ननद भाभी बन जाएं सहेलियां

ननदभाभी का संबंध बेहद संवेदनशील होता है. कहीं न कहीं दोनों के मन में एकदूसरे के प्रति ईर्ष्या और प्रतिस्पर्धा की भावना रहती है. लेकिन आपसी समझदारी से न केवल आप अपने रिश्ते को प्रगाढ़ बना सकती हैं वरन एकदूसरे की अच्छी सहेलियां भी बन सकती हैं.

मैथिली शादी कर के ससुराल आई, तो सब ने हाथोंहाथ लिया, लेकिन उस की छोटी ननद नैना हर बात में नुक्ताचीनी करती थी. अगर वह अपने पति के लिए कुछ बनाने जाती, तो तुरंत मना कर देती कि रहने दीजिए भाभी आप का बनाया भैया को पसंद नहीं आएगा.

मैथिली बहुत परेशान थी. उसे ननद के व्यवहार से बहुत कोफ्त होती थी. लेकिन चाह कर भी कुछ कह नहीं पाती. यहां तक कि मैथिली जब अपने पति अरुण के साथ अकेले कहीं जाना चाहती, तो भी नैना उस के साथ चलने को तैयार हो जाती.

एक दिन मैथिली ने नैना से कह ही दिया कि लगता है आप के भैया को मेरी जरूरत नहीं है. आप तो हैं ही उन के सारे काम करने के लिए, फिर मैं यहां रह कर क्या करूंगी. मैं अपने मायके चली जाती हूं.

मैथिली की बात सुन कर नैना ने पूरे घर में हंगामा मचा दिया. मैथिली अपने मायके चली गई. फिर बहुत समझाने पर वह इस शर्त पर ससुराल आने को तैयार हुई कि अब नैना उस के और अरुण के बीच न आए.

आमतौर पर जब तक भाई की शादी नहीं होती है घर पर बेटी का एकछत्र राज होता है. मातापिता और भाई उस की हर जायजनाजायज बात मानते हैं. पर जैसे ही भाई की शादी होती है, उस का ध्यान अपनी बीवी की ओर चला जाता है. वह बहन को उतना समय नहीं दे पाता है, जितना पहले देता था. यह बात बहन को बर्दाश्त नहीं हो पाती और वह यह सोच कर कुंठित हो जाती कि अब भाई मेरी नहीं भाभी की बात को ज्यादा अहमियत देता है. यह सोच उसे नईनवेली भाभी का प्रतिद्वंद्वी बना देती है. इस वजह से न चाहते हुए भी ननदभाभी के बीच कटुता आ जाती है.

अगर ननद शादीशुदा हैं तो आमतौर पर उन के संबंध मधुर ही होते हैं, लेकिन अविवाहित ननद और भाभी के बीच संबंधों की डोर को मजबूत होने में समय लगता है. विवाहित ननद भी अगर मायके में ज्यादा दखलंदाजी करती है, तो यह बात ननदभाभी के रिश्ते को सहज नहीं बनने देती.

प्रतियोगी नहीं दोस्त बनें

आप के भाई की शादी हुई है. आप के घर में प्यारी सी भाभी आई है. थोड़ी सी समझदारी से आप उसे अपनी सब से अच्छी सहेली बना सकती हैं. इस के लिए आप को ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं है. अपने मन में यह बात बैठाने की है कि वह आप की भाभी है आप की प्रतियोगी नहीं. भाभी तो नईनई आई है. ननद होने के नाते अब यह आप की जिम्मेदारी है कि आप उसे अपने घर के वातावरण से अवगत कराएं, उसे बताएं कि परिवार के सदस्यों को क्या अच्छा लगता है और कौन सी चीज नापसंद है. आप की इस पहल से भाभी के मन में आप के प्रति प्यार और आदर की भावना पनपेगी.

