प्रेगनेंट महिलाओं (Pregnancy) को अधिक पोषण की जरूरत होती है और इस दौरान उन्हें प्रोटीन समेत कई पोषक तत्व लेने बहुत जरूरी होते हैं ताकि शिशु का सही विकास हो सके.
गर्भावस्था के नौ महीनों के दौरान भ्रूण के विकास के लिए रोजाना 75 ग्राम से 100 ग्राम तक प्रोटीन लेना होता है. प्रेग्नेंसी में गर्भाशय के ऊतकों के विकास के लिए प्रोटीन बहुत जरूरी होता है. इस के अलावा भी गर्भावस्था में प्रोटीन युक्त आहार लेने से कई फायदे होते हैं
प्रोटीन युक्त आहार
आप दूध से बने उत्पादों से प्रोटीन ले सकती हैं. दही, अंडा, दूध, चीज और पनीर को अपने भोजन में शामिल करें. इस के अलावा सूखे मेवों और बीजों में भी प्रचुर मात्रा में प्रोटीन होता है. पिस्ता, नारियल और बादाम का नियमित इस्तेमाल करें, सूरजमुखी के बीजों, तिल के बीजों और कद्दू के बीजों में भी प्रचुर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है.
छोले, दालें, सोया से बने उत्पाद और राजमा को भी अपने भोजन में शामिल करें. प्रोटीन के लिए नाश्ते में ओट्स लें. प्रोटीनयुक्त आहार से ब्लड शुगर का लैवल ठीक रहता है और शरीर को ऐनर्जी भी मिलती है. दो चम्मच पीनट बटर से 7 ग्राम प्रोटीन मिलता है.
प्रोटीन का है ये काम
प्रोटीन बॉडी में टिश्यू रिपेयर करने, हार्मोन बनाने, जरूरी बॉडी केमिकल बनाने और हड्डियों, त्वचा और ब्लड के लिए ब्लॉक बनाने का काम करता है.
पत्ता गोभी
पत्ता गोभी को सलाद और सब्जी दोनों तरह से खाया जा सकता है. प्रोटीन के अच्छे स्रोत खाद्य पदार्थों में यह भी खास स्थान रखती है.
पालक
प्रोटीन से भरपूर सब्जियों में पालक भी प्रमुख स्थान रखता है. आप इसे जूस के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
हरी मटर
आप हरी मटर का सूप बना कर भी पी सकते हैं. इस से भी आप के शरीर को काफी मात्रा में प्रोटीन की पूर्ति होगी.
मशरूम
मशरूम की सब्जी अकसर हर घर में बनती है. प्रोटीन की पूर्ति के लिए मशरूम भी बहुत बढ़िया विकल्प हो सकता है.
केल
प्रोटीन से भरपूर सब्जियों के मामले में केल को सब से पहली गिना जाता है. इस की पत्तियां गहरे हरे रंग की होती हैं. इस में भरपूर मात्रा में प्रोटीन होता है.
ब्रोकली
प्रोटीन से भरपूर होने के साथसाथ ब्रोकली में हमारे शरीर के लिए जरूरी कई अन्य पोषक तत्व भी पाए जाते हैं.
आलू
आलू ज्यादातर घरों में रोजाना खाया जाता है.. एक आलू में लगभग 5 से 10 ग्राम प्रोटीन की मात्रा हो सकती है.
शतावरी
शतावरी भी हरी सब्जियों में प्रोटीन का प्रमुख स्रोत मानी जाती है. कई लोग इसे फ्राई कर के भी खाते हैं.
आर्टिचोक
आर्टिचोक, प्रोटीन से भरपूर सब्जियों में खास स्थान रखती है. इसे फ्राई कर के बटर सॉस के साथ भी खाया जा सकता है.
क्या गर्भावस्था में प्रोटीन सप्लीमेंट ले सकते हैं
आहार से प्रोटीन लेने के अलावा प्रेगनेंट महिलाएं सप्लीमेंट से भी शरीर में प्रोटीन की पूर्ति कर सकती है. प्रेग्नेंसी में जिन पोषक तत्वों की सब से ज्यादा जरूरत होती है, सप्लीमेंट्स से उन की पूर्ति की जाती है. मॉर्निंग सिकनेस और पाचन संबंधी समस्याओं से छुटकारा पाने का ये आसान तरीका है.
हालांकि प्रेग्नेंसी में महिलाओं को डॉक्टर के परामर्श के बाद ही कोई सप्लीमेंट खाने चाहिए.
गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में प्रोटीन
प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही में महिलाओं को प्रोटीन की सब से ज्यादा जरूरत होती है. इस दौरान शिशु के मस्तिष्क का विकास तेजी से हो रहा होता है, इसलिए प्रोटीन की ज्यादा जरूरत पड़ती है.मछली, अंडे और मीट से सब से ज्यादा प्रोटीन मिलता है, इसलिए इस समय इन चीजों का सेवन अधिक करें.
