बुरी नजर (Evil Eye) कई लोग इस पर पूरा विश्वास करते हैं और कुछ लोग ऐसे है जो मन ही मन इस पर विश्वास करते तो है पर दिखाते नहीं.
हमारे आसपास इतनी सारी चीज़े होती है जिससे कई बार हमें बुरी नजर की उपस्तिथि पर विश्वास हो जाता है जैसे कभी-कभी बच्चे अचानक बीमार पड़ जाते हैं या दिनभर रोने लग जाते हैं. हमारे बड़े बुजुर्ग हमसे कहते है की इन्हें नजर लग गयी है. वो हमें नजर उतारने के कुछ नुस्खे बताते है और जब हम वो नुस्खे बच्चों पर अपनाते है.
लोग सुन्दर सुन्दर घर बनवाते है और उसके आगे कभी काला मुखौटा, तो कभी जूता आदि भद्दी चीज़ें लटका देते है .जिससे की घर बिलकुल परफेक्ट न दिखे नहीं तो उसे नजर लग जाएगी.
असल में बात तो यह है की परफेक्शन आते ही Insecurity आ जाती है.अगर कोई भी चीज़ हमारे जीवन में अच्छी घटित होती है तो सबसे पहले हमारे मन में Insecurity का भाव आता है. हमें तुरंत उसको खोने का डर शुरू हो जाता है और वही से ये अन्धविश्वास हमारे मन में घर कर जाता है की हमें नजर लग गयी है और जो हमको कम पसंद है हम उस आदमी को ज़िम्मेदार भी बनाना चाहते है की इसने नजर लगा दी होगी.
नजर कुछ नहीं ये सिर्फ आपकी सोच है. क्योंकि आपके जीवन में जो भी Positive हो रहा है वो आपके मन की उत्पत्ति है और जो Negative हो रहा है वो भी आपके मन की उत्पत्ति है.
अगर किसी की नजर से कुछ बिगड़ना शुरू हो जाये तो ये बहुत आसान है की हर देश अपने बौर्डर पर बुरी नजर वाले लोग बैठा दे. नजर से ही देश तबाह हो जायेंगे.
आज हम इसके बारें में विस्तार से जानेंगे की क्या इसके पीछे कोई वैज्ञानिक तर्क है या ये सिर्फ एक अन्धविश्वास है.
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क्या है इसके पीछे का वैज्ञानिक तर्क-.
जापान के मशहूर Dr.Masaru Emoto ,इन्होने इस टॉपिक पर कई किताबें लिखी हैं. उन्होंने अपनी किताबों में “Power of thought “ के बारे में बताया है. उन्होंने एक Experiment किया था. उन्होंने कांच के 3 गिलास लिए .हर गिलास में उन्होंने पानी और चावल को बराबर बराबर मात्रा में डाला.फिर उन्होंने पहले गिलास के सामने जाकर बोला ,“I Love You. You Are The Best. I am very greatful .”
फिर उन्होंने दूसरे गिलास के सामने जाकर बोला,” i hate you .you are useless. you are ugly .” और फिर उन्होंने तीसरे गिलास के सामने कुछ नहीं बोला.
15 दिन बाद जो पहला गिलास था उसके चावल fermint (फूलने ) होने लगते है और एक दम सफ़ेद रंग के हो जाते हैं.
दूसरे गिलास के चावल काले हो जाते हैं और तीसरे के आधे काले और आधे सफ़ेद हो जाते हैं.
YouTube पर उन लोगों के बहुत सारे videos पड़े है जिन्होंने ये experiment अपने घर पर किया .आप चाहे तो आप भी ये अपने घर पर करके देख सकते है.
Dr. Emoto का कहना है की हमारे शब्दों में और हमारे विचारों में बहुत सारी energy होती है और पानी पर positive energy और negative energy का बहुत प्रभाव पड़ता है.
तभी तो हमारी गंगा नदी चाहें जितनी भी मैली हो वो हमेशा पवित्र रहेगी क्योंकि जब -जब भक्त उसमे डुबकी लेते हैं ‘They Feel Blessed’.और Blessed बहुत ही Positive इमोशन होता है.
अब आप सोच रहे होंगे की पानी पर प्रभाव पड़ता होगा पर हम पर क्या प्रभाव पड़ेगा.तो जरा सोचिये की आपके शरीर में कितने प्रतिशत पानी है ?
आपके शरीर में 70% पानी है ,आपके ब्रेन में 80 % पानी है और आपकी स्किन में 64% पानी है.जब हमारा शरीर पानी से ही बना है तो प्रभाव तो पड़ेगा ही.
इसलिए जो लोग आपसे जलते है वो निश्चित रूप से आप पर प्रभाव तो डालते ही है.
जो छोटे बच्चे होते है वो बहुत सेंसिटिव होते है उन पर positive energy और Negative Energy का प्रभाव बहुत जल्दी होता है.
पर जो adults होते है उनकी positivity पर निर्भर करता है की उन पर प्रभाव पड़ेगा की नहीं.अगर आपकी positive energy सामने वाले की negative energy से ज्यादा है तो आप पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा .
positive energy कैसे बढती है?
1- self confidence से -positive energy बढ़ाने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है आपकी positive सोच .और आपकी सोच तब positive होती है जब आपके अन्दर आत्मविश्वास होता है.अगर आपके अन्दर आत्मविश्वास है तो आपकी positivity अपने आप बढ़ेगी .
2- positive भाषा का प्रयोग
हम ये तो जानते ही है की हमारे शब्दों में और हमारे विचारों में बहुत energy होती है .इसलिए हमें हमेशा positive भाषा का उपयोग करना चाहिए.इससे हमारे आस-पास का माहौल बेहतर होता है.
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3-powerful descipline बनाये
powerful descipline से भी positive energy बढती है.अगर आपके घर में किसी भी चीज़ का कोई रूटीन या टाइम टेबल नहीं हैं तो यकीन मानिये ये भी एक बहुत बड़ा कारण है negativity का .
4- नकारात्मक सोच वालों से बचें
हम सब ये जानते है की हर किसी का एक औरा होता है .जब हमारा औरा किसी नकारात्मक सोच वाले व्यक्ति के संपर्क में आता है तो हम अपनी ऊर्जा खोने लगते है और हमारे अन्दर negativity आ जाती है और जब हमारा औरा किसी सकारात्मक सोच वाले व्यक्ति के संपर्क में आता है तो हम अपने आप में एक अलग energy महसूस करते है और हमारे अन्दर positivity आ जाती है. इसलिए जितना हो सके नकारात्मक सोच वालों से दूरी बना कर रखें.