मेरे घुटने में दर्द रहता है, इससे कैसे छुटकारा पाया जा सकता है?

सवाल

मेरी उम्र 30 साल है. मैं जब भी बैठने वाले काम करती हूं तो उठते वक्त मेरे घुटनों में दर्द होने लगता है. दर्द के कारण मुझे हर काम में समस्या होती है. ऐसा क्यों हो रहा है और इस से कैसे छुटकारा पाया जा सकता है?

जवाब

नियमित जीवन में छोटीछोटी चीजें घुटने का दर्द दे सकती हैं. सामूहिक भोजन करना हो, घर का कामकाज करना हो या आपस में बातें करनी हों इन सभी कामों में घुटने मोड़ कर ही बैठना पड़ता है. यहां तक कि भारतीय शैली के शौचालय में भी घुटने के बल बैठना पड़ता है. बैठने के इस तरीके में घुटने पर दबाव पड़ता है, जिस से कम उम्र में ही घुटने खराब होने की आशंका बढ़ती है.

आप को अपने बैठने का तरीका बदलना चाहिए. समस्या को हलके में न लें क्योंकि धीरेधीरे आप का चलनाफिरना तक दूभर हो सकता है. इस समस्या से बचने का सब से अच्छा तरीका व्यायाम है. व्यायाम से जोड़ों की मांसपेशियां मजबूत रहती हैं, उन का लचीलापन बना रहता है और जोड़ों को उन से सपोर्ट भी मिलती है. वजन कम होने से जोड़ों पर दबाव भी कम पड़ता है. इस के अलावा शरीर को विटामिन डी पर्याप्त मात्रा में मिलना चाहिए. पैर मोड़ कर बैठने से बचें, आलथीपालथी मार कर न बैठें. लंबे समय तक खड़े होने से बचें.

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मैं 26 वर्षीय इंजीनियर हूं. मुझे दौड़नाभागना और खेलनाकूदना काफी पसंद है बावजूद इस के मेरे घुटनों में अभी से दर्द की समस्या होने लगी है. भागते वक्त ऐसा लगता है जैसे मेरे घुटनों के कप टूट जाएंगे. ऐसा क्यों है और इस का समाधान क्या है?

आप को रनर्स नी यानी पैटेलोफेमोर पेन सिंड्रोम की समस्या हो गई है, जो घुटनों के अत्यधिक इस्तेमाल के कारण होती है. जो लोग बहुत ज्यादा कसरत करते हैं उन के घुटने की मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं जिस के कारण घुटनों में दर्द उठता है. लेकिन आप को चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि कुछ अभ्यास से न सिर्फ इस समस्या की रोकथाम की जा सकती है बल्कि इस का इलाज भी संभव है. ऐसे में आप को ज्यादा से ज्यादा आराम करने की आवश्यकता है.

बर्फ को कपड़े में लपेट कर 2-3 दिन घुटनों की अच्छे से सिकाई करें. इस के अलावा आप क्रीप बैंडेज यानी गरम पट्टी भी बांध कर रख सकते हैं. यदि बावजूद इस के समस्या में राहत नहीं मिल रही है तो आप किसी अच्छे डाक्टर या फिजियोथेरैपिस्ट से परामर्श ले सकते हैं.

-डा. अखिलेश यादववरिष्ठ प्रत्यारोपण सर्जन, जौइंट रिप्लेसमैंट, सैंटर फौर नी ऐंड हिप केयर, गाजियाबाद. 

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पेट पर बाल होने के कारण शौर्ट टौप या ब्लाउज नहीं पहन पाती, मैं क्या करूं?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मेरे पेट पर बाल हैं. उन के कारण मैं शौर्ट टौप या ब्लाउज नहीं पहन पाती. क्या मैं उन्हें शेविंग से हटा सकती हूं?

जवाब-

जी नहीं, आप रेजर के इस्तेमाल से उन्हें नहीं हटा सकतीं क्योंकि इस से दोबारा और अधिक बाल आ जाएंगे. यदि आप के पेट पर कम बाल हैं तो आप उन को ब्लीच कर सकती हैं. ब्लीच से बाल हलके रंग के हो जाएंगे. जब तक ये बाल हलके दिखेंगे तब तक परेशान होने की जरूरत नहीं है.

आप इन्हें दूर करने के लिए हेयर रिमूवल क्रीम का इस्तेमाल कर सकती हैं. केवल इस बात का ध्यान रखें कि जो क्रीम आप उपयोग में ले रही हैं वह आप की स्किन को सूट करे. आप पेट के बाल वैक्सिंग से हटाने के लिए पल्स लाइट लेजर के उपयोग भी कर सकती हैं.

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हेयरलेस दिखना सब को अच्छा लगता है खासकर गरमी के मौसम में शौर्ट ड्रैस में तो यह जरूरी ही हो जाता है. आप चाहें शेविंग, वैक्सिंग या ट्वीचिंग करा सकती हैं. अब घर बैठे आप खुद लेजर हेयर रिमूवर से अनचाहे बालों से छुटकारा पा सकती हैं. लेजर हेयर रिमूवर क्या है: लेजर प्रकाश किरणों से हेयर फौलिकल्स को जला कर नष्ट कर दिया जाता है, जिस के चलते हेयर रिप्रोडक्शन नहीं हो पाता है. इस प्रोसैस में एक से ज्यादा सिटिंग्स लेनी पड़ती हैं.