शरीर में प्रोटीन की जरूरत
प्रोटीन हमारी बॉडी के लगभग हर हिस्से के लिए जरूरी होता है. यह हमारी स्किन सेल्स और बॉडी सेल्स के निर्माण में तो मदद करता ही है साथ ही, मेमॉरी सेव करने और डायजेशन को दुरुस्त रखने में भी मदद करता है.
ऐसे बनता है प्रोटीन
प्रोटीन अमीनो एसिड से बनता है. अमीनो एसिड 20 तरह के होते है, जो हमें फ्रूट्स, वेजिटेबल्स, एग्स, मीट, आदि से मिलते हैं. दालें और ड्राइफ्रूट्स भी प्रोटीन से भरपूर होते हैं. इसलिए इन का हमारी डेली डायट में शामिल होना बेहद जरूरी है.
प्रोटीन का निर्माण अलगअलग तरह के अमीनो एसिड्स से मिल कर होता है. ये अलगअलग तरह के अमीनो एसिड्स अलगअलग तरह का प्रोटीन बनाते हैं यानी प्रोटीन भी किसी एक प्रकार का नहीं होता, इस के भी कई टाइप होते हैं, जो हमें अलगअलग फूड्स के जरिए मिलते हैं.
प्रोटीन हमारे शरीर में क्या काम करता है?
प्रोटीन हमारे शरीर में मैसेंजर की तरह काम करता है. यह शरीर में आने वाले वायरस और बैक्टीरिया को पहचानने वाली सेल्स के निर्माण से ले कर इम्युनिटी सेल्स तक इन वायरस के अटैक की जानकारी पहुंचाने तक हर क्रिया में शामिल होता है.
प्रोटीन हमारी याददाश्त को बनाए रखने में मदद करता है जैसा हम ने ऊपर बताया कि प्रोटीन कई प्रकार का होता है और शरीर के अलगअलग हिस्सों में यह अलग तरह से काम करता है. बात जब ब्रेन की आती है तो प्रोटीन मेमरी स्टोरेज में महत्वपूर्ण रोल अदा करता है.
प्रोटीन हमारे पाचन तंत्र को दुरुस्त बनाए रखता है. इस से हमारा पेट साफ रहता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है. खासतौर पर एक नवजात बच्चे के लिए मां का पहला दूध जीवनदायिनी औषधि की तरह होता है, क्योंकि यह दूध प्रोटीन से भरपूर होता है, जो नवजात शिशु के शरीर को रोगों से लड़ने की क्षमता देता है.
प्रोटीन रिच फूड्स
उपरोक्त खाद्य पदार्थों के अलावा कुछ ऐसे फूड्स हैं, जो हमारे शरीर में प्रोटीन की कमी को पूरा करते हैं. इन्हें कितनी मात्रा में डेली डायट का हिस्सा बना कर हम कितना प्रोटीन प्राप्त कर सकते हैं यहां जानें…
-एक कप दूध में 8 ग्राम प्रोटीन होता है.
-1 अंडे में 6 ग्राम प्रोटीन होता है.
-1 कप योगर्ट में 9 ग्राम प्रोटीन होता है।
-2 चम्मच पीनट्स बटर में 8 ग्राम प्रोटीन , 4 से 5 बादाम में करीब 7 ग्राम प्रोटीन होता है.
-100 ग्राम चिकन में 25 ग्राम प्रोटीन होता है. वाइट ब्रेड की 2 स्लाइस में 5 ग्राम प्रोटीन होता है.
-100 ग्राम मछली में 20 ग्राम प्रोटीन होता है.
हर दिन कितना प्रोटीन चाहिए
महिलाओं में ९20 से 70 साल की उम्र में 45 से 50 ग्राम प्रोटीन प्रतिदिन चाहिए होता है. जबकि पुरुषों को हर दिन 55 से 60 ग्राम प्रोटीन की जरूरत होती है. बच्चों में प्रोटीन की सब से अधिक जरूरत होती है. इन में 3 साल की उम्र से 20 साल की उम्र तक 15 से 45 और 50 ग्राम तक प्रोटीन की जरूरत होती है, जो इन की उम्र के अनुसार निर्धारित होती है. साथ ही दिमाग में यह बात जरूर रखें कि बच्चा जो डायट ले रहा है, उस डायट का 10 से 20 प्रतिशत प्रोटीन रिच होना चाहिए.
इन लोगों को होती है अधिक प्रोटीन की जरूरत
कुछ लोगों में सामान्य लोगों से अधिक प्रोटीन की जरूरत होती है. इन में खासतौर पर गर्भवती महिलाएं, नवजात बच्चे और जिन लोगों की रोगप्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, वे लोग शामिल हैं. इन्हें प्रोटीन की सही मात्रा में और सब से अधिक जरूरत होती है.
