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उधर पलभर के लिए सन्नाटा छाया तो तनुजा ने कहा, ‘‘अरे बेटा, सौरी, प्लीज रिनी को मत बताना कि मेरे मुंह से ये सब निकल गया है. उस ने मुझे धमकी दी है कि अगर मैं ने अपना मुंह खोला तो वह हम मांबेटे पर झूठा केस कर के फंसवा देगी.’’

अरुण को जैसे धक्का लगा था, ‘‘आंटी, रिनी के मेरी तरह और दोस्त भी हैं?’’

‘‘नहीं बेटा, मुझे कुछ नहीं पता,’’ घबराने की ऐक्टिंग करते हुए कह कर तनुजा ने फोन रख कर गहरी सांस ली.

पलभर बाद ही अरुण का फिर फोन आ गया, ‘‘आंटी, आप मुझे इन लोगों के फोन नंबर दे सकती हैं?’’

‘‘नहीं बेटा, मुझे नहीं पता.’’

‘‘ठीक है आंटी, आप मेरा नंबर लिख लें. जब भी इन में से कोई आए आप प्लीज मुझे फोन पर बता देना... मेरी रिक्वैस्ट है आप से. अब मेरी समझ में आ रहा है कि क्या हो रहा है. आप मेरे हैल्प करें आंटी, मैं आप की हैल्प करूंगा.’’

‘‘ठीक है बेटा, तुम तो मेरे बेटे की तरह हो.’’

2 दिन बाद ही यश आया था. दोनों ‘बार्बेक्यूनेशन’ डिनर के लिए जा रहे हैं, तनुजा ने सुन लिया. उन्होंने अरुण को फोन पर बता दिया. यह भी कहा, ‘‘बस बेटा, मेरा नाम न लेना. यह लड़की हमें फंसा देगी.’’

‘‘नहीं आंटी, आप चिंता न करें, थैक्स.’’

‘बार्बेक्यूनेशन’ में जो हुआ उस की तो रिनी ने कभी कल्पना भी नहीं की थी. अरुण ने रिनी और यश को वहां ऐसा लताड़ा कि रिनी के मुंह से बोल न फूटा. यश की आंखों से भी परदा हट गया था. अरुण और यश ने मिल कर रिनी को ऐसीऐसी गालियां दीं कि म्यूजिक तेज था, इसलिए तमाशा नहीं बना वरना वह लोगों की नजरों का सामना ही न कर पाती. वह तो वहां से भाग ही गई. उस के बाद अरुण और यश जो मिले तो पहली बार थे पर रिनी से मिले धोखे का, बेवकूफ  बनने का जो दुख था, दोनों ने जबदरदस्त डिनर कर शेयर किया.

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