Travel Special: 5 रोमांटिक हनीमून डैस्टिनेशन

हर कपल की यह ख्वाहिश होती है कि उन का हनीमून यादगार बने, जिस में वे हाथ में हाथ डाल कर एकदूसरे के साथ रोमांटिक पल बिताएं. लाइफ में हनीमून पीरियड सिर्फ एक बार आता है, जिसे हर कपल जीभर कर जी लेना चाहता है. लेकिन उस के लिए जरूरी है ऐसे हनीमून डैस्टिनेशन का चयन करने की, जहां लवबर्ड्स भीड़भाड़ से दूर एकदूसरे के साथ रोमांटिक व इंटीमेट पल बिता सकें.

तो आइए, जानते हैं ऐसी जगहों के बारे में, जो आप के हनीमून के लिए बैस्ट रहने वाली हैं:

सिक्किम

अगर आप हनीमून के लिए किसी शांत, रोमांटिक व खूबसूरत जगह की तलाश कर रहे हैं तो सिक्किम उन में से वन औफ द बैस्ट जगह है क्योंकि हिमालय की वादियों में बसा सिक्किम अपनी नैचुरल ब्यूटी के लिए जाना जाता है. यहां ग्रीन वैली, ऊंचेऊंचे पहाड़, चहकती नदियां, मोनेट्री, स्नो फाल, यहां का सुहावना मौसम हर तरह से लवबर्ड्स के लिए परफैक्ट जगह है.

टोसोमगो लेक: अगर आप ऐडवैंचर करने के शौकीन हैं तो इस जगह को बिलकुल भी मिस न करें क्योंकि बर्फ से ढकी चोटियों के साथ यहां खूबसूरत  झील है, जिस के किनारे बैठ कर आप अपने पार्टनर के साथ रोमांटिक पलों का आनंद उठा सकते हैं. साथ ही  झील के किनारे याक की खूबसूरत सवारी पर बैठ कर कपल एकदूसरे की नजदीकी का मजा लेने के साथसाथ इन यादगार पलों को कैमरे में भी कैद कर सकते हैं.

गंगटोक: सिक्किम में गंगटोक एक ऐसा पर्यटन स्थल है, जहां किसी भी कपल को जाने पर कभी पछतावा नहीं होगा क्योंकि यहां खूबसूरत नजारों से ले कर ऐडवैंचर व स्ट्रीट फूड तक का लुत्फ उठाया जा सकता है. यह जगह ऐडवैंचर लवर्स के लिए भी काफी अच्छी है. यहां टेस्टा रिवर में आप रिवर राफ्टिंग का लुत्फ भी उठा सकते हैं.

वहीं आप गंगटोक के नजदीक बलिमान दर्रा, बुलबुले दर्रा आदि में आप पैराग्लाइडिंग का मजा ले कर पहाड़ों, आसमान को नजदीक से देखने का मजा ले सकते हैं. ये ऐडवैंचर दिल को छू जाने वाले हैं. गंगटोक के लोकल प्लेसेज को अपने पार्टनर के साथ विजिट करने के लिए ठंडीठंडी हवाओं व खूबसूरती का मजा लेते हुए साइकिल टूर कर सकते हैं.

लाचेन लाचुंग: सिक्किम का यह बेहद खूबसूरत शहर लाचुंग, उत्तर सिक्किम जिले में स्थित है. लाचुंग, लाचेन और लाचुंग नदियों के संगम पर स्थित है, जो आगे जा कर तीस्ता नदी में मिल जाता है. यह जगह इतनी अधिक खूबसूरत है कि पर्यटक खुद को यहां लाए बिना नहीं रह पाते हैं. यहां का मुख्य अट्रैक्शन सुंदर  झरने, नदियां व सेब के बगीचे सब का ध्यान आकर्षित करते हैं.

बैस्ट टाइम टु विजिट: स्प्रिंग सीजन व विंटर सीजन

कितने दिन: 6-7 डेज.

नजदीकी एयरपोर्ट: बागडोगरा एयरपोर्ट शहर के सब से नजदीक है.

नजदीकी रेलवे स्टेशन: जलपाईगुड़ी, सिलीगुड़ी.

बजट: ₹30 से 35 हजार.

लोकल फूड: अगर आप हनीमून के लिए सिक्किम आने का प्लान कर रहे हैं तो यहां का फेमस लोकल फूड, जिस में मोमोज, मसूरिया करी, किनेमा सोयाबीन डिश, थुक्पा आदि जरूर ट्राई करें.

अंडमान ऐंड निकोबार आइलैंड

अगर आप और आप के पार्टनर को सी बहुत पसंद है तो आप गोवा, केरल का तो पहले ही विजिट कर आए हैं. आप के लिए कूल व रिलैक्सिंग सा हनीमून डैस्टिनेशन है अंडमान ऐंड निकोबार आइलैंड, जहां बीचेस पर पार्टनर के साथ मस्ती करने के साथ आप अंडरवाटर स्पोर्ट्स गेम्स का भरपूर लुत्फ उठा सकते हैं. यह दीपसमूह  बंगाल की खाड़ी और अरब सागर के संगम पर है जहां आप अपने पार्टनर के साथ फुरसत के क्षणों को बिता कर अपने हनीमून ट्रिप को यादगार बना सकते हैं.

