आज के दौर में सभी पर काम का बोझ अधिक है. ऐसे में औफिस या बिजनैस से त्योहार के दिन भी छुट्टी मिलनी मुश्किल होती है. दीवाली या दशहरा में 1-2 दिनों की छुट्टी ही मिल पाती है. ऐसे में सभी का आपस में मिलना संभव नहीं होता. अगर पूरे फैस्टिवल सीजन में अलगअलग जगहों पर पार्टियों के आयोजन हों तो बहुत सारे लोग आपस में मिल सकते हैं. एक ही जगह पर पार्टी होने से लोगों की संख्या ज्यादा हो जाती है. पार्टी का बोझ भी बढ़ जाता है. अगर छोटीछोटी पार्टियां घरघर में आयोजित हों तो ज्यादा लोगों के आपस में मिलने का अवसर मिलता है.
त्योहारों में कई तरह के संगठनों में मुलाकातें हो जाती है. परेशानी की बात यह है कि ये संगठन जातीय समुदाय के नाम पर बने होते हैं. ऐसे में बाहरी लोगों का इन के साथ तालमेल नहीं रहता. जरूरत इस बात की है कि बिना जातीय या समुदाय की सोच के केवल आपसी दोस्ती के आधार पर यह पार्टी आयोजित की जाए. अलगअलग आयोजनों के होने से एक लाभ यह होता है कि दोस्तों और रिश्तेदारों से बारबार मुलाकात होने लगती है, जिस से कई बार बिगडे़ हुए रिश्ते भी सहज हो जाते हैं.
1. हर घर पार्टी
आज के दौर में घरों में इतनी जगह रहती है कि वहां पर छोटी पार्टी का आयोजन हो सके. ऐसे में बहुत खर्च भी नहीं आता. घर वालों को इस में लगने की जरूरत नहीं होती. खाना बनाने वाले या ऐसे काम करने वाले लोग खाने से ले कर सजावट तक सब मैनेज कर देते हैं. अगर त्योहार में केवल एक बार पार्टी का आयोजन होता है तो आपसी मुलाकात भी एक बार ही हो पाती है. अगर बारबार ऐसे आयोजन होते हैं तो आपसी मुलाकातें बारबार होने की संभावना रहती है.
बारबार मिलने से एकदूसरे के दुखदर्द का ज्यादा पता चलता है. आज के समय में आपस में मिलनाजुलना बेहद कम हो गया है. ऐसे में फैस्टिवल पार्टी के बहाने एकदूसरे से जल्दीजल्दी मिलना हो जाता है. जब बारबार मिलना होता है तो केवल औपचारिक बातें नहीं होतीं, और भी बातें होती हैं.
इस से आपसी संबंध मजबूत होते है. एकदूसरे के घरपरिवार, बच्चों का भी पता चलता है. जिस से केवल दोस्तीभरे रिश्ते ही मजबूत नहीं होते बल्कि कई बार आपस में रिश्तेदारी करने में भी मदद मिल जाती है. आपसी मेलजोल से यह भी पता चलता है कि किस के बच्चे शादी के लायक हो गए हैं, कौन किस से शादी कर सकता है.
2. कारोबार ही नहीं, नातेरिश्ते भी
मेलजोल से कारोबार की संभावनाएं भी पनपने लगती हैं. आज के समय में कारोबार में भरोसेमंद लोगों का मिलना मुश्किल होता है. ऐसे में अगर आपसी मेलजोल अधिक होता है तो बिजनैस पार्टनर के साथ करीबी रिश्ते बनाने में मदद मिलती है. देखने में यह फैस्टिवल पार्टी केवल सामान्य पार्टी जैसी ही दिखती है पर असल में यह आपसी तालमेल को लंबे समय तक बनाए रखने का काम कर सकती है. ऐसी पार्टियों में आपसी औपचारिकता को न रखा जाए ताकि इस में शामिल होने वाले को किसी भी तरह की हिचक न हो.
पार्टी को रोचक बनाने के लिए कुछ गेम्स तैयार किए जा सकते हैं. ये हर उम्र को ध्यान में रख कर तैयार किए जाएं. कोशिश हो कि इस में हर उम्र के लोग शामिल हो सकें. कुछ गेम्स ऐेसे भी हों जिन में महिला और पुरुष एकसाथ हिस्सा ले सकें. इस से आपस में एक अलग किस्म का भरोसा बढ़ता है.
