जब मां के कैरेक्टर पर शक करने लगे बेटी

काव्या मल्टीनेशनल कंपनी में मैनेजर के पोस्ट पर थी, उसकी उम्र लगभग 40 साल की थी. कहते हैं न कि “किसी महिला के पास ब्यूटी और ब्रेन हो, तो लाइफ में सफलता उसके कदमों को चूमती है.” काव्या की भी लाइफ कुछ ऐसी ही थी, लेकिन वह डिवोर्सी थी और एक बेटी की मां भी. काव्या की बेटी 12 वीं में थी.
काव्या अक्सर घर लेट आती थी. उसे उसका कौलिग छोड़ने आता था. काव्या की बेटी (रूही) को अपनी मां के कैरेक्टर पर शक था, उसे ऐस लग रहा था कि उसकी मां अपनी कौलिग के साथ रिलेशनशिप में है, इसलिए वह उसी के साथ औफिस से घर आती है और हर वीकेंड बाहर घूमने भी जाती है. वह सोच रही थी इस उम्र में मेरी मां किसी के साथ रिलेशनशिप में कैसे हो सकती है, वह काव्या से इस बारे में पूछना भी चाहती थी पर वह पूछ नहीं पाती थी.

ये सिर्फ काव्या के साथ ही नहीं हुआ, ऐसी कई घटनाएं सुनने को मिलती है कि बेटी मां के चरित्र पर शक करती है. साल 2019 में छत्तीसगढ़ में एक मामला सामने आया था, जानकारी के अनुसार जब बेटियों को अपनी मां के अवैध संबंध के बारे में पता चला, तो उन्होंने उस आदमी की पिटाई शुरू कर दी. हालांकि वर्किंग महिलाओं को इस तरह की समस्याओं का ज्यादा सामना करना पड़ता है. जब बच्चे उन्हीं के कैरेक्टर पर शक करने लगते हैं.

साइकोलौजिस्ट के अनुसार, पेरेंट के अफेयर का बुरा असर बड़े बच्‍चों की तुलना में छोटे बच्‍चों पर पड़ता है, क्‍योंकि वो अपनी हर छोटीछोटी जरूरत या सपोर्ट के लिए अपने पेरेंट पर ही निर्भर रहते हैं. इन बच्चों का इमशोनल सपोर्ट भी पेरेंट होते हैं.

हमारे समाज में काव्या जैसी कई महिलाएं वर्किंग और सिंगल पेरेंट है, ऐसा नहीं है कि मां बनने के बाद या तलाक हो जाने के बाद किसी साथी की जरूरत नहीं होती. हर उम्र के पड़ाव पर पार्टनर की जरूरत होती है. यह जरूरी नहीं है कि केवल फिजिकल नीड के लिए ही महिला को साथी चाहिए, कई बार इमोशनली सपोर्ट के लिए भी किसी के सहारे की जरूरत होती है.

एक सर्वे के अनुसार, पेरेंट बनने के बाद लोग एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर की तरफ बढ़ते हैं. हम सभी जानते हैं कि पतिपत्नी दोनों को बच्चों को ज्यादा देखभाल करने और समय देने की जरूरत होती है. ऐसे में दोनों का ध्यान एकदूसरे से हटता है. इस तरह पेरेंट्स शादी से बाहर रिश्ते तलाश करते हैं.

मां को बेटी के साथ फ्रेंडली होना चाहिए, खासकर जब महिलाएं वर्किंग और सिंगल पेरेंट हैं. दरअसल, आप अपनी बेटी से दिल की बात कह सकती हैं, आप अपने कौलिग या दोस्तों के बारे में खुलकर बातें शेयर कर सकती हैं. कहा जाता है कि मां और बेटी सबसे अच्छी दोस्त होती है और यह बात सच भी है. अगर मांबेटी आपस में खुलकर बात नहीं करती हैं, तो चीजें गलत हो जाएंगी, इससे दोनों के रिश्ते में दूरियां भी बढ़ेगी.

हम आपको इस आर्टिकल में कुछ प्वाइंट्स के जरिए बताएंगे कि जब बेटी मां के कैरेक्टर पर शक करती है, तो इस कंडीशन में दोनों को क्या करना चाहिए?

• मां के दोस्तों से बेटी को प्रौब्लम होती है, तो आपदोनों इस बारे में बात करें.
• बेटी को भी यह समझना जरूरी है कि मां को भी कोई पसंद आ सकता है.
• कई बार किसी लड़की को ये लगता है कि अगर उसके मां के लाइफ में कोई दूसर व्यक्ति आएगा तो इससे उनके रिश्ते पर असर पड़ेगा, इसलिए वो नहीं चाहती कि मां का किसी के साथ अफेयर हो.
• मां के लाइफ में किसी और के आ जाने से बेटी के लिए उसका प्यार कम नहीं हो सकता है. हो सकता है कि मां और उसका पार्टनर दोनों मिलकर बेटी की और भी अच्छे से ख्याल रखें.

