अनुपमा को माया ने दिखाया घर के बाहर का रास्ता, बा पर फूटा राखी दवे का गुस्सा

रुपाली गांगुली और गौरव खन्ना स्टारर ‘अनुपमा’ ने लोगों का दिल जीतने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. शो में आए दिन ऐसे-ऐसे ट्विस्ट देखने को मिल रहे हैं, जिसने दर्शकों को भी हैरान करके रख दिया है. हालांकि ‘अनुपमा‘ (Anupama) में आ रहे मोड़ के लिए खुद अनुपमा ही दर्शकों के निशाने पर आ गई है. बीते दिन भी रुपाली गांगुली के शो में दिखाया गया कि बा रोते-बिलखते कपाड़िया हाउस पहुंच जाती हैं और अनुपमा को चलने के लिए बोलती हैं. अनुपमा के तैयार हो जाने पर अनुज हताश हो जाता है और उसकी ओर देखता तक नहीं है. लेकिन रुपाली गांगुली के ‘अनुपमा’ में आने वाले मोड़ यहीं पर खत्म नहीं होते हैं.

 

अनुपमा की पीठ पीछे साजिशों को अंजाम देगी माया

रुपाली गांगुली (Rupali Ganguly) और गौरव खन्ना के ‘अनुपमा’ में दिखाया जाएगा कि अनुपमा छोटी अनु के हाथ पर संदेश लिखती है और अनुज के लिए आई लव यू का मैसेज छोड़ती है. लेकिन माया मौका मिलते ही वो संदेश हटा देती है. इतना ही नहीं, वह खुद अनुपमा का सामान पैक करके उसे शाह हाउस भेजती है. वहीं अनुपमा के जाने से अनुज के चेहरे पर नाराजगी छा जाती है, लेकिन अनुपमा मुड़कर भी उसकी ओर नहीं देखती.

 

अनुज के कान भरेंगे बरखा और अंकुश

एंटरटेनमेंट से भरपूर ‘अनुपमा‘ में दिखाया जाएगा कि अनुपमा के जाने से अनुज परेशान होता है. ऐसे में बरखा और अंकुश भी उसके कान भरने से पीछे नहीं हटते. वह अनुज से कहते हैं कि वह तुम्हें और अनुपमा को गालियां देते हैं और जरूरत पड़ने पर उसे लेकर चले जाते हैं. अंकुश, अनुज को समझाता है कि उसे भी अनुपमा को ना बोलना सीखना होगा. वहीं माया बार-बार अनुज को याद दिलाती है कि वह अनुपमा की गैर मौजूदगी में घर संभाल लेगी.

शाह हाउस में अनुपमा को देख चढ़ेगा बापूजी का पारा

गौरव खन्ना स्टारर ‘अनुपमा’ में देखने को मिलेगा कि अनुपमा को शाह हाउस में देखकर बापूजी नाराजगी जाहिर करेंगे। वह बा पर चिल्लाएंगे कि उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था. इसके साथ ही वह अनुपमा को भी वापिस जाने के लिए कहेंगे और बोलेंगे कि तेरा एक पति और बेटी भी है. बापूजी की बातों पर बा किंजल और काव्या को ताने मारती हैं कि इन दोनों से कुछ नहीं होता. इसपर राखी दवे उनकी बोलती बंद करती है और कहती है, “तीन-तीन घंटे लड़ाई करने में उम्र याद नहीं आती, वहां नहीं थकतीं.”

 

YRKKH: अभिमन्यु, अभिनव के सामने खोलेगा अक्षरा की सच्चाई! आएगा शो में ट्विस्ट

टीवी सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है (Yeh Rishta Kya Kehlata Hai) में इन दिनों खूब सारा मसाला देखने को मिल रहा है. कहानी अक्षरा, अभिमन्यु और अभिनव के इर्द-गिर्द घूम रही है. सीरियल में अब तक देखने को मिला है कि अक्षरा और अभिमन्यु का आमना-सामना हो गया है. लेकिन अभि कसौली से जल्द से जल्द जाने की कोशिश करता है और इसके लिए वह अगली सुबह ही होटल से निकल जाता है. लेकिन कहानी में एक बड़ा ट्विस्ट आएगा, जिसके बाद दोनों एक बार फिर आमने-सामने हो जाएंगे. इतना ही नहीं, अपकमिंग एपिसोड में अक्षरा-अभि को खरी-खोटी सुनाती नजर आएगी. आइए आपको बताते हैं कि ये रिश्ता क्या कहलाता है कि आने वाले एपिसोड में क्या-क्या होगा.