यहां देखने के एक से एक नजारों के साथ ऐडवैंचर की भी कोई कमी नहीं है. इसलिए सी लवर्स के लिए यह जगह बैस्ट है. अगर आप इस आइलैंड पर जाने की सोच रहे हैं तो इन जगहों पर जाना न भूलें:

सेल्यूलर जेल: इसे काला पानी के नाम से भी जाना जाता है. अंगरेज स्वतंत्रता सेनानियों को इसी जेल में रख कर तरहतरह की यातनाएं देते थे. यहां रात को होने वाला लाइट शो देखने लायक है. इसलिए आप इसे देखने के बाद ही आगे बढ़ें क्योंकि अगर आप ने इसे नहीं देखा तो आप हमेशा इसे मिस करते रहेंगे.

नील द्वीप: अगर धरती पर स्वर्ग देखने की बात हो तो नील द्वीप से बेहतर कोई दूसरी जगह नहीं है क्योंकि आसमान की चादर से ढका यह द्वीप आप के तनमन को तरोताजा करने के साथसाथ आप को अपने पार्टनर के साथ फुल रिलैक्स करवाने का भी काम करेगा. यहां पर भरतपुर समुद्र तट शांत होने के साथ वाटर स्पोर्ट्स को ऐंजौय करने के साथ काफी अच्छी जगह है. यहां कांच के नीचे वाटर राइड, स्कूबा डाइविंग, स्नौर्कलिंग आदि राइड्स होती हैं, जिसे आप ऐक्सपर्ट की देखरेख में अच्छी तरह ऐंजौय कर सकते हैं.

राजीव गांधी वाटर स्पोर्ट्स कौंप्लैक्स: इस स्पोर्ट्स कौंप्लैक्स में आप अपने पार्टनर के साथ बनाना राइड, स्पीड बोट राइड, जैट स्कीइंग का भरपूर आनंद उठा सकते हैं.

राधानगर बीच: हैवलौक आइलैंड पर स्थित यह बीच खूबसूरत नजारों के लिए जाना जाता है. यहां का सूर्यास्त देखने का लोग बड़ी बेसब्री से इंतजार करते हैं. यहां नीले रंग का पानी लोगों को मंत्रमुग्ध कर देता है. यहां कपल्स बैस्ट टाइम स्पैंड करने के साथसाथ स्नौर्कलिंग व स्कूबा डाइविंग का भी जी भर कर लुत्फ उठा सकते हैं.

चिडि़या टापू: जी हां, आप को यहां ढेर सारे पक्षी देखने के साथासाथ अनदेखे प्रवासी पक्षियों की भी  झलक देखने को मिलेगी.

बैस्ट टाइम टु विजिट: अप्रैल, मई ऐंड अक्तूबर, नवंबर. (मौनसून सीजन में जाने से बचें).

कितने दिन: 7-8 डेज.

नजदीकी एयरपोर्ट: पोर्ट ब्लेयर एयरपोर्ट.

बजट: ₹50 से ₹60 हजार.

लोकल फूड: आप यहां पर नारियल पानी का जी भर कर लुत्फ उठा सकते हैं, साथ ही आप यहां पर कोकोनट प्रौन करी, तंदूरी फिश , अंडमान फेमस कुलचा, भेल चाट, फ्रूट चाट, करी स्पैशल आदि का लुत्फ भी सकते हैं.

अन्नामलाई हिल्स

अन्नामलाई हिल्स को ऐलिफैंट माउंटैंस के नाम से भी जाना जाता है और यह जगह जंगल लविंग कपल्स के लिए खासी प्रचलित है. यह केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु राज्यों से गुजरने वाले पश्चिमी घाट का हिस्सा है. इसे ऐलिफैंट माउंटैंस या हाथी की पहाड़ी इसलिए कहा जाता है क्योंकि अन्नामलाई अनइ और मलाई 2 शब्दों से मिल कर बना है. अनइ का अर्थ है हाथी और मलाई का अर्थ है पहाड़ी:

इंदिरा गांधी वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी: यहां आप अपने पार्टनर के साथ जंगल सफारी का लुत्फ उठाते हुए ऐनिमल्स की विभिन्न प्रजातियां देख सकते हैं, जिन में बिल्लियां, बाघ, तेंदुआ, जंगली सूअर, हिरण व हाथी शामिल हैं.

ठुनककदावु: अन्नामलाई वन्यजीव  अभयारण्य को देखने के बाद आप ठुनककदावु नामक ट्रैंडी लेक को जरूर देखें. यह  झील आप को ठंडक पहुंचाएगी क्योंकि यह  झील हरेभरे जंगलों से घिरी हुई जो है. इस  झील में काफी मगरमच्छ हैं, इसलिए इसे दूर से ही देखें.

