अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…
सवाल-
19 वर्षीय युवती हूं. मुझे मोबाइल फोबिया हो गया है. हर 3-4 महीने के बाद लेटैस्ट मोबाइल खरीदने का मुझे शौक है. देर रात तक मोबाइल पर गेम्स खेलना और चैटिंग करना मेरी आदत में शुमार है. इस वजह से पढ़ाई में भी मन नहीं लगता. इस से मेरा रिजल्ट भी प्रभावित हो रहा है. बताएं मैं क्या करूं?
जवाब-
मोबाइल से चिपके रहना न सिर्फ शारीरिक रूप से नुकसानदायक है, बल्कि मानसिक रूप से भी व्यक्ति को कमजोर कर देता है. आप को अभी अपने कैरियर पर ध्यान देना चाहिए. इस के लिए मोबाइल को छोड़ पत्रपत्रिकाओं में ध्यान लगाएं. अच्छा साहित्य पढ़ें. इस से आप का सामान्य ज्ञान बढ़ेगा. रूटीन लाइफ और अच्छा साहित्य पढ़ना शुरू करेंगी तो स्वत: ही मोबाइल की गंदी लत से छुटकारा मिल जाएगा.
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31 साल की कामकाजी महिला नीलम शादी के 3 वर्षों बाद भी बच्चा न होने से घबराई. वह डाक्टर के पास गई. शुरुआती जांच के बाद डाक्टर ने पाया कि सबकुछ ठीक है. सिर्फ औव्यूलेशन सही समय पर नहीं हो रहा है. उस की काउंसलिंग की गई, तो पता चला कि उस के मासिकधर्म का समय ठीक नहीं. इस की वजह जानने पर पता चला कि उस का कैरियर ही उस की इस समस्या की जड़ है. उस की चिंता और मूड स्विंग इतना ज्यादा था कि उसे नौर्मल होने में समय लगा और करीब एक साल के इलाज के बाद वह आईवीएफ द्वारा ही मां बन पाई.
आज की भागदौड़भरी जिंदगी में पूरे दिन का बड़ा भाग इंसान अपने मोबाइल फोन से चिपके हुए बिताता है. खासकर, आज के युवा पूरे दिन डिजिटल वर्ल्ड में व्यस्त रहते हैं. ऐसे में उन की शारीरिक अवस्था धीरेधीरे बिगड़ती जाती है, जिस में फर्टिलिटी की समस्या सब से अधिक दिखाई पड़ रही है.
वर्ल्ड औफ वूमन की फर्टिलिटी ऐक्सपर्ट डा. बंदिता सिन्हा का कहना है, ‘‘डिजिटल वर्ल्ड के आने से इस की लत सब से अधिक युवाओं को लगी है. वे दिनभर मोबाइल पर व्यस्त रहती हैं. 19 से 25 तक की युवतियां कुछ सुनना भी नहीं चाहतीं, मना करने पर वे विद्रोही हो जाती हैं. इस वजह से आज 5 में से एक लड़की को कोई न कोई स्त्रीरोग जनित समस्या है.’’
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