मायोसाइटिस को समझने में ना करें देरी ,समय रहते इलाज है जरूरी

Myositis: हाल ही में दंगल फ़िल्म कि छोटी बबिता का रोल अदा करने वाली सुहानी भटनागर की मौत का कारण बनी एक ऐसी बीमारी जो 10 लाख लोगो में किसी एक को होती है. इस बीमारी का नाम है डर्मेटोमायोसाइटिस. यह मायोसाइटिस का एक प्रकार है।मायोसाइटिस एक तरह की ऑटो इम्यून डिजीज है.

इस बीमारी में सबसे ज्यादा मांसपेशियां कमज़ोर होने लगती हैं यह रोग त्वचा के साथ साथ शरीर के किसी भी अंग को अपनी चपेट में लें लेता है.इस बीमारी के कारण पीड़ित को उठने – बैठने,चलने में परेशानी होती है अगर समय रहते बीमारी का इलाज ना हो तो मरीज की जान भी जा सकती है.

जाने क्या है मायोसाइटिस

आमतौर पर यह समस्या 40 से 60 साल की उम्र के लोगो को होती है लेकिन कई बार बच्चे भी इसका शिकार हो सकते हैं. यह बीमारी इम्यून सिस्टम पर वार करती है जिस कारण हमारा शरीर बीमारियों से लड़ने में असमर्थ हो जाता है और ऐसे एंटीबाडी डेवलप होने लगते हैं जो मांसपेशियों को कमजोर करते हैं.

मायोसाइटिस के कारण

किसी वायरस द्वारा इन्फेक्शन होना,रूमेटाइड अर्थराइटिस
दवाई का साइड इफ़ेक्ट, लुपस ,स्क्लेरोडर्मा इस बीमारी के मुख्य कारण हैं.

लक्षण

इस बीमारी के आम लक्षण है मांसपेशियों में दर्द रहना कंधे,कूल्हे, गर्दन, के आसपास दर्द होना,सांस फूलना,स्किन पर रेशेज का होना,रोजमरा की क्रिया करने में परेशानी आना, घुटने,पाँव, नाखुनो के आसपास सुजन व दर्द होना. कई बार इसके लक्षण सामन्य लगते है और जब बीमारी घातक हो जाती है तब पता चलता है समय रहते इलाज मिलने से मरीज को ठीक किया जा सकता है.

मायोसाइटिस के प्रकार

डर्मेटोमायोसाइटिस
इंक्लूजन-बॉडी मायोसाइटिस
जूवेनाइल मायोसाइटिस
पोलिमायोसाइटिस
टॉक्सिक मायोसाइटिस
मायोसाइटिस का इलाज
मायोसाइटिस के लिए कोई सटीक इलाज नहीं है, इसलिए उचित इलाज का पता लगाने के लिए डॉक्टर को कई अलग-अलग इलाज प्रक्रियाओं का इस्तेमाल करके देखना पड़ता है।जिसके लिए मांसपेशियों की बायोप्सी इलेक्ट्रोमायोग्राफी,एमआरआई,ब्लड टेस्ट,मायोसाइटिस स्पेसिफिक एंटीबॉडी पैनल टेस्ट व जेनेटिक टेस्ट करके पता लगाया जाता है कि किस तरह का मायोसाइटिस है और और तब इलाज शुरू किया जाता है.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें