सिल्क के बारे में आश्चर्यजनक तथ्य

रेशम के कीड़ों द्वारा उत्पादित सिल्क एक प्राकृतिक फाइबर है. अपने कई अद्भुत गुणों के कारण इसे क्वीन ऑफ़ टेक्सटाइल्सभी कहा जाता है.

सिल्क की बात करें तो यह एक हाइपोएलर्जेनिक है – मतलब कि यह एक प्राकृतिक प्रोटीन फाइबर है और इसलिए सेंसिटिव स्किन वाले लोगों को इससे कोई तकलीफ नहीं होती है जिससे इसे रोज़ पहना जा सकता है.

सिल्क के इस्तेमाल से इंसानों में झुर्रियों की प्रक्रिया धीमी हो जाती है। इसीलिए यह मान्य है कि सिल्क के तकिए पर सोने से सिल्क प्रोटीन में मौजूद आवश्यक अमीनो एसिड के कारण व्यक्ति को झुर्रियां देरी से आती है.

सिल्क अत्यधिक नमी को अवशोषित कर सकता है और अपने वजन का एक तिहाई नमी अवशोषित कर सकता है वह भी बिना नमी का एहसास दिए.

इसके अलावा सिल्क के रेशे स्वभावतः लाइट को अपवर्तित या रिफ्रैक्ट करते हैं. यही कारण है कि सिल्क आमतौर पर जगमगाहट, आभा और चमक के लिए जाना जाता है.

सिल्क में कीड़ों के लिए प्रवेश करना मुश्किल होता है और इसलिए यह मच्छरों से रक्षा कर सकता है. इसलिए सिल्क कीट सुरक्षात्मक कपड़ों और मच्छरदानी के लिए एक आदर्श है.

सिल्क सबसे मजबूत प्राकृतिक फाइबरों में से एक है, जिसका इस्तेमाल कपड़ों से लेकर पैराशूट तक, कम्बलों से लेकर मछली पकड़ने के जाल तक, डॉक्टर के द्वारा लगाए जाने वाले टांके से लेकर प्रोस्थेटिक्स तक के लिए किया जाता है.

सिल्क में थर्मोस्टेटिक गुण होते हैं, जिसके कारण यह तापमान परिवर्तन के अनुसार प्रतिक्रिया करता है. इससे किसी भी व्यक्ति को सर्दियों में गर्म और आरामदायक और गर्मियों में ठंडा और कंफरटेबल महसूस होता है.

सिल्क में रोगाणुरोधी गुण होते हैं इसलिए यह बैक्टीरिया, कवक, वायरस आदि जैसे विभिन्न रोगाणुओं से रक्षा करता है.

सिल्क के कीट के पाउडर में मांस की तुलना में 3 गुना ज्यादा प्रोटीन होता है और इसलिए इसका सेवन हेल्थ सप्लीमेंट के रुप में किया जाता है.

सिल्क की पट्टियां अपने प्रोटीन प्रोफाइल के कारण घावों को तेजी से भरने में मदद करती हैं.

सिल्क का कीट एक महीने में अपने वजन को लगभग 10000 गुना बढ़ा सकता है.

सिल्क कीट लगभग 600 से 1500 मीटर लंबे निरंतर धागा कोकून के रूप में बुनता है.

बेंगलुरु के पास रामनगर कोकून मार्केट दुनिया का सबसे बड़ा कोकून बाज़ार है जहाँ हर दिन लगभग 40,000 से 50,000 किलोग्राम कोकून बेचा जाता है.

शहतूत की पत्ती की चाय में कई औषधीय गुण मौजूद होते हैं, जो ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और अन्य लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों जैसे हाइ ब्लड प्रेशर और वजन घटाने को नियंत्रित करने में मदद करता है.

यह सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी है कि हम हमेशा सिल्क मार्क लेबल के साथ 100% शुद्ध रेशम ही खरीदें और रेशम उद्योग में शामिल देश भर के लगभग एक करोड़ किसानों, धागाकारों, बुनकरों और शिल्पकारों की आजीविका का समर्थन करें और हमारे इतिहास के इस सुनहरे रेशमी उपहार को संरक्षित करे।

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सिल्क की शुद्धता का परीक्षण

सिल्क हमारे देश में शादियों, उत्सवों और समारोहों जैसे हर शुभ अवसर का एक अनिवार्य हिस्सा है. इसलिए सिल्क की मांग भी अधिक है. यह गौरतलब है की भारत सिल्क का सबसे बड़ा उपभोक्ता और दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है.

सिल्क की इस ज्यादा मांग ने उसकी मूल्य श्रृंखला में विकृतियों और मिलावट की घटनाओं को भी जन्म दिया है. नायलॉन, रेयान, पॉलिएस्टर आदि एक से दिखने वाले रेशों की मिलावट से बना कपड़ा शुद्ध सिल्क का बताकर बेचा जाता है जिसकी कीमत शुद्ध सिल्क की कीमत का सिर्फ 10% ही होता है. वहीं उपभोक्ताओं के लिए इन मिलावटी और शुद्ध सिल्क में फर्क पता लगाना बहुत मुश्किल है क्योंकि यह बिलकुल शुद्ध सिल्क जैसा ही दिखता है.

