रेटिंगः दो स्टार
निर्माताः विक्रम मेहरा और सिद्धार्थ आनंद
निर्देशकः ज्ञानेश झोटिंग
कलाकारः जिम्मी शेरगिल, आशा नेगी, राजश्री देशपांडे, स्पर्श श्रीवास्तव, नमन जैन व अन्य
अवधिः एक घंटा 26 मिनट
ओटीटी प्लेटफार्मः हॉट स्टार डिज्नी
’किसी को भी जाति-धर्म और रूप-रंग से देख कर उसके बारे में फैसला लेना गलत है. ’’ तथा ‘‘इंसान का एक गलत फैसला कितने गंभीर परिणाम दे सकता है’’इस बात को रेखांकित करने वाली रहस्य रोमांच प्र्रधान फिल्म‘‘कालर बम’’लेकर आए हैं निर्देशक ज्ञानेश झोटिंग. तीन लघु फिल्मों का लेखन व निर्देशन कर शोहरत बटोरने के बाद ज्ञानेश की बतौर निर्देशक ‘‘कॉलर बम’’ पहली फीचर फिल्म है. जो कि ‘हॉट स्टार डिजनी’पर स्ट्रीम हो रही है.
कहानीः
शिमला के नजदीक सनावर के पुलिस अफसर मनोज कुमार हेसी (जिम्मी शेरगिल )अपने 12 वर्षीय बेटे अक्षय(नमन जैन ) को पढ़ने के लिए दूसरी जगह भेजना चाहते हैं, क्योंकि वह चाहते हैं कि उनका बेटा अक्षय उनसे इतनी दूर रहे कि उनके अतीत की गलती का असर अक्षय पर न पड़े. उसके बाद वह बेटे अक्षय के साथ सनावर के ‘सेंट जॉर्ज स्कूल’ जाते हैं, जहां स्कूल की एक लड़की नेहा के गायब होने और हत्या की गुत्थी सुलझाई थी और आज स्कूल में नेहा की मौत पर शोक सभा है. स्कूल के प्रिंसिपल, पुलिस अफसर मनोज की प्रशंसा करते हैं, जबकि मनोज का ज्यूनियर नेगी उन पर कटाक्ष करता है. पर सुरक्षा गार्ड नेगी को बाहर ले जाते हैं. तभी गले में विस्फोटक लटकाए आत्मघाती हमलवार शोएब अली(स्पर्श श्रीवास्तव ) हाथ में बंदूक लिए पहुंचता है. और वहां मौजूद सभी बच्चों को बंधक बना लेता है. वह घोषणा करता है कि हर मां बाप को अपने बच्चे की जिंदगी बचाने के लिए किसी एक का बलिदान देना होगा.
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कुछ देर बाद वह डायरी के कुछ पन्ने पढ़ते हुए मनोज हेती से कहता है कि उन्हे एक घंटे के अंदर तीन सही जवाब ढूढ़कर इसके गले में लटक रहे तीन बटन सही कर सभी बच्चों को जीवित बचा सकते हैं. पता चलता है कि शोएब, रीटा नामक महिला के लिए काम कर रहा है. रीटा के कहने पर ही वह मनोज हेती से कुछ टॉस्क पूरा करवा रहा है. इसी बीच शोएब एक बच्ची को मार देता है. दूसरी तरफ यह खबर आग की तरह फैल जाती है. एएसआई सुमित्रा अपने तरीके से जांच करते हुए बरकत अली के ढाबे पर पहुंचती है, तो पता चलता है कि शोएब कुछ समय तक बरकत अली के ढाबे पर काम करता रहा है और पब्लिक उस ढाबे को आतंकी को पनाह देने वाला मानकर फूंक देती है. एएसआई सुमित्रा (आशा नेगी) ढाबा चलाने वाले बुजुर्ग बरकत अली को बचाती है और भीड़ को उकसाने वाले नेता को एक्सपोज करती है. यहां मनोज हेसी के अतीत का वह सच समाने आता है, जिसकी वजह से यह सब हो रहा होता है. सुमित्रा को सारी गलती मनोज हेती में नजर आने लगती है. लोग समझ जाते हैं कि अतीत में की गई एक भूल का बदला मनोज हेसी से लिया जा रहा है.
लेखन निर्देशनः
फिल्म ‘कालर बम’ की सबसे बड़ी कमजोर कड़ी इसकी कथा व पटकथा है. फिल्म का संदेश बेहतरीन है और कुछ रोमांचक दृश्य भी अच्छे गढ़े गए हैं, लेकन पूरी कहानी व पटकथा फिल्म को मटियामेट कर देती है. आत्मघाती हमलावर शर्त रखता है कि हर बच्चे के माता पिता में से किसी एक को बलिदान देना होगा, पर चंद मिनटों में कहानी पुलिस अफसर मनोज पर जाकर टिक जाती है. फिल्म का रहस्य उसी वक्त खत्म सा हो जाता है, जब शिमला के स्कूल की शिक्षक रीटा(राजश्री देशपांडे ) पहाड़ी की बजाय मराठी भाषा में गीत गाती है. फिल्म का क्लायमेक्स और अंत उत्साहित नही करता. कहानी के बीच में हो रही हत्याएं व कुछ लोगों की निजी जिंदगी, मैथ्यू नामक लड़के की कहानी से लोगो की समझ में नही आता कि आखिर यह सब क्यों हो रहा है?हमलावर की पहली शर्त हो या मैथ्यू की जिंदगी का मसला बस कुछ बेवजह ठूंसा सा लगता है. हमलावर कौन है, क्यों है, कुछ भी स्पष्ट नही होता. कभी लगता है कि यह आतंकी हमला है और कभी हिंदू-मुस्लिम जैसा रंग दिखता है.
फिल्म के समापन के समय का संवाद -‘‘जिंदगी सिर्फ एक कड़ी है. हमारे लिए हुए फैसलो से बनी एक कड़ी. . . इंसान का एक गलत फैसला कितना गंभीर परिणाम ला सकता है. . ’’को नजरंदाज कर दे, तो फिल्म के संवाद असरदार नही है.
कैमरामैन जीतन हरमीत सिंह ने हिल स्टेशन की खूबसूरती को बेहतरीन ढग से पेश किया है.
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अभिनयः
पूरी फिल्म में जिमी शेरगिल ने शानदार अभिनय किया है. उनके करोड़ो प्रशंसक उन्हें पुलिस या फौजी वर्दी में पसंद भी करते है. नमन जैन का अभिनय भी ठीक ठाक है. उसके चेहरे के भाव काफी कुछ कह जाते हैं. राजश्री देशपांडे फिल्म में देर से सक्रिय होती हैं, पर अपने अभिनय की छाप छोड़ जाती हैं. सुमित्रा के किरदार में आशा नेगी का किरदार काफी लंबा है, मगर वह अपने किरदार से न्याय नहीं कर पाती. इतना ही नही वह बोल-चाल की भाषा में पहाड़ी टोन को ठीक ढंग से नहीं पकड़ पायी. स्पर्श श्रीवास्तव बुरी तरह से निराश करते हैं. उनका चेहर हर जगह एकदम सपाट नजर आता है, जबकि उनके पास अपनी अभिनय प्रतिभा को दिखाने के भरपूर अवसर थे.