बाद भी जाँच करानी चाहिए?

अगर आप मेनोपॉज़ के दौर से गुजर रही है, या मेनोपॉज़ हो चुका है, तब भी आपको पैप या एचपीवी टेस्‍ट कराना चाहिए। जिन महिलाओं ने किसी गैर-कैंसर व्याधि के लिए गर्भाशय पूरा काट कर निकलवा लिया है और उनका कैंसर-पूर्व पैप जांच का कोई इतिहास नहीं है, वैसी महिलाएँ अपने चिकित्सीय इतिहास या ह्यूमन पैपिलोमा वायरस होने के जोखिम के आधार पर जाँच बंद कर सकती हैं. 65-70 वर्ष की आयु होने पर महिलाएँ जांच कराना छोड़ सकती हैं, बशर्ते कि कम से कम लगातार तीन बार सामान्य पैप टेस्‍ट हुए हों और पिछले दस वर्षों में पैप टेस्‍ट में कोई असामान्यता नहीं पाई गई हो

उपर्युक्त के अलावा, निम्नलिखित चीजों से सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम में मदद मिलती है :

– किशोरावस्था के अंतिम वर्षों या बाद तक प्रथम यौन सम्भोग करने से परहेज,
– यौन क्रियाओं में सहयोगी की संख्या कम रखना,
– अनेक लोगों से सहवास करने वाले व्यक्ति के साथ सम्भोग करने से परहेज,
– जननांग में गाँठ (जेनिटल वार्ट्स) या अन्य चिन्ह दर्शाने वाले व्यक्ति के साथ सम्भोग से परहेज,
– धूम्रपान छोड़ना।

Winter Special: आधुनिक इलाज से दांत होगें और भी मजबूत

चिकित्सा जगत में अब दांतों के आधुनिक उपचार में क्रांति आई है. दांतों के आधुनिक उपचार की मांग तो बढ़ी है, लेकिन जानकारी न होने के कारण कई मरीजों को इस का खमियाजा भुगतना पड़ता है. एक ही सेशन के दौरान होने वाली कई प्रक्रियाओं जैसे दांतों को सफेद करना, ब्लीचिंग, लैमिनेट, वेनीर, मसूढ़ों की सर्जरी इनेमेलोप्लास्टी आदि से लोगों को न सिर्फ संतुष्टि मिलती है, बल्कि बिना कारण के भी औसतन से अधिक हंसने लगते हैं. लेकिन इन प्रक्रियाओं के दुष्प्रभावों को जानने के बाद आप के लिए यह निर्णय करना आसान हो जाएगा कि आप बिना कारण कुछ दिन तक हंसना चाहते हैं या फिर हमेशा के लिए अपनी हंसी को अपने पास संजो कर रखना चाहते हैं.दांतों को सफेद कराना या ब्लीचिंग कराने की प्रक्रिया को एक सेशन मेें ही किया जा सकता है. लेकिन क्या आप इस के लिए उपयुक्त उम्मीदवार हैं?

सब के लिए यह जानना आवश्यक है कि दांतों पर ब्लीचिंग का असर सिर्फ कुछ हफ्तों तक ही रहता है इसलिए इसे बारबार और जल्दीजल्दी कराना पड़ता है. फिर हर बार उतनी चमक नहीं आती जितनी कि शुरुआत में आती है. इस का सब से बड़ा दुष्प्रभाव तो यह होता है कि बारबार ब्लीचिंग कराने से दांत कमजोर हो जाते हैं और आगे चल कर इन के जल्दी ही गिरने की आशंका रहती है. दांत जल्दी सड़ जाते हैं, खुरदुरे हो जाते हैं और दांतों के बीच फ्रेक्चर लाइन बन जाती है. तो क्या ये सब जानने के बाद आप मुसकराना चाहेंगे

अब कई आधुनिक तकनीकों केक आने से ब्लीचिंग के लिए सही सदस्यों का चयन कर पाना आसान हो गया है. एडवांस्ड पावर जूम भी एक ऐसी ही तकनीक है. इस के

दौरान प्रोफेशनल तरीके से दांतों को चमकाया जाता है. इस के शतप्रतिशत परिणामस्वरूप जादू जैसा असर देखने को मिलता है. शेड गाइड पर तुलना करने से पता चलता है कि यह दांतों को 6-8 शेड अधिक चमकदार बनाता है. इस का असर कम से कम दो सालों तक रहता है अन्यथा ब्लीचिंग या अन्य उत्पादों का इस्तेमाल करने से केवल एक या दो शेड ही चमक मिलती है व इस का प्रभाव केवल कुछ समय तक ही रहता है

  1.  लैमिनेट

लैमिनेट धातु से बने पतले कवर की तरह होते हैं जिन्हें पीले, भूरे दांतों की गंदगी, फ्लोराइड दाग आदि को छिपाने के लिए लगाया जाता है. यह पुरानी मगर विशष्ट प्रक्रिया है. लेकिन यहां भी वही सवाल उठता है कि क्या आप इस के लिए उपयुक्त उम्मीदवार हैं?