परंबिकुलम सैंक्चुअरी: अन्नामलाई वन्यजीव अभयारण्य की सीमा पर परंबिकुलम सैंक्चुअरी के रूप में जाने जाना वाला 285 वर्ग किलोमीटर का जंगल केरल के प्रमुख वन्यजीव अभयारण्यों में से एक है. यहां की सुंदरता देखने लायक है. यहां बांस, चंदन, शीशम व सागौन के स्टैंड हैं. साथ ही पशु प्रजातियों में बाघ, हिरण, जंगली कुत्ते, भालू व लंगूर देखने को मिलेंगे.

वारागलियर ऐलिफैंट कैंप: इस जगह पर आप खुल कर ऐलीफैंट्स को देख सकते हैं. यह जगह अन्नामलाई फौरेस्ट के दाईं ओर एक सुनसान जगह में स्थित है. इस जगह को देख आप का मन खुश हो जाएगा क्योंकि एक तो सुनसान जगह और दूसरा पार्टनर का साथ आप को खुलकर इस हनीमून पीरियड को स्पैंड करने का मौका देगा. बस जब भी अन्नामलाई आएं तो वाइल्डलाइफ सफारी और ऐनिमल स्पोटिंग को मिस न करें.

बेस्ट टाइम टु विजिट: यहां आप वैसे किसी भी सीजन में आ सकते हैं. लेकिन मई से नवंबर तक का मौसम काफी बेस्ट है.

कितने दिन: 4-5 डेज

नजदीकी एयरपोर्ट: कोयंबटूर

नजदीकी रेलवे स्टेशन: पोलाची

बजट: ₹30 से ₹40 हजार.

लोकल फूड: यहां आप वैज से ले कर नौन वैज डिशेज का जीभर कर लुत्फ उठा सकते हैं. साथ ही सफारी के दौरान सूपी मैग्गी, सूप, पकौड़ों का मजा ले कर ट्रिप के मजे को और बढ़ा सकते हैं.

कुर्ग

यह हिल स्टेशन भारत के कर्नाटक राज्य में स्थित है. इस जगह को खूबसूरत नजारों व वादियों के लिए जाना जाता है. कुर्ग समुद्री तट से 1525 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. यहां चाय, कौफी के बागान प्रचुर मात्रा में होने के साथसाथ यह जगह हनीमून कपल्स के लिए काफी रोमांचकारी है क्योंकि शायद ही कोई कपल ऐसा होगा, जिसे वादियां, ठंडा मौसम,  झीलें, फूलों से भरे बागान पसंद न हों.

यह जगह रोमांस के साथसाथ आप को अंदर से तरोताजा करने का भी काम करेगी. अगर आप हनीमून के लिए कुर्ग जाने का प्लान कर रहे हैं तो इन जगहों पर विजिट करना न भूलें:

एबी फाल्स: पहाड़ों के बीच से निकला  झरना किसे मंत्रमुग्ध नहीं करेगा और खासकर तब जब यह  झरना हरेभरे कौफी के बागानों से घिरा हुआ हो.  झरना, बादलों का नीचे आना और ठंडाठंडा मौसम देख कपल्स एकदूसरे के करीब आए बिना नहीं रह पाएंगे. यकीन मानिए यह फाल आप के रोमांस को और बढ़ाने का काम करेगा.

ताडिअदामोल पीक: कुर्ग की सब से ऊंची चोटी में शामिल है ताडिअदामोल पीक. यह पहाड़ घने जंगलों से भरे पड़े हैं. इस जगह तक पहुंचने के लिए आप ट्रैकिंग का भी सहारा ले सकते हैं या फिर आप जीप से भी इस जगह का मजेदार सफर तय कर सकते हैं. पीक पर पहुंच कर आप ऊंचाई को तो अनुभव करेंगे ही, साथ ही आप इस जगह पर अपने पार्टनर के साथ मनमोहक दृश्यों के साथ सैल्फी का भी लुत्फ उठा कर अपने इन पलों को यादगार बना सकते हैं.

राजा सीट: यह जगह खूबसूरत नजारों से भरी पड़ी है. नेचर लवर इस जगह पर आ कर सुकून के पल बिताने के साथसाथ यहां की सुंदरता का आनंद भी उठा सकते हैं. यहां फूलों की बाहर तो है ही, साथ ही यहां पर लगे म्यूजिकल फाउंटेन इस जगह को और सुंदर बनाने का काम करते हैं. इसलिए आप इस जगह को मिस न करें.

बारपोल नदी: एक तो बहती नदी और दूसरा इस में रिवर राफ्टिंग हनीमून ट्रिप को और मजेदार बनाने का काम करेगी. यहां आ कर आप पार्टनर के साथ पानी में अठखेलियां कर राफ्टिंग का मजा ले सकते हैं. यह जगह खूबसूरत नजारों से भरी होने के साथसाथ ऐडवैंचर लवर्स को खूब भाती है.

