मशहूर पूर्व क्रिकेटर व गेंदबाज बिशन सिंह बेदी के बेटे अंगद बेदी बौलीवुड के चर्चित अभिनेता हैं. उन्होने अभिनेत्री नेहा धूपिया संग विवाह रचाया था और उनकी लगभग दो वर्ष की उम्र की बेटी मैहर है. जहां तक कैरियर का सवाल है, तो अंगद बेदी को फिल्म ‘पिंक’से बतौर अभिनेता पहचान व शोहरत मिली. उसके बाद वह ‘डिअर जिंदगी’, ‘टाइगर जिंदा है’, ‘सूरमा’, ‘द जोया फैक्टरी’और ‘गुंजन सक्सेनाः द कारगिल गर्ल’जैसी फिल्मों के अलावा ‘इनसाइड एज’ व ‘द वर्डिक्ट’ जैसी वेब सीरीज में धमाल मचा चुके हैं. 12 नवंबर से ‘आल्ट बालाजी’ और ‘जी 5’ पर एक साथ प्रसारित हो रही वेब सीरीज ‘मुम भई’ को लेकर चर्चा मैं हैं, जिसमें उन्होने इनकाउंटर स्पेशलिस्ट का किरदार निभाया है.
प्रस्तुत है अंगद बेदी के साथ फोन पर हुई एक्सक्लूसिब बातचीत के अंश. .
कलाकार के तौर पर लॉक डाउन का आपके उपर कितना असर हुआ?
-इसका असर सिर्फ हम कलाकारांे पर ही नहीं, हर इंसान पर हुआ. कितने लोगों को अपनी जिंदगी से हाथ धोना पड़ा. कितने लोग भूखे मरे, कितने लोगों ने अपनी नौकरी गवाई. कितने लोगों को तनख्वाह नहीं मिली. हमारे देश की अर्थव्यवस्था नगेटिव हो गई और ऐसा तो हर देश में विदेश में सभी जगह हुआ है. मुझे लगता है कि कोरोना व लॉक डाउन में लोगों ने अपनी जिंदगी का सबसे बुरा अनुभव हासिल किया. अब हमें एक दूसरे की मदद करनी पड़ेगी. एक दूसरे के प्रति थोड़ा सा कंसर्ड दिखाना पड़ेगा. एक दूसरे को सहानुभूति देनी पड़ेगी. हमारे माता पिता ने हमें बचपन में जो शिक्षा दी थी कि एक दूसरे की मदद करो, वह सारी चीजें अब हमें याद आ गयीं. क्योंकि आज के समय में इंसान बहुत ज्यादा सेल्फिश हो गया है. सिर्फ अपने बारे में सोचता है. यह हमारे कर्म का फल ही है. जो हमने कर्म हमने किए हैं, उसी का फल अब हमें मिल रहा है.
कोरोना के समय के अनुभवों के बाद आपने क्या बदलाव करने के बारे में सोचा है?
-बदलाव क्या है?मैं स्पोर्ट्स और अनुशासित पृष्ठभूमि से आया हूं. उसी दायरे में रहता हूं, जिस ने मुझे सिखाया बहुत कुछ सिखाया है कि किस तरह से शांत रहना चाहिए. इंसान की कद्र करना सिखाया है. अपने परिवार की कद्र करना सिखाया है. अपने बुजुर्गों की कद्र करना सिखाया है. अपने घर वालों, माता-पिता, अपने दोस्तों की कद्र करना सीखा है. जो सारी चीजें हमें सिखाई गयी थीं, वह आज वापस सब चीजें कर रहे हैं. मुझे ऐसा लगता है कि सीखने में तो यही होता है कि बहुत बड़ी जिंदगी मिली है. अगर आपको इतनी ज्यादा लोकप्रियता, इतनी ज्यादा पैसे मिले हैं, लोग आपकी वाह वाह करेंगे. पर कोरोना में कहां कहां है पैसा?अमीर इंसान भी रुका हुआ है और गरीब से गरीब इंसान भी रुका हुआ है. आज सभी एक समान स्तर पर आ गए हैं.
अब तक आपने जो मुकाम बनाया है, उससे कितना खुश हैं?
-वास्तव में मैने पांच वर्ष कठिनसंघर्ष किया. फिर‘पिंक’से अपना करियर बनाने में कामयाबी हासिल की. मुझे एहसास हुआ कि अंततः यदि आप दीर्घायु चाहते हैं, तो आपको एक अच्छा अभिनेता बनना होगा. व्यावसायिक सफलता या स्टारडम का पीछा करना एक गलत खेल होगा. मेरा उद्देश्य हमेशा अपने आप को एक अभिनेता के रूप में स्थापित करना था. इस मकसद में कामयाब होने के मकसद से मैंने अपने कौशल को सुधारने के लिए कड़ी मेहनत की. मेरे लिए संघर्ष बहुत मायने रखता है.
क्या कोरोना महामारी के बीच शूटिंग की. यह कितना तनावपूर्ण था, क्योंकि आपके घर में एक छोटी बेटी भी थी?
