मांबनने की खुशी, लेकिन न्यू बौर्न के लिए सिंगल मौम होना, कभी खुशी कभी गम जैसा एहसास देने का काम करता है. वैसे तो बच्चे की हर स्टेज में पेरैंटिंग यूनीक चैलेंज होता है, लेकिन ये चैलेंजेज तब और मुश्किल व बोझिल हो जाते हैं जब सिंगल मौम हो क्योंकि इस समय दोनों मां व बेबी खुद को असहाय महसूस जो करते हैं.
सिंगल मां जहां शारीरिक बदलाव से गुजर रही होती है वहीं मानसिक चुनौतियां भी कम नहीं होती हैं. उस के दिमाग में तरहतरह के खयाल आते हैं कि सोसायटी उस के बच्चे को आम बच्चों की तरह ट्रीट करेगी, कहीं उस का फैसला उस के बच्चे के लिए तो नुकसानदायक साबित नहीं होगा. कब, कैसे, क्या करे समझ ही नहीं आता.
वह इसी सोच में इतनी उलझ रहती है कि अपने बच्चे का खूबसूरत लमहा ऐंजौय नहीं कर पाती, जबकि यह पल दोबारा लौट कर नहीं आता. ऐसे में कुछ टिप्स जो सिंगल मौम को न्यू बौर्न की केयर में देंगे मदद और उन्हें मोटिवेट भी करने का काम करेंगे:
पुरानी यादों की नो ऐंट्री
कई बार परिस्थिति ऐसी हो जाती है, जिस में हम पेरैंट्स बनने के सपने तो साथ संजोते हैं, लेकिन आखिर में मौम को ही न्यू बौर्न की सारी जिम्मेदारी उठानी पड़ती है, जिस के कारण इस लमहे को ऐंजौय करने के बजाय वह हर समय पुरानी यादों के भीतर खुद को समाए रखने पर विवश हो जाती है.
हम कितने खुश थे, बच्चे के लिए दोनों ने कितने सपने संजोए थे, आखिर उन्होंने अपना नजरिया मेरे लिए क्यों बदल लिया, हमारी अंडरस्टैंडिंग में कहां कमी रह गई, कैसे मैं अकेले बच्चे को मांपापा दोनों का सुख दे पाऊंगी बगैराबगैरा बातें सोच कर न वह अपने आने वाले कल को सही दिशा दे पाती है और बीता हुआ कल तो वैसे ही हाथ से निकल गया होता है, इसलिए पुरानी यादों को जितना हो सके, उतनी जल्दी अपने मन से आउट कर के न्यू बौर्न की बेहतरीन केयर व परवरिश देने पर विचार करना चाहिए. तभी आप अपने बच्चे की सही मानों में रोलमौडल बन पाएंगी.
रिसर्च फोर चाइल्ड केयर
चाहे बात ग्रोसरी खरीदने की हो या फिर औनलाइन शौपिंग की अथवा बैस्ट डाक्टर सर्च करने की, हम आज बिना सोचेसमझे कुछ नहीं करते हैं. कुछ भी करने से पहले रिसर्च करना जरूरी समझते हैं ताकि बेहतर रिजल्ट मिल सके क्योंकि अब जैसा बता दिया वैसा कर दिया वाला जमाना आउट हो गया है. यही बात चाइल्ड केयर के संदर्भ में भी लागू होती है, जिस ने इस दुनिया में अभीअभी कदम रखा है या रखने वाला है, उस की केयर में कमी कैसे की जा सकती है.
ऐसे में सिंगल मौम की यह जिम्मेदारी है कि वह बच्चे को कैसे नहलाए, कैसे होल्ड करे, कैसे व कब फीड करवाए. वैक्सीनेशन से ले कर सीजनल बीमारियों तक की जानकारी के लिए औनलाइन रिसर्च करने के साथसाथ डाक्टर से पूरा हैल्प चार्ट बनवाए. औनलाइन साइट्स या मौम्स के छोटेछोटे टिप्स को लिख कर रखे. अगर मौम फाइनैंशियली स्ट्रौंग है तो आप न्यू बौर्न की केयर के लिए वन ईयर वाला डाक्टर पैकेज ले ले ताकि आप 24×7 उन से कंसल्ट कर के अपने बच्चे की बेहतरीन केयर कर पाए.
