क्या एक माँ अपनी बेटी की हत्या होते देख सकती है? क्या वह इसका बदला आज की तारीख में नहीं लेगी ? फिल्म नहीं रियल लाइफ में भी क्या कोई माँ इसका विरोध कर उसे सजा देना नहीं चाहेगी, जो महिला को कमजोर समझने की गलती करते है?प्रशासन,समाज और परिवार भी उन महिलाओं का साथ नहीं देती और जलील करती है, ऐसे में उस माँ को क्या करने की जरुरत है?ऐसी ही कुछ बातों का जिक्र कर रही थी, प्रसिद्ध टीवी अभिनेत्री साक्षी तंवर जिनकी वेब सीरीज ‘माई’ रिलीज हो चुकी है, जिसमें उनके अभिनय को बहुत तारीफ़ मिल रही है.
अभिनेत्री साक्षी तंवर ने हमेशा ही अपनी किरदार को उम्दा अभिनय से सजीव किया है, जिसे दर्शक अपनी कहानी समझ बैठते है. धारावाहिक ‘कहानी घर घर की’ सीरियल में मुख्य भूमिका ‘पार्वती’ की निभाने वाली अभिनेत्री साक्षी तंवर को आज पूरा देश जानता है. इस धारावाहिक को देश के लगभग सभी तबकों में देखा गया और पार्वती लगभग हर घर की हिस्सा बन गयी थी.अभिनेत्री साक्षी तंवर राजस्थान की है औरउन्हें बचपन से ही अभिनय की इच्छा थी, इसलिए उन्होंने पहले कॉलेज की नाटकों में भाग लेना शुरू किया. अभिनय की शुरुआत उन्होंने यही से किया था, लेकिन इसमें निर्माता एकता कपूर की एक बड़ी ब्रेक ने उन्हें टीवी इंडस्ट्री का स्टार बना दिया. इसके बाद से उन्होंने जो भी काम किये, सभी में सफल रही.
छोटा पर्दा ही नहीं, बड़े पर्दे पर भी उनके अभिनय की चर्चा है. साक्षी ने जीवन में कभी कोई प्लानिंग नहीं की, जो काम जैसे आता गया, उसे ग्रहण करती गयी. साक्षी अपने परिवार के बेहद करीब है और हर फैसले को लेने से पहले माता-पिता से चर्चा करती है. धारावाहिक ‘बड़े अच्छे लगते हो’ में उन्होंने राम कपूर के साथ एक किसिंग सीन देकर कंट्रोवर्सी की शिकार हुई, लेकिन वह इस ओर अधिक ध्यान नहीं देती.अभी वह सिंगल मदर बन चुकी है उन्होंने एक लड़की दित्या तंवर को अडॉप्ट किया है. विनम्र और हंसमुख स्वभाव की साक्षी Netflix पर वेब सीरीज ‘माई में मुख्य भूमिका माँ की निभाई है,जो अपनी बेटी की हत्या करने वाले को सबक सिखाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है. उनसे ज़ूम पर बात करना बहुत रोचक था, पेश है कुछ खास अंश.
सवाल – अभिनय की प्रेरणा कहाँ से मिली?
जवाब – मैं आईपी एस की तैयारी कर रही थी, साथ ही सॉफ्टवेर इंजीनियर का कोर्स कर रही थी और मैंने कभी अभिनय करने की कोशिश नहीं की थी, लेकिन नियति मुझे यहाँ ले आई है. मेरी दोस्त का एक म्यूजिक पर आधारित कार्यक्रम ‘अलबेला सुरबेला’ दूरदर्शन पर थी, उसकी को-एंकर नहीं आई, तो उन्होंने मुझे बुला लिया, उस समय मोबाइल नहीं थी. मैं दिल्ली में घर पर थी, उन्होंने मुझे बुलाया और मैंने उसे किया. यही से मेरी जर्नी शुरू हुई, क्योंकि मुझे देखकर लोगों ने ऑफर दिया और आज मैं यहाँ पर हूं.
सवाल – परिवार का सहयोग कितना रहा?
जवाब – परिवार का सहयोग हमेशा से रहा, इसलिए मैं इतने सालों तक काम कर पाई. मेरे परेंट्स से लेकर भाई-बहन, फ्रेंड्स सबका सहयोग किसी न किसी रूप में मिला है. सबकी सहयोग के बिना सफलता पूर्वक काम करना मुश्किल होता है.
सवाल – इस वेब सीरीज को करने की खास वजह क्या रही?
जवाब – इसकी थीम मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी, क्योंकि किसी भी माँ के लिए बच्चे की देख-भाल कितनी अहम होती है और बच्चे को कोई कुछ भी कह दें , तो माँ सबसे पहले लड़ने के लिए तैयार हो जाती है. इसकी कहानी भी वैसी ही प्रेरणादायक सभी माओं के लिए है. इसमें मेरी बेटी को मेरी आँखों के सामने एक ट्रक वाला आकर कुचल देता है, जिसे सभी एक दुर्घटना कहते है,लेकिन माँ को नहीं लगता है कि वह एक दुर्घटना है और वह पता करने की कोशिश कर रही है कि उसकी बेटी के साथ ऐसा क्यों हुआ? जब मुझे इसकी कहानी सुनाई गई तो मेरे रोंगटे खड़े हो गए थे, क्योंकि किसी भी माँ के लिए ऐसी घटना अकल्पनीय होता है, उसके आँखों के सामने बच्चे की मृत्यु हो जाती है. इस चरित्र का ग्राफ बहुत ही कमाल का है. एक अच्छी माँ जो सबको सम्हाल रही है, कैसे इतनी क्रूर बन जाती है,उसे दिखाया गया है.