इसीलिए हम सभी के लिए यह जानना जरुरी है कि सिल्क की शुद्धता का परीक्षण कैसे किया जाता है. सिल्क शुद्धता परीक्षणों में से सबसे आसान लौ परीक्षण यानी Flame Test है.  इससे फाइबर शुद्ध सिल्क है या नहीं इसका पता बहुत जल्द और आसानी से लग जाता है.

इस परिक्षण में सिल्क के कपड़े के किनारे से कुछ धागे निकाल लें और उन्हें सिरों से जला दें. अलग- अलग फाइबर के धागे अलग तरह से जलते हैं. सिल्क धीरे-धीरे जलता है और एक काला अवशेष छोड़ता है, जो कि उंगलियों से आसानी से टूट जाता है और जले हुए बालों जैसी गंध देता है. जबकि कॉटन या रेयान, कागज के जलने जैसी गंध के साथ लगातार जलता रहता है और सफेद राख छोड़ता है. वहीं नायलॉन या पॉलिएस्टर की बात करें तो यह तेजी से जलता है और प्लास्टिक की तरह पिघलता है, जिससे कठोर न टूटनेवाले मोती बन जाते हैं.

सिल्क की शुद्धता का पता लगाने का एक और आसान तरीका है. जब भी आप सिल्क खरीदें, सुनिश्चित करें कि हमेशा सिल्क मार्क लेबल हो  – सिल्क मार्क लेबल शुद्ध सिल्क का आपका एकमात्र आश्वासन है.

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सिल्क के कपड़ों का ऐसे करें देखभाल  

सिल्क अमूल्य है और बहुत लोगों के लिए तो सिल्क की साड़ियां या अन्य कपड़े भावनात्मक मूल्य भी रखते हैं. उससे कोई न कोई याद जुड़ी हुई रहती है. इसलिए, यह जानना अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है कि सिल्क की साड़ियों या अन्य कपड़ों की देखभाल कैसे की जाए.

  • सिल्क को हमेशा ड्राई क्लीन करने की सलाह दी जाती है क्योंकि इनमें इस्तेमाल किए गए रंगों के बारे में कोई निश्चित्तता नहीं होती है
  • अगर कभी सिल्क को पानी में धोया जाता है तो जरुरी है कि इसके लिए केवल एक अच्छे न्यूट्रल साबुन का इस्तेमाल किया जाए और गुनगुने पानी में धोया जाए
  • धोने के बाद पानी निकालने के लिए हल्के हाथ से कपड़े को निचोड़ें
  • सिल्क को हमेशा छाँव में लटकाने की बजाय समतल सतह पर रखकर ही सुखाएं
  • प्रेस करते समय कम से मध्यम आंच का इस्तेमाल करें
  • सिल्क को हमेशा उल्टा रखकर प्रेस करें
  • प्रेस करने से पहले सिल्क को गीला करने के लिए कभी भी पानी का छिड़काव न करें क्योंकि इससे कपड़े पर पानी के धब्बे पड़ सकते हैं
  • दागों व धब्बों को कभी भी पानी से न धोएं, बल्कि इसे ड्राई क्लीनिंग के लिए दें
  • सिल्क के कपड़ों को स्टोर करने के लिए प्लास्टिक कवर के बदले सिर्फ सूती बैग का उपयोग करें और स्वच्छ और शुष्क वातावरण में रखें
  • सिल्क को स्टोर करते समए कभी भी लकड़ी के सीधे संपर्क से बचें
  • सिल्क को कीड़ों, धूल, अत्यधिक नमी और धूप से बचाएं रखें
  • समय-समय पर (हर 3 से 6 महीने में) सिल्क को ताजी हवा में रखें और सिलवटों को उलटकर स्टोर करें
  • सिल्क में जरी को काला होने से बचाने के लिए सिल्क की साड़ियों को सूती कपड़े या भूरे कागज़ में लपेटें
  • स्टोर करने के लिए सिलिका जेल पाउच सिल्क कपड़ों के साथ रखें.

जानें सिल्क से जुड़ी ये खास बातें

सिल्क एक ऐसा सदाबहार फैब्रिक है, जो न सिर्फ महिलाओं की पहली पसंद है बल्कि पुरुषों में भी इस का आकर्षण कम नहीं है. सिल्क जैसी गरिमा, लावण्य और खूबसूरती किसी और कपड़े में नहीं है. प्राकृतिक एवं पर्यावरण मित्र होने के कारण यह अन्य कृत्रिम कपड़ों से बेहतर है.

एक समय था जब सिल्क केवल रईसों की ही पहुंच में था, पर 1990 के शुरुआती दौर में सैंडवाश्ड सिल्क के आगमन ने इसे मध्यवर्गीय लोगों तक पहुंचा दिया. सिल्क के क्षेत्र में कई प्रयोग भी किए गए और इसे कौटन, लिनेन, ऊन और यहां तक कि पोलिस्टर के साथ भी मिक्स किया गया. इस प्रकार बने कृत्रिम फैब्रिक्स को लोकप्रियता भी मिली.