मुझे अपनी मां से नफरत होने लगी है, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं 15 वर्षीय छात्र हूं. आजकल बहुत तनाव में जी रहा हूं. दरअसल, मुझे अपनी मां की उच्छृंखलता देख कर उन से नफरत होने लगी है. हमारे एक अंकल जो मेरे पापा के अच्छे दोस्त हैं, उन से मेरी मां की नजदीकियां दिनोंदिन बढ़ रही हैं. वे अंकल अकसर मेरे पापा की गैरमौजूदगी में घर आते हैं और घंटों मां के साथ गप्पबाजी करते हैं. भद्देभद्दे मजाक सुन कर मेरा खून खौलने लगता है, जबकि मां खूब मजा लेती हैं. कई बार दोनों ऐसे चिपक कर बैठे होते हैं जैसे पति पत्नी हों. उन्हें लगता है कि मैं उन की हरकतों से अनजान हूं. बताएं, क्या करूं?

जवाब

आप अच्छे बुरे की समझ रखने वाले विवेकशील युवक हैं. आप को लगता है कि आप की मां और आप के तथाकथित अंकल का व्यवहार अमर्यादित है, तो आप अपनी मां से एतराज जता सकते हैं.

आप उन से साफ शब्दों में कहें कि आप को पिता की गैरमौजूदगी में उस तथाकथित अंकल का रोज आना और घंटों गप्पें लगाना नागवार गुजरता है. इतने से ही वे दोनों सतर्क हो जाएंगे. अगर न हों तो आप कह सकते हैं कि आप पिता से उन की शिकायत करेंगे. इस के बाद आप की समस्या स्वत: हल हो जाएगी.

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माया को देखते ही बाबा ने रोना शुरू कर दिया था और मां चिल्लाना शुरू हो गई थीं. मां बोलीं, ‘‘बाप ने बुला लिया और बेटी दौड़ी चली आई. अरे, हम मियांबीवी के बीच में पड़ने का हक किसी को भी नहीं है. आज हम झगड़ रहे हैं तो कल प्यार भी करेंगे. 55 साल हम ने साथ गुजारे हैं. मैं अपने बीच में किसी को भी नहीं आने दूंगी.’’

‘‘मैं इस के साथ नहीं रहूंगा. तुम मुझे अपने साथ ले चलो,’’ कहते हुए बाबा बच्चों की तरह फूटफूट कर रो पड़े.

‘‘मैं तुम को छोड़ने वाली नहीं हूं. तुम जहां भी जाओगे मैं भी साथ चलूंगी,’’ मां बोलीं.

‘‘तुम दोनों आपस का झगड़ा बंद करो और मुझे बताओ क्या बात है?’’

‘‘यह मुझे नोचती है. नोचनोच कर पूछती है कि नीना के साथ मेरे क्या संबंध थे? जब मैं बताता हूं तो विश्वास नहीं करती और नोचना शुरू कर देती है.’’

‘‘अच्छाअच्छा, दिखाओ तो कहां नोचा है? झूठ बोलते हो. नोचती हूं तो कहीं तो निशान होंगे.’’

‘‘बाबा, दिखाओ तो कहां नोचा है?’’

बाबा फिर रोने लगे. बोले, ‘‘तेरी मां पागल हो गई है. इसे डाक्टर के पास ले जाओ,’’ इतना कहते हुए उन्होंने अपना पाजामा उतारना शुरू किया.

मां तुरंत बोलीं, ‘‘अरे, पाजामा क्यों उतार रहे हो. अब बेटी के सामने भी नंगे हो जाओगे. तुम्हें तो नंगे होने की आदत है.’’

बाबा ने पाजामा नीचे कर के दिखाया. उन की जांघों और नितंबों पर कई जगह नील पड़े हुए थे. कई दाग तो जख्म में बदलने लगे थे. वह बोले, ‘‘देख, तेरी मां मुझे यहां नोचती है ताकि मैं किसी को दिखा भी न पाऊं. पीछे मुड़ कर दवा भी न लगा सकूं.’’

मांएं जो बनीं मिसाल

जुलाई, 2019 की बात है जब कौफी कैफे डे (सीसीडी) जैसी बड़ी कंपनी के मालिक वीजी सिद्धार्थ ने बिजनैस में नुकसान और कर्ज की वजह से आत्महत्या कर ली थी. मीडिया में उन का एक सुसाइड नोट भी मिला था, जिस में सिद्धार्थ एक प्रौफिटेबल बिजनैस मौडल बनाने में मिली असफलता के लिए माफी मांग रहे थे. लैटर में लिखा था कि वे प्राइवेट इक्विटी होल्डर्स व अन्य कर्जदाताओं का दबाव और इनकम टैक्स डिपार्टमैंट का उत्पीड़न बरदाश्त नहीं कर सकते हैं इसलिए आत्महत्या कर रहे हैं.

सिद्धार्थ की इस अचानक मौत के बाद उन की पत्नी मालविका टूट गई थीं. उन की हंसतीखेलती दुनिया उजड़ गई थी. एक तरफ पति की मौत का सदमा तो दूसरी तरफ करोड़ों के कर्ज में डूबी कंपनी. ऊपर से अपने दोनों बेटों के भविष्य की चिंता भी थी. मगर इन बुरी परिस्थितियों में भी मालविका हेगड़े ने हौसला नहीं खोया और पूरे आत्मबल के साथ मोरचा संभाला. कंपनी की बागडोर अपने हाथ में ली और पूरी तरह जुट गईं सब ठीक करने के प्रयास में. उन की मेहनत रंग लाई और 2 साल के अंदर ही कंपनी फिर से अपने पैरों पर खड़ी हो गई.

