15 अगस्त स्पेशल: इन जगहों पर मनाएं आजादी का जश्न

इस स्वतंत्रता दिवस अपने परिवार और दोस्तों के साथ आप खास जगहों की यात्रा के लिए जा सकती हैं, जहां पहुंचकर आप देशभक्ति के रंग में सरोबर हो जाएंगी. तो जानिए कौन-कौन सी हैं वो जगह जहां आप स्वतंत्रता दिवस मना सकती हैं.

लाल किला

स्वतंत्रता दिवस का जश्न मनाने के लिए दिल्ली के लाल किले से अच्छी जगह और क्या होगी. सबसे पहले यहां सुबह-सुबह तिरंगा झंडा फहराया जाता है. शहीदों को सत्-सत् नमन कर अन्य रंग बिरंगे कार्यक्रमों का आयोजन होता है. स्कूल के छोटे-छोटे बच्चों द्वारा पेश किए जाने वाले देशभक्ति कार्यक्रम सबसे ज़्यादा दर्शकों का मान मोहते हैं.

इंडिया गेट

इंडिया गेट का नाम सुनते ही अलग से रूह में देशभक्ति की भावना उमड़ पड़ती है. यहां स्थित अमर जवान ज्योति, जो भारतीय सैनिकों का मंदिर है लोगों में देश प्रेम की भावना को और बढ़ा देती है. आपको कई देशभक्ति फिल्मों में इंडिया गेट के नजारे देखने को जरूर मिलेंगे. रंग दे बसंती का वो सीन तो आप सबको याद ही होगा जब सारे दोस्त इंडिया गेट से गुज़रते हुए इंडिया गेट को सलामी देते जाते हैं.

राज घाट

यमुना नदी के किनारे स्थित राज घाट, महात्मा गांधी के यादों का स्मारक है. इसके साथ ही जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री के स्मारक भी विजय घाट के नाम से स्थित हैं. हर साल यहां आजादी के दिन इन महान व्यक्तियों को याद कर श्रद्धांजलि दी जाती है.

वाघा बार्डर

वाघा बार्डर, पाकिस्तान और भारत के बीच की इकलौती सड़क सीमा है, जहां हर साल 15 अगस्त के दिन लोगों का हुजूम उमड़ता है यहां के कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के लिए. दोनो देश इसी सीमा पर एक दूसरे को आजादी की बधाई देते हैं. देशभक्ति गीतों पर लोग नाचते गाते मौज मानते हैं. इस दिन यहां लोगों का जोश देखने लायक होता है.

जलियांवाला बाग

जलियांवाला नरसंहार भारत का सबसे बड़ा और दुखद नरसंहार था, जिसे पूरा देश कभी नहीं भूल सकता. 13 अप्रेल 1919 बैसाखी वाले दिन ही अमृतसर शहर के जलियांवाला बाग में रोलेट एक्ट का विरोध करने के लिए एक सभा हो रही थी, जिसमें अंग्रेजी आफिसर जनरल डायर ने गोलियां चलवा दीं. इस क्रूर हत्याकांड के निशान अब भी वहां मौजूद हैं.

अल्फ्रेड पार्क

अल्फ्रेड पार्क जिसे कंपनी गार्डेन के नाम से भी जाना जाता है, वही जगह है जहां चंद्रशेखर आजाद  ने देश के लिए लड़ाई लड़ते हुए अपनी जान गंवाई थी. इसे चंद्र शेखर आजाद पार्क के नाम से भी जाना जाता है. इलाहाबाद का यह सबसे बड़ा पार्क है जहां चंद्रशेखर आजाद का स्मारक स्थापित है.

साबरमती आश्रम

गुजरात के अहमदाबाद शहर में साबरमती नदी के किनारे स्थित साबरमती आश्रम का भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका है. सत्याग्रह आंदोलन और दांडी मार्च की शुरुआत यहीं से हुई थी.

झांसी का किला

झांसी का किला जहां से झांसी की रानी हमारे देश की सबसे वीर महिला ने देश की आजादी के लिए लड़ाई आरंभ की थी. आज भी हर साल झांसी का महोत्सव इसे किले में ही मनाया जाता है.

बैरकपोर बाग

बैरकपोर बाग, पश्चिम बंगाल में स्थित बाग है जिसे मंगल पांडे बाग के नाम से भी जाना जाता है. इस बाग में अंग्रेजों का विरोध करने वाले कई भारतीय सैनिकों को सन् 1857 में फांसी के फंदे पर लटका दिया गया था.

नेताजी भवन

पश्चिम बंगाल के कोलकाता में स्थित नेताजी भवन, एक स्मारक सभागार और संग्रहालय है, जहां नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी को उनके ही घर में बंदी बनाकर रखा गया था.

