Holi 2025 : घर पर ही बनाएं इंस्टेंट दही बड़ा मिक्स, मेहमान पूछेंगे रेसिपी

Holi 2025 : आजकल बाजार में इडली, डोसा, भजिया, पकोड़ा, केक, जैसे अनेकों खाद्य पदार्थों का इंस्टेंट मिक्स उपलब्ध है, इंस्टैंट अर्थात तुरन्त यानी ऐसा मिक्स जिससे आप जब सोचें तब मनचाही डिश बना लें. ऐसा ही इंस्टेंट मिक्स है दही भल्ला का. दही भल्ला अथवा दही बड़ा बनाने के लिए जहां एक दिन पहले से सोचकर दाल भिगोकर पीसनी पड़ती है वहीं इंस्टैंट मिक्स से आप चुटकियों में बिना दाल भिगोए चुटकियों में दही बड़ा बना लेतीं हैं. यही नहीं आप इस मिक्स को एयरटाइट जार में भरकर एक माह तक आसानी से प्रयोग कर सकतीं हैं.

यदि आप इसे फ्रिज में रखतीं हैं तो यह दो माह तक भी खराब नहीं होता. इस इंस्टेंट मिक्स से आप केवल दही भल्ला ही नहीं बल्कि मूंगलेट, मूंग चीला, मूंग उत्तपम, मूंग के कोफ्ते भी मिनटों में बना सकेंगी. बाजार में मिलने वाले इंस्टेंट मिक्स की अपेक्षा घर में बनाने से यह सस्ता तो पड़ता ही है साथ ही बिना किसी प्रिजर्वेटिव के बनाये जाने से हैल्दी भी रहता है. आप होली के लिए अभी से दही भल्ला इंस्टेंट मिक्स बनाकर रखें और होली से एक दिन पूर्व झटपट बना लें. तो आइए जानते हैं कि आप इसे कैसे तैयार कर सकतीं हैं-

कितने लोंगों के लिए 8
बनने में लगने वाला समय 20 मिनट
मील टाइप वेज

सामग्री

धुली मूंग की दाल 3/4 कप
धुली उड़द दाल 1/4 कप
हींग चुटकी भर
जीरा 1/4 टीस्पून
दरदरी काली मिर्च 1/4 टीस्पून
नमक 1/2 टीस्पून

विधि

मूंग और उड़द दाल को साफ पानी से दो बार धोकर साफ सूती कपड़े पर 30 मिनट के लिए फैला दें ताकि पानी सूख जाए. अब दोनों दालों को एक पैन में मंदी आंच पर सुनहरा होने तक भूनें. जब दाल हल्की सुनहरे रंग की हो जाये तो गैस बंद कर दें. ठंडा हो जाने पर दोनों दालों को मिक्सी में फाइन पाउडर फॉर्म में पीस लें. तैयार पाउडर को एक बाउल में डालकर जीरा, हींग, नमक और काली मिर्च अच्छी तरह मिलाएं. तैयार इंस्टेंट मिक्स को एयरटाइट जार में भरकर रखें और इच्छानुसार प्रयोग करें.

कैसे बनाएं दही भल्ला

जब भी आप दही भल्ला बनाना चाहें तो एक कप इंस्टेंट मिक्स में 1 कप पानी धीरे धीरे मिलाकर गाढ़ा बैटर तैयार करें. 10 मिनट तक ढककर रखें. 1 छोटी गांठ किसा अदरक और 4 कटी हरी मिर्च मिलाकर एक ही दिशा में बैटर के हल्का होने तक फेंटे और गरम तेल में मद्धिम आंच पर सुनहरा होने तक तलकर नमक मिले गरम पानी डालें. निचोड़कर दही और मनचाही चटनियां डालकर सर्व करें.
इसी प्रकार उत्तपम, मूंगलेट और चीला बनाने के लिए पानी में इंस्टैंट मिक्स और मनचाही सब्जियां और मसाले डालें और झटपट बनाएं.

Writer- Pratibha Agnihhotri

Short Best Story : उलझन

Short Best Story : ‘‘मम्मी, आप को फोटो कैसी लगी?’’ कनिका ने पूछा, ‘‘अभिषेक कैसा लगा, अच्छा लगा न, बताओ न मम्मी… अभिषेक अच्छा है न…’’

कनिका लगातार फोन पर पूछे जा रही थी पर प्रेरणा के मुंह में मानो दही जम गया हो. एक भी शब्द मुंह से नहीं निकल रहा था.

‘‘आप तो कुछ बोल ही नहीं रही हो मम्मी, फोन पापा को दो,’’ कनिका ने तुरंत कहा.

प्रेरणा की चुप्पी कनिका को इस वक्त बिलकुल भी नहीं भा रही थी. उसे तो बस अपनी बात का जवाब तुरंत चाहिए था.

‘‘पापा, अभिषेक कैसा लगा?’’ कनिका ने कहा, ‘‘मैं ने उस के पापा व मम्मी की फोटो ईमेल की थी…आप ने देखी, पापा…’’ कनिका की खुशी उस की बातों से साफ झलक रही थी.

‘‘हां, बेटे, अभिषेक अच्छा लगा है अब तुम वापस इंडिया आ जाओ, बाकी बातें तब करेंगे,’’ अनिकेत ने कनिका से कहा.

कनिका एम. टैक करने अमेरिका गई थी. वहीं पर उस की मुलाकात अभिषेक से हुई थी. दोस्ती कब प्यार में बदल गई, पता ही नहीं चला. 2 साल के बाद दोनों इंडिया वापस आ रहे थे. आने से पहले कनिका सब को अभिषेक के बारे में बताना चाह रही थी.

सच में नया जमाना है. लड़का हो या लड़की, अपना जीवनसाथी खुद चुनना शर्म की बात नहीं रही. सचमुच नई पीढ़ी है.

कनिका जिद किए जा रही थी, ‘‘पापा, बताइए न प्लीज, अभिषेक कैसा लगा…मम्मी तो कुछ बोल ही नहीं रही हैं, आप ही बता दो न…’’

‘‘कनिका, जिद नहीं करते बेटा, यहां आ कर ही बात होगी,’’ अनिकेत ने कहा.

पापा की आवाज तेज होती देख कनिका ने चुप रहना ही ठीक समझा.

‘‘तुम्हें अभिषेक कैसा लगा? लड़का देखने में तो ठीक लग रहा है. परिवार भी ठीकठाक है. इस बारे में तुम्हारी क्या राय है?’’ अनिकेत ने फोन रखते हुए प्रेरणा से पूछा.

‘‘मुझे नहीं पता,’’ कह कर प्रेरणा रसोई में चली गई.

‘‘अरे, पता नहीं का क्या मतलब? परसों कनिका और अभिषेक इंडिया आ रहे हैं. हमें कुछ सोचना तो पड़ेगा न,’’ अनिकेत बोले जा रहे थे.

पर अनिकेत को क्या पता था कि जिस अभिषेक के परिवार के बारे में वे प्रेरणा से पूछ रहे हैं उस के बारे में वह कल रात से ही सोचे जा रही थी.

कल इंटरनैट पर प्रेरणा ने कनिका द्वारा भेजी गई अभिषेक और उस के परिवार की फोटो देखी तो एकदम हैरान हो गई. खासकर यह जान कर कि अभिषेक, कपिल का बेटा है. वह मन ही मन खीझ पड़ी कि कनिका को भी पूरी दुनिया में यही लड़का मिला था. उफ, अब मैं क्या करूं?

अभिषेक के साथ कपिल को देख कर प्रेरणा परेशान हो उठी थी.

‘‘अरे, प्रेरणा, देखो दूध उबल कर गिर रहा है, जाने किधर खोई हुई हो…’’ अनिकेत यह कहते हुए रसोई में आ गए और पत्नी को इस तरह खयालों में डूबा हुआ देख कर उन को भी चिंता हो रही थी.

‘‘प्रेरणा, तुम शायद कनिका की बात से परेशान हो. डोंट वरी, सब ठीक हो जाएगा,’’ कनिका के इस समाचार से अनिकेत भी परेशान थे पर आज के जमाने को देख कर शायद वे कुछ हद तक पहले से ही तैयार थे, फिर पिता होने के नाते कुछ हद तक परेशान होना भी वाजिब था.

अनिकेत को क्या पता कि प्रेरणा परेशान ही नहीं हैरान भी है. आज प्रेरणा अपनी बेटी से नाराज नहीं बल्कि एक मां को अपनी बेटी से ईर्ष्या हो रही थी. पर क्यों? इस का जवाब प्रेरणा के ही पास था.