लैमिनेट कैप या क्राउन का बेहतर विकल्प माना जाता है. कैप के मुकाबले इस में दांतों को 75 % काटना पड़ता है. तकनीकी तौर पर इस प्रक्रिया के दौरान सामने से दांतों के आकार को केवल 0.5 मि.मी. से अधिक  हीं काटना पड़ता है. जबकि कैप लगाने के लिए दांतों के चारों तरफ से उसे 1.5 मि.मी. काटना पड़ता है. इस के अलावा कैप लगवाने वाले दांतों में पहले रूट कैनाल ट्रीटमेंट आरसीटी कराना पड़ता है. इस से दांत निष्क्रिय हो जाते हैं, उन तक कोई पौष्टिक आहार आदि नहीं पहुंचता और दांत जल्द ही कमजोर हो जाते हैं.

हालांकि कैप और लैमिनेट दोनों का खर्चा लगभग बराबर ही होता है लेकिन कैप के साथ आरसीटी कराने का खर्चा अलग से करना पड़ता है यानी कैप अधिक महंगा पड़ता है.

2. मसूढ़ों की सर्जरी या एनेमेलोप्लास्टी

हर कोई इन प्रक्रियाओं के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता. इस से दांतों को नुकसान हो सकता है.

3. दांतों पर लगने वाले ब्रेसिस

चलिए किसी अवस्था के बारे में सोचते हैं. कोई लड़की जिस के दांत टेढ़ेमेढ़े हैं और 2-3 महीने में उस की शादी होने वाली है. वह अपने दांतों के लिए कोई उपचार ढूंढ़ रही है. लेकिन उसे लगभग हर दंत रोग विशेषज्ञ यही कहेगा कि ब्रेसिस लगाने की उस की उम्र समाप्त हो चुकी है. और अगर ब्रेसिस लगाए भी गए तो उन्हेें अपना परिणाम देने में लगभग 1 वर्ष का समय लगेगा. लेकिन यह एक मिथ्य है कि किशोर ब्रेसिस नहीं लगवा सकते या फिर हर केस में परिणाम आने में 1 वर्ष का समय लगेगा. यह उपचार किसी भी उम्र में किया जा सकता है. इस का परिणाम भी 3-4 महीनों में आ जाता है. लेकिन यह मरीज के ऊपर निर्भर करता है कि वह उम्र भर के लिए आरसीटी करा के नकली कैप लगा कर हरना है कि फिर उम्र भर के लिए प्राकृतिक मुसकराहट चाहिए. इस का निर्णय मरीज को सोचसम?ा कर करना चाहिए. अगर हम खर्चे की बात करें तो किसी को यह नहीं भूलना चाहिए कि ब्रेसिस का खर्चा लैमिनेट की तुलना में 50 से 70 % तक कम होता है.

4. मुसकराहट की बनावट

किसी भी दंत उपचार के लिए विज्ञान की बहुत बड़ी भूमिका होती है. लैमिनेट का आकार हर व्यक्ति व हर दांत के लिए अलग होता है. यह आप के चेहरे के आकार पर भी निर्भर करता है. अगर आप का चेहरा गोल, अंडाकार, लंबा, छोटा है और आप के दांत छोटेबड़े, चौड़े, पतले, टेढ़े या ?ाके हुए हैं या फिर ऊपरनीचे के दांत कम दिखते हैं या कई केसों में आगे के नीचे वाले दांत ऊपरी दांतों को बारबार रगड़ देते हैं जिस से ऊपरी दांत घिसने लगते हैं तो ऐसे में आसानी से ब्रेसिस लगाए जा रहे हैं.

दांतों की सुरक्षा या खूबसूरती की एक दंत रोग विशेषज्ञ जिसे स्माइल आर्किटेक्ट भी कहा जाता है, आज के लिए बहुत जरूरी है और कोई भी सौंदर्य उपचार इस के बिना पूरा नहीं है. दांतों के उपचार में अवेजेनेटिक का भी रोल रहेगा. आप के शरीर के जीन के कोड के अनुसार टूटे या सड़े दांतों को ठीक करना सर्जनों के लिए आम हो जाएगा. डा. थिमि और मितसैदीस, जो यूनीवर्सिटी औफ ज्यूरिक में हैं. अब दांतों के एनेमल और आप के शरीर के जीन पर काम कर रहे हैं.

– डा. राकेश वर्मा निदेशक, ब्रेसिस मल्टीस्पेश्यलिटी डेंटल क्लीनिक, गृहशोभा, नई दिल्ली

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