ब्रह्मगिरी ट्रैक: इस ट्रैक को पार करने के लिए आप को खूबसूरत नजारों से गुजरना होगा. यहां की हरियाली नदियां इस ट्रैक के सफर को यादगार बनाने का काम करती हैं.

नागरहोले राष्ट्रीय उद्यान: नेचर लवर इस जगह पर जरूर आएं क्योंकि यहां आप को जीवों की विविधता दिखने के साथसाथ आकर्षक नजारे भी देखने को मिलेंगे.

बैस्ट टाइम टु विजिट: मार्च से अक्तूबर.

कितने दिन: 3-4 डेज.

नजदीकी एयरपोर्ट: मंगलौर इंटरनैशनल एयरपोर्ट.

नजदीकी रेलवे स्टेशन: मैसूर रेलवे स्टेशन.

बजट: ₹25 से ₹30 हजार.

पहलगाम

जम्मू और कश्मीर के खूबसूरत शहरों में से एक है पहलगाम. यहां के नजारे देख हरकोई बस उन्हें देखता ही रह जाता है. यह जगह अनंतनाग जिले के अंतर्गत आती है. यह जगह किसी स्वर्ग से कम नहीं है. यहां देवदार और चीड़ के वृक्ष ब्यूटी में चारचांद लगाते हैं.

बर्फ से ढकी वादियां वैसे तो सभी को मोहित करती हैं, लेकिन हनीमून कपल से लिए यह जगह किसी जन्नत से कम नहीं क्योंकि यहां खूबसूरत नजारों के साथसाथ ऐडवैंचर स्पोर्ट्स का कपल्स जीभर कर लुत्फ जो उठा सकते हैं. इसलिए जब भी यहां आने का प्लान करें तो इन जगहों पर घूमना न भूलें.

अरु वैली: पहलगाम आएं और यह वैली न देखें, ऐसा हो ही नहीं सकता क्योंकि यह वैली घने जंगलों से घिरी होने के कारण बेहद खूबसूरत दिखती है. यहां आ कर आप शांत माहौल में पार्टनर के साथ क्वालिटी टाइम स्पैंड करने के साथसाथ जीभर कर मस्ती भी कर सकते हैं क्योंकि यह जगह यहां की खूबसूरती के साथसाथ ट्रैकिंग और घुड़सवारी के लिए भी जानी जाती है. यकीन मानिए जब आप पार्टनर के साथ घुड़सवारी का मजा लेंगे तो आप इन पलों को भूल नहीं पाएंगे.

तुलियन  झील: पहलगाम से 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित तुलियन  झील खूबसूरत नजारों से भरी पड़ी है. यह  झील बर्फ से ढकी होने के कारण पर्यटकों के लिए हमेशा आकर्षण का केंद्र बनी रहती है.

बेताब घाटी: यह जगह पहलगाम से 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां बर्फ के नजारे, नदियां व देवदार के पेड़ इस जगह को स्वर्ग बनाने का काम करते हैं. आप यह पहलगाव में आइस गेम्स, ट्रैकिंग, बोटिंग व घुड़सवारी का मजा भी ले सकते हैं.

चंदनवारी: यह अमरनाथ यात्रा का ऐंट्री पौइंट है. आप को यहां से नीचे नदी बहती हुई दिख जाएगी, जो इस जगह की खूबसूरती को और बढ़ाने का काम करती है.

बैस्ट टाइम टु विजिट: मार्च से नवंबर.

नजदीकी एयरपोर्ट: श्रीनगर.

नजदीकी रेलवे स्टेशन: उदमपुर.

बजट: ₹30 से ₹40 हजार.

लोकल फूड: यहां आप मटन रोगन जोश, मोदुर पुलाव, कहवा, कश्मीरी मुजी, कश्मीरी बैगन, मोमोस, थुक्पा, नादिर मोंजी इत्यादि का मजा ले सकते हैं.

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Summer Special: नेचुरल ब्यूटी से भरपूर है पूर्वोत्तर राज्य

पूर्वोत्तर राज्यों में कुदरती खूबसूरती सौगात बन कर बरसती है. यहां आ कर एक नए भारत के दर्शन होते हैं. आदिवासी जीवन, नृत्यसंगीत, लोककलाएं व परंपराओं से रूबरू होने के साथसाथ प्राकृतिक सुंदरता और सरल जीवनशैली भी यहां के खास आकर्षण हैं.

पूर्वोत्तर राज्यों की  खूबसूरती का जवाब नहीं. यहां के घने जंगल, हरेभरे मैदान, पर्वत शृंखलाएं सैलानियों को बहुत लुभाते हैं. सरल स्वभाव के पूर्वोत्तरवासी अपनी परंपराएं और संस्कृति आज भी कायम रखे हुए है. यहां आ कर ऐसा प्रतीत होता है कि मानो हम किसी दूसरी दुनिया में आ गए हैं. यहां के हर राज्य का अपना नृत्य व अपना संगीत है.

