रेटिंग: एक़ स्टार
निर्माता: धर्मा प्रोडक्शंस
लेखक व निर्देशक: अयान मुखर्जी
कलाकारः अमिताभ बच्चन,रणबीर कपूर,आलिया भट्ट,मौनी रौय, नागार्जुन,डिंपल कापड़िया, शाहरुख खान व अन्य.
अवधिः दो घंटे 47 मिनट
जब फिल्मकार किसी खास अजेंडे व डर के साथ कोई फिल्म बनाता है,तो वह रचनात्मकता के साथ ही सिनेमा को भी बर्बाद करता है.ऐसा ही कुछ फिल्मकार अयान मुखर्जी ने अपनी नई फिल्म ‘‘ब्रम्हास्त्र’’ के साथ किया है. धर्म,भारतीय मैथेलौजी, देवताओं के अस्त्र ब्रम्हास्त्र की वैदिक ताकतों के साथ प्यार का घालमेल कर फिल्म कें अंत में ‘प्यार की ताकत को ही ब्रम्हास्त्र बताकर फिल्मकार खुद पूरी तरह से कन्फ्यूज्ड हो गए हैं.
काजोल के चचेरे भाई और बंगला अभिनेता देव मुखर्जी के बेटे और मशहूर निर्माता निर्देशक शशधर मुखर्जी के पोते अयान मुखर्जी ने बतौर स्वतंत्र निर्देशक 2009 में फिल्म ‘‘वेक अप सिड’’ बनायी थी.जिसे काफी पसंद किया गया था. इसके बाद 2013 में अयान मुखर्जी ने बतौर लेखक व निर्देशक फिल्म ‘‘यह जवानी है दीवानी’’ बनायी थी. रणबीर कपूर के अभिनय से सजी इस फिल्म को जबरदस्त सफलता मिली थी. चालिस करोड़ की लागत में बनी इस फिल्म ने
319 करोड़ रूपए कमाए थे. उसके बाद अयान मुखर्जी ने रणबीर कपूर को ही लेकर हौलीवुड फिल्म ‘‘अवेंजर्स’’ को टक्कर देने के लिए तीन भाग वाली फिल्म ‘‘ब्रम्हास्त्र’’ का निर्माण शुरू किया था, जिसका पहले नाम था-‘‘ड्रैगन’’. पिछले नौ
वर्ष के अंतराल में इस फिल्म के कथानक में कई बार बदलाव किए गए और फिल्म को कई बार रीशूट/ दोबारा फिल्माया गया. ऐसा उन्होने क्यों किया,यह तो वही जाने. पर ‘‘ब्रम्हास्त्र भाग एक -शिवा’’ देखकर अहसास होता है कि अयान मुखर्जी ने इस फिल्म को एक खास अजेंडें के साथ बनाना शुरू किया था, मगर 2014 में सरकार बदलने के साथ जिस तरह से देश में बदलाव आते गए, उसके अनुरूप डर कर वह अपने अजेंडें के साथ ही धर्म को भी बेचने का प्रयास किया. इस तरह 410 करोड़ में बनी ‘ब्रम्हास्त्ऱ भाग एक शिवा’’ एक ऐसी खिचड़ी बन गयी, जिसमें न कोई स्वाद रहा और ही इसके खाने यानी कि फिल्म को देखने से मनोरंजन की भूख ही मिटती है.बल्कि फिल्म ‘‘ब्रम्हास्त्र’’ को देखना पैसे की बर्बादी व मानसिक यातना ही है. फिल्म की कहानी व पटकथा पूरी तरह से भ्रमित करती है. शायद खुद फिल्म सर्जक भी भूल गए कि वह दर्शकों से क्या कहना चाहते हैं.