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एक दूसरे से सीखें

आप दोनों अलग परिवार की हैं. आप दोनों की परवरिश भी अलग परिवेश में हुई है. इस नाते आप दोनों के पास एकदूसरे से सीखनेसिखाने के लिए ढेरों चीजें होंगी. मसलन, अगर आप को कोई अच्छी रैसिपी आती है, तो एकदूसरे से सीखेसिखाएं. इस से आप दोनों को फायदा होगा. इसी तरह सिलाईकढ़ाई, होम डैकोरेशन जैसी बहुत सारी चीजें हैं, जो आप एकदूसरे से सीख कर अपनी पर्सनैलिटी को ऐनहांस कर सकती हैं. अगर आप की भाभी का पहननेओढ़ने, बातचीत करने का तरीका अच्छा है, तो उस से जलनेकुढ़ने के बजाय यह गुर सीखने में कोई हरज नहीं है. इस से जब आप ससुराल जाएंगी, तो आप को सब की चेहती बनते देर नहीं लगेगी.

आप को भी जाना है ससुराल

अगर आप किसी की ननद हैं और अविवाहित हैं, तो इस बात का हमेशा खयाल रखें कि आप को भी एक दिन विवाह कर के ससुराल जाना है, इसलिए आप के लिए यही बेहतर होगा कि आप अपने व्यवहार और बातचीत पर नियंत्रण रखने की कला सीखें. अगर आप अपनी भाभी के साथ बुरा बरताव करेंगी, तो इस का नुकसान आप को ही होगा. अगर भाभी के साथ आप का रिलेशन अच्छा है, तो विवाह के बाद भी आप को मायके में उतना ही प्यार और सम्मान मिलेगा, जितना पहले मिलता था. लेकिन अगर आप दोनों के संबंध अच्छे नहीं हैं, तो आप की शादी के बाद भाभी की यह इच्छा नहीं होगी कि आप मायके में ज्यादा आएं. यह सोचिए कि अगर आपसी कटुता की वजह से वह आप के पति के सामने आप से अच्छा व्यवहार न करे, तो आप को कितना बुरा लगेगा. आप जिस जगह शादी कर के जाएंगी, वहां आप की भी ननद होगी, अगर वह आप के साथ बुरा बरताव करेगी, तो आप को कैसा महसूस होगा, यह सब सोच कर अपनी भाभी के साथ मधुर संबंध बना कर रखें ताकि वह आप के सुखदुख में आप की भागीदार बन सके.

अगर ननद है विवाहित

अगर आप शादीशुदा ननद हैं और भाई की शादी से पहले आप घर के हर छोटेबड़े निर्णय में दखलंदाजी करती थीं, तो भाई के विवाह के बाद आप के लिए बेहतर यही होगा कि आप अपने मायके के मामले में दखल देना बंद कर दें. मायके में उतना ही बोलें जितना जरू री हो. एक महत्त्वपूर्ण बात और भी है कि भाभी के आने के बाद न तो मायके में बिना बुलाए जाएं और न बिनमांगी सलाह दें, क्योंकि अगर किसी ने आप की बात को काट दिया, तो यह बात आप को चुभेगी.

इस बात का खास खयाल रखें कि ससुराल में आप की बात को तभी महत्त्व दिया जाएगा जब आप को अपने मायके में उचित सम्मान मिलेगा. अगर आप की ससुराल वालों को यह पता चल गया कि आप के मायके में आप की बात को महत्त्व नहीं दिया जाता है, तो वहां पर आप को इस के लिए उलाहना भी सुनना पड़ सकता है.  आप की जरा सी असमझदारी से आप के पति का आप के मायके वालों से संबंध खराब भी हो सकता है, इसलिए बेहतर यही होगा कि भाई के विवाह के बाद आप अपनेआप को मायके के मामलों से दूर रखें.

भाभी भी दिखाए समझदारी

ऐसा नहीं है कि हर जगह ननदें ही गलत होती हैं. कभीकभी ऐसा भी होता है कि भाभी ननद को अपनी आंखों का कांटा समझती है और उस के साथ बुरा व्यवहार करती है. अगर आप किसी घर में विवाह कर के गई हैं, तो आप को यह बात समझनी होगी कि अब आप उस घर की बहू हैं. अपने पति का भरपूर प्यार और सम्मान पाने के लिए आप को अपने पति के साथसाथ उस के पूरे परिवार को भी प्यार और सम्मान देना होगा. अगर आप शुरूशुरू में अपनी ननद की थोड़ीबहुत बात बरदाश्त भी कर लेंगी, तो आप को घाटा नहीं होगी. अपने व्यवहार से आप अपनी नखरीली ननद को भी अपनी सहेली बना सकती हैं. लेकिन अपनी छोटी सी गलती से आप अपनी अच्छी ननद की दोस्ती को भी खो सकती हैं.