किचन से निकल कर प्रेरणा कमरे में पलंग पर जा आंखें बंद कर लेटी तो कपिल की यादें किसी छायाचित्र की तरह एक के बाद एक कर उभरने लगीं. प्रेरणा उस दौर में पहुंच गई जब उस के जीवन में बस कपिल का प्यार ही प्यार था.

कपिल और प्रेरणा दोनों पड़ोसी थे. घर की दीवारों की ही तरह उन के दिल भी मिले हुए थे.

छत पर घंटों खड़े रहना. दूर से एकदूसरे का दीदार करना. जबान से कुछ कहने की जरूरत ही नहीं होती थी. आंखें ही हाले दिल बयां करती थीं.

निश्चित समय पर आना और अनिश्चित समय पर जाना. न कुछ कहना न कुछ सुनना. अजब प्रेम कहानी थी प्रेरणा और कपिल की. बरसाती बूंदें भी दोनों की पलकें नहीं झपका पाती थीं. एक दिन भी एकदूसरे को देखे बिना वे नहीं रह सकते थे.

यद्यपि कपिल ने कई बार प्रेरणा से बात करने की कोशिश की पर संकोच ने हर बार प्रेरणा को आगे बढ़ने से रोक दिया. कभी रास्ते में आतेजाते अगर कपिल पे्ररणा के करीब आता भी तो प्रेरणा का दिल तेजी से धड़कने लगता और तुरंत वह वहां से चली जाती. जोरजबरदस्ती कपिल को भी पसंद नहीं थी.

प्रेरणा की अल्हड़ जवानी के हसीन खयालों में कपिल ही कपिल समाया था. सारीसारी रात वह कपिल के बारे में सोचती और उस की बांहों में झूलने की तमन्ना अकसर उस के दिल में रहती थी पर कपिल के करीब जाने का साहस प्रेरणा में न था. स्वभाव से संकोची प्रेरणा बस सपनों में ही कपिल को छू पाती थी.

वह होली की सुबह थी. चारोें तरफ गुलाल ही गुलाल बिखर रहा था. लाल, पीला, नीला, हरा…रंग अपनेआप में चमक रहे थे. सभी अपनेअपने दोस्तों को रंग में नहलाने में जुटे हुए थे. इस कालोनी की सब से अच्छी बात यह थी कि सारे त्योहार सब लोग मिलजुल कर मनाते थे. होली के त्योहार की तो बात ही अलग है. जिस ने ज्यादा नानुकर की वह टोली का शिकार बन जाता और रंगों से भरे ड्रम में डुबो दिया जाता.

प्रेरणा अपनी टोली के साथ होली खेलने में मशगूल थी तभी प्रेरणा की मां ने उसे आवाज दे कर कहा था :

‘प्रेरणा, ऊपर छत पर कपड़े सूख रहे हैं, जा और उतार कर नीचे ले आ, नहीं तो कोई भी पड़ोस का बच्चा रंग फेंक कर कपड़े खराब कर देगा.’

प्रेरणा फौरन छत की ओर भागी. जैसे ही उस ने मां की साड़ी को तार से उतारना शुरू किया कि किसी ने पीछे से आ कर उस के चेहरे को लाल गुलाल से रंग दिया.

प्रेरणा ने घबरा कर पीछे मुड़ कर देखा तो कपिल को रंग से भरे हाथों के साथ पाया. एक क्षण को प्रेरणा घबरा गई. कपिल का पहला स्पर्श…वह भी इस तरह.

‘‘यह क्या किया तुम ने? मेरा सारा चेहरा…’’ पे्ररणा कुछ और बोलती इस से पहले कपिल ने गुनगुनाना शुरू कर दिया…

‘‘होली क्या है, रंगों का त्योहार…बुरा न मानो…’’

कपिल की आंखों को देख कर लग रहा था कि आज वह प्रेरणा को नहीं छोड़ेगा.

‘‘क्या हो गया है तुम्हें? भांगवांग खा कर आए हो…’’ घबराई हुई प्रेरणा बोली.

‘‘नहीं, प्रेरणा, ऐसा कुछ नहीं है. मैं तो बस…’’ प्रेरणा का इस तरह का रिऐक्शन देख कर एक बार तो कपिल घबरा गया था.

पर आज कपिल पर होली का रंग खूब चढ़ा हुआ था. तार पर सूखती साड़ी का एक कोना पकड़ेपकड़े कब वह प्रेरणा के पीछे आ गया इस का एहसास प्रेरणा को अपने होंठों पर पड़ती कपिल की गरम सांसों से हुआ.

इतने नजदीक आए कपिल से दूर जाना आज प्रेरणा को भी गवारा नहीं था. साड़ी लपेटतेलपेटते कपिल और प्रेरणा एकदूसरे के अंदर समाए जा रहे थे.

कपिल के हाथ प्रेरणा के कंधे से उतर कर उस की कमर तक आ रहे थे…इस का एहसास उस को हो रहा था. लेकिन उन्हें रोकने की चेष्टा वह नहीं कर रही थी.

कपिल के बदन पर लगे होली के रंग धीरेधीरे प्रेरणा के बदन पर चढ़ते जा रहे थे. साड़ी में लिपटेलिपटे दोनों के बदन का रंग अब एक हो चला था.

शारीरिक संबंध चाहे पहली बार हो या बारबार, प्रेमीप्रेमिका के लिए रसपूर्ण ही होता है. जब तक प्रेरणा कपिल से बचती थी तभी तक बचती भी रही थी पर अब तो दोनों ही एक होने का मौका ढूंढ़ते थे और मौका उन्हें मिल भी जाता था. सच ही है जहां चाह होती है वहां राह भी मिल जाती है.

पर इस प्रेमकथा का अंत इस तरह होगा, यह दोनों ने नहीं सोचा था.

कपिल और प्रेरणा की लाख दुहाई देने पर भी कपिल की रूढि़वादी दादी उन के विवाह के लिए न मानीं और दोनों प्रेमी जुदा हो गए. घर वालों के खिलाफ जाना दोनों के बस की बात नहीं थी. 2 घर की छतों से शुरू हुई सालों पुरानी इस प्रेम कहानी का अंत भी दोनों छतों के किनारों पर हो गया था.

शायद यहीं आ कर नई पीढ़ी आगे निकल गई है. आज किसी कनिका और किसी अभिषेक को किसी से डरने की जरूरत नहीं है. अपना फैसला वे खुद करते हैं. मांबाप को सूचित कर दिया यही काफी है. यह तो कनिका और अभिषेक के भले संस्कारों का असर है जो इंडिया आ कर शादी कर रहे हैं. यों अगर वे अमेरिका में ही कोर्टमैरिज कर लेते तो भला कोई क्या कर लेता.

प्रेरणा की शादी अनिकेत से तय हो गई थी. न कोई शिकवा न गिला यों हुआ उन की प्रेमकथा का एक मूक अंत.

विदाई के समय प्रेरणा की नजरें घर की छत पर जा टिकीं, जहां कपिल को खडे़ देख कर उस के दिल में एक हूक सी उठी थी लेकिन चाहते हुए भी प्रेरणा की नजरें कुछ क्षण से ज्यादा कपिल पर टिकी न रह सकीं.

हर जख्म समय के साथ भर जाए यह जरूरी नहीं.

प्रेरणा को याद है. जब शादी के कुछ समय बाद कपिल से उस की मुलाकात मायके में हुई थी, वह कैसा बुझाबुझा सा लग रहा था.

‘कैसे हो कपिल?’ प्रेरणा ने कपिल के करीब आ कर पूछा.

न जाने कपिल को क्या हुआ कि वह प्रेरणा के सीने से चिपक कर रोने लगा. ‘काश, प्रेरणा हम समय पर बोल पाते. क्यों मैं ने हिम्मत नहीं दिखाई? पे्ररणा, इतनी कायरता भी अच्छी नहीं. तुम से बिछड़ कर जाना कि मैं ने क्या खो दिया.’

‘ओह कपिल…’ प्रेरणा भी रोने लगी.

चाहीअनचाही इच्छाओं के साथ प्रेरणा और कपिल का रिश्ता एक बार फिर से जुड़ गया. प्रेरणा के मायके के चक्कर ज्यादा ही लगने लगे थे.

अब प्रेरणा की दिलचस्पी फिर से कपिल में बढ़ती जा रही थी और अनिकेत में कम होती जा रही थी. पर अकसर टूर पर रहने वाले अनिकेत को प्रेरणा के बारबार मायके जाने का कारण अपनी व्यस्तता और उस को समय न देना ही लगता.