गुवाहाटी

गुवाहाटी असम का प्रमुख व्यापार केंद्र है. गुवाहाटी उत्तरपूर्व सीमांत रेलवे का मुख्यालय है. सड़क मार्ग से भी यह आसपास के राज्यों के अनेक शहरों शिलौंग, तेजपुर, सिलचर, अगरतला, डिब्रूगढ़, इंफाल आदि से जुड़ा हुआ है. यही कारण है यह पूर्वोत्तर का गेटवे कहलाता है.

असम

यहां का सब से बड़ा आकर्षण कांजीरंगा नैशनल पार्क है. गैंडे, बाघ, बारहसिंगा, बाइसन, वनविलाव, हिरण, सुनहरा लंगूर, जंगली भैंस, गौर और रंगबिरंगे पक्षी इस नैशनल पार्क के आकर्षण हैं. बल्कि बर्ड वाचर्स के लिए तो कांजीरंगा बर्ड्स पैराडाइज है. पार्क में हर तरफ घने पेड़ों के अलावा एक खास किस्म की घास, जो हाथी घास कहलाती है, भी देखने को मिलती है. इस घास की खासीयत यह है कि इस की ऊंचाई आम पेड़ जितनी है. यहां की घास इतनी लंबी है कि इन के बीच हाथी भी छिप जाएं. इसी कारण यह घास हाथी घास कहलाती है. कांजीरंगा ऐलीफैंट सफारी के लिए ही अधिक जाना जाता है. यहां हर साल फरवरी में हाथी महोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. इस महोत्सव का मकसद सिर्फ पर्यटन को बढ़ावा देना नहीं है, बल्कि इस क्षेत्र में पाए जाने वाले एशियाई हाथियों का संरक्षण और उन्हें सुरक्षा प्रदान करना भी है.

कांजीरंगा में हाथी सफारी का मजा बागुड़ी, मिहीमुखी में लिया जा सकता है. हाथी की सवारी के लिए सब से जरूरी हिदायत यह दी जाती है कि पैर पूरी तरह से ढके होने चाहिए वरना यहां पाए जाने वाली हाथी घास से दिक्कत पेश आ सकती है. कांजीरंगा जाने का बेहतर समय नवंबर से ले कर अप्रैल तक है. यहां खुली जीप में या हाथी की सवारी कर पहुंचा जा सकता है. कांजीरंगा के पास ही नामेरी नैशनल पार्क है. यह रंगबिरंगी चिडि़यों और ईकोफिश्ंिग के लिए जाना जाता है. नामेरी पार्क हिमालयन पार्क के नाम से भी जाना जाता है.

यहां से 40 किलोमीटर की दूरी पर एक ऐतिहासिक खंडहर है. यह देखने में बड़ा अद्भुत है, लेकिन विडंबना यह है कि इस खंडहर के बारे में अभी तक ज्यादा पता नहीं चल पाया है. गुवाहाटी से 369 किलोमीटर की दूरी पर शिवसागर है. असम के चाय और तेल व प्राकृतिक गैस के लिए शिवसागर जिला प्रसिद्ध है. यहां एक  झील है. इसी  झील के चारों ओर बसा है. असम के अन्य दर्शनीय स्थलों में बोटैनिकल गार्डन, तारामंडल, ब्रह्मपुत्र पर सरायघाट पुल, बुरफुकना पार्क साइंस म्यूजियम और मानस नैशनल पार्क शामिल हैं.

भारत में सब से अधिक वर्षा के लिए जाना जाने वाला चेरापूंजी भी असम में ही है. यह बंगलादेश की सीमा पर है. पर्यटन के लिए सब से अच्छा समय अक्तूबर से मई तक है.

क्या खरीदें

खरीदारी के लिए यहां बांस के बने शोपीस से ले कर बहुत सारा सजावटी सामान है. इस के अलावा महिलाओं के पहनने के लिए मेखला है. यह थ्री पीस ड्रैस है. चोली और लुंगीनुमा मेखला असम का पारंपरिक पहनावा है. इस के साथ दुपट्टेनुमा एक आंचल, साड़ी के आंचल की तरह ओढ़ा जाता है.

  -साधना

ईटानगर

असम, मेघालय के रास्ते अरुणाचल की राजधानी ईटानगर पहुंचा जा सकता है. ईटानगर पहुंचने का दूसरा रास्ता है मालुकपोंग, जो असम के करीब है. यानी असम की यात्रा यहां पूरी हो सकती है, इस के आगे का रास्ता ईटानगर को जाता है.

ईटानगर के आकर्षणों में ईंटों का बना अरुणाचल फोर्ट है. इस के अलावा एक और आकर्षण है और वह है हिमालय के नीचे से हो कर बहती एक नदी जिसे स्थानीय आबादी गेकर सिन्यी के नाम से पुकारती है. जवाहर लाल नेहरू म्यूजियम, क्राफ्ट सैंटर, एंपोरियम ट्रेड सैंटर, चिडि़याघर और पुस्तकालय भी हैं.