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फुरसत में क्या करें

– एकदूसरे से अपने अनुभव बांटें. आप को जो भी चीजें अच्छी तरह से आती हैं एकदूसरे को सिखाएं और सीखें. इस का फायदा यह होगा कि आप दोनों एकदूसरे के साथ अच्छा समय बिताने के साथसाथ अपनी जानकारी में बढ़ोतरी भी कर पाएंगी.

– ननद भाभी से अपने दिल की बात शेयर करे और भाभी ननद से परिवार के सदस्यों की पसंदनापसंद के बारे में जाने. आप के पति को क्या अच्छा लगता है, इस बात की जानकारी आप की ननद से बेहतर आप को कोई नहीं दे सकता.

– ननद से अपनी सास के बारे में पूरी बातें जानें और हमेशा न सही कभीकभार ही सही उन की पसंद का काम कर के उन्हें हैरान कर दें. इस से सास के साथ आप के संबंध बेहतर बनेंगे और ससुराल में आप की पकड़ मजबूत होगी.

– कभीकभी मूवी देखने और शौपिंग पर भी साथसाथ जाएं.

क्या मुझे अपनी ननद की लव लाइफ के बारे में पति और सास को बतानी चाहिए?

सवाल-

मेरी ननद किसी लड़के से 8 सालों से रिलेशनशिप में है. हालांकि वह कहती है कि उन्होंने कभी मर्यादा की सीमारेखा नहीं लांघी है, फिर भी मुझ डर लगता है कि वह कभी कोई गलत फैसला न ले ले. उस ने यह बात घर में सभी से छिपा रखी है. मुझे भी इस बात की जानकारी अनजाने में ही हो गई है. अब मुझे लगता है कि यह बात मुझे अपने पति व सास को बता देनी चाहिए. पर कहीं ननद मुझ से हमेशा के लिए खफा न हो जाए. क्या यह ठीक रहेगा?

जवाब-

आप अपनी ननद की नाराजगी की चिंता किए बगैर इस बात से घर वालों को अवगत कराएं, क्योंकि यदि जानेअनजाने कल को उस के जीवन में कुछ गलत होता है तो आप को सारी उम्र इस बात का मलाल रहेगा.

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मुंबई के ठाणे की हाइलैंड सोसाइटी में रजत और रीना ने एक बिल्डिंग में यह सोच कर फ्लैट लिए कि दोनों भाईबहनों का साथ बना रहेगा. दोनों के 2-2 बच्चे थे, सब बहुत खुश थे कि यह साथ बना रहेगा, पर जैसेजैसे समय बीत रहा था, रजत की पत्नी सीमा की रीना से कुछ खटपट होने लगी जो दिनबदिन बढ़ती गई. कुछ समय बीतने पर रीना के पति की डैथ हो गई दुख के उन पलों में सब भूल रजत और सीमा रीना के साथ खड़े थे.

कुछ दिन सामान्य ही बीते थे कि ननदभाभी का पुराना रवैया शुरू हो गया. रजत बीच में पिसता, सो अलग, बच्चे भी एकदूसरे से दूर होते रहे. दूरियां खूब बढ़ीं, इतनी कि रीना और सीमा की बातचीत ही बंद हो गई. रजत कभीकभी आता, रीना के हालचाल पूछता और चला जाता, पहले जैसी बात ही नहीं रही, फिर जब कोरोना का प्रकोप शुरू हुआ, ठाणे में केसेज का बुरा हाल था. ऐसे में एक रात सीमा के पेट में अचानक दर्द शुरू हुआ जो किसी भी दवा से ठीक नहीं हुआ. हौस्पिटल जाना खतरे से खाली नहीं था, वायरस का डर था, बच्चे छोटे, रजत बहुत परेशान हुआ, सीमा का दर्द रुक ही नहीं रहा था, रात के 1 बजे किसे फोन करें, क्या करें, कुछ सम झ नहीं आ रहा था.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- ननद-भाभी: रिश्ता है प्यार का

