राजनीतिक परिवार में जन्मी प्रोड्यूसर स्मृति शिंदे, राजनेता शुशील कुमार शिंदे की बेटी है. उसको बचपन से कला के क्षेत्र में जाने की इच्छा थी. उन्होंने हमेशा लीक से हटकर काम करना पसंद किया और यही वजह है कि उन्होंने आम इंसान और उसकी भावनाओं से जुडकर टीवी शो बनायीं और नाम कमायी. उनके इस चॉइस को माता-पिता का सहयोग मिला. खासकर पिता ने कभी भी किसी काम से उन्हें रोका या टोका नहीं. काम के दौरान उन्होंने शादी की और माँ बनी,लेकिन किसी कारणवश उनका रिश्ता चल नहीं पाया और उन्होंने डिवोर्स लिया. अब वह सिंगल मदर है और अपने बच्चों के साथ खुश है. उनकी धारावाहिक & टीवी पर ‘एक महानायक डॉ. बी आर अम्बेडकर’ चल रही है, जिसे लेकर वह बहुत खुश है, उनकी जर्नी के बारें में जाने उन्ही से.
सवाल- क्या ये आपका हिंदी में पहला प्रोडक्शन है? इसे करने की इच्छा कैसे हुई?
हिंदी में मेरा ये पहला फिक्शन शो है, लेकिन इससे पहले मैंने राजा बेटा और मिशन सपने शो दो शो किये है. इस शो को करने के लिए चैनल ने एप्रोच किया और मैंने इसके बारें में उनसे पूछा भी था कि उन्होंने मुझे क्यों एप्रोच किया. उनका कहना है कि मेरी एक मराठी शो ‘तुझ्यात जीव रंगला’ काफी चर्चित है और मैंने एक साधारण युवक की कहानी को दर्शकों तक पहुंचाई है. ये कहानी भी वैसी ही साधारण परिवार से निकले पुरुष की है. इसके अलावा मैं हर शो में उसकी बारीकियों को खुद देखती हूँ, जिससे शो अच्छी बनती है. मैं राजनैतिक परिवार से हूँ इसलिए मुझे ये शो मिले, ये जरुरी नहीं, मैं कला प्रेमी हूँ और उस लिहाज़ से मेरा परिचय दर्शकों तक होनी चाहिए.
सवाल-राजनीतिक परिवार से होने के बावजूद भी आपकी रूचि इस और कैसे गयी?
मेरे पिता की रूचि भी इस ओर थी,वे स्कूल, कॉलेज में नाटकों में भाग लिया करते थे. उन्हें फिल्मों और संगीत का बहुत शौक है. घर में कला का माहौल बचपन से मैंने देखा है. मेरी माँ गाती थी. टीवी के माध्यम से मैं कुछ न कुछ करना चाहती थी, जिसमें मेरी चॉइस बहुत अलग है. कहानी पसंद आनी चाहिए. मैं वैसा काम करना चाहती थी जिसमें कोई अच्छी कंटेंट हो. दर्शकों को कोई मेसेज जाए.
सवाल- पिता के साथ राजनीति में आपने कैसे सहयोग दिया? बोन्डिंग कैसी थी?
मुझे राजनीति में कोई रूचि नहीं, लेकिन उनके साथ मैंने चुनाव के समय काफी सहयोग दिया है. छोटी उम्र में माँ अपने साथ कैम्पेनिंग के लिए ले जाती थी बड़े हुए तो हमने उनके लिए काफी सारी चीजे ऑर्गनाइज किये , जितना हो सकता था उतना हमने किया. पिता ने हम तीनों बहनो को अच्छी शिक्षा दी. जिसे जिस क्षेत्र में जाना है, सहयोग दिया.
सवाल-परिवार के साथ बच्चों को कैसे सम्भालती है?
मैंने काम सिर्फ 10 साल पहले से करना शुरू किया है और मुझे यही काम पसंद आता है. जब मेरे बच्चे छोटे थे, तो घर पर बैठकर आर्ट के क्षेत्र में कुछ न कुछ करती रही. जिसमें कहानी लिखना प्रमुख था, पर मैंने उसकी पब्लिसिटी कभी नहीं की. अभी बच्चे बड़े है इसलिए अधिक देखना नहीं पड़ता. महिला अगर चाहे तो किसी भी समय कुछ भी अपनी रूचि के अनुसार कर सकती है.
सवाल-कानून बनने के बाद भी महिलाओं पर अत्याचार का दौर नहीं थमा है, इसे कैसे लेती है?