क्या है सिल्क

सिल्क यानी रेशम रेशमकीट द्वारा निर्मित कोसों के तंतुओं से तैयार होता है. प्राकृतिक चमकदमक, रंगाई के लिए अनुकूल, हलका, जाड़े में गरमी तथा ग्रीष्म में ठंडक पहुंचाना, उत्कृष्ट वस्त्र विन्यास आदि इस के कुछ विशेष गुण हैं.

रेशमकीटों से रेशम प्राप्त करना एक बेहद लंबी व जटिल प्रक्रिया है. रेशम कीट एक विशेष किस्म के कागज पर अंडे देते हैं. उन अंडों में से निकलने वाले कीड़ों को ताजा शहतूत की पत्तियां खिला कर पाला जाता है. लगभग 35 दिनों बाद ये कीड़े अपने चारों तरफ एक खोल बनाना शुरू करते हैं. जब खोल पूरी तरह बन जाता है तो कीड़ा इसी में बंद हो जाता है. फिर इन कीड़ों को मार कर ऊपरी खोल से रेशम प्राप्त किया जाता है.

1 किलो ग्राम सिल्क बनाने के लिए 3,000 रेशमकीटों द्वारा लगभग 104 किलोग्राम शहतूत की पत्तियां खाना आवश्यक है.

रेशम की किस्में

हर रेशम शहतूत भोजी रेशमकीटों से उत्पन्न नहीं होता. गैर शहतूती रेशम की भी व्यापक श्रेणी है. कुछ प्रमुख किस्म के रेशम हैं शहतूत, तसर, एरी तथा मूंगा. शहतूत रेशम हलका तथा बेहद मुलायम होता है तथा बाजार में उपलब्ध रेशम के अधिकांश उत्पाद इसी से तैयार किए जाते हैं, वहीं तसर, एरी तथा मूंगा वन्य रेशम की श्रेणी में आते हैं.

फैशनेबल बनाए सिल्क

भारत के लगभग हर प्रदेश में सिल्क पर बुनाई करने वाले कारीगर उपलब्ध हैं. कांचीवरम, वाराणसी, मैसूर धर्मावरम आदि भारत के पारंपरिक रेशम बुनाई केंद्र हैं तथा इन स्थानों पर बनने वाली साडि़यां अपनी उत्कृष्ट कारीगरी के लिए विख्यात हैं. पुरुषों में भी सिल्क की शर्ट, टाई व स्कार्फ का खासा क्रेज है. एक सिंपल से सूट के साथ पहनी गई सिल्क की टाई व शर्ट व्यक्तित्व में चार चांद लगा देती है.

आजकल घर की साजसज्जा में भी सिल्क का बेहद फैशन है. सिल्क के परदे, कुशन कवर, बेडे कवर, बेड शीट्स, टौप कवर, टेबल क्लाथ विभिन्न डिजाइनों व कीमतों में उपलब्ध हैं.

सिल्क की देखभाल

सिल्क की धुलाई के लिए कठोर जल व डिटरजेंट  का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. इसे ड्राईक्लीन कराना ही सब से अच्छा विकल्प है, पर रा सिल्क, चाइना सिल्क, इंडिया सिल्क, पोंगी, शांतुंग, तसर आदि को घर पर ही धोया जा सकता है. धुलाई के बाद कपड़े को एक टौवल में लपेट दें ताकि इस में से अतिरिक्त नमी निकल जाए. सिल्क को हमेशा छाया में ही सुखाएं. अंतिम धुलाई के लिए ठंडे पानी में सिट्रिक या एसिटिक अम्ल की कुछ बूंदें मिलाएं. प्रेस करते समय प्रेस का तापमान सिल्क पर सेट कर लें तथा प्रेस करने से पहले इस पर पानी न छिड़कें, वरना कपड़ों पर पानी के धब्बे आ जाएंगे. यदि कपड़ा गीला है तो उसे उलटा कर के प्रेस करें.

स्टोरेज

सिल्क के वस्त्रों को कौटन के कपड़े में लपेट कर रखें तो ये ज्यादा समय तक टिकेंगे. इन्हें कभी भी प्लास्टिक की थैली या बक्से में न रखें. इस से ये पीले पड़ जाएंगे या फिर इन में कीड़े लग जाएंगे. थोड़ेथोड़े समय बाद इन की तह खोल कर उलटीपलटती रहें. सिल्क वस्त्रों के बीच में सिलिका की पुडि़या रखें और लकड़ी से सीधे संपर्क में भी न रखें. यदि आप ने काफी समय तक सिल्क के वस्त्र नहीं पहने हैं तो उन्हें हवा में फैला दें और हलके हाथों से ब्रश मार दें.सिल्क चूंकि अन्य वस्त्रों के मुकाबले महंगा होता है. अत: इसे हमेशा किसी अच्छी व विश्वसनीय दुकान से ही खरीदें. इस की शुद्धता हेतु सिल्क मार्क का ध्यान रखें.

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