तिहाड़ जेल

तिहाड़ जेल अंडमान निकोबार के पोर्ट ब्लेर में स्थित अंग्रेजी शासकों का जेल है, जहां देश की आजादी के लिए लड़ने वाले देशभक्तों को कैदी बना कर रखा गया था. यहां उन्हें कई जटिल यातनाओं का सामना करना पड़ा था.

फुकेट: यहां मस्ती है अनलिमिटेड

जब अचानक मन हुआ कि लौकडाउन में काफी बंद बैठ लिए, अब थोड़ा घूमा जाए, कहीं घूम कर आया जाए तो सौ चीजें सामने थीं. भारत में तो काफी घूमा जा चुका है, अगर बाहर जाते हैं तो इतनी जल्दी वीजा नहीं मिलेगा, क्या किया जाए, यह सोचते हुए सब गूगल छानते रहे, आजकल तो गूगल है ही हर मरज की दवा. हर मुश्किल का हल. फिर वे जगहें देखीं गईं जहां ‘वीजा औन अराइवल’ की सुविधा है और ऐसी जगह भी चाहिए थी जहां की फ्लाइट बहुत लंबी न हो. तो सर्वसम्मति से थाईलैंड फाइनल हुआ.

फौरन एक एजेंसी सब पूछताछ की और उन के माध्यम से ही 10 दिन का पैकेज लिया गया. आजकल इस बात से बहुत आराम हो गया है कि टूर्स ऐंड ट्रैवल्स कंपनीज की सुविधा लेने से यात्राएं आसान हो जाती हैं. नई जगह कहां भटकेंगे, इस बात की चिंता नहीं रहती. फ्लाइट बुक करने से ले कर होटल, टैक्सी, खानापीना सब में आराम हो जाता है.

तो बस हम पतिपत्नी सुबह 5 बजे की मुंबई से फुकेट की 4 घंटे 40 मिनट की फ्लाइट पकड़ कर फुकेट पहुंचे, कहने को ही 4:30 घंटे की फ्लाइट थी, इस के लिए हमें रात 12 बजे ही ठाणे यानी घर से निकलना पड़ा था क्योंकि इंटरनैशनल फ्लाइट्स के लिए बाकी औपचारिकताओं के लिए एअरपोर्ट जल्दी पहुंचना होता है.

मस्ती और मजा

फुकेट एअरपोर्ट पर वीजा लेने वालों की लंबी लाइन थी. लाइन में मेरे पीछे पता है कौन था? मुजफ्फरनगर का कोई लड़का अपनी नईनवेली पत्नी के साथ. सोच कर देखिए, थाईलैंड में लाइन में आप के पीछे मायके के शहर का कोई इंसान फोन पर बात कर रहा हो और आप को समझ आ जाए कि लो, भई, यहां पीछे वाले मायके से हैं. मन ही मन मुसकराते हुए मैं ने उन की फोन पर बातें सुनीं. लड़का अपने पेरैंट्स को सारी जानकारी दे रहा था और उस की भाषा और बातों से साफसाफ पता चल चुका था कि हां, मायके की तरफ का ही है.

मैं ने आगे खड़े अपने पति से कहा, ‘‘अपने साले से मिलना है?’’

वे समझ गए कि कोई जोक आ रहा है, हंस कर बोले, ‘‘नहीं, मन नहीं.’’

काम बहुत तेजी से हो रहा था, इतनी तेजी से तो काम होने की उम्मीद नहीं की थी. हैरानी हुई कि किसी ने कोई पेपर नहीं देखा, पता चला आजकल टूरिस्ट्स की बहुत भीड़ है क्योंकि लौकडाउन के बाद अब सब घूमने आ रहे हैं. फौर्म भर कर बस फोटो लगवाया, इमीग्रेशन तो 10 मिनट में हो गया, फिर अपना सामान लिया, डेढ़ घंटे में एअरपोर्ट से बाहर आए. ट्रैवल एजेंसी की लड़की और एक शानदार कार हमारा इंतजार कर रही थी.

घूमतेघूमते जब भूख लगी

उस ने हमें कार में बैठा दिया और हम फिर क्राबी आइलैंड के लिए निकल गए. फुकेट हम लौटते हुए रुकने वाले थे. कार के ड्राइवर को न हिंदी आती थी, न इंग्लिश. इंग्लिश के कुछ ही शब्द वह सम?ा पा रहा था. हमें अब भूख लग रही थी. ड्राइवर को यह सम?ाने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी कि कोई रेस्तरां दिखे तो रोक दे. बारबार उसे हंगरीहंगरी कहते हुए पेट पर हाथ रखा तो वह सम?ा गया और हंसने लगा. हम भी हंसते हुए उसे सम?ाते रहे कि ‘वैरी हंगरी’ और वह हंसते हुए कहता रहा कि नो फूड, नो रेस्तरां.