31 मार्च, 2019 तक के आंकड़ों के अनुसार कैफे कौफी डे पर करीब क्व7 हजार करोड़ का कर्ज था. दिसंबर, 2020 में मालविका हेगड़े कैफे कौफी डे ऐंटरप्राइजेज लिमिटेड की सीईओ बनीं. जब मालविका ने कमान संभाली तब उन के सामने 4 चुनौतियां थीं- पति वीजी सिद्धार्थ की मौत से उबरना, परिवार को संभालना, कंपनी को कर्ज से उबारना और काम करने वाले हजारों कर्मचारियों के रोजगार को बचाना. विपरीत परिस्थितियों से जू?ाते हुए बहुत ही कम समय में उन्होंने सफलता और नारी शक्ति की अद्भुत मिसाल कायम की.

जो कहा वह कर दिखाया

एक रिपोर्ट के मुताबिक मार्च, 2021 तक सीसीडी कंपनी पर क्व1,779 करोड़ कर्ज रह गया था, जिस में क्व1,263 करोड़ का लौंग टर्म लोन और क्व5,16 करोड़ का शौर्ट टर्म कर्ज शामिल है. मौजूदा समय में सीसीडी भारत के 165 शहरों में 572 कैफे संचालित कर रहा है. 36,326 वैंडिंग मशीनों के साथ सीसीडी देश का सब से बड़ा कौफी सर्विस ब्रैंड है. इस तरह स्थिति में काफी सुधार आया और इस का श्रेय जाता है मालविका की कुशल प्रबंधन क्षमता और कंपनी हित में किए गए उन के कार्यों को.

कंपनी की सीईओ बनने के बाद मालविका ने 25 हजार कर्मियों को एक पत्र लिखा था, जो चर्चा में आया था. कर्मचारियों को सामूहिक तौर पर लिखे पत्र में उन्होंने कहा था कि वे कंपनी के भविष्य के लिए प्रतिबद्ध हैं और कंपनी को बेहतर स्थिति में लाने के लिए मिल कर काम करेंगी. उन्होंने जो कहा वह कर दिखाया और न केवल कंपनी के कर्मचारियों के बीच विश्वास कायम किया बल्कि उद्योग जगत में एक सशक्त बिजनैस वूमन के तौर पर भी अपनी एक अलग पहचान बनाई. आज वे नारी शक्ति की ताजा उदाहरण बन गई हैं.

मेहनत पर विश्वास

नारी शक्ति का ऐसा ही एक और उदाहरण है उद्यमी राजश्री भगवान जाधव का. महाराष्ट्र के जिला रायगढ़ के मुंगोशी गांव की 39 वर्षीय राजश्री भगवान जाधव फोटोग्राफी का काम करने वाले अपने पति, 2 बेटियों और सास के साथ रह रही थीं. उन का संसार खुशीखुशी चल रहा था क्योंकि प्रशिक्षित नर्स राजश्री खुद भी एक प्राइवेट अस्पताल में काम करती थीं.

लेकिन कुछ समय बाद उसे छोड़ कर वे पंचायत के ‘21 बचत गट अभियान’ में कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन के रूप में शामिल हो गईं.

फिर एक समय ऐसा भी आया जब राजश्री के पति लंग्स कैंसर डायग्नोज हुआ. तब उन के पैरों तले जमीन खिसक गई. परिवार और पति की बीमारी ने उन्हें अधिक पैसे कमाने पर मजबूर किया. आज राजश्री ने एक छोटा होटल खोल लिया है जिस में वे हर तरह के स्नैक्स, भुझिया, बड़ा पाव, मिसल आदि बनाती हैं.

इस के अलावा त्योहारों में मिठाई और फरसाण के पैकेट बना कर घरघर भी बेचती हैं. वे अब अपने परिवार की एक मात्र कमाने वाली सदस्य हैं जो परिवार और पति के इलाज के लिए पूरा दिन काम करती है.

महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर

राजश्री भारी स्वर में कहती हैं कि नर्सिंग का काम छोड़ कर मैं ‘21 बचत गट अभियान’ के काम में जुट गई. ग्राम पंचायत ने मुझे ‘कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन’ की पोस्ट पर नियुक्त किया. मैं उस काम के साथ अपने पति की स्टूडियो में भी बैठने लगी. बचत गट के काम में मु?ो सप्ताह में एक दिन अलगअलग बचत गट में जाना पड़ता था. मेरा गांव ग्रामीण क्षेत्र के अंतर्गत आता है.

उस दौरान अलीबाग की महाराष्ट्र ग्रामीण जिवोन्नती अभियान आणि ग्रामीण स्वयं रोजगार प्रशिक्षण संस्था मेरे गांव में फ्री ट्रेनिंग कोर्स महिलाओं को देने के लिए गांव में आई ताकि महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकें. मैं ने 30 महिलाओं का बैच बना कर ज्वैलरी बनाने की ट्रेनिंग भी खुद ली और उन्हें भी दिलाई.

वहां डेढ़ महीने की ट्रेनिंग के बाद 2 साल तक सरकार के साथ काम करना पड़ता है जिस में उन के द्वारा दी गई ट्रेनिंग से महिलाएं कितना कमा रही है, उस की जांच सरकारी लोग करते हैं. मैं उन सभी महिलाओं को इकट्ठा कर राखी, कंठी और सजावट की वस्तुएं महिलाओं से बनवा कर पति के स्टूडियो के सामने बेचने लगी.