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कहानीः
फिल्म की शुरूआत में सूत्रधार की आवाज आती है,जो कि बताता है कि हजारों वर्ष पहले पूरे ब्रम्हांड को सुरक्षित रखने के लिए योगी मुनियों ने ‘ब्रम्हास्त्र’ की रचना की थी.कालांतर में इसके तीन टुकड़े हो गए.इन तीनों टुकड़ों की सुरक्षा करने की जिम्मेदारी ब्रम्हास को दी गयी.‘ब्रम्हास’ एक मठ है,जिसके मुखिया गुरू (अमिताभ बच्चन) के अंदर कई लोग हैं. जो कि वर्तमान समय में समाज में अलग अलग रूप में कार्यरत है. गुरू हर सदस्य को कुछ शिक्षा व कुछ
शक्तियां देकर ‘ब्रम्हास्त्र’ के तीनों टुकड़ों की सुरक्षा के साथ अपने काम को करते रहने के लिए समाज में भेजते रहते हैं,पर वह अपनी दिव्यशक्ति के बल पर हर किसी के संपर्क में बने रहते हैं.
पूरी कहानी शिवा (रणबीर कपूर) और ब्रम्हास्त्र की है. शिवा एक अनाथ लड़का है, जो कि एक ईवेंट कंपनी के साथ डी जे के रूप में काम करता है.फिल्म की शुरूआत होती है ब्रम्हास्त्र के ही सदस्य व वैज्ञानिक मोहन (शाहरुख खान) की आधुनिक प्रयोगशाला में जुनून के कुछ गुंडों के पहुंचने से, जो उससे ब्रम्हास्त्र की मांग कर रहे हैं. वैज्ञानिक मोहन और उन दो गुंडो के बीच युद्ध होता है. दोेनों के पास अपनी अपनी शक्तियां हैं. पर अंततः मोहन की मौत हो जाती है.
खबर आती है कि मोहन ने अपनी बालकनी से कूदकर आत्महत्या कर ली और मोहन की शक्तिशाली पायल पर काली शक्तियों का कब्जा हो जाता है. इसके बाद गणेश उत्सव में अपने साथियों के साथ शिवा नृत्य करते हुए नजर आता है. फिर विशाल दशहरे के आयोजन में शिवा की नजर एक अमीर लड़की ईशा (आलिया भट्ट) पर पड़ती है. दोनों के बीच पहली नजर में ही प्यार हो जाता है. उसके बाद एक अमीर की जन्मदिन पार्टी में नाटकीय ढंग से शिवा व ईशा मिलती है. फिर ईशा,शिवा के साथ अनथालय के बच्चे के जन्मदिन मनाने के लिए जाती है.
यहां दर्शकों को अहसास होता है कि शिवा के पास ऐसी ताकत है, जिससे उसे पता चलता रहता है कि कब क्या होने वाला है. बच्चे का जन्मदिन मनाते हुए शिवा को सपने में दिखता है कि मोहन भार्गव की कुछ शैतानी शक्तियों ने हत्या की है. यही नहीं आगे उनके इरादे और भी खतरनाक हैं. उसके बाद शिवा, ईशा की एक पार्टी में जाता है. उसे अहसास होता है कि पार्टी में एक कलाकार है, जिसे दो गुंडे मारना चाहते हैं. वह ईशा से कहता है कि उस कलाकार को बचाना है.
वह कलाकार की तलाश करते हैं और उसे सवाधान करते हैं, पर गुंडे पहुंच जाते हैं. इनके पास अद्भुत अस्त्रों की ताकत है. अंततः वह कलाकार अपने पास के ब्रम्हास्त्र के एक टुकड़े को शिवा व ईशा को देते हुए कहता है कि वह दोनो इसे ब्रम्हास्त्र के मठ के गुरू तक सुरक्षित पहुंचा दे. इसी बीच जुनून व उसके गुंडे भी इनका पीछा करते हैं. दोनो सुरक्षित ब्रम्हास्त्र के मठ में पहुंच जाते हैं. जहां शिवा को अपने माता पिता अमृता व देव के बारे में पता चलता है.
अब शिवा व ईशा भी ब्रम्हास्त्र की सुरक्षा की जिम्मेदारी ले लेते हैं. काली शक्ति जुनून व उसके शातिर बदमाशों से युद्ध चलता है. पर पहली लड़ाई जीत जाते हैं.