खैर, उस ने एक जगह कार रोक दी और कहा कि फूड कौफी.

हम ने जा कर उस शौप में खाने के बारे में पूछा तो भाषा की वही समस्या. उन्हें इशारे से सम?ाया कि खाना चाहिए तो उस शौप की 2 महिलाओं में से एक ने हमें एक प्लेट में थोड़े राइस और उबली सब्जियां डाल कर पकड़ा दीं जो खाई तो नहीं जा रही थीं पर भूख में तो पत्थर भी पापड़ लगता है तो बस किसी तरह पेट में डाल ही लिया.

जब वापस कार में आए तो ड्राइवर ने अपने पेट पर हाथ रखते हुए मुझ से पूछा कि फूड. ओके?

शायद वह समझ गया था कि भूख से ज्यादा परेशान में ही थी. क्राबी होटल पहुंचे. बहुत बड़ा और सुंदर होटल था. इस ट्रिप में हर जगह होटल की बुकिंग में ब्रेकफास्ट कौंप्लिमैंट्री था, लंच भी कहींकहीं उन्हीं की जिम्मेदारी थी. हां, डिनर अपने हाथ में था. पहली शाम अपनी थी, रूम में जा कर फ्रैश हुए.

स्थानीय बाजार की सैर

थोड़ा आराम किया. शाम को वहां की लोकल मार्केट घूमने और डिनर करने निकले. होटल के पास ही एक लाइन से कई रेस्तरां थे. हमारी इंडियन शक्लें देख कर इंडियन रेस्तरां वालों के वेटर हमें आवाजें लगा रहे थे, ‘‘आ जाओ, भैया, भाभी, दाल तड़का, मटरपनीर, इंडियन खाना है.’’

मुझे मन ही मन भैयाभाभी सुन कर हंसी आई. फिर हम एक इंडियन रेस्तरां में चले ही गए जहां खाना बिलकुल अच्छा नहीं लगा. सर्विस भी बहुत खराब थी. सोच लिया, अब भैयाभाभी दोबारा इस होटल में तो आने से रहे. कल कहीं और ट्राई किया जाएगा.

फोर आइलैंड

अगले दिन फोर आइलैंड्स का टूर था जहां स्पीड बोट से गए, हाट वाटर स्प्रिंग देखा जहां नैचुरल गरम पानी के झरने थे जहां बहुत सारे विदेशी पर्यटक नहा रहे थे. हमें अभी तक स्पीड बोट में यहीं मुलुंड, मुंबई के युवा पतिपत्नी मिल चुके थे जिन से हमारी अच्छी दोस्ती हो गई थी. हम उन के, वे हमारे फोटो लेते रहे. हमारे होटल भी आसपास थे और यह भी समझ आ गया था कि अगले कुछ दिन हमारा साथ रहेगा क्योंकि उन्होंने भी उसी एजेंसी से पैकेज लिया हुआ था.

उसी दिन ‘एमरल्ड पूल’ और ‘ब्लू पूल’ भी गए. इतना सुंदर नैचुरल रंगों का पूल देखने लायक था. बहुत ही सुंदर नीला, हरा सा पानी. वहां की खूबसूरती ऐसी थी जैसे किसी ने पानी में हरा और नीला रंग मिला दिया हो. अद्भुत, दर्शनीय. लौटते हुए फिर पगोड़ा देखा. यह काफी बड़े एरिया में बना हुआ है. कई सीढि़यां चढ़ कर ऊपर एक पौइंट भी है जहां से अच्छा व्यू दिखता है, पर बारिश में इस पर जाना सेफ नहीं है. अद्भुत कलाकारी है. बुद्ध की कई प्रतिमाएं हैं.

फिर आई वह एक शाम जिस की कल्पना मैं मुंबई से कर के चली थी, जिसे जान कर हो सकता है आप हंसें भी. जिस के शौक के कारण ही मुझे थाईलैंड आने का रोमांच था. मैं ने यहां की मसाज के बारे में बहुत सुना था और अब मैं यहां थी तो मुझे यह अनुभव लेना ही था.

शाम को जब हम होटल वापस पहुंचे, हम फ्रैश हो कर मार्केट की तरफ निकले तो मैं ने पति से कहा, ‘‘अब सब से पहले मसाज करवानी है, फिर कुछ और.’’

‘‘सच.’’

