45 साल की सुधा को पिछले एक साल से पीरियड्स में गड़बड़ी हो रही थी, कभी 2 से 3 महीने बाद तो कभी महीने में दो बार भी हो रहा था. सुधा ने अपने जान-पहचान की महिलाओं से बात की और इस बारें में जानकारी लेनी चाही. सबने कहा कि यह मेनोपॉज का समय है इसलिए ऐसा हो रहा है. धीरे-धीरे बंद हो जायेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. एक साल बाद भी उन्हें महीने में दो बार पीरियड्स होने के साथ-साथ फ्लो भी बहुत रहने लगा, जिससे वह कमजोर होने लगी और हर बात पर गुस्सा करने लगी. इसके बाद सुधा स्त्रीरोग विशेषज्ञ के पास गयी और डॉक्टर ने सारी जांच के बाद उसे दवाइयां दी, जिससे माहवारी बंद हो गयी, लेकिन दवा के छोड़ते ही फिर ऐसी समस्या होने लगी. डॉक्टर ने अब इसका इलाज ऑपरेशन बताया, जो सुधा को चिंतित कर रहा है.
मेनोपॉज या रजोनिवृत्ति एक साधारण प्रक्रिया है, जो हर महिला के मासिक धर्म का चक्र समाप्त हो जाने पर होता है. इससे घबराना या परेशान होने की कोई वजह नहीं होती. इस बारें में मुंबई की कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल के ऑब्सटेट्रिशियन एवं गाइनकोलॉजिस्ट डॉ. वैशाली जोशी कहती है कि रजोनिवृत्ति होने पर कई महिलाएं घबरा जाती है, उन्हें लगता है कि अब स्त्रीत्व उनमें ख़त्म हो गया है. जबकि यह एक प्राकृतिक नियम है, जो हर महिला को होता है. यह तब होता है, जब अंडाशय से अंडाणुओं की उत्पत्ति और हॉर्मोन्स का स्राव बंद हो जाता है. जब किसी औरत को एक साल तक पीरियड (मासिक धर्म) नहीं आता, तो ऐसा मान लिया जाता है कि वो मेनोपॉज की अवस्था में पहुंच चुकी है. मेनोपॉज की औसत आयु 50 वर्ष है, जबकि पश्चिमी देशों की महिलाओं के लिए 52 वर्ष हो सकता है. यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया होने के साथ-साथ अनिवार्य परिवर्तन भी है, जो महिलाओं में उम्र बढ़ने के साथ होता है. इसके 3 स्टेज निम्न है,
मेनोपॉज के स्टेज
- पेरिमेनोपॉज़ यानि ‘रजोनिवृत्ति के करीब’ यह रजोनिवृत्ति का शुरूआती स्टेज है, जिसके बाद से पीरियड बंद होने की शुरुआत हो जाती है, यह मेनोपॉज के 5 से10 वर्ष पहले शुरू हो सकता है.
- जब किसी महिला को 12 महीने तक पीरियड नहीं आता है, तो उसे मेनोपॉज या रजोनिवृत्ति मान लिया जाता है.
- पोस्ट-मेनोपॉज मासिक धर्म के एक साल बाद शुरू होता है.
मेनोपॉज आखिर है क्या
- प्राकृतिक रूप से उम्र ढलने पर अंडाशय से अंडाणुओं और हॉर्मोन्स के कम निकलने की वजह से होता है,
- फोर्स्ड मेनोपॉज तब होता है, जब कीमो या रेडियो थिरेपी के इलाज से अंडाशय को सर्जिकली हटा दिया जाता है, क्योंकि इस थिरेपी से कई बार अंडाशय नष्ट हो जाता है, इसके अलावा मेनोपॉज के दौरान ब्लीडिंग बंद न कर पाने की स्थिति में भी अंडाशय को निकाल देना पड़ता है.