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लेखन व निर्देशनः
‘ब्रम्हास्त्र’ में फिल्मकार ने पहली बार बहुत बड़े स्तर पर वीएफएक्स के माध्यम से कहानी को गढ़ने का प्रयास किया है. मगर कई जगहों पर वीएफएक्स भी अति बोझिल लगता है. थ्री डी में फिल्म का इंटरवल से पहले का हिस्सा कुछ उम्मीदें बढ़ाता है. इंटरवल से पहले फिल्मसर्जक ने गणेश उत्सव व दशहरे के माध्यम से धर्म को बेचने के सारे उपक्रम कर लिए हैं.
मगर भद्दे लेखन से युक्त कहानी व पटकथा अति कमजोर और दिग्भ्रमित करने वाली है. वैज्ञानिक का किरदार निभाने वाले अभिनेता शाहरुख खान के साथ के एक्शन दृश्य अति धीमे व कमजोर हैं. यह कहीं से प्रभावित नहीं करते. तो शुरूआत में ही दर्शक को निराशा हाथ लगती है.
फिर इंटरवल तक प्रेम कहानी कुछ हद तक दर्शकों को बांधकर रखती है, मगर इंटरवल के बाद फिल्मकार अपनी फिल्म से पकड़ पूरी तरह से खो देते हैं. शिवा व ईशा की प्रेम कहानी का ‘ब्रम्हास्त्र’ की कहानी के साथ कोई संबंध नजर नहीं आता.
अयान मुखर्जी ने मार्वल व अवेंजर्स की नकल करने का असफल प्रयास किया है. यदि बुरे लोगों के पास सुपर पावर की ताकत है, तो वह मानव निर्मित मशीनगनों का उपयोग क्यों करते हैं?
शिवा का अग्नि (अग्नि) के साथ एक अजीब संबंध समझ से परे हैं. बताया गया कि वह अग्निअस्त्र का वाहक है. फिल्म का क्लायमेक्स देखकर दर्शक अपना सिर पकड़ कर बैठ जाता है.
कम से कम अयान मुखर्जी से इतने घटिया क्लायमेक्स की उम्मीद नहीं थी, पर जो फिल्मकार अपनी कहानी व पटकथा पर अपना नियंत्रण न रख पाया हो, वह क्लायमेक्स कैसे अच्छा गढ़ता. फिल्म में सिर्फ कमियां व गड़बड़ियां ही हैं.
फिल्म के संवाद औसत दर्जे से भी कमतर हैं. शिवा के संवादों की शुरुआत में ‘टपोरी‘ शब्द है. आखिर इस तरह के शब्द कहां से आते हैं. शिवा, ईशा से कहता है- ‘‘‘जल गई तुम मेरे प्यार में‘’’ और आलिया कहती है-‘‘कबकी’’.. अब इन संवादों को किस श्रेणी में रखा जाए.
कुल मिलाकर फिल्म ‘‘‘ब्रह्मास्त्र पार्ट वन-शिवा’’ कुछ फैंटसी, कुछ माइथोलॉजिकल, कुछ प्रेम कहानी, वानर अस्त्र, नंदी अस्त्र, अग्नि अस्त्र, कुछ एडवेंचर, कुछ देसी सुपरहीरो और कुछ धर्म बेचने की कवायद का कचूमर ही है. फिल्मकार ने बहुत बड़े पंडाल में गणेशोत्सव,दुर्गा उत्सव/ नवरात्रि, दशहरा, दीवाली उत्सव वगैरह सब कुछ दिखा डाला.
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अभिनयः
ईशा के किरदार में आलिया भट्ट का अभिनय ठीक ठाक है. शिवा के किरदार में रणबीर कपूर प्रभावित नहीं करते. लेकिन आलिया व रणबीर के बीच कोई केमिस्ट्री नजर ही नहीं आती.
अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान व नागार्जुन जैसे मंजे हुए कलाकारों की प्रतिभा को जाया किया गया है. जुनून के किरदार में मौनी रौय का अभिनय ठीक ठाक ही है.