Monsoon Special: मौनसून में रखें डाइजेशन का खास ख्याल

बरसात का मौसम दस्तक दे चुका है. बदलते मौसम के प्रभाव से बौडी इफेक्टअप्रभावित हुए बिना नहीं रहता. मौसम में बदलाव के साथ इम्यून सिस्टम और डाइजेशन में बदलाव होने लगता है. इस दौरान अपच से लेकर फूड पौइजनिंग, डायरिया जैसी कई हेल्थ प्रौब्लम का सामना करना पड़ता है. बरसात में सेहतमंद रहने के लिए विशेष सावधानियां रखनी चाहिए.

हेल्थ पाचन प्रणाली वही है, जो खाना को पचाए, पोषक पदार्थों को बौडी में अवशोषित करे और अवांछित पदार्थों को बौडी से बाहर निकाले. तभी बौडी की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है.

हमारे पेट में मौजूद पाचक एंजाइम्स और एसिड खाए गए खाना को तोड़ते हैं. तभी पोषक पदार्थ बौडी में अवशोषित हो पाते हैं जो खाना पेट में पूरी तरह नहीं पचता है वह बौडी के लिए बेकार होता है. खाने के अच्छी तरह पचने की शुरुआत मुंह से होती है. जी हां, सही ढ़ंग से चबाया गया खाना ही अच्छे से पच पाता है, क्योंकि इससे खाना छोटे-छोटे टुकड़ों में बंट कर लार में मिल जाता है. फिर पेट में ये छोटे-छोटे लार मिले टुकड़े अच्छी तरह टूट जाते हैं और बौडी को पोषण देने के लिए छोटी आंत में पहुंचते हैं.

अत: आपको न केवल सही खाना चुनना होगा, उसे अच्छी तरह चबाना भी होगा और आप का पाचनतंत्र भी इस काबिल होना चाहिए कि वह उसे अच्छी तरह तोड़ कर पोषक पदार्थों को अवशोषित कर सके. अगर हम जल्दीजल्दी में खाना निगलते हैं, हम खाने के साथ पानी भी पीते हैं तो ऐसा करना खाना को पेट में ठीक से टूटने नहीं देगा. ऐसे में बेहतर यही है कि खाना खाने से कम से कम 30 मिनट पहले व 30 मिनट बाद में ही पानी पीएं.

1. डाइजेशन धीमा होना

मौनसून में जठराग्नि मंद पड़ जाती है, जिससे डाइजेशन प्रोसेस प्रभावित होती है. बरसात के पानी और कीचड़ से बचने के लिए लोग घरों में दुबके रहते हैं जिससे शारीरिक सक्रियता कम हो हो जाती है. यह भी पाचनतंत्र को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है. इससे बचने के लिए हल्के संतुलित और पोषक खाना का सेवन करें. शारीरिक रूप से सक्रिय रहें. अगर बारिश के कारण आप टहलने नहीं जा पा रहे हैं या जिम जाने में परेशानी हो रही है तो घर पर ही वर्कआउट करें.

2. मौनसून में इनडाइजेशन होना आम बात

बरसात में डाइजेशन एंजाइमों की कार्य प्रणाली प्रभावित होती है. इससे भी खाना ठीक प्रकार से नहीं पचता. बरसात में औयली, मसालेदार खाना और कैफीन का सेवन भी बढ़ जाता है. इससे भी इनडाइजेशन की प्रौब्लम हो जाती है. नम मौसम में सूक्ष्म जीव ज्यादा मात्रा में पनपते हैं. इनसे होने वाले संक्रमण से भी अपच की प्रौब्लम अधिक होती है.

 3. खराब पानी से होने वाली बिमारी है डायरिया

डायरिया एक खराब पानी से होने वाली बिमारी है. यह दूषित खाद्य पदार्थों और जल पीने से होता है. वैसे तो यह किसी को कभी भी हो सकता है, लेकिन बरसात में इसके मामले काफी बढ़ जाते हैं. दस्त लगना इस का सब से प्रमुख लक्षण है. पेट में दर्द और मरोड़, बुखार, मल में रक्त आना, पेट फूलना जैसे लक्षण भी दिखाई देते हैं. फूड पौइजनिंग के कारण भी डायरिया हो जाता है.

4. मौनसून में फूड पौइजनिंग में रखें खास ध्यान

फूड पौइजनिंग तब होती है जब हम ऐसे खाना का सेवन करते हैं जो बैक्टीरिया, वाइरस, दूसरे रोगाणुओं या विषैले तत्त्वों से संक्रमित होता है. बरसात के मौसम में आर्द्रता और कम टैम्प्रेचर के कारण रोगाणुओं को पनपने के लिए उपयुक्त वातावरण मिल जाता है. इसके अलावा बरसात में कीचड़ और कचरे के कारण जगह-जगह गंदगी फैल जाती है, इस से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. यही कारण है कि बरसात में फूड पौइजनिंग के मामले भी बढ़ जाते हैं. इस मौसम में बाहर का खाना खाने या फिर अधिक ठंडे पदार्थों के सेवन से भी फूड पौइजनिंग की आशंका बढ़ जाती है.

5. खानपान का रखें खास ध्यान

बरसात में डाइजेशन को दुरुस्त रखने और बीमारियों से बचने के लिए इन बातों का खयाल रखें:

– संतुलित, पोषक और सुपाच्य खाना कासेवन करें.

– कच्चे खा-पदार्थ नमी को बहुत शीघ्रता से अवशोषित कर लेते हैं, इसलिए ये बैक्टीरिया के पनपने के लिए आदर्श स्थान होते हैं. अत: बेहतर यही रहेगा कि कच्ची सब्जियां इत्यादि न खाएं. सलाद के रूप में भी नहीं. इस मौसम में फफूंद जल्दी पनपती है, इसलिए ब्रैड, पाव आदि खाते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि उनमें कहीं फफूंद तो नहीं लगी है.

– सड़क किनारे के ढाबों पर न खाएं, क्योंकि इस तरह के खाना से संक्रमण का खतरा अधिक होता है.

– ऐसा खाना खाएं, जिससे ऐसिडिटी कम से कम हो.

– बारिश के मौसम में मांस, मछली, मीट खाने से फूड पौइजनिंग की आशंका बढ़ जाती है. इस मौसम में कच्चा अंडा और मशरूम खाने सेभी बचें.

– बरसात में तला खाना खाने को मन तो बहुत करता है लेकिन उस से दूर रहना ही बेहतर है, क्योंकि इस से पाचन क्षमता कम होती है. कम मसाले और तेल वाला खाना पाचन प्रौब्लमओं से बचाता है.

– अधिक नमक वाले खा-पदार्थ जैसे अचार, सौस आदि न खाएं या फिर कम खाएं, क्योंकि ये बौडी में पानी को रोकते हैं जिस से पेट फूलता है.

– फलों और सब्जियों के जूस का भी कम मात्रा में सेवन करें.

– ओवर ईटिंग से बचें. तभी खाएं जब भूख महसूस करें.

– ठंडे और कच्चे खाना के बजाय गरम खाना जैसे सूप, पका खाना खाएं.

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