खांसी और साइनस से जुड़ी प्रौब्लम का इलाज बताएं?

सवाल-

मुझे पिछले कुछ दिनों से लगातार खांसी आ रही है. मैं यह जानना चाहती हूं क्या यह किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या का खतरा तो नहीं है?

जवाब-

खांसी दरअसल कोई स्वास्थ्य समस्या नहीं है बल्कि शरीर का एक मैकेनिज्म है गले को साफ करने का. चिंता की बात तब होती है जब बारबार खांसी आए या लंबे समय तक छुटकारा न मिले. दिन की शुरुआत कुनकुना पानी पीने से करें. खांसी की समस्या गंभीर है तो कफ सिरप लें. अगर यह उपाय करने के बाद भी खांसी ठीक न हो और लगातार 8 सप्ताह तक बनी रहे तो यह एक मैडिकल इमरजैंसी है जिस का उपचार कराना जरूरी है.

सवाल-

मु झे साइनस की समस्या है. मैं ने सुना है वसंत ऋतु में साइनस के लक्षण गंभीर हो जाते हैं. क्या इन्हें नियंत्रित रखने के लिए कुछ घरेलू उपाय किए जा सकते हैं?

जवाब-

वसंत ऋतु में फूल खिलने से उन लोगों की साइनस से संबंधित समस्या बढ़ जाती है जिन्हें पराग कणों से ऐलर्जी होती है. सर्दियों की तुलना में इस मौसम में वातावरण के दबाव में भी गिरावट आती है जिस से नेजल पैसेज की सब से अंदरूनी परत सूज जाती है. इस के कारण साइनस हैडेक ट्रिगर हो सकता है. शरीर में जल का स्तर बनाए रखने के लिए प्रतिदिन कम से कम 7-8 गिलास पानी पीएं. इस के अलावा ताजे और रसीले फलों तथा दूसरे तरल पदार्थों का भी सेवन करें. अगर मौसम में बदलाव के समय आप अकसर सर्दीजुकाम की शिकार हो जाती हैं तो ऐलर्जनों, संक्रमणों और प्रदूषकों से बचने के लिए जब भी बाहर निकलें नाक को ढक लें.

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ऐलर्जी इनसान के इम्यून सिस्टम की एक असामान्य प्रतिक्रिया है. परागकण, धूलकण, फफूंद, जानवरों के रोएं, कीटों के डंक, कुछ खाद्यपदार्थ, कैमिकल, दवाइयों आदि से ऐलर्जी हो सकती है.

1. ऐलर्जिक राहिनाइटिस (रनिंग नोज)

कारण:

ऐलर्जी राहिनाइटिस जिसे आमतौर पर हे फीवर भी कहते हैं, यह तब होता है जब हमारी रोग प्रतिरोधक प्रणाली हवा में मौजूद तत्त्वों के प्रति ओवररिऐक्ट करती है. हमारी रोग प्रतिरोधक प्रणाली को इस से छींकने और बहती नाक जैसे लक्षणों का सामना करना पड़ता है. इन तत्त्वों को ऐलर्जन यानी ऐलर्जी पैदा करने वाले तत्त्व कहा जाता है, जिस का अर्थ यह है कि ये ऐलर्जिक रिऐक्शन का कारण बनते हैं. कई तरह के ऐलर्जन जैसे परागकण, मिट्टी, धूलकण, पशुओं के रेशे और कौकरोच आदि ऐलर्जिक राहिनाइटिस का कारण बनते हैं. हालांकि प्रदूषित वायु ऐलर्जन नहीं होती, पर यह नाक और फेफड़ों को इरिटेट (उत्तेजित) कर सकती है. जब आप ऐलर्जन में सांस लेते हैं तब इरिटेट नाक या फेफड़ों द्वारा ऐलर्जिक रिऐक्शन का खतरा ज्यादा हो सकता है.

रोकथाम:

विशेषज्ञ ऐलर्जिक राहिनाइटिस की रोकथाम कैसे की जाए इस के बारे में अभी पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि व्यक्ति कई तरह के ऐलर्जन के संपर्क में आता है. धुआं और वायु प्रदूषण भी व्यक्ति को ऐलर्जी की चपेट में लाने में सहायक होते हैं.

उपचार:

इस का मुख्य उपचार ऐलर्जन से दूर रहना, लक्षणों को नियंत्रित करना और दवा के साथसाथ घरेलू उपचार और कुछ मामलों में इम्यूनोथेरैपी है. आप को कितनी बार ट्रीटमैंट करवाना है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप में कितनी बार इस के लक्षण नजर आए.