टिपी और्किड सैंटर से 165 किलोमीटर की दूरी पर बोमडिला है जो खूबसूरत और्किड के फूलों के लिए विशेष रूप से जाना जाता है. यहां और्किड फूलों का एक सेंटर है, जो टिपी आर्किडोरियम के नाम से जाना जाता है. यहां 300 से भी अधिक विभिन्न प्रजातियों के और्किड के फूलों के पौधे देखने को मिल जाते हैं.

बोमडिला की ऊंचाई से हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियां, विशेष रूप से गोरिचन और कांगटो की चोटियां खूबसूरत एहसास दिलाती हैं. यहां से 24 किलोमीटर की दूरी पर सास्सा में पेड़पौधों की एक सैंक्चुरी है. पहाड़ी नदी माकेंग में पर्यटक और एडवैंचर टूरिज्म के शौकीनों के लिए यहां वाइट वाटर राफ्ंिटग का मजा कुछ और ही है. यहां नदी में फिश्ंिग का भी शौक पर्यटक पूरा करते हैं.

अरुणाचल के हरेक टूरिस्ट स्पौट के लिए बसें, टैक्सी, जीप और किराए पर हर तरह की कार मिल जाती हैं. ईटानगर अक्तूबर से ले कर मई के बीच कभी भी जाया जा सकता है. यहां सर्दी और गरमी दोनों ही मौसम में पर्यटन का अलग मजा है.

अगरतला

पूर्वोत्तर भारत में त्रिपुरा वह राज्य है जो राजेरजवाड़ों की धरती कहलाती है. दुनियाभर में हर जगह लोग प्रदूषण की मार  झेल रहे हैं जबकि त्रिपुरा को प्रदूषणविहीन राज्य माना जाता है. इस राज्य का बोलबाला यहां के खुशगवार और अनुकूल पर्यावरण के लिए भी है. त्रिपुरा पर्यटन के कई सारे आयाम हैं. सिपाहीजला, तृष्णा, गोमती, रोवा अभयारण्य और जामपुरी हिल जैसे यहां प्राकृतिक पर्यटन हैं. वहीं पुरातात्विक पर्यटन के लिए उनाकोटी, पीलक, देवतैमुरा (छवि मुरा), बौक्सनगर भुवनेश्वरी मंदिर आदि हैं. अगर वाटर टूरिज्म की बात की जाए तो रुद्रसार नीलमहल, अमरपुर डुमबूर, विशालगढ़ कमला सागर मौजूद हैं.

त्रिपुरा में ईको टूरिज्म के लिए कई ईको पार्क हैं. तेपानिया, कालापानिया, बारंपुरा, खुमलांग, जामपुरी आदि ईको पार्क हैं. पर्यटकों के लिए त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में सब से महत्त्वपूर्ण दर्शनीय स्थल जो है वह उज्जयंत पैलेस है. यह राजमहल एक वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. 3 गुंबज वाले इस दोमंजिले महल की ऊंचाई 86 फुट है. बेशकीमती लकड़ी की नक्काशीदार भीतरी छत व इस की दीवारें देखने लायक हैं. महल के बाहर मुगलकालीन शैली का बगीचा पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है.

पर्यटकों के लिए दर्शनीय स्थलों में अगरतल्ला से 55 किलोमीटर की दूरी पर है रुद्धसागर नामक एक  झील. इस  झील के किनारे बसा है नीरमहल. इस महल का स्थापत्य मुगलकालीन है. ठंड के मौसम में यहां यायावर पक्षियों का जमघट लग जाता है. अगरतला से 178 किलोमीटर की दूरी पर उनकोटि है. यह जगह चट्टानों पर खुदाई कर के बनाई गई कलाकृतियों के लिए विख्यात है. पहाड़ों की ढलान पर यहां 7वीं और 9वीं शताब्दी के दौरान चट्टानों को काट कर, छील कर और खुदाई कर अनुपम कलाकृतियां बनाई गई हैं. ये कलाकृतियां विश्व- विख्यात हैं.

यहां 19 से भी अधिक आदिवासी जनजातियों का वास है. इसीलिए त्रिपुरा को आदिवासी समुदायों की धरती भी माना जाता है. हालांकि मौजूदा समय में आदिवासी और गैर आदिवासी समुदाय यहां मिलजुल कर रहते हैं और एकदूसरे के पर्वत्योहार भी मनाते हैं.

कैसे पहुंचें

हवाई रास्ते से अगरतला देशभर से जुड़ा हुआ है. ज्यादातर हवाई जहाज गुवाहाटी हो कर अगरतला पहुंचते हैं. ट्रेन के रास्ते गुवाहाटी से होते हुए अगरतला तक पहुंचा जा सकता है. सड़क के रास्ते कोलकाता से अगरतला की दूरी 1,645 किलोमीटर, गुवाहाटी से 587, शिलौंग से 487 और सिलचर से 250 किलोमीटर है. सड़क के रास्ते जाने के लिए लक्जरी कोच, निजी व सरकारी यातायात के साधन उपलब्ध हैं. पासपोर्ट और वीजा साथ ले कर चलें तो त्रिपुरा के रास्ते बंगलादेश भी घूमा जा सकता है.