प्रेरणा और कपिल का यह रिश्ता उन्हें कहां ले जाएगा यह दोनों ही नहीं सोचना चाहते थे. बस, एक लहर के साथ वे बहते चले जा रहे थे.

शादी के पहले तो सब के अफेयर होते हैं, जो नाजायज तो नहीं पर जायज भी नहीं होते हैं. पर शादी के बाद के रिश्ते नाजायज ही कहलाएंगे. यह बात प्रेरणा को अच्छी तरह समझ में आ गई थी. कनिका के जन्म के बाद से ही प्रेरणा ने कपिल से संबंध खत्म करने का निर्णय ले लिया था. कनिका के जन्म के बाद पहली बार प्रेरणा अपने मायके आई थी. कमरे में प्रेरणा अपने और कनिका के कपड़े अलमारी में लगा रही थी कि अचानक कपिल ने पीछे से आ कर प्रेरणा को अपनी बांहों में भर लिया.

‘ओह, प्रेरणा कितने दिनों बाद तुम आई हो. उफ, ऐसा लगता है मानो बरसों बाद तुम्हें छू रहा हूं. प्रेरणा, तुम कितनी खूबसूरत लग रही हो. तुम्हारा यह भरा हुआ बदन…सच में मां बनने के बाद तुम्हारी खूबसूरती और भी निखर गई है.’ और हर शब्दों के साथ कपिल की बांहों का कसाव बढ़ता जा रहा था.

इस वक्त घर में कोई नहीं है यह बात कपिल को पता थी, इस वजह से वह बिना डरे बोले जा रहा था.

प्रेरणा के इकरार का इंतजार किए बिना ही कपिल उस की साड़ी उतारने लगा. कंधे से पल्ला गिरते ही लाल रंग के ब्लाउज में प्रेरणा का बदन बहुत उत्तेजित लगने लगा जिसे देख कर कपिल मदहोश हुआ जा रहा था.

इस से पहले कि कपिल के हाथ प्रेरणा के ब्लाउज के हुक खोलते, एक झन्नाटेदार चांटा कपिल के गाल पर पड़ा. ‘यह क्या कर रहे हो कपिल, तुम्हें शर्म नहीं आती कि मेरी बेटी यहां पर लेटी है. अब मुझे यह सब अच्छा नहीं लगता है.’ न जाने प्रेरणा में इतना परिवर्तन कैसे आ गया था, जो अपने ही प्यार का अपमान इस तरह से कर रही थी.

कपिल एक क्षण के लिए चौंक गया फिर बिना कुछ बोले, बिना कुछ पूछे वह तुरंत कमरे से बाहर निकल गया. शायद इतनी बेइज्जती के बाद उस ने वहां रुकना उचित न समझा. कपिल के जाते ही प्रेरणा फूटफूट कर रोने लगी. कपिल से रिश्ता खत्म करने का शायद उसे यही एक रास्ता दिखा था. कपिल से रिश्ता तोड़ना प्रेरणा के लिए आसान नहीं था पर आज प्रेरणा एक औरत बन कर नहीं बल्कि एक मां बन कर सोच रही थी. कल को उस के नाजायज संबंधों का खमियाजा उस की बेटी को न भोगना पड़े.

बच्चों को आदर्श की बातें बड़े तभी सिखा पाते हैं जब वे खुद उन के लिए एक आदर्श हों. जिन भावनाओं को प्रेरणा शादी के बाद भी नहीं छोड़ पाई, उन्हीं भावनाओं को अपनी औलाद के लिए त्यागना कितना आसान हो गया था.

उस के बाद प्रेरणा और कपिल की कोई मुलाकात नहीं हुई.

पर आज भी कपिल प्रेरणा के खयालों में रहता है और अनिकेत के साथ अंतरंग क्षणों में प्रेरणा को कपिल की यादों का एहसास होता है. वक्तबेवक्त कपिल की यादें प्रेरणा की आंखों को नम कर देती थीं.

कुछ रिश्ते यादों की धुंध में ही अच्छे लगते हैं. यह बात प्रेरणा अच्छी तरह जानती थी पर आज वही रिश्ते यादों की धुंध से निकल कर प्रेरणा को विचलित कर रहे थे.

जिस इनसान से प्रेरणा कभी प्रेम करती थी अब उसी का बेटा उस की बेटी के जीवन में आ गया था.

कैसे प्रेरणा कपिल का सामना कर पाएगी? कपिल के लिए जो भावनाएं आज भी उस के दिल में जीवित हैं उन भावनाओं को हटा कर एक नया रिश्ता कायम करना क्या उस के लिए संभव हो सकेगा? कैसे वह इन नए संबंधों को संभाल पाएगी? बरसों बाद अपने पहले प्यार की मिलनबेला का स्वागत करे या…

कैसे वह अपनी ही जाई बेटी की खुशियों का गला घोट डाले? कैसे अपने और कपिल के रिश्ते को सब के सामने खोले? क्या कनिका यह सहन कर पाएगी?

वैसे भी नई पीढ़ी जातिपांति को नहीं मानती. उस के लिए तो प्यार में सब चलता है. नई पीढ़ी तो इन बंधनों के सख्त खिलाफ है. जातपांति के मिटने में ही सब का भला है. आज की पीढ़ी यही समझ रही है, तब किस आधार पर अभिषेक और कनिका का रिश्ता ठुकराया जाए?

अपने ही खयालों के भंवर में प्रेरणा फंसती जा रही थी. सच में दुनिया गोल है. कोई सिरा अगर छूट जाए तो आगेपीछे मिल ही जाता है. पर ऐसे सिरे से क्या फायदा जो सुलझाने के बजाय और उलझा दे.

अभिषेक के मातापिता को देख कर कनिका का दिल शायद न धड़के पर कपिल का सामना करने के केवल खयाल से ही प्रेरणा का दिल आज पहले की तरह तेजी से धड़क रहा था. धड़कते दिल को संभालने के लिए अनायास ही उस के मुंह  से निकल गया.

‘रखा था खयालों में अपने

जिसे संभाल कर,

ताउम्र उस को निहारा, सब से छिपा कर,

पर आज,

वक्त के थपेड़ों से सब बिखरता नजर आता है,

छिप कर आज कहां जाऊं,

वही चेहरा हर तरफ नजर आता है.’?

‘तो क्या जिस तरह यादों के तीर मेरे सीने के आरपार होते रहे उसी तरह के तीरों का शिकार अपनी बेटी को भी होने दूं?’ खुद से पूछे गए इस एक सवाल ने प्रेरणा को ठीक फैसला ले सकने की प्रेरणा दे दी. ‘कनिका को वैसा कुछ न सहना पड़े जो मैं ने सहा, चाहे इस के लिए अब मुझे कुछ भी सहना पड़े’ यह सोच कर प्रेरणा के मन की सारी उलझन गायब हो गई.

Holi Special: जरूरी सबक- हवस में अंधे हो कर जब लांघी रिश्तों की मर्यादा

हा को अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था. दरवाजे की झिर्री से आंख सटा कर उस ने ध्यान से देखा तो जेठजी को अपनी ओर देखते उस के होश फाख्ता हो गए. अगले ही पल उस ने थोड़ी सी ओट ले कर दरवाजे को झटके से बंद किया, मगर थोड़ी देर बाद ही चर्ररर…की आवाज के साथ चरमराते दरवाजे की झिर्री फिर जस की तस हो गई. तनिक ओट में जल्दी से कपड़े पहन नेहा बाथरूम से बाहर निकली. सामने वाले कमरे में जेठजी जा चुके थे. नेहा का पूरा शरीर थर्रा रहा था. क्या उस ने जो देखा वह सच है. क्या जेठजी इतने निर्लज्ज भी हो सकते हैं. अपने छोटे भाई की पत्नी को नहाते हुए देखना, छि, उन्होंने तो मर्यादा की सभी सीमाएं लांघ लीं…नेहा सोचती जा रही थी.

कितनी बार उस ने मयंक से इस दरवाजे को ठीक करवाने के लिए कहा था, लेकिन हर बार बात आई गई हो गई थी. एक तो पुराना दरवाजा, उस पर टूटी हुई कुंडी, बारबार कस कर लगाने के बाद भी अपनेआप खुल जाया करती थी. उस ने कभी सोचा भी नहीं था कि उस झिर्री से उसे कोई इस तरह देखने का यत्न कर सकता है. पहले भी जेठजी की कुछ हरकतें उसे नागवार लगती थीं, जैसे पैर छूने पर आशीर्वाद देने के बहाने अजीब तरह से उस की पीठ पर हाथ फिराना, बेशर्मों की तरह कई बार उस के सामने पैंट पहनते हुए उस की जिप लगाना, डेढ़ साल के नन्हें भतीजे को उस की गोद से लेते समय उस के हाथों को जबरन छूना और उसे अजीब सी निगाहों से देखना आदि.