-जी हां! यह बहुत कठिन था. हमेशा एक डर होता है कि आप घर में पत्नी और बच्चे हैं. लेकिन हम कलाकार हैं, हमें बाहर जाकर काम तो करना ही पड़ता है. मैं ही क्यों प्रति दिन की आय आप पर निर्भर हर इंसान जोखिम उठाकर काम कर रहा है. पर मैं बहुत सतर्क था और अपनी बेटी से दूर रहा जब तक मैं शूटिंग कर रहा था.
वेब सीरीज‘‘मुम भाई’’के बारे में ऐसा क्या था कि आपने इसे करने के लिए हामी भर दी?
-यह एकता कपूर का प्रोडक्शन है, उनके साथ ‘द वर्डिक्ट’के बाद मेरी दूसरी वेब सीरीज है. वह अच्छे कार्यक्रम बनाती हैं. इसके अलावा यह दलित व्यक्ति भास्कर शेट्टी की कहानी है. अपूर्व लाखिया और लेखकों की उनकी टीम ने पटकथा पर अच्छा काम किया है, जो इस आदमी के उत्थान को चित्रित करती है. इसके अलावा मेरे सामने इस वेब सीरीज को अपने कंधे पर ले जाने की सबसे बड़ी चुनौती थी. यह भास्कर शेट्टी की यात्रा का चित्रण करती है, जो शहर के भाई बन जाते हैं. डॉंन नही बल्कि पुलिस विभाग का इनकाउंटर स्पेशलिस्ट होते हुए भी लोग उसे ‘भाई’कह कर बुलाते हैं.
किरदार को लेकर क्या कहेंगें?
-जिन लोगों ने अब तक इस वेब सीरीज को देख लिया होगा, उनकी समझ में आ गया होगा कि यह वास्तव में एक आम व साधारण लड़का है, जिसके पास खुद के लिए बड़ी आकांक्षाएं हैं. भास्कर पुलिस अधिकारी बनने का शौक रखते है और मेहनत से एनकाउंटर स्पेशलिस्ट बन जाता है. खुद की खोज करते हुए वह सिनेमा से भी मोहित हो जाते हैं. वह दावा करते हैं कि एक दिन उस पर एक फिल्म बनाई जाएगी. वह अति महत्वाकांक्षी है.
वह असली नायक है, जो देश हित में सराहनीय काम कर रहे हैं. उनमें से अधिकांश को कई बाधाओं और बाधाओं को दूर करना होता है. मेरा उन लोगों के लिए यह एक अलग तरह का सम्मान है, जिन्होंने अपना जीवन लाइन पर लगा दिया. इसलिए मैं उन किरदारों को चुनने की कोशिश करता हूं जिनमें मैं उस आनंद को महसूस कर सकता हूं. यही बात ‘मुम भाई’ में भी हुई, जहाँ भास्कर को इतनी परेशानियों का सामना करना पड़ा कि आखिरकार वह अधिकारी बन ही गया जिसकी वह हमेशा से ख्वाहिश रखता था.
सिकंदर खेर के साथ आपकी केमिस्ट्री की भी काफी चर्चा है?
-सिकंदर खेर के साथ काम करना बहुत सुखद अनुभव रहा. वह वास्तव में अपनी यात्रा को महत्व देते हैं और कड़ी मेहनत करते हैं. इसके अलावा वह बहुत प्रतिभाशाली व अच्छे कलाकार हैं. हम एक दूसरे के संघर्ष को बेहतर समझते हैं. हमने इसी तरह के उतार, चढ़ाव और वापसी भी देखी है.
आप स्पोर्ट्स पर्सन रहे हैं. आपने क्रिकेट काफी खेला है और अब आप कलाकार बन गए हैं?
– जी नहीं!मैं क्रिकेटर से अभिनेता नहीं बना हूं. मैं अभिनेता ही था और अभिनेता ही हूं. लेकिन मैं एक स्पोर्ट्स के घराने से हूं. लेकिन मैंने बहुत ही कम यानीकि 16 वर्ष की उम्र तक क्रिकेट खेला हूं. यह महज अपनी खुशी के लिए खेलता था.
पढ़ने का शौक है या नहीं?
-पढ़ता हूं.
किस तरह की चीजें पढ़ना पसंद है?
-मैं खेल जगत से जुड़ी किताबे पढ़ता हूं. लोगों की औटोबायोग्राफी पढ़ता हूं. मैंने काफी चीजें पढ़ी हैं. बचपन से ही पढ़ने का शौक रहा है. मेरे पिताजी की अपनी खुद की लाइब्रेरी थी, जिसमें मैं स्पोर्ट्स पर आधारित किताबे व अन्य साहित्य पढ़ता था. लोगों की कहानियां पढ़ता था कि वह किस तरह से आगे बढ़े. मुझे लोगों की उन्नति की राह जानने में बड़ी उत्सुकता थी. मैंने सुनील गावस्कर की किताब पढ़ी. अमिताभ बच्चन जी की किताब पढ़ी, जो कि उन्होने स्वयं मुझे अपनी भेंट की थी. प्रिंसेस डायना की जीवनी पढ़ी. टीवी पर भी काफी डॉक्यूमेंट्री देखता हूं. मैंने अभी माइकल जॉर्डन की देखी थी, जो मुझे बहुत पसंद आई.