कोविड-19 ने कर दिया सब खत्म

राजश्री आगे कहती हैं कि कोविड की वजह से महिलाओं ने काम करना बंद कर दिया, लेकिन मैं फराल, कंठी और त्योहारों के अनुसार सामान बना कर घर घर बेचने लगी. कोविड-19 के समय भी मैं सामान ला कर गांव में बेचती थी. मेरी अच्छी कमाई होती थी क्योंकि शहर में सब बंद था. मेरे आसपास के 16 गांवों में कुछ भी मिलना मुश्किल हो गया था. उस दौरान मैं खानपान के साथसाथ सैनिटरी नैपकिन, जरूरत की सारी चीजें बेचने लगी थी. होल सेल में सामान ले कर गांवों में बेचती थी. मेरे पास थोड़ी खेती है जिस में मजदूरों को ले कर चावल उगाती हूं जो पूरा साल चलते हैं.

पति हुए कैंसर के शिकार

अपनी भावनाओं को काबू में रखते हुए राजश्री कहती हैं कि इसी बीच पति के लंग कैंसर का पता चला और मेरी दुनिया में सबकुछ बदल गया क्योंकि उन के इलाज पर खर्च बहुत अधिक होने लगा. इसलिए सीजन के अलावा भी काम करने की जरूरत पड़ी. मैं ने ब्याज पर बचत गट और बैंक से पैसा ले कर होटल का व्यवसाय शुरू किया. होटल का नाम मैं ने ‘स्नैक्स कार्नर’ रखा. सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक मैं इसे चलाती हूं. मेरे होटल में मैं बड़ा पाव, मिसल, समोसा, भुझिया, कांदा पोहा, चाय, कौफी आदि सब बनाती हूं.

रात का खाना बनाना अभी शुरू नहीं किया है क्योंकि जगह छोटी है. इस में अच्छी कमाई हो रही है जिस से मेरे पति का इलाज हो रहा है. लेकिन उन की दवा का खर्चा बहुत है. मेरे परिवार वाले भी मेरी सहायता करते हैं.

कीमोथेरैपी की वजह से वे बहुत कमजोर हो गए हैं. मेरी कमाई 40 हजार तक होती है जिस मे आधे से अधिक पैसा पति के इलाज पर खर्च हो जाते हैं. मेरे साथ मेरी भाभी भी काम में हाथ बंटाती है. रसोई का काम मैं करती हूं. मु?ो कर्जा भी चुकाना पड़ता है.

हुईं सम्मानित

राजश्री कहती हैं कि मेरे काम से प्रभावित हो कर राज्य सरकार द्वारा मु?ो आरएसईटीआई में प्रशिक्षण लेने और सभी महिलाओं द्वारा बनाए गए प्रोडक्ट को बेचने में सहायता करने व कर्ज ले कर होटल चलाने के लिए 8 मार्च, 2022 को पुरस्कार दिया गया है.

समाज में इस तरह के मिसालों की कमी नहीं है जहां एक औरत ने पति के गुजर जाने या लाचार हो जाने के बाद न सिर्फ एक मां और पत्नी का सही अर्थों में दायित्व निभाया बल्कि अपनी आत्मशक्ति और काबिलीयत से सब को हतप्रभ भी कर दिया.

घर की आर्थिक जिम्मेदारी उठा कर ऐसी महिलाओं ने यह साबित कर दिखाया कि वे न सिर्फ घर और बच्चों को अच्छी तरह संभाल सकती हैं बल्कि जरूरत पड़ने पर बाहरी मोरचे की कमान भी अपने हाथों में लेने और कंपनी चलाने से भी नहीं हिचकतीं. इन्हें बस मौका चाहिए. ये अपना रास्ता खुद बना सकती हैं और अपने बल पर पूरे परिवार का बो?ा उठा सकती हैं. बस जरूरत होती है कुछ बातों का खयाल रखने की:

सही प्लानिंग

आप को अपने जीवन में कई तरह की प्लानिंग कर के चलना होगा. आप को अपने परिवार का खयाल रखना है, खुद को देखना है और साथ ही बिजनैस/नौकरी को भी पूरा समय देना है. घरपरिवार और काम के प्रति केवल समर्पण ही काफी नहीं है बल्कि अच्छे से सब कुछ मैनेज करना भी जरूरी होता है खासकर तब जब आप का सहयोग देने के लिए जीवनसाथी मौजूद नहीं है.

एक औरत जिस तरह घर को मैनेज करती है वैसे ही अपना काम भी हैंडल कर सकती है. बस जरूरत है थोड़ी गहराई से सोचने की. किस तरह आगे बढ़ा जा सकता है और किस तरह की समस्याएं आ सकती हैं उन पर पहले से ही विचार कर लेना और फिर तय दिशा में आगे बढ़ना ही प्रौपर प्लानिंग है. इस से आप का आत्मविश्वास बढ़ता है और आप के कंपीटीटर देखते रह जाते हैं.

लोगों से मिलनाजुलना जरूरी

बिजनैस में आगे बढ़ना है तो दूसरे लोगों से मिलनाजुलना जरूरी है. भले ही वे सीनियर कर्मचारी हों, मातहत हों, कंपीटीटर हों या फिर इस फील्ड से जुड़े आप के दोस्त अथवा परिचित. 4 लोगों से बात करने और समय बिताने से एक तो आप का इस फील्ड का ज्ञान बढ़ेगा, नईनई बातें जानने को मिलेंगी साथ ही समय आने पर ये लोग आप की हैल्प भी करने को तैयार होंगे. जितना ज्यादा आप के परिचय का दायरा होगा उतने ही ज्यादा आप के सफल होने के चांसेज बढ़ते हैं.