नईनई शादी की सकुचाइट में वह मयंक को भी कुछ नहीं बता पाती. कई बार उसे खुद पर संशय होता कि क्या उस का शक सही है या फिर यह सब सिर्फ वहम है. जल्दबाजी में कोई निर्णय कर वह किसी गलत नतीजे पर नहीं पहुंचना चाहती थी, क्योंकि यह एक बहुत ही करीबी रिश्ते पर प्रश्नचिह्न खड़ा करने जैसा था. लेकिन आज की घटना ने उसे फिर से सोचने पर विवश कर दिया.

घर के आंगन से सटा एक कोने में बना यह कमरा यों तो अनाज की कोठी, भारी संदूक व पुराने कूलर आदि रखने के काम आता था, परंतु रेलवे में पदस्थ सरकारी कर्मचारी उस के जेठ अपनी नाइट ड्यूटी के बाद शांति से सोने के लिए अकसर उक्त कमरे का इस्तेमाल किया करते थे. हालांकि घर में 4-5 कमरे और थे, लेकिन जेठजी इसी कमरे में पड़े एक पुराने दीवान पर बिस्तर लगा कर जबतब सो जाया करते थे. इस कमरे से आंगन में बने बाथरूम का दरवाजा स्पष्ट दिखाई देता था. आज सुबह भी ड्यूटी से आए जेठजी इसी कमरे में सो गए थे. उन की बदनीयती से अनभिज्ञ नेहा सुबह के सभी कामों को निबटा कर बाथरूम में नहाने चली आई थी. नेहा के मन में भारी उथलपुथल मची थी, क्या इस बात की जानकारी उसे मयंक को देना चाहिए या अपनी जेठानी माला से इस बाबत चर्चा कर देखना चाहिए. लेकिन अगर किसी ने उस की बात पर विश्वास नहीं किया तो…मयंक तो अपने बड़े भाई को आदर्श मानता है और भाभी…वे कितनी भली महिला हैं. अगर उन्होंने उस की बात पर विश्वास कर भी लिया तो बेचारी यह जान कर कितनी दुखी हो जाएंगी. दोनों बच्चे तो अभी कितने छोटे हैं. नहींनहीं, यह बात वह घर में किसी को नहीं बता सकती. अच्छाभला घर का माहौल खराब हो जाएगा. वैसे भी, सालछह महीने में मयंक की नौकरी पक्की होते ही वह यहां से दिल्ली उस के पास चली जाएगी. हां, इस बीच अगर जेठजी ने दोबारा कोई ऐसी हरकत दोहराई तो वह उन्हें मुंहतोड़ जवाब देगी, यह सोचते हुए नेहा अपने काम पर लग गई.

उत्तर प्रदेश के कानपुर में 2 वर्षों पहले ब्याह कर आई एमए पास नेहा बहुत समझदार व परिपक्व विचारों की लड़की थी. उस के पति मयंक दिल्ली में एक कंपनी में बतौर अकाउंट्स ट्रेनी काम करते थे. अभी फिलहाल कम सैलरी व नौकरी पक्की न होने के कारण नेहा ससुराल में ही रह रही थी. कुछ पुराना पर खुलाखुला बड़ा सा घर, किसी पुरानी हवेली की याद दिलाता सा लगता था. उस में जेठजेठानी और उन के 2 छोटे बच्चे, यही नेहा की ससुराल थी.

यहां उसे वैसे कोई तकलीफ नहीं थी. बस, अपने जेठ का दोगलापन नेहा को जरा खलता था. सब के सामने प्यार से बेटाबेटा कहने वाले जेठजी जरा सी ओट मिलते ही उस के सामने कुछ अधिक ही खुलने का प्रयास करने लगते, जिस से वह बड़ी ही असहज महसूस करती. स्त्रीसुलभ गुण होने के नाते अपनी देह पर पड़ती जेठजी की नजरों में छिपी कामुकता को उस की अंतर्दृष्टि जल्द ही भांप गई थी. एहतियातन जेठजी से सदा ही वह एक आवश्यक दूरी बनाए रखती थी.

होली आने को थी. माला और बच्चों के साथ मस्ती और खुशियां बिखेरती नेहा जेठजी के सामने आते ही एकदम सावधान हो जाती. उसे होली पर मयंक के घर आने का बेसब्री से इंतजार था. पिछले साल होली के वक्त वह भोपाल अपने मायके में थी. सो, मयंक के साथ उस की यह पहली होली थी. होली के 2 दिनों पहले मयंक के आ जाने से नेहा की खुशी दोगुनी हो गई. पति को रंगने के लिए उस ने बच्चों के साथ मिल कर बड़े जतन से एक योजना बनाई, जिस की भनक भी मयंक को नहीं पड़ने पाई.

होली वाले दिन महल्ले में सुबह से ही बच्चों की धमाचौकड़ी शुरू हो गई थी. नेहा भी सुबह जल्दी उठ कर भाभी के साथ घर के कामों में हाथ बंटाने लगी. ‘‘जल्दीजल्दी हाथ चला नेहा, 10-11 बजे से महल्ले की औरतें धावा बोल देंगी. कम से कम खाना बन जाएगा तो खानेपीने की चिंता नहीं रहेगी,’’ जेठानी की बात सुन नेहा दोगुनी फुरती से काम में लग गई. थोड़ी ही देर में पूड़ी, कचौड़ी, दही वाले आलू, मीठी सेवइयां और अरवी की सूखी सब्जी बना कर दोनों देवरानीजेठानी फारिग हो गईं. ‘‘भाभी, मैं जरा इन को देख कर आती हूं, उठे या नहीं.’’

‘‘हां, जा, पर जरा जल्दी करना,’’ माला मुसकराते हुए बोली. कमरे में घुस कर नेहा ने सो रहे मयंक के चेहरे की खूब गत बनाई और मजे से चौके में आ कर अपना बचा हुआ काम निबटाने लगी.

इधर, मयंक की नींद खुलने पर सभी उस का चेहरा देख कर हंसतेहंसते लोटपोट हो गए. हैरान मयंक ने बरामदे में लगे कांच में अपनी लिपीपुती शक्ल देखी तो नेहा की शरारत समझ गया. ‘‘भाभी, नेहा कहां है?’’ ‘‘भई, तुम्हारी बीवी है, तुम जानो. मुझे तो सुबह से नजर नहीं आई,’’ भाभी ने हंसते हुए जवाब दिया.

‘‘बताता हूं उसे, जरा मिलने दो. अभी तो मुझे अंदर जाना है.’’ हाथ से फ्रैश होने का इशारा करते हुए वह टौयलेट में जा घुसा. इधर, नेहा भाभी के कमरे में जा छिपी थी.

फ्रैश हो कर मयंक ने ब्रश किया और होली खेलने के लिए बढि़या सफेद कुरतापजामा पहना. ‘‘भाभी, नाश्ते में क्या बनाया है, बहुत जोरों की भूख लगी है. फिर दोस्तों के यहां होली खेलने भी निकलना है,’’ मयंक ने भाभी से कहा, इस बीच उस की निगाहें नेहा को लगातार ढूंढ़ रही थीं. मयंक ने नाश्ता खत्म ही किया था कि भतीजी खुशी ने उस के कान में कुछ फुसफुसाया. ‘‘अच्छा…’’ मयंक उस की उंगली थामे उस की बताई जगह पर आंगन में आ खड़ा हुआ. ‘‘बताओ, कहां है चाची?’’ पूछने पर ‘‘एक मिनट चाचा,’’ कहती हुई खुशी उस का हाथ छोड़ कर फुरती से दूर भाग गई. इतने में पहले से ही छत पर खड़ी नेहा ने रंग से भरी पूरी की पूरी बालटी मयंक पर उड़ेल दी. ऊपर से अचानक होती रंगों की बरसात में बेचारा मयंक पूरी तरह नहा गया. उस की हालत देख कर एक बार फिर पूरा घर ठहाकों से गूंज उठा. थोड़ी ही देर पहले पहना गया सफेद कुरतापजामा अब गाढ़े गुलाबी रंग में तबदील हो चुका था.

