कलाकार का काम एक्शन और कट के बीच में होता है – श्वेता बासु प्रसाद

बाल कलाकार के रूप में अभिनय क्षेत्र में कदम रखने वाली अभिनेत्री श्वेता बासु प्रसाद का जन्म झारखण्ड में हुआ था, कुछ सालों बाद वह मुंबई शिफ्ट हो और फिल्म ‘मकड़ी’ मिली जिसमें श्वेता ने डबल भूमिका निभाई. यह फिल्म श्वेता की सबसे बड़ी हिट थी, जिसमें बेहतरीन भूमिका के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाज़ा गया. इसके अलावा उसने कई धारावाहिकोंऔर हिंदी फिल्मों में भी काम किया है.

हिंदी के अलावा श्वेता ने बांग्ला, तमिल, तेलगू फिल्मों में भी काम किया है. शांत, सुंदर और हंसमुख स्वभाव की श्वेता की वेब सीरीज होस्टेजेस 2 डिजनी+हॉटस्टार पर रिलीज हो चुकी है. उसमें वह इन्वेस्टिगेटिव इंटेलीजेंस ऑफिसर शिखा पांडे की भूमिका निभाई है. उससे उसकी जर्नी के बारें में बात हुई, पेश है कुछ अंश.

सवाल-इस वेब सीरीज की ख़ास बात क्या थी, जिसकी वजह से आप आकर्षित हुई?

मुझेहोस्टेजेस का पहला भाग बहुत अच्छा लगा था, इसलिए मैं इसे करने को राजी हुई.इस शो के ऑफर आने के बाद पूरी टीम, बड़ी स्टार कास्ट सब बहुत अच्छा था. मेरा चरित्र भी बहुत अच्छा है. साथ ही निर्देशक सुधीर मिश्रा जैसे बड़े निर्देशक के साथ काम करने का मौका मिल रह था.

सवाल-कितनी चुनौती थी?

मेरे लिए कोई खास चुनौती नहीं थी, क्योंकि मुझे बहुत अधिक एक्शन नहीं करना पड़ा. असल में मैं अपनी भूमिका को हमेशा एक नए रूप में दर्शक के आगे लाने की कोशिश करती हूं,इसके लिए बहुत मेहनत करती हूं, ताकि उन्हें कुछ नया मुझमें देखने को मिले.

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सवाल-क्या एक्टिंग आपके लिए इत्तफाक था या बचपन से ही सोचा था?

मैं पैदा जमशेदपुर में हुई थी ,लेकिन जब 5 साल की थी तब मुंबई आ गयी थी. मैंने 2 हिंदी फिल्में ‘मकडी’ और ‘इकबाल’ की थी. फिल्म मकड़ी के लिए मुझे राष्ट्रीय पुरस्कार मिला इसके बाद मेरे माता-पिता चाहते थे कि मैं ग्रेजुएशन पूरा कर फिल्मों में काम करूँ और मैंने वैसा ही किया.

सवाल-फिल्मों में आने की प्रेरणा कहाँ से मिली?

मेरे पिता का खुद का थिएटर ग्रुप था.वहां मैंने थिएटर कभी नहीं किया,लेकिन माहौल को मैंने देखा है. यही मेरी प्रेरणा रही.

सवाल-आपने टीवी, वेब और फिल्मों में काम किया है, सबमें कितना अंतर महसूस करती है?

एक कलाकार का काम एक्शन और कट के बीच में होता है. चाहे वह टीवी,वेब सीरीज या फीचर फिल्म किसी के लिए क्यों न हो. काम वही करना पड़ता है. इसलिए माध्यम कुछ भी हो, अभिनय में कोई फर्क नहीं पड़ता. एक मिनट के अंदर आप कितना सौ प्रतिशत अभिनय दे सकते है, वही सबकुछ होता है.

सवाल-क्या पहले की मीडिया और आज की मीडिया में अंतर को आप मानती है? इसे कैसे ठीक किया जा सकता है?

झूठ कहना और लिखना बहुत आसान होता है,लेकिन सच को लिखना बहुत मुश्किल होता है. मीडिया अब पहले जैसी नहीं रही,क्योंकि सच कोई सुनना नहीं चाहता. उन्हें जो आसानी से मिल जाता है, उसे ही लिख देते है, ऐसे में अगर कोई बाहर निकलकर उसकी सच्चाई को परखे, तो अच्छा होता है. आज लोग किसी काम के लिए एफर्ट कम लगाते है.

सवाल-आगे आपकी कौन सी रिलीज है?

इस साल मेरी 5 फिल्में रिलीज हो रही है, जो मेरे लिए ख़ुशी की बात है. एक फिल्म में मैं ग्लैमरस अवतार में भी काम कर रही हूं.

सवाल-आपकी ड्रीम प्रोजेक्ट क्या है?

कोई ड्रीम नहीं है. मुझे पुरानी फिल्में बहुत अच्छी लगती है,लेकिन आज के दर्शकों का टेस्ट बदल चुका है. वे अपने आस-पास की फिल्मों को देखना चाहते है. हर तरह के कलाकार को आज काम मिल रहा है. इस तरह जैसी मांग होगी, वैसी फिल्में बनती है.मैं हर तरह की फिल्में करने की इच्छा रखती हूं. मैं देविका रानी के उपर बायोपिक करना चाहती हूं, क्योंकि वह इंडस्ट्री की पहली सुपर स्टार थी. उन्होंने साल 1930 में फेमिनिज्म पर तब बात की थी,जिसकी आज हम करते है. इसके अलावा मैं फिर से मृनाल सेन और रितुपर्न घोष को इंडस्ट्री में देखना चाहती हूं.

सवाल-आपकी शादी शुदा जिंदगी चल नहीं पायी, क्या कोई रिग्रेट है?

नहीं, क्योंकि ये आपसी सहयोग से लिया गया डिवोर्स है, जो शादी के एक साल के अंदर ही टूट गया, लेकिन अभी ये फ्रेंडली और हार्दिक हो चुका है.

सवाल-समय मिले तो क्या करती है?

मुझे खाना बनाना बहुत पसंद है.मैं हर तरह का खाना बना लेती हूं. बांग्ला भोजन मुझे बहुत अच्छा लगता है. अलावा मैं किताबें बहुत पढ़ती हूं. साल में 30 से 40 किताबें पढ़ लेती हूं. फिल्म्स देखती हूं और सितार बजाती हूं.

सवाल-तनाव होने पर क्या करती है?

नकारात्मक बातें आती रहती है. उसे पढ़ने में मुझे अच्छा लगता है,क्योंकि वे अपनी राय मेरे लिए देते है और ये सही है. इसलिए मुझे तनाव अधिक नहीं होता.

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सवाल-क्या मेसेज देना चाहती है?

दर्शकों ने फिल्म ‘मकड़ी’ से लेकर इकबाल, ताशकंद फाइल्स,चन्द्र नंदिनी और अब होस्टाजेस 2 सभी को अपना सहयोग दिया है और आगे भी उनका प्यार मिलता रहे, ताकि मैं और अच्छा काम कर पाऊं.

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