ऐसे करें साइनोसाइटिस का इलाज

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बड़े और बच्चों, सभी में साइनस के लक्षण एक जैसे ही होते हैं. इसके अलावा, सर्दी-जुकाम, फ्लू, अस्थमा, क्रौनिक औबस्ट्रक्टिव पल्मनरी डिजीज़ (COPD) और साइनस के काफी लक्षण करीब-करीब एक जैसे होते हैं. हालांकि इन सभी बीमारियों में कुछ फर्क भी होता है:

किसी को साइनस की प्रौब्लम अगर कुछ बरसों तक रहे तो वह आगे चलकर अस्थमा में बदल सकती है. हालांकि बच्चों में यह समय 8 से 10 साल का होता है.

ऐसे करें बचाव

1- एलर्जी से बचने के लिए बहुत ज्यादा भारी-भरकम और गद्देदार फर्नीचर से परहेज करें. अपने तकियों, बिस्तरों और कारपेट की नियमित सफाई करें. गलीचों और पायदानों की सफाई का भी ध्यान रखें. परफ्यूम आदि की गंध से दूर रहें. एयर पलूशन से बचें.

2-अपने घर के वेंटिलेशन सिस्टम को सुधारें. जहां तक हो सके, घर की खिड़कियां खोलकर हवा को आर-पार जाने दें.

3-जिन लोगों को जुकाम या कोई दूसरा वायरल इंफेक्शन हो, उनके संपर्क में जाने से बचें.

4-बहुत ज्यादा या बहुत कम तापमान में न रहें. तापमान में अचानक आने वाले बदलाव से बचें.

5-तनाव से दूर रहें. तनाव के कारण शरीर की रक्षा करनेवाले सफेद सेल कमजोर पड़ जाते हैं.

6-स्वीमिंग से बचें. अगर स्वीमिंग करनी ही हो तो नाक को ढक लें. ध्यान रखें कि स्वीमिंग के पानी में क्लोरीन जरूर हो.

7-नमक के पानी से अपनी नाक की सफाई करें.

8-सफाई का खास ख्याल रखें. बैक्टीरियल और वायरल इन्फेक्शन से बचें. अपने हाथों को हमेशा साबुन से साफ करें.

9-रोजाना 8-10 गिलास पानी पिएं.

10-सुबह उठते ही चाय या गर्म पानी पिएं. गर्म चीजें पीने से नाक या गले में बलगम जमा नहीं होता.

क्या है इलाज

स्टीम

बारी-बारी से नाक के दोनों नथुने साफ करें. पानी उबालें और डॉक्टर की बताई दवाई डालकर पंखे बंद कर कपड़ा ढककर नाक और मुंह से लंबी-लंबी सांस 8-10 मिनट तक लें. इसके बाद 20 मिनट तक हवा में न जाएं. सिंपल ताजे साफ पानी से भाप लेना ज्यादा अच्छा रहता है. किसी भी नेज़ल स्प्रे का खुद से बिल्कुल इस्तेमाल न करें. डॉक्टर की सलाह से ही स्प्रे यूज करें. सलाइन वॉटर यानी नमक के पानी का इस्तेमाल करना सबसे ज्यादा फायदेमंद रहता है.

कब होता है औपरेशन

1 जब नाक में मस्सा बन गया हो

2 फंगस या इन्फेक्शन ब्रेन तब पहुंच गया हो या आंखों पर दवाब डाल रहा हो

3 सर में बहुत ज्यादा तेज दर्द हो और नींद डिस्टर्ब हो

सर्जरी का खर्च हौस्पिटल के हिसाब से अलग-अलग होता है लेकिन करीब 60 हजार से डेढ़ लाख रुपये तक का खर्च आता है. सर्जरी में एक दिन का समय लगता है. अगर मरीज सर्जरी कराने के बाद इलाज जारी न रखे या डॉक्टर की बताई जरूरी दवाएं लेना बंद कर दे तो समस्या वापस आ सकती है.

क्या खाएं

1 खजूर, किशमिश, सेब, सोंठ, अजवायन, हींग, लहसुन, लौकी, कद्दू, मूंग के अलावा ताजा सब्जियों का सूप पिएं.

2-सुबह खाने से पहले या खाने के बाद रोज एक आंवला खाएं.

3-रोजाना एक चम्मच च्यवनप्राश खाएं.

4-हल्के गुनगुने पानी से नहाएं.

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5-10 से 15 तुलसी के पत्ते, 1 टुकड़ा अदरक और 10 से 15 पत्ते पुदीने के लें. सबको पीसकर एक गलास पानी में उबाल लें. जब पानी उबलकर आधा रह जाए तो उसे छान लें और स्वाद के अनुसार शहद मिलकार पिएं. इसे पूरे दिन में दो बार (सुबह खाने के बाद और रात को सोने से पहले) पीने से साइनस में आराम मिलता है.