‘‘ठहरो, अभी बताता हूं तुम्हें,’’ कहते हुए मयंक जब तक छत पर पहुंचा, नेहा गायब हो चुकी थी. इतने में बाहर से मयंक के दोस्तों का बुलावा आ गया. ‘‘ठीक है, मैं आ कर तुम्हें देखता हूं,’’ भनभनाता हुआ मयंक बाहर निकल गया. उधर, भाभी के कमरे में अलमारी के एक साइड में छिपी नेहा जैसे ही पलटने को हुई, किसी की बांहों ने उसे अपनी गिरफ्त में ले लिया. उस ने तुरंत ही अपने को उन बांहों से मुक्त करते हुए जेठजी पर तीखी निगाह डाली.

‘‘आप,’’ उस के चहेरे पर आश्चर्य और घृणा के मिलेजुले भाव थे. ‘‘अरे तुम, मैं समझा माला है,’’ जेठजी ने चौंकने का अभिनय करते हुए कहा. बस, अब और नहीं, मन में यह विचार आते ही नेहा ने भरपूर ताकत से जेठजी के गाल पर तड़ाक से एक तमाचा जड़ दिया.

‘‘अरे, पागल हुई है क्या, मुझ पर हाथ उठाती है?’’ जेठजी का गुस्सा सातवें आसमान पर था. ‘‘पागल नहीं हूं, बल्कि आप के पागलपन का इलाज कर रही हूं, क्योंकि सम्मान की भाषा आप को समझ नहीं आ रही. गलत थी मैं जो सोचती थी कि मेरे बदले हुए व्यवहार से आप को अपनी भूल का एहसास हो जाएगा. पर आप तो निर्लज्जता की सभी सीमाएं लांघ बैठे. अपने छोटे भाई की पत्नी पर बुरी नजर डालते हुए आप को शर्म नहीं आई, कैसे इंसान हैं आप? इस बार आप को इतने में ही छोड़ रही हूं. लेकिन आइंदा से अगर मुझ से जरा सी भी छेड़खानी करने की कोशिश की तो मैं आप का वह हाल करूंगी कि किसी को मुंह दिखाने लायक न रहेंगे. आज आप अपने छोटे भाई, पत्नी और बच्चों की वजह से बचे हो. मेरी नजरों में तो गिर ही चुके हो. आशा करती हूं सब की नजरों में गिरने से पहले संभल जाओगे,’’ कह कर तमतमाती हुई नेहा कमरे के बाहर चली गई.

कमरे के बाहर चुपचाप खड़ी माला नेहा को आते देख तुरंत दरवाजे की ओट में हो गई. वह अपने पति की दिलफेंक आदत और रंगीन तबीयत से अच्छी तरह वाकिफ थी. पर रूढि़वादी बेडि़यों में जकड़ी माला ने हमेशा ही पतिपरमेश्वर वाली परंपरा को शिरोधार्य किया था. वह कभीकभी अपने पति की गलत आदतों के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत न कर पाई थी. लेकिन आज नेहा ने जो बहादुरी और हिम्मत दिखाई, उस के लिए माला ने मन ही मन उस की बहुत सराहना की. नेहा ने उस के पति को जरूरी सबक सिखाने के साथसाथ उस घर की इज्जत पर भी आंच न आने दी. माला नेहा की शुक्रगुजार थी.

उधर, कुछ देर बाद नहा कर निकली नेहा अपने गीले बालों को आंगन में सुखा रही थी. तभी पीछे से मयंक ने उसे अपने बाजुओं में भर कर दोनों मुट्ठियों में भरा रंग उस के गालों पर मल दिया. पति के हाथों प्रेम का रंग चढ़ते ही नेहा के गुलाबी गालों की रंगत और सुर्ख हो चली और वह शरमा कर अपने प्रियतम के गले लग गई. यह देख कर सामने से आ रही माला ने मुसकराते हुए अपनी निगाहें फेर लीं.

Holi Special: जब उड़े रंग और गुलाल 

होली का त्यौहार आते ही मन में मौज-मस्‍ती, रंग-गुलाल, उमंग आदि की तस्वीर उभरती है. हालाँकि इस बार होली में बाहर निकलकर रंग खेलने का मौका नहीं, क्योंकि कोरोना महामारी एक बार फिर बढ़ रही है. असल में कोरोना संक्रमण की वजह से पिछले साल और इस साल भी त्योहारों के मौज-मस्ती कम होती दिखाई पड़ रही है, लेकिन घर पर रंग और गुलाल खेलने से कोई मनाही नहीं है. इसलिए रंगों से त्वचा ख़राब होने का डर रहता है.

इस बारें में मुंबई की कोकिलाबेन धीरूभाई अम्बानी हॉस्पिटल की डर्मेटोलोजिस्ट और केश विशेषज्ञ डॉ. रेशमा टी. विश्नानी कहती है कि होली खेलने के बाद ज़्यादातर हमारी त्‍वचा और बालों की हालत ख़राब हो जाती है, ऐसे में कुछ जरुरी सावधानियां बरतने पर इस समस्या से निजात पाया जा सकता है. कुछ टिप्स निम्न है,

होली के हफ़्ते भर बाद, वैक्सिंग, थ्रेडिंग, ब्‍लीचिंग, केमिकल पील्‍स और लेज़र नहीं करने चाहिए. इसके अलावा रेटिनॉयड्स, सैलिसाय‍लिक और ग्‍लाइकॉलिक एसिड्स वाली क्रीम्‍स का उपयोग न करें, ये क्रीम्‍स त्‍वचा को ड्राई बना देती है.

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होली के दिन, भरपूर मात्रा में अच्‍छी क्‍वालिटी का मॉइश्‍चराइजर या ऑयल लगाएं, इसे 20 मिनट तक त्‍वचा में बैठ जाने दें. परिवार और दोस्तों के साथ रंग खेलने के 30 मिनट पहले वाटरप्रूफ सनस्‍क्रीन भी लगा लें. ऑयल, त्‍वचा द्वारा रंगों को सोखने से रोकेगा और बाद में त्‍वचा को ड्राई होने से भी बचायेगा. बालों में, कान के पीछे वाले हिस्‍सों में, कान पर, उंगली के पोरों के बीच में और नाखूनों के चारों ओर भी तेल लगा लेना सही होता है.

गाढ़े रंग के सूती कपड़े पहनें, जिससे त्‍वचा का अधिकांश हिस्‍सा ढका रहे, जिससे बाद में रंगों को निकालने में आसानी होगी. सिर पर रंगबिरंगे कपड़े बांधे या हैट्स पहन लें और आंखों पर सनग्‍लासेज लगा लें.

नाखूनों को काट कर छोटा कर लें और कम से कम दो लेयर्स अच्‍छा टॉपकोट लगा लें’ प्राइम एसपीएफ वाला गाढ़ा लिप बाम लगाकर होंठों को सुरक्षित रखें.

रंग खेलने के लिए, पानी में घुलनशील और ब्रांडेड कंपनी के ऑर्गेनिक या हर्बल रंगों का प्रयोग करें, गोल्‍ड और सिल्‍वर रंग, मसलन इंडस्ट्रियल और मेटालिक कॅलर्स से दूर रहें, क्‍योंकि इनमें सस्‍ती डाई होती है, जिससे त्वचा में एलर्जी और ब्रेक-आउट्स की संभावना होती है.

रंग खेलने के बाद, सीधे न‍हाने न जाएँ, किसी साफ-सुथरे कपड़े से सूखे रंगों को धीरे-धीरे झाड़कर निकाल दें, फिर हल्‍का-सा तेल लगाकर 10 मिनट तक इंतज़ार करें, कॉटन या सॉफ्ट टिश्‍यू लेकर, तेल को पोंछ दें और नहा लें. रंगों को हटाने के लिए किसी प्रकार के केमिकल जैसे केरोसिन, सख्‍त ब्रश, नींबू, टमाटर आदि का प्रयोग कभी भी न करें. इससे स्किन ड्राई हो जाती है, जिससे त्वचा पर रैशेज की संभावना बढ़ जाती है.

केशों को किसी माइल्ड शैम्पू से धोने के बाद कंडीशनर लगा लें, इससे केश बेजान होने से बचेंगे.

नहाने के बाद पूरे शरीर पर कोई अच्छा मॉइश्‍चराइजर लगा लें. कुछ घंटों के बाद फिर से मोयस्चराइजर लगायें, इससे त्वचा रुखी और बेजान होने से बचेगी. एक सप्ताह तक स्किन पर मोयस्चराइजर और सनस्‍क्रीन का लगातार प्रयोग करते रहने से त्वचा फिर पहले जैसे हो जायेगी.