‘‘अरे, मैं तो आई ही इसलिए हूं. जरा देखा जाए यहां ऐसी क्या बात है जो मुंबई के स्पा में नहीं होती.’’

पति ने कहा, ‘‘ठीक है, कोई साफसुथरी जगह देखते हैं. मैं बाहर बैठा रहूंगा, तुम करवा लेना,’’ फिर हंसे, ‘‘तुम्हारा कोई शौक छूट न जाए.’’

मसाज का आनंद

वहां लाइन से लगातार मसाज पार्लर थे. एक साफसुथरा पार्लर देख कर हम अंदर गए. वहां की मालकिन काफी उम्रदराज थी और वहां काम करने वाली लड़कियां करीब 20 से 25 साल की रही होंगी. रेट्स पता किए, चार्ट लगा ही था, औयल मसाज चार सौ बाथ की थी, थाई मसाज 3 सौ की थी. मैं ने औयल मसाज के लिए बात की. थाई मसाज ड्राई होती है, औयल से नहीं होती. वहां मिले भारतीय लोगों ने बताया था कि वह भी बहुत अच्छी होती है. यह बहुत अच्छा पार्लर था. पति बाहर रखे सोफे पर बैठ कर अपने फोन में व्यस्त हो गए. सच कहूं, मुंबई से कई गुना ज्यादा अच्छी मसाज हुई. ऐसे कायदे से, ऐसी शालीनता से कभी नहीं हुई थी.

मुंबई से उलट पहला फर्क यही था कि सब से पहले शरीर को एक साफ चादर से ढक दिया गया. फिर जिस हाथ या जिस पैर की वह लड़की मालिश करती, उतना ही हिस्सा चादर से बाहर निकालती. सीने और नीचे के हिस्से से कपड़ा एक बार भी हटा ही नहीं. मैं हैरान सोचती रही कि मालिश भी ऐसे सभ्य तरीके से हो सकती है. 1 घंटा लगा, इतना आराम मिला कि यह अनुभव याद रहेगा.

मुंबई के पार्लर्स के मुकाबले यहां के रेट्स मुझे बहुत सस्ते लगे तो मैं ने सोचा कि मुंबई जाने से पहले 1-2 बार और करवाऊंगी. अब फीफी आइलैंड में भी इस का अनुभव लूंगी. यहां की करंसी ‘बाथ’ है, चार सौ बाथ मतलब लगभग यहां का हजार. तो मुंबई में हजार में कहां ऐसी मसाज होती.

3 दिन क्राबी रह कर हम फीफी आइलैंड में फेरी से टोनसाई पिएर उतरे. वहां से बोट से होटल आए. मुलुंड वाले दंपती भी साथ ही थे पर उन का होटल दूसरा था. शाम को बीच घूमे. यह मौसम यहां बारिशों का था. हम बोट पर बैठे. नीचे समुद्र की लहरें, ऊपर से तेज बारिश. बस हर तरफ पानी ही पानी था.

माया बे का जवाब नहीं

दूसरे दिन अपने नए साथियों के साथ छोटी बोट से माया बे गए जो बहुत प्रसिद्ध जगह है. फिर एक लगून गए. वहां उन लोगों ने स्नोर्कलिंग की. हम उन सब के फोटो लेते रहे क्योंकि हम दोनों उस समय पानी में नहीं उतरे थे. शार्क्स साफसाफ दिखाई दे रही थीं. बहुत आनंद के पल थे. वहां से हम उसी नाव से होंग आइलैंड पहुंचे. यहां गाइड ने सिर पर किसी इंजीनियर की तरह पहनने के लिए एक मजबूत टोपी दी.

समुद्र के किनारे घुटनेघुटने पानी में चल कर गुफाओं में होते हुए एक जगह जाना था. बहुत सुंदर जगह थी. यह और काफी एडवैंचर्स ट्रिप. यहां के पानी में मेरी एक चप्पल भी बह गई. बाहर लगी दुकानों से फिर एक जोड़ी चप्पल खरीदी गई.

यहां हमें दिल्ली के एक मिडल ऐज दंपती भी मिल गए जिन में से पत्नी का नाम मैं ने अपने मन में पम्मी आंटी रख लिया था क्योंकि मेरे युवा दोस्त ऐसी आंटियों को पम्मी आंटी कहते हैं जो न कोई मतलब, न कोई रिश्ता होते हुए पूछ लेती हैं कि बेटी की शादी कब करोगे. इन बहुत फैशनेबल, नखरीली सी पम्मी आंटी ने जब देखा कि हम भी इंडियन हैं तो उन्होंने घरपरिवार के बारे में पूछा. मेरे नाम और सरनेम पर तो अच्छेअच्छों को ?ाटका लगता है, सोचिए भारत से इतनी दूर घूमते हुए भी एक इंडियन लेडी को पानी में चलते हुए ये बातें करनी याद आईं, ‘‘आप का क्या नाम है.’’