अक्षरा-अभिनव के करीबी की शादी में शामिल होगा अभिमन्यु

ये रिश्ता क्या कहलाता है के अपकमिंग एपिसोड में देखने को मिलेगा कि अभिमन्यु कसौली से शिमला जा नहीं पाता. इसी बीच उसकी मुलाकात एक बार फिर अभिनव से होती है और यहां पर अभिनव अभिमन्यु को अपने साथ एक शादी में ले आता है. इस दौरान नीलम मां अभि को शादी अटेंड करने की बात कहती है, जिसे अभिमन्यु ठुकरा नहीं पाता.

 

जाने-अनजाने अभिमन्यु को खरी-खोटी सुनाएगी अक्षरा

सीरियल की कहानी में आगे अभिनव अभिमन्यु को पहाड़ी स्टाइल में तैयार करता है, जिसके बाद दोनों के कपड़े एक जैसे हो जाते हैं. एक सेकंड के लिए अभीर भी दोनों को देखकर हैरान रह जाता है. इसी बीच, जब अभिमन्यु बाहर आता है तो अक्षरा उसे अभिनव समझकर डांटने लगती है. दोनों के बीच एक पर्दा होता है. अक्षरा कहती है कि वह नहीं चाहती कि अभिमन्यु की लाइफ में हो. यह बात सुनकर अभि काफी हर्ट होता है और वहां से चला जाता है.

 

अभिनव को सब सच बताएगा अभिमन्यु

ये रिश्ता क्या कहलाता है में एक बहुत बड़ा ट्विस्ट सामने आने वाला है. सीरियल में अभिनव और अभिमन्यु रात में थोड़ा टाइम साथ बिताते नजर आएंगे. इस दौरान दोनों थोड़ी शराब भी पीते हैं, जिस वजह से नशे में दोनों एक-दूसरे से अक्षरा की बात करते हैं. इसी दौरान अभिमन्यु अभिनव को अक्षरा की सच्चाई बता देगा. हालांकि, इस मौके पर अक्षरा भी वहां पहुंच जाती है और यह सब सुनकर उसके होश उड़ जाते हैं.

REVIEW: जानें कैसी है अजय देवगन की ‘भुजः द  प्राइड आफ इंडिया’

रेटिंगः एक स्टार

निर्माताः अजय देवगन फिल्मस, पैनोरमा स्टूडियो, सेलेक्ट मीडिया

निर्देशकः अभिषेक दुधैया

कलाकारः अजय देवगन, सजय दत्त,  सोनाक्षी सिन्हा, नोरा फतेही, शरद केलकर, अमी विर्क, अनुराग त्रिपाठी व अन्य.

अवधिः एक घंटा 53 मिनट 

ओटीटी प्लेटफार्मः हॉटस्टार डिजनी

1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध के वक्त गुजरात के भुज हवाई अड्डे के एअरबेस को पाकिस्तानी वायुसेना ने बमबारी से ध्वस्त कर दिया था. तब भुज हवाई अड्डे के तत्कालीन प्रभारी आईएएफ स्क्वाड्रन लीडर विजय कर्णिक और उनकी टीम ने मधापर व उसके आसपास के गांव की 300 महिलाओं की मदद से वायुसेना के एयरबेस का पुनः निर्माण किया था. उसी सत्य ऐतिहासिक घटनाक्रम पर सिनेमाई स्वतंत्रता के साथ फिल्मकार अभिषेक दुधैया फिल्म‘‘भुजः द प्राइड आफ इंडिया’’लेकर आए हैं. जो कि तेरह अगस्त की शाम साढ़े बजे से ‘‘हॉट स्टार डिजनी’पर स्ट्रीम हो रही है.