आज के समय में महिलाएं बड़ी संख्या में बिजनैस में हैं. वे केवल बिजनैस में रहती ही नहीं, उस का पूरा हिस्सा होती हैं. उन के फैसलों को पूरा सम्मान मिलता है. अब बिजनैस में महिलाओं की भूमिका रबरस्टैंप से अधिक की हो गई है. ऐसे में महिलाओं को पार्टी में जरूर शामिल किया जाए. महिलाओं को धूम्रपान और ड्रिंक से परेशानी होती है इसलिए पार्टी में इस का प्रयोग न ही किया जाए.
3. धूम्रपान और ड्रिंक से दूरी
महिलाओं के साथ पार्टी में गलत व्यवहार धूम्रपान और ड्रिंक से ही शुरू होता है. ऐसे में इस को पूरी तरह से पार्टी से बाहर किया जाना जरूरी होता है. पार्टी में खाने का मैन्यू भी इस तरह से तैयार हो कि सभी को पसंद आए. यह न हो कि कुछ खाने की चीजें ऐसी हों जो लोग पसंद न करें. आमतौर पर आज के समय में लोग अपनी हैल्थ को ले कर ज्यादा जागरूक हो गए हैं. जिस से वे तलाभुना या ज्यादा मसालेदार चीजें कम खाते हैं. ऐसे में इन बातों का पूरा ध्यान रखना जरूरी होता है.
मसला परिवार का होता है, ऐसे में युवा और बच्चे भी पार्टी में शामिल हो सकते हैं. बच्चे बडे़ लोगों के साथ सही से एंजौय नहीं कर पाते. ऐसे में उन के लिए कुछ गेम्स की तैयारी कर के रखनी जरूरी होती है. छोटे बच्चे भी अपने हिसाब से खेलते हैं. उन के लिए भी कुछ मनोरंजन का अलग से इंतजाम हो ताकि उन के पेरैंटस बिना किसी चिंता के आपस में भेंटमुलाकात का मजा ले सकें.
पार्टी का समय इस तरह से रखा जाए जिस में ज्यादा से ज्यादा लोग शामिल हो सकें. कई बार समय का चुनाव ठीक से नहीं होता तो लोग पूरी संख्या में शामिल नहीं हो सकते. बेहतर होता है कि छुट्टी के दिन इस को रखें. इस से सभी लोग पार्टी का हिस्सा बन सकते हैं.
4. खर्चा घटाएं, मजा बढ़ाएं
मिलजुल कर त्योहार मनाने से त्योहार में होने वाला खर्च घटता है जबकि मजा बढ़ता है. अपने घरपरिवार से दूर रह कर भी घर जैसे मजे लिए जा सकते हैं.
आज के समय में ज्यादातर लोग अपने शहर और घर से दूर कमाई के लिए दूसरे शहरों में रहते हैं. अपने घर जाने के लिए उन को छुट्टी लेनी होती है. कई बार छुट्टियों में घर जाने के लिए रेलवे, बस और हवाई जहाज के महंगे टिकट लेने पड़ते हैं. मुसीबत उठा कर अपने घर जाना कई बार परेशानी का सबब बन जाता है.
ऐसे में त्योहारों की पार्टी घरघर होने से सब आपस में मिल लेते हैं. इन का आयोजन मिलजुल कर भी कर सकते हैं. इस से सभी लोगों की हर तरह से भागीदारी रहती है और कोई अपने को बोझ नहीं समझता. कम खर्च में अच्छा आयोजन हो जाता है. परिवार के साथ रहने से पति भी दोस्तों के साथ शराब और जुए जैसे खेलों से परहेज करता है.
ऐसे आयोजन होने से त्यौहार का मजा दोगुना हो जाता है. सभी धर्मों के बीच रहने वाले लोग भी इस का हिस्सा बन जाते हैं. इस से अलगअलग जगहों की संस्कृति व खानपान का मजा भी मिलता है.
जिस तरह से आज आपस में दूरियां बढ़ रही हैं उसे कम करने का यह सब से अच्छा माध्यम है कि त्योहारों की खुशियां मिलजुल कर मनाएं. केवल रैजीडैंशियल कौंप्लैक्स में ही नहीं, कसबों, महल्लों, शहरों और गांवों में भी उत्सव के आयोजन मिलजुल कर किए जाने चाहिए. इस से समाज में एक नया प्यार और सौहार्द्र का माहौल बनेगा.