सैल्फ लेजर हेयर रिमूवर:

लेजर तकनीक 2 तरीकों से बाल हटाती है- एक आईपीएल और दूसरा लेजर हेयर रिमूवर. दोनों एक ही सिद्धांत पर काम करती हैं- हेयर फौलिकल्स को नष्ट करना. आमतौर पर घर में हैंड हेल्ड आईपीएल रिमूवर का इस्तेमाल किया जाता है. हालांकि, इस में लेजर बीम नहीं होती फिर भी इंटैंस पल्स लाइट बीम द्वारा यह टारगेट एरिया के बालों की जड़ों तक पहुंच कर फौलिकल्स को लेजर की तरह मार देती हैं जिस के चलते वह एरिया बहुत दिनों तक हेयरलेस रहता है. इसे चेहरे पर भी यूज कर सकती हैं पर आंखों को बचा कर.

आईपीएल हेयर रिमूवर किस के लिए सही है: आधुनिक विकसित तकनीक से निर्मित आईपीएल रिमूवर सभी तरह के बालों से छुटकारा पाने का दावा करता है. आमतौर पर त्वचा और बालों के रंग में कंट्रास्ट यानी स्पष्ट अंतर रहने पर यह अच्छा परिणाम देता है, जैसे फेयर स्किन और डार्क स्किन में यह उतना अच्छा काम नहीं कर सकता है क्योंकि इसे मैलानिन और फौलिकल्स में अंतर सम झने में कठिनाई होती है. ऐसे में स्किन बर्न की संभावना रहती है.

फंगल इन्फैक्शन से नाखून बढ़ते नहीं है, मैं क्या करूं?

अगर आप भी अपनी समस्या भेजना चाहते हैं, तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें..

सवाल-

मु झे कुछ दिन पहले हाथों के नाखूनों में फंगल इन्फैक्शन हो गया था. उस के बाद मेरे नेल्स अच्छे से नहीं बढ़ते. हमेशा टूटते रहते हैं. देखने में भी शेप सुंदर नहीं आती. बताएं क्या करूं?

जवाब-

अगर फंगल इन्फैक्शन खत्म हो गया हो तब ही उस के ऊपर कुछ काम करने की जरूरत है. जब नेल्स की शेप सही नहीं आती तो हलके गरम औलिव औयल से उन की रोज मसाज करें. एक सुंदर शेप बनाएं और फाइल कर के रखें. आप चाहें तो नेल ऐक्सटैंशन के द्वारा एक बार लंबे नेल्स करने से वे खूबसूरत हो जाएंगे. उन पर चाहें तो परमानैंट नेलपौलिश भी लगा सकती हैं. जब भी नेल्स बढ़ें तो रिफिलिंग करा सकती हैं. इस से नेल्स हमेशा लंबे खूबसूरत दिखाई देंगे. कोई फंक्शन हो तो उन पर आप नेल आर्ट भी करा सकती हैं.

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आजकल बड़े और लंबे नाखूनों का चलन है. ये रंग-बिरंगे, अलग-अलग आकार और विभिन्न सलीके से तराशे हुए नाखून, आपकी सुंदरता में चार चाँद लगा देते हैं. ये आपके हाथों की खूबसूरती बढ़ाने के साथ, आपके व्यक्तित्व में भी एक निखार लेकर आते हैं.

आपकी इस सुंदरता को बरकरार रखने के लिये ये जरूरी है कि आप अपने नाखूनों को अच्छे तरीके से काटें और उन्हें साफ रखें. कुछ युवतियों के नाखून जरुरत से ज्यादा मुलायम हो जाते हैं, इस कारण किसी भी तरह की चोट लग जाने से या जरा साभी मुड़ने पर भी वो टूट सकते हैं.

आज हम आपको कुछ उपायों को बताने जा रहे हैं. इन सारे उपायों को ध्यान में रखकर आप अपने  नाखूनों की सुंदरता को और निखार सकते हैं और ज्यादा आकर्षक बना सकते हैं..

 

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भी भेज सकते हैं, submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

मेरे चेहरे पर बहुत जल्दी रैशेज हो जाते हैं?

सवाल-

मैं नेपाल की रहने वाली हूं. मेरे चेहरे पर बहुत जल्दी रैशेज हो जाते हैं. इन रैशेज से बचने के लिए मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब-

अगर आप की त्वचा का रंग लाल हो रहा है या फिर उस में खुजली या रेशैज हो रहे हैं तो यह स्किन के ड्राई होने के लक्षण हैं. हो सकता है आप की स्किन सैंसिटिव है इसलिए सुगंधित और प्रेजेर्वेटिव युक्त किसी भी चीज का उपयोग करने से पहले सावधानी बरतें.

अगर स्किन पर रेशैज हो ही गए हों तो उस पर चंदन के पाउडर को रोज वाटर में अच्छी तरह मिक्स कर के उस पेस्ट को रेशैज पर लगाएं. ऐलर्जी होने पर फिटकरी के पानी से प्रभावित स्थान को धो कर साफ करें. नारियल का तेल त्वचा के लाल होने पर उस स्थान पर लगाने से कुछ राहत मिलती है. कैलेमाइन लोशन पर लगाने से भी ठंडक मिलती है. डाक्टर की सलाह से ऐंटीएलर्जिक दवाएं लें.

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गर्मियों के मौसम में हमें त्वचा संबंधित कई समस्याएं होती हैं. इनमें से सबसे ज्यादा हम जिस समस्या से परेशान होते हैं वह है रैशेज. गर्मियों के दिनों में धूप और गर्मी अधिक होने के कारण खुद त्वचा को ही नुकसान होने लगता है ऐसे में कुछ लोग गर्मी से बाहर निकलने से ही परहेज करते है जो जाहिर तौर पर एक अच्छा विकल्प है पर फिर भी हमें रैशेज जैसी समस्या हो जाती है.