ज्ञान हासिल करना

ज्ञान हासिल करने की कोई उम्र नहीं होती और फिर जब आप एक जिम्मेदारी भरे पद पर होती हैं तब तो हर वक्त आप का सजग रहना, काम को अंजाम देने के नए तरीकों के बारे में जानना और मार्केट ट्रैंड्स के बारे में जानकारी रखना बहुत जरूरी होता है. काम कोई भी हो आप उसे बेहतर तरीके से तभी कर सकेंगी जब आप उस से जुड़ी तकनीकी जानकारी, नए इक्विपमैंट्स और रिसर्च आदि का ज्ञान रखेंगी. इस से आप कम समय में बेहतर प्रदर्शन कर के मार्केट में अपनी वैल्यू बढ़ा सकेंगी.

सब से बना कर रखना

अकसर लोग जाने अनजाने अपने दुश्मन बनाते रहते हैं मगर लौंग टर्म में यह असफलता और तकलीफ का कारण बन सकता है. खासकर जब आप ने इस फील्ड में नयानया काम शुरू किया हो तो आप कोई रिस्क नहीं ले सकतीं. इसलिए अपने काम पर फोकस करना और बेवजह के विवादों से दूर रहना सीखिए. जितना हो सके सब से बना कर रखिए भले ही वह आप का कंपीटीटर या क्रिटिक ही क्यों न हो.

कर्मचारियों को खुशी देना

मालविका की सफलता की कहानी में कहीं न कहीं मालविका द्वारा कर्मचारियों के दिल में विश्वास और जज्बा कायम करने का बढ़ा योगदान रहा है. कर्मचारियों की संतुष्टि और रिस्पैक्ट आप के आगे बढ़ने के लिए बहुत अहम है. आप बाधारहित काम कर सकें और खुद को बेहतर साबित कर सकें इस के लिए अपने नीचे काम करने वालों की परेशानियां सुनना और उन्हें सुल?ाना जरूरी है.

खराब परिस्थितियों में घबराना नहीं

परिस्थितियां कभी भी बदल सकती हैं. उतारचढ़ाव जीवन का नियम है. इसलिए कोई दिक्कत आने पर एकदम से घबरा जाना या यह सोचना कि आप महिला हैं आप से अब यह नहीं हो पाएगा, गलत है. खुद पर विश्वास रखें और सही रास्ते पर डट कर कदम बढ़ाएं, आप को आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकेगा. अपना मनोबल कभी कमजोर न पड़ने दें. आत्मबल का परिचय दें कोई न कोई रास्ता जरूर निकल आएगा.

सब को साथ ले कर चलें

बिजनैस में आगे बढ़ने के लिए अपने साथ काम करने वालों को सम?ाना और उन के आइडियाज को महत्त्व देना जरूरी है. अपने कुलीग्स से बात करते रहें, उन्हें सम?ों और उन का काम के प्रति जोश और जज्बा बना रहे इस के लिए उन्हें प्रोत्साहित करते रहें. तारीफ और प्रोत्साहन से आप के एंप्लोइज के काम करने की क्षमता बढ़ेगी.

गलतियों से सबक लें

बिजनैस में नई हों या पुरानी गलतियां तो होगीं ही. अब इन गलतियों से आप सीखती हैं या फिर घबरा जाती हैं यह ऐटीट्यूड आप के आगे का रास्ता बनाता या बिगाड़ता है. जो भी गलतियां हुई हैं उन पर विचार करें और आगे के लिए सबक लें. आप की गलतियां आप को सीखने, सुधरने और जीतने का मौका देती हैं.

सफल बिजनैस वूमन से प्रेरणा

डिजिटल युग में देश हो या विदेश आप कई ऐसी महिलाओं से प्रेरणा ले सकती हैं जिन्होंने कई परेशानियों का सामना कर सफलता पाई है. इन की सक्सैस स्टोरी, बायोग्राफी या औटोबायोग्राफी पढ़  कर आप को मोटिवेशन भी मिलेगा और अपना रास्ता बनाने में भी आसानी होगी.

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जब फ्लर्ट करने लगे मां का फ्रैंड  

20वर्षीय सेजल अपनी मां शेफाली के बौयफ्रैंड राजीव मलिक से बेहद परेशान है. 45 वर्षीय शेफाली 10 साल से अपने पति रवि से अलग रह रही हैं. ऐसे में पुरुषों का आनाजाना उस की जिंदगी में लगा रहता है. राजीव मलिक शेफाली के घरबाहर दोनों के काम देखता है और इस कारण राजीव का हस्तक्षेप शेफाली की जिंदगी में बढ़ने लगा था. हद तो तब हो गई जब राजीव 48 वर्ष की उम्र में भी खुलेआम सेजल से फ्लर्ट करने लगा था.