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चेहरे या शरीर पर किसी प्रकार की खुजली, लाल रंग के चकत्ते, फोड़े आदि दिखने पर त्वचा विशेषज्ञ से तुरंत संपर्क करें, ताकि इसे बढ़ने से रोका जा सकें.

Holi Special: होली के रंग सेलेब्स के संग

होली का त्यौहार हर साल खुशियों और रंगों के साथ आता है. पूरे विश्व में इसे किसी न किसी रूप में मनाया जाता है. रंगों के इस फेस्टिवल को दो दिन मनाया जाता है, लेकिन पिछले साल और इस साल कोविड 19 की महामारी के चलते कई सावधानियां बरती जा रही है, ताकि अधिक लोग एक साथ में जमा न हो और इस महामारी पर लगाम लगाया जा सकें. इस साल भी सभी घर पर अपने परिवार और दोस्तों के साथ होली मना सकेंगे. बाहर जाकर हुडदंग मचाना इस साल भी मना है. होली के त्यौहार को लेकर हमारे सेलेब्स इस बार  मायूस है. क्या कहना है उनका इस बारें में, आइये जाने होली से जुड़ी कुछ खट्टी-मीठी बातें,

विजयेन्द्र कुमेरिया

 अभिनेता विजयेन्द्र कुमेरिया कहते है कि पिछले साल पेंडेमिक की वजह से मैं होली का त्यौहार नहीं मना पाया, इस साल भी कोरोना संक्रमण के बढ़ते केसेज की वजह से मैं अपने घर पर परिवार के साथ होली मनाऊंगा. मुझे ख़ुशी है कि मैं सेट पर होली की एक सीक्वेंस शूट कर रहा हूँ और उसी से खुद को सांत्वना दे रहा हूँ . अगर मुझे होली के दिन शूटिंग से छुट्टी मिली, तो मैं घर पर परिवार के साथ रहकर इस उत्सव का आनंद ले सकूँगा. होली की सबसे मजेदार बात ये है कि मैंने बहुत पहले एक बार भांग पी लिया था, वह मेरा पहला और अंतिम दिन था, क्योंकि उसके बाद मैंने कभी भांग नहीं पिया. भांग पीने के बाद मैं पूरा दिन हँसता रहा, ये किसी फ़िल्मी सीन से कम नहीं था. ये अनुभव मेरे लिए ख़ास है, इसलिए कभी भूल नहीं पाया. महामारी ने होली की परिभाषा को बदल कर रख दिया है. उम्मीद है अगले साल मुझे क्रेजी होली मनाने का मौका मिलेगा. 

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कविता वर्मा 

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अभिनेत्री कविता वर्मा का कहना है कि हम सभी रंगों के इस त्यौहार को आने का पूरे साल इंतजार करते है. इस समय जीवन में सुरक्षा से अधिक कुछ भी हमारे जीवन में महत्व नहीं रखता. इस साल मैं होली नहीं मनाउंगी, क्योंकि मेरे पिता कुछ दिन पहले गुजर चुके है. मुझे होली के त्यौहार में मना करने पर भी रंग लगाना कभी पसंद नहीं होता और रंग लगाने के बाद उनका एक ही कैप्शन ‘बुरा न मानो, होली है’ कह देते है, लेकिन मैं रंग और उससे जुड़े भावनाओं को समझती हूँ और कामना करती हूँ कि सबलोग घर पर सुरक्षित होली मनाये. 

राजित देव 

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धूम 3 फेम कोरियोग्राफर राजित देव कहते है कि महामारी का एक साल बीत गया है. मैं पिछले साल केरल में अपने पेरेंट्स के साथ था. इस साल भी मैं घर पर रहकर ही होली मनाने वाला हूँ, क्योंकि कोविड 19 अभी गया नहीं है और संक्रमण भी बहुत बढ़ चुका है, ऐसे में सभी को मैं सुरक्षित होली मनाने की सलाह देता हूँ. मेरा होली से जुड़े कोई क्रेजी मोमेंट नहीं है,लेकिन मैंने कई लोगों को भांग पीते हुए देखा है, मैंने कभी नहीं पिया है. अगले साल सब ठीक होने पर मैं भांग को एक बार अवश्य ट्राय करूँगा. 

प्रतीक चौधरी 

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प्रतीक कहते है कि होली भारतीयों के लिए एक महत्वपूर्ण त्यौहार है. कोविड 19 पेंड़ेमिक की वजह से इस साल भी ‘नो होली, नो पार्टीज’ वाली कांसेप्ट सबके लिए लागू रहेगी. मेरी माँ उस दिन गुजिया, दही वडा और कई प्रकार की मिठाइयाँ बनाती है, इसलिए मैं घर जाकर अपने परिवार के साथ लजीज पकवान खाने वाला हूँ. मुझे याद आता हैकि बचपन में मैं बहुत शरारती था. होली के दिन मैं टेरेस से आने-जाने वालों को अंडे और रंग भरे बैलून फेंकता और हाथों में सिल्वर और गोल्डन कलर लगाकर दोस्तों के चेहरे पर पोत देता था, जिसे  छुड़ाने में उन्हें काफी समय लगता था और माँ मुझे डांटती रहती थी. अगले साल उम्मीद है सब ठीक हो जायेगा और मैं एक बार फिर से बचपन की होली को मना सकूँगा. 

अविनाश मुख़र्जी 

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धारावाहिक बालिका बधू फेम ‘जग्या’ सिंह यानि अविनाश मुख़र्जी कहते है कि महामारी में होली खेलना ठीक नहीं. किसी को भी साहस दिखाने की कोई आवश्यकता नहीं है. खुद को सुरक्षित रखना है और सरकार के गाइड लाइन्स को फोलो करते हुए होली के दिन घर पर रहना है. इस दिन अपने पेरेंट्स और प्रियजनों के माथे पर गुलाल का एक टीका लगा देने से भी होली मनाई जा सकती है. मुझे याद आता है, बचपन में जब मैं प्लास्टिक की थैली और बैलून में गाढ़ा ब्लैक और ग्रे रंग भरने के बाद छुपकर आने जाने वालों पर फेंकता था, कुछ लोग हँसते हुए चले जाते थे, तो कुछ भला-बुरा कहते थे, तब इन सब में बहुत मज़ा आता था. 

सिद्दार्थ सिपानी 

अभिनेता सिद्दार्थ सिपानी बीकानेर से है और कहते है कि राजस्थान में होली का पर्व बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है. इस बार होली मैं अपने परिवार के साथ मनाने वाला हूँ. होली पर मैंने हमेशा बहुत मस्ती की है, लेकिन इस बार थोडा मुश्किल है, क्योंकि कोविड 19 की वजह से हर जगह कुछ न कुछ पाबंधियाँ है. ये सही भी है, हर व्यक्ति को घर में रहना है और बाहर निकलने पर मास्क लगाना है और अपने हाथों को बार-बार सेनिटाईज करते रहना है.

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फ़रनाज़ शेट्टी 

farnaz

धारावाहिक ‘एक वीर की अरदास….वीरा’ में गुंजन सिंह की भूमिका निभाकर चर्चित हुई फरनाज़ शेट्टी को होली का त्यौहार हमेशा अच्छा लगता है. वह कहती है कि पिछले साल लॉकडाउन की वजह से ये त्यौहार मैं सेलिब्रेट नहीं कर पाई. अभी मैं साउथ की एक फिल्म की शूटिंग कर रही हूँ, इसलिए होली मना नहीं सकती. इस बार भी होली मनाने का माहौल नहीं है, क्योंकि कोरोना संक्रमण बढ़ चुका है. मैंने एक बार होली पर रंगों के साथ-साथ रेन डांस 3 घंटे तक किया, जो बहुत मजेदार थी.

शरद मल्होत्रा 

‘बनू मैं तेरी दुल्हन’ फेम अभिनेता शरद मल्होत्रा को पिछले साल की तरह इस बार भी होली न मना पाने का दुःख है. उनका कहना है कि मैंने सबसे अच्छी होली कोलकाता में मनाई है, जब मेरे कजिन्स एक साथ इकठ्ठा हुए और बहुत सारी घर पर बनी मिठाइयाँ हम सबने खाई थी. असल में त्यौहार सभी को अपने परिवार से मिलने का एक मौका देती है. इससे मन फिर से ताजगी का अनुभव करता है. इस साल मैं होली मुंबई में अपनी पत्नी के साथ गुलाल के एक टीके के साथ मनाने वाला हूँ. अभी मैं ये सोच भी नहीं पाता कि फिर सब कुछ नार्मल कब होगा. इसके अलावा मैं चाहता हूँ कि ऐसी परिस्थिति जल्दी से ठीक हो और सबलोग ख़ुशी-ख़ुशी फिर से काम पर लग जाय. 