‘‘पूनम अहमद.’’

‘‘लवमैरिज?’’

‘‘जी.’’

‘‘ओह, बड़ी मुश्किल हुई होगी?’’

‘‘जी.’’

‘‘बच्चे?’’

मैं ने बच्चों के बारे में उन्हें बताते हुए अपना हाथ पकडे़ अपने साथ चलते पति के कान में कहा, ‘‘फिर एक इंटरव्यू.’’

वे बोलीं, ‘‘बेटी की शादी अभी नहीं की?’’

‘‘नहीं.’’

‘‘क्यों?’’

‘‘उस का अभी मूड नहीं.’’

‘‘एक तो मुझे आजकल की लड़कियों की बातें ही नहीं पसंद. भई, अपने पैरों पर जब खड़ी हो गईं तो शादी कर के सैटल हो जाओ.’’

गृहशोभा के दीवाने

मैं बस उन की दाद देना चाहूंगी कि जब सब पानी में इतनी मुश्किल से अपना बैलेंस बनाते हुए गिरपड़ रहे थे, वे इस बात की चिंता कर रही थीं कि हमारी बेटी शादी कब करेगी. हमारे यहां की पम्मी आंटियां कमाल हैं न. हां, पर उन की एक अच्छी बात यह थी कि कभी वे ‘गृहशोभा’ बहुत शौक से पढ़ा करती थीं. अब उन्हें फोन के कारण टाइम नहीं मिल पाता. पर वे अब फिर पढ़ना जल्दी शुरू करेंगी.

उन्हें गृहशोभा हमेशा बहुत अच्छी लगी है. ये दोनों पतिपत्नी कभी भी लड़ते, कभी भी किसी भी बात पर बहस करते. ये पतिपत्नी इतने दिलचस्प कैरेक्टर लगे कि बस इन्हें देखते रहना और इन की बातें सुनते रहना कम रोचक नहीं रहा. ये दोनों अपनेआप में मनोरंजन का एक पूरा पैकेज थे. दुनिया में ऐसे लोगों का होना भी बहुत जरूरी है जिन्हें देखसुन कर ही आप बस मुसकराते रहें.

टोनसाई मार्केट में बर्गर किंग में बर्गर खाया. एक अलग तरह की कोकोनट आइसक्रीम खाई जो यहां की विशेषता है. फिर बोट से वापस होटल आ गए. नावों में इतना बैठ चुके थे कि अब जमीन पर चलते तो लगता कि सबकुछ हिल रहा है, वाशबेसिन पर सुबह ब्रश करते तो सिर ऐसे घूमता कि एक बार तो मैं ने वाशबेसिन पकड़ा, खूब सिर घूमता, फिर तैयार हो कर अगले आइलैंड के लिए नाव पर जा बैठते. यहां हम 2 रात थे, नैशनल पार्क देखा. यहां वाइट सैंड है, वहां से फेरी से फुकेट आए, होटल पौना घंटा दूर था.

अगले दिन सुबह जेम्स बांड आइलैंड गए, फिर एक जगह फ्लोटिंग रेस्तरां में लंच किया. फिर एक बीच पर स्विमिंग की और फिर होटल वापस. अगली सुबह टाइगर किंगडम गए, पशुपक्षी मु?ो विशेषरूप से प्रिय हैं और जब बात शेर देखने की, उस की पूंछ पकड़ कर उसे छू कर देखने की हो तो भला कौन मना करेगा. टाइगर किंगडम में टाइगर्स को दूर से देखते हुए भी आनंद लिया जा सकता है और एक तय राशि दे कर प्रोफैशनल फोटोग्राफर को हायर कर के एक विशेष केज में बौडीगार्ड्स और उन के केयर टेकर्स के साथ अंदर जा सकते हैं.

हम ने यही किया. इस में जो टाइगर्स थे, वे ट्रेंड थे. हमें निर्देश दिया गया कि उन्हें पीछे से हग कर सकते हैं, उन के आगे खड़ा नहीं होना है, इस फोटोग्राफर ने हमारे टाइगर्स के साथ अलगअलग पोज में 50 फोटो लिए मजा आ गया. यह जीवन का यादगार दिन था.