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ननद-भाभी: रिश्ता है प्यार का

मुंबई के ठाणे की हाइलैंड सोसाइटी में रजत और रीना ने एक बिल्डिंग में यह सोच कर फ्लैट लिए कि दोनों भाईबहनों का साथ बना रहेगा. दोनों के 2-2 बच्चे थे, सब बहुत खुश थे कि यह साथ बना रहेगा, पर जैसेजैसे समय बीत रहा था, रजत की पत्नी सीमा की रीना से कुछ खटपट होने लगी जो दिनबदिन बढ़ती गई. कुछ समय बीतने पर रीना के पति की डैथ हो गई दुख के उन पलों में सब भूल रजत और सीमा रीना के साथ खड़े थे.

कुछ दिन सामान्य ही बीते थे कि ननदभाभी का पुराना रवैया शुरू हो गया. रजत बीच में पिसता, सो अलग, बच्चे भी एकदूसरे से दूर होते रहे. दूरियां खूब बढ़ीं, इतनी कि रीना और सीमा की बातचीत ही बंद हो गई. रजत कभीकभी आता, रीना के हालचाल पूछता और चला जाता, पहले जैसी बात ही नहीं रही, फिर जब कोरोना का प्रकोप शुरू हुआ, ठाणे में केसेज का बुरा हाल था. ऐसे में एक रात सीमा के पेट में अचानक दर्द शुरू हुआ जो किसी भी दवा से ठीक नहीं हुआ. हौस्पिटल जाना खतरे से खाली नहीं था, वायरस का डर था, बच्चे छोटे, रजत बहुत परेशान हुआ, सीमा का दर्द रुक ही नहीं रहा था, रात के 1 बजे किसे फोन करें, क्या करें, कुछ सम झ नहीं आ रहा था.

बहुत प्यार है रिश्ता

सीमा ने अपनी खास फ्रैंड को फोन कर ही दिया, अपने हाल बताए. वे रहती तो उसी बिल्डिंग में थी पर महामारी का जो डर था, उस कारण सीमा की हैल्प करने में सब ने अपनी असमर्थता जताई. फिर रजत ने रीना को फोन किया, वह तुरंत उन के घर आई, रीना के बच्चे कुछ बड़े थे, रजत के बच्चों को अपने बच्चों के पास छोड़ वह तुरंत उन दोनों को ले कर हौस्पिटल गई. सीमा को फौरन एडमिट किया गया, किडनी में स्टोन का तुरंत औपरेशन जरूरी था. रीना ने घर, हौस्पिटल सब संभाल लिया.

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सीमा 3 दिन एडमिट रही, कोरोना का समय था, जरूरी निर्देश दे कर उसे जल्दी घर जाने दिया गया. सीमा को संभलने में कुछ दिन लगे, इन दिनों कोई मेड भी नहीं थी. सारा काम रीना और बच्चों ने मिल कर संभाल लिया. सीमा के ठीक होतेहोते ननदभाभी का रिश्ता इतना मजबूत हो चुका था कि कोई गिलाशिकवा रहा ही नहीं. दोनों बहनों की तरह घुलमिल गईं, बच्चे भी खुश हो गए. सीमा का पहले बहुत बड़ा फ्रैंड सर्किल था पर अब जिस तरह रीना ने साथ दिया था, वह भूल पाने वाली बात नहीं थी. रीना को भी याद था कि पति के न रहने पर दोनों उस के साथ खड़े थे, फिर ये दूरियां कैसे आ गईं, इस बात को  झटक दोनों अब वर्तमान में खुश थीं, एकदूसरे के साथ थीं. बच्चे भी जो इस समय घर से निकल नहीं पा रहे थे. अब एक जगह बैठ कर कभी कुछ खेलते तो कभी कुछ. कोरोना का टाइम सब को बहुत कुछ सिखा गया था.

ननदभाभी का रिश्ता बहुत प्यारा और

नाजुक है, दोनों को एकदूसरे के रूप में एक प्यारी सहेली मिल सकती है, लेकिन कभीकभी कुछ बातों से इस रिश्ते में खटास आ ही जाती है. यह सही है कि जहां 2 बरतन होते हैं, कभी न कभी टकराते हैं, लेकिन सम झदारी इस में है कि बरतन टकराने की आवाज घर से बाहर न जाए. मीठी नोक झोंक कब तकरार में बदल जाती है, पता ही नहीं चलता.