क्या न खाएं

बासी खाना, गन्ने का रस, दही, चावल, केला, आइसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक, फ्रिज का ठंडा दूध, चॉकलेट, तीखा खाने से बचें. ठंडी हवा में ज्यादा न घूमें या नाक और मुंह को ढककर रखें.

पानी की कमी से बचें

आपको साइनस की समस्या है तो यह जान लें कि आपके शरीर में पानी की भी कमी है. आपको जल्द ही इस समस्या से निजात पाना होगा, वरना गंभीर स्थिति पैदा हो जाएगी. इसके लिए आपको रोज खूब पानी पीना चाहिए. अल्कोहल, कैफीन, मीठे शरबत आदि पीने और स्मोकिंग करने से बचें. क्यों, क्या नुकसान.

सर्दी-जुकाम के आयुर्वेदिक उपचार

(1) लक्ष्मी विलास रस : यह शरीर के लिए बहुत ही असरदार आयुर्वेदिक जड़ी है. इसके साथ शहद और पान की रस को सुबह-शाम लेने से जुकाम ठीक हो जाता है.

(2) सुदर्शन घनवती : इसका स्वाद कड़वा होता है, सर्दी जुकाम के लिए अत्यन्त लाभकारी होती है.

(3) एलादी वटी : इसे मुह में लेकर चूसने से दर्द वाली सर्दी-जुकाम में आराम मिलता है, सर्दी-जुकाम-खाँसी के लिए बहुत ही असरदारक दवा है.

(4)गोदंती भस्म और लक्ष्मी विलास रस : इन दोनों को मिलाकर लेने से सर्दी जुकाम में आराम मिलता है.

सर्दी-जुकाम के होने के पीछे केवल ठण्ड ही नही ज़िम्मेदार होता है. इसके अलावा कब्ज , बदहजमी , रात में जगना, मौसम के बदलाव, कमजोरी आदि सर्दी-जुकाम होने के लिए उत्तरदायी हो सकते हैं.

सर्दी-जुकाम के घरेलू उपचार

(1) अदरक – नींबू – शहद

अदरक और नींबू का रस और शहद बराबर मात्रा में लें, फिर इन तीनों को किसी साफ़ बर्तन में गर्म करें. थोड़ा गुनगुना गर्म रह जाने पर चाट लें, इसी तरह 2-3 घंटे के अंतराल में करते रहे, जुकाम ठीक हो जाएगी.

(2) पान – तुलसी – शहद

एक चम्मच शहद के साथ पान और तुलसी के रस को अच्छे से मिला लें. फिर इस नुश्ख को थोड़े-थोड़े मात्रा में चाते, दिन में 3-4 बार दोहराहें, जुकाम ठीक हो जायेगा.

(3) सुहागा – पानी

किसी साफ़ तवे पर सुहागे को गर्म कर लें. फिर इस गर्म सुहागे को बढ़िया से पीसकर किसी साफ़ सीसी में भर लें. तत्पश्च्यात थोड़े से गर्म पानी के साथ आधा ग्राम पीसी हुयी सुहागे को घटकने से सर्दी जुकाम ठीक हो जायेगा.

(4) अदरक – तुलसी – शहद

शहद के साथ तुलसी और अदरक के रस को अच्छे से मिलाएं. फिर इस नुश्ख को दिन में 4 से 5 बार आधा-आधा चम्मच लें, सर्दी-जुकाम और नज़ला ठीक हो जाता है.

(5) अदरक – तुलसी – गुड़ – काली मिर्च

छोटा कटा हुआ अदरक, तुलसी की पत्ती, थोड़ा सा गुड़ और थोड़ी सी काली मिर्च पावडर लें. फिर इन सभी को एक साथ पानी में मिलाकर धीमी आंच पर चाय की तरह पकाए. पक जाने पर गरमा गर्म इसे नुश्ख को चाय की चुस्की की तरह पियें. दिन में 5-6 बार दोहराएँ जुकाम ठीक हो जायेगा.

एक्सपर्ट् पैनल

सीनियर एक्सपर्ट डाक्टर अमित कौर , देहली

डौ. संजय शाह ईएनटी स्पेशलिस्ट , मुरादाबाद,

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DIWALI 2019: साइनोसाइटिस का आयुर्वेदिक उपचार

मौसम बदलने लगा है. ऐसे में जुकाम, नाक बंद होना, सिर में दर्द होना, नाक से पानी गिरना आम बात हैं. अगर आप सोच रहें हैं कि यह तो बस मौसम में बदलाव के कारण है तो सावधान. ये साइनोसाइटिस भी हो सकता है. सर्दी-जुकाम कभी भी ,किसी को भी ,किसी भी मौसम में हो सकता है. आमतौर पर यह कोई गंभीर समस्या नहीं मानी जाती है. कई बार तो सर्दी-जुकाम को अच्छी सेहत का संकेत भी माना जाता है. लेकिन अगर आपको बार-बार सर्दी का शिकार होना पड़ रहा है तो सतर्क हो जाइए. यह बहुत ही कॉमन प्रॉब्लम है. सही इलाज से इससे पूरी तरह राहत मिल सकती है.