रैशेज होने के कारण

पसीने से हमारी त्वचा चिपचिपी हो जाती है जिसकी वजह से हमारे रोम छिद्र जो हमारी त्वचा के माध्यम से हमारे शरीर से विषैले पदार्थो को बाहर करते है बंद हो जाते हैं. जिसके कारण त्वचा में एक्ने ,खुजली और फोड़े फुंसी जैसी समस्याए आती है .

Monsoon Special: बारिश के मौसम में हेल्दी रहने के लिए फौलो करें ये डाइट प्लान

मौनसून में रिमझिम बारिश की बूंदें मन को छू जाती है, लेकिन यह मौसम जितना सुहावना होता है, उतना ही बीमारियों को बढ़ाने वाला भी, क्योंकि इस मौसम में नमी होने के कारण हवा में कई बैक्टीरिया और वायरस उत्पन्न होते हैं, जो हमारे खानपान के जरीए हमारे शरीर में प्रवेश कर के हमें संक्रमित कर सकते हैं.

इसलिए इस समय खानेपीने की चीजों का खास ध्यान रखने की जरूरत होती है ताकि हम अपनी हैल्दी ईटिंग हैबिट्स से अपनी इम्यूनिटी को बढ़ाने के साथसाथ खुद को बीमारियों से भी दूर रख पाएं.

इस संबंध में जानते हैं ‘डाइट पोडियम’ की फाउंडर ऐंड होलिस्टिक न्यूट्रिशनिस्ट डाइटीशियन शिखा महाजन से कि किन चीजों को अपनी डाइट में शामिल करें और किन से दूरी बनाएं:

कप औफ सूप

चाहे बच्चे हों या बड़े, किसी को कोई सब्जी पसंद नहीं होती तो किसी को कोई. इस कारण भूख लगने पर कभी फास्ट फूड बनाया जाता है तो कभी बाहर का खाना मंगवाया जाता है, जबकि फास्ट फूड में कैलोरीज, सोडियम और अनहैल्दी फैट्स होते हैं और न्यूट्रिशन व फाइबर न के बराबर. हम एक टाइम में फास्ट फूड से उतनी कैलोरीज ले लेते हैं, जितनी हमें पूरे दिन में जरूरत होती है.

इसलिए जब भी पूरे दिन में फास्ट फूड खाने को मन करे तो आप वैजिटेबल सूप, किचन सूप से अपनी टमी को लंबे समय तक फुल रखें. इस से आप को जरूरी सब्जियां भी मिल जाएंगी और आप की इम्यूनिटी भी बूस्ट होगी, जो मौसमी बीमारियों से आप को बचाने का काम करेगी.

काम की बात

न्यूट्रिशन वैल्यू इन वन कप औफ बेटियन सूप- 50 कैलोरीज, लो कार्ब्स, माइक्रोन्यूट्रिएंट्स से भरपूर.

न्यूट्रिशन वैल्यू इन वन कप औफ चिकन सूप- 50 ग्राम चिकन में 64-70 कैलोरीज,  6-7 प्रोटीन, 1 ग्राम फैट.

न्यूट्रिशन वैल्यू इन वन कप औफ कौर्न सूप- 1/2 कप कौर्न में 70-80 कैलोरीज.

न्यूट्रिशन वैल्यू इन वन कप औफ टोमैटो सूप 70-80 कैलोरीज.

गौर करें

बाहर के वैजिटेबल सूप में कैलोरीज  150-170 कैलोरीज.

क्या ध्यान रखें: इस बात का ध्यान रखें कि सूप होममेड ही हो, क्योंकि बाहर के सूप को टेस्टी और गाढ़ा बनाने के लिए, उस में सब्जियों की मात्रा कम व बटर व कौर्न फ्लोर भरभर कर डाला जाता है, जो ब्लड शुगर लैवल को बढ़ाने के साथसाथ दिल की सेहत को भी बिगाड़ने का काम करता है.

फाइबर के लिए साबूत अनाज

आप ने सुना ही होगा कि अगर अपनी डाइट में साबूत अनाज को शामिल करेंगे तो बीमारियां आप के पास तक नहीं फटकेंगी. असल में साबूत अनाज जैसे ओट्समील, केनोआ, पोहा, ब्राउन राइस, बाजरा, जवार, रागी इत्यादि में फाइबर बहुत ज्यादा मात्रा में होता है, जो लंबे समय तक पेट को फुल रखने के साथसाथ पाचनतंत्र को भी दुरुस्त बनाए रखने का काम करता है. साथ ही इस में प्रोबायोटिक भी होते हैं, जो आंतों में गुड बैक्टीरिया को बढ़ाने में मददगार होते हैं. इस से इम्यूनिटी भी मजबूत बनती है.

साथ ही यह खतरनाक बीमारियों जैसे डायबिटीज, कैंसर, ब्लड प्रैशर के खतरे को कई गुणा कम करने का काम करती है.

इसलिए आप अपनी डाइट में ओट्स, वैजिटेबल केनोआ, पोहा, साबूत अनाज से बनी रोटी, ब्राउन राइस मील, चने आदि को शामिल करें. ये आप की फिटनैस का भी ध्यान रखने का काम करेंगे, क्योंकि इन में फाइबर आप की भूख को शांत जो करेगा.

