हलदी से कौन परिचित नहीं होगा. भारतीय रसोई की इस के बिना कल्पना भी नहीं की जाती. पीली हलदी जहां हर दाल, सब्जी में डाली जाती है, वहीं हरी हलदी को छील कर उस के छोटे टुकड़े काट कर नीबू के साथ अचार बनाया जाता है.

गले में दर्द हो तो हलदी मिले कुनकुने पानी से गरारे करें, दर्द में जल्दी आराम आ जाएगा.

जब बदन दर्द कर रहा हो या कहीं भी दर्द हो तो दूध में एक चुटकी हलदी डाल कर पिएं, आराम आएगा. आप रोजाना भी इस दूध को पीने का नियम बना सकती हैं. काफी फायदेमंद रहेगा.

सब्जियों के लिए या किसी भी चीज को बघार लगाते वक्त जब मिर्च या करीपत्ता डालते हैं तो तेल बाहर उछल जाता है. अगर बघार से पहले तेल में थोड़ी सी हलदी डाल दी जाए तो बघार बाहर नहीं उछलेगा.

केले के चिप्स तलने हों तो तेल में थोड़ी हलदी डाल दें. चिप्स काले नहीं पड़ेंगे, खाने में मजेदार और रंग भी सुनहरा पीला रहेगा.

करेले बनाने से पहले उन्हें छील कर हलदी लगा कर कुछ देर छोड़ दें, करेलों का कड़वापन काफी कम हो जाएगा.

सांगरी को भिगोते वक्त उस में 1/2 छोटा चम्मच हलदी डाल दें, फिर उबालें. सांगरी की रंगत खिलीखिली रहेगी.

कहीं भी चोट लग जाए या त्वचा छिल जाए, कुछ समझ न आए कि कौन सी दवा लगाएं तो जरा सी हलदी को पानी में घोलें और लगा लें, आराम आ जाएगा.

कई बार होंठ बुरी तरह फट जाते हैं और दर्द करने लगते हैं, वैसलीन में एक चुटकी हलदी मिला कर लगाएं, फटे होंठों को राहत मिलेगा.

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