Holi Special: होली पर बनाएं पोटेटो क्रेकर्स

होली का त्यौहार नजदीक है. भले ही कोरोना की पुनः दस्तक के कारण इस बार मेहमानों का आगमन नहीं होगा पर भारतीय परिवारों में त्यौहार और व्यंजन सदा से ही एक दूसरे के पूरक रहे हैं. जब तक घर में दोचार मीठे नमकीन व्यंजन न बनें तब तक लगता ही नहीं कि त्यौहार है. आप भी कुछ मीठे और नमकीन व्यंजन बनाने की सोच रहीं होंगी. इस बार आप नमकीन में पोटेटो क्रेकर्स ट्राय करके देखिए जो आपको मठरी, पापड़ी और चिप्स तीनो का बेहतरीन स्वाद प्रदान करेगें. तो आइए देखते हैं कि इन्हें कैसे बनाते हैं-

कितने लोंगों के लिए 10-12
बनने में लगने वाला समय 25 मिनट
मील टाइप वेज

सामग्री

मैदा 1 कप
बेसन 1/4 कप
सूजी 1/2 कप
कसूरी मैथी 1 टेबलस्पून
अजवाइन 1/4 टीस्पून

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नमक स्वादानुसार
मध्यम आकार के उबले आलू 4
तेल 4 टीस्पून
अदरक, लहसुन हरी मिर्च पेस्ट 1/2 टीस्पून
कश्मीरी लाल मिर्च 1 टीस्पून
चाट मसाला 1/2 टीस्पून
तलने के लिए तेल

विधि

एक बाउल में मैदा, बेसन, सूजी, नमक, मोयन का तेल, कसूरी मैथी और अदरक हरी मिर्च का पेस्ट डालें. अजवाइन को भी दोनों हथेलियों में मसलकर डालें. सभी सामग्री को एक साथ मिलाएं. आलू को किसकर इस मिश्रण में धीरे धीरे मिलाते हुए मैदा को गूंथ लें. पूरे आलू को मिलाकर पूरी जैसा कड़ा आटा लगा लें. पानी का प्रयोग नहीं करना है. ऊपर से चिकनाई लगाकर इसे 10 मिनट के लिए ढककर रख दें. 10 मिनट बाद इसे दो भागों में बांट लें. एक लोई को चकले पर लगभग परांठा जैसी मोटाई में बेलें. अब इससे 1 इंच लंबाई में काटकर तिकोने क्रेकर्स काट लें. इसी प्रकार सारे क्रेकर्स काट लें. कटे क्रेकर्स को गरम तेल में मंदी आंच पर हल्का सुनहरा होने तक तलकर बटर पेपर पर निकालें. गरम क्रेकर्स में ही चाट मसाला और कश्मीरी लाल मिर्च मिलाएं. एयरटाइट जार में भरकर प्रयोग करें.

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Holi Special: रंगों से ना आए आपकी खूबसूरती पर आंच, अपनाएं ये खास ब्यूटी टिप्स

होली आने में कम समय रह गया हैं और हर कोई इसका बेसब्री से इंतजार कर रहा है. हर कोई होली के रंग में डूबना चाहता है. इससे पहले कि आप भी रंगों के इस त्योहार में खो जाएं, हम आपको बता दें कुछ ऐसे शानदार ब्यूटी टिप्स जो आपकी खूबसूरती पर किसी तरह का कोई ग्रहण नहीं लगने देंगे.

आइए जानते हैं क्या है वो खास टिप्स-

बाल

बालों को रंगों के हानिकारक केमिकल से बचाने के लिए होली खेलने से पहले उनमें अच्छी तरह तेल लगा लें. इसके लिए दो बड़े चम्मच बादाम तेल में दो बूंद लैवेंडर का तेल, एक बूंद गुलाब का तेल और दो या तीन बूंद नींबू का रस मिलाकर बालों में लगा लें. ऐसा करने से आपके बालों को पोषण मिलने के साथ सुरक्षा भी मिलेगी. इससे आपके बालों को जरा भी नुकसान नहीं होगा.

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त्वचा से रंग छुड़ाने के लिए

हम बेहिचक होकर होली के रंगो में शामिल तो हो जाते हैं पर होली खेलने के बाद रंगों को छुड़ाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. अगर आप चाहती हैं कि इस बार आपको इस तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े तो दो चम्मच बेसन में एक चुटकी हल्दी का पाउडर, एक छोटा चम्मच शहद और थोड़ा सा दूध या दही मिलाकर पेस्ट बना लें. इस पेस्ट को रंग लगी त्वचा पर 15-20 मिनट तक लगाकर हल्के गुनगुने पानी से धो लें. इससे त्वचा से रंग आसानी से छूट जाएगा.

त्वचा की नमी

रंगों के संपर्क में आने के कारण त्वचा काफी संवेदनशील हो जाती है. ऐसे में होली के दिन कोशिश करें कि दो बार से ज्यादा न नहाएं. ऐसा करने से त्वचा की नमी खो सकती है इसके अलावा त्वचा के पीएच बैलेंस में भी काफी बदलाव हो सकता है. नहाने के बाद त्वचा पर मऔइश्चराइजर लगाना बिल्कुल न भूलें.

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नाखून

रंग खेलने के दौरान आपके नाखून अत्यधिक मात्रा में रंग अवशोषित कर लेते हैं. जो बाद में देखने में काफी भद्दें लगते हैं. कोशिश करें कि होली खेलने से पहले नाखूनों पर किसा गहरे रंग की नेल पौलिश लगा लें और होली के बाद में उसे थिनर से हटा लें. ऐसा करने से आपके नाखून होली के कृत्रिम रंगों से सुरक्षित रहेंगे.

Holi Special: खट्टे फलों से करें अपना घर साफ

हर महिला चाहती है कि उसका घर सुंदर रहे और चमके जिसके लिए वो रोजाना सफाई करती हैं. स्ट्रिस फ्रूट जो कि खट्टे होते हैं, उसमें प्रोटीन, न्यूट्रियंट्स और विटामिन होता है. खट्टे फल जैसे, नींबू, संतरा, मुसम्मी और अंगूर आदि फल वजन घटाने में भी लाभदायक होते हैं. यही नहीं अगर त्वचा को साफ करना हो या फिर घर के किसी समान को साफ करना हो, तो यह स्ट्रिस फ्रूट बड़े ही काम के हैं. तो अगर होली के दिनों में आपके घर भी रंगो के कारण गंदे दिखने लगे हैं तो अपनाएं यह उपाय.

1. मौसंबी

हम सब जानते हैं कि मौसंबी त्वचा को ग्लो करने के काम आती है. लेकिन क्या आप जानती है कि इससे घर की सफाई भी की जा सकती है. घर की सफाई करने के लिये इसके छिलके को सुखा कर नमक के साथ मिलाएं. फिर इस पेस्ट को मेटल, लोहा, स्टील, ब्रास, मार्बल आदि को साफ करने में प्रयोग करें. इससे बाथरूम की फर्श, बाथ टब और वॉश बेसिन आदि भी साफ किये जा सकते हैं.

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2. संतरा

इस फल का प्रयोग सफाई करने के लिये किया जा सकता है. संतरे का सूखा छिलका लीजिये और उसे मिक्सर में पीस लीजिये और उसमें सिरका मिला दीजिये और फिर इससे टेबल, शीशा और धातु साफ कीजिये. इसके प्रयोग से हल्के कपडों पर पडे हुए दाग भी आराम से छुटाए जा सकते हैं. कपडो की अलमारी में कीडे ना लगे इसके लिये उसमें संतरे का छिलका रख दें.

3. नींबू

कॉपर या ब्रास का शोपीस साफ करने के लिये आप नींबू के छिलके का प्रयोग कर सकती हैं. यही नहीं बल्कि कठोर प्लास्टिक का समान, शीशे के दरवाजे, टपरवेयर, खिड़की और लोहे के दाग आदि, साफ करने के काम आ सकता है. कपडे पर दाग लग गया हो तो नींबू का रस रगड दीजिये और फिर देखिये कमाल. कूड़े के डिब्बे में नींबू का टुकडा डालने से उसमें बदबू नहीं आएगी.