कभी पीठ पर चपत लगा देता, कभी गालों को प्यार से छूना, कभी सेजल के बौयफ्रैंड्स के बारे में तहकीकात करना इत्यादि से सेजल के साथ ये सब उस की अपनी सगी मां के सामने हो रहा था जो मूर्खों की तरह अपने बौयफ्रैंड के ऊपर आंखें मूंद कर विश्वास कर बैठी थी. सेजल एक अजीब सी कशमकश से गुजर रही है. उसे सम झ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे, किस के साथ अपनी बात सा झा करे?

सेजल ने जब यह बात अपने बौयफ्रैंड संचित को बताई तो उस ने सेजल को सपोर्ट न कर के इस बात का फायदा उठाया. एक तरफ संचित तो दूसरी तरफ राजीव, सेजल का इन दोनों के बाद पुरुषों से विश्वास ही उठ गया है. काश सेजल ने बात अपनी मौसी या नानी को बताई होती.

उधर काशवी के मम्मी के दोस्त आलोक अंकल कब अंकल की परिधि से निकल कर कब उस के जीवन में आ गए खुद काशवी भी न जान पाई थी. आलोक अंकल का खुल कर पैसा खर्च करना, रातदिन उस से चैट करना सबकुछ काशवी को पसंद आता था. काशवी की मम्मी रश्मि उधर  यह सोच कर खुशी थी कि उन की बेटी को फ्रैंड फिलौसफर और गाइड मिल गया है. आलोक को और क्या चाहिए एक तरफ रश्मि की दोस्ती और दूसरी तरफ काशवी की अल्हड़ता.

काशवी के साथ छिछोरेबाजी करते हुए आलोक को यह भी याद नहीं रहता कि उस की अपनी बेटी काशवी की ही  हमउम्र है.

मगर कुछ लड़कियां सम झदार भी होती हैं. जब बिनायक ने अपनी फ्रैंड सुमेधा की बेटी पलक के साथ फ्लर्ट करने की कोशिश की तो पलक ने भी अपना काम निकाला और जैसे ही विनायक ने फ्लर्टिंग के नाम पर सीमा लांघनी चाही तो पलक ने बड़ी होशयारी से अपनी मम्मी सुमेधा को आगे कर दिया. विनायक और सुमेधा आज भी दोस्त हैं, परंतु विनायक अब भूल कर भी पलक के आसपास नहीं फटकते हैं.

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आज के आधुनिक युग की ये कुछ  अलग किस्म की समस्याएं हैं. जब महिलापुरुष एकसाथ काम करेंगे तो स्वाभाविक सी बात है  कि उन में दोस्ती भी होगी और ये पुरुष मित्र घर भी आएंगेजाएंगे.

मगर इन पुरुष मित्रों की सोच कैसी है यह आप की मम्मी या आप को भी नहीं पता होता है. इसलिए अगर आप की मम्मी का पुरुष मित्र आप से फ्लर्टिंग करने की कोशिश करे तो उसे हलके में न लें. आप आज की पढ़ीलिखी स्वतंत्र युवा हैं. हलकेफुलके मजाक और भोंडे़ मजाक में फर्क करना सीखें.

मौसी या आंटी को बनाएं राजदार

आप की मौसी या आंटी को आप से अधिक जिंदगी के अनुभव हैं. वे अपने अनुभवों के आधार पर अवश्य ही आप को सही सलाह देंगी. अपने तक ही ऐसी बात को सीमित रखें, बातचीत अवश्य करें.

फ्रैंड के बच्चों से कर लें दोस्ती

यदि मम्मी के फ्रैंड अपनी सीमा रेखा को भूलने की कोशिश करें तो उन्हें मर्यादा में रखने के लिए उन के बच्चों से दोस्ती कर लें. उन के घर जाएं, उन के परिवार को अपने घर पर बुलाएं.

अपने पापा को भी साथ ले कर जाना मत भूलें. जैसे ही परिवार की बात आती है अच्छेअच्छे सूरमाओं के पसीने छूट जाते हैं. वे भूल से भी आप को तंग नहीं करेंगे.

गलत बात का करें विरोध

बहुत बार देखने में आता है कि हम  अपने बड़ों की गलत बात को जानबू झ कर नजरअंदाज कर देते हैं. इस के पीछे बस उन की उम्र का लिहाज होता है, परंतु ये आप के मम्मी  या पापा नहीं हैं कि आप को उन का लिहाज करना पड़े. उन की गलत बात का डट कर  विरोध करें और अगर जरूरी लगे तो अपनी  मम्मी को भी उन के फ्रैंड के व्यवहार से अवगत अवश्य कराएं.

लक्ष्मण रेखा खींच कर रखें

अपनी मम्मी के फ्रैंड से बातचीत करने में कोई बुराई नहीं है, परंतु अपने व्यवहार को मर्यादित रखें. अगर आप खुद ही फौर्मल रहेंगी तो आप के अंकल भी कैजुअल नहीं हो पाएंगे. हलकाफुलका मजाक करने में बुराई नहीं है पर इन हलकेफुलके पलों में यह याद रखें कि आप की मम्मी भी शामिल हो.

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दिखाएं उम्र का आईना

यह सब से अचूक और कारगर उपाय है, जो कभी खाली नहीं जाता है. अगर मम्मी के फ्रैंड ज्यादा तफरीह करने की कोशिश करें तो उन्हें उन की उम्र का आईना दिखाने से गुरेज न करें. अपने को उम्रदराज मनाना किसी को भी पसंद नहीं है. एक बार आप अपने और उन के बीच उम्र का फासला महसूस करवाएंगी तो भूल से भी वे दोबारा आसपास नहीं फटकेंगे.

