त्वचा व बालों को ले कर लोगों में गलतफहमियां होती हैं. जागरूकता के अभाव में इन गलतफहमियों की वजह से कभी गंभीर समस्या तो कभी हास्यास्पद स्थिति भी आ सकती है. तो जानते हैं, त्वचा व बालों से जुड़े मिथक व उन की सच्चाई.

मिथक

सफेद बालों में कलरिंग करने से वे और जल्दी सफेद होने लगते हैं.

सच्चाई

बालों का सफेद होना बहुत हद तक आनुवंशिकता पर निर्भर करता है. कुछ मामलों में ये तनाव के कारण भी सफेद हो सकते हैं. बालों के सफेद होने का कोई ऐसा बाहरी कारक जिम्मेदार नहीं होता जिस से यह निर्धारित किया जा सके कि किस उम्र में बाल सफेद होने लगते हैं.

मिथक

तैलीय चीजें खाने से कीलमुंहासे बढ़ते हैं.

सच्चाई

कीलमुंहासे हारमोनल असंतुलन की वजह से होते हैं. ये तैलीय भोजन करने से नहीं होते हैं. हां, हाल के शोध से साबित हुआ है कि ब्रैड, आलू, पिज्जा, पास्ता, केक आदि व्हाइट कार्ब्स से भरपूर अत्यधिक ग्लाइकेमिक मात्रा वाले भोजन के बहुत ज्यादा सेवन से कीलमुंहासे बढ़ते हैं. अत: इन का ज्यादा सेवन न करें.

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मिथक

फिलर्स से आप का चेहरा बनावटी लगने लगता है.

सच्चाई

यदि योग्य व प्रशिक्षित प्रोफैशनल की निगरानी में ऐसा किया जाए तो रैस्टिलेन जैसे फिलर्स वाकई आप के चेहरे में निखार ला सकते हैं और इन का असर कुछ वर्षों तक बना रहता है.

किशोरावस्था में भी ये आप के गालों, होंठों आदि को भरापूरा बना कर आप का आकर्षण बढ़ाते हैं, जिस से आप का आत्मविश्वास भी बढ़ता है. इन में हायलुरोनिक ऐसिड होता है, जो आप की त्वचा का एक स्वाभाविक तत्त्व होता है.

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