सवाल –रियल लाइफ में आप एक सिंगल मदर है, लेकिन ऐसी माँ की भूमिका निभाना कितना चुनौतीपूर्ण था?
जवाब –निर्देशक के साथ बहुत सारे वर्कशॉप हुए, मुख्य दृश्यों को लेकर चर्चा की गयी. साथी कलाकारों के साथ मिलकर उनके सुझाव लिए, इससे अभिनय करना आसान हो गया, क्योंकि एक सीधी-सादी औरत को क्रूर बनना आसान नहीं था.
सवाल – इस भूमिका से तो आप रिलेट नहीं कर पाती, लेकिन क्या आपके माँ बनने के बाद से इमोशन्स को समझने में आसानी हुई?
जवाब – किसी कलाकार के लिए किसी किरदार को निभाने के लिए वैसा बनने की जरुरत नहीं होती, क्योंकि मैंने बहुत कम उम्र में माँ, नानी, दादी की भूमिका निभाई है. एक कलाकार के लिए वही चरित्र चैलेंजिंग होती है, जिसका उससे कोई नाता न हो. यही अभिनय इंडस्ट्री की एक ब्यूटी है, जिसमे आप खुद से बड़ा और छोटा दोनों भूमिकाएं निभा सकते है. ये कहानी एक फिक्शनल चरित्र है और एक काल्पनिक कथा है, जिसमे बच्चे को तकलीफ पहुँचाने वाले अपराधी की सूरत क्या हो सकती है, इसे बताने की कोशिश की गयी है.
सवाल – बेटी और काम के साथ सामंजस्य कैसे कर रही है?
जवाब – बेटी के साथ बहुत अच्छा समय बीत रहा है. अभी मुझे समय भी अधिक मिल जाता है, क्योंकि अभी मैं टेलीविजन पर काम नहीं करती. बीते दो साल कोविड में मैंने बेटी और पेरेंट्स के साथ काफी समय बिताया. इसके अलावा थोड़ी अब बड़ी हो चुकी है, इसलिए थोड़ी समझदार भी है. इसके अलावा कोविड की वजह से माई फिल्म की शूटिंग थोड़े – थोड़े समय बाद हो रही थी, इससे समय काफी मिला.
सवाल – आप अपनी जर्नी से कितना संतुष्ट है, कोई मलाल रह गया है क्या?
जवाब –मैं अपनी पहली शो से ही संतुष्ट हूं, कभी मैंने इतना सोचा भी नहीं था, जितना मुझे मिला है. जो भी मेरे साथ होता गया, मैं करती गयी और दर्शकों का साथ मिलता रहा, इसलिए कोई रिग्रेट नहीं है. देखा जाय तो मैं अपनी पहली शो से ही बहुत संतुष्ट थी. मैं दर्शकों की शुक्रगुजारहूं, क्योंकि उन्होंने मेरी हर अभिनय को देखा, सराहा और मुझे हमेशा अच्छा करने के लिए प्रेरित किया.
सवाल –महिलाएं इतनी आगे बढ़ जाने के बावजूद भी उन्हें अत्याचार, घरेलू हिंसा, रेप जैसी वारदातों का सामना करना पड़ रहा है,इसकी जिम्मेदार किसे मानती है, समाज, परिवार या धर्म?
जवाब – इन समस्याओं से निपटने के लिए सबको समग्र रूप से काम करने की जरुरत है. किसी एक अकेले को जिम्मेदार मानना ठीक नहीं. समग्र रूप से काम करने पर उसका समाधान भी समग्र ही होगा.
सवाल – कई बार आपको कंट्रोवर्सी का सामना करना पड़ा, इसे कैसे लिया?
जवाब –जब आप किसी डेस्टिनेशन के लिए सफर करते है, तो रास्ते में आये स्टेशन को पीछे छोड़ देना पड़ता है और मैं भी वैसा ही करती हूं.
सवाल – आपका अपनी माँ से रिश्ता कैसा रहा है, आप क्या मिस करती है?
जवाब –माँ बेटी के रिश्ते से बढ़कर कोई दूसरा रिश्ता नहीं होता. इसे मैं तब अच्छी तरह से समझ पाई, जब मैं खुद माँ बनी. मेरी माँ सबको खाना खिलाकर खुद अंत में खाती थी, अगर किसी कारणवश घर आने में देरी होती थी, तो भी वह इन्तजार करती थी. मैंने कई बार उन्हें खा लेने के लिए कहा,पर उन्होंने हमेशा कहा कि तुम जिस दिन माँ बनोगी उस दिन इसे समझ पाओगी, ये वाकई सही था, आज मैं इसकी गहराई को समझती हूं. मैं बहुत खुशनसीब हूं, क्योंकि मैं अपनी परिवार के साथ रहती हूं. मेरी माँ और बेटी के साथ रहने का अनुभव बहुत अच्छा होता है.
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