रिश्तों में भरें रंग

कभी आप ने सोचा कि ऐसा क्यों हो जाता है? जवाब है, ‘मैं का भाव,’ यह भाव जब तक आप में रहेगा तब तक आप किसी भी रिश्ते को ज्यादा लंबा नहीं चला पाएंगे. यह सच है कि हमें कभी न कभी अधिकारों का हस्तांतरण करना ही पड़ता है. हमारी थोड़ी सी विनम्रता व अधिकारों का विभाजन हमारे रिश्तों को मधुर बना सकता है.

कहते हैं ताली दोनों हाथों से बजती है, हमेशा एक की ही गलती नहीं होती. कभीकभी भाभी का अपने मायके वालों के प्रति अभिमान व अपने सासससुर की उपेक्षा ननद के भाभी पर क्रोध का कारण बनती है. जीवनभर आप के मातापिता साथ नहीं रह सकते, इस बात को ध्यान में रख कर यदि परिवार के सभी सदस्यों से अच्छा व्यवहार किया जाए तो यह रिश्ता नोक झोंक के बजाय हंसीठिठोली का रिश्ता बन सकता है.

कोविड-19 के समय का अपना एक अनुभव बताते हुए पायल कहती हैं, ‘‘मेरा अपनी ननद अंजू के साथ एक आम सा रिश्ता था, कभीकभी ही मिलना होता था. मैं मुंबई में, वह दिल्ली में, पर इस समय हम दोनों ने जितना फोन पर बातें कीं, गप्पें मारीं इतनी कभी नहीं मारी थीं, वह मु झ से काफी छोटी है, अब तो वह मु झ से कितनी ही रेसिपी, पूछपूछ कर बनाती रहती है. कभी जूम पर, कभी व्हाट्सऐप पर खूब मस्ती करती है. मैं ने नोट किया है कि अपने दोस्तों  से ज्यादा मु झे उस से बात करने में आजकल मजा आ रहा है, क्योंकि मेरी फ्रैंड्स के पास तो वही बातें हैं, कोरोना, लौकडाउन, मेड, घर के काम, वहीं अंजू के पास तो न जाने कितने टौपिक्स रहते हैं, मैं भी फ्रैश हो जाती हूं उस से बातें कर के. सब ठीक होते ही उसे अपने पास बुलाऊंगी.’’

कभीकभी ननदभाभी के बीच में आर्थिक स्तर का अंतर होता है. ऐसे में रिश्ते को संभाल कर रखने के लिए बहुत सी बातों का ध्यान रखना पड़ता है. सहारनपुर निवासी सुनीता शर्मा अपनी ननद आरती के बारे में बताते हुए कहती है, ‘‘आरती का विवाह बहुत समृद्ध परिवार में हुआ है. ससुराल में लंबाचौड़ा बिजनैस है, आर्थिक रूप से हम उन के आगे कुछ भी नहीं. आरती जब भी आती है, मैं उसे कुछ दिलवाने मार्केट ले जाती हूं, वह सोचसम झ कर कोई आम सी चीज अपने लिए लेती है, वह भी इतनी खुशीखुशी कि दिल भर आता है. यही बोलती रहती है कि सब तो है, मैं तो बस प्यार के लिए आती हूं. मु झे कुछ भी नहीं चाहिए. बहुत कहने पर थोड़ाबहुत ले लेती है कि हमें बुरा भी न लगे और खुद पता नहीं क्याक्या खरीद कर रख जाती है. कभी महसूस नहीं होने देती कि वह अब एक अति धनी परिवार से जुड़ी है, न खाने में कोई नखरा, न पहनने में, जो देते हैं खुशी से ले लेती है.’’

