समय की मांग है वसीयत करना

कोरोना की दूसरी लहर में नीता और उसके पति की अकस्मात मृत्यु हो गयी. एक मल्टीनेशनल कंपनी में कार्यरत इकलौता बेटा अमन फ्लाइट्स के न चलने के कारण भारत नहीं आ पाया. जब 3 माह बाद वह आया तो तब तक उसके घर का आधे से अधिक समान नाते रिश्तेदार ले जा चुके थे. लंबे समय से भारत न आने के कारण उसे अपने पिता की परिसम्पत्तियों की भी कोई जानकारी नहीं थी जिसके चलते उसे क्लेम्स लेने में अच्छी खासी परेशानी का सामना करना पड़ा.

वीणा कोचिंग संस्थान को भोपाल में सफलतापूर्वक चलाने वाले वर्मा दम्पत्ति की अचानक कोरोना के कारण मृत्यु हो गयी दोनों बच्चे अभी नाबालिक हैं. माता पिता के जाने के बाद न तो परिवार में किसी को उनकी परिसम्पत्तियों के बारे में पता है और न ही कोई बच्चों की देखभाल करने वाला है.

कोरोना काल से पूर्व यदि परिवार का मुखिया परिवार के समक्ष वसीयत की बात करता था तो परिवार के सदस्य उसे “क्यों व्यर्थ की बातें कर रहे हो” कहकर झिड़क देते थे और बात आई गयी हो जाती थी पर कोरोना के आगमन के बाद से वसीयत एक आवश्यक आवश्यकता बन गयी है. कोरोना काल से पूर्व पति या पत्नी में जीवित सदस्य आर्थिक मैनेजमेंट कर लिया करता था परन्तु कोरोना की दूसरी लहर के दौरान पूरे पूरे परिवार ही कोरोना की चपेट में आकर इस संसार से विदा ले गए. इसके अतिरिक्त कई बच्चों के माता पिता एक साथ चले जाने से वे अनाथ हो गए ऐसे में बच्चों की परवरिश कौन करेगा यह बहुत बड़ा यक्ष प्रश्न है. वसीयत करना तो हमेशा से ही सुरक्षाप्रद रहा है. वसीयत के अभाव में इसके अतिरिक्त कुछ अन्य कारणों से भी वसीयत करना अत्यंत आवश्यक है-

क्यों जरूरी है वसीयत बनाना

-सम्पत्ति के शांतिपूर्ण और कानूनी बंटवारे के लिए ताकि आपके जाने के बाद बच्चे ताउम्र एक दूसरे से सम्पत्ति के लिए आपस में झगड़ते ही न रहें.

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-वसीयत के अभाव में सम्पत्ति का बंटवारा उत्तराधिकार अधिनियम के तहत किया जाता है. जिससे कई वर्ष तक केस कोर्ट में लंबित हो जाते हैं और इस पूरे अंतराल के दौरान उत्तराधिकारी आपसी मनमुटाव में जीते हैं. वसीयत करने से समस्त सम्पत्ति का बंटवारा सुगमता से हो जाता है.

-हो सकता है कि आपका कोई बच्चा आर्थिक रूप से कमजोर हो और आप उसके लिए अन्य से अधिक करना चाहते हैं ऐसी स्थिति में आप वसीयत बनाकर अपने मनमुताबिक बंटवारा कर सकते हैं इससे आपके जाने के बाद उनके आपसी सम्बन्ध भी खराब नहीं होगें.

-कोरोना के कारण कई परिवारों में पति पत्नी दोनों ही अपने नाबालिग बच्चों को छोड़कर अकाल मृत्यु को प्राप्त हो गए ऐसे में आपके जाने के बाद उनकी देखभाल कौन करेगा इसका निर्धारण आप वसीयत करके आसानी से कर सकते हैं, और आज के समय यह करना अत्यंत आवश्यक भी है.

-चूंकि वसीयत के समय सारी संपत्ति की लिस्ट बन जाती है इसलिए आपकी सम्पत्ति के बारे में आपके वकील और गवाह को पता होता है तो उत्तराधिकारियों के लिए बीमा आदि की राशि का क्लेम करना आसान हो जाता है.

ऐसे बनाएं वसीयत

-अचल संपत्ति बैंक जमा, शेयर, बीमा, सोना, और अन्य सभी निवेश सहित अपनी सभी परिसम्पत्तियों की एक लिस्ट बनाकर तैयार करें.

-लाभर्थियों के बारे में फैसला करें कि किसे आप क्या और कितना देना चाहते हैं.

-यदि आपके बच्चे नाबालिग हैं तो उनके  लिए केयरटेकर या अभिभावक नियुक्त करें.  प्रयास करें कि अभिभावक कोई आपका नजदीकी ही हो.

-वसीयत बनाते समय दो ऐसे  गवाह तय करें जो स्वतंत्र हों और लाभार्थियों से किसी प्रकार का कोई सम्बंध न रखते हों.

-वसीयत में एक निष्पादक अवश्य नियुक्त करें, सम्पत्तियों, और उधार की जानकारी जुटाना, कर्ज का भुगतान, और अंत में वसीयत के अनुसार सम्पत्ति का बंटवारा करना इसका मुख्य काम होता है.

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-वसीयत अच्छी क्वालिटी के ए फोर साइज के पेपर पर अथवा हरे रंग के बहीखाता पत्र पर साफ शब्दों में लिखकर या प्रिंट करवाएं क्योंकि ये पेपर समय के साथ खराब नहीं होते.

– वसीयत को मोड़े बगैर बड़े लिफाफे या प्लास्टिक के मोटे फोल्डर में सुरक्षित रखें.

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