तरह-तरह की मानव तस्करी: इंसानियत से स्वार्थवश भागता इंसान

इंसान स्वार्थवश मानव तस्करी में लिप्त हो जाता है. जबकि, वह ज्ञान और विज्ञान का सामूहिक नतीजा है. वह कार्यकुशलता में अद्भुत है लेकिन उस की सोच उसे इंसान से हैवान बना देती है. और फिर वह किसी न किसी तरह की मानव तस्करी के अपराध में अपना नाम दर्ज करा लेता है.

नशीली दवाओं और हथियारों के कारोबार के बाद ह्यूमन ट्रैफिकिंग यानी मानव तस्करी विश्वभर में तीसरा सब से बड़ा संगठित अपराध है. भारत को एशिया में मानव तस्करी का गढ़ माना जाता है. यह भारत की प्रमुख समस्याओं में से एक है. दुनिया के आधे गुलाम यहां रहते हैं. आज तक ऐसा कोई अध्ययन नहीं किया गया जिस से भारत में तस्कर हुए बच्चों का सही आंकड़ा पता चल सके.

एक न्यूज़ पोर्टल पर प्रकाशित एक लेख के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली देश में मानव तस्करी का केंद्र है. यह घरेलू कामकाज, जबरन शादी और वेश्यावृत्ति के लिए छोटी लड़कियों के अवैध व्यापार का हौटस्पौट है.

देश में अनैतिक तस्करी निवारण अधिनियम के तहत व्यावसायिक यौन शोषण दंडनीय है. इस की सजा 7 साल से ले कर आजीवन कारावास तक की है. वहीं, बंधुआ मजदूर उन्मूलन अधिनियम, बाल श्रम अधिनियम और किशोर न्याय अधिनियम वगैरह बंधुआ और जबरन मजदूरी को रोकते हैं.

किशोरों का दुरुपयोग :

भारत के छत्तीसगढ़ और झारखंड में माओवादी ग्रुप जबकि जम्मूकश्मीर में गैरसरकारी सशस्त्र ग्रुप पिछले कई वर्षों के दौरान क्रमशः 12 और 14 साल के किशोरों को रंगरूट के रूप में भरती व उन का इस्तेमाल करते रहे, यह खुलासा अमेरिकी  विदेश मंत्रालय ने भारत में मानव तस्करी पर अपनी ताजा रिपोर्ट में किया है.

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अमेरिकी कौंग्रेस द्वारा अधिकृत 2020 की रिपोर्ट, जिस का शीर्षक है, ‘ट्रैफ़िकिंग इन पर्सन्स रिपोर्ट औफ़ द स्टेट डिपार्टमैंट’, को अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने 25 जून को वाशिंगटन में जारी किया है. रिपोर्ट के मुताबिक, माओवादी गुटों ने ख़ासतौर पर छत्तीसगढ़ और झारखंड में 12 साल के लड़कों को जबरन भरती किया ताकि वे हथियार चलाना सीखें. कुछ मामलों में तो माओवादियों ने इतनी छोटी उम्र के बच्चों को मानव ढाल के तौर पर भी इस्तेमाल किया. रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्व में माओवादी समूहों से जुड़ी रहीं कुछ महिलाओं और लड़कियों ने बताया कि कुछ माओवादी शिविरों में यौनहिंसा की जाती थी.

वहीं, जम्मूकश्मीर में गैरसरकारी सशस्त्र समूह सीधेतौर पर सरकार विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए 14 वर्ष तक के कमउम्र किशोरों की लगातार भरती और उन का इस्तेमाल करते रहे.

रोक नहीं पा रहा भारत :

अमेरिकी रिपोर्ट के मुताबिक़, भारत ने 2019 में मानव तस्करी को ख़त्म करने की अहम कोशिश की, लेकिन इस के बावजूद वह इस दिशा में कम से कम स्टैंडर्ड को भी पूरा नहीं कर पाया. देश की सरकार तस्करी की समस्या को खत्म करने के लिए अपने प्रयासों में निरतंरता नहीं रख पाई. खासकर, बंधुआ मजदूरी के खिलाफ अभी तक समुचित कदम नहीं उठाए गए हैं.

अमेरिका ने मानव तस्करी संबंधी अपनी वार्षिक रिपोर्ट में भारत को टीयर-2 श्रेणी के देशों में कायम रखा है. टीयर-2 श्रेणी में फिलहाल 90 से अधिक देश हैं. अमेरिकी सरकार की दलील है कि मानव तस्करी रोकने को भारत में न्यूनतम मानकों का पूरी तरह से पालन नहीं किया गया है हालांकि वह इस दिशा में प्रगति जरूर कर रहा है.

जान लें कि टीयर-2 श्रेणी उन देशों के लिए है जहां सरकारें टीवीपीए के न्यूनतम मानकों का पूरी तरह से पालन नहीं कर पाती हैं. लेकिन वे उस मानक तक पहुंचने के लिए गंभीर प्रयास कर रही हैं. टीवीपीए वर्ष 2000 में लाया गया कानून है जिस का पूरा नाम ट्रैफिकिंग विक्टिम्स प्रोटैक्शन एक्ट है.

भारत से ज्यादा गएगुज़रे पाक और चीन :

रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान का दर्जा घटा कर उसे टीयर-2 श्रेणी की निगरानी सूची में रखा गया है, क्योंकि वहां की सरकार ने इस दिशा में समुचित कदम नहीं उठाए.
वहीं, चीन का नाम सब से नीचे टीयर-3 श्रेणी में है क्योंकि चीनी सरकार ने मानव तस्करी को खत्म करने की दिशा में कोई खास प्रयास नहीं किया. रिपोर्ट जारी करते हुए अमेरिकी मंत्री पोम्पिओ ने कहा, ‘‘चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और सरकारी उपक्रम ने नागरिकों को बेल्ट और रोड परियोजना में बदहाल स्थिति में काम करने के लिए मजबूर किया.’’