आपके दिमाग में कोई ऐसा खिलाड़ी है, जिसका किरदार आप पर्दे पर निभाना चाहते हैं?
-पर्दे पर निभाना तो काफी आसान है. मुझे लगता है कि सौरव गांगुलीकी जिंदगी काफी रोचक है, मुझे नहीं पता मुझे उन पर आधारित फिल्म में अभिनय करने का मौका मिलेगा या नहीं?लेकिन मैं उनकी बायोपिक को परदे पर देखना चाहूंगा. युवराज सिंह, विश्वनाथ आनंद की जिंदगी को भी परदे पर देखना चाहूंूगा. उन्होंने बहुत ही ज्यादा नाम कमाया है. यह वह नाम हैं, जिन्हें पर्दे पर देख कर मजा आ सकता है.
आपके पिताजी की ऐसी कौन सी सलाह थी, जिसने आपको बहुत ज्यादा बदला?
-सच कहूं, तो उन्होंने मुझे एक बात बहुत अच्छी सिखाई कि अपने काम में सच्चाई लाओ, इमानदारी लाओ और वह आपके काम में दिखनी चाहिए. अगर आप अपने काम में अच्छे व सच्चे रहोगे, तो सब कुछ सही होगा. और आप आगे बढ़ोगे. तो मैं पूरी कोशिश करता हूं कि मैं जिस क्षेत्र में में भी काम करूं, मैं अपने हर संवाद को पूरी सच्चाई पूरी इमानदारी से बोलता हूं.
कभी कुछ लिखने की इच्छा नहीं होती?
-अभी तक तो ऐसा नहीं हुआ है, जिस दिन इच्छा होगी, उस दिन कुछ लिख भी लेंगे. आयुष्मान खुराना बहुत अच्छा लिखते हैं. वह कविताएं भी बहुत अच्छी लिखते हैं.
आपकी उनसे कभी बात हुई?
-मैं उन्हें बहुत अच्छे से जानता हूं. वह मेरे काफी करीबी दोस्त हैं. हमारे काफी अच्छे पारिवारिक संबंध हैं.
सोशल मीडिया पर क्या लिखना पसंद करते हैं?
-देखिए, जो मेरे लिए रोचक होता है, वह मैं हमेशा से लिखता आया हूं. मुझे विश्व की खबरें, क्रिकेट से जुड़ी खबरें फॉलो करना पसंद है. मैं बॉलीवुड को भी फॉलो करता हूं. ट्वीटर पर भी मैं काफी लोगों को फॉलो करता हूं. उनके विचारों को पसंद करता हूं. लोग इंस्टाग्राम पर क्या डालते हैं, वह भी मुझे देखना पसंद है. वह किस तरह से अपने जीवन की बातें कैसे इंस्टाग्राम पर व्यक्त करते हैं, वह मुझे पसंद है.
आपकी रूचि राजनीति में भी है. इस समय देश की जो सामाजिक और राजनीतिक स्थिति है, उसको लेकर आप क्या सोचते हैं? किस तरह के सुधार की जरूरत है?
-मैं कोई राजनेता नही हूं. लेकिन मैं जिस तरह से देखता हूं, तो यही सोचता हूं कि जब मेरी बच्ची बड़ी होगी?तो क्या मैं यही चाहूंगा कि वह इस तरह के माहौल में बड़ी है? यह बात हमारे हमेशा मेरे दिमाग में एक प्रश्न चिन्ह की तरह घूमता रहता है कि कहां से हम किस चीज को अपनी सुविधा के लिए उपयोग करते हैं?फिर चाहे वह मीडिया हो या कोई पॉलीटिकल पार्टी हो. जो कुछ कर रहे हैं, वह बिल्कुल भी सही नहीं है. हमें एक दूसरे के प्रति लगाव की भावना लानी चाहिए. हम लोग जितना मैनीप्युलेशन करते हैं, वह नहीं होना चाहिए. लोग मैनीप्युलेशन के बिना भी अच्छा काम कर सकते हैं.
आपकी बेटी अभी बहुत छोटी है. आप उसे कितना समय देते हैं और उसमें आपको क्या खास बात नजर आती है?
-मैं उसे पूरा समय देता हूं. मैं और मेरी पत्नी नेहा धूपिया में से कोई ना कोई हमेशा उसके साथ रहता है. उसकी वजह से ही हमारी जिंदगी में खुशियां हैं, उसकी वजह से ही हमारी जिंदगी में भगवान की कृपा हुई है. चाहे फिर वह निजी जिंदगी हो या काम हर जगह खुशियां आई हैं. प्रोफेशनली मेरी जिंदगी में तरक्की हुई है और यह सब कुछ मेरी बच्ची का आशीर्वाद है.