गजब का रोमांच

टाइगर्स इतने ट्रेंड हैं कि उन्होंने चूं तक नहीं की. आराम से बैठे हुए टाइगर्स के गले में हाथ डालडाल कर फोटो खिंचवाने में गजब का रोमांच रहा. फिर दिल में आया कि कहीं इन टाइगर्स को कोई ड्रग्स दे कर तो ऐसे नहीं रखा जाता. इस बारे में पूछ नहीं पा रहे थे क्योंकि भाषा की समस्या थी पर एक बोर्ड पर इंग्लिश में लिखा था कि इन टाइगर्स को ये केयर टेकर्स बचपन से ही ट्रेनिंग देते हैं इसलिए वे इन्हें देख कर कंफर्टेबल रहते हैं और इन्हें कोई ड्रग नहीं दिया जाता है. टाइगर्स कई घंटे सोते हैं.

फिर लंच कर के बिग बुद्धा गए. बुद्धा की एक बहुत बड़ी प्रतिमा के साथसाथ यहां और भी कई तरह की मूर्तियां हैं जो काफी सुंदर बनाई गई हैं. आसपास का वातावरण भी बहुत सुंदर था. प्राकृतिक दृश्यों की छटा देखते ही बनती है. साफसफाई बहुत है. फिर शाम को मार्केट, अगले दिन वापस.

अब तक थकान हो चुकी थी. अब

अच्छे पार्लर्स दिख नहीं रहे थे. दोबारा मसाज न करवा पाने का मौका न मिल पाने का मलाल

और मन में कई सुखद यादें, कई रोमांचक अनुभव लिए अगले दिन भारत लौट आए. यह सच है कि यात्राएं बहुत जरूरी होती हैं, नए अनुभव मिलते हैं, नए उत्साह से भर कर स्फूर्ति मिलती है. जीवन के सफर में सफर करते रहना जीवन को संवारता है, सफर की थकान को, मुश्किलों को नजरअंदाज करते हुए नईनई जगहें देखने के मौके तलाशते रहें. जीवन संवरता रहता है, आप बहुत कुछ सीख कर, जान कर वापस लौटते हैं.

सर्दी में सोलो ट्रैवलर्स के लिए टिप्स

आजकल सोलो ट्रैवल का चलन खूब चल पड़ा है. इस का मजा ही अलग है क्योंकि इस में बिना रोकटोक अपनी ट्रैवलिंग को कहीं भी जा कर एंजौय किया जा सकता है. अकसर यह ट्रैवल वे लोग किया करते हैं जो अकेले बड़ीछोटी हर जगह को एक्सप्लोर करना चाहते हैं.

वैसे तो सोलो ट्रैवलर के लिए मौसम माने नहीं रखता, वे किसी भी मौसम में अपनी ट्रिप को एंजौय कर लेते हैं पर यह ध्यान रखना जरूरी है कि हर मौसम के हिसाब से अपने साथ कुछ तरह की सावधानियां बरतनी बेहद जरूरी हैं ताकि आप कुशलता के साथ अपनी ट्रिप को एंजौय कर सकें.

ध्यान रखें

-सर्दी का मौसम है तो यह मान कर चलिए हर जगह का न्यूनतम तापमान गिरा ही होगा. ऐसे में घूमने का स्थान चुनने के बाद उस इलाके के तापमान को जरूर नोट कर लें, ताकि उस जगह के मुताबिक सामान बांध सकें.

-कोशिश करिए ऐसी जगह पर घूमने जाइए जहां जानपहचान वाला कोई रहता हो ताकि कोई भी दिक्कत हो तो अजनबी शहर में मदद मिल सके.

-अकेले घूमने वाले हमेशा अपने साथ एक गेम, जैसे चैस, ताश, लूडो आदि ले कर जाएं. पूरी दुनिया के लोग इस तरह के गेम खेलने का आनंद लेते हैं. गेम के बहाने वे आप से जुड़ सकते हैं. यह ऐसा गेम है जिस के लिए बहुत ज्यादा लोगों की जरूरत नहीं है, दोचार लोगों से ही काम बन जाएगा और अजनबी भी आसानी से घुलमिल जाएंगे.

-सामान जितना कम होगा, ट्रैवलिंग का मजा उतना ज्यादा आएगा. वरना घूमने से पहले सामान रखने के लिए क्लौकरूम और होटल ढूंढ़ने में ही वक्त, ताकत और पैसा खर्च होता रहेगा.

-अपने साथ बहुत सारे कपड़े या सामान रखने के बजाय होंठों पर मुसकान और मन में धैर्य ले कर चलिए. इसी तरह दूसरों से अपेक्षाएं न रखें. इन्हें घर में ही छोड़ कर आगे बढ़ें.

-लोकल मार्केट में घूमना न भूलें. वहां

आप को सांस्कृतिक, सामाजिक और पारिवारिक विभिन्नताओं के बीच एक जुड़ाव महसूस होगा. लोग हमेशा आप को कुछ नया सिखाने को तत्पर मिलेंगे.

