REVIEW: जानें कैसी वेब सीरिज ‘बरूण राय एंड द हाउस औन द क्लिफः’

रेटिंगः दो स्टार

निर्माताः युनीकोर्न मोशन पिक्चर प्रोडक्शन

निर्देशकः सैम भट्टाचार्यजी

कलाकारः प्रियांशु चटर्जी,नायरा बनर्जी,सिड मक्कर,

अवधिः लगभग दो घंटे 45 मिनट , छह एपीसोड

ओटीटी प्लेटफार्मः ईरोज नाउ

इन दिनों छोटे परदे के साथ साथ ओटीटी प्लेटफार्म पर भी हॉरर यानी कि डरावनी कहानियंा व घटनाक्रम काफी पसंद किए जा रहे हैं. यह एक अलग बात है कि इस तरह के सीरियल, वेब सीरीज व फिल्में अंधविश्वास,आत्मा व भूतप्रेत आदि को बढ़ावा ही देती हैं. बहरहाल,इंग्लैंड के एक तट पर पहाड़ी पर नदी के किनारे बसे एक गांव में हो रही रहस्यमयी आत्महत्याओं का सच जानने के लिए पुलिस एक परामनोवैज्ञानिक की मदद लेता है. क्योंकि इन आत्महत्याओं के पीछे कोई स्पष्ट संदिग्ध नहीं है और परिस्थितियां समझ से परे हैं. पर इस वेब सीरीज को देखकर डर पैदा नही होता.

कहानीः

कहानी इंग्लैंड के एक टापू  कोर्विड्स हेड के एक छोटे से गांव में लगातार पुरूषों द्वारा आत्महत्या करने का सिलसिला जारी है. इन आत्महत्याओं को कोई स्पष् ट कारण भी समझ से परे है. ऐसे में इसकी जांच पड़ताल के लिए पुलिस  इंस्पेक्टर जेनी जोन्स (एम्मा गैलियानो), परामनोवैज्ञानिक जासूस बरुण राय (प्रियांशु चटर्जी) को कॉर्विड्स हेड के छोटे से गाँव में बुलाती है. बरूण राय परामनोविज्ञान में महारत रखते हैं. जेनी जोम्स की सोच के अनुसार ऐसे में बरुण की विशेष योग्यताएं असाधारण वजहों को जानने में मदद कर सकती हैं.

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इधर नवविवाहित जोड़ा  हरमेश (सिड मक्कड़) और शौमिली (नायरा बनर्जी) भारत से इंग्लेंड पहुॅचते हैं. वह कॉर्विड्स क्लिफ में एक घर में रहने पहुॅचते हैं. शौमिली नर्स के तौर पर कार्यरत है. दो दिन के अंदर ही शौमिली को घर के अंदर आसामान्य गतिविधियां घटित होने का अहसास होने लगता है. पुलिस को कुछ भी गलत नजर नहीं आता. उधर डौक्टर शौमिली कोे डिप्रेशन की दवा देने लगते हैं. पर हरमेश व शौमिली की जिंदगी खतरे में पड़ जाती है. उधर ब्रायन(जौर्ज डावसन ) छिप कर इनकी तस्वीरें खींचता रहता है. धीरे धीरे यह स्पष्ट होता है कि एक बुरी आत्मा ही लोगों की इस तरह हत्या कर रही है कि वह आत्महत्या लगे. अब यह बुरी आत्मा हरमेश को भी मारना चाहती है.

स्थानीय चर्च के पादरी फादर पॉल (टोनी रिचर्डसन) और उनके गुरु (डेविड बेली) को इस आत्मा के बारे में कुछ ज्ञान है,जो इस घर के साथ ही हरमेश व शौमिल को प्रताड़ित कर रही है. फादर पॉल अतीत में कई बार इस बुराई से लड़ने का असफल प्रयास कर चुके हैं. अब वह शौमिली व हरमेश की मदद करने इनके घर पहुॅचते हैं,पर किसी तरह अपनी जान बचाकर वापस आ जाते हैं.