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कहानीः

15 अगस्त 1947 को आजादी के समय हिंदुस्तान का विभाजन होने पर पाकिस्तान व पूर्वी पाकिस्तान बना था. पाकिस्तान के प्रधान मंत्री याहया खान ने पूर्वी पाकिस्तान में जुल्म ढाते हुए चालिस लोगों को मौत के घाट उतार दिया था. जिसके चलते वहां के लोगों व शांतिवाहिनी ने विद्रोह किया था और फिर पाकिस्तान ने पूर्वी पाकिस्तान पर सैनिक आक्रमण किया था, तब भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भारतीय सेना को पाकिस्तान के खिलाफ भेजकर काफी हिस्से पर कब्जा कर लिया था और पूर्वी पाकिस्तान को बांगला देश बनाने में मदद की थी. इससे बौखलाए याहया खान ने भारत के पश्चिमी हिस्से में कच्छ से घुसकर भुज पर आक्रमण किया था. उस वक्त भुज एअरबेस के प्रभारी आईएएफ स्क्वार्डन लीडर विजय श्रीनिवास कार्णिक(अजय देवगन )थे. जबकि उनके कमंाडर आर के नायर(शरद केलकर)हैं. आर के नायर ने एक अपंग मुस्लिम महिला से शादी की है. तीन दिसंबर 1971 को विजय कार्णिक और उनकी पत्नी उषा (प्रणिता सुभाष )  की शादी की दसवीं सालगिरह मनायी जाती है. उसी वक्त भुज पर पाक सेना की तरफ से बमबारी की खबर आती है. विजय कार्णिक परेशान होते हैं. उधर पाक में मौजूद भारतीय जासूस हीना रहमानी  पाक सेना के अगले कदमो की जानकारी पहुॅचती रहती है, जिसने पाक से सेना के उच्च अधिकारी से विवाह किया है. तो वहीं ‘रॉ अधिकारी रणछोड़दास पागी(संजय दत्त)हैं, जिन्हे मरूस्थल की अच्छी जानकारी है. वह रेगिस्तान की रेत कदमों के निशान देखकर बता देते हैं कि वह भारतीय सैनिक या पाक सैनिक के निशान हैं. रणछोड़ दास पागी चतुर चालाक है. वह पाक सेना को मूर्ख बनाकर आर के नायर को युद्ध जीतने की रणनीति बताता रहता है.  पाक वायुसेना ने भुज एअरबेस को तहस नहस कर दिया है. अब कोई हवाई जहाज न इस एअरबेस पर उतर सकता है और न ही उड़ान भर सकता है. उधर पाक अपने 150 टैंक व 1800 सैनिको  के साथ भुज पर कब्जा करने भेजता है. पाक जानता है कि अब भुज एअरबेस ठीक होने तक भारतीय सेना नही आ कसती. ऐसे में नियम के विपरीत जाकर स्वकार्डन लीडर विजय कार्णिक मधापुर गांव की 300 औरतों की मदद से भुज एअरबेस को ठीक कराने में सफल होते हैं. और पांच सौ सैनिक भुज एअरबेस पर उतरने में सफल हो जाते हैं.

लेखन व निर्देशनः

एक बेहतरीन व प्रेरणा दायक कहानी का लेखक, निर्देशक, एडीटर व वीएफएक्स ने बंटाधार कर दिया. पटकथा काफी कमजोर व भटकी हुई सी है. फिल्मकार ने फिल्म में एक साथ छह कहानियों और कई घटनाक्रम को पिरोने का प्रयास किया, जिन्हे दो घंटे के अंदर सही ढंग से पिरोना संभव नही. इसलिए किसी भी कहानी के साथ सही न्याय नही हो पाया. सिनेमाई स्वतंत्रता के नाम पर कुछ गाने व कुछ अतार्किक दृश्य भी जोड़े गए हैं. अफसोस की बात यह है कि फिल्म के ट्रेलर व प्रचार में दिखाए जा चुके गाने के हिस्से और कुछ संवाद गायब हैं. फिर भी एडीटर फिल्म में कसावट न ला पाए. क्योकि पटकथा ही हिचकोले लेते हुए ही आगे बढ़ती है. यह हालत तब है, जब इसे तीन लेखक और अतिरिक्त संवाद लेखक ने गढ़ा है. कई बार ऐसा लगा कि हम किसी टीवी सीरियल के अलग अलग हिस्से जोड़कर देख रहे हैं.