डॉ. वैशाली आगे कहती है कि प्री-मैच्योर मेनोपॉज में नार्मल लेवल पर हॉर्मोन स्रावित करने की अंडाशयों की क्षमता घट जाने की वजह से हो सकता है, यह जीन संबंधी विकार या ऑटोइम्यून बीमारियों के कारण हो सकता है,लेकिन यह केवल 1% महिलाओं में देखने को मिलता है.
मेनोपॉज के लक्षण
- हॉट फ्लैशेज
- रात में पसीना आना
- योनि का सूखापन
- उदासी, चिंता और चिड़चिड़ापन
- जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द
- यौन संबंधों में रूचि का घटना
- मासिक-धर्म में अनियमितता
- वजन बढ़ना आदि.
हर महिला में रजोनिवृत्ति के अलग-अलग लक्षणों का अनुभव 4 से 5 साल पहले से होने लगता है और इससे निपटने के कई तरीके है. रजोनिवृत्ति के लक्षण कितने समय तक महिला को रहेगा, इसे बताना संभव नहीं. कई महिलाओं में ये लक्षण 3 वर्षों के भीतर समाप्त हो जाते है.
अपने अनुभव के बारें में डॉ. वैशाली कहती है कि मेनोपॉज को कभी हल्के में न ले, क्योंकि ये व्यक्तिगत और पारिवारिक जीवन को प्रभावित कर सकती है. नीद की समस्या, ऑस्टियोपोरोसिस, चिडचिडापन, मनोदशा में बदलाव आदि होने पर डॉ. की सलाह तुरंत लेनी चाहिए. एक बार एक महिला अपनी 43 साल की बेटी और दामाद के साथ मेरे पास आई, क्योंकि मेनोपॉज की वजह से उसकी मनोदशा में गंभीर परिवर्तन, गुस्सा, अनिद्रा आदि की शिकार हो चुकी थी, जिससे उसका पर्सनल रिलेशनशिप प्रभावित हो रहा था. मैंने उसकी एनीमिया और कार्य सम्बन्धी बातों पर ध्यान न देकर उसकी हार्मोनल इलाज किया,जिससे बेटी के स्वभाव में पिछले 6 से 8 महीने में पूरी तरह से बदलाव आ गया. इसके अलावा पूरे परिवार की साइकोलॉजिकल काउंसलिंग की गयी. इससे उनका पूरा परिवार इकाई एक साथ रहने लगे और उनके जीवन स्तर में सुधार हुआ.
क्या है इलाज
रजोनिवृत्ति की इलाज के लिए साधारणत: हार्मोन परीक्षण की आवश्यकता नहीं होती. यदि 45 वर्ष से अधिक उम्र की महिला में मेनोपॉज के लक्षण दिखाई पड़ती है, तो लक्षण के आधार पर चिकित्सा की जाती है. कई बार मेनोपॉज की अवस्था में कई समस्याएं, मसलन, नींद की
रहे सावधान
रजोनिवृत्ति की अवस्था में पहुंचने से पहले तक, गर्भधारण संभव है. इसलिए अनियोजित गर्भधारण से बचने और सुरक्षित यौन संबंध बनाने के लिए सेक्स के दौरान कंडोम जैसे गर्भनिरोधक का उपयोग करना आवश्यक है.
अंत में यही कहना सही होगा कि रजोनिवृत्ति को स्वीकार करें और इसे सहजता से लें. स्वस्थ जीवन शैली, वर्कआउट, मेडिटेशन आदि के द्वारा खुद को फिट रखा जा सकता है. व्यायाम से मेनोपॉज के शारीरिक और भावनात्मक लक्षणों से निपटने में सहायता मिलती है. इसके अलावा अपने परिवार, पति, करीबी दोस्तों और स्त्री रोग विशेषज्ञ के साथ लक्षणों के बारे में खुलकर चर्चा करें. याद रखें रजोनिवृत्ति की अवस्था हर महिला के जीवन में आती है और जीवन की यह अवस्था भी खूबसूरत होती है, जिसे सकारात्मक तरीके से बिताया जाना चाहिए.