इस बारें मेरा यह मानना है कि बच्चों की परवरिश बचपन से सही करने की जरुरत है. मेरे दो बेटे है और मैंने उन्हें बचपन से सही परवरिश करने की कोशिश की है. ये दावे के साथ कह सकती हूँ कि बेटों को ये सिखाना बहुत जरुरी है कि वे अपने दोस्त और परिवार में महिलाओं के साथ कैसे व्यवहार करें, क्योंकि शुरुआत वही से होती है. कानून व्यवस्था हमारे देश में अच्छी है, पर हैदराबाद की पुलिस को मैं बधाई देती हूँ कि उन्होंने ऐसी कड़ी कदम उठाने पर मजबूर हुए और अपराधियों को एनकाउंटर में मार गिराएं. ये सही है कि कानून अपने हाथ में नहीं लेनी चाहिए, पर ऐसा कुछ गलत अवश्य हुआ होगा, जिसकी वजह से पुलिस वालों ने ऐसा कदम उठाना पड़ा. एनकाउंटर प्लान करके नहीं होता और मैं कर्म में विश्वास करती हूँ अगर आप गलत काम करेंगे, तो आपके साथ भी गलत होगा.
सवाल-क्या किसी प्रकार की सामाजिक काम महिलाओं के लिए करने की इच्छा रखती है?
मैंने कभी किसी काम के लिए कोई प्लान नहीं किया है. मैंने स्नातक के बाद शादी कर ली और लॉ की पढाई बीच में छोड़ दी थी. मेरे बच्चे हो गए फिर मैं आगे कुछ सोच नहीं पायी. ये काम भी मैंने सोचकर नहीं किया. मैं कुछ सामाजिक काम अवश्य करना चाहती हूँ, पर प्रोडक्शन लाइन में समय मिलना मुश्किल हो जाता है. सर्वसामान्य लोग जो गरीब है उन्हें हम शो के माध्यम से प्रमोट करते है. तेलगू, तमिल, कन्नडा, मराठी में 2 सीजन हो चुके है. इसमें कोई सेलेब्रिटी पूरे दिन उस गरीब व्यक्ति का काम करता है उससे जो पैसा आता है उसे उसकी जरुरत के अनुसार कई गुना बढ़ाकर उस व्यक्ति को दे दिया जाता है. ये छोटी सी कोशिश मैं कर रही हूँ, इसके अलावा फिल्मों के क्षेत्र में कुछ अच्छा काम महिलाओं के लिए करने की इच्छा रखती हूँ. इसमें मैं उन विषयों को लाना चाहती हूँ, जिसे महिलाएं किसी के साथ डिस्कस नहीं कर सकती. ये डिप्रेशन वाली कहानी नहीं होगी. ये खुश रहने की तरीके होगी,जिसे हम फिल्मों के ज़रिये उन्हें दिखा सकें.
सवाल- आपके यहाँ तक पहुँचने में परिवार का सहयोग कैसे रहता है?
मैं पिछले 15 साल से अपने पति से अलग रहती हूँ. मैंने बच्चों की परवरिश अकेले की है. प्रोड्यूसर बनना बहुत कठिन काम है. मेरे बच्चे मुझे समझते है. वे अब बड़े हो चुके है. कई बार सुबह जल्दी, रात को देर हो जाना इन सबमें उन दोनों ने सहयोग दिया है. मैं निर्माता बनने के बाद से हर चीज को सेट पर आकर खुद देखती हूँ. मेरे माता-पिता भी मुझे बहुत सहयोग देते है.
सवाल- क्या आपके बच्चों की रूचि आपके क्षेत्र में है?
मेरे बच्चों की रूचि मेरे काम की तरफ नहीं है, पर वे मेरे काम को रेस्पेक्ट देते है. दोनों बड़े हो गए है और विदेश से पढाई ख़त्म कर अब अपनी कंपनी खोलने की कोशिश कर रहे है.
सवाल- महिलाओं के लिए क्या सन्देश देना चाहती है?
महिलाओं को अपने अंदर की ख़ुशी को देखते हुए काम करनी चाहिए. महिलाएं अपने पति और बच्चों के लिए सब कुछ करती है, पर अपने लिए कुछ करना भूल जाती है, जिसका मलाल उन्हें सालों बाद होता है. वक़्त परिवार में बांटिये, पर उसमें से कुछ समय अपने लिए अवश्य निकाल लीजिये.