फिल्म में बेवजह धर्म, मंदिर व भगवान की मूर्तियों से जुड़े दृश्य पिरोए गए हैं. राष्ट्वाद को लेकर जिस तरह से बात की गयी है, वह भी प्रभावशाली नही है. जब जल्द से जल्द एअरबेस बनाने का संकट हो, उस वक्त एअर बेस बनाने जा रही औरतें अपनी नेता संुदर बेन के साथ ढोल नगारे के साथ भजन गाती हैं, यह अजीब सा लगता है. वर्तमान सरकार की विचारधारा के अनुरूप राष्ट्वाद  को ठॅंूसने के चक्कर में ही फिल्म सही ढंग से नहीं बन पायी.

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वीएफएक्स भी बहुत घटिया है. एअरफोर्स को एअरबेस पर लेंड करने के लिए अजय देवगन ट्क का सहारा देने जा रहे है, उस वक्त जिस तरह से ट्क हिलता है, उससे एक नौसीखिया भी समझ जाएगा कि वीएफएक्स बहुत घटिया है. दुश्मन के एअर प्लेन को मार गिराने वाले दृश्य हों या गन फायरिंग के दृश्य हों, सभी वीडियो गेम जैसे ही हैं.

फिल्म की मूल कहानी ‘नारी सशक्तिकरण’ की है. किस तरह रातों रात एअरबेस को बनाने के लिए गांव की तीन सौ औरतें आती हैं और देश के लिए अपने घर की दीवारें तोड़कर वह ईंट वगैरह एअरबेस बनाने में लगा देती हैं. पर इस फिल्म में इन तीन सौ वीरांगनाओं को महत्व ही नही दिया गया. सोनाक्षी सिन्हा का फिल्म में आगमन लगभग सवा घंटे बाद होता है, पर उसके किरदार संुदर बेन का कोई असर नही दिखता. फिल्म में दो चार मिनट के दृश्य में एअरबेस को तीन सौ औरतों को जिस तरीके से बनाते हुए दिखाया है, वह भी अति बचकाना है. जब फिल्मकार कहानी की आत्मा की ही हत्या कर देता है, तो सब कुछ विखर जाता है.

संवाद भी प्रभावशाली नही है. ज्यादातर संवाद लोग वर्षों से सुनते आ रहे हैं. कुछ संवाद तो काफी विरोधाभासी हैं.

अभिनयः

विजय कार्णिक फिल्म के हीरो हैं, मगर विजय कार्णिक का किरदार निभाने वाले अजय देवगन ने साधारण अभिनय किया है. एक आर्मी आफिसर का जो ‘औरा’होना चाहिए, वह कहीं नजर ही नही आता. संजय दत्त भी नही जमे. जबकि अजय देवगन इससे पहले फिल्म‘तान्हाजीःद अनसंग वॉरियर’में कमाल का अभिनय कर चुके हैं. शरद केलकर ने ठीक ठाक अभिनय किया है. सोनाक्षी सिन्हा केवल खूबसूरत लगी हैं. नोरा फतेही ने एक्शन दृश्य अच्छे किए हैं, मगर उनके किरदार को ज्यादा जगह नही मिली. प्रणिता सुभाष का किरदार जबरन ठॅूंसा हुआ लगता है. संजय दत्त एक बार फिर चूक गए.