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Holi Special: मीठे में बनाएं गुलाबी बादाम पिस्ता पार्सल

भारतीय पर्वों में मीठे के बिना त्यौहारों की कल्पना भी नहीं की जा सकती. पर्व हो या कोई खुशी की बात मुंह मीठा कराना तो हमारी परंपरा है. त्यौहारों पर बाजार में मिलने वाली मिठाईयों में मिलावट होने का अंदेशा होता है इसलिए बेहतर है कि घर पर ही थोड़ी सी मेहनत करके स्वादिष्ट और सेहतमंद मिठाईयां बनाई जाएं. होली रंगों का त्यौहार है तो मिठाइयों में भी रंगीनियत होनी चाहिए. इसीलिए आज हम आपको गुलाबी रंगत लिए गुलाबी बादाम पिस्ता पार्सल बनाना बता रहे हैं जिसे बनाना तो बहुत आसान है ही साथ ही यह खाने में भी बेहद स्वादिष्ट है. तो आइए देखते हैं कि इसे कैसे बनाते हैं-

कितने लोंगों के लिए 8
बनने में लगने वाला समय 30 मिनट
मील टाइप वेज

सामग्री (कवर के लिए)

मैदा 2 कप
रवा 1/4 कप
बेकिंग सोडा 1/8 टीस्पून
घी 1/2 कप
चुकन्दर ज्यूस 2 कप
तलने के लिए घी

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सामग्री(भरावन के लिए)

मावा 250 ग्राम
किसा नारियल 1 टेबलस्पून
दरदरे बादाम 1/2 कप
दरदरे पिस्ता 1/2 कप
इलायची पाउडर 1/4 टीस्पून
शकर 1 टेबलस्पून
चाशनी के लिए शकर 1 कप

विधि

एक पैन में पिस्ता और बादाम को हल्का सा रोस्ट करके एक प्लेट में निकाल लें. अब इसी पैन में मंदी आंच पर हल्का भूरा होने तक मावे को भून लें. मावे के ठंडा होने पर किसा नारियल, बादाम, पिस्ता, इलायची पाउडर और पिसी शकर भली भांति मिलाकर भरावन तैयार कर लें.
मैदा, सूजी, बेकिंग पाउडर और घी को हाथ से मसलकर मिलाएं. आधा कप चुकन्दर के जूस की मदद से पूरी जैसा कड़ा मैदा गूंथ लें. इसे साफ सूती कपड़े से ढककर आधे घण्टे के लिए रख दें. आधे घण्टे बाद मैदा को दो भागों में बांट लें. एक लोई से चकले पर बड़ी रोटी जैसा बेलकर 2 इंच के चौकोर टुकड़े काट लें. एक कटोरी में 1 टीस्पून मैदा और 2 टेबलस्पून पानी मिलाएं. अब एक चौकोर टुकड़े के बीच में एक चम्मच मिश्रण रखें. किनारों पर मैदे का घोल लगाएं और ऊपर से दूसरा चौकोर टुकड़ा रखकर चारों तरफ से चिपका दें. पार्सल के किनारों को कांटे से हल्के से दबा दें. इसी प्रकार सारे पार्सल तैयार कर लें. अब इन्हें गरम घी में मंदी आंच पर भूरा होने तक तलकर बटर पेपर पर निकाल लें.चुकन्दर के ज्यूस में शकर मिलाकर एक तार की चाशनी बनाएं. तले गर्म गर्म पार्सल को गुलाबी चाशनी में 2 से 3 मिनट डुबोकर निकाल लें. ठंडा होने पर प्रयोग करें.

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Holi Special: ऐसे करें फटाफट घर को क्लीन

क्या आपके मन में कभी यह खयाल नहीं आया कि काश आपका घर भी किसी महल जैसा चमकता रहे. अगर आप सफाई करते समय कुछ बातों का ध्यान रखेंगी तो आपका घर भी उतना ही साफ रहेगा, जितने  होटल और महल रहते हैं. कुछ आसान टिप्स आपके घर को महल जैया सुंदर और साफ-सुथरा बनाने में आपकी मदद करेंगे.

1. क्लीनिंग प्लान बनाएं

सफाई करते समय आपको वैज्ञानिक सोच अपनाने की जरूरत होती है. आपके घर में जितने भी कमरे हैं, उनमें सामान के अनुसार प्लान ऑफ अटैक बनाएं. अगर आपको पता होगा कि आप क्या साफ करने जा रही हैं और किस क्रम में तो आपका न केवल समय बचेगा, बल्कि आप कई स्टेप्स दोहराएंगी भी नहीं. इसलिए सफाई की शुरुआत से पहले क्लीनिंग चेकलिस्ट बनाएं और उस पर अमल करें.

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2. ऊपर से शुरू करें

आपको कमरे की सफाई हमेशा ऊपर से नीचे की ओर करनी चाहिए. धूल नीचे गिरती है और आप कभी नहीं चाहेंगी कि कमरे के नीचे वाले हिस्से की सफाई आपको फिर से करनी पड़े.

3. फर्नीचर को भूल न जाना

ज्यादातर महिलाएं फर्श, खिड़कियों जैसी चीजों पर ही फोकस करती हैं और सोफा व दूसरे फर्नीचर भूल जाती हैं. आप हर फर्नीचर की सफाई अच्छी तरह से वैक्यूम क्लीनर से करें. धूल-मिट्टी के कण सोफे का कपड़ा खराब कर सकते हैं.

4. बिस्तर बचाएं

गद्दों के ऊपर कवर या फिर मैट्रेस प्रोटेक्टर्स लगाकर रखें. इससे गद्दे न केवल साफ रहते हैं, बल्कि ज्यादा चलते भी हैं. अगर बिस्तर पर कुछ गिर जाए तो सीधे गद्दों पर दाग नहीं लगता. कवर आप समय-समय पर साफ करती रहें. इससे एलर्जी की आशंका भी नहीं रहेगी. ऐसा ही तकियों के साथ भी करें. तकियों को हमेशा कवर चढ़ा कर रखें. कवर चेन वाले हों तो ज्यादा अच्छा रहेगा.

5. बल्ब की सफाई जरूरी

कमरे में मौजूद हर बल्ब की सफाई नियमित रूप से करें. सफाई करने से पहले उन्हें बंद कर दें और फिर उन्हें ठंडा होने दें. इससे बिजली की भी बचत होगी.

6. प्रोजेक्ट पर फोकस

कुछ चीजें आप रोज साफ नहीं करतीं, इनका नंबर कई-कई दिनों में आता है. चूंकि ये चीजें रोज-रोज साफ नहीं होतीं इसलिए जब नजर आती हैं तो बहुत गंदी नजर आती हैं और इन्हें साफ करना सिर दर्द लगता है. ऐसी चीजों के लिए एक मासिक कलेंडर बनाएं. जैसे एक दिन आप कमरों के पंखों के लिए रखें और एक दिन लैंप शेड्स की सफाई के लिए. हर काम के लिए रोज 15 मिनट का वक्त निर्धारित कर लें. ऐसा करने से आपका घर हमेशा साफ-सुथरा लगेगा और जब अगली दिवाली आएगी तो भी सफाई को लेकर कोई तनाव महसूस नहीं होगा और न ही किसी चीज को साफ करने की खास जरूरत होगी.

7. उपकरणों की देखभाल करें

कमरे की साफ-सफाई सर्वोच्च प्राथमिकता है, लेकिन सफाई के काम आ रहे उपकरणों को कभी न भूलें. याद रखें, अच्छे से अच्छा वैक्यूम क्लीनर भी बंद पड़ सकता है. हर महीने अपने वैक्यूम क्लीनर को जांचें और उसके ब्रश साफ करें. जो भी क्लीनर आप इस्तेमाल कर रही हैं, उनकी एक्सपायरी डेट देखें.

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8. खिड़कियां खोलें

जब भी कमरे की सफाई करें, जहां तक संभव हो, प्राकृतिक रोशनी का इस्तेमाल करें. अगर आप साफ-सफाई में रसायनों का इस्तेमाल कर रही हैं तो हवा का अंदर-बाहर आना-जाना बहुत जरूरी है. फिर ऐसा करना पर्यावरण के लिए भी अच्छा है.

9. रसायन सावधानी से

अलग-अलग तरह के क्लीनर इस्तेमाल कर रही हैं तो क्लीनर आपस में न मिलाएं. कुछ क्लीनर आपस में हानिकारक रासायनिक प्रतिक्रिया करते हैं, जिससे उनसे जहरीली गैस निकलती है. अलग-अलग क्लीनर के लिए अलग-अलग कपड़ा लें.

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