काम की बात

न्यूट्रिशन वैल्यू इन वन बाउल वैजिटेबल केनोआ- 250 कैलोरीज.

न्यूट्रिशन वैल्यू इन वन बाउल बौइल ब्राउन राइस- 200 कैलोरीज.

न्यूट्रिशन वैल्यू इन 2-3 रागी रोटी- 100 कैलोरीज पर रोटी.

न्यूट्रिशन वैल्यू इन वन बाउल मसाला ऐंड वैजिटेबल ओट्स- 150 कैलोरीज.

न्यूट्रिशन वैल्यू इन वन बाउल शुगर  ओट्स- 350 कैलोरीज. इस में फू्रट्स, शहद व दूध ऐड किया हुआ है.

न्यूट्रिशन वैल्यू इन वन बाउल व्हाइट  पोहा- 120 कैलोरीज. गौर करें

न्यूट्रिशन वैल्यू इन 2-3 बाइट रोटी में- 130 कैलोरीज पर रोटी.

न्यूट्रिशन वैल्यू इन वन बाउल व्हाइट राइस में- 250 कैलोरीज.

वैजिटेबल्स व दालें

सब्जियां जैसे लौकी, कद्दू, तुरई, टिंडा, करेला, बींस को अपने मील में जरूर शामिल करें, क्योंकि ये सब्जियां फाइबर, विटामिंस, मिनरलस व ऐंटीऔक्सीडैंट्स में रिच होती हैं. इन्हें आप अलगअलग तरीके से बना सकती हैं. जैसे कभी लौकी की सब्जी, तो कभी लौकी का कोफ्ता तो कभी टिंडे की भरवा आलू जैसी सब्जी. यहीं नहीं इन सब सब्जियों को बारीकबारीक काट कर इन का कटलेट या इन से उत्तपम भी बनाया जा सकता है.

ठीक इसी तरह प्रोटीन, विटामिंस व मिनरल्स से संबंधित शरीर की जरूरतों को पूरा करने के लिए एक बाउल दाल व स्प्राउट्स रोजाना जरूर खाएं. इस के लिए जरूरी है कि एक दाल से चिपके न रहें बल्कि रोजाना बदलबदल कर दाल बनाएं.

इस से शरीर को प्रोटीन भी मिल जाएगा और दाल खाने से आप ऊबेंगे भी नहीं. जिन लोगों को डायबिटीज, पीसीओएस की शिकायत होती है, वे दालों से फाइबर की कमी को पूरा कर के इंसुलिन के लैवल को मैंटेन रख सकते हैं.

इन दिनों बालों व स्किन की चिंता भी बहुत अधिक सताती है. ऐसे में कुल्थ की दाल उन्हें अनेक फायदे पहुंचाने का काम करेगी, क्योंकि इस दाल में पौलीफिनोल्स नामक ऐंटीऔक्सीडैंट्स आप को हैल्दी रखते हैं.

साथ ही इस दाल के सेवन से यूरिन का फ्लो बढ़ता है, जो बौडी से टौक्सिंस को बाहर निकालने के साथसाथ किडनी स्टोन से भी नजात दिलाने का काम करता है. इस में आयरन, प्रोटीन, कैल्सियम होने के कारण यह बालों की हैल्थ व आप की अनियमित पीरियड्स की समस्या को भी दूर करने में मददगार होता है.

हरी पत्तेदार सब्जियां खाने से बचें

वैसे तो हरी पत्तेदार सब्जियां खाने की सलाह दी जाती है, लेकिन मौनसून के मौसम में इन्हें खाने से बचना चाहिए, क्योंकि एक तो मौसम में नमी और दूसरा पत्तेदार सब्जियों में प्राकृतिक नमी इसे कीटाणुओं के पनपने के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करती है और जब हम हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, पत्तागोभी, साग इत्यादि खाते हैं, तो उन के जरीए कीटाणु हमारे शरीर में प्रवेश कर के हमारे इम्यून सिस्टम को कमजोर बना कर हमें बीमार कर सकते हैं.

वहीं मशरूम भी नमी वाली जगह पर लगाई जाती है, इसलिए इस में बैक्टीरियल इन्फैक्शन होने का खतरा सब से अधिक रहता है. इसलिए मौनसून के मौसम में इन चीजों से दूरी बना कर रखें वरना इन से नजदीकी आप को बीमार बना सकती है.

ठंडी चीजों से परहेज रखें

अगर खानेपीने की चीजों का सही समय पर सेवन किया जाता है तो उस के शरीर को ढेरों फायदे मिलते हैं वरना वे शरीर को नुकसान पहुंचाने का ही काम करती हैं. जैसे दही, छाछ, जूस न सिर्फ शरीर की न्यूट्रिएंट संबंधित जरूरतों को पूरा करने का काम करते हैं, बल्कि इन से शरीर हाइड्रेट भी रहता है.

लेकिन अगर मौनसून के सीजन में इन चीजों का सेवन किया जाता है तो आप को जल्द ही सर्दी, खांसीजुकाम होने का डर बना रहता है, क्योंकि गरमी के बाद एकदम से तापमान में गिरावट आती है व फ्लू के चांसेज ज्यादा बढ़ जाते हैं.

साथ ही हमारा पाचनतंत्र भी मौनसून के मौसम में थोड़ा कमजोर हो जाता है, जिस से मौसमी बीमारी तुरंत हमें अपनी गिरफ्त में ले लेती हैं. इसलिए इस दौरान ठंडी चीजों से दूरी ही सही है. इस बात का भी ध्यान रखें कि कटे हुए फल न खाएं, क्योंकि हवा में संक्रमण होने के कारण बीमार होने की संभावना ज्यादा रहती है.