सिक्किम

रेल मार्ग या सड़क मार्ग से सिक्किम जाया जा सकता है. रेलयात्री जलपाईगुड़ी, सिलीगुड़ी, कलिंपोंग होते हुए जाते हैं, जबकि सड़क मार्ग तिस्ता नदी के किनारेकिनारे चलता है. तिस्ता सिक्किम की मुख्य नदी है. जलपाईगुड़ी से एक टैक्सी ले कर हम सिक्किम की राजधानी गंगटोक के लिए चल पड़े. तिस्ता की तरफ निगाह पड़ती तो उस का साफ, स्वच्छ सतत प्रवाहमान जल मनमोह लेता और जब वनश्री की ओर निगाह उठती तो उस की हरीतिमा चित्त चुरा लेती. प्रारंभ में शाल, सागौन, अश्वपत्र, आम, नीम के  झाड़ मिलते रहे और कुछ अधिक ऊंचाई पर चीड़, स्प्रूस, ओक, मैग्नोलिया आदि के वृक्ष मिलने लगे. हम 7 हजार फुट की ऊंचाई पर पहुंच गए थे, जिस से समशीतोष्ण कटिबंधीय वृक्षों की अधिकता दिखाई दे रही थी.

रंगपो शहर पश्चिम बंगाल व सिक्किम के सीमांत पर स्थित है. यहां ठंड अधिक होती है. फिर हम गंगटोक पहुंचे. वहां हनुमान टैंक घूमने गए. वहां से कंचनजंघा की तुषार मंडित, धवल चोटियां स्पष्ट दिखाई दे रही थीं.  अपूर्व अलौकिक दृश्य देखा. अहा, यहां प्रकृति प्रतिक्षण कितने रूप बदलती है. सूर्योदय के पूर्व कंचनजंघा अरुणिम आभा में रंगा था और जब सूर्य ने प्रथमतया उस की ओर अपनी सुनहरी किरणों से स्पर्श किया, उस का रंग और भी लाल हो गया.

धूप में कंचनजंघा की बर्फीली चोटियां स्वच्छ धवल चांदी की तरह चमक रही थीं. गंगटोक से थोड़ी ही दूर है जीवंती उपवन प्रकृति का मनोरम नजारा प्रस्तुत करता है यह उपवन. रूमटेक गुम्पा भी सिक्किम का एक प्रसिद्ध गुम्पा है. गंगटोक से 30 किलोमीटर दूर तक छोटी सी पहाड़ी की पृष्ठभूमि में इस का निर्माण किया गया है. यहां लामाओं को प्रशिक्षित किया जाता है. वहां का शांत और पवित्र वातावरण सुखद अनुभव देता है.

गंगटोक से पहले की सिक्किम की राजधानी गेजिंग से 15 किलोमीटर दूर पश्चिम में एक छोटा सा गांव है प्रेमयांची. यहां से अन्यत्र जाने के लिए अपने पैरों पर ही भरोसा रखना पड़ता है. 2,600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित प्रेमयांची बौद्ध धर्म की नियंगमा शाखा का सब से बड़ा गुम्पा है. यहां के सभी लामा लाल टोपी पहनते हैं. इसे लाल टोपी धारी लामाओं का गुम्पा भी कहते हैं.

इस गुम्पा के अंदर ‘संग थी पाल्थी’ नाम की उत्कृष्ट कलाकृति प्रथम तल पर स्थापित है. इस कलाकृति से जीव की 7 अवस्थाओं का परिचय मिलता है. कक्ष की भीतरी दीवारों पर अनेक सुंदर चित्र निर्मित हैं, जो भारतीय बाम तंत्र से प्रभावित जान पड़ते हैं.

सेमतांग के पहाड़ों पर चाय के खूबसूरत बागान हैं. दूर से देखने पर लगता है जैसे हरी मखमली कालीन बिछा दी गई हो. यहां से सूर्यास्त का नजारा देखने लायक होता है. इस अद्वितीय दृश्य का लाभ लेने के लिए हमें वहां कुछ घंटों तक ठहरना पड़ा और जब सूर्य दूसरे लोक में गमन की तैयारी करने लगा तो हमारी आंखें उधर ही टंग गईं. सूर्यास्त का नजारा देखने लायक था.

सारा सिक्किम कंचनजंघा की आभा से मंडित प्रकृति सुंदरी के हरेभरे आंचल के साए में लिपटा हुआ है. चावल, बड़ी इलायची, चाय और नारंगी के बाग से वहां की धरती समृद्धि से भरपूर है. तिस्ता की घाटी अपनेआप में सौंदर्य व प्रेम के गीतों की संरचना सी है. यहां की वनस्पतियों में विविधता है. सब से बड़ी बात यह है कि औषधीय गुण वाले वृक्षों की वहां बहुतायत है.