-अजनबियों से दोस्ती करें. खासकर ऐसे अजनबियों से दोस्ती करने का मौका कतई न चूकें जिन के पास हर तरह के ज्ञान का भंडार हो. अकेले घूमते हुए अपनेआप को अजनबियों से दोस्ती का तोहफा दीजिए. उन से सवाल पूछिए. हर विषय पर उन के विचार जानिए.

-जब आप अकेले ट्रेन में हों तो अपने सामान का खास खयाल रखें. सब से पहले तो बड़े सामान सीट के नीचे डाल कर चेन लगा लें. इस के अलावा यदि बैगपैक पास में है तो उसे भी बगल की सीट से बांध दीजिए ताकि कोई चुपके से इसे उठा कर चलता न बने.

-?ापटमारों और पीछा करने वालों से सावधान रहें. अपने आसपास के लोगों पर नजर रखें. ध्यान रखें कि भले ही आप अकेले होने के बावजूद कंफर्टेबल महसूस कर रहे हों मगर सामने वाला बहुत ही चालाकी से आप पर नजर रख सकता है. डरें नहीं, मगर आप अकेले हैं, इसलिए ?ापटमारों से खास सावधान रहें.

-ध्यान रखें कि आप दिन की रोशनी में ही अपने लक्ष्य तक पहुंच जाएं. जब भी आप को किसी नई जगह जाना हो तो दिन का समय चुनिए. क्योंकि दिन में रास्ता ढूंढ़ना आसान होता है. दिन में आप खुली हुई दुकानों या आतेजाते लोगों से सही दिशा का पता लगा सकते हैं.

-आप अकेले निकले हैं तो छोटीछोटी चीजें एब्जौर्ब कर बहुतकुछ सीख सकते हैं. कभी पार्क की बैंच पर, कभी किसी कैफे में बैठ कर और कभी यों ही कहीं खड़े हो कर लोगों की गतिविधियों पर नजर रख सकते हैं. इस से आप को बहुतकुछ नया जानने को मिलेगा.

-यदि आप किसी सुनसान इलाके की तरफ जा रहे हैं तो किसी न किसी को यह बात बता कर निकलिए कि आप कहां जा रहे हैं क्योंकि यदि आप किसी प्रौब्लम में फंस जाएं तो कोई तो हो जो आप की खोजखबर ले सके.

-जिंदगी में जब भी आप अकेले निकलें, अपने साथ कुछ खानेपीने की हैल्दी चीजें, जैसे नट्स, ड्राईफ्रूट्स, डार्क चौकलेट वगैरह रख लें ताकि आप जब चाहें, अपनी एनर्जी वापस पा सकें और स्नैक्स खिला कर दूसरों से भी दोस्ती बढ़ा सकें.

ट्रिप पर जा रही हैं ? अपनाएं ये आसान पैकिंग टिप्स

जब भी आप कोई ट्रिप प्लान करती हैं तो जैसे-जैसे यात्रा के दिन करीब आते हैं वैसे वैसे आपकी टेंशन बढ़ती जाती है. बस आपको एक ही फिक्र रहती है कि क्या आपकी पैकिंग सही से हुई है? आपने अपने इधर उधर बिखरे कपड़े बैग में रख लिए हैं या नहीं ? क्या कहीं कुछ सामान छूट तो नहीं गया. तो आइए जानते हैं, वो आसान सा पैकिंग टिप्स के बारे में.

एक चेकलिस्ट बनाएं

किसी भी यात्रा के लिए पैकिंग का प्रथम स्टेप एक चेकलिस्ट है. तो अब जब भी आप किसी नए स्थान की यात्रा पर जा रही हों तो अपनी चेक लिस्ट बनाना न भूलें. साथ ही आप अपने साथ ले जाने वाले सामान का रफ आईडिया भी उसी चेक लिस्ट में लिख लें.

जिस दिन आप यात्रा पर जा रही हों उस दिन अपनी चेक लिस्ट से जांचें कि कहीं आपने कुछ छोड़ा तो नहीं है. जहां जा रहे हैं उसकी जानकारी पैंकिंग से पहले जाने वाली जगह के बारे में सूचना लोगों की संख्या, अपनी ट्रिप का नेचर जैसी महत्त्वपूर्ण जानकारी भी आप अपने साथ अवश्य रखें. ऐसा करके आप अपने लिए सही और जरूरी सामानों की ही पैकिंग कर पाएंगी.