हर्बल टी है बैस्ट विकल्प

गरमी के बाद जैसे ही मौसम में थोड़ी ठंडक आती है, तो चाय पीने का मजा ही अलग होता है, क्योंकि एक तो यह शरीर को ठंडक पहुंचाने का काम करती है, दूसरा हर्बल टी में मौजूद ऐंटीऔक्सीडैंट्स प्रौपर्टीज आप के इम्यून सिस्टम को बूस्ट कर के आप को विभिन्न तरह के बैक्टीरिया इन्फैक्शन से बचा कर आप को कोल्ड और फ्लू से प्रोटैक्ट करने में मददगार होती है.

साथ ही शरीर से टौक्सिंस को भी फ्लश आउट करने में मददगार है और अगर आप को ग्रीन टी पीना पसंद नहीं है तो आप उस के टेस्ट को बढ़ाने के लिए उस में चीनी की जगह गुड़ या फिर शहद डाल सकते हैं, क्योंकि चीनी डालने से उस की कैलोरीज काफी बढ़ जाती है, जिस से बचना जरूरी है.

लैमन टी भी लो शुगर व लो कैलोरी वाली होने के साथसाथ विटामिंस व मिनरल्स से भरपूर होती है. इस में मौजूद ऐंटीऔक्सीडैंट्स आप की इम्यूनिटी को बूस्ट करने के साथसाथ आप को मौसमी बीमारियों से बचाए रखने का भी काम करते हैं.

काम की बात

न्यूट्रिशन वैल्यू इन वन कप ग्रीन टी- 5 कैलोरीज पर टी बैग, लेकिन अगर आप उस में शहद व गुड़ ऐड करते हैं तो उस में 70-80 कैलोरीज हो जाती हैं.

न्यूट्रिशन वैल्यू इन वन कप लैमन टी- 3-4 कैलोरीज.

डेयरी प्रोडक्ट्स से दोस्ती जरूरी

वैसे तो मौनसून के मौसम में डेयरी प्रोडक्ट्स का सेवन कम मात्रा में करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि पाचनतंत्र बहुत अधिक संवेदनशील हो जाता है और इन उत्पादों का बहुत अधिक सेवन करने से दस्त व पाचन संबंधित दिक्कतें हो सकती हैं. लेकिन यह भी सच है कि अगर आप ठंडे दूध के बजाय हलदी वाला दूध लें.

चीज को भी अपनी डाइट में शामिल करें तो यह आप की इम्यूनिटी को भी बूस्ट करेगा और जिन्हें जल्दी सर्दीखांसी हो जाती है, उन्हें भी इस से बचाए रखेगा, क्योंकि इस में ऐंटीवायरस, ऐंटीफंगल व ऐंटीबैक्टीरियल प्रौपर्टीज जो होती हैं.

काम की बात

न्यूट्रिशन वैल्यू इन वन कप हलदी मिल्क- 100-120 कैलोरीज.

Monsoon Skin Care : मानसून में स्किन का ख्याल रखें कुछ ऐसे

मानसून आते ही चारों तरफ हरियाली छा जाती है, मनुष्य से लेकर जीव-जंतु, प्रकृति सभी खुश हो जाते है. बारिश की झमाझम बूंदे दिनरात गिरती रहती है, ऐसे में स्किन की सही देखभाल करना बहुत आवश्यक है, बरसात के मौसम में नमी अधिक होती है, ऐसे में स्किन सम्बन्धी कई बीमारियों के होने का खतरा रहता है. इस बारें में स्किनक्राफ्ट के एक्सपर्ट डॉ. कौस्तव गुहा कहते है कि बारिश के पानी से खुद को हमेशा बचाने की जरुरत होती है, क्योंकि अधिक देर तक स्किन के गीले रहने से कई प्रकार की स्किन सम्बन्धी बीमारियाँ हो सकती है. कुछ सुझाव निम्न है,

 

1. चेहरे पर मुंहासे का होना आम समस्या है, जिसका सामना हर कोई करता है. खासकर, बारिश के मौसम में यह समस्या अधिक बढ़ जाती है. असल में बारिश की वजह से वातावरण में नमी अधिक हो जाती है, लेकिन स्किन रूखी हो जाती है, क्योंकि तैलीय स्तर को संतुलित बनाए रखने के लिए स्किन अतिरिक्त सीबम का उत्पादन करती है. कई बार जरूरत से ज्यादा तेल या सीबम स्किन के रोम छिद्रों में भरकर उन्हें बंद कर देता है, जो मुंहासे निकलने का कारण बन सकता है. ऐसे में बारिश के मौसम में मुंहासों या पिंपल से बचने और उन्हें नियंत्रित करने के लिए न सिर्फ गर्म पानी से नहाना फायदेमंद हो सकता है, बल्कि ऑयल फ्री क्लिंजर भी इस मौसम में लाभदायक होता है.

2. स्किन संबंधी रोग अधिकतर बारिश के मौसम में ही देखने को मिलते है, इन्हीं में से एक समस्या एक्जिमा है,इसके कारण स्किन लाल, खुजलीदार और सूजी हुई नजर आती है, संवेदनशील स्किन को मानसून में एक्जिमा की समस्या अधिक होती है. पहले से ही एक्जिमा की समस्या से जूझ रहे लोगों को बरसात के मौसम में  परेशानी अधिक झेलनी पड़ती है,इसलिए इस अवस्था में प्रभावित जगह को गीले कपड़े से लपेटने से कुछ राहत मिलती है. इसके अलावा,डॉक्टर द्वारा बताया गया, क्रीम भी फायदेमंद हो सकता है. क्रीम लगाकर प्रभावित जगह को गीली पट्टी से कवर करने पर जल्दी आराम मिलता है.