रखें बेबी के सामान का स्टौक
अब आप अकेली नहीं हैं कि जब मन करा तब उठ कर मार्केट के लिए निकल गई. अब खुद के साथसाथ अपने न्यू बौर्न की जिम्मेदारी का लोड भी आप पर है. इसलिए अपने पास बेबीकेयर व खुद से जुड़ी सभी जरूरी चीजों का स्टौक इकट्ठा कर के रखें. आप कम से कम 1 महीने का स्टौक अपने पास रखें, जिस में बेबी डायपर, बेबी रैश क्रीम, मिल्क बोतल, फौर्मूला मिल्क, बेबी क्रीम, बेबी सोप, वाइप्स, बेबी क्लोथ्स, लाउंड्री डिटर्जैंट व खुद की जरूरतों का सामान इत्यादि हो.
जिस भी ब्रैंड की जो चीज खरीदनी है, उस पर अच्छे से रिसर्च करें. कोशिश करें औफलाइन या औनलाइन ऐसे स्टोर से खरीदने की, जहां से आप को क्वालिटी का सामान मिलने के साथसाथ अच्छाखासा डिस्काउंट भी मिल जाए.
नाइट केयर के लिए लें मदद
अगर अकेली रहती हैं और कोई भी हैल्पिंग हैंड नहीं है, तो न्यू बौर्न की केयर एक बड़ा चैलेंज बन जाती है. ऐसे में अगर आप डेनाइट रैस्टलैस हो कर बेबी केयर में लगी रहेंगी, तो खुद पर झंझलाहट करने के साथसाथ खुद को हर समय थकाथका भी महसूस करेंगी, जिस से न तो अच्छे से व मन से बेबी की केयर कर पाएंगी और न ही उस के साथ इन खूबसूरत लमहों को ऐंजौय कर पाएंगी क्योंकि प्रैगनैंसी के कारण आप के शरीर में भी पहले की तरह फुरती जो नहीं है और इस से रिकवर होने के लिए आप को भी केयर की जरूरत है.
इसलिए बेबी की नाइट केयर के लिए शुरुआती कुछ महीनों के लिए नर्स को हायर करें. भले ही शुरुआत में थोड़ा कौस्टली जरूर पड़ेगा, लेकिन आप के बेबी को नाइट में सही समय पर सही केयर मिलने के साथ आप को भी हील होने के लिए प्रौपर समय मिल पाएगा. लेकिन इस के लिए प्रैगनैंसी के आखिरी कुछ महीनों पहले से ही रिसर्च कर के नर्स को ढूंढ़ लें ताकि बाद में आप को नर्स को ढूंढ़ने में दिक्कत न हो. इस के लिए आप जिस हौस्पिटल में डिलिवरी करवा रही हैं, उन से भी संपर्क कर सकती हैं. लेकिन इस के लिए पहले से प्लानिंग बहुत जरूरी है.
सेविंग पर ज्यादा जोर
सिंगल मौम के लिए मनी का इशू एक बड़ी प्रौब्लम व चैलेंज होता है क्योंकि सिंगल मौम के साथ न्यू बौर्न ऐक्सपैंसिव है इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता. ऐसे में जरूरी है कि आप पुरानी सेविंग को सोचसमझ कर खर्च करें यानी बेबी के आने पर ऐक्सिटमैंट में आ कर खर्च न करें. अपनी कमाई में से बच्चे की जरूरतों के लिए पहले से ही पैसे अलग कर के रख दें. फिर चाहे उस में बच्चे की वैक्सीन का खर्च हो या फिर डाक्टर का अथवा फिर बच्चे की जरूरत की चीजों के लिए खर्च करने की बात हो. इस से आप प्लान्ड वे में सेविंग कर पाएंगी और आप पर अचानक किसी चीज का बोझ भी नहीं आएगा.
खुद को फाइनैंशियली स्ट्रौंग बनाएं
सिंगल हैंड डिफिकल्ट जरूर है, लेकिन इंपौसिबल नहीं. ऐसे में जब अभी न्यू बौर्न को ही प्राथमिकता देनी है तो आप बच्चे व खुद के कंफर्ट के हिसाब से काम करने का प्लान करें. आजकल तो फ्रीलांस का भी काफी चलन है. ऐसे में आप अपने वर्क इंटरैस्ट के हिसाब से जौब के साथसाथ ऐक्स्ट्रा कमाई के लिए फ्रीलांस वर्क कर के घर पर ही काम के साथसाथ अपने बच्चे को भी प्रौपर टाइम दे पाएंगी.