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वुमन ट्रेवलर्स के लिए सबसे सेफ हैं ये 8 शहर

भ्रमण के शौकीन लोग किसी पर्यटन स्थल पर जाने से पहले कुछ बातों को सुनिश्चित जरूर करना चाहते हैं, जिनमें सबसे पहले आता है महिलाओं की सुरक्षा. हमारे देश में कई ऐसे शहर है जो महिला पर्यटकों के लिए सुरक्षित माने जाते हैं. यहां पर अकेली महिला पर्यटक भी बिना किसी दिक्कत के यात्रा कर सकती है.

1. लद्दाख

यह सोलो ट्रेवलिंग के लिए सबसे बेहतरीन जगहों में से एक है और जहां तक संभव हो यहां अकेले ही जाना चाहिए. कहीं बाइकर्स के ग्रुप तो कहीं अकेले यात्रा करते लोग भी आपको यहां मिल जाएंगे. मगर यहां अकेले जाने से पहले एक बात का ध्यान जरूर रखें कि यहां से जुड़ी हर जानकारी पहले से जुटा लें. यहां के स्थानीय लोग भी पर्यटकों के लिए बहुत मददगार होते हैं.

2. उदयपुर

राजस्थान के लोगों की खास बात होती है कि वो बहुत फ्रेंडली और हेल्पफुल नेचर के होते हैं और उदयपुर में ऐसे लोगों की कमी नहीं है. बस उदयपुर की एक बात आपको बोर कर सकती है वो ये कि यहां की ज्यादातर जगहें कपल डेस्टिनेशन के तौर पर जानी जाती है तो अकेले वहां जाना थोड़ा अजीब लग सकता है. लेकिन अगर आप एडवेंचर के शौकीन हैं तो बिना किसी फ्रिक के यहां घूम सकते हैं.

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3. नैनीताल

उत्तराखंड की ये जगह अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के साथ यहां के लोगों की खास आवभगत और दोस्ती भरे मिजाज के लिए जानी जाती है. इस कारण से ही देश के अनेक स्थानों से आने वाली लड़कियों या महिलाओं के अकेले घूमने के लिए यह बेहतर जगह है. यहां लोगों की अच्छी-खासी तादाद मिल जाती है, जिससे आप खुद को कभी अकेला महसूस नहीं करेंगी.

4. मैसूर

अगर आप प्राचीन इमारतों व इतिहास की शौकीन हैं तो ये जगह आपके लिए परफेक्ट रहेगी. यहां समय-समय पर कई राजाओं का शासन रहा, जिसके सबूत के तौर पर किले आज भी जीवित हैं. यहां के लिए माना जाता है कि महिलाएं और लड़कियां रात में भी अकेले घूम सकती हैं.

5. सिक्किम

नार्थ ईस्ट की ज्यादातर जगहें आपको अट्रैक्ट करने का कोई मौका नहीं छोड़ेंगी खासतौर से सिक्किम. चारों ओर ऊंची-ऊंची पहाड़ियां, गहरी घाटियां और बौद्ध मोनेस्ट्रीज यहां की खूबसूरती को दोगुना करते हैं. यहां के लोग बहुत ही फ्रेंडली होते हैं इसलिए यहां आप बेफ्रिक होकर ट्रिप को एन्जॉय कर सकती हैं. यहां खाने-पीने के भी ढेरों ऑप्शन्स मौजूद हैं.

6. काजीरंगा

महिलाओं के लिए आसाम के काजीरंगा नेशनल पार्क में घूमना बहुत ही यादगार और शानदार ट्रिप साबित हो सकता है. वाइल्ड लाइफ का एक्सपीरियंस लेने के लिए ये बहुत अच्छा ऑपशन है. अकेले घूमना हो या ग्रूप, महिलाओं के लिए हर लिहाज से सेफ है.

7. शिमला

हिल स्टेशन टूरिस्ट्स की सबसे फेवरेट जगह होते हैं और लगभग पूरे साल यहां आनों वालों की भीड़ लगी रहती है इसलिए ये जगह महिलाओं की लिए ज्यादा सुरक्षित होते हैं. शिमला ऐसी ही जगहों में से एक है. सबसे अच्छी और खास बात इन जगहों की होती है कि यहां देर रात को भी सैलानियों को घूमते, खाते-पीते, मौज-मस्ती करते हुए देखा जा सकता है.

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8. खजुराहो

यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल खजुराहो के मंदिर की खूबसूरती वाकई देखने लायक है. यहां टूरिस्ट गाइड से बचने के लिए आपको ट्रिक्स आनी चाहिए वरना ये अच्छे खासे पैसे वसूलते हैं इन मंदिरों की सैर कराने की. लक्ष्मण मंदिर, लक्ष्मी मंदिर, मातंगेश्वर महादेव मंदिर, पार्श्वनाथ मंदिर और आदिनाथ मंदिर बहुत ही खूबसूरत है.

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