क्या-क्या है मानव तस्करी :

संयुक्त राष्ट्र की परिभाषा के अनुसार,  किसी व्यक्ति को बल प्रयोग कर, डरा कर, धोखा दे कर, हिंसा जैसे तरीकों से भरती, तस्करी या बंधक बना कर रखना मानव तस्करी के अंतर्गत आता है. इस में पीड़ित व्यक्ति से देहव्यापार, घरेलू काम, गुलामी इत्यादि कार्य उस की इच्छा के विरुद्ध कराए जाते हैं.

गैरकानूनी तरीकों से लोगों को देश की सीमा पार करा कर किसी और देश में ले जाना या पहुंचाना ही मानव तस्करी होती है, ऐसा नहीं है.  केवल किसी देश का बौर्डर पार करना ही मानव तस्करी को परिभाषित नहीं करता, बल्कि इस में अन्य गतिविधियां भी शामिल होती हैं.

बाल तस्करी के मामले में मानव तस्करी को परिभाषित करने के लिए किसी भी तरह की हिंसा या जबरदस्ती शामिल नहीं है. बस, बच्चों को शोषणकारी परिस्थितियों में शामिल करना ही मानव तस्करी मान लिया जाता है.

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स्मगलिंग और ट्रैफिकिंग में फर्क :

लोगों में यह आम धारणा है कि स्मगलिंग और ट्रैफिकिंग में कोई अंतर नहीं है. लेकिन, यह सच नहीं है. दरअसल, स्मगलिंग तब घटित होती है जब एक तय फीस के लिए लोगों को एक देश की सीमा के पार ले जाया जाता है या कुछ चीजों, जैसे सोना या ड्रग्स को भी किसी देश की सीमा में सप्लाई किया जाता है. यह पूरा काम हो जाने के बाद स्मगलिंग करने वाला व्यक्ति फ्री हो जाता है.

दूसरी ओर,  बलात श्रम, शोषण और वेश्यावृत्ति आदि जैसे कार्यों के लिए व्यक्ति का मूवमैंट मानव तस्करी  कहलाता है. ट्रैफिकिंग में अंतर्राष्ट्रीय सीमा पार करने की आवश्यकता नहीं होती है. मानव तस्करी राष्ट्रीय स्तर पर या एक समुदाय के भीतर भी हो सकती है.

तस्कर के निशाने पर :

भारत में तस्कर देहव्यापार में लाखों लोगों का शोषण कर रहे हैं. तस्कर भारतीय महिलाओं और लड़कियों को निशाना बनाते हैं. साथ ही, देहव्यापार के लिए नेपाल और बंगलादेश से भी बड़ी संख्या में महिलाओं व लड़कियों को लाया जाता है.

अमेरिकी रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि भारत में तस्करों द्वारा देहव्यापार में बच्चों को भी धकेल दिया जाता है. खासकर, बिहार में तस्कर भारतीय और नेपाली महिलाओं को अगवा कर आर्केस्ट्रा डांस में काम करने के लिए मजबूर करते हैं. तस्कर धार्मिक स्थानों और पर्यटन स्थलों पर भी महिलाओं व बच्चों को देहव्यापार में धकेलते हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक, खाड़ी देशों और मलयेशिया में घरेलू सहायक, फैक्टरी में काम करने या कम कुशलता वाले काम के लिए जाने वाले लोग नौकरी के झांसे में फंस जाते हैं और उन से मनमाना शुल्क वसूला जाता है. रिपोर्ट में कहा गया कि खाड़ी के देशों, खासकर कुवैत और सऊदी अरब, में भारतीय महिला घरेलू कामगारों से जबरन काम कराया जाता है. उन्हें नियमित वेतन भी नहीं दिया जाता और ऐसा अनुबंध किया जाता है कि वे उस से बाहर भी नहीं निकल पाती. उन्हें शारीरिक उत्पीड़न का भी सामना करना पड़ता है.

अमेरिका में भी मानव तस्करी :

अमेरिका से हाल ही में वापस भेजे गए हरियाणा के 76 निवासियों में से अधिकतर ने दावा किया कि वे वहां कबूतरबाजी यानी मानव तस्करी का शिकार बने थे. इस मामले में अब तक 70 प्राथमिकी दर्ज की गई हैं.

मंत्री महोदय ने प्रेस से बातचीत में कहा, ”हम ने पीड़ितों के बयान दर्ज किए हैं. पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए उन की शिकायत दर्ज की है. जांच जारी है और हमें यह पता लगाने की जरूरत है कि कौन लोग इस कबूतरबाजी गिरोह में शामिल हैं.”  बता दें कि ये सभी 76 लोग कथिततौर पर अवैध रूप से अमेरिका में घुसे थे और वहां पकड़े जाने पर इन्हें भारत भेज दिया गया.

बहरहाल, मानव तस्करी इंसान के इंसान होने पर एक कलंक ही है. दुनिया के मौजूदा हालात पर नजर डालें तो यह नहीं लगता कि इंसान कभी इंसानियत को अपनाएगा. मगर हां, कुछ लोग हैं जिन के मानवीय कार्यों व जिन की मानवीयता के चर्चे गाहेबगाहे पढ़नेसुननेदेखने को मिलते रहते हैं.

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