3. ‘स्कैबीज’ एक प्रकार का संक्रामक रोग है, जो सारकोपटेस स्केबीज़ नामक कीट के काटने से होता है. बारिश के चलते तापमान और ह्यूमिडिटी में होने वाले उतार-चढ़ाव के कारण इस कीट को पनपने का मौका मिलता है. स्कैबीज होने पर स्किन पर चकत्ते और गंभीर खुजली हो सकती है.इसलिएबारिश के मौसम में दूषित पानी के संपर्क में आने से बचना चाहिए, ताकि स्कैबीज जैसी समस्या न हो.यह स्किन संबंधी संक्रामक विकार है, इसलिए अगर कोई पहले से ही इससे ग्रसित हैं, तो उसे दूसरों से दूरी बनाकर रखने की कोशिश करनी चाहिए, ताकि यह बीमारी न फैल सके.

4. मानसून में पैर सबसे अधिक प्रभावित होते है. फर्श पर नमी होने या बारिश की वजह से मोजे गीले होने से बचना चाहिए. तापमान में लगातार उतार-चढ़ाव होने से पांव पसीने से भर जाता है, ऐसे में नमी की वजह से पाँव में सफेद फंगल इन्फेक्शन और खुजली की समस्या हो सकती है. इस समस्या को एथलीट फुट (Athlete’s foot)भी कहा जाता है. यह समस्या पैरों में अधिक नमी के कारण होता है,लेकिन इसे कंट्रोल किया जा सकता है. बारिश में अपने पैरों को हमेशा सूखा रखने का प्रयास करना आवश्यक है. लंबे समय तक गीले मोजे न पहनना और घर में हमेशा चप्पल पहनकर चलना भी जरुरी है.

5. बारिश का मौसम कितना ही खूबसूरत क्यों न हो, लेकिन हवा में नमी बढ़ जाने से शरीर से पसीना निकलने लगता है. इस वजह से स्किन पर रैशेज और खुजली जैसी समस्याएं होने लगती है. इसलिएमानसून में ज्यादातर ढीले कपड़े पहने,साथ ही स्किन की समस्याओं से बचने और उन्हें नियंत्रित रखने के लिए ऑयल फ्री मॉइस्चराइजर या लोशन लगाते रहे.

6. मानसून में ह्यूमिडिटी बढ़ जाने से स्किन रूखी और खुरदुरी हो जाती है. इससे स्किन बेजान व पीली दिखाई देने लगती है, ऐसे में चेहरे को नियमित रूप से माइल्ड फेस वॉश से धोकर,मॉइस्चराइजर लगाने से इस समस्या से बचा जा सकता है.

7. बारिश में फॉलिक्युलिटिस की समस्या भी होती है. यह केशों के रोम छिद्र में होने वाले बैक्टीरियल इंफेक्शन है. इससे बाल टूटने लगते है और बालों के रोमछिद्रों में सूजन व खुजली होने लगती है. यह समस्या मानसून में पसीने, डिहाइड्रेशन और ह्यूमिडिटी की वजह से होती है. इसे दूर करने के लिए एक्सपर्ट की सलाह के आधार पर बताये गए साबुन या क्रीम लगायें.

8. मॉनसून में कुछ लोगों के शरीर पर गोलाकार लाल पैच दिखाई देते हैं, जिसमें खुजली भी होती है. यह एक प्रकार का फंगल इंफेक्शन है, जिसे दाद भी कहा जाता है. यह शरीर से अधिक पसीना निकलने की वजह से होता है. अगर किसी को दाद हो गया है, तो उसे साफ और ढीले कपड़े पहनने चाहिए.नहाते समय एंटीबैक्टीरियल युक्त साबुन का उपयोग करे. इसके अलावाअपनी चीजें मसलन मेकअप ब्रश, तौलिया, साबुन और कपड़ों को दूसरों के साथ शेयर न करें.

9. नेल इंफेक्शन भी मॉनसून में होने वाली विभिन्न समस्याओं में से एक है. यह इंफेक्शन नाखूनों के नीचे गंदगी और मृत स्किन के जमा होने पर होता है. इससे नाखूनों में दर्द होने के अलावा स्किन संबंधी अन्य बीमारी भी हो सकती है. ऐसे में बेहतर यही है कि समय-समय पर नाखूनों को काटते रहें और एंटी-बैक्टीरियल पाउडर या लिक्विड सॉल्यूशन का उपयोग करें.

10. इस मौसम में हाइव्स की समस्या भी होती है, ऐसा कीट-पतंगों के काटने से होता है. इससे स्किन पर लाल दाने बन जाते है,जिनमें बहुत खुजली होती है. सामान्य दिनों की तुलना में मॉनसून में कीड़ों के काटने की आशंका ज्यादा होती है. इसलिए, अगर कोई कीड़ा काटे, तो उससे राहत पाने के लिए कोल्ड कंप्रेस का इस्तेमाल करना चाहिए. अगर हालत गंभीर हो,तो डॉक्टर की सलाह पर ही दवाई लें.

वर्चुअल मीटिंग के लिए तैयार होने के लिए मेरा मेकअप कैसा होना चाहिए?