श्रेणीबद्ध करें

कुछ बातें आपकी सभी ट्रिप्स में कौमन होंगी तो अपनी नयी ट्रिप के वक्त उन चीजों और उन बातों को श्रेणीबद्ध करना बिलकुल न भूलें. जैसे आपके कपड़े, जूते, दवाई, गैजेट, खाना और टिकट इत्यादि. आप एक लिस्ट बनाएं और इन चीजों को अपनी लिस्ट से मिलाएं.

कपड़े

कपड़े हमेशा ही एक अहम मसला रहे हैं. प्रायः ये देखा गया है कि लोग किसी भी ट्रिप पर जाने के दौरान हमेशा ही जरूरत से ज्यादा कपड़े ले जाते हैं. हमारा यही सुझाव है कि आप अपने कपड़ों का चयन अपनी ट्रिप के नेचर के अनुरूप करें. उदाहरण के तौर पर यदि आप हिल स्टेशन जा रही हैं तो आप अपने साथ टी-शर्ट और शौर्ट्स न ले जाएं और गर्म कपड़े अवश्य रखें वहीं अगर आप बीच पर जा रही हों तो ये टी-शर्ट और शार्ट्स आपके बैग में अवश्य होने चाहिए. इसी प्रकार किसी पहाड़ी स्थान की यात्रा के वक्त आपके पास ट्रैकिंग के लिए अच्छे जूते अवश्य होने चाहिए.

जूते

ये देखा गया है कि सामान बांधते वक्त जूते हमेशा ही ज्यादा स्थान घेरते हैं तो आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जूते आप एक अलग ही बैग में रखें और उनकी संख्या इतनी हो की वो बस आपकी जरूरत हो पूरा कर सकें.

हेल्थ किट

यात्रा के दौरान हल्का खांसी जुखाम होना एक आम बात है लेकिन कभी कभी लापरवाही के चलते व्यक्ति की तबियत ज्यादा खराब हो जाती है. प्रायः ये देखा जाता है कि नयी जगह और मौसम के बदलाव के चलते ही व्यक्ति के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है. तो अब आप अपनी यात्रा पर एक मेडिकल किट अवश्य साथ रखें. ये मेडिकल किट ज्यादा महंगी नहीं होती हैं और आपको किसी भी मेडिकल स्टोर पर बड़ी ही आसानी से प्राप्त हो जाएंगी.

यात्रा के दौरान खुद को रखें फिट एंड फाइन

यात्रा के दौरान इन्जौय करने के लिए महज अच्छे जगह की तलाश कर लेना ही काफी नहीं होता. बल्कि खुद को हेल्दी और फिट रखना भी बहुत जरूरी है. तो आइए जानते हैं कि आप यात्रा के दौरान में कैसे फिट रह सकती हैं.

आराम करना भी जरूरी है – ट्रिप की प्लानिंग करते वक्त हर एक जगह को कवर करने के चक्कर में आराम के साथ समझौता करना ठीक नहीं. इससे तबियत खराब होने के चांसेज़ सबसे ज्यादा होते हैं. सिरदर्द, बेचैनी और पेट से जुड़ी प्रौब्लम्स, नींद न पूरी होने की निशानी हैं. गर्मी हो या सर्दी, दिन में घूमे और रात में आराम करें.

भरपूर मात्रा में पिएं पानी– ट्रैवलिंग के दौरान खुद को हाइड्रेट रखना सबसे जरूरी है क्योंकि शरीर में पानी की कमी से सबसे ज्यादा समस्याएं होती हैं. वहीं अगर आपकी बौडी हाइड्रेट रहती है तो जगह कैसी भी हो वहां आराम से रहा जा सकता है. इसके लिए जरूरी है अपने साथ पानी की बौटल जरूर रखें.

चेहरे को बार-बार टच न करें– यात्रा के दौरान आंखों में जलन, खुजली, चेहरे के पिंपल्स और खांसी की वजह पौल्यूशन ही नहीं आपके हाथ भी हो सकते हैं जिससे आप जाने-अंजाने इन्हें टच करते रहती हैं. तो जितना हो सके चेहरे और आंखों को टच ना करें. इसके साथ ही अपने पास रूमाल या टिश्यू पेपर कैरी करें जिससे बहुत जरूरी हो तो इसका इस्तेमाल कर सके.

एक्टिव रहने के लिए एक्सरसाइज़ सबसे बेस्ट औप्शन है. आजकल ज्यादातर होटल्स में ज़िम और स्विमिंग पूल होते हैं तो इनका इस्तेमाल करें. इसके लिए अलग से पैसे भी नहीं चुकाने पड़ते. इसके अलावा आपके पास मौर्निंग वाक का भी औप्शन है. जो एक्टिव रखने के साथ-साथ इम्यून सिस्टम के लिए भी बेस्ट एक्सरसाइज़ है.

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