इधर बरूण रौय को भी असफलता ही मिल रही हे. एक दिन ‘मिली,बरूण राय को एक किताब देती है. बरूण राय उस किताब को पढ़कर कुछ तो समझता है,पर इस किताब में ‘कोड वर्ड’ में भी कुछ लिखा है,जिसके लिए बरूण राय सुखबीर की मदद लेता है. इस किताब से बरूण की समझ में आता है कि किसी समय एलेक्जेंडर व पोली पूर्णिमा के दिन चांद की रोशनी में शादी करने वाले थे,मगर अलेक्जेंडर ने पोली को धो दिया था. इन सारी बातों को पोली ने इस किताब में लिखा है और यह भी लिखा है कि वह हर पुरूष से अपना बदला लेती रहेगी. इस बीच हरमेश भी नदी में कूदकरी आतमहत्या कर लेता है और बुरी आत्मा लगातार शौमिली को परेशान कर रही है. ब्रायन भी मारे जाते हैं.

अब पूर्णमासी की रात आ रही है. और बरूण राय,फादर पॉल व उनके गुरू के पास इस शहर के निवासियों को पोली की बुरी आत्मा से बचाने का एक आखिरी मौका है, इससे पहले कि आत्मा इतनी शक्तिशाली हो जाए कि कोई भी रोक न सके. बरूण व फादर पॉल पूरी तैयारी के साथ शौमिली के घर पहुंचते और इन्हें अपने लक्ष्य में सफलता मिल जाती है.

लेखन व निर्देशनः   

वेब सीरीज का हर एपीसोड बहुत धीमी गति से आगे बढ़ता है. पटकथा काफी गड़बड़ है. किसी भी किरदार को सही ढंग से विकसित नही किया गया है. एक भी दृश्य ऐसा नही है,जिससे दर्शक के अंदर भय का अहसास हो. कहानी का कोई प्रवाह नजर नही आता. कई दृश्यों के समय आदि की भी सही व्याख्या नही की गयी है. इस सीरीज की खासियत यह है कि इसमें बौलीवुड फिल्मों में दिखायी जाती रही बुरी आत्माएं या भूतप्रेत नजर नही आते.

कई दृश्य तो दर्शकों को भी द्विविधा में डालते हैं. निर्देशक ने अचानक  फर्नीचर के टकराने व हिलने या हवा से अचानक खिड़की के खुलने जैसे बहुप्रचलित साधनों का उपयोग कर डर व रहस्यमय माहौल पैदा करने का असफल प्रयास किया है. क्लायमेक्स तो काफी घटिया है.

मगर इस सीरीज में इंग्लैंड के ग्रामीण इलाकों की सुंदरता के साथ-साथ शानदार चट्टानों और तट को बेहतरीन तरीके से कैद करने में फिल्मकार सफल रहे हैं. यानी कि लोकेशन काफी सुंदर व खूबसूरत चुनी गयी है. हॉरर फिल्म या सीरीज  में आम तौर पर जिस तरह का संगीत परोसा जाता है,उससे इसका संगीत काफी अलग है.

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अभिनयः

परामनोवैज्ञानिक बरूण के किरदार में प्रियांशु चटर्जी काफी सुस्त नजर आते हैं. शोमिली के किरदार में कुछ दृश्यों में डर की भावनाओं को चित्रित करने में नायरा बनर्जी सफल रही हैं. नायरा बनर्जी अपने आस पास होने वाली घटनाओ को बेहतर अहसास दिलाती हैं. शौमिली के किरदार में उन्होने इस बात के संकेत दिए हैं कि उनके अंदर अभिनय प्रतिभा की कमी नही है. जरुरत है एक बेहतरीन निर्देशक की,जो उनके अंदर की कला को निखार सके. एम्मा गैलियानो, सिड मक्कर, टोनी रिचर्डसन और जॉर्ज डावसन के हिस्से करने को कुछ खास नही रहा.

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