Review: परिवार की एकजुटता पर बनी साधारण वेब सीरीज

रेटिंग: ढाई स्टार

निर्माता: अर्रे स्टूडियो

निर्देशक:सागर बल्लारी

कलाकारः गजराज राव, यशपाल शर्मा, रणवीर शोरी, निधि सिंह, विजय राज.

अवधि: छह एपीसोड- 21 से 25 मिनट के छह एपीसोड

ओटीटी प्लेटफार्मः हॉटस्टार डिजनी

जमीन जायदाद के लिए एक परिवार के सदस्यों के बीच क्या-क्या होता है, इसे निर्देशक सागर बल्लारी हास्यप्रद वेब सीरीज “परिवार” में लेकर आए है. जो कि 23 सितंबर से हॉटस्टार डिजनी पर प्रसारित हो रही है. जिसमें परिवार की महत्ता पर जोर दिया गया है

कहानी:

यह कहानी है उत्तर प्रदेश के प्रयाग में रहने वाले कांशीराम नारायण (गजराज राव) के परिवार की. कांशीराम की बेटी मंदाकिनी(निधि सिंह) अमेरिका में रहती है. बड़े बेटे महिपाल(यशपाल शर्मा) बनारस में और छोटे बेटे शीशुपाल (रणवीर शोरी) मुंबई में रहते हैं. . महिपाल की पत्नी मंजू (अनुरीता झा)के अलावा दो बच्चे हैं, जबकि शीशुपाल के पत्नी अंजू (सादिया सिद्दीकी) और एक बेटा है. कांशीराम चाहते हैं कि उनके बेटे और उनकी बेटी उनके उनके साथ रह कर उनकी सेवा करें. इसलिए वह बार-बार अस्पताल में पहुंचकर बीमार होने का बहाना कर अपने बेटे और बेटी को बुलाते रहते हैं. उनका नौकर बबलू इस बात से परेशान भी रहता है. एक दिन फिर कांशीराम अस्पताल में पहुंचकर बबलू(कुमार अरुण) के माध्यम से अपने दोनों बेटों वह बेटी मंदाकिनी को संदेश भेजते हैं कि उन्हें हार्ट अटैक आ गया है, और वह मरने वाले हैं. दोनों बेटे व बेटी अपने परिवार के साथ प्रयागराज पहुंच जाते हैं. तब उन्हें पता चलता है कि कांशीराम अब ठीक है. इतना ही नहीं महिपाल ,शिशुपाल और मंदाकिनी को पता चलता है कि उनके पिता के पास करीबन 50 एकड़ जमीन है. जिसमें से उन्होंने को जमीन जमीन दोनों बेटे और एक बेटी के नाम कर दिया है. पर उन्होंने 30 एकड़ जमीन गंगाराम(विजय राज) को दी है, जो इस जमीन पर एशिया का सबसे बड़ा ‘विदुर आश्रम’ बनाने वाला है. हकीकत में गंगाराम उस जमीन पर एक फैक्ट्री खड़ा करना चाहता है. गंगाराम का बेटा मुन्ना(अभिषेक बनर्जी) कुछ कर नहीं पाया और अब 5 साल से एक अस्पताल में नर्स के रूप में काम कर रहा है. पर मंदाकिनी आज भी मुन्ना से प्यार करती है.