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पैसा नहीं रिश्ता जरूरी

वहीं शामली निवासी नीरा ने अपने धन के मद में चूर हो कर ऐसा किया कि 5 साल पहले की इस घटना पर अब तक लोग उसे बुराभला कहते हैं. कभीकभी ननद इतनी लालची हो जाती है कि सब रिश्तों को भूल सिर्फ अपने फायदे पर ध्यान देती है. नीरा ने अपने बेटे का विवाह किया तो मायके से अपने भाई को बुलाया ही नहीं क्योंकि भाई की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. वह बड़े बेटे के विवाह में जो दे कर गया, वह नीरा को इतना कम लगा कि उस ने छोटे बेटे के विवाह में किसी को बुलाया ही नहीं. पड़ोस के एक आदमी को अपना भाई बना रखा था जो अमीर था, वह मुंहबोला भाई खूब लेतादेता था. राखी पर भी नीरा को उस के सगे भाई से ज्यादा ही देता था तो नीरा अपने इकलौते भाईभाभी को भूलती ही चली गई. पड़ोस के अमीर भाई से ही सारी रस्में करवाईं. 2 सगे भाईबहन का रिश्ता हमेशा के लिए टूट गया.

इस से बुरा कुछ नहीं होता जब ननद या भाभी पैसे को इतनी अहमियत दे कि आपस का रिश्ता ही खत्म हो जाए. पैसा आनीजानी चीज है. खून के रिश्ते प्यारभरे रिश्ते, इस आर्थिक स्तर के अंतर के कारण खत्म हो जाएं, दुखद है.

दुखसुख की साथी

कभीकभी यह भी देखने में आता है कि ननद और भाभी के बीच उम्र का फासला ज्यादा होता है तो उन दोनों के बीच अलग तरह की बौंडिंग हो जाती है. पुणे की अंजलि अपनी भाभी से 12 साल छोटी है. वह इस विषय पर अपना अनुभव बताते हुए कहती है, ‘‘मेरे मायके में बहुत पुरातनपंथी माहौल था. ऐसे में मैं ने जब कालेज में विजातीय सुनील को पसंद किया तो बस अपनी भाभी से सब शेयर किया. मेरी भाभी ने सबकुछ संभाला, सब को इस विवाह के लिए इतनी मुश्किल से मनाया कि आज तक मैं उन्हें थैंक्स कहती हूं. कोई भी मुश्किल हो, उन्हें कौल करती हूं और फौरन समाधान निकल आता है. मेरे बच्चों की डिलिवरी के समय सबकुछ उन्होंने ही संभाला.’’

मुंबई निवासी नेहा अपनी भाभी के अंधविश्वासी स्वभाव से बहुत परेशान रहती. कुछ हुआ नहीं कि उस की भाभी श्वेता  झट से एक मौलवी से ताबीज लेने भागती. वह जब भी उन के घर जाती, हर समय किसी न किसी अंधविश्वास से घिरी भाभी को देख कर दुख होता. नेहा की तार्किक बातों को श्वेता सिरे से नकार देती. जब नेहा किसी परेशानी में होती, श्वेता उस का श्रेय नेहा की नास्तिकता को दे कर कहती कि तुम कोई पूजापाठ नहीं करती, इसलिए तुम बीमार हुई. नेहा अपने भाई से श्वेता के अंधविश्वासी होने पर बात करती तो श्वेता को अच्छा नहीं लगता. धीरेधीरे नेहा उन से एक दूरी रखने लगी. औपचारिक रिश्तों में फिर वैसा प्यार नहीं रहा जैसा हो सकता था.

ननदभाभी के इस रिश्ते में कई तरह की ननदें होती हैं, कई तरह की भाभियां, एकदूसरे परिवार से आई होती हैं. उन का अलग स्वभाव होता है. परवरिश, सोच, विचार सब अलग होते हैं. ऐसे में 2 अलग तरह के नारी मन जब साथ रहने लगते हैं.

बहुत कुछ ऐसा होता है कि सम झ कर चलना पड़ता है. बहुत खुल कर खर्च करने की आदत थी अंजना को. इकलौती लड़की थी, पेरैंट्स ने भी कभी नहीं टोका था. ससुराल आई तो यहां सब एकदम व्यवस्थित, सोचसम झ कर खर्च करने वाले, ननद रोमा ने बड़ी सम झदारी से काम लिया. अंजना को धीरेधीरे ही यह आदत डाली कि बिना जरूरत के अलमारी में कपड़े भरभर कर रखने में कोई सम झदारी नहीं, जितनी जब जरूरत हो, खरीद लो.