कुछ लोगों को हमेशा सर्दी-जुकाम की शिकायत रहती है लेकिन इनमें से ज्यादातर मामले साइनोसाइटिस यानी साइनस के होते हैं. सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि यह क्या है?

दरअसल, हमारी खोपड़ी में बहुत-सारी कैविटीज़ (खोखले छेद) होती हैं. ये हमारे सिर को हल्का बनाए रखने और सांस लेने में मदद करती हैं. इन छेदों को साइनस कहते हैं. अगर इन छेदों में बलगम भर जाती है तो सांस लेने में दिक्कत होने लगती है. इस समस्या को ही साइनोसाइटिस कहते हैं. आम बोलचाल में इसे साइनस भी कहा जाता है.

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क्यों होता है

सांस लेने में रुकावट, नाक की हड्डी का बढ़ना और तिरछा होना, एलर्जी होना इसकी आम समस्या है यानी किसी भी कारण से साइनस के संकरे प्रवेश मार्ग में अगर रुकावट आ जाती है तो साइनस होता है. इसके अलावा कई बार खोखले छेदों में बलगम भर जाता है, जिससे साइनस बंद हो जाते हैं. साथ ही, इन्फेक्शन के कारण साइनस की झिल्ली में सूजन आ जाती है. इस वजह से सिर, माथे, गालों और ऊपर के जबड़े में दर्द होने लगता है. यह बीमारी खराब लाइफस्टाइल की वजह से नहीं होती लेकिन जो लोग फील्ड जॉब में होते हैं यानी जो ज्यादा समय पल्यूशन में रहते हैं या फिर लकड़ी इंडस्ट्री आदि प्रफेशन से जुड़े होते हैं, उनको साइनस होने का खतरा ज्यादा होता है.

लक्षण

सिर में दर्द और भारीपन

आवाज में बदलाव

बुखार और बेचैनी

आंखों के ठीक ऊपर दर्द

दांतों में दर्द

सूंघने और स्वाद की शक्ति कमजोर होना

बाल सफेद होना

नाक से पीला लिक्विड गिरने की शिकायत

कई तरह का साइनस

एक्यूट साइनस: इसमें सर्दी लगने के लक्षण अचानक उभर आते हैं, जैसे नाक जाम होना या उसका बहना और चेहरे में दर्द होना. यह अवस्था 8-10 दिन बाद भी खत्म नहीं होती बल्कि आमतौर पर चार हफ्ते तक बनी रहती है. एक्यूट साइनस अक्सर बैक्टीरियल इन्फेक्शन के कारण होता है और इसमें सांस की नली के ऊपरी हिस्से में इन्फेक्शन हो जाता है. इसके इलाज के लिए एंटी-बायोटिक दवाएं दी जाती हैं. ये साइनस से इन्फेक्शन साफ कर देती हैं. नाक में सूजन कम करने के लिए नेजल ड्रौप्स दी जाती हैं, लेकिन इन्हें कुछ दिनों के लिए ही लेना चाहिए.

सब-एक्यूट साइनस: साइनस में चार से आठ हफ्ते तक सूजन और जलन रहती है. इसका इलाज भी आमतौर पर एक्यूट साइनस की तरह की होता है.

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क्रौनिक साइनस: इसमें लंबे समय तक साइनस में जलन और सूजन रहती है. साइनस की सूजन दो तरह की होती है: एक, सूजन अचानक होती है और कुछ दिनों में खत्म हो जाती है.

रीक्यूरेंट साइनस: अगर दमा यानी अस्थमा है या एलर्जी से संबंधित कोई बीमारी है तो जल्दी-जल्दी क्रॉनिक साइनस हो सकता है. इसका इलाज करीब-करीब क्रॉनिक साइनस की तरह ही होता है.

नोट: मरीज की स्थिति के अनुसार डॉक्टर दवाएं देते हैं. शुरुआती दौर में दवाओं से साइनस का इलाज मुमकिन है, लेकिन अगर वक्त रहते इलाज नहीं किया जाए तो सर्जरी ही आखिरी इलाज बचता है. साइनस के इलाज या सर्जरी के लिए आपको ईएनटी स्पेशलिस्ट के पास जाना होता है. साइनस के लिए एंडोस्कोपिक साइनस सर्जरी की जाती है.

आगे पढ़ें- क्या है साइनस का इलाज…

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