वह मेरी दोस्त भी है : अपनी बेटी को जरूर सिखाएं ये बातें

कल रिया के घर उस की बर्थडे पार्टी में उस समय सभी का मूड खराब हो गया जब रिया की अपनी मां से बहस हो गई. बात यह थी कि रिया का अपनी सहेलियों के साथ कहीं घूमने का प्लान था. जब पार्टी के बाद वह उन के साथ जाने लगी तो मां उसे डांटते हुए बोलीं कि आजकल वह सहेलियों के साथ कुछ ज्यादा ही घूमनेफिरने लगी है. इस पर वह लगाम लगाए. आए दिन उस के देर से घर लौटने को ले कर भी वे नाराज रहतीं.

बस फिर क्या था. रिया भी मां पर बरस पड़ी, ‘‘बड़े भैया दोस्तों के साथ कितनी पार्टियों में जाते हैं. उन्हें तो आप कुछ नहीं कहतीं. अगर वे रात को किसी फ्रैंड के घर रुक भी जाते हैं, तो भी आप और पापा बुरा नहीं मानते. फिर मेरे ऊपर ही इतने प्रतिबंध क्यों? मेरा जो मन चाहेगा करूंगी,’’ कह वह सैंडल पटकती हुई सहेलियों के साथ चली गई.

इस घटना में मांबेटी का व्यवहार एकदूसरे के प्रति नकारात्मक है. मां का डांटना बेटी को रास नहीं आ रहा. उस की प्रतिक्रिया आक्रामक सी होती दिख रही है. एक मां को अपनी बेटी से बहुत आशाएं होती हैं और बेटी भी मां से स्नेह चाहती है. मांबेटी का रिश्ता इतना करीबी है कि इस की तुलना सखियों के प्रेम से की जाती है. किंतु कभीकभी गलत व्यवहार के कारण इस रिश्ते में खटास आ जाती है और फिर मतभेद बढ़ते ही जाते हैं.

कुछ मां की मानें, कुछ अपनी मनवाएं

‘मां से बढ़ कर अपने बच्चों का हितैषी कोई और नहीं होता’ यदि इस बात को हर बेटी एक जुमला न समझे और हकीकत में उन्हें अपना शुभचिंतक मान उन का कहा न टाले तो इस रिश्ते में दरार आने की संभावना समाप्त हो जाएगी. वह मां की कही बातें ध्यान से सुने और उन पर अमल भी करे. यदि कुछ बातें सही नहीं लग रही हों, तो मां के सामने अपना पक्ष रख कर अपनी बात उन तक पहुंचाए जैसे यदि मां कहती हैं कि बेटी बाहर देर तक न रहे और समय से घर आ जाए, तो इस बात को मानने में आपत्ति नहीं होनी चाहिए.

किसी कारणवश देर होने की संभावना हो तो उन्हें सूचित कर दिया जाए. बाहर जाने पर घर में फोन के माध्यम से संपर्क में रहें. यदि मां सुरक्षा को ले कर जरूरत से ज्यादा चिंतित रहती हैं और बारबार काल करती हैं, तो उन्हें इस के लिए ऊंची आवाज में बेइज्जत करने के बजाय अपने निडर हो कर हर स्थिति का सामना करने के हौसले से परिचित करवाएं. यह मां के डर को दूर तो करेगा ही, साथ ही साथ आप के इन गुणों को जानने के बाद वे आप पर गर्व भी करेंगी. उन्हें स्त्री की स्वतंत्रता के महत्त्व से समझदरी से परिचित करवाएं.

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बेटी अपनी पसंद का मेकअप करे या कपड़े, जूतेचप्पल पहने और मां टोक दें तो उन के कारणों को जानने का प्रयास करें. यदि वे बदलते समय को समझे बिना आप को रोकती हैं तो आदर के साथ उन्हें अपनी बात समझा दें.

यदि मां सस्ते मेकअप प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल व प्रतिदिन गहरा मेकअप करने से होने वाली हानियों से आगाह करें तो उन की बात अनसुनी न करें. जब मां जान जाएगी कि बेटी उन की बातें मान रही है तो यकीनन वे ड्रैस चुनने के मामले में आप की पसंद को कभी नहीं नकारेंगी.

मां एक सच्ची मार्गदर्शक

बेटी को चाहिए कि वह कोई निर्णय लेते समय मां को उस में अवश्य शामिल करे. अपना कैरियर चुनने में भी बेटी मां की मदद ले तो निर्णय गलत साबित होने की संभावना कम से कम होती है.

अपने खर्चों के विषय में मां को समयसमय पर बताने से बेटी को इस क्षेत्र में भी सही मार्गदर्शन मिल जाएगा. रोज के खर्च के लिए जब बेटी मां से पौकेट मनी की आशा रखती है, तो मां भी यह उम्मीद करें कि वह पैसा फुजूल में खर्च नहीं होगा, तो कुछ बुरा नहीं है.

सच तो यह है कि मां के मार्गदर्शन और सहारे की बेटी को बहुत जरूरत होती है. शरीर में होने वाले हारमोनल बदलाव, विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण व अच्छेबुरे स्पर्श के विषय में मां ही बता सकती हैं. बेटी को चाहिए कि वह ऐसे विषयों पर मां से बिना संकोच बात करें. इस के अलावा बलात्कार व शारीरिक शोषण जैसे मुद्दों पर भी उन से खुल कर बात करें.