सवाल-

कोरोना के कारण लौकडाउन में मेरे औफिस की मीटिंग्स भी अब वर्चुअल होने लगी हैं. भले ही मैं घर पर रह कर काम कर ही हूं, लेकिन उस दौरान भी मेरा प्रेजैंटेबल होना बेहद जरूरी है क्योंकि वर्चुअल मीटिंग के दौरान मुझे अपने सीनियर्स व बौस के साथ कनैक्ट होना पड़ता है. अत: वर्चुअल मीटिंग के लिए तैयार होने के लिए मेरा मेकअप कैसा होना चाहिए?

जवाब-

औनलाइन मीटिंग के लिए आप बेसिक मेकअप कर सकती हैं, जिस में बेस बनाने के लिए लाइटवेट फाउंडेशन या सीसी क्रीम का इस्तेमाल किया जा सकता है. इस तरह का मेकअप ओवर नहीं लगता और ग्लो भी लाता है. वर्चुअल मीटिंग मेकअप के लिए स्पार्कल आईशैडो या ब्राइट ब्लश को यूज करने के बदले नो मेकअप लुक को अपनाएं. इस के लिए आप अपनी ब्रो को फिल करें और मसकारा नीचे और ऊपर की आईलैशेज पर अच्छी तरह लगाएं. लाइट पिंक या न्यूड लिपस्टिक में से कोई एक लगा सकती हैं व हलका सा ब्लशर लगाना काफी है. इस दौरान आप अपनी आंखों के नीचे के घेरों व ब्लेमिश को छिपाने के लिए कंसीलर का इस्तेमाल कर सकती हैं. कैमरे के सामने ब्लैक लाइनर काफी डार्क नजर आ सकता है, इसलिए ब्लैक आईलाइनर को ब्राउन या ग्रे के साथ स्विच करें. आईलाइनर की तरह ही आईशैडो व लिप शेड्स को भी लाइट ही रखें तो अच्छा. वर्चुअल मीटिंग में प्रेजैंटेबल दिखने के लिए सिर्फ मेकअप पर ही नहीं, बल्कि आप को लाइटिंग पर भी फोकस करना चाहिए. इसलिए वर्चुअल मीटिंग के लिए आप घर के ऐसे कोने का चयन करें, जहां पर नैचुरल लाइट अधिक आती हो. इस से आप का फेस खुदबखुद ब्राइटन नजर आएगा.

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केवल फिल्म इंडस्ट्री ही नहीं, बल्कि हर क्षेत्र की महिलाओं को खूबसूरत दिखना होता है. लेकिन इस बीच देशविदेश में लागू लौकडाउन की वजह से बहुत से लोगों को जमीनी हकीकत यानी रियल लुक पर ले आया है.

जाहिर है, इस दौरान न आप मेकअप आर्टिस्ट से मेकअप करवा सकती हैं और न ही खुद को ग्रूम करने के लिए किसी ब्यूटीपार्लर में जा सकती हैं. ऐसे में अब कईयों का रियल लुक नजर आने लगा है.

क्या कील से चोट लगने के 6 महीने बाद भी टिटनेस हो सकता है?

सवाल

मैं 25 साल की युवती हूं. लगभग 6 महीने पहले मेरे पैर में कील चुभ गई थी. लेकिन मैं टिटनैस का टीका नहीं लगवा पाई. पैर में कभीकभी सरसराहट सी दौड़ती है, तो डर जाती हूं कि कहीं मुझे टिटनैस तो नहीं होने वाला. क्या चोट लगने के इतने समय बाद भी मुझे टिटनैस हो सकता है? मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब

चोट लगने के 6 महीने बाद अब टिटनैस होने का डर लगभग न के बराबर है. जिन मामलों में चोट लगने पर टिटनैस होना होता है, प्राय: यह 3 हफ्तों के अंदर प्रकट हो जाता है.

टिटनैस उन्हीं लोगों को होता है, जिन्होंने बचपन में या जीवन में पहले ठीक से टिटनैस टौक्सायड (टीटी) के टीका नहीं लिए होते. उन के जख्म में टिटनैस उत्पन्न करने वाले बैक्टीरिया पैठ कर जाते हैं.

बचाव के लिए यह जरूरी है कि टिटनैस टौक्सायड के 3 टीके आप ने पहले से लिए हों. दूसरा टीका पहले टीके के 6 हफ्तों बाद लगाया जाता है और तीसरा टीका पहले टीके के 6 महीने बाद. उस के बाद हर 10 साल बाद यह टीका लगवाते रहना चाहिए. घाव बहुत गंदा हो, तो पहला टीका लगे 5 साल बीत चुके हों तब भी यह टीका लगवा लेना चाहिए. इस से टिटनैस नहीं होता.

जिन लोगों ने कभी टिटनैस का टीका नहीं लिया होता, उन्हें डाक्टर से तुरंत मिल कर टिटनैस के 3 टीकों का कोर्स तो लेना ही चाहिए. टिटनैसरोधी इम्युनोग्लोबुलिन का टीका भी जरूर लगवा लेना चाहिए.

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

खूबसूरत बालों के लिए दही से बनाएं ये 5 हेयर मास्क

बालों में दही का इस्तेमाल हमारी दादीनानी भी अपनी दादीनानी के समय से करती आई हैं. आमतौर पर इसे सिर से डैंड्रफ और खुजली को दूर करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है लेकिन इस के और भी अनेक फायदे हैं. दही विटामिन बी5 और डी से भरपूर होता है, इस में फैटी एसिड्स की भी अधिक मात्रा होती है जिस से यह बालों को स्मूथ और फ्रिज फ्री बनाता है. साथ ही, इस में जिंक, मैगनीशियम और पोटेशियम भी होता था. तो देर किस बात की, आइए जाने बालों में दही लगाने के कुछ तरीके.