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गंगाराम अपने बेटे मुन्ना से कहता है कि वह प्यार के बहाने मंदाकिनी से जमीन के एनओसी वाले कागज पर हस्ताक्षर करवा ले. मगर इस बीच पटवारी के साथ महिपाल, शिशुपाल व मंदाकिनी जमीन देखने पहुंच जाते हैं. पटवारी उन्हें बता देता है कि एनओसी वाले कागज पर साइन ना करें. कांशीराम के लिए अस्पताल का डेढ़ लाख रुपए का बिल जमा करने के बाद गंगाराम, कांशीराम के घर पहुंचता है. वह महिपाल और शिशुपाल से कहता है कि वे एनओसी पर हस्ताक्षर कर दें, जिससे ‘विदुर आश्रम’ का निर्माण शुरू हो जाए. शिशुपाल एनओसी का पेपर पढ़ता है, जिसमें लिखा है कि फैक्ट्री बनाना है. इससे दोनों गंगाराम की पिटाई कर देते हैं. यह बात कांशीराम को पसंद नहीं आती. उधर पिता को मरने से बचाने के लिए मंदाकिनी एक बहुरूपिया पंडित चित्रकूट( पियुष कुमार) को लेकर आती है, जिसे एक दिन दोनों भाई भगा देते हैं. कहानी आगे बढ़ती है. मंजू ,महिपाल से इलाहाबाद में ही होमस्टे शुरू करने की सलाह देती है. उधर बनारस में महिपाल के खिलाफ एक बिल्डर पड़ा हुआ है. तो वही शिशुपाल की नौकरी चली गई है और अंजू की सलाह पर शिशुपाल वकील दिलीप से मिलकर अपने पिता की जमीन गंगाराम के पास ना जाने पाए, इसके लिए सलाह लेता है. कई घटनाक्रम तेजी से बदलते हैं एक वक्त वह आता है, जब महिपाल अपने छोटे भाई शिशुपाल और बहन मंदाकिनी द्वारा दिए गए पावर अटार्नी को गंगाराम के नाम कर देता है. इससे बवाल होता है. मंदाकिनी अमेरिका वापस जाने का निर्णय लेती है. उसके बाद मुन्ना, गंगाराम, मंदाकिनी और कांशीराम मिलकर एक नाटक रचते हैं. उसके बाद सभी को समझ में आता है कि जमीन जायदाद से भी बढ़कर पारिवारिक सदस्यों के बीच आपसे प्यार है.

लेखन व निर्देशन:

निर्देशक सागर बल्लारी और लेखक गगनजीत सिंह और शांतनु अमान ने चरित्रों के निर्माण के दौरान इस बात पर ज्यादा ध्यान दिया है कि चरित्र ‘कॉमिक स्केच’न नजर आए. ‘भेजा फ्राय’ फेम निर्देषक सागर बलैरी के निर्देषन की तारीफ करनी पड़ेगी,उनके निर्देषन की खूबी के चलते कहानी एपीसोड दर एपीसोड सहजता से आगे बढ़ती रहती है. मगर कंटेंट के हिसाब से कुछ भी नयापन नही है. उत्तर भारत के लगभग हर घर में यही सब होता रहता है. इतना ही नही इस तरह की कहानियां कई फिल्मों व कुछ वेब सीरीज में आ चुकी हैं. मंदाकिनी और मुन्ना के बीच का रोमांस ठीक से उभरता नही है. इंसान हंसना चाहे तो भी हॅंसी नही आती. कुछ दृष्यों में अहसास होता है कि हम नाटक देख रहे हैं. सुखद बात यही है कि पिता अपने दोनो बेटों व बेटी को वापस प्रयागराज क्यों बुलाता है,इसका रहस्य सबसे अंत मंे सामने आता है.
इसकी प्रोडक्षन वैल्यू भी कमतर है.

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अभिनयः

‘‘बधाई हो’’फेम अभिनेता गजराज राव के हिस्से करने को कुछ आया ही नही. यशपाल शर्मा और रणवीर शौरी ऐसे अनुभवी कलाकार हैं,जो षुष्क दृश्यों को भी जीवंत कर सकते हैं. पर लेखकीय कमजोरी के चलते दोनों की प्रतिभा उभर नहीं पाती. शिशुपाल की पत्नी अंजू की भूमिका निभाने वाली अभिनेत्री सादिया सिद्दीकी को समान अवसर नहीं दिया गया. कांशीराम के घरेलू नौकर बबलू के किरदार में कुमार वरुण के पास करने को काफी कुछ था,पर वह ओवर एक्टिंग ही करते नजर आए. पूरी वेब सीरीज को गंगाराम का किरदार निभाने वाले अभिनेता विजय राज ही अपने कंधे पर ले जाते हैं. उन्होने षानदार अभिनय किया है. अन्य कलाकार ठीक ठाक ही रहे.

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