इंडियन एसोसिएशन औफ लिवर द्वारा किए गए शोध के मुताबिक देश में हैपेटाइटिस का औसत प्रसार 4.7 प्रतिशत है. दुनियाभर में हैपेटाइटिस से 40 करोड़ लोग प्रभावित होते हैं जो एचआईवी रोगियों के मुकाबले दसगुना अधिक हैं.

आज के युवा हैल्थ से ज्यादा स्टाइल को तवज्जुह देते हैं. कभी अपनी प्रेमिका के नाम को तो कभी अपने फेवरेट कैरेक्टर को अपनी बौडी पर टैटू के जरिए दर्ज करने के चक्कर में वे इस के साइडइफैक्ट्स तक भूल जाते हैं. एक हद तक ऐक्सपरिमैंट करने या नई चीजों को तलाशने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन टैटू एक ऐसी जोखिमभरी प्रक्रिया है जो आप के स्वास्थ्य को सीधे खतरे में डालती है. आजकल हर मौल, शौपिंग कौंप्लैक्स या स्ट्रीट मार्केट में टैटू पार्लर्स खुल गए हैं जो आप की पसंद का टैटू बनाने के लिए अच्छीखासी फीस तो लेते हैं, लेकिन युवाओं को यह कोई नहीं बताता कि इन पार्लर्स में कितने लोग सुरक्षित तरीके से इंकिंग करते हैं. कई बार इन की लापरवाही किसी की जान भी ले सकती है.

हैपेटाइटिस का खतरा

स्वास्थ्य विशेषज्ञ मानते हैं कि बिना सावधानी के टैटू बनवाने से हैपेटाइटिस हो सकता है. हैपेटाइटिस लिवर की सूजन यानी इनफ्लेमेशन है. यह विभिन्न किस्मों में होती है. हैपेटाइटिस बी और सी दुनियाभर में बढ़ते संक्रमण और मौत के प्रमुख कारण हैं. अनस्टाइल सुइयों या फिर एक ही सुई के इस्तेमाल से यह वायरस, आप के भीतर प्रवेश कर सकता है. हैपेटाइटिस बी बहुत शक्तिशाली है और एचआईवी की तुलना में 0.3 एमएल रक्त की जरूरत के मुकाबले 0.03 मिलीलिटर रक्त ही वायरस फैलाने के लिए पर्याप्त है.

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