1. डैंड्रफ के लिए

1 कटोरी दही
4-5 टीस्पून मेथी दाना पाउडर
1 चम्मच नीबू

डैंड्रफ दूर करने के लिए एक कटोरी में दही लें, नीबू का रस और मेथी दाना पाउडर डालें. तीनों को अच्छी तरह मिला कर बालों में लगाएं और शावर कैप से बालों को ढक लें. अब 40 मिनट तक इसे बालों में रख माइल्ड शैम्पू से अच्छी तरह धो लें. इफेक्टिव रिजल्ट के लिए हफ्ते में दो बार एक महीने तक लगाएं.

2. डीप कंडीशनिंग के लिए

एक कटोरी दही
2 चम्मच शहद

दही और शहद को साथ में लगाने से यह न केवल आप के बालों को जड़ों से कंडीशन करता है बल्कि ड्राई हेयर की समस्या हटा उन्हें मुलायम और मैनेजेबल भी बनाता है. एक कटोरी में दही और शहद मिलाइए. फिर इस से बालों में अच्छी तरह मसाज कीजिए और 20 मिनट रखने के बाद धो लीजिए.

3. बाल बढ़ाने के लिए

एक कटोरी दही
मुट्ठीभर करी पत्ता

करी पत्ते प्रोटीन और बीटा केरोटीन से भरपूर होते हैं जो बालों को टूटने से रोकते हैं. इन में अमीनो एसिड्स और एंटीऔक्सीडेंट्स की भी अच्छी मात्रा होती है जिन से यह बालों को जड़ों से मौइस्चर देते हैं. इस मास्क को बनाने के लिए मुट्ठीभर करी पत्ते पीस कर पेस्ट बना लें. इस पेस्ट को दही में मिला कर बालों में जड़ों से टिप तक लगाएं और 30 मिनट रखने के बाद धो लें. हेयर ग्रोथ को बूस्ट करने के लिए हफ्ते में एक बार इस मास्क को लगाएं.

4. फ्रिज फ्री बालों के लिए

एक कटोरी दही
एक केला

बालों से फ्रिजिनेस हटाने के लिए एक कटोरी दही में एक पूरा पका केला मैश कर के मिला लें. इसे बालों में 20 मिनट तक रखें और धो लें. इस हेयर मास्क को हफ्ते में एक बार फ्रीजिनेस हटाने के लिए जरूर लगाएं.

5 प्रोटीन देने के लिए

एक कटोरी दही
एक अंडे का योक

बालों की मजबूती और ग्रोथ के लिए उसे प्रोटीन देना जरूरी होता है. दही में अंडे के बीच के भाग यानी योक को अच्छी तरह मिला कर बालों में मसाज करते हुए लगाएं. इस मास्क को 20 मिनट तक रखें और शैम्पू से अच्छी तरह धो लें. स्पा जैसे इस ट्रीटमेंट को अच्छे रिजल्ट के लिए हफ्ते में एक बार लगाएं.

मेरे घुटनों में दर्द होता है, कहीं मुझे गठिया तो नहीं हैं?

सवाल

मेरी उम्र 38 साल है. दरअसल मेरे घुटनों में अकसर दर्द बना रहता है. हलका चलने पर ही दर्द शुरू हो जाता है. क्या यह गठिया के लक्षण हैं? इस से कैसे छुटकारा पाया जा सकता है?

जवाब

अगर घुटने में दर्द और जकड़न हो और चलनेफिरने पर घुटनों में आवाज आए तो गठिया की शुरुआत हो चुकी है. इस के बढ़ने पर घुटनों को मोड़ने में कठिनाई होती है. घुटनों में विकृतियां भी हो सकती हैं. घुटनों की दिक्कतों की जल्दी शुरुआत का एक और कारण मोटापा और खराब पोषण है. करीब 90त्न की कमी है जो बोन मैटाबोलिज्म को नियंत्रित करने के लिए जरूरी है. समस्या से छुटकारा पाने के लिए व्यायाम करें, सैर करें और वजन को संतुलित रखें. इस के साथ ही अस्पताल जा कर समस्या की जांच कराएं वरना आप की लापरवाही आप पर भारी पड़ सकती है.

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मेरी उम्र 28 साल है. जब मैं भारी चीजें उठाता हूं या ऐक्सरसाइज करता हूं तो मेरे जोड़ों में दर्द होने लगता है. कभी यह दर्द हलका होता तो कभी तेज हो जाता है. इस दर्द का क्या कारण है और इस से छुटकारा पाने का इलाज क्या है?

आप जिन लक्षणों का जिक्र कर रहे हैं वे अवैस्कुलर नैक्रोसिस की बीमारी की ओर इशारा करते हैं. यह एक ऐसी स्थिति है जिस में बोन टिशू मरने लगते हैं जिस के कारण हड्डियां गलने लगती हैं. बीमारी का समय पर इलाज जरूरी है अन्यथा एक समय के बाद जब बीमारी गंभीर हो जाती है तो हड्डियां पूरी तरह गलने लगती हैं. इस के बाद आप को गंभीर आर्थ्राइटिस की बीमारी हो सकती है.

-डा. अखिलेश यादव

वरिष्ठ प्रत्यारोपण सर्जन, जौइंट रिप्लेसमैंट, सैंटर फौर नी ऐंड हिप केयर, गाजियाबाद. 

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