शुरूशुरू में अंजना सब को कंजूस कह कर उन का मजाक उड़ाती रही, पर धीरेधीरे उस में रोमा की बातों से अच्छा बदलाव आने लगा. रोमा ने हंसीहंसी में ही उसे कितना कुछ सिखा दिया. घर के बाकी मैंबर्स को भी यही सम झाती रही कि अंजना अभी नई आई है. उस की फुजूलखर्ची की आदत पर कोई उसे ताना न मारे. कुछ बुरा न कहे, उस की यह आदत एकदम नहीं जा सकती. किसी ने उसे कुछ नहीं कहा. फुजूलखर्ची की अंजना की आदत कब छूटती गई, उसे खुद पता नहीं चला.

ताकि संबंधों में बनी रहे मिठास

ऐसे मौकों पर घर में शांति रखने में मदद का बड़ा रोल होता है. ननद चाहे तो भाभी की कितनी ही बातों को सहेज कर घर में उस का स्थान आदरपूर्ण और प्रेमपूर्ण बना सकती है.

यदि घर में ननदभाभी का रिश्ता प्यारा है तो इस का पूरे घर पर असर होता है, क्योंकि भारतीय परिवार में एकदूसरे से बंधे होते हैं, एक पार्टी का मूड भी खराब होता है तो हर रिश्ते पर असर पड़ता है.

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कोविड-19 के जाने के बाद भी एक लंबे अरसे तक एकदूसरे से, दोस्तों से, पड़ोसियों से पहले की तरह मिलनेजुलने में वक्त लगेगा. सब इतनी जल्दी नौर्मल नहीं होगा. अगर आप ने भी इतने प्यारे रिश्ते से अब तक कुछ दूरी बना कर रख रही हैं तो फौरन एकदूसरे को प्यार से अपना बनाएं, फोन करें, वीडियो पर हंसीमजाक करें, परिवार को जोड़ें. अब आने वाले समय में सहेलियां बाद में ननदभाभी एकदूसरे के काम ज्यादा और पहले आएंगी. यह रिश्ता बना कर तोड़ने की चीज नहीं है. यह तो हमेशा निभाने के लिए है. इस की मिठास का आनंद लें, एकदूसरे को प्यार व सम्मान दें.

इस प्यारे रिश्ते को निभाने के लिए बहुत सी बातों का ध्यान रखना जरूरी है जैसे:

– अगर आप दोनों का रिश्ता दोस्ताना है तो गलती से भी कभी एकदूसरी की बातों को किसी से शेयर न करें. अपने पति से भी नहीं वरना आप दोनों का रिश्ता बिगड़ सकता है.

– इस बात का भी ध्यान रखें कि घर के सारे काम की जिम्मेदारी भाभी की नहीं, घर के कामों में उस की जरूर मदद करें. यही नहीं भाभी ननद की पढ़ाई से ले कर उस के दूसरे कामों में भी मदद करें.

– अपनी ननद के सामने घर की किसी बात की बुराई करने से बचें. कोई भी लड़की अपने मातापिता या अपने भाईबहन की बुराई सुनना पसंद नहीं करती. अगर भाभी उस से कोई शिकायत करती भी हैं तो ननद भी कारण सम झे, भाभी की परेशानी को सौल्व करने की कोशिश करे.

– किसी भी नए रिश्ते में गलतफहमी हो जाना सामान्य बात है. ऐसे में छोटीछोटी गलतफहमियों का असर अपने रिश्ते पर न पड़ने दें. अगर आप को अपनी भाभी या ननद की कोई बात बुरी लगी है तो सब से पहले उस चीज को ले कर बात करें न कि गुस्सा हो कर मुंह फुला कर बैठ जाएं और एकदूसरे से बात करना बंद कर दें.

– स्वस्थ रिश्ते फायदेमंद होते हैं, लेकिन जिन रिश्तों में एकदूसरे से बहुत ज्यादा अपेक्षा होती है उन रिश्तों की डोर टूट ही जाती है. ऐसे में एकदूसरे से ज्यादा अपेक्षा न रखें.

– अगर आप से कोई गलती हो भी गई है तो उसे प्यार से उस की पसंद का गिफ्ट दे कर मना लें. बात जल्दी से जल्दी खत्म करें.

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