सोशल मीडिया से दूरी

यदि मां चाहती हैं कि आप मोबाइल फोन और फेसबुक, व्हाट्सऐप, इंस्टाग्राम, स्नैपचैट व टिंडर आदि ऐप्स से दूरी रखें तो इस में गलत कुछ नहीं है. ये ऐप्स व्यक्ति को समाज के साथ जोड़ने का काम तो करते हैं, किंतु इन में बिजी होने से समय की बरबादी भी बहुत होती है. अत: इन का प्रयोग एक सीमा तक करना ही लाभप्रद है. सुरक्षा के नजरिए से भी ये कभीकभी हानिकारक साबित होते हैं.

मां की मददगार बनें

यदि मां बीमार हैं, मेहमान आए हैं या मां को कोई और काम करना है तो बेटी मदद अवश्य करे. घर के कामों में मां की मदद का अवसर हाथ से न जाने दें. यदि घर पर छोटे भाईबहन हैं तो उन के साथ समय बिताएं.

इलाहाबाद में रहने वाली 14 वर्षीय श्रुति यह सुन कर फूली न समाई कि उस के छोटे भाई कबीर को स्कूल के ‘पोइम रैसिटेशन कंपीटिशन’ में फर्स्ट प्राइज मिला है. जब श्रुति की मां रोज रात को किचन संभालती थीं, तब श्रुति कबीर को कविता बोलने का अभ्यास करवाती थी. बड़ी दीदी बन कर अपनी भैया को अच्छी बातें समझाते हुए श्रुति अनजाने में ही कई जिम्मेदारियां निभाना भी सीख गई.

किसी से तुलना कभी नहीं

यदि मां द्वारा बेटाबेटी में भेदभाव किया जा रहा हो तो उन्हें नारीशक्ति का महत्त्व समझाते हुए बेटियों का स्थान बता दें. उन्हें कोमल शब्दों का प्रयोग करते हुए याद दिलाएं कि वे भी एक स्त्री हैं और परिवार में उन का किरदार कितना अहम है. कभीकभी अपने भैया को मां द्वारा विशेष मान दिए जाने पर ईर्ष्या न करें. ‘पापा की परी’ तो आप ही रहेंगी. हां, समझदारी से लिंगभेद की समस्या का जिक्र करते हुए इस के बुरे प्रभाव जरूर गिना दें.

अकसर मां को शिकायत होती है कि बेटी अपने मित्रों को ही समय देती है, मां को नहीं. अत: मां के साथ समयसमय पर शौपिंग करने, खानेपीने या कहीं आसपास के पर्यटनस्थल पर घूमने जरूर जाएं. मां की करीबी होने पर वे घर के महत्त्वपूर्ण निर्णय में बेटी का पक्ष जानना चाहेंगी और अपने सुखदुख बेटी के साथ साझा करेंगी.

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शुभकामनाएं दे कर बन जाएं दोस्त

बेटी द्वारा दी गई शुभकामनाएं मां के लिए विशेष महत्त्व रखती हैं. अत: बेटी को चाहिए कि वह खास अवसरों पर मां को विश करना न भूलें. ये खास अवसर नया साल, बर्थडे या मम्मी की मैरिज ऐनिवर्सरी हो सकते हैं.

झूठ न बोलें

मां से कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए. यदि कभी झूठ बोला और मां को पता लग गया तो सौरी बोल कर मन में निश्चय कर लें कि मां के साथ भविष्य में ऐसा धोखा कभी नहीं करेंगी.

आराधना अपने बौयफ्रैंड मनन को ले कर अपनी मां से झूठ बोलती रही. अपने सहेली से मिलने के बहाने वह रोज मनन से मिलने चली जाती. यह सिलसिला तब तक चलता रहा जब तक मनन का धोखेबाज चरित्र उस के सामने नहीं आ गया. वह शारीरिक संबंध बनाने के लिए आराधना पर दबाव डालने लगा. यही नहीं, दोनों के अफेयर को ले कर मुंह न खोलने के बदले वह रुपयों की मांग भी करने लगा और इस कारण आराधना ने घर से पैसे भी चुरा लिए.

आखिर तंग आ कर उस ने मां को डरते हुए इस बात की जानकारी दी. मां थोड़ा नाराज तो हुईं, पर उन्होंने मनन के घर वालों से उस की शिकायत कर उसे भविष्य में ऐसा न करने की चेतावनी के साथ पुलिस का भय भी दिखा दिया. आराधना ने तब राहत की सांस ली और आने वाले समय में अपनी मां से सब सच बोलने का निर्णय किया. वह जान चुकी थी कि मां को पहले ही सबकुछ सच बता दिया होता तो ऐसी नौबत ही नहीं आती.

माई मौम इज द बैस्ट

यदि आप अपने मित्रों, रिश्तेदारों व पड़ोसियों के सामने मां की डांट को भुला कर उन के द्वारा की जा रही मेहनत और त्याग को देखेंगी तो सचमुच आप को लगेगा माई मौम इज द बैस्ट.

एक मां और बेटी का रिश्ता सब रिश्तों से अलग, बेजोड़ होता है. बेटी के रूप में मां अपने बचपन को फिर से जीती है.

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