बच्चों में एक खास बीमारी होती है जिसे क्वाशिऑरकोर (Kwashiokor) कहते हैं. यह बच्चों की ऐसी बीमारी है, जो मुख्य रूप से प्रोटीन की कमी के कारण होती है. ऐसे बच्चे बेहद दुबलेपतले होते हैं, लेकिन इन का पेट निकला होता है.
*क्वाशिऑरकोर बीमारी के शिकार बच्चों में हाथपैर में सूजन होती है.इन्हें डायरिया हो जाता है और ऐसे बच्चे आमतौर पर गुमसुम रहते हैं.
*बच्चों में प्रोटीन की कमी के कारण मेंटल रिटार्डेशन भी हो सकता है. इसलिए बच्चों की डायट प्रोटीन रिच होनी बेहद जरूरी है. अगर यहां बताए गए लक्षणों में कोई भी दिक्कत आपको बच्चे में नजर आती है तो उसे तुरंत डॉक्टर को दिखाएं साथ ही प्रोटीन रिच डायट के बारे में पूरी जानकारी हासिल करें.
इन बीमारियों में नहीं लेनी चाहिए प्रोटीन डायट
-जिन लोगों को प्रोटीन से एलर्जी होती है, उन्हें ऐसी डायट लेने से बचना चाहिए.
-क्रॉनिक किडनी डिजीज से गुजर रहे मरीजों को प्रोटीन रिच डायट नहीं लेनी चाहिए.
-अगर बच्चे को फिनायलकिटोन्यूरिया (Phenylketonuria)नामक बीमारी है तो भी बच्चे को प्रोटीन डायट नहीं देनी चाहिए.
प्रोटीन की कमी से हो सकती हैं ये बीमारियां
* प्रोटीन की कमी के कारण हमें जोड़ों का दर्द, मांसपेशियों में अकड़न, जल्दी थकान जैसी शारीरिक दिक्कतें हो सकती हैं. कई अन्य बीमारियां भी घेर सकती हैं.
* अगर प्रोटीन की कमी बहुत अधिक हो जाती है तो शरीर में हीमोग्लोबिन कम हो जाता है. साथ ही खून में वाइट ब्लड सेल्स की कमी भी हो सकती है. इस से हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है.
* रूखे बेजान बाल, नाखून और त्वचा में रूखापन, बारबार बीमार पड़ना. किसी दर्द का बना रहना. ये सभी दिक्कतें प्रोटीन की कमी के कारण होती हैं.
* अगर हमारे खाने में प्रोटीन की कमी होती है तो हमारा ब्रेन भी सही प्रकार से काम नहीं कर पाता है, क्योंकि ब्रेन में एक हिस्सा प्रोटीन से निर्मित होता है, जो मेमॉरी स्टोरेज की तरह काम करता है. प्रोटीन डायट के अभाव में हमारी याददाश्त कमजोर हो सकती है.
* शरीर में प्रोटीन की कमी होने पर हड्डियां कमजोर हो जाती हैं. सिर्फ कैल्शियम ही नहीं बल्कि मजबूत हड्डियों के लिए प्रोटीन की भी जरूरत होती है. क्योंकि यह हड्डियों को मजबूती देने का काम करता है. प्रोटीन से बोन्स का वॉल्यूम बना रहता है.
प्रोटीन की कमी
यदि आप गर्भावस्था में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन नहीं लेती हैं तो इस की वजह से वजन कम होने, बारबार संक्रमण और मांसपेशियों में थकान महसूस होती है.
इस के अलावा सूजन, बारबार मूड बदलना, कमजोरी और भूख लगना भी प्रोटीन की कमी के संकेत होते हैं. अगर ये संकेत मिल रहे हैं तो डॉक्टर से बात कर के अपनी डायट में प्रोटीन युक्त आहार की मात्रा बढ़ा दें.
* प्रोटीन की कमी का कोई भी लक्षण दिख रहा है तो डॉक्टर से बात करें. आप को प्रेग्नेंसी के किसी भी महीने या तिमाही में प्रोटीन की कमी हो सकती है. हर महीने गर्भस्थ शिशु के विकास पर नजर रखें और अपनी रोजाना की डायट में प्रोटीन को शामिल करें.
अगर आप शाकाहारी हैं तो सोया से बनी उत्पादों, बींस, नट्स, दालों और दूध से बने उत्पादों से अपनी प्रोटीन की जरूरत को पूरा करें.
आप को यह बात समझनी चाहिए कि गर्भावस्था में आप को अपने लिए ही नहीं बल्कि अपने शिशु के लिए भी खाना है, इसलिए जितना हो सके अपने आहार में पौष्टिक चीजों को शामिल करें.